Trending News:‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधानवॉट्सएप चैट की प्राइवेसी ख़त्म, पर्सनल डेटा और एक्टिविटी पर सरकारी निगरानीअरावली प्रदेश की जोर पकड़ती माँग और “अरावली प्रदेश” के लाभदिल्ली हाईकोर्ट जस्टिस वर्मा के घर जलते नोटों का अनकट वीडियोकुणाल कामरा की अभिव्यक्ति की आज़ादी की जंग, ‘मन में अंधविश्वास, देश का सत्यानाश’RCA की बर्बादी के लिए कौन है जिम्मेदार, राजस्थान के क्रिकेटर्स का भविष्य चौपटTo be or not be ‘Corporate social responsibility’ is a flawed concept. What we really need is ‘corporate accountability’‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधानराहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होलीराहुल द्रविड़ पैर में इंजरी के बावजूद RR खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे, राजस्थान रॉयल्स की जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरूपाकिस्तान में हिंदू बोले “यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता”, भारतीय गोदी मीडिया की खबरें झूठीIPL2025 मैचों के लिए राजस्थान रॉयल्स की टीम जयपुर पहुँचीदुबई में फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरायाराजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरीफर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तारराजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोधराजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्कसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर 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तबादले8वें वेतन आयोग के बाद सबकी होगी बल्ले बल्ले, इतनी बढ़ेगी सबकी सैलरीभारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगेकैलिफोर्निया की आग में, लॉस एंजिलिस में कमला हैरिस का घर खाली कराया, हॉलीवुड स्टार्स के घर भी जलेतिरुपति मंदिर में भगदड़ 150 से ज्यादा भक्त घायल 4 की मौतसुशीला मीणा को RCA ने ले लिया गोद, सुशीला ने खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को किया क्लीन बोल्डनरेश मीणा के कार्यकर्ताओं के जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में मनाया जश्ननरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत मंजूरचीन में मानव मेटान्यूमो वायरस के प्रकोप से आपातकाल की स्थिति घोषितHow to extract gold from unused mobile phonesखराब मोबाइल-लैपटॉप इलेक्ट्रॉनिक आइटम के कबाड़ से निकाला 54 किलो सोनाबांदीकुई टाइगर के हमले में विनोद मीणा के दोनों पैरों में 28 टांके टखने की हड्डीशिक्षक संघों की राजस्थान सरकार से तत्काल नई ट्रांसफर पॉलिसी लाने की माँगसरिस्का के 2 टाइगर्स की दौसा जयपुर में मूवमेंट, बांदीकुई महुखुर्द गांव में 03 लोगों पर टाइगर हमलामनु भाकर सहित 4 को खेल रत्न पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया : डॉ अंबेडकर-मिशन की बुलंद आवाज का दस्तावेज
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1920 में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों की पैरवी के लिए 'मूकनायक' नामक समाचार पत्र शुरू किया। यह समाचार पत्र सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दलित सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
'मूकनायक' के शताब्दी (स्थापना वर्ष1920) वर्ष में सामाजिक समानता की लड़ाई हेतु अंबेडकर की विरासत को जारी रखने के लिए इसके डिजिटल संस्करण को 2020 में लॉन्च किया गया है।
‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है "सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !
बिरसा अंबेडकर फुले फ़ातिमा मिशन से जुड़े सिपाहियों और भीम-सैनिकों एवं पाठकों से हमारी बस इतनी-ही गुजारिश है कि हमें पढ़ें, सोशल-मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें, हो सके तो अपने जज्बातों को लिखकर हम तक पहुँचावे, हम उसे भी छापेंगे।
आपके लेख, सुझाव हमें गौरवान्वित करेंगे और हमारा मार्गदर्शक भी। मूकनायक मीडिया एक बहुजन-समर्थित प्रकाशन है। नए पोस्ट प्राप्त करने और हमारे काम का समर्थन करने के लिए, निःशुल्क या सशुल्क ग्राहक बनने पर विचार करें। आपके सुझाव, सहयोग सादर प्रार्थनीय है !
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भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी 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A wonderful tranquility has taken proprietorship of my entirety soul, like these sweet mornings of spring which I appreciate with my aggregate heart.
I am so playful, my costly companion, so ingested inside the astonishing sense of immaterial quiet nearness, that I neglect my blessings.
I am alone, and feel the charm of nearness in this spot, which was made for the euphoria of souls like mine. I am so cheerful, my expensive companion, so held inside the astonishing sense of insignificant quiet nearness, that I ignore my endowments.
I got to be unfit of drawing a single stroke at the appear miniature; and in any case I feel that I never was a more noticeable skilled worker than by and by.
When, while the dazzling valley proliferates with vapor around me, and the meridian sun strikes the upper surface of the invulnerable foliage of my trees, and but a few stray shimmers take into the internal safe house, I hurl myself down among the tall grass by the spilling stream; and, as I lie close to the soil, a thousand cloud plants are taken note by me: when I tune in the buzz of the little world among the stalks, and create commonplace with the inestimable extraordinary shapes of the frightening crawlies and flies, at that point I feel the closeness of the All-powerful, who formed us in his claim picture, and the breath of that all comprehensive cherish which bears and keeps up us, since it floats around us in an until the end of time of elation; and after, that my companion, when lack of clarity overspreads my eyes, and heaven and soil show up to stay in my soul and acclimatize its control, similar to the shape of a cherished favor lady, at that point I routinely think with longing, Goodness, would I might portray these conceptions, may rouse upon paper all that’s living so full and warm interior me, that it can be the reflect of my soul, as my soul is the reflect of the endless God!
O my companion — but it is as well much for my quality — I sink underneath the weight of the quality of these dreams! A eminent quietness has taken possession of my entire soul, like these sweet mornings of spring which I appreciate with my aggregate heart. I am alone, and feel the charm of nearness in this spot, which was made for the delight of souls like mine.
I am so cheerful, my costly companion, so retained inside the astonishing sense of basic tranquil nearness, that I ignore my capacities. I got to be unfit of drawing a single stroke at the appear miniature; and in any case I feel that I never was a more unmistakable skilled worker than directly. When, though the wonderful valley proliferates with vapor around me, and the meridian sun strikes the upper surface of the impenetrable foliage of my trees, and but numerous stray glints take into the internal refuge, I hurlmyself down among the tall grass by the gushing stream;and, as I lie close to the soil, a thousand cloud plants are taken note by me: when I tune in the buzz of the little world among the stalks, and create recognizable with the inestimable unbelievable shapes of the frightening crawlies.
At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.
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‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 मार्च 2025 | जयपुर : सबसे बड़े भू-भाग वाला प्रदेश- राजस्थान का क्षेत्रफल 3.42 लाख वर्ग किलोमीटर है जहां 6.85 करोड़ जनसंख्या निवास करती है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का आठवां बड़ा राज्य है व भू-भाग की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य। सात संभाग, 33 जिले, 41353 ग्राम, उत्तर से दक्षिण की लंबाई 826 वर्ग किमी व पूर्व से पश्चिम चौड़ाई 869 वर्ग किमी है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
भारत के अलग अलग भागों में नए राज्यों के निर्माण की मांग उठ रही है जिनमें अरावली प्रदेश सबसे प्रबल है। राष्ट्रीय एकता व अखण्डता, सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक, कृषि, उद्योग इत्यादि की विपुल संभावनाओं के मद्देनजर अरावली प्रदेश निर्माण की दावेदारी सबसे प्रबल है। भारत का सबसे बड़ा भूभाग राजस्थान जो दुनियां के 110 देशों से भी क्षेत्रफल में बड़ा है जिसको बीचों बीच से अरावली पर्वतश्रेणी ने दो भागों में विभाजित किया है जिसका उत्तरी पश्चिमी रेगिस्तानी थार का अरावली स्थल ही अरावली प्रदेश के नाम से जाना जाता है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
विश्वनाथ सुमनकेंद की सैद्धांतिक सहमति के बाद तेलंगाना ऐसा मुद्दा बन गया है, जिसके बल पर राजनीतिक दल काफी लंबे समय तक सियासी मैदान में दौड़ लगा सकते हैं। तेलंगाना के मुद्दे ने उन राजनीतिक दलों और गुटों को दोबारा जिंदा कर दिया है, जो छोटे राज्य बनाने के हिमायती हैं और जिनकी राजनीति हाल तक उनके असर वाले इलाकों में ही धूल फांक रही थी। आंध्र के बंटवारे के साथ यूपी को तीन हिस्सों में तोड़ने, महाराष्ट्र में विदर्भ, पश्चिम बंगाल में गोरखा लैंड और असम में बोडो लैंड बनाने की आवाज भी तेज हो गई। पृथक गोरखा लैंड के मुद्दे पर केंद्र सरकार, गोरखा जन मुक्ति मोर्चा और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच त्रिपक्षीय वार्ता शुरू हो चुकी है। पर इन सबके साथ, यह बहस भी गरमा गई है कि विकास के लिए छोटे राज्यों का निर्माण होना जरूरी है या यह मसला किसी वर्ग, नस्ल या क्षेत्र विशेष के लोगों को संतुष्ट करने का आसान जरिया भर है।
आजादी के बाद रजवाड़ों के भारतीय गणराज्य में विलय के साथ नए राज्यों के गठन का आधार तैयार होने लगा था। 1953 में स्टेट ऑफ आंध्र वह पहला राज्य बना, जिसे भाषा के आधार पर मद्रास स्टेट से अलग किया गया। इसके बाद दिसंबर 1953 में पंडित नेहरू ने जस्टिस फजल अली की अध्यक्षता में पहले राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। एक नवंबर 1956 में फजल अली आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 लागू हो गया और भाषा के आधार पर देश में 14 राज्य और सात केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए। मध्य प्रांत के शहर नागपुर और हैदराबाद के मराठवाड़ा को बॉम्बे स्टेट में इसलिए शामिल किया गया, क्योंकि वहां मराठी बोलने वाले अधिक थे। इसके बाद लगातार कई राज्यों का भूगोल बदलता रहा और नए तर्कों व मानकों के आधार पर नए राज्य बनते गए। त्रिपुरा को असम से भाषा के आधार पर अलग किया गया तो मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड का गठन नस्ल के आधार पर किया गया।
सन 2000 में उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के बंटवारे के आधार भी विकास नहीं बल्कि परोक्ष रूप से नस्ल और भाषा ही बनी। आज भारत में 28 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेश हैं।नया राज्य बनाने से पहले उन राज्यों की स्थिति का जायजा लिया जाना चाहिए, जो बड़े-बड़े दावों के आधार पर बनाए गए थे। यह आकलन का विषय है कि मूल प्रदेश से अलग होने के बाद क्या उन राज्यों में क्रांतिकारी बदलाव आए? निर्माण के दशकों बाद भी पूर्वोत्तर के राज्य विकास की बाट जोह रहे हैं। मणिपुर और नगालैंड में अलगाववादियों को नियंत्रित करना सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है। आज इन राज्यों की सरकारें पांच साल पूरा कर लेती हैं, तो उसे अचीवमेंट माना जाता है।आंकड़ों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई।
बिहार में प्रति व्यक्ति आय 10,570 रुपये ही है जबकि झारखंड में यह आंकड़ा 20,177 रुपये तक पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति आय 29,000 है, जबकि मध्य प्रदेश में औसत आय 18,051 रुपये ही है। आंकड़े जो चाहे कहें, मगर इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस कागजी समृद्धि के पीछे राज्य के विकास की जगह बंटवारे के बाद जनसंख्या में आई औसत कमी का योगदान अधिक है। इन राज्यों की जमीनी हालात में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ है। इन राज्यों की सरकारों ने न तो सिस्टम में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और ऐसी योजनाएं बनाई हैं, जिनसे प्रदेश की जनता की स्थिति में सुधार हुआ हो। आज भी छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सली हमले जारी हैं। वहां के निवासियों को उन दिक्कतों से निजात नहीं मिली है, जो 2000 से पहले वहां थीं।
वहां आज भी लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क बिजली, पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। चाहे पंजाब से अलग हुआ हरियाणा हो या उत्तराखंड, ये राज्य आर्थिक मदद के लिए हमेशा दिल्ली की ओर टकटकी लगाए रखते हैं। इन सबके बीच इन प्रदेशों में लालबत्ती लगी गाड़ियों और नए सरकारी दफ्तरों की तादाद में खासा इजाफा हुआ। संसाधनों की बंदरबांट पहले की तरह जारी है, बस, बांटने वालों के चेहरे बदल गए हैं। सचाई यह है कि नए राज्यों की मांग के पीछे दिए जाने वाले ज्यादातर तर्कों का स्वरूप नकारात्मक है। मसलन, हरित प्रदेश की मांग इसलिए की जा रही है कि भारी राजस्व जुटाने के बाद भी वेस्टर्न यूपी को बुंदेलखंड और पूर्वांचल की समस्याओं का साझा बोझ उठाना पड़ रहा है। गोरखा लैंड में बसने वाले बंगाली नहीं होंगे। विदर्भ और तेलंगाना को उपेक्षित रहने का मलाल है। इन तर्कों के साथ चल रहे आंदोलनों ने वैमनस्य की स्थिति पैदा कर दी है। एक हकीकत यह भी है कि इन राज्यों में पृथक राज्य के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठनों के पास विकास के लिए स्वीकार्य रोडमैप नहीं है।
सवाल है कि क्या गोरखा लैंड चाय और पर्यटन के सहारे अपने खर्चे जुटा लेगा। महाराष्ट्र से अलग होने के बाद विदर्भ के किसानों की स्थिति सुधर जाएगी? बुंदेलखंड और पूर्वांचल का पेट कैसे भरेगा? अगर इन नए प्रदेशों को गठन कर भी दिया जाए, तो वहां विकास का खाका खींचने में ही कई दशक गुजर जाएंगे। इसलिए झारखंड, उत्तराखंड और नॉर्थ ईस्ट से सबक लेने की जरूरत है। अगर इन राज्यों में डिवेलपमेंट की सही प्लानिंग की गई होती और बंटवारे का मकसद सियासी लाभ लेना नहीं होता तो इन नए नवेले राज्यों की सूरत कुछ और होती। राज्य छोटे हों या बड़े, यदि शासन करने वालों की नीति और नीयत साफ हो तो राज्य का आकार मायने नहीं रखता। अमेरिका में 50 राज्य हैं जबकि उसकी आबादी भारत से कम है। सही गवर्नेंस के लिए वहां भी एक नए राज्य की गठन की तैयारी चल रही है, बिना शोर-शराबे के। वहां किसी राजनीतिक दल को अनशन और आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ी। वहां की पॉलिटिकल पार्टियों में इसके लिए क्रेडिट लेने मारामारी भी नहीं है। भारत में भी छोटे राज्य बनाने में कोई हर्ज नहीं, बशर्ते राज्यों का गठन विकास के लिए हो, न कि किसी जाति या और राजनीतिक गुट को खुश करने के लिए।
क्यों जरुरी है राजस्थान का “मरु और अरावली प्रदेश” में विभाजन
मरुप्रदेश के 20 जिलों में देश का 27 प्रतिशत तेल, सबसे महंगी गैस, खनिज पदार्थ, कोयला, यूरेनियम, सिलिका आदि का एकाधिकार है। एशिया का सबसे बड़ा सोलर हब और पवन चक्कियों से बिजली प्रोडक्शन यहाँ हो रहा है। गौरतलब है कि एक तरफ जहां राजस्थान में प्रति व्यक्ति तो ज्यादा है, लेकिन पश्चिम राजस्थान के जिलों में रहने वालों का एवरेज निकाला जाये तो उनकी आय काफी कम है। राजस्थान की भौगोलिक और सांस्कृतिक इकाईयों में असमानता, आर्थिक विकास और राजनैतिक विमूढ़ता का सबसे ज्यादा नुकसान इस इलाके को उठाना पड़ा है।
राजस्थान के इस 40.11% भूभाग के निवासियों के साथ विकास की प्रक्रिया में कभी न्याय नहीं हो पाया। अरावली प्रदेश मुक्ति मोर्चा के संयोजक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि देश का विकास छोटे राज्यों से ही हो सकता है। राज्य जब तक बड़े राज्य रहे हैं, तब तक विकास से महरूम रहे हैं। झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड बेहतरीन उदहारण है, क्योंकि बिहार, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में रहते हुए विकास की डगर वहां तक नहीं पहुँच पायी थी। मगर जैसे ही अलग राज्य बने तो विकास की राह में ये राज्य अपने मूल राज्यों से आगे निकल गये।
अलग अरावली प्रदेश की तार्किक माँग
अलग अरावली प्रदेश की माँग करने का तर्क है कि पूर्वी राजस्थान का ये क्षेत्र राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है। इन जिलों से अरबों रुपयों की रॉयल्टी सरकार कमा रही है, लेकिन इन जिलों में पीने का पानी, रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, स्पोर्ट्स और सैनिक स्कूल, खेतों को नहरों का पानी जैसी समस्यायों से आम जनता जूझ रही है।
इसका प्रमुख कारण भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति अलग है। इस हिस्से की जलवायु, कृषि, उद्योग और जनसंख्या का वितरण भी अलग है। यदि यह भू-भाग नए राज्य के रूप में सामने आयेगा तो इस क्षेत्र के विकास में तेजी आयेगी। “अरावली में बग़ावत” शीर्षक पुस्तक के लेखक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने लिखा है कि अरावली भू-भाग का सम्पूर्ण विकास तभी होगा जब अरावली प्रदेश अलग राज्य बनेगा। अरावली के संसाधनों की लूट रुकेगी।
प्रोफ़ेसर मीणा कहते हैं, ”आज़ादी से पहले जहां अरावली का इलाक़ा विकास की दौड़ में शामिल था। वहीं आज़ादी के बाद सभी पार्टियों की सरकारों और चतुर-चालाक मारवाड़ी व्यवसाइयों ने इसके प्रति बेरुख़ी दिखायी। जबकि प्राकृतिक संसाधनों प्रचुरता से ये एरिया ख़ूब मालामाल है। खनिज के हिसाब से देखें तो इस क्षेत्र में कोयला, जिप्सम, क्ले और मार्बल निकल रहा है। वहीं, जोधपुर जैसे शहर में पीने का पानी अरावली क्षेत्र से ट्रेन से भर-भर कर ले जाकर वहाँ के लोगों की प्यास बुझायी जाती थी। बीसलपुर बाँध का पानी पाली, अजमेर और जोधपुर के गाँवों तक पहुँचाया जा रहा है और अब जैसी ही बाड़मेर में तेल और गैस के भंडार मिले हैं, वैसे ही मरू प्रदेश की माँग जोर-शोर से उठायी जा रही है। जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्रियों और उनकी सरकारों ने अरावली भू-भाग (पूर्वी राजस्थान) से रेवेन्यू तो भरपूर लिया है, लेकिन विकास को हमेशा अनदेखा किया है।
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी का 70% हिस्सा अरावली प्रदेश से आता है और उसको 80% से भी अधिक पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में खर्च किया जाता रहा है। इसके समर्थन में आंकड़े गवाह हैं, जो बताते हैं कि कैसे जोधपुर को शिक्षा की नगरी बनाया गया। एक-आध को छोड़कर सारे-के-सारे केंद्रीय शिक्षण संस्थानों (20 से अधिक) को जोधपुर ले जाया गया। अरावली के दक्षिणी छोर से लेकर उत्तरी छोर तक 500 किलोमीटर में एक भी केंद्रीय संस्थान नहीं है। एक तरफ, नर्मदा का पानी रेगिस्तान को हरा-भरा कर रहा है और वहीं दूसरी तरफ, अरावली प्रदेश (भू-भाग) एक-एक बूँद पानी के लिए तरस रहा है।
अरावली प्रदेश के भोले-भाले लोग तो यह भी नहीं जानते कि कैसे मंडरायल (करौली) में लगने वाली सीमेंट फेक्ट्री को जैतपुर (पाली) ले जाया गया जबकि मंडरायल में सब कुछ फाइनल हो चुका था। सवाई माधोपुर सीमेंट फेक्ट्री को कैसे बंद किया गया।” जब वर्ष 2000-01 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 03 राज्य नए बनाये तो उस समय के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जी ने भी पत्र लिख कर कहा था कि पूरे राजस्थान का विकास व देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्य के दो भाग किये जाये। इसके बाद भी समय समय पर अनेको क्षेत्रीय नेताओ ने इस माँग का समर्थन किया लेकिन पार्टियों की गुलामी के चलते मुखर विरोध नहीं कर सके।
चहुँओर चमकेगी उन्नति, जब बनेगा अरावली प्रदेश
अरावली पर्वत माला भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक है, जिसकी गिनती विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में भी होती है। यह भूवैज्ञानिक दृष्टि से अरबों वर्षों पुरानी है और भारतीय उपमहाद्वीप के भूगोल और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। राजस्थान इस पर्वतमाला का मुख्य केंद्र है। अरावली यहाँ के परिदृश्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे राज्य के पश्चिमी और पूर्वी भागों को विभाजित करने वाली प्राकृतिक दीवार भी कहा जाता है। पूर्वी राजस्थान; अरावली के पूर्व में स्थित यह क्षेत्र अपेक्षाकृत उपजाऊ है और यहाँ मैदानी भाग पाये जाते हैं। पश्चिमी राजस्थान; अरावली के पश्चिम में थार मरुस्थल स्थित है, जो राज्य के लगभग 60% क्षेत्र को कवर करता है। पूर्वी राजस्थान में कृषि के लिए उपयुक्त भूमि है, जहाँ रबी और खरीफ दोनों फसलें उगाई जाती हैं। पश्चिमी राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थलीय या अर्द्धमरुस्थलीय है।
अरावली पर्वत श्रृंखला की कुल लंबाई गुजरात से दिल्ली तक 692 किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 550 किलोमीटर राजस्थान में स्थित है। अरावली पर्वत श्रृंखला का लगभग 80% विस्तार राजस्थान में 22 जिलों में पूर्ण रूप से ओर कुछ जिलों में थोड़ा सा हिस्सा फैला हुआ है। अरावली प्रदेश के 22 जिलों में जयपुर, दौसा, करौली, धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूं , चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, राजसमंद, उदयपुर, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर शामिल होंगे।
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वॉट्सएप चैट की प्राइवेसी ख़त्म, पर्सनल डेटा और एक्टिविटी पर सरकारी निगरानी
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 मार्च 2025 | जयपुर : वॉट्सएप चैट और इंस्टाग्राम अकाउंट्स डिकोड करके 250 करोड़ रुपए की बेहिसाब संपत्ति पकड़ी गई। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 25 मार्च 2025 को संसद में ये बात कही। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी लेनदेन के सबूत मिलने के बावजूद इसकी जांच के लिए कोई कानून नहीं है। इसलिए हमने सोचा कि इनकम टैक्स कानून में डिजिटल शब्द जोड़ना होगा।
वॉट्सएप चैट की प्राइवेसी ख़त्म, पर्सनल डेटा और एक्टिविटी पर सरकारी निगरानी
वॉट्सएप चैट की प्राइवेसी ख़त्म, पर्सनल डेटा और एक्टिविटी पर सरकारी निगरानी
अगर आप व्हाट्सएप यूजर हैं, तो आपके पास बहुत सारे लोग हैं। इस ऐप पर हर महीने 2 बिलियन सक्रिय प्रतिभागी आते हैं, जो इसका इस्तेमाल देश-विदेश में अपने दोस्तों और परिवार के साथ संवाद करने के लिए करते हैं। आप सोचते होंगे वॉट्सएप चैट तो इंक्रिप्टेड होती है, फिर सरकार ने इसे कैसे पढ़ा, क्या इसे आधार बनाकर सरकार सभी के मैसेज पढ़ने का कानून बनाने जा रही है;
सवाल-1: वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने संसद में ऐसा क्या कहा, जिसकी चर्चा हो रही है?
जवाब: निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया कि इनकम टैक्स ऑफिसर्स ने लोगों के इंस्टाग्राम अकाउंट्स एक्सेस किए, वॉट्सएप मैसेज डिकोड किए और गूगल हिस्ट्री से उनकी लोकेशन ट्रेस की। इससे करोड़ों की बेहिसाबी संपत्ति पकड़ी गई। उन्होंने अपने भाषण में बताया…
एनक्रिप्टेड मैसेज (कोडेड मैसेज) और मोबाइल फोन्स को डिकोड करके 250 करोड़ रुपए की बेहिसाबी संपत्ति पकड़ी गई। वॉट्सएप मैसेज से 90 करोड़ के क्रिप्टो एसेट्स और उससे जुड़ा नेटवर्क सामने आया।
वॉट्सएप पर हुई बातचीत और उससे मिले आपत्तिजनक मटेरियल से 200 करोड़ रुपए के फर्जी बिल और इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों को आइडेंटिफाई करने में मदद मिली।
जमीन की बिक्री से कमाए गए 150 करोड़ रुपए फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए सिर्फ 2 करोड़ रुपए ही दिखाए गए। लोगों के फोन की गूगल हिस्ट्री से उन ठिकानों का पता लगा, जहां गैरकानूनी कैश को छिपाया गया।
बेनामी संपत्ति के मामले में इंस्टाग्राम अकाउंट्स का इस्तेमाल किया गया। इससे महंगी गाड़ियों के असली मालिकों का पता चला। हमने इंस्टाग्राम के जरिए इस केस को सॉल्व कर लिया।
सवाल-2: वॉट्सएप तो इन्क्रिप्टेड रहता है, उसे कोई तीसरा व्यक्ति नहीं पढ़ सकता, फिर सरकार ने ये डेटा कैसे निकाला?
जवाब: आमतौर पर कोई तीसरा व्यक्ति किसी के वॉट्सएप चैट या एन्क्रिप्टेड मैसेज नहीं पढ़ सकता। लेकिन सरकार को बेनामी संपत्ति, फर्जी लेनदेन या किसी और आपराधिक मामले में जांच के दौरान आरोपी के कंप्यूटर या मोबाइल जब्त कर उसकी जांच करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक-
कोई भी आरोपी जांच के दौरान अपनी प्राइवेसी के अधिकार का हवाला देकर अपना निजी डेटा देने या अपना फोन या कंप्यूटर जब्त करने से मना नहीं कर सकता। सरकार आपराधिक मामलों में मोबाइल फोन जब्त करने के बाद ही पासवर्ड लेकर सारे डिटेल निकालती है। आर्यन खान और सुशांत सिंह राजपूत जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों में भी जांच करने वाले अधिकारियों ने मोबाइल से डेटा निकाला।
वित्तमंत्री ने जो मामले बताए हैं, उनमें सरकार ने शिकायत के बाद जांच की, उसके बाद कानून से उसे जो ताकत मिली है, उसके तहत ही जब्त किए गए फोन से डिटेल निकाले गए हैं। सरकार किसी की लगातार जासूसी नहीं करती है। सरकार चाहे भी तो ऐसा नहीं कर सकती है, क्योंकि उसे इसका अधिकार नहीं है।
लोगों के फोन से एन्क्रिप्टेड मैसेज और डेटा निकालना और सर्विलांस के जरिए डेटा हासिल करना दो अलग बातें हैं। जांच एजेंसियों को किसी आरोपी के डिजिटल सर्विलांस का अधिकार है।
एजेंसियां उन्हें कानून से मिले डिजिटल सर्विलांस के अधिकार के तहत ही डेटा निकालती हैं, लेकिन पेगासस जैसे किसी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से या किसी के फोन या उसके डिजिटल उपकरणों की जासूसी करके उसका निजी डेटा निकालना गैर-कानूनी है।
बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान ने अवैध ड्रग्स रखने के आरोप में जांच के दौरान अपने फोन का पासवर्ड देने से मना कर दिया था, तब उनकी फेस आईडी से उनका फोन खोला गया। हालांकि मई 2022 में उन्हें मामले में क्लीनचिट दे दी गई थी।
सवाल-3: ऐसे कौन-से कानून हैं, जिसके तहत सरकार को आरोपी का पर्सनल डेटा निकालने का अधिकार मिलता है?
जवाब: सरकार को फिलहाल 3 प्रमुख नियम-कानूनों के तहत यह अधिकार मिले हुए हैं-
इनकम टैक्स एक्ट 1961
इस कानून की धारा-132 के तहत ऑफिसर्स को टैक्स की चोरी और संपत्ति छिपाने के मामलों में लॉकर तोड़ने, सामान जब्त करने और फाइलों की जांच करने के अधिकार हैं। अगर जांच करने वाले ऑफिसर के पास किसी आरोपी के एक्सेस कोड (पासवर्ड वगैरह) नहीं हैं और वह व्यक्ति जांच में सहयोग नहीं कर रहा है तो, ऑफिसर उसके कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंच सकते हैं।
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000
इस कानून में फाइल्स के अलावा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स का भी जिक्र है। टैक्स चोरी के मामलों में मोबाइल वगैरह जब्त करने के बाद पूछताछ होती है। जब्त मोबाइल से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वॉट्सएप की बातचीत और गूगल सर्च हिस्ट्री हासिल कर लेता है। आयकर विभाग, टेलीकॉम कंपनियों से लोगों की बातचीत यानी सीडीआर का विवरण भी हासिल कर सकता है।
दिसंबर 2018 का गृह मंत्रालय का आदेश
विराग बताते हैं कि दिसंबर 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करके 10 सरकारी जांच एजेंसियों- ईडी, एनआईए, इंटेलिजेंस ब्यूरो, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सीबीआई, डीआरआई, रॉ, दिल्ली पुलिस और आयकर विभाग को डिजिटल सर्विलांस करने का भी अधिकार दिया था। इसके दायरे में इंटरनेट, ऑनलाइन और डिजिटल उपकरण भी आते हैं। हालांकि इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
सवाल-4: जब सरकार को पहले से पर्सनल डेटा निकालने का अधिकार है, फिर इनकम टैक्स एक्ट में नए प्रावधान क्यों जोड़े जा रहे हैं?
जवाब: निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘इनकम टैक्स एक्ट में फिजिकली मौजूद बही-खाते, कमाई, खर्चे और लेनदेन के मैन्युअल रिकॉर्ड की बात की गई है, लेकिन डिजिटल की बात नहीं की गई है।
इसलिए अक्सर इस कानून पर विवाद होता है और प्राइवेसी का मुद्दा उठता है। लोग कोर्ट जाकर कहते हैं कि मेरे बही-खाते मैंने दिखा दिए हैं, फिर मेरा डिजिटल डेटा देखने के लिए मेरा पासवर्ड क्यों मांगा जा रहा है। ये एक बड़ा मुद्दा है।’
विराग गुप्ता भी कहते हैं, इनकम टैक्स एक्ट 1961 में इस कानून में स्पष्ट तौर पर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और कंप्यूटर जैसे टूल्स का जिक्र नहीं है। इसीलिए इनकम टैक्स ऑफिसर जांच के दौरान मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्ड-डिस्क और ईमेल में एक्सेस की मांग करते हैं।’
विराग के मुताबिक, क्रिप्टो का कारोबार बढ़ रहा है, लोग फोन और कंप्यूटर में इसके रिकॉर्ड्स रखते हैं। कानून के पालन, टैक्स चोरी पर लगाम और अपराधों को रोकने के लिए डिजिटल मामलों को लेकर स्पष्ट कानून बनाए जाने की जरूरत है।
क्रिप्टोकरेंसी, रुपए या किसी दूसरी ऑफिशियल करेंसी की तरह बैंक में जमा नहीं की जा सकतीं। कहा जा रहा है कि नए इनकम टैक्स कानून में क्रिप्टो एसेट्स को अनडिस्क्लोज्ड यानी बेहिसाबी संपत्ति माना जाएगा।
वित्त मंत्री ने अपने भाषण के दौरान करीब 5 मिनट में 5 बार कहा कि सरकार अब इनकम टैक्स एक्ट 2025 में कुछ सख्त नियम जोड़ने जा रही है, एक्ट को संसद की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है। बिल में डिजिटल एलिमेंट जोड़ा जाएगा, जिससे किसी की डिजिटल जानकारी को हासिल करना कानूनी हो जाएगा।
सवाल-5: इनकम टैक्स बिल में डिजिटल निगरानी से जुड़े नए प्रावधान क्या हैं?
जवाब: नए इनकम बिल यानी इनकम टैक्स बिल 2025 के आर्टिकल-247 में टैक्स चोरी के मामलों में वर्चुअल डिजिटल स्पेस और कम्प्यूटर की जांच के अधिकार दिए गए हैं। आर्टिकल के अनुसार एक्ट के दायरे में लोगों के ई-मेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट, ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट, ट्रेडिंग अकउंट, क्लाउड सर्वर, प्रॉपर्टीज को स्टोर करने वाली वेबसाइट और डिजिटल एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म वगैरह शामिल हैं। नए कानून में स्पष्टता आने से सरकार को जांच में कोई कानूनी अड़चन नहीं आएगी।
इनकम टैक्स बिल 2025 अभी संसद की सेलेक्ट कमेटी के पास विचाराधीन है। इसमें कई संशोधन हो सकते हैं, उसके बाद बिल संसद के दोनों सदनों से पारित होगा।
वित्त मंत्री ने कहा है कि संसद के मानसून सत्र यानी जुलाई से अगस्त के दौरान इसे संसद में पेश किया जाएगा। बिल संसद से पारित होने के बाद जब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाएगी तो नोटिफिकेशन जारी करके नए कानून लागू किया जाएगा।
सवाल-6: क्या सरकार के डिजिटल सर्विलांस के प्रावधान लोगों की राइट टू प्राइवेसी के खिलाफ है?
जवाबःइनकम टैक्स एक्ट के नए प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आशीष कुमार पांडेेय 4 प्रमुख चिंताएं बताते हैं-
पर्सनल डेटा और एक्टिविटी पर सरकारी निगरानी
नए कानून से सक्षम इनकम टैक्स ऑफिसर्स को बिना वारंट या बिना कोई जानकारी दिए लोगों के वर्चुअल डिजिटल स्पेस यानी ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट्स, बैंक खातों, और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक एक्सेस का हक मिल सकता है।
राइट टु प्राइवेसी पर खतरा
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में जस्टिस के.एस. पुट्टस्वामी मामले में, प्राइवेसी को मौलिक अधिकार के बतौर मान्यता दी थी। इसे संविधान के आर्टिकल-21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा माना गया। सरकार को लोगों के फाइनेंशियल डिटेल्स को एक्सेस करने का हक है, लेकिन आम लोगों में डर है कि उनकी पर्सनल एक्टिविटी और बातचीत भी निगरानी में आई तो यह उनके राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन होगा।
मान लीजिए आपने एक विदेश यात्रा पर खूब पैसा खर्च किया है, और इसकी फोटो फेसबुक पर डाली हैं तो, सरकार उस खर्चे का हिसाब तो लगा सकती है, लेकिन अगर आपकी पर्सनल फोटोज भी उसकी निगरानी में हैं तो ये राइट टू प्राइवेसी के खिलाफ होगा।
राजनीतिक हित के लिए कानून के दुरुपयोग का खतरा
इस कानून का इस्तेमाल केवल टैक्स चोरी रोकने तक सीमित न होकर व्यक्तिगत या राजनीतिक हितों के लिए भी हो सकता है। खास तौर पर सरकार का विरोध करने वालों या विपक्ष के नेताओं के खिलाफ इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
सामान्य नागरिकों पर कार्रवाई का डर
शक के आधार पर किसी को भी इस निगरानी का शिकार बनाया सकता है। सोशल मीडिया पोस्ट या ऑनलाइन शॉपिंग भी निगरानी के दायरे में आ सकती है। आजकल लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बहुत समय बिताते हैं, ऐसे में एक सर्विलांस स्टेट जैसी स्थिति बन सकती है।
विराग गुप्ता कहते हैं कि नए नियमों का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए एक्सपर्ट कानून में ही कुछ और प्रावधान करने की भी मांग कर रहे हैं। कानून का दुरुपयोग न हो इसके लिए दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ पेनाल्टी और सजा का भी प्रावधान होना चाहिए।
(दैनिक भास्कर रिपोर्ट से संपादित)
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