माइक्रोसॉफ्ट सर्वर डाउन फ्लाइट्स ATM बैंक स्टॉक मार्केट पर असर

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 19 जुलाई 2024 | जयपुर : माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में शुक्रवार को तकनीकी खराबी आ गई। इसकी वजह से दुनियाभर में एयरलाइंस, टीवी टेलिकास्ट, बैंकिंग और कई कार्पोरेट कंपनियों के कामकाज पर असर पड़ा है। भारत समेत दुनियाभर में एयरपोर्ट पर चेक इन और टिकट बुकिंग में दिक्कत आ रही है इससे फ्लाइट्स या तो लेट हैं या कैंसिल की जा रही हैं।

माइक्रोसॉफ्ट सर्वर डाउन फ्लाइट्स ATM बैंक स्टॉक मार्केट पर असर

भारत में, 5 एयरलाइन- इंडिगो, स्पाइसजेट, अकासा एयर, विस्तारा और एयर इंडिया एक्सप्रेस ने बताया कि उनकी बुकिंग, चेक-इन और फ्लाइट अपडेट सर्विस इस तकनीकी समस्या से प्रभावित हुई है। एयरपोर्ट पर लोग सर्विसेज नहीं मिलने से परेशान हो रहे हैं।

माइक्रोसॉफ्ट सर्वर डाउन

हैदराबाद और बेंगलुरु में ज्यादातर कॉर्पोरेट कंपनीज में वायरस अटैक की बात कही जा रही है। सिस्टम ब्लू स्क्रीन में आने के बाद रीस्टार्ट हो रहे हैं। हैदराबाद में कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को अगले 2 घंटे तक सिस्टम ऑफ करने को कहा है।

ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ (BSOD) एक क्रिटिकल एरर स्क्रीन है जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर दिखाई देती है।

क्राउडस्ट्राइक के अपडेट के कारण माइक्रोसॉफ्ट की सर्विस ठप हुई

दुनिया भर में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज के कुछ यूजर्स को अपने लैपटॉप पर नीली स्क्रीन दिखाई दे रही है। इससे उनके सिस्टम ऑटोमैटिकली रीस्टार्ट या शटडाउन हो गए हैं। डेल टेक्नोलॉजीज ने कहा कि यह समस्या हालिया क्राउडस्ट्राइक अपडेट के कारण हुई है। CrowdSrike एक साइबर सिक्योरिटी प्लेटफ़ॉर्म है जो यूजर्स को सिक्योरिटी सॉल्यूशन देता है।

क्राउडस्ट्राइक के अपडेट के कारण ही माइक्रोसॉफ्ट के एज्योर क्लाउड और माइक्रोसॉफ्ट 365 सर्विसेज में परेशानी आई है। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा, “हमें समस्या की जानकारी है और हमने कई टीमों को इसे सुलझाने में लगाया है। हमने इसके कारण का पता लगा लिया है।” इससे वहीं यूजर प्रभावित हुए हैं जो माइक्रोसॉफ्ट एज्योर का इस्तेमाल करते हैं।

क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है माइक्रोसॉफ्ट ऐज्योर

माइक्रोसॉफ्ट ऐज्योर क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है। ये एप्लिकेशन और सर्विसेज को बनाने, डिप्लॉय और मैनेज करने का काम करता है। वहीं माइक्रोसॉफ्ट 365 प्रोडक्टिविटी सॉफ्टवेयर है, जिसमें वर्ड, एक्सेल, पावरपॉइंट, आउटलुक और वन नोट जैसे लोकप्रिय एप्लिकेशन शामिल हैं।

स्थिति यह है कि इंडिगो, अकासा एयरलाइंस और स्पाइसजेट समेत कई एयरलाइंस को विमान उतारने पड़े और उड़ान संचालन में परेशानी हुई। भारत की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो ने कहा कि नेटवर्क के सभी सिस्टम Azure के साथ चल रही समस्या से प्रभावित हैं। दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर चेक-इन समेत कई ऑनलाइन सेवाएं काम नहीं कर रही हैं।

माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में शुक्रवार को गड़बड़ी आने से दुनियाभर में इसका असर पड़ा है। सबसे ज्यादा असर एयरपोर्ट और बैंकों में दिखाई दे रहा है। दुनिया के कई बैंकों में लंबी लाइन लग गई है। सर्वर डाउन होने में एयरपोर्ट से विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं।

सिस्टम क्रैश होने पर आती है ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ

ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ (BSOD) एक क्रिटिकल एरर स्क्रीन है जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर दिखाई देती है। ऐसा तब होता है जब सिस्टम किसी गंभीर समस्या के कारण क्रैश हो जाता है जो इसे सुरक्षित रूप से काम करने से रोकता है। जब यह एरर होता है, तो कंप्यूटर ऑटोमेटिकली रिस्टार्ट हो जाता है, और जो डेटा सेव नहीं किया गया है उसके खो जाने की संभावना होती है।

माइक्रोसॉफ्ट के संपर्क में भारत सरकार

रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने X पर लिखा- मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ग्लोबल आउटेज के संबंध में माइक्रोसॉफ्ट और उसके सहयोगियों के संपर्क में है। इस आउटेज का कारण पता लगा लिया गया है और समस्या के समाधान के लिए अपडेट जारी कर दिए गए हैं। CERT एक टेक्निकल एडवाइजरी जारी कर रहा है। नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर का नेटवर्क प्रभावित नहीं है।

बुकिंग, चेक-इन सहित अन्य ऑनलाइन सर्विसेज प्रभावित

  • अकासा एयरलाइंस ने बताया कि उसकी कुछ ऑनलाइन सर्विसेज मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट पर अस्थायी रूप से अनुपलब्ध रहेंगी। बुकिंग, चेक-इन सर्विसेज सहित हमारी कुछ ऑनलाइन सेवाएं अस्थायी रूप से अनुपलब्ध रहेंगी।
  • स्पाइसजेट ने कहा- हम वर्तमान में उड़ान व्यवधानों पर अपडेट देने में तकनीकी समस्या का सामना कर रहे हैं। हमारी टीम इसे सुलझाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। किसी भी असुविधा के लिए खेद है और समस्या का समाधान हो जाने पर हम आपको सूचित करेंगे।
  • अमेरिका की अल्ट्रा लो-कॉस्ट एयरलाइंस फ्रंटियर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा- हमारे सिस्टम वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट आउटेज से प्रभावित हैं, जिसका प्रभाव अन्य कंपनियों पर भी पड़ रहा है। इस दौरान बुकिंग, चेक-इन, आपके बोर्डिंग पास तक पहुंच और कुछ उड़ानें प्रभावित हो सकती हैं। हम आपके धैर्य की सराहना करते हैं।
  • एयर इंडिया एक्सप्रेस ने कहा- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर इश्यू को कारण ग्लोबल लेवल पर कई एयरलाइन और एयरपोर्ट प्रभावित हुए है। हमें असुविधा के लिए खेद है और इस दौरान आपके धैर्य और समझ की सराहना करते हैं।

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MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

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गलत UPI ID पर पैसे ट्रांसफर हो जायें तो वापसी के लिए क्या करें

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 25 अगस्त 2024 | जयपुर : डिजिटलाइजेशन के इस दौर में पेमेंट करना और फंड ट्रांसफर करना पहले से कहीं ज्यादा सुविधाजनक और आसान हो गया है। डिजिटल ट्रांजैक्शन की दुनिया में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) एक गेम चेंजर बनकर आया है।

गलत UPI ID पर पैसे ट्रांसफर हो जायें तो वापसी के लिए क्या करें 

भारत में जून, 2024 में UPI के जरिए 1,388 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए। इस दौरान कुल 2,007 लाख करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर की गई। ट्रांजैक्शन की संख्या में सालाना आधार पर 49% की बढ़ोतरी हुई है।

डिजिटल पेमेंट ( Digital Payment) के बढ़ते क्रेज के साथ कई बार गलतियां भी हो जाती है। कई बार नंबर डालने में हुई गलती के कारण गलत अकाउंट में पैसा चला जाता है या फिर जल्दीबाजी में गलत कोड स्कैन कर लेते हैं और गलती से पैसा किसी और के अकाउंट में चला जाता है।

यूपीआई ( UPI) के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त अगर गलती से आपका पेमेंट किसी और अकाउंट में चला जाए तो आपके पास मौका होता है उसे वापस पाने का, लेकिन जानकारी के अभाव में हम ऐसा करने से चूक जाते हैं। आइए हम आपको आज उस प्रोसेस के बारे में बताते हैं, जिसकी मदद से आप गलत अकाउंट में गए अपने पैसे का वापस पा सकते हैं।

गलत UPI ID पर पैसे ट्रांसफर हो जायें तो वापसी के लिए क्या करें

यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों में डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ा है। अब QR कोड स्कैन कर महज कुछ सेकेंड में पैसों का लेन-देन हो जाता है। UPI ने न सिर्फ डिजिटल पेमेंट करने की सुविधा दी है, बल्कि नकदी की जरूरत को भी लगभग खत्म कर दिया है।

हालांकि, कई बार लोग जल्दबाजी या लापरवाही की वजह से गलत UPI ID पर पैसे ट्रांसफर कर बैठते हैं, जिसके बाद पैसे वापस पाने के लिए परेशान होने लगते हैं।

इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि गलत UPI ID में पैसे ट्रांसफर हो जाएं तो क्या करें। साथ ही जानेंगे कि-

  • किन वजहों से गलत UPI ID में पैसे ट्रांसफर होते हैं?
  • गलत पैसे ट्रांसफर होने पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

भारत में UPI जैसे सिस्टम को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ऑपरेट करती है।  गलत UPI ID में पैसे ट्रांसफर होने पर घबराने की नहीं, बल्कि समझदारी दिखाने की जरूरत है। इसके लिए कुछ आसान टिप्स अपना सकते हैं, जिससे आप गलत तरीके से ट्रांसफर हुए पैसे वापस आपके अकाउंट में आ जाएंगे।

सवाल- गलत UPI ID पर पैसे ट्रांसफर की क्या वजह हो सकती है?

जवाब- गलत UPI ID पर पैसे भेजने के लिए जल्दबाजी और लापरवाही एक बड़ी वजह है। लोग अक्सर जल्दबाजी में बिना जांचे UPI ID डालते हैं। जिसके कारण इस तरह की गलतियां कर बैठते हैं।

आइए, ग्राफिक में दिए इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।

  • टाइपिंग की गलती या रिसीवर की गलतफहमी के कारण कई बार अनजाने में गलत UPI ID दर्ज कर सकते हैं।
  • UPI ID नाम या शब्दों पर आधारित होती है। ऐसे में कई बार गलती से ऐसी ID चुन सकते हैं, जो काफी मिलती-जुलती हो।
  • अगर आप डिजिटल पेमेंट के लिए QR कोड स्कैन करते हैं तो कई बार एक जगह पर लगे मल्टीपल QR से भ्रमित हो सकते हैं और गलत QR कोड में पैसे ट्रांसफर हो सकते हैं।
  • कई बार स्कैमर्स भी स्कैम के लिए जानबूझकर गलत UPI ID दे सकते हैं, जिस पर आप पेमेंट ट्रांसफर कर पैसे गवां सकते हैं।
  • UPI ऐप या सर्वर में टेक्निकल दिक्कत भी आती है, जिससे पेमेंट गलत UPI ID पर ट्रांसफर हो सकता है।

सवाल- गलत UPI ID पर पैसे ट्रांसफर हो जाएं तो क्या करना चाहिए?

जवाब- अगर आप गलती से किसी UPI ID पर पैसे भेज देते हैं तो घबराएं नहीं। पैसे को दोबारा प्राप्त करने के लिए सबसे पहले उस व्यक्ति से संपर्क करें, जिसके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हुए हैं। उससे पैसे वापस करने का आग्रह करें। अगर वह पैसे वापस नहीं करता है तो जिस UPI ऐप (गूगल पे, फोन पे, पेटीएम) से ट्रांसफर हुआ है, उसके कस्टमर केयर नंबर पर तुरंत संपर्क करें।

इसके अलावा NPCI के पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। या फिर अपने बैंक से भी मदद मांग सकते हैं। इसके लिए तुरंत सभी आवश्यक साक्ष्य बैंक को देने होंगे। इससे आप अपना पैसा आसानी से वापस पा सकते हैं।

आइए, इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।

  • सबसे पहले 18001201740 पर शिकायत दर्ज कराएं। इसके बाद अपने बैंक में जाकर एक एप्लिकेशन लिखें, जिसमें सभी आवश्यक जानकारी भरें। उन्हें सभी आवश्यक डिटेल्स और डॉक्यूमेंट्स दें।
  • इस वेबसाइट https://rbi.org.in/Scripts/Complaints.aspx पर जाकर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  • गलत लेन-देन की रिपोर्ट अपने UPI ऐप की कस्टमर हेल्प टीम को करें। उन्हें लेन-देन की सभी उचित जानकारी और सबूत दें। इससे रिफंड प्रक्रिया शुरू होने में आपको सहायता मिलेगी।
  • अगर आप अपने बैंक या UPI ऐप की कस्टमर सर्विस के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप इस मुद्दे को बैंकिंग लोकपाल के पास भेज सकते हैं। वे विवाद को सुलझाने के लिए आपके और संबंधित पक्षों के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं।
  • इसके अलावा ऐप के कस्टमर हेल्प के द्वारा समस्या का समाधान न होने पर आप NPCI के पोर्टल पर शिकायत कर सकते हैं। उन्हें लेन-देन की डिटेल्स और सबूत उपलब्ध कराएं और वे मामले की आगे की जांच करेंगे।

सवाल- NPCI पोर्टल पर शिकायत करने के लिए क्या प्रोसेस है?

जवाब- अगर कस्टमर केयर सर्विस से कोई मदद नहीं मिल रही है तो आप NPCI पोर्टल पर शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए नीचे दिए इन स्टेप्स को फॉलो करें।

  • सबसे पहले NPCI की आधिकारिक वेबसाइट https://www.npci.org.in/ पर जाएं।
  • इसके बाद Get in touch के ऑप्शन पर जाकर क्लिक करें।
  • इसके बाद नाम, ईमेल ID जैसी सभी जरूरी जानकारी भरें।
  • इसे सबमिट करने के बाद आगे बढ़ने पर Dispute Redressal Mechanism को सेलेक्ट करें।
  • कंप्लेंट सेक्शन के तहत ट्रांजैक्शन डिटेल्स डालें, जिसमें UPI ट्रांजैक्शन, वर्चुअल पेमेंट एड्रेस, अमाउंट ट्रांसफर्ड, डेट ऑफ ट्रांजैक्शन, ईमेल ID और मोबाइल नंबर शामिल होगा।
  • इसके अलावा कारण पूछे जाने पर “Incorrectly transferred to another account” (भूल से गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर) के विकल्प को सेलेक्ट करें। इसके बाद इसे सबमिट कर दें।

सवाल- गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होने पर किन बातों का ध्यान रखें?

जवाब- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI की नई गाइडलाइन के मुताबिक अगर गलती से किसी अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं तो 48 घंटे के भीतर रुपए रिफंड हो सकते हैं। इसके लिए नेट बैंकिंग और UPI से पेमेंट करने के बाद फोन पर प्राप्त मैसेज को संभालकर रखें। उसे डिलीट न करें।

दरअसल इस मैसेज में PPBL नंबर होता है, जो रुपए रिफंड लेने के लिए जरूरी मदद कर सकता है। आप गलत लेन-देन से संबंधित स्क्रीनशॉट लेकर गूगल पे, फोन पे, पेटीएम या UPI ऐप के कस्टमर केयर सपोर्ट में फोन कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अगर प्राप्तकर्ता और भुगतानकर्ता बैंक एक ही हैं तो रिफंड में कम समय लगेगा। लेकिन अगर दोनों के अकाउंट दो अलग-अलग बैंकों में हैं तो पैसे रिफंड में अधिक समय लगेगा।

सवाल- क्या गलत ट्रांजैक्शन होने पर शिकायत करने की कोई समय सीमा है?

जवाब- अगर ट्रांजैक्शन गलत हो गया है तो तुरंत शिकायत करनी चाहिए। ट्रांजैक्शन के 48 घंटे के भीतर शिकायत करना जरूरी है।

इसके बाद शिकायत करने पर पैसा वापस आने की कोई गारंटी नहीं होती है। अगर बैंक रिवर्सल की सुविधा नहीं देता है तो आपको डिजिटल लेन-देन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की लोकपाल योजना, 2019 के विनियमन 8 के तहत लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।

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कोई भी डिजिटल पेमेंट करने से पहले हमेशा उसकी अच्छे से जांच करें।प्राप्तकर्ता के संपर्क नंबर में एक भी गलत अंक दर्ज करने से राशि गलत व्यक्ति को ट्रांसफर हो सकती है। इसलिए किसी को भी ऑनलाइन पेमेंट करने से पहले सभी आवश्यक डिटेल्स की जांच करें।

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अनिल अंबानी शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन, 25 करोड़ रुपए का जुर्माना

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 23 अगस्त 2024 | मुंबई : भारी कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अनिल अंबानी तथा रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य को कंपनी से पैसे के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

अनिल अंबानी शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन, 25 करोड़ रुपए का जुर्माना

सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है और उन्हें पांच साल की अवधि के लिए प्रतिभूति बाजार से जुड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस दौरान वह किसी भी लिस्टेड कंपनी या सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडिएटरी में डायरेक्टर या केएमपी (Key Managerial Personnel) के रूप में शामिल नहीं हो सकते हैं।

अनिल अंबानी शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन, 25 करोड़ रुपए का जुर्माना

इसके अलावा सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस को प्रतिभूति बाजार से छह महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया और उस पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस खबर के बाद अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट दिख रही है। ग्रुप के शेयरों में 14 फीसदी तक गिरावट आई है।

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फंड की हेराफेरी के मामले में इंडस्ट्रियलिस्ट अनिल अंबानी को शेयर बाजार से 5 साल के लिए बैन कर दिया है। अंबानी पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। उनके किसी भी लिस्टेड कंपनी में डायरेक्टर रहने पर भी पाबंदी लगी है।

उनके अलावा रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य एंटीटीज को बैन किया गया है और अलग-अलग जुर्माना लगाया गया है। वहीं रिलायंस होम फाइनेंस को 6 महीने के लिए बैन किया है और 6 लाख रुपए का जुर्माना लगा है।

SEBI की ओर से जारी 222 पेज के फाइनल ऑर्डर के मुताबिक, जांच में पता चला कि RHFL के अधिकारियों की सहायता से अनिल अंबानी ने पैसों की हेराफेरी की। उन्होंने फंड का खुद इस्तेमाल किया, लेकिन दिखाया की ये फंड लोन के तौर पर दिया गया है।

SEBI के आदेश से जुड़ी 4 बड़ी बातें…

  • बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इस तरह के लोन को बंद करने और कॉर्पोरेट लोन्स की नियमित समीक्षा के निर्देश दिए थे, लेकिन कंपनी के प्रबंधन ने इन आदेशों को नजरअंदाज किया।
  • सेबी ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए, RHFL को धोखाधड़ी में शामिल व्यक्तियों के बराबर जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। वहीं अन्य एंटीटीज ने फंड डायवर्जन में मदद की।
  • अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपए, अमित बापना पर 27 करोड़ रुपए, रवींद्र सुधालकर पर 26 करोड़ रुपए, और पिंकेश आर शाह पर 21 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
  • रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज, रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट, सहित अन्य कंपनियों पर फंड की हेराफेरी में शामिल होने के कारण 25-25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

रिलायंस इंफ्रा का शेयर करीब 14% टूटा, पावर में 5% की गिरावट

सेबी के बैन के बाद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस पावर में गिरावट है। रिलायंस इंफ्रा सबसे ज्यादा करीब 14%, रिलायंस होम फाइनेंस 5.12% और रिलायंस पावर 5.01% गिर गया है।

1983 में रिलायंस से जुड़े थे अनिल, बंटवारे के बाद डुबो दिया बिजनेस

  • मुकेश अंबानी 1981 और अनिल अंबानी 1983 में रिलायंस से जुड़े थे। जुलाई 2002 में धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया। वो वसीयत लिख कर नहीं गए थे। मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और अनिल अंबानी मैनेजिंग डायरेक्टर बने।
  • नवंबर 2004 में पहली बार दोनों भाई मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी का झगड़ा सामने आया था। परिवार में चल रहे इस विवाद से धीरूभाई अंबानी की पत्नी कोकिलाबेन परेशान थीं, जिसके बाद बिजनेस का बंटवारा किया गया था।
  • ये बंटवारा जून 2005 में हुआ था, लेकिन किस भाई को कौन सी कंपनी मिलेगी इसका फैसला 2006 तक चला। इस बंटवारे में ICICI बैंक के तत्कालीन चेयरमैन वीके कामत को भी हस्‍तक्षेप करना पड़ा था।
  • बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी के हिस्से में पैट्रोकैमिकल्स के कारोबार, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोल कैमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आईं।
  • छोटे भाई अनिल के पास आरकॉम, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज जैसी कंपनियां थीं। तब से मुकेश अंबानी नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, लेकिन अनिल की गलतियों ने उनके बिजनेस को डुबो दिया।

कैसे रची साजिश

इन परिस्थितियों को देखते हुए कंपनी को धोखाधड़ी में शामिल लोगों के समान जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। नियामक ने कहा कि इसके अलावा, शेष संस्थाओं ने या तो अवैध रूप से हासिल ऋणों के प्राप्तकर्ता होने की भूमिका या आरएचएफएल से धन को अवैध रूप से कहीं ओर पहुंचाने की प्रक्रिया को अंजाम देने में भूमिका निभाई है।

सेबी ने कहा कि उसके निष्कर्षों के अनुसार धोखाधड़ी की एक साजिश नोटिसी संख्या 2 (अनिल अंबानी) ने रची और आरएचएफएल के केएमपी ने इसे अंजाम दिया। इस साजिश के जरिए लिस्टेड कंपनी से धन की हेराफेरी की गई और उन अयोग्य उधारकर्ताओं को ऋण के रूप में दिया गया जो नोटिसी संख्या 2 (अनिल अंबानी) से संबद्ध संस्थाओं के प्रवर्तक पाए गए।

अंबानी ने धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के चेयरमैन के तौर पर अपने पद और आरएचएफएल की नियंत्रक (होल्डिंग) कंपनी में अपनी महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष शेयरधारिता का इस्तेमाल किया।

सेबी ने गुरुवार को अपने आदेश में कंपनी के प्रबंधन तथा प्रवर्तक के लापरवाह रवैये का जिक्र किया, जिसके तहत उन्होंने ऐसी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जिनके पास न तो परिसंपत्तियां थीं, न ही नकदी प्रवाह, ‘नेटवर्थ’ या राजस्व था।

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आदेश के अनुसार, इससे पता चलता है कि ‘कर्ज’ के पीछे कोई खतरनाक मकसद छिपा था। सेबी ने कहा कि स्थिति तब और भी संदिग्ध हो गई जब हम इस बात पर गौर करते हैं कि इनमें से कई कर्जदार आरएचएफएल के प्रवर्तकों से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं।

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