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What we really need is ‘corporate accountability’‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधानराहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होलीराहुल द्रविड़ पैर में इंजरी के बावजूद RR खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे, राजस्थान रॉयल्स की जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरूपाकिस्तान में हिंदू बोले “यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता”, भारतीय गोदी मीडिया की खबरें झूठीIPL2025 मैचों के लिए राजस्थान रॉयल्स की टीम जयपुर पहुँचीदुबई में फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरायाराजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरीफर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तारराजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोधराजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्कसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एकातेरिना की सूटकेस में मिली नग्न लाशUVC Germicidal Lamp Applications All Over Safety for Human Beingफोन टैपिंग से राजस्थान की राजनीति में फिर से उथल-पुथल, बीजेपी के 18-20 विधायक बगावत को तैयारकिरोड़ी लाल मीणा को अनुशासनहीनता का नोटिस, भजन लाल सरकार पर मंडराये संकट के बादलजयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्यामध्यप्रदेश 27% OBC आरक्षण का रास्ता साफ, एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 87:13 फॉर्मूला रद्द‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोकभारत ने इंग्लैंड को हराकर 2 विकेट से जीता रोमांचक मुकाबला, सीरीज में 2-0 की बढ़तपद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषणसंविधान बदलने की माँग करने वाले बिबेक देबरॉय को मरणोपरांत पद्म भूषण, क्रिकेटर आर अश्विन को पद्मश्रीगर्भवती पत्नी के पेट पर बैठकर घोंटा गला गर्भ से बाहर आ गया 7 महीने का भ्रूणजयपुर में बुजुर्ग महिला को बंधक बनाकर 50 लाख के गहने लूटने नौकरानी ने की साजिशजयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने 48 सीआई और 3 एसआई के किये तबादले8वें वेतन आयोग के बाद सबकी होगी बल्ले बल्ले, इतनी बढ़ेगी सबकी सैलरीभारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगेकैलिफोर्निया की आग में, लॉस एंजिलिस में कमला हैरिस का घर खाली कराया, हॉलीवुड स्टार्स के घर भी जलेतिरुपति मंदिर में भगदड़ 150 से ज्यादा भक्त घायल 4 की मौतसुशीला मीणा को RCA ने ले लिया गोद, सुशीला ने खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को किया क्लीन बोल्डनरेश मीणा के कार्यकर्ताओं के जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में मनाया जश्ननरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत मंजूरचीन में मानव मेटान्यूमो वायरस के प्रकोप से आपातकाल की स्थिति घोषितHow to extract gold from unused mobile phonesखराब मोबाइल-लैपटॉप इलेक्ट्रॉनिक आइटम के कबाड़ से निकाला 54 किलो सोनाबांदीकुई टाइगर के हमले में विनोद मीणा के दोनों पैरों में 28 टांके टखने की हड्डीशिक्षक संघों की राजस्थान सरकार से तत्काल नई ट्रांसफर पॉलिसी लाने की माँगसरिस्का के 2 टाइगर्स की दौसा जयपुर में मूवमेंट, बांदीकुई महुखुर्द गांव में 03 लोगों पर टाइगर हमलामनु भाकर सहित 4 को खेल रत्न पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया : डॉ अंबेडकर-मिशन की बुलंद आवाज का दस्तावेज
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1920 में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों की पैरवी के लिए 'मूकनायक' नामक समाचार पत्र शुरू किया। यह समाचार पत्र सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दलित सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
'मूकनायक' के शताब्दी (स्थापना वर्ष1920) वर्ष में सामाजिक समानता की लड़ाई हेतु अंबेडकर की विरासत को जारी रखने के लिए इसके डिजिटल संस्करण को 2020 में लॉन्च किया गया है।
‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है "सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !
बिरसा अंबेडकर फुले फ़ातिमा मिशन से जुड़े सिपाहियों और भीम-सैनिकों एवं पाठकों से हमारी बस इतनी-ही गुजारिश है कि हमें पढ़ें, सोशल-मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें, हो सके तो अपने जज्बातों को लिखकर हम तक पहुँचावे, हम उसे भी छापेंगे।
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What we really need is ‘corporate accountability’‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधानराहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होलीराहुल द्रविड़ पैर में इंजरी के बावजूद RR खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे, राजस्थान रॉयल्स की जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरूपाकिस्तान में हिंदू बोले “यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता”, भारतीय गोदी मीडिया की खबरें झूठीIPL2025 मैचों के लिए राजस्थान रॉयल्स की टीम जयपुर पहुँचीदुबई में फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरायाराजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरीफर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तारराजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोधराजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्कसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर 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कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | जयपुर : राजस्थान में बारिश-कोहरे के कारण के कारण जनजीवन प्रभावित हो रहा है। शुक्रवार को बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ में धुंध के कारण ट्रक-कंटेनर की भिड़ंत में दो की मौत हो गई। जबकि उदयपुर में कोहरे के कारण 4 फ्लाइट के डायवर्ट किया गया है।
राजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपट
राजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपट
झुंझुनूं-हनुमानगढ़ और चूरू में कई जगह भारी ओलावृष्टि हुई है, इससे फसलों को नुकसान की आशंका जताई जा रही है। इससे पहले गुरुवार रात से शुरू हुआ हल्की बारिश का दौर शुक्रवार दोपहर को भी जारी है।
बारिश के कारण जयपुर सहित 9 जिलों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। शीतलहर से भी ठिठुरन बढ़ी है। मौसम विभाग ने 15 जिलों में ऑरेंज, जबकि 16 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं, अगले तीन दिन घना कोहरा छाए रहने का अनुमान जताया है।
तस्वीर हनुमानगढ़ के भादरा की है। यहां शुक्रवार दोपहर भारी ओलावृष्टि हुई।
हनुमानगढ़ में इतने ओले गिरे कि खेतों में सिर्फ बर्फ ही बर्फ दिखाई दे रही थी। सड़कों पर भी बर्फ के ढेर थे।
जयपुर में दोपहर में अच्छी बारिश, उदयपुर-अजमेर में भी मावठ
प्रदेश में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से सीकर, अजमेर, जयपुर, उदयपुर, झुंझुनूं, चूरू, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और कोटपूतली-बहरोड़ में शुक्रवार सुबह बारिश हुई। जयपुर में दोपहर को घने बादल छाए, इस वजह से दिन में ही अंधेरा हो गया। यहां सुबह से शाम तक रुक-रुककर बारिश होती रही। वहीं, बीती रात पाली और जालोर में भी तेज बरसात हुई। मौसम विभाग ने शुक्रवार को राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में बारिश और कई जगह ओले गिरने की आशंका जताई है।
जयपुर में घने बादल छाने के कारण शाम साढ़े 4 बजे ही अंधेरा हो गया।
झुंझुनूं जिले के पिलानी कस्बे में शुक्रवार दोपहर को ओले गिरे।
हनुमानगढ़ में दोपहर तीन बजे काले बादलों के कारण इस तरह अंधेरा छा गया।
अजमेर में आज सुबह बारिश के बाद सड़कों पर पानी भर गया। अजमेर में बीती रात भी बरसात हुई थी।
झुंझुनूं के गांव खुड़ियां में शुक्रवार दोपहर को ओले गिरे। शेखावाटी के कई इलाकों में सुबह से बारिश भी हो रही है।
हनुमानगढ़ के भादरा में करीब 15 मिनट तक चने के आकार के ओले गिरे।
प्रदेश में मौसम से जुड़े PHOTOS…
शुक्रवार सुबह जयपुर में जल महल पर पहुंचे पर्यटक बारिश का आनंद लेते नजर आए। इन दिनों जयपुर में बड़ी संख्या में देसी-विदेशी टूरिस्टा पहुंचे हुए हैं।
जयपुर में दिन में अंधेरा होने के कारण रास्ते पर चल रही गाड़ियों को हेडलाइट जलानी पड़ी।
जयपुर के फेमस टूरिस्ट प्लेस जल महल शुक्रवार सुबह हल्की बारिश और कोहरे के बीच बेहद खूबसूरत नजर आया।
बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ में हादसे के कारण ट्रक और कंटेनर भिड़ गए। हादसे में दोनों वाहनों के परखच्चे उड़ गए। दो लोगों की मौत हो गई।
चूरू में भी शुक्रवार को 15 मिनट तक ओले गिरते रहे।
सीकर के फतेहपुर में बारिश के कारण रेलवे अंडरपास में पानी भर गया। इस कारण वाहन चालकों को आवाजाही में परेशानी हुई।
अजमेर में शुक्रवार सुबह तेज बारिश हुई। इससे तापमान में गिरावट आई है।
सीकर में गुरुवार देर रात से रुक-रुक कर हाे रही बारिश से नवलगढ़ रोड पर जलभराव हो गया।
तस्वीर सीकर के खंडेला इलाके के बावड़ी गांव की है। सीकर जिले में आज सुबह ज्यादातर इलाकों में बारिश हुई।
उदयपुर में शुक्रवार सुबह करीब 40 मिनट तक बूंदाबांदी होती रही। नीमकाथाना के अभय कॉलोनी और छावनी कॉलोनी में दोपहर को दो मकानों पर बिजली गिरी। इससे मकानों की दीवारों में दरारें आ गईं। बिजली के उपकरण जल गए।
डॉ. राजेश जाखड़ ने बताया- हम परिवार के साथ मकान में बैठे हुए थे। अचानक तेज धमाका हुआ। बाहर आकर देखा तो मकान की छत पर बिजली गिरने से दरारें आ गईं। इसके साथ ही कई बिजली के उपकरण भी जल गए। वहीं, छावनी स्थित भड़ंग का मोहल्ला निवासी सुशीला देवी के मकान में लगे बिजली मीटर पर बिजली गिरने से घर के पंखे, फ्रिज, एलसीडी और एक पानी की मोटर जल गई।
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‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 मार्च 2025 | जयपुर : सबसे बड़े भू-भाग वाला प्रदेश- राजस्थान का क्षेत्रफल 3.42 लाख वर्ग किलोमीटर है जहां 6.85 करोड़ जनसंख्या निवास करती है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का आठवां बड़ा राज्य है व भू-भाग की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य। सात संभाग, 33 जिले, 41353 ग्राम, उत्तर से दक्षिण की लंबाई 826 वर्ग किमी व पूर्व से पश्चिम चौड़ाई 869 वर्ग किमी है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
भारत के अलग अलग भागों में नए राज्यों के निर्माण की मांग उठ रही है जिनमें अरावली प्रदेश सबसे प्रबल है। राष्ट्रीय एकता व अखण्डता, सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक, कृषि, उद्योग इत्यादि की विपुल संभावनाओं के मद्देनजर अरावली प्रदेश निर्माण की दावेदारी सबसे प्रबल है। भारत का सबसे बड़ा भूभाग राजस्थान जो दुनियां के 110 देशों से भी क्षेत्रफल में बड़ा है जिसको बीचों बीच से अरावली पर्वतश्रेणी ने दो भागों में विभाजित किया है जिसका उत्तरी पश्चिमी रेगिस्तानी थार का अरावली स्थल ही अरावली प्रदेश के नाम से जाना जाता है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
विश्वनाथ सुमनकेंद की सैद्धांतिक सहमति के बाद तेलंगाना ऐसा मुद्दा बन गया है, जिसके बल पर राजनीतिक दल काफी लंबे समय तक सियासी मैदान में दौड़ लगा सकते हैं। तेलंगाना के मुद्दे ने उन राजनीतिक दलों और गुटों को दोबारा जिंदा कर दिया है, जो छोटे राज्य बनाने के हिमायती हैं और जिनकी राजनीति हाल तक उनके असर वाले इलाकों में ही धूल फांक रही थी। आंध्र के बंटवारे के साथ यूपी को तीन हिस्सों में तोड़ने, महाराष्ट्र में विदर्भ, पश्चिम बंगाल में गोरखा लैंड और असम में बोडो लैंड बनाने की आवाज भी तेज हो गई। पृथक गोरखा लैंड के मुद्दे पर केंद्र सरकार, गोरखा जन मुक्ति मोर्चा और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच त्रिपक्षीय वार्ता शुरू हो चुकी है। पर इन सबके साथ, यह बहस भी गरमा गई है कि विकास के लिए छोटे राज्यों का निर्माण होना जरूरी है या यह मसला किसी वर्ग, नस्ल या क्षेत्र विशेष के लोगों को संतुष्ट करने का आसान जरिया भर है।
आजादी के बाद रजवाड़ों के भारतीय गणराज्य में विलय के साथ नए राज्यों के गठन का आधार तैयार होने लगा था। 1953 में स्टेट ऑफ आंध्र वह पहला राज्य बना, जिसे भाषा के आधार पर मद्रास स्टेट से अलग किया गया। इसके बाद दिसंबर 1953 में पंडित नेहरू ने जस्टिस फजल अली की अध्यक्षता में पहले राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। एक नवंबर 1956 में फजल अली आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 लागू हो गया और भाषा के आधार पर देश में 14 राज्य और सात केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए। मध्य प्रांत के शहर नागपुर और हैदराबाद के मराठवाड़ा को बॉम्बे स्टेट में इसलिए शामिल किया गया, क्योंकि वहां मराठी बोलने वाले अधिक थे। इसके बाद लगातार कई राज्यों का भूगोल बदलता रहा और नए तर्कों व मानकों के आधार पर नए राज्य बनते गए। त्रिपुरा को असम से भाषा के आधार पर अलग किया गया तो मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड का गठन नस्ल के आधार पर किया गया।
सन 2000 में उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के बंटवारे के आधार भी विकास नहीं बल्कि परोक्ष रूप से नस्ल और भाषा ही बनी। आज भारत में 28 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेश हैं।नया राज्य बनाने से पहले उन राज्यों की स्थिति का जायजा लिया जाना चाहिए, जो बड़े-बड़े दावों के आधार पर बनाए गए थे। यह आकलन का विषय है कि मूल प्रदेश से अलग होने के बाद क्या उन राज्यों में क्रांतिकारी बदलाव आए? निर्माण के दशकों बाद भी पूर्वोत्तर के राज्य विकास की बाट जोह रहे हैं। मणिपुर और नगालैंड में अलगाववादियों को नियंत्रित करना सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है। आज इन राज्यों की सरकारें पांच साल पूरा कर लेती हैं, तो उसे अचीवमेंट माना जाता है।आंकड़ों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई।
बिहार में प्रति व्यक्ति आय 10,570 रुपये ही है जबकि झारखंड में यह आंकड़ा 20,177 रुपये तक पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति आय 29,000 है, जबकि मध्य प्रदेश में औसत आय 18,051 रुपये ही है। आंकड़े जो चाहे कहें, मगर इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस कागजी समृद्धि के पीछे राज्य के विकास की जगह बंटवारे के बाद जनसंख्या में आई औसत कमी का योगदान अधिक है। इन राज्यों की जमीनी हालात में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ है। इन राज्यों की सरकारों ने न तो सिस्टम में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और ऐसी योजनाएं बनाई हैं, जिनसे प्रदेश की जनता की स्थिति में सुधार हुआ हो। आज भी छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सली हमले जारी हैं। वहां के निवासियों को उन दिक्कतों से निजात नहीं मिली है, जो 2000 से पहले वहां थीं।
वहां आज भी लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क बिजली, पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। चाहे पंजाब से अलग हुआ हरियाणा हो या उत्तराखंड, ये राज्य आर्थिक मदद के लिए हमेशा दिल्ली की ओर टकटकी लगाए रखते हैं। इन सबके बीच इन प्रदेशों में लालबत्ती लगी गाड़ियों और नए सरकारी दफ्तरों की तादाद में खासा इजाफा हुआ। संसाधनों की बंदरबांट पहले की तरह जारी है, बस, बांटने वालों के चेहरे बदल गए हैं। सचाई यह है कि नए राज्यों की मांग के पीछे दिए जाने वाले ज्यादातर तर्कों का स्वरूप नकारात्मक है। मसलन, हरित प्रदेश की मांग इसलिए की जा रही है कि भारी राजस्व जुटाने के बाद भी वेस्टर्न यूपी को बुंदेलखंड और पूर्वांचल की समस्याओं का साझा बोझ उठाना पड़ रहा है। गोरखा लैंड में बसने वाले बंगाली नहीं होंगे। विदर्भ और तेलंगाना को उपेक्षित रहने का मलाल है। इन तर्कों के साथ चल रहे आंदोलनों ने वैमनस्य की स्थिति पैदा कर दी है। एक हकीकत यह भी है कि इन राज्यों में पृथक राज्य के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठनों के पास विकास के लिए स्वीकार्य रोडमैप नहीं है।
सवाल है कि क्या गोरखा लैंड चाय और पर्यटन के सहारे अपने खर्चे जुटा लेगा। महाराष्ट्र से अलग होने के बाद विदर्भ के किसानों की स्थिति सुधर जाएगी? बुंदेलखंड और पूर्वांचल का पेट कैसे भरेगा? अगर इन नए प्रदेशों को गठन कर भी दिया जाए, तो वहां विकास का खाका खींचने में ही कई दशक गुजर जाएंगे। इसलिए झारखंड, उत्तराखंड और नॉर्थ ईस्ट से सबक लेने की जरूरत है। अगर इन राज्यों में डिवेलपमेंट की सही प्लानिंग की गई होती और बंटवारे का मकसद सियासी लाभ लेना नहीं होता तो इन नए नवेले राज्यों की सूरत कुछ और होती। राज्य छोटे हों या बड़े, यदि शासन करने वालों की नीति और नीयत साफ हो तो राज्य का आकार मायने नहीं रखता। अमेरिका में 50 राज्य हैं जबकि उसकी आबादी भारत से कम है। सही गवर्नेंस के लिए वहां भी एक नए राज्य की गठन की तैयारी चल रही है, बिना शोर-शराबे के। वहां किसी राजनीतिक दल को अनशन और आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ी। वहां की पॉलिटिकल पार्टियों में इसके लिए क्रेडिट लेने मारामारी भी नहीं है। भारत में भी छोटे राज्य बनाने में कोई हर्ज नहीं, बशर्ते राज्यों का गठन विकास के लिए हो, न कि किसी जाति या और राजनीतिक गुट को खुश करने के लिए।
क्यों जरुरी है राजस्थान का “मरु और अरावली प्रदेश” में विभाजन
मरुप्रदेश के 20 जिलों में देश का 27 प्रतिशत तेल, सबसे महंगी गैस, खनिज पदार्थ, कोयला, यूरेनियम, सिलिका आदि का एकाधिकार है। एशिया का सबसे बड़ा सोलर हब और पवन चक्कियों से बिजली प्रोडक्शन यहाँ हो रहा है। गौरतलब है कि एक तरफ जहां राजस्थान में प्रति व्यक्ति तो ज्यादा है, लेकिन पश्चिम राजस्थान के जिलों में रहने वालों का एवरेज निकाला जाये तो उनकी आय काफी कम है। राजस्थान की भौगोलिक और सांस्कृतिक इकाईयों में असमानता, आर्थिक विकास और राजनैतिक विमूढ़ता का सबसे ज्यादा नुकसान इस इलाके को उठाना पड़ा है।
राजस्थान के इस 40.11% भूभाग के निवासियों के साथ विकास की प्रक्रिया में कभी न्याय नहीं हो पाया। अरावली प्रदेश मुक्ति मोर्चा के संयोजक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि देश का विकास छोटे राज्यों से ही हो सकता है। राज्य जब तक बड़े राज्य रहे हैं, तब तक विकास से महरूम रहे हैं। झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड बेहतरीन उदहारण है, क्योंकि बिहार, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में रहते हुए विकास की डगर वहां तक नहीं पहुँच पायी थी। मगर जैसे ही अलग राज्य बने तो विकास की राह में ये राज्य अपने मूल राज्यों से आगे निकल गये।
अलग अरावली प्रदेश की तार्किक माँग
अलग अरावली प्रदेश की माँग करने का तर्क है कि पूर्वी राजस्थान का ये क्षेत्र राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है। इन जिलों से अरबों रुपयों की रॉयल्टी सरकार कमा रही है, लेकिन इन जिलों में पीने का पानी, रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, स्पोर्ट्स और सैनिक स्कूल, खेतों को नहरों का पानी जैसी समस्यायों से आम जनता जूझ रही है।
इसका प्रमुख कारण भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति अलग है। इस हिस्से की जलवायु, कृषि, उद्योग और जनसंख्या का वितरण भी अलग है। यदि यह भू-भाग नए राज्य के रूप में सामने आयेगा तो इस क्षेत्र के विकास में तेजी आयेगी। “अरावली में बग़ावत” शीर्षक पुस्तक के लेखक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने लिखा है कि अरावली भू-भाग का सम्पूर्ण विकास तभी होगा जब अरावली प्रदेश अलग राज्य बनेगा। अरावली के संसाधनों की लूट रुकेगी।
प्रोफ़ेसर मीणा कहते हैं, ”आज़ादी से पहले जहां अरावली का इलाक़ा विकास की दौड़ में शामिल था। वहीं आज़ादी के बाद सभी पार्टियों की सरकारों और चतुर-चालाक मारवाड़ी व्यवसाइयों ने इसके प्रति बेरुख़ी दिखायी। जबकि प्राकृतिक संसाधनों प्रचुरता से ये एरिया ख़ूब मालामाल है। खनिज के हिसाब से देखें तो इस क्षेत्र में कोयला, जिप्सम, क्ले और मार्बल निकल रहा है। वहीं, जोधपुर जैसे शहर में पीने का पानी अरावली क्षेत्र से ट्रेन से भर-भर कर ले जाकर वहाँ के लोगों की प्यास बुझायी जाती थी। बीसलपुर बाँध का पानी पाली, अजमेर और जोधपुर के गाँवों तक पहुँचाया जा रहा है और अब जैसी ही बाड़मेर में तेल और गैस के भंडार मिले हैं, वैसे ही मरू प्रदेश की माँग जोर-शोर से उठायी जा रही है। जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्रियों और उनकी सरकारों ने अरावली भू-भाग (पूर्वी राजस्थान) से रेवेन्यू तो भरपूर लिया है, लेकिन विकास को हमेशा अनदेखा किया है।
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी का 70% हिस्सा अरावली प्रदेश से आता है और उसको 80% से भी अधिक पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में खर्च किया जाता रहा है। इसके समर्थन में आंकड़े गवाह हैं, जो बताते हैं कि कैसे जोधपुर को शिक्षा की नगरी बनाया गया। एक-आध को छोड़कर सारे-के-सारे केंद्रीय शिक्षण संस्थानों (20 से अधिक) को जोधपुर ले जाया गया। अरावली के दक्षिणी छोर से लेकर उत्तरी छोर तक 500 किलोमीटर में एक भी केंद्रीय संस्थान नहीं है। एक तरफ, नर्मदा का पानी रेगिस्तान को हरा-भरा कर रहा है और वहीं दूसरी तरफ, अरावली प्रदेश (भू-भाग) एक-एक बूँद पानी के लिए तरस रहा है।
अरावली प्रदेश के भोले-भाले लोग तो यह भी नहीं जानते कि कैसे मंडरायल (करौली) में लगने वाली सीमेंट फेक्ट्री को जैतपुर (पाली) ले जाया गया जबकि मंडरायल में सब कुछ फाइनल हो चुका था। सवाई माधोपुर सीमेंट फेक्ट्री को कैसे बंद किया गया।” जब वर्ष 2000-01 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 03 राज्य नए बनाये तो उस समय के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जी ने भी पत्र लिख कर कहा था कि पूरे राजस्थान का विकास व देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्य के दो भाग किये जाये। इसके बाद भी समय समय पर अनेको क्षेत्रीय नेताओ ने इस माँग का समर्थन किया लेकिन पार्टियों की गुलामी के चलते मुखर विरोध नहीं कर सके।
चहुँओर चमकेगी उन्नति, जब बनेगा अरावली प्रदेश
अरावली पर्वत माला भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक है, जिसकी गिनती विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में भी होती है। यह भूवैज्ञानिक दृष्टि से अरबों वर्षों पुरानी है और भारतीय उपमहाद्वीप के भूगोल और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। राजस्थान इस पर्वतमाला का मुख्य केंद्र है। अरावली यहाँ के परिदृश्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे राज्य के पश्चिमी और पूर्वी भागों को विभाजित करने वाली प्राकृतिक दीवार भी कहा जाता है। पूर्वी राजस्थान; अरावली के पूर्व में स्थित यह क्षेत्र अपेक्षाकृत उपजाऊ है और यहाँ मैदानी भाग पाये जाते हैं। पश्चिमी राजस्थान; अरावली के पश्चिम में थार मरुस्थल स्थित है, जो राज्य के लगभग 60% क्षेत्र को कवर करता है। पूर्वी राजस्थान में कृषि के लिए उपयुक्त भूमि है, जहाँ रबी और खरीफ दोनों फसलें उगाई जाती हैं। पश्चिमी राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थलीय या अर्द्धमरुस्थलीय है।
अरावली पर्वत श्रृंखला की कुल लंबाई गुजरात से दिल्ली तक 692 किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 550 किलोमीटर राजस्थान में स्थित है। अरावली पर्वत श्रृंखला का लगभग 80% विस्तार राजस्थान में 22 जिलों में पूर्ण रूप से ओर कुछ जिलों में थोड़ा सा हिस्सा फैला हुआ है। अरावली प्रदेश के 22 जिलों में जयपुर, दौसा, करौली, धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूं , चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, राजसमंद, उदयपुर, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर शामिल होंगे।
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To be or not be ‘Corporate social responsibility’ is a flawed concept. What we really need is ‘corporate accountability’
MOOKNAYAK MEDIA BUREAU | March 17, 2025 | Jaipur : In his widely read 1970 article about the role of business in society, economist Milton Friedman justified the old adage that “the business of business is business” so confidently that more than 50 years later, according to the New York Times (which published the original piece), “his theories on the primacy of shareholders and the priority of profits still hold sway over large parts of the corporate world.”
To be or not be ‘Corporate social responsibility’ is a flawed concept. What we really need is ‘corporate accountability’
To be or not be ‘Corporate social responsibility’ is a flawed concept. What we really need is ‘corporate accountability’
Friedman’s most famous line claims that in a free society, “there is one and only one social responsibility of business—to use its resources and engage in activities designed to increase its profits so long as it stays within the rules of the game.”
In a country grappling with extreme weather events, post-pandemic fallout, rising income inequality, escalating social divisions, media flooded with misinformation, and untested applications of artificial intelligence, that definition isn’t good enough.
People know that complex issues intersect and that no single approach will do. While businesses have developed corporate social responsibility (CSR) programs—efforts to positively impact society—to conform to the expanding public interest in these issues, those programs often face warranted criticism. Approaches to CSR can be sidelined into irrelevance by the same conventions that bog down corporate culture in the first place.
We see greenwashing—flashy yet hollow sustainability efforts designed to make a company look good. We see graphics about carbon-neutral goals that spell out a different story in the fine print. We recognize how the good impact of a “green” product is cancelled out by the deep carbon footprint of its manufacturing process.
Revamping CSR
Such behaviors show that although the CSR movement has been evolving for decades, it is still an extracurricular activity. In fact, in some of our largest industries, CSR programs are far outpaced by the societal harms at the core of their businesses. That’s why we must revamp the CSR concept to emphasize the necessary scope of companies’ obligations. How can this be done?
One way is to change “responsibility” to “accountability.” This would call out the flaw in Friedman’s doctrine and position the business sector as a fundamental actor in society—like the rest of our institutions and individual citizens.
Corporate accountability signals that businesses have obligations to society to which they are obligated, liable, and answerable. Accountability means living up to a business’s fundamental role as a member of society instead of as a hovering outsider cut off from the source that makes its existence possible.
The outsider status embedded in Friedman’s ideology is a convenient justification for irresponsibility and unaccountability. It is not aligned with established development models in any other sector of human life but is instead stuck at a novice stage. Just as children eventually grow out of their focused self-interest and develop a “pro-social adult sensibility,” the corporate mindset needs to move beyond Friedman’s call to “increase profits” and ignore everything else. In short, corporate accountability means challenging corporate citizens to come of age.
Companies already embracing this more highly invested approach are leading the way to a new era of corporate accountability. Along with its political activism, Ben & Jerry’s seeks to “eliminate injustices in our communities by integrating these concerns into our day-to-day business activities.” In 2022, sportswear giant Patagonia began transferring every dollar of its profit to a nonprofit the company’s founder, Yvon Chouinard, set up “to fight the environmental crisis, protect nature and biodiversity, and support thriving communities.”
These companies represent a paradigm shift from corporate responsibility to corporate accountability. A socially accountable corporate sector obligates itself to factor in all stakeholder groups, ecological concerns, and ethical considerations to its mission, which is what most of the population expects. Seventy percent of Americans believe it’s either “somewhat” or “very important” for companies to make the world a better place.
Foundational commitments, not fads
Rather than dreaming up ways to sound more sustainable than their operations actually are—or more equitable than the retainment trends of their employees of color attest—companies committed to corporate accountability will redefine their purpose to include improving society and the environment.
Measuring the impact of CSR remains tricky, and assessing the impact of corporate accountability requires another shift in our thinking. So far, companies find that investing in messaging about their CSR programs garners more consumer respect and trust and can lead to favorable ratings from investment firms. The investment world’s ranking system for a company’s environmental, social, and governance (ESG) profile became standard as CSR developed. The higher the ESG rating, the more attractive the company may be for socially conscious investors. But since the returns thus far haven’t been as stellar as hoped, ESG profiling is on the cutting block at one investment firm after another. The concept of corporate responsibility is rooted in the profit-first-regardless-of-the-consequences model, and since the returns are winding down, the CSR fad is fading.
In this time of climate crisis and complex social challenges, businesses’ role in society requires foundational commitments, not fads. These realities demand a new mindset about the role of business in society. Naming that mindset “corporate accountability” captures the required expanded nature of a company’s obligation to look at the bigger picture, ensuring every facet of its operations enriches the
of our society. This is a down-to-earth, roll-up-your-sleeves approach with the potential to influence business leaders and policy makers as powerfully as did the Friedman doctrine, but in another direction.
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