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सुशासन की गारंटी हैसुंदरता से ज्यादा महत्व अच्छे विचारों और सकारात्मक व्यक्तित्व का होता हैयुवराज सिंह बन सकते हैं दिल्ली कैपिटल्स के कोचआदिवासी इलाकों में फैली सिकल सेल एनीमिया खतरनाक बीमारी
मूकनायक मीडिया : डॉ अंबेडकर-मिशन की बुलंद आवाज का दस्तावेज
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1920 में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों की पैरवी के लिए 'मूकनायक' नामक समाचार पत्र शुरू किया। यह समाचार पत्र सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दलित सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
'मूकनायक' के शताब्दी (स्थापना वर्ष1920) वर्ष में सामाजिक समानता की लड़ाई हेतु अंबेडकर की विरासत को जारी रखने के लिए इसके डिजिटल संस्करण को 2020 में लॉन्च किया गया है।
‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है "सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !
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मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 दिसंबर 2024 | जयपुर : एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले नरेश मीणा की रिहाई को लेकर आज रविवार को टोंक के नगर फोर्ट में महापंचायत सुबह 11 से शाम चार बजे तक आयोजित की जा रही है। इस महापंचायत में उमड़े जनसैलाब से स्थानीय पुलिस-प्रशासन के हाथ-पैर फूले हुए हैं।
टोंक जिले के नगरफोर्ट में आज नरेश मीणा (Naresh Meena) की रिहाई की मांग को लेकर महापंचायत का आयोजन किया गया है। समर्थकों का दावा है कि इस सभा में तीन लाख से अधिक लोग शामिल हो रहे हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा रास्ते में लोगों को रोका जा रहा है।
नरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाब
सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा का दावा है कि महापंचायत में सर्व समाज के कई लाख लोग शामिल हुए हैं। महापंचायत में एक नरेश मीणा की रिहाई और थप्पड़ कांड के बाद लोगों पर हुई कार्रवाई समेत आगे की रणनीति पर चर्चा की जायेगी। उपखंड अधिकारी द्वारा महापंचायत की सशर्त स्वीकृति दी गई है।
देवली उनियारा में उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने के आरोपी नरेश मीणा व उनके कई समर्थक अभी जेल में बंद है। जिनकी रिहाई को लेकर आज नगरफोर्ट में महापंचायत हो रही है।
टोंक जिले के नगर फोर्ट में हो रही इस महापंचायत को लेकर टोंक पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने भी पूरी तैयारी कर ली है। सुरक्षा के लिए टोंक समेत आसपास के जिलों से भी पुलिस जवानों को बुलाया गया है। पुलिस जवानों के साथ ही चप्पे-चप्पे पर आरएसी के जवानों को भी तैनात किया गया।
जिले की सभी बॉर्डर के पुलिस थानों पर नाकाबंदी कर वाहनों की जांच की जांच की जा रही है और व्यक्तियों की तलाशी भी ली जा रही है। पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने लोगों से अपील कर कहा कि वे किसी दबाव में महापंचायत में शामिल न हो। महापंचायत में शामिल होने वाला हर व्यक्ति कानून का पालन करे।
ड्रोन से की की जा रही है निगरानी
टोंक कलेक्टर सौम्या झा भी महापंचायत को लेकर अलर्ट हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। महापंचायत स्थल की ड्रोन से निगरानी की जाएगी। किसी को भी कानून के साथ खिलवाड़ करने की छूट नहीं है।
महापंचायत में सबसे राय लेकर तय किया जाएगा कि आगे सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ क्या कदम उठाया जाएगा। कलेक्टर सौम्या झा ने बताया कि महापंचायत से शांतिपूर्ण कराने को लेकर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जा चुकी है।
एसपी विकास सांगवान ने बताया कि महापंचायत में एएसपी लेवल तक अधिकारियों समेत पर्याप्त पुलिस जाब्ता तैनात किया जाएगा और ड्रोन से निगरानी की जाएगी। इसके साथ ही किसी तरह से आवागमन बाधित नही हो। इसके लिए हाइवे समेत अन्य मार्गो पर पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं।
कई नेता हो सकते हैं शामिल
नगर फोर्ट में होने वाली इस महापंचायत को लेकर कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने लोगों से महापंचायत में शामिल होने की अपील की है। नरेश मीणा के खास समर्थक और टोंक जिला सरपंच अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी महापंचायत को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक दी है।
मुकेश मीणा का कहना है कि महापंचायत में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास, अशोक चांदना, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा, बामनवास विधायक इंदिरा मीणा समेत कई अन्य बड़े नेता भी भाग लेंगे।
जानिए क्या है थप्पड़ कांड?
13 नवंबर को देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए हो रहे मतदान के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को समरावता गांव में थप्पड़ मार दिया था। मीणा का आरोप था कि चौधरी जबरन वोट डलवा रहे थे। ईवीएम पर उनका चुनाव चिन्ह स्पष्ट नहीं था, जिससे उनके समर्थक मतदाता परेशान हो रहे थे।
इन्हीं सब बातों को लेकर नरेश मीणा और एसडीएम अमित चौधरी में कहासुनी हो गई। इस बीच नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट और मालपुरा उपखंड अधिकारी (एसडीएम) अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था।
टोंक जिले के नगरफोर्ट में नरेश मीणा के समर्थन और समरावता हिंसा और आगजनी मामले में न्यायिक जांच सहित अन्य मांगों को लेकर सर्व समाज की महापंचायत में भीड़ जुटना शुरू हो गई है। आयोजकों ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो जयपुर में बड़ी महापंचायत होगी।
जनसैलाब से स्थानीय पुलिस-प्रशासन के हाथ-पैर फूले
कलक्टर डॉ सौम्या झा ने जनता से अपील की है कि घबराने की जरूरत नहीं है। सभा शांति से सम्पन्न होगी। पुलिस अधीक्षक विकास सागवान का कहना है कि सभा में आने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखी जा रही है। रास्तों पर जगह-जगह चेकिंग पॉइंट बनाये गये हैं।
गाड़ियों के नंबर नोट करने से लेकर वीडियोग्राफी भी की जा रही है। सभा पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है। एसपी ने जनता से अपील करते हुए कहा कि किसी भी तरह वायलेंस नहीं फैलायें। हिंसा फैलाने पर सख्त कार्रवाई की जायेगी।
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पीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोप
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 दिसंबर 2024 | जयपुर : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक विवाद के बाद कांग्रेस ने अब उनके उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था को लेकर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के राजकीय अंतिम संस्कार में सरकार की तरफ से अव्यवस्था और अनादर देखकर हैरानी हुई।
पीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोप
खेड़ा ने नौ पॉइंट में अंतिम संस्कार से जुड़ी आपत्तियां दर्ज कराईं। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह के परिवार के लिए 3 ही कुर्सियां रखी गईं। परिवार के बाकी लोगों को कुर्सियां मांगनी पड़ीं। इसके अलावा उन्होंने पीएम मोदी पर ये आरोप भी लगाया कि जब डॉ. सिंह की पत्नी को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा गया और गन सैल्यूट दिया गया तो पीएम मोदी और मंत्री खड़े भी नहीं हुए।
खेड़ा ने कहा कि डॉ. सिंह सम्मान और गरिमा के हकदार थे। इस अव्यवस्था से ये साफ होता है कि एक महान नेता के प्रति केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं और लोकतांत्रिक मूल्यों में कितनी कमी है। भाजपा IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने रविवार को आरोप लगाया कि डॉ. मनमोहन सिंह के अस्थि विसर्जन में कांग्रेस का कोई भी नेता नहीं पहुंचा।
इससे पहले राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवाकर केंद्र सरकार ने उनका सरासर अपमान किया है।
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर पवन खेड़ा के 9 सवाल
1. दूरदर्शन ने मोदी को ज्यादा दिखाया: डीडी (दूरदर्शन) को छोड़कर किसी भी समाचार एजेंसी को अनुमति नहीं दी गई। डीडी ने मोदी और शाह पर ध्यान केंद्रित किया, डॉ. सिंह के परिवार को बहुत कम दिखाया।
2. डॉ. सिंह के परिवार के लिए कुर्सी नहीं: डॉ. सिंह के परिवार के लिए केवल 3 कुर्सियां सामने की लाइन में रखी गईं। वहां मौजूद दूसरे कांग्रेसी नेताओं ने डॉ. सिंह की बेटियों और उनके परिवार के अन्य लोगों के लिए सीटों की व्यवस्था की।
तस्वीर…
निगमबोध घाट पर डॉ. मनमोहन सिंह की पत्नी और उनकी तीनों बेटियां मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी के बगल में बैठी थीं। डॉ. सिंह का बाकी परिवार पीछे खड़ा था।
3. गार्ड ऑफ ऑनर में मोदी खड़े नहीं हुए: जब डॉ. मनमोहन सिंह की पत्नी को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा गया और जब डॉ. सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। तब प्रधानमंत्री मोदी और बाकी मंत्रियों ने खड़े होना भी ठीक नहीं समझा। वे सभी बैठे रहे।
तस्वीर…
दूरदर्शन की फीड में तिरंगा फोल्ड करते समय मोदी और अमित शाह समेत तमाम लोग बैठे हुए दिखाई दिए। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने गार्ड ऑफ ऑनर का वीडियो शेयर किया है। इसमें शाह और राजनाथ सिंह खड़े हुए थे। गार्ड ऑफ ऑनर के समय मोदी की कोई तस्वीर सामने नहीं आई है।
4. परिवार को जगह नहीं दी: डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की चिता के आसपास परिवार के लिए पर्याप्त जगह नहीं दी गई, क्योंकि एक ओर तो सिर्फ सैनिकों ने जगह घेर रखी थी।
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निगमबोध घाट पर मनमोहन सिंह की चिता के सामने एक साइड पर जवान तैनात थे। 21 गन सैल्यूट के लिए उन्हें चिता के सामने जगह दी गई थी। सिंह का परिवार चिता के सामने खड़ा था। राहुल भी मौजूद थे।
5.आम लोगों को रोका गया: डॉ. सिंह के अंतिम संस्कार को आम लोग पास से नहीं देख पाए। उन्हें निगमबोध घाट में अंदर जाने से रोका गया। वे बाहर से ही कार्यक्रम को देखने पर मजबूर रहे।
6.शाह के काफिले से शव यात्रा बाधित: अमित शाह के काफिले ने डॉ. मनमोहन सिंह की शव यात्रा को बाधित किया। इस कारण उनके परिवार की गाड़ियां घाट के बाहर ही रह गईं और गेट बंद कर दिया गया। इसके बाद परिवार के सदस्यों को ढूंढकर वापस अंदर लाना पड़ा।
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मनमोहन सिंह की शव यात्रा और अमित शाह का काफिला निगमबोध घाट पर लगभग एक ही समय पर पहुंचा।
7. डॉ. सिंह के पोतों को दिक्कतें हुईं: अंतिम संस्कार की रस्में निभाने वाले डॉ. सिंह के पोतों को चिता तक पहुंचने के लिए जगह के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्हें चिता के नजदीक पहुंचने में जद्दोजहद करनी पड़ी।
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डॉ. सिंह की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए उनके पोतों ने तैयार किया।
8. भूटान के राजा खड़े हुए, मोदी बैठे रहे: विदेशी राजनयिकों को कहीं और बैठाया गया और वे नजर भी नहीं आए। हैरानी की बात यह रही कि जब भूटान के राजा खड़े हुए, तो प्रधानमंत्री खड़े नहीं हुए।
9. निगमबोध घाट पर व्यवस्थाएं नहीं थीं: पूरे अंतिम संस्कार स्थल को इतनी खराब तरीके से व्यवस्थित किया गया था कि डॉ. सिंह की शव यात्रा में भाग लेने वाले कई लोगों के लिए कोई जगह नहीं बची।
विवाद पर केंद्र से सवाल
भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार आज निगमबोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार द्वारा उनका सरासर अपमान किया गया है।
राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद
प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा बोलीं- मनमोहन सिंह को भारत रत्न मिलना चाहिए
भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा- मुझे लगता है कि मनमोहन सिंह के लिए स्मारक बनाने की मांग बिल्कुल जायज है। वे भारत में आर्थिक सुधारों के निर्माता हैं। वे भारत की विकास गाथा के जनक हैं। वे दो बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं, इसलिए उनके सम्मान में स्मारक बनाने की मांग बिल्कुल जायज है। मैं उनके लिए भारत रत्न की मांग करती हूं, वे इसके पूरी तरह हकदार हैं।
5 तस्वीरों में मनमोहन सिंह का अंतिम सफर
सेना के तोप वाहन पर मनमोहन सिंह की पार्थिव देह को निगमबोध घाट लाया गया।
मनमोहन सिंह के परिवार के साथ राहुल गांधी निगमबोध घाट पहुंचे।
राहुल ने पूर्व पीएम के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। मनमोहन की पार्थिव देह को 21 गन सैल्यूट दिया गया।
आखिरी अरदास के बाद मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की तस्वीर।
29 दिसंबर को मनमोहन सिंह की अस्थियां नई दिल्ली के यमुना घाट पर प्रवाहित की गईं।
मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर विवाद…
27 दिसंबर: खड़गे ने स्मारक के लिए जमीन मांगी थी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 27 दिसंबर की शाम को पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। कहा था कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार जहां हो वहीं स्मारक बनाया जाए। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक डॉ. सिंह की पत्नी गुरशरण कौर भी यही चाहती थीं। हालांकि गृह मंत्रालय ने अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवाया।
28 दिसंबर: बीजेपी बोली- जमीन अलॉट कर दी गई
कांग्रेस की तरफ से मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जमीन नहीं देने के आरोप पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 28 दिसंबर को कहा- डॉ. सिंह के स्मारक के लिए जगह आवंटित कर दी गई। इसके बारे में उनके परिवार को भी जानकारी दे दी गई है। हालांकि नड्डा ने यह नहीं बताया कि जमीन कहां दी गई है।
मनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकाम
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : देश के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिवार में कौन कौन था। परिवार के सदस्य क्या कर रहे हैं। क्या फैमिली मेंबर्स ने कभी उनकी पोजिशन का फायदा लेने की कोशिश की। जवाब कभी नहीं।
मनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकाम
तो ये जान लीजिए कि उनकी तीन बेटियां हैं और पत्नी। बेटियों ने पढ़ाई लिखाई के बाद अलग अलग क्षेत्र चुने और वहां उन्होंने अपनी खास जगह बनाई। वो शिक्षाविद हैं, इतिहासकार हैं, मानवतावादी हैं तो लेखक भी।
सबसे बड़ी बेटी उपिंदर सिंह की उम्र 65 साल है। उनके पति विजय तन्खा एक शिक्षाविद और लेखक हैं। उनके दो बच्चे हैं। दमन सिंह 61 साल की हैं। उनके पति अशोक पटनायक सीनियर आईपीएस अफसर थे। उनके एक बेटा है। तीसरी बेटी अमृत सिंह 58 साल की हैं। उनके पति के बारे में जानकारी पब्लिक डोमैन पर उपलब्ध नहीं है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तीन बेटियां थीं – उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह। उनमें से प्रत्येक ने अपने-अपने क्षेत्रों में एक सफल करियर बनाया।
उपिंदर सिंह ; पेशा: इतिहासकार और शिक्षाविद
वर्तमान भूमिका: अशोका विश्वविद्यालय में संकाय की डीन
शिक्षा: उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली और मैकगिल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल से डिग्री प्राप्त कीं।
उपिंदर दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग से सेवानिवृत्त हुई है। पूर्व में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रमुख भी रह चुकी हैं। उन्होंने प्राचीन भारतीय इतिहास पर महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने इस पर कई किताबें लिखी हैं।
इनमें प्राचीन और प्रारंभिक मध्यकालीन भारत का इतिहास और प्राचीन भारत में राजनीतिक हिंसा शामिल हैं। भारत के प्राचीन इतिहास, पुरातत्व और राजनीतिक विचारों पर उन्होंने रिसर्च की है। उपिंदर सिंह की किताब ‘ए हिस्ट्री ऑफ एंसिएंट एंड अर्ली मीडीवियल इंडिया’ और ‘पॉलिटिकल वॉयलेंस इन एंसिएंट इंडिया’ को खूब तारीफ मिली है। उन्हें हार्वर्ड और कैम्ब्रिज जैसे संस्थानों से प्रतिष्ठित फ़ेलोशिप मिली हैं। उन्हें 2009 में सामाजिक विज्ञान में इन्फोसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उपिंदर ने की थी संजय बारू की किताब की आलोचना
मनमोहन सिंह की इतिहासकार और प्रोफेसर बेटी उपिंदर सिंह ने संजय बारू द्वारा लिखित संस्मरण द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर की सार्वजनिक रूप से आलोचना की, जिसमें उनके पिता को नकारात्मक रूप में चित्रित किया गया।
उन्होंने संस्मरण को “विश्वास का बहुत बड़ा विश्वासघात” और “शरारती और अनैतिक” कृत्य बताया। तर्क दिया कि इसमें उनके पिता के अधिकार और उनके कार्यकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी के भीतर की गतिशीलता को गलत तरीके से पेश किया गया।
दमन सिंह; पेशा: लेखक
दमन को उनके संस्मरण स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन और गुरशरण के लिए जाना जाता है, जो उनके पिता के प्रधानमंत्री बनने से पहले उनके पारिवारिक जीवन के बारे में जानकारी देती है।
4 सितंबर, 1963 को जन्मी दमन ने पर्यावरण मुद्दों सहित विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी हैं। दमन की शादी आईपीएस अधिकारी अशोक पटनायक से हुई। उनका एक बेटा भी है।
दमन सिंह ने पिता पर किताब लिखी
दूसरी बेटी दमन सिंह ने पिता पर किताब लिखी। उनकी किताब का टाइटल था, स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण। ये किताब उनके परिवार के जीवन और राजनीतिक जीवन के दौरान आने वाली चुनौतियों पर अंतरंग नज़र डालती है। इस किताब में पिता के व्यक्तिगत किस्से हैं, जो मनमोहन सिंह के चरित्र को गहराई से रू-ब-रू कराती है। इसके अलावा दमन सिंह ने द सेक्रेड ग्रोव और नाइन बाइ नाइन भी लिखी हैं।
अमृत सिंह; पेशा: मानवाधिकार वकील और शिक्षाविद
अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) में स्टाफ अटॉर्नी और स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल में कानून की प्रोफेसर
अमृत ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर बनीं। फिर येल लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की। उन्होंने महत्वपूर्ण कानूनी मामलों पर काम किया। पहले ओपन सोसाइटी इनिशिएटिव के लिए वकील के रूप में काम किया। उनके अनुभव में कई प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्यापन शामिल है।
तीनों बेटियों ने न केवल अपने पिता की विरासत को कायम रखा बल्कि शिक्षा, साहित्य और मानवाधिकार वकालत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। कहना चाहिए कि मनमोहन सिंह की बेटियों ने सार्वजनिक जीवन में अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों और व्यक्तिगत दृष्टिकोणों के माध्यम से अपने तरीके से प्रभाव डाला।
अमृत ने वकालत में काम किया
तीसरी बेटी अमृत सिंह ने मानवाधिकार वकील के रूप में ईमानदारी और न्याय के मूल्यों पर काम किया। कुल मिलाकर, मनमोहन सिंह की बेटियों ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और पिता का बचाव भी किया।
बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग कीजिए