मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 नवंबर 2024 | दिल्ली : गुरवार को ही राहुल गांधी ने अमेरिका में गौतम अडाणी पर लगे करप्शन के आरोपों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा था कि अडाणी जी 2 हजार करोड़ रुपए का स्कैम कर रहे हैं और बाहर घूम रहे हैं, क्योंकि पीएम मोदी उन्हें प्रोटेक्ट कर रहे हैं।
गौतम अडाणी ने अमेरिका में क्राइम किया है, लेकिन भारत में उन पर कुछ नहीं हो रहा है। अडाणी की प्रोटेक्टर SEBI की चेयरपर्सन माधबी बुच पर केस होना चाहिए। 15 मार्च 2024 को ब्लूमबर्ग में गौतम अडाणी की अमेरिकी जांच से जुड़ी एक खबर छपी। तब इसे खारिज करते हुए अडाणी ग्रुप ने एक बयान में कहा- हमें अपने चेयरमैन के खिलाफ किसी जांच की जानकारी नहीं है। बात वहीं दब गई।
राहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग
अब 21 नवंबर 2024 को अमेरिका में एक ऐसा पर्दाफाश हुआ, जिससे अडाणी ग्रुप के सभी शेयर धड़ाम हो गए। महज एक दिन में गौतम अडाणी की नेटवर्थ करीब 1 लाख करोड़ रुपए घट गई। केन्या ने अडाणी के साथ बिजली-एयरपोर्ट डील रद्द कर दी। अमेरिका में वारंट जारी होने की खबरें हैं और भारत में भी उनकी गिरफ्तारी की मांग हो रही है।
फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगा
आरोप पत्र के मुताबिक,
आरोपियों ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट गलत तरीके से हासिल किए। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए रिश्वत देने की योजना बनाई। इसके अलावा आरोपियों ने अमेरिकी इन्वेस्टर्स और बैंकों से झूठ बोलकर पैसा इकट्ठा किया।
ये अमेरिका के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) का उल्लंघन है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि अमेरिकी न्याय विभाग के डॉक्यूमेंट में रिश्वत ऑफर करने और प्लानिंग की बात कही गई। रिश्वत दी गई, ऐसा नहीं कहा गया है।
सवाल 1: गौतम अडाणी के खिलाफ अमेरिका में खुला मामला क्या है? जवाब: 24 अक्टूबर 2024 को अमेरिका में न्यूयॉर्क की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक इनडाइक्टमेंट दर्ज हुआ। इसे अभियोग पत्र कह सकते हैं। इसमें गौतम अडाणी समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया गया।
20 नवंबर 2024 को कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और ये मामला सबसे सामने आया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडाणी और उनके भतीजे सागर के खिलाफ वारंट जारी किया गया है।
आरोपियों में सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल भी शामिल हैं। इन पर ग्रैंडजूरी, FBI और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग यानी SEC की जांचों में अड़ंगा डालने की साजिश के आरोप हैं।
चारों लोग मामले से जुड़े ई-मेल और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक मैसेज डिलीट करने को तैयार थे। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की जांच के लिए जरूरी जानकारी नहीं दी। न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में FBI, डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस यानी DOJ और SEC की साझा बैठक में झूठ बोला और रिश्वतकांड में शामिल होने से इनकार किया।
सवाल 2: हेरफेर और रिश्वत के आरोप किस प्रोजेक्ट में लगे हैं? जवाब: अमेरिकी न्याय विभाग की फाइलिंग के मुताबिक, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी SECI ने देश में 12 गीगावॉट की एनर्जी की आपूर्ति के लिए कॉन्ट्रैक्ट निकाला था। SECI भारत सरकार की रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी है, जिसका उद्देश्य देश में सोलर एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ाना है।
दिसंबर 2019 और जुलाई 2020 के बीच अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड यानी AGEL और एक विदेशी फर्म ने कॉन्ट्रैक्ट जीत लिया। उन्हें लेटर ऑफ अवॉर्ड (LOA) जारी कर दिया गया।
यहां एक दिक्कत आ गई। AGEL और विदेशी फर्म से खरीदी बिजली के लिए SECI को ग्राहक नहीं मिल रहे थे। ऐसे में वो AGEL और विदेशी फर्म से बिजली नहीं खरीद पाता। इससे अडाणी की कंपनी और विदेशी फर्म को घाटा होता।
आरोप पत्र के मुताबिक गौतम अडाणी ने अपने भतीजे सागर अडाणी, विनीत जैन समेत 7 लोगों के साथ मिलकर अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश रची। जिससे राज्य सरकारें SECI के साथ पावर सेल एग्रीमेंट कर ले और उनके सोलर पावर एग्रीमेंट को खरीदार मिल जाए।
आरोप पत्र के मुताबिक, ‘गौतम अडाणी ने आंध्र प्रदेश के किसी बड़े अधिकारी से 7 अगस्त 2021 से 20 नवंबर 2021 के बीच कई बार मुलाकात की। ताकि आंध्र प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी (APEPDCL) और SECI के बीच सोलर पावर एग्रीमेंट का करार हो जाए।’
इसके बाद APEPDCL और SECI के बीच एग्रीमेंट हो गया। AGEL और विदेशी फर्म को कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। इसके बाद छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर की स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन बोर्ड ने बिजली खरीद के कॉन्ट्रैक्ट साइन किए।
सवाल 3: इस मामले की जांच किसने की है? जवाब: इस मामले की जांच भारत की CBI की तर्ज पर काम करने वाली अमेरिकी जांच एजेंसी FBI की न्यूयॉर्क कॉर्पोरेट, सिक्योरिटीज एंड कमोडिटीज फ्रॉड एंड इंटरनेशनल करप्शन यूनिट्स ने की है। अमेरिकी सरकार की ओर से दो एजेंसी केस को देख रही हैं। पहली- यूएस अटॉर्नी का ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफिस और दूसरी- क्रिमिनल डिवीजन का फ्रॉड सेक्शन।
17 मार्च 2023 से ही अमेरिकी जांच एजेंसी FBI इस मामले की जांच कर रही थी। FBI ने अमेरिका में सागर अडाणी के ठिकानों पर छापा भी मारा था, लेकिन इस मुद्दे को अडाणी ग्रुप ने दबा दिया।
अमेरिकी न्याय विभाग की फाइलिंग के मुताबिक 18 मार्च 2023 को सागर अडाणी से पूछताछ भी की गई थी। इसके बावजूद 19 मार्च 2024 को अडाणी समूह ने भारत के स्टॉक एक्सचेंज को गलत जानकारी दी। अडाणी ने नोटिस की बात को छिपा दिया, जिससे उन्हें फंड मिलने में परेशानी न हो सके।
सवाल 4: पूरे मामले में किस-किस पर और कहां केस चलेगा? जवाब: अमेरिका में दो तरह के कानून हैं। संघीय यानी फेडरल लॉ और राज्यों के कानून यानी स्टेट लॉ। संघीय कानूनों को लागू करने के लिए अमेरिका के सभी 50 राज्यों में 94 डिस्ट्रिक्ट कोर्ट हैं। ऐसी ही अदालत एक न्यूयॉर्क राज्य के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट में है, United States District Court for the Eastern District of New York। अडाणी और अन्य आरोपियों के खिलाफ इसी अदालत में मुकदमा चलेगा।
न्यूयॉर्क ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी ऑफिस के मुताबिक मामले में 8 आरोपी हैं। इनमें 7 भारतीय और एक फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया का नागरिक है। अमेरिका की कोर्ट में दाखिल अभियोग पत्र के मुताबिक 8 आरोपी बनाए गए हैं।
सवाल 5: रिश्वत भारत में दी गई है तो कार्रवाई अमेरिका में क्यों हो रही है? जवाब: अमेरिका में फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट के तहत घूस देकर बिजनेस करना बड़ा अपराध है। अगर अमेरिका से जुड़ी किसी कंपनी ने दुनिया में कहीं भी रिश्वत दी है, तो उस पर अमेरिका में मुकदमा चल सकता है। अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ क्योंकि प्रोजेक्ट में अमेरिका के निवेशकों का पैसा लगा हुआ था।
अमेरिकी न्याय विभाग की फाइलिंग में बताया गया कि 2021 में अमेरिका में अडाणी ग्रीन कॉरपोरेट बॉन्ड जारी किया गया, जिसमें अमेरिकी निवेशक शामिल थे। AGEL की सहयोगी कंपनी प्रतिभूतियां न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज यानी NYSE) में लिस्टेड थी। दोनों कंपनियों ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की बात अपने निवेशकों को नहीं बताई।
सवाल 6: गौतम अडाणी के खिलाफ इस मामले को “An indictment in the US” कहा जा रहा है, इसका मतलब क्या है? जवाब: An indictment in the US का शाब्दिक अर्थ है- अमेरिका में एक अभियोग यानी अमेरिका में चलने वाला एक मुकदमा।
अमेरिका में इसकी जिम्मेदारी न्याय विभाग या डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के ऊपर होती है। कोई अपराध होने पर जांच होती है। इसके बाद प्रॉसिक्यूटर यानी सरकारी वकील एक औपचारिक लिखित आरोप तैयार करता है। इस लिखित आरोप को ग्रैंड ज्यूरी जारी करती है। यहीं से मुकदमे की शुरुआत होती है। जिस शख्स पर अभियोग लगता है सबसे पहले उसे औपचारिक नोटिस भेजा जाता है। आरोपी वकील करके अपना बचाव करता है।
सवाल 7: अडाणी ग्रीन ने इन आरोपों पर क्या सफाई दी? जवाब: 21 नवंबर 2024 यानी गुरुवार को अडाणी ग्रुप ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। अडाणी एंटरप्राइजेज ने प्रेस नोट में कहा कि यूनाइटेड डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और SEC के सभी आरोप निराधार हैं। अडाणी एंटरप्राइजेज की ओर से जारी बयान में कहा गया-
अमेरिकी न्याय विभाग ने खुद ही कहा कि अभी ये सिर्फ आरोप हैं। आरोपियों को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि वे दोषी साबित न हो जाएं। हमारी कंपनी हर संभव कानूनी सहारा लेगी। जिन देशों में हमारा बिजनेस है, हमने वहां की गवर्नेंस पारदर्शिता और नियमों का पालन किया है। हम सभी स्टेकहोल्डर्स और कर्मचारियों को यकीन दिलाते हैं कि हम कानून का पालन करने वाली ऑर्गनाइजेशन हैं।
सवाल 8: अडाणी पर हेरफेर और रिश्वत देने के आरोपों पर आगे क्या होगा? जवाब: अमेरिकी लीगल सिस्टम के मुताबिक indictment के बाद केस arraignment स्टेज में चला जाएगा। यानी आरोपियों को कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा है, जहां अदालत उन पर लगे आरोपों को पढ़कर सुनाएगी। लिखित कॉपी भी देगी।
आरोप सुनकर आरोपियों को बताना होगा कि वे खुद को दोषी मानते हैं या नहीं। अगर बचाव पक्ष ने खुद को निर्दोष यानी not guilty बताया तो आरोपों का जूरी ट्रायल शुरू होगा। मतलब जूरी के सामने मुकदमा चलेगा।
JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर अरुण कुमार के मुताबिक, अडाणी ग्रुप की तरफ से अमेरिकी कोर्ट के आरोपों को गलत बताया गया है, इसलिए अब उन्हें कोर्ट में अपनी बेगुनाही के सबूत पेश करने होंगे। अगर अडाणी दोषी पाये जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जायेगी…
- सिक्योरिटीज फ्रॉड में दोषी पाए जाने पर 20 साल की जेल और 5 मिलियन डॉलर का जुर्माना देना होगा
- वायर फ्रॉड के मामले में दोषी पाए गए तो 20 साल की जेल और जुर्माना देना होगा।
- फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट के तहत दोषी पाये जाने पर 5 साल की जेल और जुर्माना देना होगा।
अरुण कुमार के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद भारत सरकार की ओर से अमेरिकी सरकार पर केस बंद करने का दबाव बनाया जा सकता है। हालांकि, इसका कुछ नतीजा निकलेगा, इस पर संदेह है। अरुण कुमार ने बताया-
अमेरिका का जस्टिस डिपार्टमेंट ट्रांसपेरेंट है। वहां की सरकार कानूनी कामों में ज्यादा दखल नहीं दे सकती। राष्ट्रपति की ओर से दबाव बनाने के बाद भी अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट अपनी कार्यवाही जारी रख सकता है, लेकिन यह बात साफ है कि भारत सरकार और ट्रम्प की ओर से गौतम अडाणी को बचाने के प्रयास किए जाएंगे।
सवाल 9: अडाणी पर आरोप तय होने से उनके बिजनेस पर क्या इम्पैक्ट पड़ा है? जवाब: अमेरिकी कोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट जारी होने के बाद गौतम अडाणी की नेटवर्थ में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की गिरावट हुई है। अडाणी ग्रुप की सभी 10 लिस्टेड कंपनियों का जॉइंट मार्केट कैप तेज गिरावट के साथ 2.19 लाख करोड़ रुपए घट गया। यह नुकसान हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद हुए नुकसान से दोगुना ज्यादा है।
21 नंवबर यानी गुरुवार को गौतम अडाणी फोर्ब्स की रियल टाइम बिलेनियर्स की लिस्ट में तीन पायदान नीचे गिर गए। अब वे इस लिस्ट में 25वें स्थान पर आ गए। इससे पहले वे 22वें स्थान पर थे। फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक, अडाणी की कुल संपत्ति में 17.34% की गिरावट आई है।
अडाणी पर धोखाधड़ी के आरोप लगने के बाद केन्या सरकार ने 21 नवंबर को अडाणी ग्रुप के साथ की गई सभी डील रद्द करने की घोषणा कर दी। इनमें बिजली ट्रांसमिशन और एयरपोर्ट विस्तार जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स शामिल थे। दोनों डील 21,422 करोड़ रुपए की थीं।
सवाल 10: इससे पहले अडाणी किन-किन मामलों में घिरे? जवाब: इससे पहले वे हिंडनबर्ग, कोयला हेराफेरी और गोड्डा पावर प्लांट विवाद में भी अडाणी फंस चुके हैं…
1. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप 24 जनवरी 2023 को अमेरिकी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की। इसमें गौतम अडाणी पर मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर मैनिपुलेशन के आरोप लगाए। इन दिनों अडाणी एंटरप्राइजेज 20 हजार करोड़ रुपए का FPO लॉन्च करने वाली थी। ये FPO 27 जनवरी 2023 को खुलना था, लेकिन उससे 3 दिन पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आ गई।
25 जनवरी तक शेयर मार्केट में अडाणी ग्रुप के शेयर्स की वैल्यू करीब 12 बिलियन डॉलर यानी करीब 1 लाख करोड़ रुपए कम हो गई। हालांकि अडाणी ने आरोपों से इनकार किया और 20 हजार करोड़ रुपए का FPO भी कैंसिल कर दिया। केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई और SEBI ने भी मामले की जांच की। इसमें अडाणी को क्लीन चिट मिल गई।
2. लो-ग्रेड कोयले में हेराफेरी का आरोप 22 मई 2024 को ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के फ्रंट पेज पर एक खबर छपी। हेडलाइन थी- ‘अडाणी पर भारत में स्वच्छ ईंधन के रूप में लो-ग्रेड का कोयला बेचकर धोखाधड़ी करने का आरोप…’
फाइनेंशियल टाइम्स ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट का हवाला दिया। इसमें दावा किया गया था कि जनवरी 2014 में अडाणी ग्रुप ने एक इंडोनेशियाई कंपनी से 28 डॉलर (करीब 2,360 रुपए) प्रति टन की कथित कीमत पर लो-ग्रेड’ कोयला खरीदा था।
इस कोयले की शिपमेंट को तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) को हाई-ग्रेड वाले कोयले के रूप में 91.91 डॉलर (करीब 7750 रुपए) प्रति टन की औसत कीमत पर बेच दिया गया था। इसी के चलते ग्रुप ने कोयले से बनने वाली बिजली ग्राहकों को ज्यादा कीमत पर बेची।
3. गोड्डा पावर प्लांट विवाद अडाणी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL) और बांग्लादेश सरकार के बीच नवंबर 2017 में बिजली सप्लाई डील हुई। इस डील के मुताबिक, अडाणी पावर अगले 25 साल तक बांग्लादेश को बिजली सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट मिला। 10 अप्रैल 2023 से APJL ने बांग्लादेश को बिजली देना शुरू किया। APJL के गोड्डा प्लांट से रोजाना 1,496 मेगावॉट बिजली की सप्लाई होती है।
बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार अडाणी को हर महीने 6 से 6.5 करोड़ डॉलर का भुगतान करती थी, लेकिन 5 अगस्त 2024 को हसीना सरकार का तख्तापलट हो गया। इसके बाद बांग्लादेश के प्रधानमंत्री बने मोहम्मद यूनुस।
नवंबर 2024 तक बांग्लादेश पर APJL का 85 करोड़ डॉलर यानी करीब 7,200 करोड़ रुपए का बकाया बचा है। इस पर अडाणी ने बांग्लादेश में बिजली कटौती का ऐलान कर दिया।
यूनुस की सरकार ने अडाणी को देने वाले पैसों में कटौती कर दी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई और अगस्त 2024 में बांग्लादेश ने अडाणी को 3.1 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था। सिंतबर में 8.7 करोड़ और अक्टूबर में 9.7 करोड़ डॉलर का भुगतान किया गया।
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