NDA को राज्यसभा में बहुमत नहीं बिल पास कराने में हो सकती है परेशानी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 16 जुलाई 2024 | जयपुर : संसद का बजट सत्र 23 जुलाई से शुरू हो रहा है। विपक्ष फिर से सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। वहीं, राज्यसभा में भाजपा के पास 86 सीटें और सहयोगी दलों को मिलाकर यानी NDA के पास 101 सीटें हैं। चार साल बाद भाजपा की स्ट्रेंथ 90 से नीचे से चली गई है।

राज्यसभा में NDA को बहुमत नहीं बिल पास कराने में हो सकती है परेशानी

13 जुलाई को पार्टी के 4 मनोनीत सदस्य सेवानिवृत्त हो गए। राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है। फिलहाल 226 सांसद हैं। इसमें बहुमत का आंकड़ा 114 है। NDA की बहुमत के आंकड़े से 13 सीटें कम हैं। इस लिहाज से देखें तो सरकार को बिल पास कराने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

NDA को राज्यसभा में बहुमत नहीं

NDA को 7 राज्यों से राज्यसभा सीट मिलने की उम्मीद

खाली19 सीटों पर जल्द ही चुनाव होने हैं। भाजपा और सहयोगी दलों को 7 राज्यों से सीटें मिलने की उम्मीद है। NDA के गणित के मुताबिक, उन्हें बिहार, महाराष्ट्र और असम से 2-2 और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा से 1-1 राज्यसभा सीट मिल सकती है।

माना जा रहा है कि जिन 4 लोगों को राज्यसभा में नॉमिनेट किया गया है, वे भी सरकार का समर्थन करेंगे, क्योंकि उन्हें उच्च सदन में सरकार ही लेकर आई है। सामान्य रूप से राज्यसभा में नामित सदस्य स्वतंत्र होते हैं, लेकिन परंपरागत रूप से वे उसी का समर्थन करते हैं, जिस दल ने उन्हें नॉमिनेट किया है।

10 साल में 55 से 101 तक पहुंची भाजपा

राज्यसभा में भाजपा 10 साल में 55 से 101 तक पहुंच गई। भाजपा के 2014 में 55 और 2019 में 78 सांसद थे। जून 2020 में यह संख्या 90 हो गई। इसके बाद पार्टी ने 11 सीटें जीतीं। इससे सदस्यों की संख्या 101 तक पहुंच गई। 1990 के ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी पार्टी ने 100 का आंकड़ा पार किया था।

राज्यसभा में 19 सीटें खाली सीटों का गणित

राज्यसभा में जो 19 सीटें अभी खाली हैं, उनमें जम्मू-कश्मीर से 4 और नामित सदस्यों की 4 सीटें हैं। वहीं, बाकी की 11 सीटें अलग-अलग राज्यों से हैं, जिसमें असम, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा हैं। इनमें से 10 सीटें राज्यसभा सांसदों के लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के कारण खाली हुई हैं।

एक सीट भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के कांग्रेस में जाने से खाली हुई है। BRS नेता रहे के केशव राव कांग्रेस में शामिल हो गए। चुनाव आयोग ने अभी तक इन सीटों पर इलेक्शन की तारीखों का ऐलान नहीं किया है।

अभी 7 मनोनीत सदस्य मौजूद, ये किसी भी दल से संबद्ध नहीं

हाल ही में जो मनोनीत सदस्य राज्यसभा से रिटायर हुए, उनमें राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी शामिल हैं। 7 मनोनीत सदस्यों ने किसी भी दल की सदस्यता नहीं ली हुई यानी वे असंबद्ध सदस्य हैं। केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति कुल 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करते हैं।

बहुमत से बहुत है दूर NDA

वैसे, राज्यसभा में बहुमत से दूरी BJP के लिए कोई नई बात नहीं है। लोकसभा में अपने दम पर बहुमत लेकर सरकार बनाने के बाद भी बीते दस वर्षों में उसे ऊपरी सदन में बहुमत प्राय: मैनेज ही करना पड़ा।

आज भी जब लोकसभा में सत्तारूढ़ NDA को पूर्ण बहुमत हासिल है, राज्यसभा में उसकी कुल सदस्य संख्या 101 तक ही पहुंच पा रही है। 225 की मौजूदा सदस्य संख्या वाले सदन में साधारण बहुमत के लिए 113 का आंकड़ा जरूरी है।

विपक्ष का ताप

दूसरी ओर विपक्ष को देखें तो सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास अभी 26 सदस्य हैं। तेलंगाना विधानसभा की बदली सूरत के मद्देनजर वहां से एक सीट का इजाफा होना भी लगभग तय है। चूंकि नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए न्यूनतम 25 सीटों की जरूरत होती है, इसलिए उस पर पार्टी को कोई खतरा नहीं है।

कुल मिलाकर, आशा की जा सकती है कि विधेयकों पर राज्यसभा में आने वाले वक्त में सार्थक बहस दिखेगी। वैसे, राज्यसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन की बहुमत से यह दूरी बनी नहीं रहने वाली। अभी सदन की कुल 20 सीटें खाली हैं। इनमें 11 सीटें निर्वाचित प्रतिनिधियों की हैं, जिनके लिए चुनाव इसी साल होने हैं।

विधायकों की मौजूदा संख्या को देखते हुए इनमें से सात सीटें सहयोगी दलों को मिलनी तय मानी जा सकती हैं। इसके अलावा अगर महाराष्ट्र में विधायकों को एकजुट रखा जा सका तो दो और सीटें इनके खाते में जुड़ जाएंगी।

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लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 07 अक्टूबर 2024 |  दिल्ली – पटना :  लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत मिल गई है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट से सभी को 1-1 लाख के निजी मुचलके पर बेल मिली। कोर्ट ने सभी को पासपोर्ट सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

इस मामले में आज लालू परिवार की दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी हुई। सुनवाई के लिए कोर्ट में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेजप्रताप और मीसा भारती पहुंचे थे। पहली बार इस मामले में कोर्ट की तरफ से लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को समन किया गया था।

लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

तेजस्वी यादव ने कहा, ‘ये लोग बार-बार राजनीतिक साजिश करते रहते हैं। केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इस केस में कोई दम नहीं है। हम लोगों की जीत तय है। वहीं, सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘हमें कोर्ट पर पूरा विश्वास है। आज जो फैसला आया है, हम उसके लिए न्यायालय का धन्यवाद करते हैं।’

कोर्ट में पेशी के लिए लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी मीसा और रोहिणी के साथ रविवार को पटना से दिल्ली पहुंचे थे। तेजप्रताप पहले से ही दिल्ली में मौजूद थे। तेजस्वी दुबई से रविवार देर रात तक दिल्ली पहुंचे थे। लालू यादव कोर्ट में पेशी के लिए व्हील चेयर पर पहुंचे।

दिल्ली रवाना होने से पहले लालू बोले थे- मोदी की हार तय

एअर इंडिया के विमान से दिल्‍ली रवाना होने से पहले पटना एयरपोर्ट पर लालू प्रसाद ने कहा, ‘जम्‍मू-कश्‍मीर और हरियाणा चुनाव में नरेंद्र मोदी की हार तय है।’ वहीं, सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘हरियाणा और जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।’

इस पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, ‘लालू यादव जी भ्रष्टाचार के प्रतीक हैं। उनको ये सब क्या पता। वो जेल से डरने का काम करें। उन्होंने जो पाप किया है, वह न्यायालय तय करेगा।’

कोर्ट ने कहा था- तेजप्रताप की संलिप्तता से इनकार नहीं

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को स्वीकार करने के बाद 18 दिन पहले कोर्ट ने लालू परिवार समेत इस मामले में शामिल अखिलेश्वर सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी को भी समन भेजा था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, ‘तेजप्रताप यादव की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। वह एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी थे।’

ED ने 6 अगस्त को 11 आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंट्री आरोप पत्र दायर किया था। इनमें से 4 की मौत हो चुकी है। इसमें लल्लन चौधरी, हजारी राय, धर्मेंद्र कुमार, अखिलेश्वर सिंह, रविंदर कुमार, स्व. लाल बाबू राय, सोनमतिया देवी, स्व. किशुन देव राय और संजय राय शामिल हैं। लल्लन चौधरी की पत्नी ने पति की मृत्यु से जुड़ी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश किया है। कोर्ट ने मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था।

कौन हैं किरण देवी

कोर्ट ने किरण देवी को समन जारी किया है। वह पटना की रहने वाली हैं। किरण देवी ने नवंबर 2007 में सिर्फ 3.70 लाख रुपए में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को बेच दी थी। इसके बाद 2008 में सेंट्रल रेलवे मुंबई में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को नौकरी मिल गई।

ED का दावा फुस्स – लालू हैं लैंड फॉर जॉब स्कैम के मास्टरमाइंड

ED ने दावा किया था कि लैंड फॉर जॉब मामले में मुख्य साजिशकर्ता पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ही हैं। ED ने यह दावा 26 सितंबर को दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में किया। चार्जशीट में एजेंसी ने बताया कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लोगों से रिश्वत के तौर पर जमीन के टुकड़े लिए थे। आरोप है कि अपराध से अर्जित जमीन पर लालू प्रसाद यादव के परिवार का कब्जा है।

यही नहीं लालू प्रसाद ने घोटाले की साजिश इस तरह रची कि अपराध से अर्जित जमीन पर कंट्रोल तो उनके परिवार का हो, लेकिन जमीन सीधे इनसे और परिवार से लिंक ना हो पाए। प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी अपराध से अर्जित आय को खपाने के लिए कई इकाइयां (शेल कंपनियां) खोली गईं और उनके नाम पर जमीन दर्ज कराई गई। राउज एवेन्यू कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में लालू प्रसाद, तेजस्वी और तेजप्रताप को समन जारी किया था।

ED के मुताबिक, साजिश की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि रेलवे में नौकरी के नाम पर रिश्वत के तौर पर जमीन लेना लालू प्रसाद यादव खुद तय कर रहे थे, इसमें उनका साथ उनका परिवार और करीबी अमित कात्याल दे रहे थे। कई जमीन के टुकड़े ऐसे हैं जो कि लालू प्रसाद यादव के परिवार की जमीन के ठीक बराबर में स्थित हैं और जिन्हें कौड़ियों के दाम पर खरीद लिया गया।

कारोबारी भोला यादव के जरिए जमीन की पहचान की

लालू के परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के नाम पर लगभग 7 जमीन हैं। ये जमीन पटना के महुआ बाग में स्थित हैं। इसमें से 4 जमीन अप्रत्यक्ष रूप से राबड़ी देवी से जुड़ी हुई हैं। ED ने कहा कि लालू का महुआ बाग गांव से पुराना रिश्ता है।

महुआबाग के जुलूमधारी राय, किशुन देव राय, लाल बाबू राय और अन्य ने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को जमीन दी। राबड़ी देवी ने 1990 में महुआ बाग में प्लॉट संख्या 1547 में एक टुकड़ा खरीदा था।

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व्यावसायिक लाभ के लिए लालू ने OSD भोला यादव के जरिए जमीन की पहचान की। जमीन मालिक के परिजन को रेलवे में नौकरी देने के नाम पर सस्ते में जमीन खरीदी। ये जमीन लालू, उनके परिवार, एके इंफोसिस्टम्स, हृदयानंद चौधरी और ललन चौधरी के नाम पर ट्रांसफर की गई हैं।

एके इंफोसिस्टम्स प्रा. लि. ने सभी शेयर राबड़ी-तेजस्वी के नाम ट्रांसफर

चार्जशीट में ED ने कहा कि एके इंफोसिस्टम्स जमीन अधिग्रहण के बाद 13 जून 2014 को राबड़ी देवी को 85% और तेजस्वी यादव को 15% शेयर ट्रांसफर कर दिए। इससे वह मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पास मौजूद भूमि के मालिक बन गए। 1.89 करोड़ रुपए की संपत्ति को लालू प्रसाद यादव के परिवार वालों ने 1 लाख रुपए कीमत देकर अपने कब्जे में कर लिया।

जनवरी 2024 में लालू-तेजस्वी से हुई थी पूछताछ

लैंड फॉर जॉब्स मामले में ED की दिल्ली और पटना टीम के अधिकारियों ने लालू और तेजस्वी से 20 जनवरी 2024 में 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ की थी। ED सूत्रों के मुताबिक, लालू प्रसाद से 50 से ज्यादा सवाल किए गए थे। उन्होंने ज्यादातर जवाब हां या ना में ही दिया था। पूछताछ के दौरान कई बार लालू झल्ला भी गए थे। वहीं, तेजस्वी से 30 जनवरी को लगभग 10-11 घंटे तक पूछताछ चली थी।

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विवादों में बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी, 14 महीने बाद घोषित 53 मिनट बाद ही डिलीट

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 सितंबर 2024 |  जयपुरप्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा (भाजयुमो) की कार्यकारिणी रविवार को करीब 14 महीने बाद घोषित हुई। लेकिन, कार्यकारिणी की घोषणा के 53 मिनट बाद ही उसे वापस ले लिया गया। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के निर्देश पर युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अंकित चेची ने अपनी कार्यकारिणी और कार्य समिति के सदस्यों की घोषणा की थी।

विवादों में बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी, 14 महीने बाद घोषित 53 मिनट बाद ही डिलीट

इसकी सूचना बीजेपी मीडिया प्रकोष्ठ की ओर से शाम 7 बजे जारी की गई। करीब 53 मिनट बाद ही मीडिया प्रकोष्ठ ने सूची को डिलीट करते हुए लिखा कि युवा मोर्चा की सूची त्रुटि पूर्वक जारी हो गई थी, जिसे अपरिहार्य कारणों से रोक दिया गया है। शीघ्र ही नई सूची जारी की जाएगी। दरअसल, लिस्ट जारी होने के बाद से ही इसका विरोध शुरू हो गया था। विवाद बढ़ने पर प्रदेश बीजेपी संगठन ने घोषणा वापस ले ली।

विवादों में बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी, 14 महीने बाद घोषित 53 मिनट बाद ही डिलीट

नई सूची जल्द ही जारी होगी। बता दे की अंकित चेची प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी लंबे समय से अपनी टीम की घोषणा नहीं कर पा रहे हैं। इससे पहले तत्कालीन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के समय भी कई बार युवा मोर्चा की कार्यकारिणी को लेकर चर्चा हुई और लिस्ट में तैयार की गई। लेकिन इस सूची में हर बार किसी न किसी तरह के विवाद के चलते इसे रोका गया। इस बार तो सूची जारी करने के बाद रोका गया है।

बीजेपी युवा मोर्चा की इस लिस्ट को लेकर विवाद हो गया। इसके बाद इसे वापस ले लिया गया।

बीजेपी युवा मोर्चा की इस लिस्ट को लेकर विवाद हो गया। इसके बाद इसे वापस ले लिया गया।

लिस्ट आने के बाद शुरू हुआ विवाद

प्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकारिणी की लिस्ट जैसे ही जारी हुई, इसे लेकर विरोध शुरू हो गया। कई युवा नेताओं को जगह नहीं मिलने से उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। वहीं जिन्हें जगह मिली, उनका कहना है कि उन्हें उनके कद के अनुरूप पद नहीं दिया गया।

आरोप इस तरह के भी लग रहे हैं कि युवा मोर्चा कार्यकारिणी में कई ऐसे नेताओं को भी शामिल कर लिया गया है, जो कभी मोर्चे और पार्टी में सक्रिय ही नहीं रहे। कार्यकर्ताओं ने प्रदेश प्रभारी और सह प्रभारी तक भी अपना विरोध जता दिया।

लिस्ट जारी होने के बाद बीजेपी मीडिया प्रकोष्ठ ने इसे सभी सोशल मीडिया ग्रुप से डिलीट कर दिया।

लिस्ट जारी होने के बाद बीजेपी मीडिया प्रकोष्ठ ने इसे सभी सोशल मीडिया ग्रुप से डिलीट कर दिया।

उपचुनाव वाले 7 जिलों में से 4 शामिल नहीं

प्रदेश में इस साल विधानसभा की 7 सीटों पर उपचुनाव होना है। लेकिन, युवा मोर्चा की इस कार्यकारिणी में 4 विधानसभा सीटों के जिलों से कोई पदाधिकारी शामिल नहीं किया गया। कार्यकारिणी में दौसा, नागौर, डूंगरपुर और सलूंबर जिले से किसी युवा नेता को जगह नहीं दी गई थी।

वहीं मुख्यमंत्री के गृह जिले भरतपुर से भी केवल एक प्रदेश मंत्री बनाया गया। इसके अलावा कार्यकारिणी में अधिकतर जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। बताया जाता है कि इसी कारण कार्यकारिणी की घोषणा के बाद इसे लेकर विवाद बढ़ गया।

प्रदेशाध्यक्ष बनने के 14 महीने बाद घोषित हुई थी कार्यकारिणी

प्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष अंकित चेची के नाम की घोषणा तत्कालीन बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने 7 जुलाई 2023 को की थी। उसके बाद प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव सम्पन्न हो गए। लेकिन, युवा मोर्चा की कार्यकारिणी नहीं बन सकी थी।

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ऐसे में इसे लेकर भी सवाल खड़े हो रहे थे। युवा मोर्चा सहित सीपी जोशी ने 7 संगठनों के अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। सभी मोर्चों की कार्यकारिणी घोषित हो गई थी। लेकिन, युवा मोर्चा की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई थी। पूरे विवाद को लेकर युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष अंकित चेची से हमने कई बार संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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