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  • MOOKNAYAK MEDIA

    At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

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    IT एक्ट संशोधन असंवैधानिक, देशभर के यूट्यूबर्स को मुंबई हाईकोर्ट से बड़ी राहत

    मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 सितंबर 2024 | जयपुर : केंद्र सरकार फैक्ट चेक यूनिट नहीं बना सकेगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को IT एक्ट में किए गए संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि IT एक्ट में संशोधन जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

    IT एक्ट संशोधन असंवैधानिक, देशभर के यूट्यूबर्स को मुंबई हाईकोर्ट से बड़ी राहत

    दरअसल, केंद्र सरकार ने 2023 में IT नियमों में संशोधन किया था। सरकार इसके जरिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर झूठी या फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बना सकती थी।

    IT एक्ट संशोधन असंवैधानिक

    इसी साल 20 मार्च को अधिसूचना जारी कर कहा था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी। उससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी।

    बॉम्बे हाईकोर्ट के टाईब्रेकर जज ने सुनाया फैसला

    जनवरी 2024 में बेंच में शामिल दो जजों जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला न्यायमूर्ति ने अलग-अलग फैसला दिया था। इसके बाद यह केस टाईब्रेकर जज जस्टिस एएस चंदुरकर के पास भेजा गया था। जब दो जजों के फैसले पर अलग-अलग मत होते हैं तब इसे टाईब्रेकर जज के पास भेजा जाता है।

    जस्टिस पटेल और जस्टिस गोखले ने क्या कहा था जस्टिस गौतम पटेल: संशोधित IT नियम सेंसरशिप के समान हैं।

    जस्टिस गोखले: दिए जा रहे तर्कों के मुताबिक फ्री स्पीच पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

    कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ने लगाई याचिका

    IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

    इसमें तीन रूल को चुनौती दी गई थी। ये रूल केंद्र सरकार को झूठी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने के लिए FCU बनाने का अधिकार देते हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ये संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(a)(g) (कोई भी पेशा अपनाने, या कोई व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।

    21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट बनाने पर रोक लगाई

    केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2024 को फैक्ट चेक यूनिट बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। 21 मार्च को इस नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। ये रोक तब तक के लिए लगाई थी, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले। कोर्ट ने कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है।

    अश्विनी वैष्णव ने कहा था- केंद्र के लिए फैक्ट-चेक यूनिट जरूरी

    केंद्रीय IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि केंद्र सरकार के लिए अपनी फैक्ट-चेक यूनिट स्थापित करना जरूरी है। सरकार अपनी नीतियों और अन्य योजनाएं से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए सबसे उपयुक्त है।

    अश्विनी वैष्णव ने एक न्यूज चैनल के इवेंट में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा- हाल ही में एक विपक्षी पार्टी ने पोस्ट किया कि भारतीय रेलवे के पैसेंजर्स 80% तक कम हो गए हैं। इस तरह की गलत जानकारी से बचने के लिए आपको रेलवे से सही आंकड़ा पूछना होगा। फैक्ट्स तो फैक्ट्स हैं।

    केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा- फैक्ट-चेक यूनिट को लेकर हमारा प्रस्ताव केंद्र के काम से संबंधित फैक्ट्स और आंकड़ों तक ही सीमित था। दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालांकि, हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट (FCU) का गठन करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी। केंद्र ने एक दिन पहले बुधवार यानी 20 मार्च को ही आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई किया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।’ यह फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं और पोस्ट की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए बनाई जानी थी।

    CJI चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका पर यह फैसला दिया।

    PIB फैक्ट चेक यूनिट मामले को सवाल-जवाब में समझिए

    1. PIB फैक्ट चेक यूनिट कैसे काम करती है?

    प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी PIB फैक्ट चेक के जरिए सरकार से जुड़ी खबरों का खंडन करता है। कहने का मतलब अगर न्यूजपेपर/ऑनलाइन मीडिया/ या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर पब्लिश किसी खबर में सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं या सरकार या उसकी छवि खराब करने वाली बात कही गई है, तो उनका तथ्यों के साथ एनालिसिस कर फैक्ट चेक किया जाता है।

    2. PIB फैक्ट चेक यूनिट फैक्ट चेक को कहां पोस्ट करती है

    सोशल मीडिया X, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और Koo पर @PIBFactCheck के नाम से अकाउंट है। यहीं पर खबरों का फैक्ट चेक कर पब्लिश किया जाता है। इसके अलावा https://pib.gov.in/factcheck.aspx पर भी जानकारी दी जाती है।

    PIB की फैक्ट चेक यूनिट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भ्रामक दावों को लेकर अक्सर पोस्ट करती रहती है।

    PIB की फैक्ट चेक यूनिट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भ्रामक दावों को लेकर अक्सर पोस्ट करती रहती है।

    3. सरकार ने इस यूनिट को कब बनाया

    PIB की वेबसाइट के अनुसार, इस यूनिट को नवंबर 2019 में शुरू किया गया था। ये न्यूजपेपर, ऑनलाइन मीडिया या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर पब्लिश किसी खबर में सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं या सरकार की छवि खराब करने वाली कोई बात कही गई है, तो उनका तथ्यों के साथ एनालिसिस कर फैक्ट चेक करती है।

    4. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक क्यों लगाई?

    PIB फैक्ट चेक यूनिट के पास पहले लीगल एक्शन लेने का अधिकार नहीं था। इसी को ध्यान में रखकर अप्रैल 2023 में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन किए गए थे। इसके तहत कोई खबर या पोस्ट जो सरकार के बारे में गलत या भ्रामक जानकारी दे रही है, उसे PIB के सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया जाएगा।

    इसके बाद जिसने यह गलत या भ्रामक जानकारी दी थी, उसे यह हटाना पड़ेगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जा सकता है। इसे 20 मार्च 2024 को सरकार ने नोटिफाई किया।

    5. क्यों हो रहा है विरोध

    IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

    एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।

    6. बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया?

    संशोधित याचिका पर फैसला देते हुए जस्टिस जीएस पटेल ने संशोधन के विरोध में और जस्टिस नीला गोखले ने उसके पक्ष में फैसला दिया था। जब मामला तीसरे जज जस्टिस चंदूरकर के पास गया तो उन्होंने संशोधन पर स्टे लगाने से मना कर दिया।

    यह भी पढ़ें : Top 10 Agricultural Universities in India 2024

    हालांकि पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी, लेकिन तीसरे जज के संशोधन पर रोक लगाने से मना करने के बाद कोर्ट ने सरकार को अधिसूचना लाने की इजाजत दे दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर 21 मार्च को सुनवाई तय की गई थी।

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    सुंदरता से ज्यादा महत्व अच्छे विचारों और सकारात्मक व्यक्तित्व का होता है

    मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 अगस्त 2024 | जयपुर : सुंदरता से ज्यादा महत्व सकारात्मक व्यक्ति और अच्छे विचारों का होता है। अगर कोई व्यक्ति दिखने में तो बहुत सुंदर है, लेकिन उसका व्यक्तित्व और विचार अच्छे नहीं हैं तो उसकी सुंदरता का महत्व खत्म हो जाता है। सुंदरता थोड़े समय के लिए आकर्षित कर सकती है, लेकिन जब बात लंबे समय तक रिश्ते निभाने की हो तो अच्छे विचारों को महत्व दिया जाता है।

    सुंदरता से ज्यादा महत्व अच्छे विचारों और सकारात्मक व्यक्तित्व का होता है

    ‘सकारात्मक सोच’ वह शक्तिशाली सोच है जो व्यक्ति को उसके जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना के प्रति, एक सकारात्मक दृष्टि कोण अपनाने के लिए प्रेरित करती है और व्यक्ति अपने ऐसे दृष्टिकोण के कारण जीवन संबंधी घटनाओं को चाहे ये चुनौतीपूर्ण हो अच्छी तरह से सामना कर सकता है । न केवल वह उसका सामना कर पाता है बल्कि सफलता का वरण भी करता है।

    सुंदरता से ज्यादा महत्व अच्छे विचारों और सकारात्मक व्यक्तित्व का होता है

    सकारात्मक सोच एवं सामाजिक प्रभाव

    विचार ही चरित्र का आधार है या यों कह सकते हैं कि विचार बीज है चरित्र उसका फल । अब व्यक्ति में सामाजिक विकास हेतु चरित्र या व्यक्तित्व का अत्यन्त प्रभाव पड़ता है यदि चरित्र सकारात्मक सोच पर आधारित है तो उसका सामाजिक प्रभाव भी अधिक पड़ेगा उदाहरण स्वरूप महात्मा गाँधी जी अपने चारित्रिक प्रभाव के कारण ही सारे विश्व में प्रसिद्ध हुई इसका कारण उनका अद्भुत सकारात्मक सोच चिंतन या विचार ही था।

    सकारात्मक सोच के अभाव में व्यक्ति अपना जीवन अत्यंत दयनीय बना लेता है क्योंकि उसकी सोच नकारात्मक होने थे वह घटनाओं के प्रति नकारात्मक परिस्थितियों को ही आकर्षित करती है। जैसा कि ‘आकर्षण का नियम’ दर्शाता है व्यक्ति जैसा विचार रखता है जैसा वह सोचता है–बाह्य परिस्थितियाँ उसी के अनुरूप निर्मित होती है उसके समक्ष उपस्थित होती है।

    इस एक उदाहरण के रूप में भी समझा जा सकता है–यदि एक व्यक्ति अपने मस्तिष्क में हमेशा यह विचार रखता है कि उसके जीवन में सब कुछ अच्छा है उसे कहीं किसी प्रकार की कमी नहीं है तो उसके जीवन में घटनाएं जो भी घटित होती है वह उसे विचलित या परेशान नहीं करती क्योंकि उसका हृदय में ‘आंतरिक विश्वास दृढ़ होता है कि जो भी हो रहा है वह अच्छा हो रहा है’ भविष्य में जो भी होगा वह अच्छा ही होगा–वास्तव में ऐसा ही होता उसकी परिस्थितियाँ उसके अनुकूल होते हुए उसके जीवन में सब कुछ अच्छा परिणाम देती हैं।

    इस प्रकार इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे सोच अत्यधिक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली होते है । हमारी सोच जैसे होते हैं हमें उसी के अनुरूप परिणाम भी प्राप्त होते हैं यह कहना – बिल्कुल सही है कि सोच हमारे जीवन के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक सभी पक्षों को प्रभावित करता है।

    सोच की ताकत

    सकारात्मक सोच कि शक्ति बहुत बड़ी ताकत होती है। हम जिस विचार से अपने मन को मजबूती देते हैं उसी मजबूती से हम कार्य कर सकते हैं। मन मे अच्छे विचार से भविष्य मे अच्छे कदम उठाने मे बहुत मदद मिलती है। इससे हम किसी भी काम को आसानी से करने मे बहुत मदद मिलती है। हम इसे जिंदगी मे आशा कि किरण भी कह सकते हैं। जो अंधकार या बुरे समय मे हमको बचाये रखती है।

    सकारात्मक सोच से ही मनुष्य यह निर्धारित कर सकता है कि भविष्य मे वह कैसा व्यक्ति बनता है। जैसी हमारे सोच होती है हम आगे चलकर वैसे ही बनते हैं जिस तरह से हमारे विचार होंगे उसी तरह से हम होंगे। अब यह हमको सोचना है कि सकारात्मक विचार किस तरह हमारे जीवन को सफल बना देता है।

     

    सकारात्मक दृष्टिकोण के उदाहरण

    सकारात्मक दृष्टिकोण इस बात को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है कि हम चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से कैसे निपटते हैं, जिससे हम संभावित असफलताओं को विकास के रास्ते में बदल पाते हैं। उदाहरण के लिए, नौकरी छूटने के बाद, सकारात्मक आत्म-चर्चा पर विचार करने और अभ्यास करने में समय बिताने से अनुभव को व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के अवसर में बदलने में मदद मिल सकती है। अपने आप को सकारात्मक लोगों के साथ घेरना भी लचीलापन और आशावाद को मजबूत कर सकता है।

    कार्यस्थल पर तनावपूर्ण स्थितियों में, ध्यान का अभ्यास करना एक महत्वपूर्ण मुकाबला कौशल हो सकता है, जो शांति और ध्यान बनाए रखने में मदद करता है। नकारात्मक लोगों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए उनके निराशावाद को अवशोषित करने से रोकने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना शामिल है।

    इसी तरह, ट्रैफ़िक जाम जैसे नियमित कार्यों में आनंद प्राप्त करना, प्रेरक ऑडियो सामग्री के साथ जुड़कर थकाऊ क्षणों को समृद्ध अनुभवों में बदल सकता है। ये रणनीतियाँ बताती हैं कि कैसे एक सकारात्मक मानसिकता, मजबूत मुकाबला कौशल और सही सामाजिक वातावरण द्वारा समर्थित, एक स्वस्थ, अधिक संतोषजनक जीवन की ओर ले जा सकती है।

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