कांवड़ रूट में नेमप्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 जुलाई 2024 | जयपुर : उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर ‘नेम प्लेट’ लगाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।  शुक्रवार तक इस पर जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

कांवड़ रूट में नेमप्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अल्पसंख्यकों की पहचान कर उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। यह एक चिंताजनक स्थिति है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भट्टी ने केरल यात्रा से जुड़ी कहानी सुनाई।

कांवड़ रूट में नेमप्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

दरअसल, योगी सरकार ने कांवड़ मार्ग पर दुकान मालिकों के नाम लिखने का आदेश दिया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम की NGO ने 20 जुलाई को याचिका दाखिल की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह प्राधिकारों के अधिकार में है कि कांवड़ियों को वेज खाना मिले और साफ सफाई रहे लेकिन सक्षम प्राधिकारों को ध्यान रखना होगा कि पुलिस को इसको लेकर छूट नहीं दे सकती। कोर्ट ने कहा कि यह भी देखा गया कि आदेश विभिन्न राज्यों द्वारा किया गया है, जो कांवड़ियों की सुरक्षा को लेकर है।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने अपने दलीलों कहा कि यह एक चिंताजनक स्थिति है। पुलिस अधिकारी विभाजन पैदा कर रहे हैं। अल्पसंख्यकों की पहचान कर उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। याचिकाकर्ता के वकील सी यू सिंह ने दलील दी कि शासन का आदेश समाज को बांटने जैसा है। यह एक तरह से अल्पसंख्यक दुकानदारों को पहचानकर उनके आर्थिक बहिष्कार जैसा है। इनमें यूपी और उत्तराखंड ऐसा कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- यह एक प्रेस वक्तव्य था या एक आदेश? याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पहले एक प्रेस बयान आया था। फिर सार्वजनिक आक्रोश हुआ। राज्य सरकार कहती है “स्वेच्छा से”, लेकिन वे इसे सख्ती से लागू कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं किया गया। इसका कोई वैधानिक समर्थन नहीं है। कोई भी कानून पुलिस कमिश्नर को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता। निर्देश हर हाथ-गाड़ी, रेड़ी, चाय-स्टॉल के लिए है। कर्मचारियों और मालिकों के नाम बताने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता।

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ACB कार्रवाई में JDA तहसीलदार जेईएन सहित 7 लोग रिश्वत लेते गिरफ्तार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 24 अगस्त 2024 | जयपुर : जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ऑफिस के घूसखोर तहसीलदार, जेईएन, पटवारी समेत 6 अधिकारियों और 1 दलाल ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की पूछताछ में कहा कि यह काम (रिश्वतखोरी) सालों से चलता आ रहा है।

ACB कार्रवाई में JDA तहसीलदार जेईएन सहित 7 लोग रिश्वत लेते गिरफ्तार

हर जोन में इसी प्रकार से फाइल पास होती है। पैसा ऊपर तक जाता है। जो हमसे पैसा ऊपर तक लेते हैं, उनको भी पकड़िए। उधर, घूसकांड के बाद उपायुक्त सहित सात अधिकारियों-कर्मचारियों को JDA ने निलंबित कर दिया है।

ACB कार्रवाई में JDA तहसीलदार जेईएन सहित 7 लोग रिश्वत लेते गिरफ्तार

कल शाम को हुई थी कार्रवाई
ACB ने शुक्रवार की शाम करीब छह बजे जेडीए ऑफिस (जोन-9) में कार्रवाई की थी। मौके से तहसीलदार लक्ष्मीकांत गुप्ता, जेईएन खेमराज मीणा, पटवारी रविकांत शर्मा, पटवारी विमला मीणा, गिरदावर रुक्मणी (पटवारी का चार्ज), गिरदावर श्रीराम शर्मा और दलाल महेश मीणा को गिरफ्तार किया गया था। महेश शर्मा (दलाल), पटवारी विमला मीणा का पति है।

डीआईजी बोले- घूसखोरों के खिलाफ पुख्ता सबूत

एसीबी के डीआईजी डॉ.रवि ने बताया- शिकायत मिलने के बाद इन अधिकारियों की हर हरकत पर एसीबी नजर बनाए हुए थी। एसीबी के पास गिरफ्तार अधिकारी और दलालों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। कुछ को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा।

पैसे का खेल कैसे चलता है, कहां तक जाता था, इसकी पूरी जानकारी एसीबी के पास है। जल्द जोन-9 के डीसी और अन्य स्टाफ को भी एसीबी पूछताछ के लिए मुख्यालय लाएगी। एसीबी को 6 अधिकारियों और 1 दलाल के खिलाफ अन्य फाइलों में पैसा लेने की जानकारी मिली है।

43 फाइलें अलग-अलग टेबल पर मिलीं

डीआईजी डॉ.रवि ने बताया- जोन-9 में कार्रवाई दौरान लैंड (भूमि) कंवर्जन की करीब 43 फाइलें अलग-अलग टेबल पर मिली हैं। इन फाइलों को रोकने के पीछे भी पैसा नहीं मिलना मुख्य कारण सामने आ रहा है। इन फाइलों के मालिकों से सम्पर्क कर वजह जानने का प्रयास किया जा रहा है।

एसीबी ने दलाल महेश मीणा को भी गिरफ्तार किया है। महेश पटवारी विमला का पति है।

एसीबी ने दलाल महेश मीणा को भी गिरफ्तार किया है। महेश पटवारी विमला का पति है।

दलाल चला रहे रिश्वतखोरी का नेटवर्क

सूत्रों के अनुसार, जेडीए के अधिकारियों के लिए रिश्वत लेनदेन का काम दलाल करते हैं। जेडीए में किसी भी काम में पैसा सीधे बाबू (क्लर्क) मांगता है। काम होने के दौरान वह अन्य लोगों के हिस्से की जानकारी पीड़ित को दे देता है। इस दौरान किसी अधिकारी का तबादला हो जाता है तो बाबू रेट बढ़ाकर पैसा मांगता है।

अगर बाबू को लगता है कि पार्टी उसके जाल में नहीं फंसेगी तो तहसीलदार और एटीपी (असिस्टेंट टाउन प्लानर) को उसकी जानकारी देकर पीड़ित को उनके पास भेज देता है। एटीपी और तहसीलदार दलाल की जानकारी उसे देकर बात करने की बोल देते हैं।

इसके बाद दलाल पीड़ित व्यक्ति से फाइल लेकर सभी का पैसा तय करके बता देता है। पैसा लेने के बाद फाइल को कुछ घंटों में निकाल दिया जाता है। इसके बाद पैसा सभी को बंट जाता है। शुक्रवार को कार्रवाई के दौरान जेडीए ऑफिस जोन-9 के कर्मचारियों से भी एसीबी ने पूछताछ की थी।

शुक्रवार को कार्रवाई के दौरान जेडीए ऑफिस जोन-9 के कर्मचारियों से भी एसीबी ने पूछताछ की थी।

क्या है मामला

लैंड (भूमि) कंवर्जन के काम को लेकर एक पीड़ित से सितंबर 2023 से रुपए की मांग की जा रही थी। पीड़ित ने जोन नंबर-9 के तहसीलदार, जेईएन, पटवारी, गिरदावर से कई बार मुलाकात कर काम करने की गुजारिश की थी।

इसके बाद भी रुपए की मांग कर उसे लगातार परेशान किया जा रहा था। इस दौरान पटवारी विमला मीणा के पति महेश (दलाल) ने काम कराने के लिए 12 से 13 लाख रुपए की डिमांड रखी थी। कई बार बात करने के बाद 1.50 लाख रुपए में डील तय हुई थी।

एसीबी ने बनाई थीं 20 से अधिक टीमें

डील तय होने के बाद पीड़ित ने एसीबी ऑफिस में शिकायत दी थी। इसके बाद एसीबी ने 20 से अधिक टीमें बनाईं। जेडीए के जोन-9 की जांच करनी शुरू की। मामला सही पाए जाने पर शुक्रवार शाम 6 बजे पीड़ित को रिश्वत के 1.50 लाख रुपए लेकर भेजा गया। रिश्वत की राशि सभी को बंटने के बाद एसीबी ने रेड मारी थी।

इन अधिकारियों का बदला कामकाज

उपायुक्त का नाम पद का विवरण
सुनील शर्मा (प्रथम) उपायुक्त जोन – 2, जोन – 6
रेणु सैनी उपायुक्त जोन – 1, जोन – 4 और जोन – 12
सुमन देवी उपायुक्त जोन – 8, जोन – 5
दीपक सिंह खटाना उपायुक्त जोन – 14 उपायुक्त जोन – पृथ्वीराज नगर दक्षिण
देवयानी उपायुक्त जोन 13, जोन – 9
निहारिका शर्मा उपायुक्त जोन – 11, जोन – 10
दिग्गज चांगल उपायुक्त वाहन और रिकॉर्ड
शिवदान गुर्जर उपायुक्त एलपीसी
कमल कांत वर्मा उपायुक्त भूमि लैंड बैंक रिच अपार्टमेंट अधिनियम क्रियान्वन सेल
जगदीश नारायण यादव उपायुक्त नागरिक सेवा केंद्र
सुनील शर्मा उपायुक्त सिस्टम मैनेजमेंट और मुख्यमंत्री जनसुनवाई कार्य

सात अधिकारियों को निलंबित किया गया

एसीबी के एक्शन के बाद शनिवार को जेडीसी मंजू राजपाल ने 7 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर अपने मूल विभाग में भेज दिया है। लम्बे समय से तैनात जोन उपायुक्त के कामकाज में भी बदलाव किया है।

ये निलंबित हुए

  • गुलाब चंद, उपायुक्त जेडीए सेवा
  • लक्ष्मीकांत गुप्ता, तहसीलदार ( (मूल विभाग राजस्व मंडल)
  • खेमराज मीणा, जेईएन (नगरीय विकास विभाग)
  • रविकांत शर्मा, पटवारी (मूल विभाग जिला कलेक्टर, जयपुर)
  • विमला मीणा, पटवारी (मूल विभाग जिला कलेक्टर, जयपुर)
  • रुक्मणी, गिरदावर (पटवारी का चार्ज) (मूल विभाग जिला कलेक्टर, जयपुर)
  • श्रीराम शर्मा, गिरदावर (मूल विभाग जिला कलेक्टर, जयपुर)

(निलंबित किए गए अधिकारी और कर्मचारी अपने मूल विभाग में उपस्थिति देंगे।)

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अनिल अंबानी शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन, 25 करोड़ रुपए का जुर्माना

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 23 अगस्त 2024 | मुंबई : भारी कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अनिल अंबानी तथा रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य को कंपनी से पैसे के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

अनिल अंबानी शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन, 25 करोड़ रुपए का जुर्माना

सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है और उन्हें पांच साल की अवधि के लिए प्रतिभूति बाजार से जुड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस दौरान वह किसी भी लिस्टेड कंपनी या सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडिएटरी में डायरेक्टर या केएमपी (Key Managerial Personnel) के रूप में शामिल नहीं हो सकते हैं।

अनिल अंबानी शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन, 25 करोड़ रुपए का जुर्माना

इसके अलावा सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस को प्रतिभूति बाजार से छह महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया और उस पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस खबर के बाद अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट दिख रही है। ग्रुप के शेयरों में 14 फीसदी तक गिरावट आई है।

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फंड की हेराफेरी के मामले में इंडस्ट्रियलिस्ट अनिल अंबानी को शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन कर दिया है। अंबानी पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। उनके किसी भी लिस्टेड कंपनी में डायरेक्टर रहने पर भी पाबंदी लगी है।

उनके अलावा रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य एंटीटीज को बैन किया गया है और अलग-अलग जुर्माना लगाया गया है। वहीं रिलायंस होम फाइनेंस को 6 महीने के लिए बैन किया है और 6 लाख रुपए का जुर्माना लगा है।

SEBI की ओर से जारी 222 पेज के फाइनल ऑर्डर के मुताबिक, जांच में पता चला कि RHFL के अधिकारियों की सहायता से अनिल अंबानी ने पैसों की हेराफेरी की। उन्होंने फंड का खुद इस्तेमाल किया, लेकिन दिखाया की ये फंड लोन के तौर पर दिया गया है।

SEBI के आदेश से जुड़ी 4 बड़ी बातें…

  • बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इस तरह के लोन को बंद करने और कॉर्पोरेट लोन्स की नियमित समीक्षा के निर्देश दिए थे, लेकिन कंपनी के प्रबंधन ने इन आदेशों को नजरअंदाज किया।
  • सेबी ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए, RHFL को धोखाधड़ी में शामिल व्यक्तियों के बराबर जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। वहीं अन्य एंटीटीज ने फंड डायवर्जन में मदद की।
  • अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपए, अमित बापना पर 27 करोड़ रुपए, रवींद्र सुधालकर पर 26 करोड़ रुपए, और पिंकेश आर शाह पर 21 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
  • रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज, रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट, सहित अन्य कंपनियों पर फंड की हेराफेरी में शामिल होने के कारण 25-25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

रिलायंस इंफ्रा का शेयर करीब 14% टूटा, पावर में 5% की गिरावट

सेबी के बैन के बाद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस पावर में गिरावट है। रिलायंस इंफ्रा सबसे ज्यादा करीब 14%, रिलायंस होम फाइनेंस 5.12% और रिलायंस पावर 5.01% गिर गया है।

1983 में रिलायंस से जुड़े थे अनिल, बंटवारे के बाद डुबो दिया बिजनेस

  • मुकेश अंबानी 1981 और अनिल अंबानी 1983 में रिलायंस से जुड़े थे। जुलाई 2002 में धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया। वो वसीयत लिख कर नहीं गए थे। मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और अनिल अंबानी मैनेजिंग डायरेक्टर बने।
  • नवंबर 2004 में पहली बार दोनों भाई मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी का झगड़ा सामने आया था। परिवार में चल रहे इस विवाद से धीरूभाई अंबानी की पत्नी कोकिलाबेन परेशान थीं, जिसके बाद बिजनेस का बंटवारा किया गया था।
  • ये बंटवारा जून 2005 में हुआ था, लेकिन किस भाई को कौन सी कंपनी मिलेगी इसका फैसला 2006 तक चला। इस बंटवारे में ICICI बैंक के तत्कालीन चेयरमैन वीके कामत को भी हस्‍तक्षेप करना पड़ा था।
  • बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी के हिस्से में पैट्रोकैमिकल्स के कारोबार, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोल कैमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आईं।
  • छोटे भाई अनिल के पास आरकॉम, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज जैसी कंपनियां थीं। तब से मुकेश अंबानी नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, लेकिन अनिल की गलतियों ने उनके बिजनेस को डुबो दिया।

कैसे रची साजिश

इन परिस्थितियों को देखते हुए कंपनी को धोखाधड़ी में शामिल लोगों के समान जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। नियामक ने कहा कि इसके अलावा, शेष संस्थाओं ने या तो अवैध रूप से हासिल ऋणों के प्राप्तकर्ता होने की भूमिका या आरएचएफएल से धन को अवैध रूप से कहीं ओर पहुंचाने की प्रक्रिया को अंजाम देने में भूमिका निभाई है।

सेबी ने कहा कि उसके निष्कर्षों के अनुसार धोखाधड़ी की एक साजिश नोटिसी संख्या 2 (अनिल अंबानी) ने रची और आरएचएफएल के केएमपी ने इसे अंजाम दिया। इस साजिश के जरिए लिस्टेड कंपनी से धन की हेराफेरी की गई और उन अयोग्य उधारकर्ताओं को ऋण के रूप में दिया गया जो नोटिसी संख्या 2 (अनिल अंबानी) से संबद्ध संस्थाओं के प्रवर्तक पाए गए।

अंबानी ने धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के चेयरमैन के तौर पर अपने पद और आरएचएफएल की नियंत्रक (होल्डिंग) कंपनी में अपनी महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष शेयरधारिता का इस्तेमाल किया।

सेबी ने गुरुवार को अपने आदेश में कंपनी के प्रबंधन तथा प्रवर्तक के लापरवाह रवैये का जिक्र किया, जिसके तहत उन्होंने ऐसी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जिनके पास न तो परिसंपत्तियां थीं, न ही नकदी प्रवाह, ‘नेटवर्थ’ या राजस्व था।

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आदेश के अनुसार, इससे पता चलता है कि ‘कर्ज’ के पीछे कोई खतरनाक मकसद छिपा था। सेबी ने कहा कि स्थिति तब और भी संदिग्ध हो गई जब हम इस बात पर गौर करते हैं कि इनमें से कई कर्जदार आरएचएफएल के प्रवर्तकों से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं।

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