मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 18 जुलाई 2024 | जयपुर : राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर अलग भील प्रदेश के लिए आदिवासी परिवार गुरुवार को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में प्रदेश सांस्कृतिक महारैली करेगी। रैली के जरिए अलग भील प्रदेश के लिए राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा जाएगा। उधर, भील प्रदेश बनाए जाने की मांग राज्य सरकार ने खारिज कर दी है।
भीलप्रदेश के विरोध में उतरे मंत्री बीएल खराड़ी, बाप की महारैली आज
इधर, आदिवासी परिवार ने भील प्रदेश में पूर्व के सीमांकन के अनुसार 33 में से 12 जिलों बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालोर,सिरांही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां एवं पाली को शामिल करने की मांग की है।
आदिवासी मामलों के विशेषज्ञ और राजनीतिक चिंतक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा भीलप्रदेश की माँग को जायज मानते हैं पर साथ ही उनका कहना है कि इसमें प्राचीन मतस्य प्रदेश को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि आदिवासियत को संजोया जा सके।
जाति नहीं, भाषाई एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मांग : बीएपी
भारत आदिवासी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन लाल रोत का कहना है कि भाजपा एवं कांग्रेस यहां के लोगों की भावनाओं को नहीं समझ रही है। यही वजह है कि तीसरी पार्टी खड़ी हो गई। हम जाति के आधार पर नहीं, बल्कि भाषाई एवं सांस्कृतिक आधार पर भील प्रदेश की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को यहां सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक शक्ति प्रदर्शन करेंगे। ताकि, हमारी सालों पुरानी डिमांड पर सरकारें ध्यान आकर्षित कर सके।
राजस्थान में यह एरिया वर्तमान में टीएसपी में शामिल
प्रदेश में जनजाति अधिसूचित एरिया में बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ जिले हैं। उदयपुर की 16 तहसीलें, सिरोही के 51 गांव, राजसमंद के 31, चित्तौड़गढ़ के 51 और पाली के 33 गांव हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इन क्षेत्रों में 64.64 लाख आबादी है। 45.52 लाख यानि 70.42% आबादी आदिवासी है। सरकार ने 1975 में अलग से जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की स्थापना की।
सरकार कोई प्रस्ताव नहीं भेजने जा रही है : खराड़ी
जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री एवं भाजपा के बड़े आदिवासी नेता बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि जाति के आधार पर नया प्रदेश नहीं बन सकता है। यूं तो फिर अलग-अलग जातियां अपने लिए अलग-अलग राज्य की मांग उठाने लगेंगी।
Q. क्या सरकार भील प्रदेश को लेकर केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी ?
खराड़ी : हम सामाजिक समरसता में विश्वास रखते हैं। छोटे राज्य होना चाहिए, लेकिन जाति आधारित राज्य की मांग जायज नहीं है। हमारी तरफ से ऐसा प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा जाएगा।
Q. क्या आदिवासी क्षेत्र विकास में पिछड़े हैं? वजह यही तो नहीं ?
खराड़ी : आदिवासी क्षेत्रों के विकास को लेकर राज्य एवं केंद्र से फंड मिल रहा है। सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। यह बजट के अतिरिक्त है। कर्मचारियों का अलग कैडर है। भर्तियां भी हमारा ही विभाग करेगा।
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कांग्रेस का समर्थन, पूर्व मंत्री बोले-अलग राज्य हो
कांग्रेस नेता एवं पूर्व टीएडी मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया का कहना है कि अलग भील प्रदेश की मांग जायज है और वह बनना चाहिए। लेकिन यह केंद्र सरकार के विवेक पर निर्भर करता है। हम भी इसकी मांग करते रहे हैं। बस पक्ष-विपक्ष में रहते तरीका अलग-अलग हो सकता है।