शब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणाली

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 28 नवंबर 2024 | दिल्ली : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) मशीनों से ऐसे कार्य करवाने का विज्ञान है जिन्हें यदि मनुष्य द्वारा किया जाए तो उन्हें बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में से एक है और पहले से ही दुनिया भर में भारी राजस्व उत्पन्न कर रहा है।

शब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणाली

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मानव क्षमताओं की नकल करने का व्यापक विज्ञान है। इसे एक ऐसी तकनीक के रूप में वर्णित किया जाता है जो मनुष्यों की नकल करने और ‘बुद्धिमान’ माने जाने वाले तरीके से कार्य करने में सक्षम है।

शब्दों को छवियों में बदलना

इसलिए, यह डोमेन आधुनिक पेटेंट खोज और विश्लेषण को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। उस तकनीक को संदर्भित करता है जो टेक्स्ट इनपुट से चित्र उत्पन्न करता है। महत्व (Significance): आधुनिक समय में दृश्य सामग्री के महत्व पर जोर देता है, जहां दृश्य कहानी और ब्रांडिंग व्यवसायों और सामग्री रचनाकारों के लिए महत्वपूर्ण हो गई है।

शब्द को चित्र में बदलने वाली एआई उपकरण क्या हैं? What are Text to Image AI Tools?

परिभाषा : अवधारणा का एक संक्षिप्त विवरण और छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट का कार्य।
तकनीक: छवियों को उत्पन्न करने के लिए AI उपकरण, जैसे GANs, टेक्स्ट में उपयोग किए जाने वाले मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का स्पष्टीकरण। DALL-E जैसे छवि AI टूल के लिए लोकप्रिय टेक्स्ट का उल्लेख करना, सीएलआईपी, और एटेंगन।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के लाभः Advantages of Text to Image AI Tools:

समय और संसाधन: छवि के लिए टेक्स्ट एआई उपकरण विपणन के लिए चित्र बनाने में समय और संसाधनों को बचाता है, विज्ञापन, और सोशल मीडिया कंटेंट।
लचीलापन: छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के अनुकूलन विकल्प डिजाइन प्रक्रिया में लचीलापन प्रदान करते हैं, रचनाकारों को उनकी प्राथमिकताओं और ब्रांड दिशानिर्देशों के अनुसार छवियों को दर्जी करने की अनुमति देना।
संगति: उपकरण ब्रांड को विजुअल ब्रांडिंग और मैसेजिंग में निरंतरता बनाए रखने में सक्षम बनाते हैं।
दर्शकों के साथ जुड़ाव: अद्वितीय चित्र उत्पन्न करने का अवसर लक्षित दर्शकों के साथ जुड़ाव बढ़ाता है, जो आज के प्रतिस्पर्धी डिजिटल परिदृश्य में आवश्यक है।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के अनुप्रयोगः Applications of Text to Image AI Tools:

मार्केटिंग और विज्ञापन: विपणन अभियानों में एआई-जनित छवियों का उपयोग आकर्षक दृश्य सामग्री बनाते समय व्यवसायों को समय और धन बचाने में मदद कर सकता है।
सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएट: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जहां दृश्य सामग्री हावी है, टेक्स्ट से छवि एआई उपकरण तक लाभ उठा सकते हैं।
ग्राफिक डिजाइन: प्रिंट और डिजिटल मीडिया के लिए कस्टम चित्र बनाने के लिए ग्राफिक डिजाइन में टेक्स्ट टू इमेज एआई टूल्स का उपयोग किया जा सकता है।
ई-कॉमर्स उत्पाद दृश्य: यह तकनीक 3डी उत्पाद मॉडल बना सकती है जिसका इस्तेमाल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है।
समाचार और मीडिया सामग्री निर्माण: छवि के लिए टेक्स्ट एआई उपकरण समाचार और मीडिया सामग्री के लिए प्रासंगिक चित्र उत्पन्न कर सकते हैं, संवाददाताओं और पत्रकारों के लिए समय बचा सकते हैं।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट की सीमाएंः Limitations of Text to Image AI Tools:

क्वालिटी: उच्च-गुणवत्ता वाली छवियां उत्पन्न करना अभी भी छवि एआई टूल के लिए टेक्स्ट के लिए एक चुनौती है।
रचनात्मकता: रचनात्मक स्वतंत्रता के दायरे की सीमाएं हैं जो उपकरण प्रदान करते हैं, क्योंकि वे नए उत्पन्न करने के लिए मौजूदा डेटा और छवियों पर भरोसा करते हैं।
नैतिकता: एआई-जनित छवियों के नैतिक उपयोग और उनके दुरुपयोग की संभावनाओं के बारे में चिंताएं हैं।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट का भविष्यः Future of Text to Image AI Tools:

एडवांसमेंट्स: एआई प्रौद्योगिकी में चल रही प्रगति के साथ, टेक्स्ट टू इमेज एआई टूल्स की क्षमताओं में और सुधार होने की संभावना है।
एकीकरण: अन्य एआई प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकरण, जैसे कि प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, छवि एआई उपकरणों के लिए टेक्स्ट की कार्यक्षमता में और सुधार कर सकता है।
आभासी और संवर्धित वास्तविकता: आभासी और संवर्धित वास्तविकता के साथ एकीकरण छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के लिए नई संभावनाएं पैदा कर सकता है।

छवि उपकरण के लिए टेक्स्ट के कुछ उदाहरणः

डल-ई: यह OpenAI द्वारा बनाया गया एक टेक्स्ट-टू-इमेज मॉडल है जो टेक्स्टल विवरणों से अत्यधिक यथार्थवादी चित्र उत्पन्न कर सकता है। इसमें छवियों और विवरणों के एक बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षण दिया गया था, इसे वस्तुओं और उनकी विशेषताओं के बीच संबंधों को समझने की अनुमति देना।
एटेंगन: यह एक और टेक्स्ट-से-छवि मॉडल है जो टेक्स्ट के विवरण से चित्र उत्पन्न करने के लिए ध्यान तंत्र का उपयोग करता है। ध्यान तंत्र मॉडल को संबंधित छवि उत्पन्न करते समय टेक्स्ट के विशिष्ट भागों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।
क्लीप: यह ओपनएआई द्वारा बनाया गया एक मल्टीमोडल मॉडल है जो छवियों और टेक्स्ट को संबद्ध करना सीख सकता है। यह टेक्स्ट विवरण से चित्र उत्पन्न कर सकता है और छवियों और वीडियो की सामग्री को भी समझ सकता है।
बिगगन: हालांकि टेक्स्ट-टू-इमेज टूल सख्ती से नहीं, बिगगन एक जनरेटिव मॉडल है जो अत्यधिक विस्तृत और यथार्थवादी चित्र बना सकता है। इसका उपयोग दिए गए विवरण से मेल खाने वाली छवियों को उत्पन्न करने के लिए टेक्स्ट प्रॉम्प्ट के साथ किया जा सकता है।

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ये आज उपलब्ध कई टेक्स्ट-टू-इमेज टूल के कुछ उदाहरण हैं। जैसे-जैसे एआई तकनीक आगे बढ़ती जा रही है, हम अधिक अभिनव और परिष्कृत उपकरणों को देखने की उम्मीद कर सकते हैं जो टेक्स्ट विवरण से और भी अधिक यथार्थवादी और रचनात्मक चित्र उत्पन्न कर सकते हैं।

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राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 मार्च 2025 | जयपुर :  प्रदेश में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने और कोचिंग सेंटर पर कंट्रोल के लिए सरकार बिल लायेगी। सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025 को मंजूरी दी गई है। विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में ही इस बिल को पारित करवाने की तैयारी है।

राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी

बिल के प्रावधानों के मुताबिक 50 या इससे ज्यादा विद्यार्थियों वाले कोचिंग सेंटर्स को कानूनी दायरे में लाया जायेगा। 50 या इससे ज्यादा स्टूडेंट वाले कोचिंग सेंटर्स को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। प्रदेश में राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन अथॉरिटी का गठन किया जायेगा। उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव इस अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे।

कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी

पोर्टल और एप बनेगा

कोचिंग सेंटर्स पर मॉनिटरिंग और विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एक राज्य स्तरीय पोर्टल और काउंसिलिंग के लिए हेल्पलाइन भी बनाई जाएगी। इस बिल के कानून के बाद हर कोचिंग सेंटर को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जायेगा।

कोचिंग सेंटर्स पर निगरानी बढ़ेगी, फीस लौटाने के प्रावधान भी होंगे

बिल में कोचिंग सेंटर्स पर निगरानी और नियंत्रण के कड़े प्रावधान होंगे। कोचिंग सेंटर्स मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे। स्टूडेंट्स को तनाव मुक्त माहौल देना होगा। स्टूडेंट की मेंटल हेल्थ को ध्यान में रखना होगा। बीच में कोचिंग छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को फीस लौटाने के प्रावधान भी बिल में शामिल होंगे। जोगाराम पटेल ने कैबिनेट के के फैसलों के बारे में जानकारी दी।

नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और संपत्ति जब्त करने तक के प्रावधान

कोचिंग सेंटर पर कंट्रोल वाले बिल में नियमों के उल्लंघन पर कड़ी करवाई का प्रावधान है। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा- कोचिंग में पढ़ने वाले युवाओं में जिस तरह का तनाव बढ़ रहा था और जो घटनाएं हो रही थी, वो चिंताजनक थी। बिल में कोचिंग सेंटरों की मान्यता रद्द करने, भारी जुर्माना लगाने और लैंड रेवेन्यू एक्ट के हिसाब से जब्ती तक के प्रावधान होंगे।

जोगाराम पटेल ने कैबिनेट के के फैसलों के बारे में जानकारी दी।

राज्य की नई कौशल नीति को मंजूरी, नीति में कई प्रावधान

कैबिनेट ने राज्य की नई कौशल नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के अनुसार इंडस्ट्री की मांग के अनुसार कुशल प्रोफेशनल और कामगार तैयार किए जायेंगे। युवाओं को इंडस्ट्री की डिमांड के हिसाब से स्किल डवलपमेंट की ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार पाने के योग्य बनाया जायेगा।

आईटीआई को उन्नत कौशल विकास केंद्र के तौर पर विकसित करेंगे

नई कौशल नीति के अनुसार प्रदेश की सभी आईटीआई को नए जमाने के हिसाब से उन्नत कौशल केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा। संभाग मुख्यालय में मॉडल करियर सेंटर बनाये जायेंगे। वहां पर युवाओं को करियर काउंसिलिंग से लेकर इंटर्नशिप और रोजगार के अवसरों की जानकारी दी जायेगी।

प्रदेश भर में अलग-अलग सेक्टर के अनुभवी श्रमिकों के कौशल का सर्टिफिकेशन किया जायेगा। इसके लिए कैंप लगाए जायेंगे। स्किल यूनिवर्सिटी का मॉडर्नाइजेशन करके विशेष कौशल केंद्र बनाए जायेंगे।

प्रदेश में दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर नीति को मंजूरी

कैबिनेट में दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर नीति 2024 को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत सरकारी दफ्तरों में विशेष योग्यजन की एंट्री को आसान और बाधा मुक्त बनाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया जाएगा। राज्य सरकार के सभी संस्थाओं में ऐसी सुविधा विकसित की जायेगी, जिससे कि दिव्यांगजनों को आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं हो।

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दिव्यांग कर्मचारी के लिए भी सभी सरकारी दफ्तर में उनके सुविधा के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जायेगा। सारी सुविधाएं भारत सरकार के मापदंडों के हिसाब से विकसित की जाएगी, इसके तहत रैंप बनाने से लेकर इजी अप्रोच के लिए जरूरी सभी संसाधन विकसित किये जायेंगे।

दिव्यांगों के तबादले कम से कम होंगे, रोटेशनल ट्रांसफर से मुक्त रखेंगे

इस नीति के तहत दिव्यांगों को रोटेशनल टाइप ट्रांसफर से मुक्त रखा जायेगा और उनके तबादले कम से कम हो यह कोशिश होगी। हर विभाग दिव्यांगों की भर्ती की देखरेख उनकी नियुक्ति और उनके रिकॉर्ड को मेंटेन करने के लिए संपर्क अधिकारी को नियुक्त करेगा।

कर्मचारियों को अब ग्रेच्युटी का लाभ 1 जनवरी 2024 से मिलेगा

सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार के अनुसार 1 जनवरी से बढ़ी हुई ग्रेजुएट ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी है। सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की थी। राज्य सरकार ने रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और डेट ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा हाली 20 लाख से बढ़कर 25 लख रुपए की है।

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जापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियता

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 दिसंबर 2024 | जयपुर : जापान में हिंदी भाषा तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। जापानी छात्रों के बीच विदेशी भाषा के तौर पर हिंदी और फ़्रेंच सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं। जापान में हिन्दी सीखने के लिए टोक्यो और ओसाका विश्वविद्यालय में अलग हिंदी विभाग हैं। इन विभागों में भाषा और साहित्य को समान रूप से महत्व दिया जाता है।

जापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियता

जापान में हिंदी भाषा को व्यापक लोकप्रियता (ヒンディー語は日本でも広く普及しています) मिल रही है। जापान के साथ भारत ने अक्टूबर 2018 में एक मेमोरेंडम (Memorandum of Understanding) साइन किया था। इसमें भारतीय ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए जापान आ जा सकते हैं। मेमोरेंडम की बड़ी वजह जापान में उम्र की समस्या है।

जापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियता (ヒンディー語は日本でも広く普及しています)

दरअसल जापान में स्वस्थ जीवन शैली और स्वास्थ्य संसाधन होने के कारण एक बड़ी आबादी उम्र दराज लोगों की है। जापान में युवाओं की संख्या कम है जिसकी वजह से वहां तकनीकी कामगारों की कमी हो चुकी है। ऐसे में वहां की सरकार ने दूसरे देशों के युवाओं के लिए दरवाजा खोल दिया है।

बुजुर्गों के देश कहे जाने वाले जापान में इन दिनों रोजगार के विभिन्न सेक्टरों में युवाओं का संकट गहरा रहा है। यही वजह है कि जापान में 70 से ज्यादा सेक्टर ऐसे हैं जिनमें हर कहीं काम के लिए योग्य प्रोफेशनल की जरूरत महसूस हो रही है।

लिहाजा जापान की कई ह्यूमन रिसोर्सेज एजेंसी अब जापान में युवा प्रोफेशनल की कमी दूर करने के लिए भारत की तरफ (Job Opportunities in Japan for Indians) रुख कर रही हैं । इतना ही नहीं कई ऐसी कंपनियां तो ऐसी हैं जो जापानी बोल सकने वाले युवाओं को हाथों-हाथ रोजगार देने के लिए तैयार हैं।

दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल

भारत में युवाओं की सबसे बड़ी आबादी के मद्देनजर दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल की तरह देखा जा रहा है। इसके अलावा भारत में रोजगार की संभावनाएं लगातार कम होने से बड़ी संख्या में हर साल रोजगार की तलाश में भारतीय प्रोफेशनल विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं।

इस बीच जापान में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के अलावा नर्सिंग और टेक्निकल पेशेवरों की बड़ी मांग है। जापान की कंपनियों के लिए विदेशी कुशल श्रमिकों की बड़ी जरूरत है। फिलहाल जापान में स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 4:50 लाख युवाओं की जरूरत जापान में हैं, जिस के विपरीत भारत से जापान जाने वाले पेशेवरों की संख्या हजारों में भी नहीं है।

इसकी वजह यही है कि भारतीय प्रोफेशनल विभिन्न सेक्टर में पारंगत तो है लेकिन उन्हें जापानी भाषा नहीं आती ऐसी स्थिति में जापान की कई प्लेसमेंट एजेंसी अब भारत में कई स्थानों पर जापानी भाषा सिखाने वाले संस्थानों से अनुबंध कर कई भारतीय प्रोफेशनल को जापान में नौकरी देना चाहती हैं।

दिल्ली, जयपुर और इंदौर में जापानी कंपनियों का डेरा

हाल ही में इंदौर के अलावा दिल्ली और अन्य शहरों में जापान के एमएस इशीमातो, एमएस मियामोटो समेत रादूरी ओम प्रकाश आदि जापानी कंपनियों के प्रतिनिधि भारत में योग्य युवा प्रोफेशनल को अपनी कंपनियों में जॉब ऑफर करने पहुंच रहे हैं। इनकी शर्त यही है कि पहले भारतीय युवा भारत में ही जापानी भाषा सीख लें। इसके बाद जापान की कंपनियां उन्हें उनकी योग्यता अनुसार जापान में जॉब ऑफर कर देगी।

जापानी भाषा जानने वालों को प्राथमिकता

जापान अर्थव्यवस्था के लिहाज से आर्थिक महाशक्ति माना जाता है। इसलिए दुनिया भर के देशों से युवा वहां रोजगार की संभावना लिए पहुंच रहे हैं। जापान में फिलहाल एग्रीकल्चर, होटल एवम् बिल्डिंग प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारतीय युवाओं के लिए अवसर है।

इसके अलावा जापान में बुजुर्गों की देखभाल के लिए भी भारतीय युवाओं को मौका मिल सकता है। इन सभी कामों के लिए जापानी भाषा की समझ होना जरूरी है। जिसके लिए या तो विभिन्न स्तर पर ट्रेनिंग दी जा रही है या फिर जापानी भाषा जानने वालों को प्राथमिकता मिल रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी जापान यात्रा से हिंदी की संभावना बढ़ी 

जापान के अलावा यूरोपीय देशों से भी भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल के रूप में देखा जाने लगा है। इनमें स्वीडन भी एक ऐसा देश है जहां अपने लोगों के बाहर जाने की वजह से भारतीय युवाओं को वहां बुलाया जा रहा है। इसके अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस से भी भारतीय युवाओं को कई अवसर मिल रहे हैं।

तेमुरनिकर के अनुसार, जापानी छात्र अपनी संस्कृति को संरक्षित रखते हुए एशियाई और पश्चिमी देशों की संस्कृतियों को भी जानना चाहते हैं। जीआइआइएस के 16 कैंपस में 15 हजार छात्र हिंदी भाषा सीख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी जापान यात्रा के दौरान टोक्यो में एक जापानी छात्र को हिंदी बोलते देख चौंक गये थे। इससे साफ जाहिर होता है कि विदेश में हिंदी सीखने वालों की भरमार है।

जापान में हिन्दी सीखने के बारे में कुछ और बातेंः

  • जापान के ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल (जीआइआइएस) के 16 कैंपस में 15 हज़ार छात्र हिंदी सीख रहे हैं।
  • जापानी छात्र अपनी संस्कृति को संरक्षित रखते हुए एशियाई और पश्चिमी देशों की संस्कृतियों को भी जानना चाहते हैं।
  • जापान के कुछ छात्र संस्कृत भाषा, भारतीय प्राच्य इतिहास जैसे विभागों में पढ़ते हुए भी हिंदी सीख रहे हैं।

हाल में ही जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड बैठक हु ई थी। इस बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में वर्तमान पीएम फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले जापान के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की।

पीएम मोदी की ये बैठकें योशीहिदे सुगा, शिंजो आबे और योशिरो मोरी के साथ हुई हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ पीएम मोदी की मुलाकात उनकी सद्भावना और व्यक्तिगत संबंधों को दर्शाती हैं।

योशिरो मोरी जापान-भारत संघ (जेआईए) के वर्तमान अध्यक्ष हैं, जबकि शिंजो आबे शीघ्र ही इस भूमिका को संभालेंगे। 1903 में स्थापित जेआईए (JIA)जापान के सबसे पुराने मैत्री संघों में से एक है।  प्रधान मंत्री मोदी ने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भारत और जापान के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मोरी के नेतृत्व में जेआईए द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की।

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