Shahu Maharaj’s 1902 historic reservation order had protested by Tilak

MOOKNAYAK MEDIA BUREAU | September 08, 2024 | Jaipur: Rajarshi Shahu Maharaj, who was the king of the princely state of Kolhapur from 1894 to 1922, was known for his democratic ideals and progressive policies.

Shahu Maharaj’s 1902 historic reservation order had protested by Tilak

Shahu Maharaj also actively supported the post-Phule Satyashodhak and non-Brahmin movement in Maharashtra. He had supported Dr B R Ambedkar monetarily when the young Ambedkar had launched his first fortnightly publication Mooknayak in 1920.

Shahu Maharaj’s historic 1902 reservation order

On July 26, 1902, Shahu Maharaj gave a historic order to reserve 50% government jobs for lower castes in his princely state of Kolhapur. This was one of the earliest instances of reservation for lower castes as a matter of state policy. The order reads, “His Highness orders that, of all the seats that go vacant from the date of this proclamation, 50% should be filled with the backward classes.”

Below is the complete translation of the order by Rajarshi Shahu Maharaj as published in the volume Rajarshi Shahu Gaurva Granth (p 1077) by the Maharashtra government.

Proclamation of reserved seats for Backward Castes

The Kolhapur State Gazette

Currently in the Kolhapur princely state, steps have been taken to educate the people of all varnas and to encourage them towards education. However, looking at the condition of the underprivileged, the government feels sorry that these efforts haven’t had the kind of success that was expected.

After thinking carefully about the subject, the government has reached the conclusion that there aren’t enough opportunities available after completing one’s higher education.

As a solution for this and to encourage the backward classes (varnas) of the government’s subjects to opt for higher education, His Highness has decided that a higher portion of the princely state’s employment opportunities should be kept aside for these classes.

In this regard, His Highness orders that, of all the seats that go vacant from the date of this proclamation, 50% should be filled with the backward classes. In all the offices where backward class employees number less than 50%, all the next appointments should go to the backward classes.

After the publication of this order, the chiefs of each department should send a tri-monthly report of all the appointments (in their departments) to His Highness.

Note – The backward classes should be understood as all classes except Brahmin, Prabhu, Shenvi, Parsi and other advanced classes.

On the orders of His Highness,
Nagesh Pandurang Bhide,
Personal secretary

Rajarshi Shahu Gaurva Granth (p 1077)

Below is the Marathi original.

MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

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लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 07 अक्टूबर 2024 |  दिल्ली – पटना :  लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत मिल गई है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट से सभी को 1-1 लाख के निजी मुचलके पर बेल मिली। कोर्ट ने सभी को पासपोर्ट सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

इस मामले में आज लालू परिवार की दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी हुई। सुनवाई के लिए कोर्ट में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेजप्रताप और मीसा भारती पहुंचे थे। पहली बार इस मामले में कोर्ट की तरफ से लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को समन किया गया था।

लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

तेजस्वी यादव ने कहा, ‘ये लोग बार-बार राजनीतिक साजिश करते रहते हैं। केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इस केस में कोई दम नहीं है। हम लोगों की जीत तय है। वहीं, सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘हमें कोर्ट पर पूरा विश्वास है। आज जो फैसला आया है, हम उसके लिए न्यायालय का धन्यवाद करते हैं।’

कोर्ट में पेशी के लिए लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी मीसा और रोहिणी के साथ रविवार को पटना से दिल्ली पहुंचे थे। तेजप्रताप पहले से ही दिल्ली में मौजूद थे। तेजस्वी दुबई से रविवार देर रात तक दिल्ली पहुंचे थे। लालू यादव कोर्ट में पेशी के लिए व्हील चेयर पर पहुंचे।

दिल्ली रवाना होने से पहले लालू बोले थे- मोदी की हार तय

एअर इंडिया के विमान से दिल्‍ली रवाना होने से पहले पटना एयरपोर्ट पर लालू प्रसाद ने कहा, ‘जम्‍मू-कश्‍मीर और हरियाणा चुनाव में नरेंद्र मोदी की हार तय है।’ वहीं, सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘हरियाणा और जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।’

इस पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, ‘लालू यादव जी भ्रष्टाचार के प्रतीक हैं। उनको ये सब क्या पता। वो जेल से डरने का काम करें। उन्होंने जो पाप किया है, वह न्यायालय तय करेगा।’

कोर्ट ने कहा था- तेजप्रताप की संलिप्तता से इनकार नहीं

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को स्वीकार करने के बाद 18 दिन पहले कोर्ट ने लालू परिवार समेत इस मामले में शामिल अखिलेश्वर सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी को भी समन भेजा था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, ‘तेजप्रताप यादव की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। वह एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी थे।’

ED ने 6 अगस्त को 11 आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंट्री आरोप पत्र दायर किया था। इनमें से 4 की मौत हो चुकी है। इसमें लल्लन चौधरी, हजारी राय, धर्मेंद्र कुमार, अखिलेश्वर सिंह, रविंदर कुमार, स्व. लाल बाबू राय, सोनमतिया देवी, स्व. किशुन देव राय और संजय राय शामिल हैं। लल्लन चौधरी की पत्नी ने पति की मृत्यु से जुड़ी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश किया है। कोर्ट ने मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था।

कौन हैं किरण देवी

कोर्ट ने किरण देवी को समन जारी किया है। वह पटना की रहने वाली हैं। किरण देवी ने नवंबर 2007 में सिर्फ 3.70 लाख रुपए में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को बेच दी थी। इसके बाद 2008 में सेंट्रल रेलवे मुंबई में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को नौकरी मिल गई।

ED का दावा फुस्स – लालू हैं लैंड फॉर जॉब स्कैम के मास्टरमाइंड

ED ने दावा किया था कि लैंड फॉर जॉब मामले में मुख्य साजिशकर्ता पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ही हैं। ED ने यह दावा 26 सितंबर को दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में किया। चार्जशीट में एजेंसी ने बताया कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लोगों से रिश्वत के तौर पर जमीन के टुकड़े लिए थे। आरोप है कि अपराध से अर्जित जमीन पर लालू प्रसाद यादव के परिवार का कब्जा है।

यही नहीं लालू प्रसाद ने घोटाले की साजिश इस तरह रची कि अपराध से अर्जित जमीन पर कंट्रोल तो उनके परिवार का हो, लेकिन जमीन सीधे इनसे और परिवार से लिंक ना हो पाए। प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी अपराध से अर्जित आय को खपाने के लिए कई इकाइयां (शेल कंपनियां) खोली गईं और उनके नाम पर जमीन दर्ज कराई गई। राउज एवेन्यू कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में लालू प्रसाद, तेजस्वी और तेजप्रताप को समन जारी किया था।

ED के मुताबिक, साजिश की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि रेलवे में नौकरी के नाम पर रिश्वत के तौर पर जमीन लेना लालू प्रसाद यादव खुद तय कर रहे थे, इसमें उनका साथ उनका परिवार और करीबी अमित कात्याल दे रहे थे। कई जमीन के टुकड़े ऐसे हैं जो कि लालू प्रसाद यादव के परिवार की जमीन के ठीक बराबर में स्थित हैं और जिन्हें कौड़ियों के दाम पर खरीद लिया गया।

कारोबारी भोला यादव के जरिए जमीन की पहचान की

लालू के परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के नाम पर लगभग 7 जमीन हैं। ये जमीन पटना के महुआ बाग में स्थित हैं। इसमें से 4 जमीन अप्रत्यक्ष रूप से राबड़ी देवी से जुड़ी हुई हैं। ED ने कहा कि लालू का महुआ बाग गांव से पुराना रिश्ता है।

महुआबाग के जुलूमधारी राय, किशुन देव राय, लाल बाबू राय और अन्य ने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को जमीन दी। राबड़ी देवी ने 1990 में महुआ बाग में प्लॉट संख्या 1547 में एक टुकड़ा खरीदा था।

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व्यावसायिक लाभ के लिए लालू ने OSD भोला यादव के जरिए जमीन की पहचान की। जमीन मालिक के परिजन को रेलवे में नौकरी देने के नाम पर सस्ते में जमीन खरीदी। ये जमीन लालू, उनके परिवार, एके इंफोसिस्टम्स, हृदयानंद चौधरी और ललन चौधरी के नाम पर ट्रांसफर की गई हैं।

एके इंफोसिस्टम्स प्रा. लि. ने सभी शेयर राबड़ी-तेजस्वी के नाम ट्रांसफर

चार्जशीट में ED ने कहा कि एके इंफोसिस्टम्स जमीन अधिग्रहण के बाद 13 जून 2014 को राबड़ी देवी को 85% और तेजस्वी यादव को 15% शेयर ट्रांसफर कर दिए। इससे वह मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पास मौजूद भूमि के मालिक बन गए। 1.89 करोड़ रुपए की संपत्ति को लालू प्रसाद यादव के परिवार वालों ने 1 लाख रुपए कीमत देकर अपने कब्जे में कर लिया।

जनवरी 2024 में लालू-तेजस्वी से हुई थी पूछताछ

लैंड फॉर जॉब्स मामले में ED की दिल्ली और पटना टीम के अधिकारियों ने लालू और तेजस्वी से 20 जनवरी 2024 में 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ की थी। ED सूत्रों के मुताबिक, लालू प्रसाद से 50 से ज्यादा सवाल किए गए थे। उन्होंने ज्यादातर जवाब हां या ना में ही दिया था। पूछताछ के दौरान कई बार लालू झल्ला भी गए थे। वहीं, तेजस्वी से 30 जनवरी को लगभग 10-11 घंटे तक पूछताछ चली थी।

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विवादों में बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी, 14 महीने बाद घोषित 53 मिनट बाद ही डिलीट

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 सितंबर 2024 |  जयपुरप्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा (भाजयुमो) की कार्यकारिणी रविवार को करीब 14 महीने बाद घोषित हुई। लेकिन, कार्यकारिणी की घोषणा के 53 मिनट बाद ही उसे वापस ले लिया गया। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के निर्देश पर युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अंकित चेची ने अपनी कार्यकारिणी और कार्य समिति के सदस्यों की घोषणा की थी।

विवादों में बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी, 14 महीने बाद घोषित 53 मिनट बाद ही डिलीट

इसकी सूचना बीजेपी मीडिया प्रकोष्ठ की ओर से शाम 7 बजे जारी की गई। करीब 53 मिनट बाद ही मीडिया प्रकोष्ठ ने सूची को डिलीट करते हुए लिखा कि युवा मोर्चा की सूची त्रुटि पूर्वक जारी हो गई थी, जिसे अपरिहार्य कारणों से रोक दिया गया है। शीघ्र ही नई सूची जारी की जाएगी। दरअसल, लिस्ट जारी होने के बाद से ही इसका विरोध शुरू हो गया था। विवाद बढ़ने पर प्रदेश बीजेपी संगठन ने घोषणा वापस ले ली।

विवादों में बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी, 14 महीने बाद घोषित 53 मिनट बाद ही डिलीट

नई सूची जल्द ही जारी होगी। बता दे की अंकित चेची प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी लंबे समय से अपनी टीम की घोषणा नहीं कर पा रहे हैं। इससे पहले तत्कालीन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के समय भी कई बार युवा मोर्चा की कार्यकारिणी को लेकर चर्चा हुई और लिस्ट में तैयार की गई। लेकिन इस सूची में हर बार किसी न किसी तरह के विवाद के चलते इसे रोका गया। इस बार तो सूची जारी करने के बाद रोका गया है।

बीजेपी युवा मोर्चा की इस लिस्ट को लेकर विवाद हो गया। इसके बाद इसे वापस ले लिया गया।

बीजेपी युवा मोर्चा की इस लिस्ट को लेकर विवाद हो गया। इसके बाद इसे वापस ले लिया गया।

लिस्ट आने के बाद शुरू हुआ विवाद

प्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी की लिस्ट जैसे ही जारी हुई, इसे लेकर विरोध शुरू हो गया। कई युवा नेताओं को जगह नहीं मिलने से उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। वहीं जिन्हें जगह मिली, उनका कहना है कि उन्हें उनके कद के अनुरूप पद नहीं दिया गया।

आरोप इस तरह के भी लग रहे हैं कि युवा मोर्चा कार्यकारिणी में कई ऐसे नेताओं को भी शामिल कर लिया गया है, जो कभी मोर्चे और पार्टी में सक्रिय ही नहीं रहे। कार्यकर्ताओं ने प्रदेश प्रभारी और सह प्रभारी तक भी अपना विरोध जता दिया।

लिस्ट जारी होने के बाद बीजेपी मीडिया प्रकोष्ठ ने इसे सभी सोशल मीडिया ग्रुप से डिलीट कर दिया।

लिस्ट जारी होने के बाद बीजेपी मीडिया प्रकोष्ठ ने इसे सभी सोशल मीडिया ग्रुप से डिलीट कर दिया।

उपचुनाव वाले 7 जिलों में से 4 शामिल नहीं

प्रदेश में इस साल विधानसभा की 7 सीटों पर उपचुनाव होना है। लेकिन, युवा मोर्चा की इस कार्यकारिणी में 4 विधानसभा सीटों के जिलों से कोई पदाधिकारी शामिल नहीं किया गया। कार्यकारिणी में दौसा, नागौर, डूंगरपुर और सलूंबर जिले से किसी युवा नेता को जगह नहीं दी गई थी।

वहीं मुख्यमंत्री के गृह जिले भरतपुर से भी केवल एक प्रदेश मंत्री बनाया गया। इसके अलावा कार्यकारिणी में अधिकतर जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। बताया जाता है कि इसी कारण कार्यकारिणी की घोषणा के बाद इसे लेकर विवाद बढ़ गया।

प्रदेशाध्यक्ष बनने के 14 महीने बाद घोषित हुई थी कार्यकारिणी

प्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष अंकित चेची के नाम की घोषणा तत्कालीन बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने 7 जुलाई 2023 को की थी। उसके बाद प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव सम्पन्न हो गए। लेकिन, युवा मोर्चा की कार्यकारिणी नहीं बन सकी थी।

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ऐसे में इसे लेकर भी सवाल खड़े हो रहे थे। युवा मोर्चा सहित सीपी जोशी ने 7 संगठनों के अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। सभी मोर्चों की कार्यकारिणी घोषित हो गई थी। लेकिन, युवा मोर्चा की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई थी। पूरे विवाद को लेकर युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष अंकित चेची से हमने कई बार संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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