जापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियता

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 दिसंबर 2024 | जयपुर : जापान में हिंदी भाषा तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। जापानी छात्रों के बीच विदेशी भाषा के तौर पर हिंदी और फ़्रेंच सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं। जापान में हिन्दी सीखने के लिए टोक्यो और ओसाका विश्वविद्यालय में अलग हिंदी विभाग हैं। इन विभागों में भाषा और साहित्य को समान रूप से महत्व दिया जाता है।

जापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियता

जापान में हिंदी भाषा को व्यापक लोकप्रियता (ヒンディー語は日本でも広く普及しています) मिल रही है। जापान के साथ भारत ने अक्टूबर 2018 में एक मेमोरेंडम (Memorandum of Understanding) साइन किया था। इसमें भारतीय ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए जापान आ जा सकते हैं। मेमोरेंडम की बड़ी वजह जापान में उम्र की समस्या है।

जापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियता (ヒンディー語は日本でも広く普及しています)

दरअसल जापान में स्वस्थ जीवन शैली और स्वास्थ्य संसाधन होने के कारण एक बड़ी आबादी उम्र दराज लोगों की है। जापान में युवाओं की संख्या कम है जिसकी वजह से वहां तकनीकी कामगारों की कमी हो चुकी है। ऐसे में वहां की सरकार ने दूसरे देशों के युवाओं के लिए दरवाजा खोल दिया है।

बुजुर्गों के देश कहे जाने वाले जापान में इन दिनों रोजगार के विभिन्न सेक्टरों में युवाओं का संकट गहरा रहा है। यही वजह है कि जापान में 70 से ज्यादा सेक्टर ऐसे हैं जिनमें हर कहीं काम के लिए योग्य प्रोफेशनल की जरूरत महसूस हो रही है।

लिहाजा जापान की कई ह्यूमन रिसोर्सेज एजेंसी अब जापान में युवा प्रोफेशनल की कमी दूर करने के लिए भारत की तरफ (Job Opportunities in Japan for Indians) रुख कर रही हैं । इतना ही नहीं कई ऐसी कंपनियां तो ऐसी हैं जो जापानी बोल सकने वाले युवाओं को हाथों-हाथ रोजगार देने के लिए तैयार हैं।

दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल

भारत में युवाओं की सबसे बड़ी आबादी के मद्देनजर दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल की तरह देखा जा रहा है। इसके अलावा भारत में रोजगार की संभावनाएं लगातार कम होने से बड़ी संख्या में हर साल रोजगार की तलाश में भारतीय प्रोफेशनल विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं।

इस बीच जापान में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के अलावा नर्सिंग और टेक्निकल पेशेवरों की बड़ी मांग है। जापान की कंपनियों के लिए विदेशी कुशल श्रमिकों की बड़ी जरूरत है। फिलहाल जापान में स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 4:50 लाख युवाओं की जरूरत जापान में हैं, जिस के विपरीत भारत से जापान जाने वाले पेशेवरों की संख्या हजारों में भी नहीं है।

इसकी वजह यही है कि भारतीय प्रोफेशनल विभिन्न सेक्टर में पारंगत तो है लेकिन उन्हें जापानी भाषा नहीं आती ऐसी स्थिति में जापान की कई प्लेसमेंट एजेंसी अब भारत में कई स्थानों पर जापानी भाषा सिखाने वाले संस्थानों से अनुबंध कर कई भारतीय प्रोफेशनल को जापान में नौकरी देना चाहती हैं।

दिल्ली, जयपुर और इंदौर में जापानी कंपनियों का डेरा

हाल ही में इंदौर के अलावा दिल्ली और अन्य शहरों में जापान के एमएस इशीमातो, एमएस मियामोटो समेत रादूरी ओम प्रकाश आदि जापानी कंपनियों के प्रतिनिधि भारत में योग्य युवा प्रोफेशनल को अपनी कंपनियों में जॉब ऑफर करने पहुंच रहे हैं। इनकी शर्त यही है कि पहले भारतीय युवा भारत में ही जापानी भाषा सीख लें। इसके बाद जापान की कंपनियां उन्हें उनकी योग्यता अनुसार जापान में जॉब ऑफर कर देगी।

जापानी भाषा जानने वालों को प्राथमिकता

जापान अर्थव्यवस्था के लिहाज से आर्थिक महाशक्ति माना जाता है। इसलिए दुनिया भर के देशों से युवा वहां रोजगार की संभावना लिए पहुंच रहे हैं। जापान में फिलहाल एग्रीकल्चर, होटल एवम् बिल्डिंग प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारतीय युवाओं के लिए अवसर है।

इसके अलावा जापान में बुजुर्गों की देखभाल के लिए भी भारतीय युवाओं को मौका मिल सकता है। इन सभी कामों के लिए जापानी भाषा की समझ होना जरूरी है। जिसके लिए या तो विभिन्न स्तर पर ट्रेनिंग दी जा रही है या फिर जापानी भाषा जानने वालों को प्राथमिकता मिल रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी जापान यात्रा से हिंदी की संभावना बढ़ी 

जापान के अलावा यूरोपीय देशों से भी भारत को ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल के रूप में देखा जाने लगा है। इनमें स्वीडन भी एक ऐसा देश है जहां अपने लोगों के बाहर जाने की वजह से भारतीय युवाओं को वहां बुलाया जा रहा है। इसके अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस से भी भारतीय युवाओं को कई अवसर मिल रहे हैं।

तेमुरनिकर के अनुसार, जापानी छात्र अपनी संस्कृति को संरक्षित रखते हुए एशियाई और पश्चिमी देशों की संस्कृतियों को भी जानना चाहते हैं। जीआइआइएस के 16 कैंपस में 15 हजार छात्र हिंदी भाषा सीख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी जापान यात्रा के दौरान टोक्यो में एक जापानी छात्र को हिंदी बोलते देख चौंक गये थे। इससे साफ जाहिर होता है कि विदेश में हिंदी सीखने वालों की भरमार है।

जापान में हिन्दी सीखने के बारे में कुछ और बातेंः

  • जापान के ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल (जीआइआइएस) के 16 कैंपस में 15 हज़ार छात्र हिंदी सीख रहे हैं।
  • जापानी छात्र अपनी संस्कृति को संरक्षित रखते हुए एशियाई और पश्चिमी देशों की संस्कृतियों को भी जानना चाहते हैं।
  • जापान के कुछ छात्र संस्कृत भाषा, भारतीय प्राच्य इतिहास जैसे विभागों में पढ़ते हुए भी हिंदी सीख रहे हैं।

हाल में ही जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड बैठक हु ई थी। इस बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में वर्तमान पीएम फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले जापान के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की।

पीएम मोदी की ये बैठकें योशीहिदे सुगा, शिंजो आबे और योशिरो मोरी के साथ हुई हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ पीएम मोदी की मुलाकात उनकी सद्भावना और व्यक्तिगत संबंधों को दर्शाती हैं।

योशिरो मोरी जापान-भारत संघ (जेआईए) के वर्तमान अध्यक्ष हैं, जबकि शिंजो आबे शीघ्र ही इस भूमिका को संभालेंगे। 1903 में स्थापित जेआईए (JIA)जापान के सबसे पुराने मैत्री संघों में से एक है।  प्रधान मंत्री मोदी ने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भारत और जापान के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मोरी के नेतृत्व में जेआईए द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की।

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Asia has around 2300 languages and nearly 5 billion people

MOOKNAYAK MEDIA BUREAU | December 28, 2024 | Jaipur : The largest continent in the world and home to nearly five billion people, Asia has around 2,300 languages that can be grouped in language families like Altaic, Austroasiatic, Austronesian, Caucasian, Dravidian, Indo-European, Afro-Asiatic, Siberian, Sino-Tibetan and Kra–Dai. In some Asian countries, English is taught in the academic curriculum or through professional training and many Asians speak English as a second language.

Asia has around 2300 languages and nearly 5 billion people

Famous Linguist Professor Ram Lakhan Meena says that Asia is home to approximately 2,300 languages and has a population of around 4.75 billion people, making up roughly 60% of the world’s population. Diverse language landscape: Asia boasts a vast array of languages, with 2,300 different ones spoken across the continent.

Asia has around 2300 languages and nearly 5 billion people

He also says that Most spoken languages: Mandarin Chinese, Hindi, Indonesian, Bengali, and Japanese are considered among the most widely spoken languages in Asia. Due to its large population, Asia has a significant linguistic diversity.

In the United States, Asian American and Pacific Islander (AAPI) is the umbrella term used to describe people of Asian and Pacific Islander descent who are part of nearly 50 ethnic groups from East, Southeast, Central, and South Asia, and the Pacific Islands of Melanesia, Micronesia and Polynesia. According to the Pew Research Center, Asian Americans are projected to be the nation’s largest immigrant group by the middle of the 21st century.

In this article, we will focus on some of the most common Asian languages spoken by the population. The Asian and Pacific Islander communities are beautifully complex and unique, and this list should only be considered a beginner’s guide to learning more about these languages and the cultures that speak them.

Major Asian Language Groups

The majority of European countries speak Indo-European languages which are the second-largest language family in the world when it comes to the number of speakers. This is also the case for Asian languages. However, not all Asian languages fall within this group. Asian languages span a much broader variety of families, including Sino-Tibetan, Indo-European, Altaic families, Austronesian, and many others.

In South Asia, Indo-European, Indo-Aryan languages, and Dravidian languages are the major families while in East Asia, it’s Sino-Tibetan. Several other families are regionally dominant. In the scope of this article, we will go into detail about the five major Asian language families:

Sino-Tibetan

Out of all five groups, Sino-Tibetan might be the most mysterious one. Up until today, the location and timing of the emergence of the Sino-Tibetan language family are still debated. Some believe the Sino-Tibetan languages originated in northern China around 4,000-6,000 years ago. Another school of thought assumes it appeared 9,000 years ago in southwest China or northeast India.

However, one of the most recent research in 2019 suggested that the homeland of the Sino-Tibetan language group was in the Yellow River basin region of present-day northern China. It scattered and diversified about 5,900 years ago; and finally, in the 21st century, it has around 1.5 billion speakers worldwide which make it one of the most popular language groups in the world only after Indo-European.

In Asia, the Sino-Tibetan language group covers Chinese (about 1.3 billion native speakers), Tibetan (6 million), Burmese (33 million), Karen, and various languages of the Tibetan Plateau, southern China, Burma, and Northeast India. This group is also seen as a typical Southeast Asian language.

Indo-European

Indo-European is the largest language family in the world, comprising about 445 languages, most of which are the languages of the Americas and Europe (English, French, Portuguese and Spanish), along with other languages in Western and Southern Asia. In total, 46% of the world’s population (around 3.2 billion people) speak Indo-European as their mother tongue.

Out of 445 Indo-European languages, 313 of them are from the Indo-Iranian branch which includes Hindi, Urdu, Bengali, Assamese, Odia, other languages in South Asia, Central Asia, the Caucasus and parts of South Asia, etc.

Altaic-Congo 

The Altaic language family derives its name from the mountainous region of Altai where these languages are thought to have originated. When it comes to the number of languages, the Atlantic-Congo family comes out on top, with an impressive 1,432 languages, most of which are Turkic, Mongolic, Tungusic, Koreanic, and Japonic languages.

Austronesian

The Austronesian language family contains over 1200 of the world’s languages which are spoken by about 386 million people. It is geometrically large spanning from Southeast Asia to the westernmost islands of the Pacific. The major languages falling into this group are Fijian (Fiji), Tagalog (Philippines), Cebuano, Malay (Malaysia, Singapore, and Brunei), Javanese, Sundanese, and Madurese of Indonesia.

Semitic languages

The Semitic language family is a branch of the Afroasiatic language family originating in West Asia. It is spoken by more than 330 million people in large parts of the Middle East and North Africa, as well as by large minority populations in both Europe and North America. The most spoken language from this group is Arabic with about 315 million native speakers.

Major Languages spoken in Asia are;

Khmer
Also known as Cambodian, Khmer is the official language of the Southeast Asian country, Cambodia. 1.3 million people in Southeast Thailand and Southern Vietnam also speak Khmer. Used in the ancient Khmer empire, the Khmer language has been written since the 7th century and uses a script system based on those in South India.

Russian
Central Asian countries, including Kazakhstan, Kyrgyz Republic, Tajikistan, Turkmenistan, and Uzbekistan, speak Russian in addition to the languages of their respective countries. Because of the political and cultural influence of Russia in the region, Russian is the main common language used in Central Asia for literature, diplomacy and trade.

Cantonese
Cantonese is a variety of Chinese that is spoken in Hong Kong, Macau, and Canton, along with other cities in the Guangdong and southern Guangxi provinces of China. Compared to Mandarin, Cantonese has more features of Old, or Archaic, Chinese, the language ancestor to all modern varieties of Chinese. While Mandarin has 1.3 billion speakers, Cantonese is used comparatively less with around 75 million speakers worldwide.

Laotian
Laotian, or the Lao language, is the official language of Laos, the Southeast Asian country that is geographically bound by China, Vietnam, Cambodia, Thailand, and Myanmar. Laotian is primarily monosyllabic and uses tones to differentiate words that are pronounced similarly. The language has influences from Cambodian and Thai.

Tibetan
The Tibetan language is spoken in Tibet, Bhutan, Nepal, and in parts of India. The most common dialect of the Tibetan language is Lhasa Tibetan, which is spoken in Lhasa, the capital of Tibet. Because of the spread of Tibetan Buddhism, the language is also spoken and read in the Western world and is commonly found in Buddhist publications and prayers.

Chinese Mandarin
Mandarin is the official language of China, and it’s actually the most natively spoken language in the world, with 1.3 billion speakers. Speakers use four tones to speak Mandarin, and the written language uses over 100,000 special characters called “logograms.”

Hindi
Hindi, an Indo-Aryan derived language, is the most widely spoken language in India, though you’ll find that most national business is done in English. It’s spoken as a first language by nearly 425 million people, including those in Fiji.

Malay
Malay, or Bahasa Melayu, is comprised of two major dialects, northern (spoken in Malaysia, Singapore and Brunei) and southern (spoken in Indonesia). It’s spoken by more than 33 million people as a first language, as well as widely used as a second language.

Indonesian
The Indonesian language, also called Bahasa Indonesia, is very similar to Malay — a standardized version if you will — though natives can definitely distinguish between the two. Indonesian uses the Latin script, making it one of the easiest Asian languages for foreigners to learn.

Thai
Yes, it’s the national language of Thailand and the the first language for most Thai people, but you’ll hear people speak Thai in Laos, Myanmar, Malaysia and Cambodia. The language is spoken by 60 million people, or 2% of Asia’s total population.

Burmese
In Myanmar, (formerly Burma), Burmese is the official language. It’s spoken by more than 32 million people worldwide. The Burmese script uses rounded letters and is called “ca-lonh,” which means “round script.”

Filipino
Filipino, a standardized version of Tagalog, is the national language of the Philippines, while English follows as an official language of the country. While Filipino and Tagalog share the same grammar and conjugations and are nearly the same, Filipino is spoken nationwide while Tagalog is spoken mainly in Central Luzon.

Japanese
The Japanese language is spoken by 121 million people, spoken in Japan and small Japanese communities across American Samoa, Hawaii, Europe, Australia and the Americas. There are three Japanese writing scripts, including Hiragana, Katakana, and Kanji.

Vietnamese
The Vietnamese language belongs to the Viet-Muong branch of the Mon-Khmer language family and is spoken by about 75 million people. Because Vietnam was ruled by the Chinese Empire in 111 BC, a lot of Vietnamese words are adopted from Chinese.

Korean
About 75 million people speak Korean, or Kugo. Korean is the official language of both South and North Korea, and the two countries differ in minor spelling or vocabulary choice.

Must Read : Malaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular Languages

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शब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणाली

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 28 नवंबर 2024 | दिल्ली : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) मशीनों से ऐसे कार्य करवाने का विज्ञान है जिन्हें यदि मनुष्य द्वारा किया जाए तो उन्हें बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में से एक है और पहले से ही दुनिया भर में भारी राजस्व उत्पन्न कर रहा है।

शब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणाली

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मानव क्षमताओं की नकल करने का व्यापक विज्ञान है। इसे एक ऐसी तकनीक के रूप में वर्णित किया जाता है जो मनुष्यों की नकल करने और ‘बुद्धिमान’ माने जाने वाले तरीके से कार्य करने में सक्षम है।

शब्दों को छवियों में बदलना

इसलिए, यह डोमेन आधुनिक पेटेंट खोज और विश्लेषण को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। उस तकनीक को संदर्भित करता है जो टेक्स्ट इनपुट से चित्र उत्पन्न करता है। महत्व (Significance): आधुनिक समय में दृश्य सामग्री के महत्व पर जोर देता है, जहां दृश्य कहानी और ब्रांडिंग व्यवसायों और सामग्री रचनाकारों के लिए महत्वपूर्ण हो गई है।

शब्द को चित्र में बदलने वाली एआई उपकरण क्या हैं? What are Text to Image AI Tools?

परिभाषा : अवधारणा का एक संक्षिप्त विवरण और छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट का कार्य।
तकनीक: छवियों को उत्पन्न करने के लिए AI उपकरण, जैसे GANs, टेक्स्ट में उपयोग किए जाने वाले मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का स्पष्टीकरण। DALL-E जैसे छवि AI टूल के लिए लोकप्रिय टेक्स्ट का उल्लेख करना, सीएलआईपी, और एटेंगन।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के लाभः Advantages of Text to Image AI Tools:

समय और संसाधन: छवि के लिए टेक्स्ट एआई उपकरण विपणन के लिए चित्र बनाने में समय और संसाधनों को बचाता है, विज्ञापन, और सोशल मीडिया कंटेंट।
लचीलापन: छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के अनुकूलन विकल्प डिजाइन प्रक्रिया में लचीलापन प्रदान करते हैं, रचनाकारों को उनकी प्राथमिकताओं और ब्रांड दिशानिर्देशों के अनुसार छवियों को दर्जी करने की अनुमति देना।
संगति: उपकरण ब्रांड को विजुअल ब्रांडिंग और मैसेजिंग में निरंतरता बनाए रखने में सक्षम बनाते हैं।
दर्शकों के साथ जुड़ाव: अद्वितीय चित्र उत्पन्न करने का अवसर लक्षित दर्शकों के साथ जुड़ाव बढ़ाता है, जो आज के प्रतिस्पर्धी डिजिटल परिदृश्य में आवश्यक है।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के अनुप्रयोगः Applications of Text to Image AI Tools:

मार्केटिंग और विज्ञापन: विपणन अभियानों में एआई-जनित छवियों का उपयोग आकर्षक दृश्य सामग्री बनाते समय व्यवसायों को समय और धन बचाने में मदद कर सकता है।
सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएट: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जहां दृश्य सामग्री हावी है, टेक्स्ट से छवि एआई उपकरण तक लाभ उठा सकते हैं।
ग्राफिक डिजाइन: प्रिंट और डिजिटल मीडिया के लिए कस्टम चित्र बनाने के लिए ग्राफिक डिजाइन में टेक्स्ट टू इमेज एआई टूल्स का उपयोग किया जा सकता है।
ई-कॉमर्स उत्पाद दृश्य: यह तकनीक 3डी उत्पाद मॉडल बना सकती है जिसका इस्तेमाल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है।
समाचार और मीडिया सामग्री निर्माण: छवि के लिए टेक्स्ट एआई उपकरण समाचार और मीडिया सामग्री के लिए प्रासंगिक चित्र उत्पन्न कर सकते हैं, संवाददाताओं और पत्रकारों के लिए समय बचा सकते हैं।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट की सीमाएंः Limitations of Text to Image AI Tools:

क्वालिटी: उच्च-गुणवत्ता वाली छवियां उत्पन्न करना अभी भी छवि एआई टूल के लिए टेक्स्ट के लिए एक चुनौती है।
रचनात्मकता: रचनात्मक स्वतंत्रता के दायरे की सीमाएं हैं जो उपकरण प्रदान करते हैं, क्योंकि वे नए उत्पन्न करने के लिए मौजूदा डेटा और छवियों पर भरोसा करते हैं।
नैतिकता: एआई-जनित छवियों के नैतिक उपयोग और उनके दुरुपयोग की संभावनाओं के बारे में चिंताएं हैं।

छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट का भविष्यः Future of Text to Image AI Tools:

एडवांसमेंट्स: एआई प्रौद्योगिकी में चल रही प्रगति के साथ, टेक्स्ट टू इमेज एआई टूल्स की क्षमताओं में और सुधार होने की संभावना है।
एकीकरण: अन्य एआई प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकरण, जैसे कि प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, छवि एआई उपकरणों के लिए टेक्स्ट की कार्यक्षमता में और सुधार कर सकता है।
आभासी और संवर्धित वास्तविकता: आभासी और संवर्धित वास्तविकता के साथ एकीकरण छवि एआई उपकरण के लिए टेक्स्ट के लिए नई संभावनाएं पैदा कर सकता है।

छवि उपकरण के लिए टेक्स्ट के कुछ उदाहरणः

डल-ई: यह OpenAI द्वारा बनाया गया एक टेक्स्ट-टू-इमेज मॉडल है जो टेक्स्टल विवरणों से अत्यधिक यथार्थवादी चित्र उत्पन्न कर सकता है। इसमें छवियों और विवरणों के एक बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षण दिया गया था, इसे वस्तुओं और उनकी विशेषताओं के बीच संबंधों को समझने की अनुमति देना।
एटेंगन: यह एक और टेक्स्ट-से-छवि मॉडल है जो टेक्स्ट के विवरण से चित्र उत्पन्न करने के लिए ध्यान तंत्र का उपयोग करता है। ध्यान तंत्र मॉडल को संबंधित छवि उत्पन्न करते समय टेक्स्ट के विशिष्ट भागों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।
क्लीप: यह ओपनएआई द्वारा बनाया गया एक मल्टीमोडल मॉडल है जो छवियों और टेक्स्ट को संबद्ध करना सीख सकता है। यह टेक्स्ट विवरण से चित्र उत्पन्न कर सकता है और छवियों और वीडियो की सामग्री को भी समझ सकता है।
बिगगन: हालांकि टेक्स्ट-टू-इमेज टूल सख्ती से नहीं, बिगगन एक जनरेटिव मॉडल है जो अत्यधिक विस्तृत और यथार्थवादी चित्र बना सकता है। इसका उपयोग दिए गए विवरण से मेल खाने वाली छवियों को उत्पन्न करने के लिए टेक्स्ट प्रॉम्प्ट के साथ किया जा सकता है।

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ये आज उपलब्ध कई टेक्स्ट-टू-इमेज टूल के कुछ उदाहरण हैं। जैसे-जैसे एआई तकनीक आगे बढ़ती जा रही है, हम अधिक अभिनव और परिष्कृत उपकरणों को देखने की उम्मीद कर सकते हैं जो टेक्स्ट विवरण से और भी अधिक यथार्थवादी और रचनात्मक चित्र उत्पन्न कर सकते हैं।

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