भीलप्रदेश के विरोध में उतरे बीजेपी मंत्री बीएल खराड़ी, बाप की महारैली आज

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 18 जुलाई 2024 | जयपुर : राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर अलग भील प्रदेश के लिए आदिवासी परिवार गुरुवार को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में प्रदेश सांस्कृतिक महारैली करेगी। रैली के जरिए अलग भील प्रदेश के लिए राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा जाएगा। उधर, भील प्रदेश बनाए जाने की मांग राज्य सरकार ने खारिज कर दी है।

भीलप्रदेश के विरोध में उतरे मंत्री बीएल खराड़ी, बाप की महारैली आज

इधर, आदिवासी परिवार ने भील प्रदेश में पूर्व के सीमांकन के अनुसार 33 में से 12 जिलों बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालोर,सिरांही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां एवं पाली को शामिल करने की मांग की है।

भीलप्रदेश के विरोध में उतरे मंत्री बीएल खराड़ी

आदिवासी मामलों के विशेषज्ञ और राजनीतिक चिंतक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा भीलप्रदेश की माँग को जायज मानते हैं पर साथ ही उनका कहना है कि इसमें प्राचीन मतस्य प्रदेश को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि आदिवासियत को संजोया जा सके।   

जाति नहीं, भाषाई एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मांग : बीएपी

भारत आदिवासी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन लाल रोत का कहना है कि भाजपा एवं कांग्रेस यहां के लोगों की भावनाओं को नहीं समझ रही है। यही वजह है कि तीसरी पार्टी खड़ी हो गई। हम जाति के आधार पर नहीं, बल्कि भाषाई एवं सांस्कृतिक आधार पर भील प्रदेश की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को यहां सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक शक्ति प्रदर्शन करेंगे। ताकि, हमारी सालों पुरानी डिमांड पर सरकारें ध्यान आकर्षित कर सके।

राजस्थान में यह एरिया वर्तमान में टीएसपी में शामिल

प्रदेश में जनजाति अधिसूचित एरिया में बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ जिले हैं। उदयपुर की 16 तहसीलें, सिरोही के 51 गांव, राजसमंद के 31, चित्तौड़गढ़ के 51 और पाली के 33 गांव हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इन क्षेत्रों में 64.64 लाख आबादी है। 45.52 लाख यानि 70.42% आबादी आदिवासी है। सरकार ने 1975 में अलग से जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की स्थापना की।

बाप की महारैली आज

सरकार कोई प्रस्ताव नहीं भेजने जा रही है : खराड़ी

जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री एवं भाजपा के बड़े आदिवासी नेता बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि जाति के आधार पर नया प्रदेश नहीं बन सकता है। यूं तो फिर अलग-अलग जातियां अपने लिए अलग-अलग राज्य की मांग उठाने लगेंगी।

Q. क्या सरकार भील प्रदेश को लेकर केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी ?

खराड़ी : हम सामाजिक समरसता में विश्वास रखते हैं। छोटे राज्य होना चाहिए, लेकिन जाति आधारित राज्य की मांग जायज नहीं है। हमारी तरफ से ऐसा प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा जाएगा।

Q. क्या आदिवासी क्षेत्र विकास में पिछड़े हैं? वजह यही तो नहीं ?

खराड़ी : आदिवासी क्षेत्रों के विकास को लेकर राज्य एवं केंद्र से फंड मिल रहा है। सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। यह बजट के अतिरिक्त है। कर्मचारियों का अलग कैडर है। भर्तियां भी हमारा ही विभाग करेगा।

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कांग्रेस का समर्थन, पूर्व मंत्री बोले-अलग राज्य हो

कांग्रेस नेता एवं पूर्व टीएडी मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया का कहना है कि अलग भील प्रदेश की मांग जायज है और वह बनना चाहिए। लेकिन यह केंद्र सरकार के विवेक पर निर्भर करता है। हम भी इसकी मांग करते रहे हैं। बस पक्ष-विपक्ष में रहते तरीका अलग-अलग हो सकता है।

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Shahu Maharaj’s 1902 historic reservation order had protested by Tilak

MOOKNAYAK MEDIA BUREAU | September 08, 2024 | Jaipur: Rajarshi Shahu Maharaj, who was the king of the princely state of Kolhapur from 1894 to 1922, was known for his democratic ideals and progressive policies.

Shahu Maharaj’s 1902 historic reservation order had protested by Tilak

Shahu Maharaj also actively supported the post-Phule Satyashodhak and non-Brahmin movement in Maharashtra. He had supported Dr B R Ambedkar monetarily when the young Ambedkar had launched his first fortnightly publication Mooknayak in 1920.

Shahu Maharaj’s historic 1902 reservation order

On July 26, 1902, Shahu Maharaj gave a historic order to reserve 50% government jobs for lower castes in his princely state of Kolhapur. This was one of the earliest instances of reservation for lower castes as a matter of state policy. The order reads, “His Highness orders that, of all the seats that go vacant from the date of this proclamation, 50% should be filled with the backward classes.”

Below is the complete translation of the order by Rajarshi Shahu Maharaj as published in the volume Rajarshi Shahu Gaurva Granth (p 1077) by the Maharashtra government.

Proclamation of reserved seats for Backward Castes

The Kolhapur State Gazette

Currently in the Kolhapur princely state, steps have been taken to educate the people of all varnas and to encourage them towards education. However, looking at the condition of the underprivileged, the government feels sorry that these efforts haven’t had the kind of success that was expected.

After thinking carefully about the subject, the government has reached the conclusion that there aren’t enough opportunities available after completing one’s higher education.

As a solution for this and to encourage the backward classes (varnas) of the government’s subjects to opt for higher education, His Highness has decided that a higher portion of the princely state’s employment opportunities should be kept aside for these classes.

In this regard, His Highness orders that, of all the seats that go vacant from the date of this proclamation, 50% should be filled with the backward classes. In all the offices where backward class employees number less than 50%, all the next appointments should go to the backward classes.

After the publication of this order, the chiefs of each department should send a tri-monthly report of all the appointments (in their departments) to His Highness.

Note – The backward classes should be understood as all classes except Brahmin, Prabhu, Shenvi, Parsi and other advanced classes.

On the orders of His Highness,
Nagesh Pandurang Bhide,
Personal secretary

Rajarshi Shahu Gaurva Granth (p 1077)

Below is the Marathi original.

भारत बंद का राजस्थान सहित देशभर में व्यापक असर

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 अगस्त 2024 |  जयपुर : दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर 21 अगस्त को बुलाया गया भारत बंद हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं के साथ काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा। हिंसा की छिटपुट घटनाओं के साथ अधिकांशतः शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कई राज्यों में परिवहन सेवाएं कुछ समय के लिए बाधित रहीं, स्कूल और बाजार बंद रहे। 

गुजरात में आदिवासी और दलित समुदायों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में बंद का असर साफ तौर पर देखा गया, जहां शहरों और अर्ध-शहरी इलाकों में बाजार बंद रहे। झारखंड और राजस्थान में दिन भर चले भारत बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला, जहां वाहनों की आवाजाही कुछ समय के लिए बाधित रही, कई सार्वजनिक बसें सड़कों और स्कूलों से नदारद रहीं, बाजार बंद रहे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवम् भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते और विधायक किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्ष पर अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र ने इस पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने घोषणा की कि वे अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के जवाब में विभिन्न संगठनों द्वारा दिए गए भारत बंद के आह्वान को समर्थन देंगे।

भारत बंद का राजस्थान सहित देशभर में व्यापक असर

अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ समूहों द्वारा आहूत भारत बंद का राजस्थान में मिलाजुला असर देखने को मिला, हालांकि सामान्य जनजीवन पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा।

भारत बंद का राजस्थान सहित देशभर में व्यापक असर

हालांकि आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया है, लेकिन सुबह सार्वजनिक परिवहन पर कोई असर नहीं पड़ा। कुछ जिलों में दुकानें और स्कूल बंद रहे। बंद के आह्वान के कारण भरतपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। कुछ इलाकों में लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा क्योंकि रोडवेज की बसें कम उपलब्ध थीं।

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे राज्य में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। जयपुर व्यापार महासंघ के महासचिव सुरेश सैनी ने कहा कि शहर के बाजार संघों ने विरोध प्रदर्शन के कारण दुकानदारों और ग्राहकों को किसी भी तरह की असुविधा से बचाने के लिए स्वेच्छा से दुकानें बंद रखने का फैसला किया है।

– पीटीआई

Bharat Bandh LIVE: भारत बंद का जयपुर में दिखा असर

एससी एसटी आरक्षण में उप वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में भारत बंद का असर जयपुर में भी देखने को मिला। अल्बर्ट हॉल के पास बड़ी संख्या में जमा हुए लोग चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया गेट होते हुए बड़ी चौपड़ से एमआई रोड पहुंचे। हल्की बारिश के बीच नारेबाजी करते हुए लोग फैसले के खिलाफ नारेबाजी कर रहे।

प्रदर्शन के रूट को देखते हुए व्यापारियों ने पहले ही अपनी दुकानें बंद रखी थी। प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और आरएएफ की टुकड़ी तैनात रखी थी। बंद समर्थकों का कहना था कि यह आरक्षण समाप्त करने की साजिश है।

Bharat Bandh did not have much effect in Gorakhpur division, Sikriganj police station was surrounded

क्या खुला है और क्या बंद है?

नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच द्वारा दिए गए फैसले के प्रति विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ जजों की बेंच के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा स्थापित की थी।

केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने किया भारत बंद का विरोध 

केंद्रीय राज्य मंत्री और भाजपा नेता बीएल वर्मा ने कहा कि हड़ताल में शामिल लोगों के पास स्पष्ट इरादे नहीं हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग ऐसा कर रहे हैं, भले ही उन्हें पता न हो कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी सरकार में एससी और एसटी का सम्मान है और उन्होंने आरक्षण के बारे में भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी आरक्षण को नहीं छू सकता है, लेकिन विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है।”

– एएनआई

भाजपा सांसद कुलस्ते और विधायक किरोड़ी लाल मीणा भारत बंद के खिलाफ 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते ने विपक्ष पर अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र ने पहले ही इस पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

मध्य प्रदेश की मंडला (एसटी) लोकसभा सीट से सांसद ने कहा, “न्यायाधीशों ने अपनी राय दे दी है। मैं व्यक्तिगत रूप से 60-70 सांसदों के साथ इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था। प्रधानमंत्री ने हमें बताया कि एससी और एसटी के बीच क्रीमी लेयर प्रावधान (उप-वर्गीकरण) लागू नहीं किया जाएगा।”

उन्होंने भोपाल में संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी फैसला किया है कि “शीर्ष अदालत की राय” लागू नहीं की जाएगी। “सरकार की इतनी स्पष्टता और निर्णय के बावजूद, लोगों ने भारत बंद का आह्वान किया है… वे राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस ने एससी और एसटी के नाम पर राजनीति की और मायावती (बीएसपी प्रमुख) भी यही कर रही हैं,” श्री कुलस्ते ने कहा।

– पीटीआई

एससी-एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज देशभर के 21 संगठनों ने भारत बंद बुलाया है। इसका मिला-जुला असर नजर आ रहा। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने यह फैसला लिया है।

भारत बंद के फैसले को देखते हुए सरकार ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, बिहार की राजधानी पटना में बंद के दौरान जमकर बवाल देखने को मिला। पुलिस ने भी प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। बिहार के कई और शहरों में बंद समर्थक सड़क पर उतरे। राजस्थान के जयपुर, अजमेर समेत कई इलाकों में भारत बंद का असर नजर आया।

बिहार में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के दौरान पुलिसकर्मी ने गलती से एसडीओ को मारा

पटना में समुदाय आधारित आरक्षण को लेकर भारत बंद के दौरान कानून व्यवस्था संभालने के दौरान एक उप-विभागीय अधिकारी (एसडीओ) को गलती से पुलिस कर्मियों ने मारा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्रा ने पीटीआई को बताया कि जब पुलिस डाक बंगला चौक पर यातायात अवरुद्ध करने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज कर रही थी।

तो एक अधिकारी ने अनजाने में सदर-पटना एसडीओ को डंडा मार दिया, जो बल का नेतृत्व कर रहे थे। पटना जिला प्रशासन ने बाद में पुष्टि की कि यह घटना एक ईमानदार गलती थी और कहा कि पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

– पीटीआई

गुजरात में आदिवासी, दलित समुदायों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में देखा गया प्रभाव

बंद का असर छोटा उदयपुर, नर्मदा, सुरेंद्रनगर, साबरकांठा और अरावली जैसे जिलों में आदिवासी और दलित समुदायों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देखा गया, जहां शहरों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बाजार बंद रहे। सुरेंद्रनगर जिले के वधावन तालुका में प्रदर्शनकारियों ने एक मालगाड़ी को रोक दिया और नारे लगाए, जिसके बाद पुलिस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए मौके पर पहुंची।

पुलिस प्रदर्शनकारियों को ट्रेन को चलने देने के लिए मनाने में कामयाब रही। अधिकारियों ने बताया, “ट्रेन करीब डेढ़ घंटे तक जबरन रुकने के बाद भावनगर की ओर रवाना हुई।” इसी तरह, साबरकांठा जिले के इदर और विजयनगर कस्बों में बंद का असर देखा गया, जहां बाजार, स्कूल और कॉलेज बंद रहे और अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया।

– पीटीआई

गुजरात में बंद के दौरान कई जगहों पर ट्रेन रोकी

गुजरात के सुरेन्द्र नगर जिले के बढ़वान में बंद के दौरान माल गाड़ी को रोका गया। शहर के बड़सर फाटक के पास आंदोलनकारियों ने मालगाड़ी को रोका। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस आंदोलनकारियों को समझने का प्रयास कर रही है। स्थानीय नेता प्रदर्शन कर बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रशासन की कोशिश है कि संपत्ति को नुकसान किसी सूरत में न हो।

मध्य प्रदेश: आदिवासी इलाकों और दलित बहुल इलाकों में जोरदार असर

बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भीम आर्मी और जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) समेत विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ‘भारत बंद’ के समर्थन में भोपाल के अंबेडकर सर्किल पर विरोध प्रदर्शन किया। भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में बंद के आह्वान का हल्का असर देखने को मिला।

लेकिन मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों के साथ-साथ दलित बहुल इलाकों में इसका ज्यादा असर देखने को मिला। पंधुरना और मंडला जैसे आदिवासी बहुल जिलों में बाजार और प्रतिष्ठान बंद रहे, तथा मुरैना और दलित बहुल भिंड जैसे जिलों में बड़ी रैलियां आयोजित की गईं।

यूपी में प्रदर्शन, मार्च आयोजित, सामान्य जनजीवन काफी हद तक अप्रभावित रहा

भारत बंद का उत्तर प्रदेश में सामान्य जनजीवन पर बहुत कम प्रभाव पड़ा, जबकि दलित समूहों और राजनीतिक दलों ने राज्य के कुछ हिस्सों में प्रदर्शन और मार्च आयोजित किए। राज्य के बड़े हिस्से में दुकानें खुली रहीं और कारोबार सामान्य रूप से चलता रहा।

अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ दलित और आदिवासी समूहों द्वारा बुलाए गए दिन भर के बंद के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी।

– पीटीआई

Bharat Bandh did not have much effect in Gorakhpur division, Sikriganj police station was surrounded

मध्य प्रदेश: ग्वालियर में बीएसपी, भीम आर्मी द्वारा विरोध प्रदर्शन के आह्वान से पहले सुरक्षा कड़ी कर दी गई

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ चल रहे विरोध के बीच बहुजन समाज पार्टी और भीम आर्मी द्वारा आहूत विरोध रैली से पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में पुलिस के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। जिला प्रशासन और पुलिस अलर्ट मोड पर है, पुलिसकर्मी चक्कर लगा रहे हैं, बैरिकेड्स लगाए गए हैं और जिले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए ड्रोन कैमरे सक्रिय रहे।

ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) धर्मवीर सिंह ने एएनआई को बताया, “विभिन्न संगठनों द्वारा ‘भारत बंद’ के आह्वान के मद्देनजर ग्वालियर पुलिस बुधवार सुबह 6 बजे से ही लगातार गश्त कर रही है। सुरक्षा के लिए 150 से अधिक बैरिकेड लगाए गए हैं और सीएसपी और एडिशनल एसपी समेत सभी पुलिस अधिकारी राउंड लिया।”

– एएनआई

केरल: भारत बंद काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा

पुलिस ने कासरगोड में साधुजन परिषद के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। कासरगोड में, पुलिस ने अनुसूचित जाति आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध मार्च निकालने के लिए साधुजन परिषद के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। पुलिस ने हिरासत में लिए गए नेताओं की पहचान संगठन के राज्य अध्यक्ष अनीश पय्यानूर, सचिव राघवन, कन्नूर जिला अध्यक्ष हरीश पय्यानूर और कासरगोड जिला अध्यक्ष बीनू चेमेनी के रूप में की है।

दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन द्वारा आहूत भारत बंद केरल में काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा, सिवाय कुछ गिरफ्तारियों और प्रदर्शनों के, जिससे राज्य के विभिन्न हिस्सों में यातायात बाधित हुआ। अब तक दुकानों को जबरन बंद कराने या हिंसा की कोई अन्य घटना सामने नहीं आई है।

अलाप्पुझा में, पुलिस ने वेलफेयर पार्टी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, जिन्होंने राष्ट्रीय लॉकडाउन के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए मार्च निकाला था। गिरफ्तार किए गए लोगों में संगठन के जिला महासचिव पी टी वसंतकुमार भी शामिल थे। पठानमथिट्टा में, दलित संगठनों ने बंद के समर्थन में मार्च निकाला।

बिहार: पटना में आंदोलनकारी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया

बिहार के कुछ हिस्सों में वाहनों का आवागमन कुछ समय के लिए बाधित रहा, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने समुदाय आधारित आरक्षण को लेकर कुछ समूहों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के समर्थन में नाकेबंदी कर दी। पुलिस ने बताया कि जहानाबाद जिले में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-83 पर यातायात की आवाजाही को रोकने की कोशिश की, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों के साथ उनकी झड़प हो गई।

टाउन थाने के सब-इंस्पेक्टर हुलास बैठा ने बताया, “ऊंटा चौक के पास एनएच-83 पर यातायात की आवाजाही को बाधित करने की कोशिश करने पर पांच प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। बाद में उन्हें मौके से हटा दिया गया और सामान्य स्थिति बहाल हो गई।” राज्य सरकार ने पहले पुलिस को निर्देश दिया था कि वे उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्रों तक सुचारू रूप से पहुँचाएँ।

पुलिस ने बताया कि मधेपुरा और मुजफ्फरपुर में भी प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर यातायात की आवाजाही को रोकने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें तुरंत खदेड़ दिया। इस बीच, बुधवार को कई जिलों में बिहार पुलिस, बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस और अन्य इकाइयों में कांस्टेबल के पद के लिए भर्ती परीक्षा चल रही थी।

– पीटीआई

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा लाभ के लिए एससी को उप-वर्गीकृत करने के राज्यों के अधिकार को क्यों बरकरार रखा है? सुप्रीम कोर्ट ने कोटा लाभ के लिए एससी को उप-वर्गीकृत करने के राज्यों के अधिकार को क्यों बरकरार रखा है? सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर को छोड़कर, मात्रात्मक डेटा के आधार पर सकारात्मक कार्रवाई के लिए एससी/एसटी श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति दी।

भीम आर्मी आजाद समाज पार्टी और बीएसपी ने भारत बंद को समर्थन दिया

भीम आर्मी आजाद समाज पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अनुसूचित जातियों (एससी) के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में कुछ दलित और आदिवासी समूहों द्वारा बुलाए गए दिन भर के भारत बंद को समर्थन दिया।

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