मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | मुंबई : रुपए में आज यानी शुक्रवार (27 दिसंबर) को डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट देखने को मिली। दिनभर के कारोबार के बाद ये 33 पैसा गिरकर अपने सबसे निचले स्तर 85.59 के पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान तो इसमें 55 पैसे की गिरावट रही थी। गुरुवार (26 दिसंबर) को डॉलर के मुकाबले यह 85.26 रुपए के स्तर पर बंद हुआ था।
रुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आया
इस साल किसी एक दिन में रुपए में यह सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के नतीजे के दिन यानी 4 जून को रुपया 44 पैसा गिरकर 83.50 पर आ गया था। जून को रुपया 83.06 के स्तर पर बंद हुआ था। डॉलर में मजबूती और आयातकों की महीने के अंत में डॉलर की मांग के दबाव में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन भी रुपया कमजोर होता रहा।
बाजार के घंटों के अंत में, डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे गिरकर 85.2625 पर आ गया, जबकि पिछले सत्र में यह 85.20 पर था और दिन के दौरान यह 85.2825 के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। एक व्यापारी ने कहा कि आयातक बाजार में बहुत सक्रिय थे, हालांकि साल का अंत करीब होने के कारण कारोबार की मात्रा अपेक्षाकृत कम थी।
बीते 6 महीने में यह सबसे बड़ी गिरावट
इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया 2.40 रुपए कमजोर हुआ है। 1 जनवरी 2024 को रुपया 83.20 के स्तर पर था, जो साल के अंत यानी आज 85.59 रुपए के स्तर पर आ गया है।
डॉलर में मजबूती और क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों के चलते
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह गिरावट डॉलर में मजबूती और क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों के चलते आई है। फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने भारतीय रुपया में आई गिरावट की पीछे की वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूत डिमांड और जियो- पॉलिटिकल अनिश्चितताओं की वजह से क्रूड ऑयल के दामों में बढ़ोतरी को बताया है।
दरअसल, बीते सप्ताह अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से साल 2025 में दो बार ब्याज दरों में कटौती की। इसके बाद डॉलर इंडेक्स को मजबूती मिली है, जो 0.38 प्रतिशत बढ़कर 107.75 पर पहुंच गया।
रुपए में गिरावट से इंपोर्ट करना महंगा होगा
रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 85.06 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।
करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?
डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।
अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।
यह ध्यान देने योग्य है कि रुपये का 84 से 85 पर आना दो महीनों में हुआ, जबकि 83 से 84 पर आने में करीब 14 महीने लगे। फिर भी नवंबर में 108.14 से अधिक वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) या मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद कई विदेशी मुद्राओं के सापेक्ष इसके मूल्य के संदर्भ में, यह अभी भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है क्योंकि इसकी जोड़ी मुद्राओं ने रुपये की तुलना में बहुत अधिक नुकसान उठाया है।
अक्टूबर के मध्य में 84 से नीचे गिरने के बाद से, विकास में मंदी, बड़े पैमाने पर विदेशी निकासी (एक महीने में 12 बिलियन डॉलर से अधिक), अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों और एक आक्रामक फेडरल रिजर्व के कारण रुपया धीरे-धीरे गिर रहा है। हालांकि, रिजर्व बैंक के लगातार हस्तक्षेप ने रुपये की गिरावट को नियंत्रित रखा है।
आरबीआई के अनुसार, रुपये की रक्षा के लिए अकेले अक्टूबर में इसने 47 बिलियन डॉलर से अधिक की बिक्री की है। दिसंबर के लिए आरबीआई बुलेटिन के अनुसार, रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में स्पॉट फॉरेक्स मार्केट में $9.28 बिलियन की शुद्ध बिक्री की, जबकि सितंबर में $14.58 बिलियन की शुद्ध बिक्री की तुलना में शुद्ध बकाया फॉरवर्ड बिक्री $49.18 बिलियन रही।
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केंद्रीय बैंक ने कहा कि उसने अक्टूबर के दौरान $27.5 बिलियन की खरीद की और $36.78 बिलियन की बिक्री की। इसके विपरीत केंद्रीय बैंक ने सितंबर में स्पॉट मार्केट में $9.64 बिलियन की शुद्ध खरीद की है। यह ध्यान देने योग्य है कि अक्टूबर माह रुपए के लिए सबसे अस्थिर महीना था, जिसकी शुरुआत विदेशी फंडों द्वारा घरेलू इक्विटी में बिकवाली से हुई और फिर डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने से रुपए की तकलीफ और बढ़ गई।