‘बुलडोजर एक्शन देश के संविधान और कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा’ सुप्रीम कोर्ट

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 सितंबर 2024 | जयपुर : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 सितंबर) को कहा कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है। किसी के अपराध में शामिल होने का आरोप उसकी संपत्ति ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता।

‘बुलडोजर एक्शन देश के संविधान और कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा’ सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने एक घर गिराने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है तो उसके पूरे परिवार या कानूनी तरीके से बनाए उसके घर पर एक्शन नहीं ले सकते हैं।

सितंबर में यह दूसरा मौका है, जब SC ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जाहिर की है। इससे पहले 2 सितंबर को कोर्ट ने कहा था कि किसी केस में व्यक्ति दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

गुजरात के खेड़ा नगर पालिका ने दी थी बुलडोजर एक्शन की धमकी

दरअसल, गुजरात में नगरपालिका की तरफ से एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी गई थी। याचिकाकर्ता गुजरात के खेड़ा जिले के कठलाल में एक जमीन का सह-मालिक हैं। उनके खिलाफ 1 सितंबर 2024 को एक मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

‘बुलडोजर एक्शन देश के संविधान और कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा’ सुप्रीम कोर्ट

याचिकाकर्ता के अनुसार, FIR दर्ज होने के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने उसके घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी। उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आरोपी के परिवार की तीन पीढ़ियां लगभग दो दशकों से उस घर में रह रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट बोला- कोर्ट में कानूनी प्रक्रिया से अपराध साबित करिए

याचिकाकर्ता की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ अपराध को कानूनी प्रक्रिया के जरिए कोर्ट में साबित किया जाना चाहिए। जिस देश में कानून सर्वोच्च है, वहां ऐसी धमकियों को कोर्ट नजरअंदाज नहीं कर सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने नगरपालिका अधिकारियों को नोटिस जारी किया और मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राज्य और नगर निगम से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

अपराध को अदालत में कानूनी प्रक्रिया के जरिए साबित किया जाना चाहिए। कोर्ट ऐसे विध्वंस की धमकियों से अनजान नहीं रह सकता है। भारत जैसे देश में यह अकल्पनीय हैं, जहां कानून सबसे ऊपर है। -सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने 2 सितंबर को कहा था- बेटा आरोपी है तो पिता का घर गिरा देना सही नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर को जमीयत-ए-उलेमा हिंद की याचिका पर सुनवाई की थी। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने आरोप लगाया था कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है।

कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा था “अगर कोई दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम यहां अवैध अतिक्रमण के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं। किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना! यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है।

तीन राज्य जहां पिछले 3 महीने में बुलडोजर एक्शन हुआ

  • अगस्त 2024 : मध्यप्रदेश के छतरपुर में पुलिस पर पथराव के आरोपी की कोठी पर एक्शन मध्यप्रदेश के छतरपुर में 21 अगस्त को कोतवाली थाने पर पथराव के 24 घंटे के भीतर सरकार ने यहां 20 हजार स्क्वायर फीट में बनी 20 करोड़ रुपए की तीन मंजिला हवेली को जमींदोज कर दिया था। जब उनकी हवेली गिराई जा रही थी, तब भी उनके परिवार का कोई सदस्य यहां मौजूद नहीं था। FIR के मुताबिक, चारों भाइयों ने भीड़ को पुलिस पर हमला करने के लिए उकसाया था।
  • अगस्त 2024 : राजस्थान के उदयपुर में दो बच्चों में चाकूबाजी के बाद आरोपी के घर चला बुलडोजर उदयपुर के एक सरकारी स्कूल में 10वीं में पढ़ने वाले एक बच्चे ने दूसरे को चाकू मारकर घायल कर दिया था। इसके बाद पूरे शहर में आगजनी और हिंसक प्रदर्शन हुए। 17 अगस्त को आरोपी छात्र के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ था। इससे पहले सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने आरोपी के पिता सलीम शेख को अवैध बस्ती में बने मकान को खाली करने का नोटिस दिया था।
  • जून 2024 : उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और बलिया में 2 आरोपियों की 6 संपत्तियां तोड़ी गईं मुरादाबाद में विवाहिता के अपहरण की कोशिश करने वाले के घर पर बुलडोजर चला था। आरोपी ने अपहरण का विरोध कर रहे महिला के मां-बाप और भाई को गोली मार दी थी। वहीं, बरेली में रोटी के विवाद में युवक की पीट-पीटकर हत्या करने वाले होटल मालिक जीशान का होटल जमींदोज कर दिया गया। सनी का 26 जून को बर्थडे था। सनी ने मशाल होटल के मालिक जीशान को 150 रोटी का आर्डर दिया था। जीशान ने सिर्फ 50 रोटी दी और 100 रोटी देने से मना कर दिया था। विवाद बढ़ा तो जीशान ने अपने साथियों के साथ मिलकर सनी की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देशभर में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा, “अगर कोई दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।”

सुप्रीम कोर्ट जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें आरोप लगाया गया है कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। अब इस केस की सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

राजस्थान के उदयपुर में 17 अगस्त को चाकूबाजी के आरोपी के पिता सलीम के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ था।

राजस्थान के उदयपुर में 17 अगस्त को चाकूबाजी के आरोपी के पिता सलीम के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ था।

बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट के कमेंट, केंद्र का जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम यहां अवैध अतिक्रमण के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं। किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना! यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है।

इस टिप्पणी के बाद केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि किसी भी आरोपी की प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई क्योंकि उसने अपराध किया। आरोपी के अवैध कब्जों पर म्युनिसिपल एक्ट के तहत एक्शन लिया है।

कोर्ट रूम Live…

  • जस्टिस विश्वनाथन: बुलडोजर एक्शन पर कोई गाइडलाइंस क्यों नहीं बनाई जा रही है, जिसे सभी राज्यों में लागू किया जा सकता है?
  • जस्टिस गवई: हम अवैध निर्माण को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं हैं, पर किसी शख्स के आरोपी होने पर उसका घर नहीं गिरा सकते हैं।
  • जस्टिस विश्वनाथन: इसे सुव्यवस्थित करें।
  • तुषार मेहता (सॉलिसिटर जनरल): हम कुछ समाधान निकाल सकते हैं और दिशा-निर्देश तय किए जा सकते हैं।
  • जस्टिस गवई: हालांकि यह कानून की स्थिति है। मगर इसका ज्यादातर मामलों में उल्लंघन हो रहा।
  • तुषार मेहता: सभी कार्रवाई नगर निगम ने की है। हर मामले में आरोपियों को पहले नोटिस जारी किए गए थे, जब वे पेश नहीं हुए तब उनके खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई की गई।
  • जस्टिस विश्वनाथन: किसी को भी किसी की कमियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए।
  • जस्टिस गवई: अगर निर्माण अवैध है तो ऐसे मामलों में भी कानून के अनुसार कार्रवाई हो।
  • जस्टिस विश्वनाथन: अगर अपराध किसी व्यक्ति ने किया है तो उसके आधार पर उसके पिता का घर कैसे गिराया जा सकता है? किसी का बेटा अड़ियल हो सकता है, अपराध में आरोपी हो सकता है। लेकिन बेटे के अपराध के आधार पर पिता का घर गिराया जाता है तो यह सही नहीं है।
  • दुष्यंत दवे (याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील): किसी भी मामले में FIR दर्ज होते ही तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है। क्या सभी आरोपियों के घर अवैध निर्माण हैं।
  • तुषार मेहता: जिनके घर ढहाए गए, उनमें से कोई कोर्ट नहीं आया। जमीयत उलेमा ए हिंद पूरी कार्रवाई सवाल उठाना चाहता है।
  • दुष्यंत दवे: आप SG हैं, SG की तरह व्यवहार करें, मिस्टर मेहता।
  • जस्टिस गवई: हम इस मामले में गाइडलाइंस जारी करेंगे, सभी पक्ष अपने सुझाव दें। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

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SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 अक्टूबर 2024 | जयपुर : प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि भजनलाल सरकार ने SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज कर दी है। एसओजी लम्बे समय से पेपर लीक की जाँच कर रही है और मात्र 5% फर्जी थानेदारों की पहचान कर पायी है। इसमें में मुख्य आरोपी और बड़ी मछलियाँ जाँच के दायरे से बाहर है। एसआई भर्ती को रद्द करना प्रतिभाशाली युवाओं के साथ धोखा होगा। 

SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज

प्रोफ़ेसर मीणा ने कहा कि संपूर्ण सिलेक्शन प्रक्रिया को निरस्त नहीं किया गया जाना चाहिए। जाँच की प्रक्रिया को तेज करके फर्जी तरीके से सिलेक्ट हुए अभ्यर्थी जेल में डाले जाने चाहिए। SOG जांच अंतिम छोर तक की जाये ताकि बड़ी मछलियाँ पकड़ी जाये। जाँच में अब तक पकडे गये फर्जी अभ्यर्थियों के स्थान पर मेरिट में नीचे वालों को लिया जाये। अब इस भर्ती को निरस्त करने का अर्थ है, योग्य व ईमानदार को सजा देना।  

SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज

एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को लेकर आज बड़ी संख्या में ट्रेनी एसआई के परिवार जन शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं। परिजनों की मांग है कि सरकार इस परीक्षा को निरस्त न करें। जो लोग गलत तरीके से इस परीक्षा को पास कर ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनके खिलाफ सरकार कड़ा एक्शन ले, लेकिन जो लोग मेहनत कर के इस परीक्षा को पास कर ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनके भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो।

शहीद स्मारक पर बड़ी संख्या में ट्रेनिंग कर रहे एसआई के परिजन और रिश्तेदार पहुंच कर सरकार से वार्ता करने का समय मांग रहे हैं। परिजनों का कहना है कि अगर सरकार ने यह परीक्षा रद्द की तो उन के बच्चों का भविष्य खराब हो जाएगा। ऐसे में सरकार को सोच समझ कर एक्शन लेना चाहिए। ट्रेनिंग कर रहे एसआई दो दिन पहले किरोड़ी लाल मीणा से भी उनके आवास पर मिले थे। यहां पर उन्होंने अपनी परेशानी बताई थी। 

मंत्रियों की कमेटी को करना है फैसला

SI भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द होगी या नहीं इस पर 6 मंत्रियों की कमेटी को अभी फैसला करना है। वहीं, कमेटी बनने के बाद से ही ट्रेनिंग कर रहे एसआई परेशान हो गए हैं। जो परीक्षा पास कर अभी ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनका कहना है कि एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में कुल 809 अभ्यर्थी पास हुए। इनकी ट्रेनिंग जयपुर आरपीए, किशनगढ़ और जोधपुर ट्रेनिंग सेंटर में चल रही हैं। इनमें से 50 ट्रेनी एसआई को गिरफ्तार किया जा चुका है। जो कुल पास अभ्यर्थियों का 5% है।

अगर परीक्षा रद्द होती है तो 95% ट्रेनी एसआई का भविष्य खराब हो जाएगा। जीवन के चार साल खत्म हो जाएंगे। ये ट्रेनी एसआई कुछ सामाजिक संगठनों के जरिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

ट्रेनी सब इंस्पेक्टरों का कहना है कि कुछ लोगों के फर्जी तरीके से जॉइनिंग लेने से सभी के साथ अन्याय नहीं किया जा सकता। प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर ने सालों मेहनत करके इस पद को हासिल किया है। एक साल से अधिक का समय ट्रेनिंग करते हुए हो गया है। अगर यह भर्ती रद्द की गई तो ईमानदार और मेहनत से बने एसआई के साथ यह गलत होगा।

अगर इस भर्ती को रद्द किया गया तो 95 प्रतिशत पर पड़ेगा बड़ी मार,आरोपियों की हो जायेगी मौज

भर्ती रद्द करने से वो लोग बच जाएंगे। जो गलत रास्ते से इसमें आए हैं। वे चाहतें हैं कि भर्ती रद्द हो जाए। उनका नाम उजागर न हो। न्याय तभी होगा, जब अंतिम कड़ी तक जांच होकर उन गलत तरीके से आए लोगों को इस भर्ती से अलग किया जाए। इस भर्ती में प्रत्येक उस अभ्यर्थी को बाहर किया जाना चाहिए। जिसका फर्जी तरीके से चयन हुआ है। उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ी सबक ले सके।

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पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त नहीं होनी चाहिए। क्योंकि चयनित हुए प्रत्येक योग्य उम्मीदवार ने अपने जीवन के चार साल इस भर्ती को दिए हैं। 2021 से 2024 के बीच अन्य भर्ती की तैयारी भी नहीं की। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी NEET परीक्षा के बारे में नकल से सिलेक्ट हुए अभ्यर्थियों को ही बाहर किया।

ट्रेनी एसआई की अपील

  1. इस भर्ती में 65% अभ्यर्थी केंद्र और राज्य सरकार की नौकरी छोड़ कर SI पद पर नियुक्त हुए हैं। इनमें अधिकतर का प्रोबेशन पीरियड भी पूरा नहीं हुआ है। उनका क्या होगा वे पुनः उस नौकरियों में भी नहीं जा सकते।
  2. 4 साल इसमें खर्च करने के बाद अगर बाहर कर दिए जाते हैं। योग्य व ईमानदार अभ्यर्थियों के भविष्य का क्या होगा? उनका परिवार, यहां तक का उनकी पीढ़ियां भी प्रभावित होंगी उनका क्या होगा ?
  3. SI पद अनुरूप शादी तय हुई या शादी हो गयी उनका क्या होगा ?
  4. परीक्षा के समय जो अभ्यर्थी TSP वर्ग में था। अब उसकी शादी होने से NON TSP में चला गया। कोई महिला विधवा कोटे से लगी थी। अब उसने शादी कर ली उनका क्या होगा ?
  5. 2021 के समय जो लिखित व फिजिकल परीक्षा उसने पास की थी। क्या 4 वर्ष बाद अब वह संभव हो पाएंगी ?
  6. SOG ने शक के आधार पर एक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर हरिओम पाटीदार मेरिट क्रमांक 645 को उठा लिया था। कोर्ट में पेश कर जेल भी भेज दिया गया था। लेकिन जब जांच में निर्दोष पाया गया तो स्वयं SOG ने इसकी हाईकोर्ट से जमानत करवाई थी। अभी वह वर्तमान में पुनः प्रशिक्षण में शामिल है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि SOG दोषी और निर्दोष की पहचान कर सकती है। SOG चाहे तो प्रत्येक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर को एक बार अपनी कस्टडी में लेकर नार्को/ पॉलीग्राफ़ टेस्ट के मार्फत पूछताछ कर ले। हम सभी प्रकार के नार्को एवं पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए भी तैयार हैं। यदि उसकी जांच में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ चाहे जैसी कार्रवाई करें। किसी को कोई आपत्ति नहीं रहेगी और निर्दोष है तो वापस ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया जाए।

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भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने सायबर ठगी की कमर थोड़ी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 अक्टूबर 2024 |  भरतपुर : ‘मुख्यमंत्री पूरे देश में जहां भी जाते थे, उन्हें यही सुनने को मिलता था कि आपके क्षेत्र में साइबर क्राइम बहुत बढ़ रहा है। साइबर ठगी का गढ़ माने जाने वाले उसी मेवात में आज क्राइम 70 प्रतिशत से घटकर 22 पर आ गया है।’

भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने सायबर ठगी की कमर थोड़ी

दैनिक भास्कर से खास बातचीत में यह बात तेज तर्रार भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी और भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने कही। उन्होंने बताया कि मेवात में 74 गैंग ने महज 4 महीने में करीब 3.5 अरब की ठगी कर डाली थी।

भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने सायबर ठगी की कमर थोड़ी

वहां ऑपरेशन एंटी वायरस चलाकर 900 से ज्यादा साइबर ठगों को पकड़ा गया। पुलिस ने खुद 250 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए। ऑपरेशन नंदी प्रहार चलाकर गोलियां बरसाने वाले बेखौफ गौ-तस्करों को जेल में डाला गया।

चंद महीनों में साइबर ठगों का नेटवर्क कैसे तोड़ा? एक्शन प्लान क्या था? डीप फेक, डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर ठगी के नए किस तरह से नई चुनौती बनते जा रहे हैं? पढ़िए- मंडे स्पेशल स्टोरी में ऐसे सवालों पर राहुल प्रकाश के जवाब…

सवाल : 7-8 महीने में बड़ा बदलाव कैसे आया क्या चुनौतियां रही?

राहुल प्रकाश : भरतपुर रेंज आईजी बनने से पहले मैं भरतपुर और अलवर जिलों में एसपी रहा हूं। तब वहां साइबर क्राइम जैसी कोई चीज नहीं थी। अब जब मैं वहां गया तो चीजें हैरान करने वाली थीं। जनवरी में जयपुर में पुलिस कॉन्फ्रेंस हुई तो पता लगा कि डीग जिला साइबर क्राइम के मामलों में देश में नंबर-1 आ चुका है। पहले झारखंड का जामताड़ा ही साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता था।

क्राइम ब्रांच में रहते हुए साइबर क्राइम काे लेकर हमने पहले भी काम किया था। लेकिन यहां चुनौतियां नई थी, इसलिए नए तरीके से एक्शन प्लान किया। साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के पुराने तरीकों को बदला। ऑपरेशन एंटी वायरस चलाया। गौ-तस्करी भी यहां समस्या थी। उसके लिए ऑपरेशन नंदी प्रहार शुरू किया। स्पेशल पुलिस की टीमें बनाकर माॅनिटरिंग की गई। दोनों में अच्छे कंट्रोल हुआ है।

सवाल : मुख्यमंत्री खुद भरतपुर से हैं, ऐसे में वहां जाने से पहले क्या कोई मैसेज था?

राहुल प्रकाश : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भरतपुर को अच्छी तरह से जानते हैं। उनका गृह क्षेत्र है इसलिए वे पूरी तरह से वहां के अपराध को समझते हैं। पूरे देश में वे जहां भी जाते थे यही सुनने को मिलता था कि आपके गृह क्षेत्र में साइबर क्राइम बहुत बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम और गौ-तस्करी के नेटवर्क को पूरी तरह से कंट्रोल करना है।

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सीएम, डीजीपी, डीजी साइबर क्राइम के निर्देशन में डीग पर फोकस किया। दोनों ऑपरेशन पर बात कर उन्हें लागू किया गया। क्योंकि पूरे भारत में चर्चा थी कि राजस्थान के डीग में देश का 70 प्रतिशत साइबर क्राइम होता है। अब वहां आंकड़े देखें तो अपराध घटकर 22 प्रतिशत पर आ गया है।

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सवाल : जो अपराधी पुलिस पर बेखौफ फायरिंग करते थे, उनके हाथ-पैरों में पट्टियां बंधी दिखाई दे रही हैं, क्या पहले पुलिस जाने से डरती थी?

राहुल प्रकाश : ऐसा नहीं है कि पुलिस कहीं भी जाने से डरती है। कई बार परिस्थिति अनुकूल नहीं होती। कई बार चुनौती बदल जाती है। तब ऐसा होता है। डरने वाली कोई बात नहीं है। पहले सबसे बड़ी दिक्कत थी कि पुलिस तंत्र में कुछ स्टेक होल्डर थे। वे काम नहीं करने देते थे। एक्शन नहीं लेने का प्रेशर बनाते थे। पुलिस के कुछ लोग भी शामिल रहते थे।

अब सरकार और डीजीपी की ओर से साफ निर्देश हैं- क्या करना है और क्या नहीं करना है। बस आमजन की शिकायत नहीं आनी चाहिए। पुलिस टीम वही है, जो पहले थी। केवल आईजी, एसपी बदले गए हैं। कई एडिशनल एसपी वहीं हैं। बस हमने काम करने का तरीका बदला है।

पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद साइबर ठग और गौ तस्कर खुद अपराध छोड़ने के वीडियो बना रहे हैं।

पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद साइबर ठग और गौ तस्कर खुद अपराध छोड़ने के वीडियो बना रहे हैं।

सवाल : मेवात के गांवों से इन अपराधियों की पहचान कैसे की?

राहुल प्रकाश : झारखंड पुलिस ने बहुत अच्छी पहल शुरू की थी, जिससे हमें काफी मदद मिली थी। उन्होंने एक प्रतिबिंब पोर्टल बनाया था। जिसमें हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज होने वाली साइबर क्राइम रिपोर्ट उस पोर्टल पर भी अपलोड हो जाती थी। उसे झारखंड पुलिस गूगल लोकेशन पर डालती थी। केंद्र सरकार ने साइबर मामलों के लिए आई4सी (इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर) सिस्टम सेटअप किया था। जो रिपोर्ट वहां होती थी वो डिटेल वे दूसरे राज्यों को भी देने लग गए थे।

ऐसे ही हमारे पास रोजाना एक डाटा आने लगा। उससे पता लगता था कि हमारे किस जिले में किस गांव में किस लोकेशन में साइबर क्राइम हुआ है। हमने तब लोकेशन चेक करनी शुरू की। मेवात में साइबर ठगी के अड्डों का डेटा बनाया। जिसमें उनके नाम और गांव को चिन्हित किया। तब समझ में आया कि उन्हीं गांवों से डेली 15 से 20 ठगी की वारदातें हो रही हैं। फिर पूरे एक्शन प्लान के साथ शिकंजा कसा।

सवाल : अभी सामने आया कि मेवात में 74 गैंग ने 3.50 अरब की साइबर ठगी कर डाली?

राहुल प्रकाश : दरअसल, पोर्टल के जरिए डाटा एनालिसिस हुआ था। जिस मोबाइल से ठगी होती है, उस मोबाइल में जितने भी सिम इस्तेमाल हुए, उनसे कितने रुपए की ठगी हुई। तब सामने आया कि 74 गैंग ने अलग-अलग मोबाइल और सिम का इस्तेमाल कर तीन-चार महीने में करीब 350 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया है।

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हमने नकेल कसना शुरू किया। हमें केवल गूगल लोकेशन मिलती थी कि फलाना गांव के आस-पास एक जगह से 20 कॉल हुई है और इतने करोड़ की ठगी हुई है। हमने तकनीक का सहारा लिया। हमने साइबर ठगों को अरेस्ट करना शुरू किया। उनके मोबाइल कब्जे में लेकर रिकॉर्ड खंगाले। ट्रांजैक्शन का पता लगाया।

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उसके खिलाफ चाहे किसी ने मुकदमा दर्ज करवाया है या नहीं। पुलिस ने खुद डिजिटल एविडेंस के जरिए मुकदमा दर्ज करना शुरू किया। ऐसे में 250 मुकदमे दर्ज कर 900 से ज्यादा साइबर ठगों के अरेस्ट किया। इससे 7 महीने में साइबर ठगी के 70 प्रतिशत मामले कम हुए।

सवाल : डीप फेक भी राजस्थान में बड़ी चुनौती बन गया है?

राहुल प्रकाश : ये ऐसा ट्रेंड शुरू हुआ है, जिसमें मेरी ही आवाज है, लेकिन बोल कोई और रहा है। अभी एक ऐसा केस आया जिसमें कॉल करने वाले ने बेटा की आवाज निकालकर पिता को ठग लिया। उन्हें पता ही नहीं चला कि जिससे बात कर रहा था वो उसका बेटा नहीं है। ऐसा ही डीप फेक में हो रहा है।

आगे ऐसा भी होगा कि आपके पास एक वीडियो कॉल आएंगी। जिसमें आपका परिचित होगा, आपकी आवाज होगी, चेहरा भी होगा। लेकिन वो हकीकत में कोई और होगा। आपसे नॉर्मल बात होगी फिर पैसों की डिमांड होगी। आप पहचान ही नहीं पाओगे कि क्या हुआ है। किसने ठगा है। ऐसे में साइबर क्राइम का ट्रेंड बहुत तेजी से बदल रहा है।

सवाल : इस तरह के साइबर क्राइम से बचने का क्या उपाय है?

राहुल प्रकाश : लोगों को सतर्क रहना होगा। मीडिया लोगों को जागरूक करने में बहुत अच्छी भूमिका निभा रहा है। बचने का तरीका सिंपल है। अगर आपके पास कोई कॉल आया है कि आपके बेटे ने एक्सीडेंट कर दिया या रेप या कोई भी अपराध कर दिया है। उसे छोड़ने के लिए रुपए की डिमांड करते हैं तो सबसे पहले तो आप डरिए नहीं। किसी के झांसे में नहीं आएं। पुलिस थाने में संपर्क करें।

खुद पर विश्वास करना पड़ेगा। अगर ऐसा कुछ हुआ है तो उसमें सजा मिलनी चाहिए। आप कॉल पर बचने का रास्ता खोजेंगे तो ठगे जाएंगे। कोई अपराध किया है तो बोलिए कि ठीक है हम वकील लेकर आ रहे हैं। जांच करेंगे कि अपराध किया है या नहीं।

कोई आपसे बोल रहा है कि आपका बच्चा नशे की तस्करी में पकड़ा गया तो आपको बच्चे पर भरोसा होना चाहिए वो कर सकता है या नहीं। कहने का मतलब है पहले कंफर्म करें ऐसा हुआ भी है या नहीं। बच्चे से बात करवा रहे हैं तो ध्यान रखिए वो आवाज डीप फेक से कन्वर्ट हो सकती है। इसलिए सतर्क रहते हुए बिना डरे पुलिस की मदद लें। किसी को मेहनत से कमाए रुपए नहीं भेजें।

सवाल : डिजिटल अरेस्ट के मामले बहुत आ रहे हैं, पढ़े-लिखे लोग भी ठगे जा रहे हैं?

राहुल प्रकाश : डिजिटल अरेस्ट में ठग आपका कैमरा ऑन करवा देता है। कमरे में बंद करवा देता है। किसी से बात नहीं करने देता। वो कैमरे से नजर रखते हैं। अपने आप को बड़ा अधिकारी बताकर डराते हैं। आप बचने के लिए किसी को बताते नहीं। साइबर ठगों पर नकेल कसने के लिए भरतपुर के मेवात क्षेत्र में ऑपरेशन एंटी वायरस चलाया गया था।

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ठग इतने शातिर हैं कि किसी के खाते में रुपए नहीं तो उसे उसके ही डॉक्युमेंट्स पर इंस्टेंट लोन दिलाते हैं। ये सारी चीजें तभी संभव है, जब आप गलत है। गलत हुआ है तो पुलिस का सामना करे। गलत नहीं किया तो 100, 1930 पर कॉल कर पुलिस को बताए। पुलिस आपकी पूरी मदद करेगी। बचने या शॉर्टकट का तरीका मत अपनाइए।

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सवाल : मेवात में 13 साल का बच्चा सेक्सटॉर्शन के आरोप में पकड़ा गया था, क्या गैंग में बच्चों को शामिल किया जा रहा है?

राहुल प्रकाश : पैसों का लालच देकर शातिर बच्चों को इस तरह के अपराध में शामिल कर रहे हैं। वो ये समझते हैं कि पकड़े जाने पर बच्चे आराम से छूट जाते हैं। बीते कुछ महीनों में 100 से ज्यादा बच्चों को भी पकड़ा, जो साइबर क्राइम में शामिल थे। कोर्ट से भी उन्हें जमानत नहीं मिली है। उन्हें बाल सुधार गृह में रखा गया है। जहां उनका फोकस पढ़ाई पर करवाया जा रहा है।

सवाल : छोटे-छोटे बच्चे कहां से सेक्सटॉर्शन की ट्रेनिंग लेते हैं, कैसे अंजाम देते हैं?

राहुल प्रकाश : सेक्सटॉर्शन में 10 साल के बच्चे से लेकर 35 साल तक के युवा पकड़ में आए हैं। ये एक-दूसरे को सिखाते हैं। पैसा और रोजगार नहीं होने की वजह से छोटे-छोटे बच्चों को लगा देते हैं। ये तीन तरीके से सेक्सटॉर्शन करते हैं।

सबसे पहले आपकी प्रोफाइल को फेसबुक और सोशल मीडिया पर सर्च करते हैं। वहां से प्राेफाइल फोटो ले लेते हैं। दिखने में कोई पैसे वाला लगता है तो उसे हेलो का मैसेज भेजते हैं। आपने रिप्लाई कर दिया तो फिर सिलसिला शुरू हो जाता है।

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लड़की की आवाज में बात करने के लिए एयर फंक डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। इस डिवाइस से आवाज को मोटा या पतला किया जा सकता है। पहले नाॅमर्ल कॉल करते हैं। फिर वीडियो कॉल करते हैं। अश्लील वीडियो कॉल कर उसे रिकॉर्ड कर लेते हैं। फिर ब्लैकमेल करने लगते हैं। बाद में इनके ठेकेदार सामने आते हैं। वहीं डील करते हैं।

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दूसरा तरीका ये है कि यूट्यूब का अधिकारी बनकर कॉल करते हैं। बोलते है कि एक आपका वीडियो यूट्यूब पर अपलोड होने के लिए आया है। क्या करना है, जल्दी बताओ। उनसे रुपए मांगते हैं। तब आदमी झांसे में आ जाता है और ठगों को रुपए दे देता है।

तीसरा तरीका ऐसा होता है कि लोग बिल्कुल घबरा जाते हैं। सेक्सटॉर्शन का वीडियो बनाने के बाद पुलिस अधिकारी बनकर कॉल करते हैं। रिपोर्ट दर्ज नहीं करने की बात पर रुपए मांगते हैं।

सवाल : बुलडोजर पुलिसिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा है, आगे चैलेंज रहेगा?

राहुल प्रकाश : बुलडोजर की कार्रवाई हमारे यहां नियमानुसार हुई है। हमने पहले उन लोगों को नोटिस दिए। जो अवैध संपत्तियां थीं, सरकारी या फिर वन विभाग में बने हुए मकान थे और जो अपराध की काली कमाई से बनाए गए थे। उन्हें नियमानुसार तोड़ा गया। हमने अवैध निर्माण पर ही कार्रवाई की है जोकि गलत नहीं है।

सवाल : साइबर क्राइम को रोकने के लिए आगे क्या प्लानिंग रहेगी?

राहुल प्रकाश : किराए के बैंक खाते बड़ी समस्या है। साइबर ठगी के पैसों को निकालने के लिए ये सेविंग अकाउंट किराए पर खुलवाते हैं। उन खातों में 20 से 30 ट्रांजैक्शन होते हैं। नॉर्मल खातों में 2 से 5 ही ट्रांजैक्शन होते हैं। ठगी का अमाउंट भी बड़ा होता है। अगर एआई सॉफ्टवेयर से ऐसे अकाउंट को आइडेंटिफाई कर पुलिस को बताया जाए तो इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

सवाल : मेवात में गौ-तस्करों में कोई खौफ भी नजर नहीं आता?

राहुल प्रकाश : तस्करों को गाय बहुत सिंपल तरीके से बाजार, जंगल, खेतों में मिल जाती है। 35 से 40 हजार रुपए तक बिक जाती है। मोटी कमाई के लालच में ये पुलिस पर सीधे फायरिंग करते हैं। अपने पास हथियार रखते हैं। मरने-मारने पर तैयार रहते हैं।

सीसीटीवी कैमरे में कैद गौ तस्कर। यह तस्वीर डीग की है, जहां कुछ गौ-तस्कर गौ-वंश को ले जाते हुए दिख रहे हैं।

सीसीटीवी कैमरे में कैद गौ तस्कर। यह तस्वीर डीग की है, जहां कुछ गौ-तस्कर गौ-वंश को ले जाते हुए दिख रहे हैं।

पूछताछ में सामने आया है कि गाय की खाल, हड्डी, मांस अलग-अलग कर बेचते हैं। बॉर्डर पार कर हरियाणा, यूपी में बेचते हैं। आगे भी सप्लाई करते हैं। मेवात ही नहीं बहुत सार जिले दौसा, झुंझुनूं, जोधपुर, पाली जैसे जिलों में भी गौ तस्करी कर दूसरे राज्य में ले जाते हैं। गौ तस्करी के लिए हर बार नया तरीका अपनाते हैं।

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एक ताजा उदाहरण बताता हूं कि अभी एक तस्कर पकड़ा था, जो एक स्विफ्ट गाड़ी में दो गायों को ले जा रहा था। जब पुलिस रात के समय में गश्त करती है। सख्ती होती है तब ये इस तरह के तरीके निकालते हैं। एक बार दूध के टैंकर के अंदर गायों को ले जाते हुए पकड़ा था। टैंकर का पिछला हिस्सा काटकर गायों को भर रखा था। यहां तक कि फॉर्च्यूनर जैसी लग्जरी गाड़ियों, कपड़े रखने की अलमारी में भी रखकर ले जाते हुए पकड़े गए हैं।

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सवाल : पहले हाईवे लूट, फिर टटलूबाजी और अब साइबर ठगी…अपराध का बदल रहा है, अपराधी नहीं?

राहुल प्रकाश : गांव के सभी लोग ऐसे नहीं है। अच्छे लोग भी हैं। फौजी, डॉक्टर और टीचर भी हैं। हमने धर्म गुरुओं को साथ लेकर बड़ी-बड़ी पंचायत की। वहां अपराधियों ने कुरान की कसमें खाकर साइबर क्राइम, गौ तस्करी छोड़ने का वादा भी किया। पुलिस की सख्ती के साथ सामाजिक स्तर पर पहल का असर भी दिख रहा है। आगे भी हम ऐसे ही प्रयास जारी रखेंगे। डीग जिला नया बना है। यह पहला ऐसा जिला है, जहां पर हमने साइबर क्राइम का थाना बनाया है। अलग से पूरी टीम है, जो साइबर क्राइम पर काम कर रही है।

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