मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 दिसंबर 2024 | जयपुर : जापान में हिंदी भाषा तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। जापानी छात्रों के बीच विदेशी भाषा के तौर पर हिंदी और फ़्रेंच सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं। जापान में हिन्दी सीखने के लिए टोक्यो और ओसाका विश्वविद्यालय में अलग हिंदी विभाग हैं। इन विभागों में भाषा और साहित्य को समान रूप से महत्व दिया जाता है।
जापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियता
जापान में हिंदी भाषा को व्यापक लोकप्रियता (ヒンディー語は日本でも広く普及しています) मिल रही है। जापान के साथ भारत ने अक्टूबर 2018 में एक मेमोरेंडम (Memorandum of Understanding) साइन किया था। इसमें भारतीय ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए जापान आ जा सकते हैं। मेमोरेंडम की बड़ी वजह जापान में उम्र की समस्या है।
दरअसल जापान में स्वस्थ जीवन शैली और स्वास्थ्य संसाधन होने के कारण एक बड़ी आबादी उम्र दराज लोगों की है। जापान में युवाओं की संख्या कम है जिसकी वजह से वहां तकनीकी कामगारों की कमी हो चुकी है। ऐसे में वहां की सरकार ने दूसरे देशों के युवाओं के लिए दरवाजा खोल दिया है।
बुजुर्गों के देश कहे जाने वाले जापान में इन दिनों रोजगार के विभिन्न सेक्टरों में युवाओं का संकट गहरा रहा है। यही वजह है कि जापान में 70 से ज्यादा सेक्टर ऐसे हैं जिनमें हर कहीं काम के लिए योग्य प्रोफेशनल की जरूरत महसूस हो रही है।
लिहाजा जापान की कई ह्यूमन रिसोर्सेज एजेंसी अब जापान में युवा प्रोफेशनल की कमी दूर करने के लिए भारत की तरफ (Job Opportunities in Japan for Indians) रुख कर रही हैं । इतना ही नहीं कई ऐसी कंपनियां तो ऐसी हैं जो जापानी बोल सकने वाले युवाओं को हाथों-हाथ रोजगार देने के लिए तैयार हैं।
दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल
भारत में युवाओं की सबसे बड़ी आबादी के मद्देनजर दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल की तरह देखा जा रहा है। इसके अलावा भारत में रोजगार की संभावनाएं लगातार कम होने से बड़ी संख्या में हर साल रोजगार की तलाश में भारतीय प्रोफेशनल विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं।
इस बीच जापान में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के अलावा नर्सिंग और टेक्निकल पेशेवरों की बड़ी मांग है। जापान की कंपनियों के लिए विदेशी कुशल श्रमिकों की बड़ी जरूरत है। फिलहाल जापान में स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 4:50 लाख युवाओं की जरूरत जापान में हैं, जिस के विपरीत भारत से जापान जाने वाले पेशेवरों की संख्या हजारों में भी नहीं है।
इसकी वजह यही है कि भारतीय प्रोफेशनल विभिन्न सेक्टर में पारंगत तो है लेकिन उन्हें जापानी भाषा नहीं आती ऐसी स्थिति में जापान की कई प्लेसमेंट एजेंसी अब भारत में कई स्थानों पर जापानी भाषा सिखाने वाले संस्थानों से अनुबंध कर कई भारतीय प्रोफेशनल को जापान में नौकरी देना चाहती हैं।
दिल्ली, जयपुर और इंदौर में जापानी कंपनियों का डेरा
हाल ही में इंदौर के अलावा दिल्ली और अन्य शहरों में जापान के एमएस इशीमातो, एमएस मियामोटो समेत रादूरी ओम प्रकाश आदि जापानी कंपनियों के प्रतिनिधि भारत में योग्य युवा प्रोफेशनल को अपनी कंपनियों में जॉब ऑफर करने पहुंच रहे हैं। इनकी शर्त यही है कि पहले भारतीय युवा भारत में ही जापानी भाषा सीख लें। इसके बाद जापान की कंपनियां उन्हें उनकी योग्यता अनुसार जापान में जॉब ऑफर कर देगी।
जापानी भाषा जानने वालों को प्राथमिकता
जापान अर्थव्यवस्था के लिहाज से आर्थिक महाशक्ति माना जाता है। इसलिए दुनिया भर के देशों से युवा वहां रोजगार की संभावना लिए पहुंच रहे हैं। जापान में फिलहाल एग्रीकल्चर, होटल एवम् बिल्डिंग प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारतीय युवाओं के लिए अवसर है।
इसके अलावा जापान में बुजुर्गों की देखभाल के लिए भी भारतीय युवाओं को मौका मिल सकता है। इन सभी कामों के लिए जापानी भाषा की समझ होना जरूरी है। जिसके लिए या तो विभिन्न स्तर पर ट्रेनिंग दी जा रही है या फिर जापानी भाषा जानने वालों को प्राथमिकता मिल रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी जापान यात्रा से हिंदी की संभावना बढ़ी
जापान के अलावा यूरोपीय देशों से भी भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल के रूप में देखा जाने लगा है। इनमें स्वीडन भी एक ऐसा देश है जहां अपने लोगों के बाहर जाने की वजह से भारतीय युवाओं को वहां बुलाया जा रहा है। इसके अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस से भी भारतीय युवाओं को कई अवसर मिल रहे हैं।
तेमुरनिकर के अनुसार, जापानी छात्र अपनी संस्कृति को संरक्षित रखते हुए एशियाई और पश्चिमी देशों की संस्कृतियों को भी जानना चाहते हैं। जीआइआइएस के 16 कैंपस में 15 हजार छात्र हिंदी भाषा सीख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी जापान यात्रा के दौरान टोक्यो में एक जापानी छात्र को हिंदी बोलते देख चौंक गये थे। इससे साफ जाहिर होता है कि विदेश में हिंदी सीखने वालों की भरमार है।
जापान में हिन्दी सीखने के बारे में कुछ और बातेंः
- जापान के ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल (जीआइआइएस) के 16 कैंपस में 15 हज़ार छात्र हिंदी सीख रहे हैं।
- जापानी छात्र अपनी संस्कृति को संरक्षित रखते हुए एशियाई और पश्चिमी देशों की संस्कृतियों को भी जानना चाहते हैं।
- जापान के कुछ छात्र संस्कृत भाषा, भारतीय प्राच्य इतिहास जैसे विभागों में पढ़ते हुए भी हिंदी सीख रहे हैं।
हाल में ही जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड बैठक हु ई थी। इस बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में वर्तमान पीएम फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले जापान के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की।
पीएम मोदी की ये बैठकें योशीहिदे सुगा, शिंजो आबे और योशिरो मोरी के साथ हुई हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ पीएम मोदी की मुलाकात उनकी सद्भावना और व्यक्तिगत संबंधों को दर्शाती हैं।
योशिरो मोरी जापान-भारत संघ (जेआईए) के वर्तमान अध्यक्ष हैं, जबकि शिंजो आबे शीघ्र ही इस भूमिका को संभालेंगे। 1903 में स्थापित जेआईए (JIA)जापान के सबसे पुराने मैत्री संघों में से एक है। प्रधान मंत्री मोदी ने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भारत और जापान के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मोरी के नेतृत्व में जेआईए द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की।
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