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What we really need is ‘corporate accountability’‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधानराहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होलीराहुल द्रविड़ पैर में इंजरी के बावजूद RR खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे, राजस्थान रॉयल्स की जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरूपाकिस्तान में हिंदू बोले “यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता”, भारतीय गोदी मीडिया की खबरें झूठीIPL2025 मैचों के लिए राजस्थान रॉयल्स की टीम जयपुर पहुँचीदुबई में फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरायाराजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरीफर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तारराजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोधराजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्कसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एकातेरिना की सूटकेस में मिली नग्न लाशUVC Germicidal Lamp Applications All Over Safety for Human Beingफोन टैपिंग से राजस्थान की राजनीति में फिर से उथल-पुथल, बीजेपी के 18-20 विधायक बगावत को तैयारकिरोड़ी लाल मीणा को अनुशासनहीनता का नोटिस, भजन लाल सरकार पर मंडराये संकट के बादलजयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्यामध्यप्रदेश 27% OBC आरक्षण का रास्ता साफ, एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 87:13 फॉर्मूला रद्द‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोकभारत ने इंग्लैंड को हराकर 2 विकेट से जीता रोमांचक मुकाबला, सीरीज में 2-0 की बढ़तपद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषणसंविधान बदलने की माँग करने वाले बिबेक देबरॉय को मरणोपरांत पद्म भूषण, क्रिकेटर आर अश्विन को पद्मश्रीगर्भवती पत्नी के पेट पर बैठकर घोंटा गला गर्भ से बाहर आ गया 7 महीने का भ्रूणजयपुर में बुजुर्ग महिला को बंधक बनाकर 50 लाख के गहने लूटने नौकरानी ने की साजिशजयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने 48 सीआई और 3 एसआई के किये तबादले8वें वेतन आयोग के बाद सबकी होगी बल्ले बल्ले, इतनी बढ़ेगी सबकी सैलरीभारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगेकैलिफोर्निया की आग में, लॉस एंजिलिस में कमला हैरिस का घर खाली कराया, हॉलीवुड स्टार्स के घर भी जलेतिरुपति मंदिर में भगदड़ 150 से ज्यादा भक्त घायल 4 की मौतसुशीला मीणा को RCA ने ले लिया गोद, सुशीला ने खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को किया क्लीन बोल्डनरेश मीणा के कार्यकर्ताओं के जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में मनाया जश्ननरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत मंजूरचीन में मानव मेटान्यूमो वायरस के प्रकोप से आपातकाल की स्थिति घोषितHow to extract gold from unused mobile phonesखराब मोबाइल-लैपटॉप इलेक्ट्रॉनिक आइटम के कबाड़ से निकाला 54 किलो सोनाबांदीकुई टाइगर के हमले में विनोद मीणा के दोनों पैरों में 28 टांके टखने की हड्डीशिक्षक संघों की राजस्थान सरकार से तत्काल नई ट्रांसफर पॉलिसी लाने की माँगसरिस्का के 2 टाइगर्स की दौसा जयपुर में मूवमेंट, बांदीकुई महुखुर्द गांव में 03 लोगों पर टाइगर हमलामनु भाकर सहित 4 को खेल रत्न पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया : डॉ अंबेडकर-मिशन की बुलंद आवाज का दस्तावेज
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1920 में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों की पैरवी के लिए 'मूकनायक' नामक समाचार पत्र शुरू किया। यह समाचार पत्र सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दलित सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
'मूकनायक' के शताब्दी (स्थापना वर्ष1920) वर्ष में सामाजिक समानता की लड़ाई हेतु अंबेडकर की विरासत को जारी रखने के लिए इसके डिजिटल संस्करण को 2020 में लॉन्च किया गया है।
‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है "सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !
बिरसा अंबेडकर फुले फ़ातिमा मिशन से जुड़े सिपाहियों और भीम-सैनिकों एवं पाठकों से हमारी बस इतनी-ही गुजारिश है कि हमें पढ़ें, सोशल-मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें, हो सके तो अपने जज्बातों को लिखकर हम तक पहुँचावे, हम उसे भी छापेंगे।
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What we really need is ‘corporate accountability’‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधानराहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होलीराहुल द्रविड़ पैर में इंजरी के बावजूद RR खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे, राजस्थान रॉयल्स की जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरूपाकिस्तान में हिंदू बोले “यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता”, भारतीय गोदी मीडिया की खबरें झूठीIPL2025 मैचों के लिए राजस्थान रॉयल्स की टीम जयपुर पहुँचीदुबई में फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरायाराजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरीफर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तारराजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोधराजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्कसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर 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पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 06 जुलाई 2024 | जयपुर : बाबासाहब डॉ अंबेडकर एक पत्रकार के रूप में बहिष्कृत समाज की मुक्ति के साथ नए राष्ट्र के निर्माण लिए कार्य करते रहे, जिसकी परिकल्पना और शुरुआत ‘मूकनायक’ के प्रकाशन द्वारा दलितों की सदियों की खामोशी को तोड़ने के लिए की। वर्ष 2020 ‘मूकनायक’ समाचार-पत्र का शताब्दी वर्ष है। अब से ठीक सौ वर्ष पहले 31 जनवरी, 1920 को ‘मूकनायक’ का पहला अंक प्रकाशित हुआ था। डॉ अंबेडकर के बहुआयामी व्यक्तित्व को पत्रकार के रूप में याद करते हुए ‘मूकनायक’ के प्रकाशन की 100 वीं वर्षगांठ के मौके पर हम इसका डिजीटल संस्करण आप सबके समक्ष ला रहे हैं ।
मूकनायक मीडिया : युवा-मन की बुलंद आवाज़
बाबासाहब डॉ अंबेडकर की पत्रकारिता का काल 1920 से 1956 तक विस्तारित है जिसमें उन्होंने ‘मूकनायक-1920’, ‘बहिष्कृत भारत-1927’, ‘जनता- 1930’, तथा प्रबुद्ध भारत-1956 में प्रकाशित किए। अमेरिका में अध्ययन कर 21 अगस्त 1917 को डॉ अंबेडकर के बम्बई वापस आने के बाद उनका यह प्रथम सामाजिक प्रयास था, जिसका उद्देश्य समाज के शोषितों, उत्पीड़ितों और वंचितों को जगाना था, विशेषकर बहिष्कृत अछूतों को। हर वक्त उनकी चिंता का विषय आदिवासियों की पीड़ा और अस्पृश्यों का अपमान और इससे मुक्ति बनी रही।
इस डिजिटल प्लेटफार्म पर हम डॉ अंबेडकर के पत्रकार व्यक्तित्व पर विशेष श्रृंखला के तहत उन लेखों का प्रकाशन करेंगे, जो उनकी पत्रकारिता पर केंद्रित हैं। साथ ही, जो उनके पत्रकारिता के मानदंडों, मूल्यों और उसकी वैचारिकी से रू-ब-रू करायेंगे। इसकी शुरुआत हम तत्काल कर रहे हैं। मूकनायक (पाक्षिक) डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने समाज के दर्द और विद्रोह को व्यक्त करने के लिए शुरू किया गया था।
इस के संपादक पांडुरंग नंदराम भटकर, एक शिक्षित महार युवा थे। क्योंकि अंबेडकर कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे, इसलिए वे संपादक के रूप में खुलकर काम नहीं कर सके। ‘मनोगत’ शीर्षक वाले पहले अंक में पहला लेख खुद डॉ अंबेडकर ने लिखा था। छत्रपति राजर्षि शाहू महाराज ने मूक नायक को 2,500 रुपये की आर्थिक मदद दी थी।
बाबासाहब डॉ अंबेडकर ने कहा था कि ‘किसी भी आंदोलन के सफल होने के लिए, उस आंदोलन का अखबार बनना होगा। एक आंदोलन बिना अखबार टूटे हुए पंखों वाली पार्टी की तरह होता है।’ ‘मूकनायक’ ने उस अछूतों के बीच जागरूकता पैदा की और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया। उसका मुख्य उद्देश्य दलितों, गरीबों और शोषित लोगों की शिकायतों को सरकार और अन्य लोगों तक पहुँचाना था। इसके लिए, बाबासाहब अंबेडकर ने अपने लेखों में, बहिष्कृत अछूत समुदाय के साथ हो रहे अन्याय पर प्रकाश डाला और उस समुदाय के उत्थान के लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को कुछ उपाय सुझाए।
बाबासाहब ने हमेशा महसूस किया कि अछूतों को अपने उद्धार या विकास के लिए राजनीतिक-शक्ति और शैक्षिक-ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है। उस दौर में, मूकनायक का उद्देश्य जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ अछूतों का सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी मजबूत स्थान स्थापित करना था और अब भी यही रहेगा।
‘मूकनायक’ पत्र में विभिन्न विचार, करंट अफेयर्स, चयनित पत्रों के अंश, बहुजन-कल्याण, समाचार, वैज्ञानिक-दृष्टिकोण की पुनर्स्थापना, इत्यादि शामिल थे। किन्तु. आर्थिक-संकट की वजह से मूकनायक अप्रैल 1923 में बंद हो गया। मीडिया और अख़बार के अतिरिक्त कोई और जगह नहीं है जो हम बहुजनों के साथ हो रहे अन्याय-अत्याचार का समाधान सुझाए और साथ-ही-साथ उनके भविष्य के उत्थान और उसके पथ के वास्तविक स्वरूप पर चर्चा करे।
लेकिन इंडिया में मीडिया और समाचार पत्रों के चरित्र को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि उनमें से अधिकांश जाति- विशेष के हित में हैं। न केवल वे अन्य जातियों के हितों की परवाह नहीं करते हैं, बल्कि कभी-कभी उन्हें नुकसान भी पहुँचाते हैं। ऐसे पत्रकारों के लिए हमारी चेतावनी है कि यदि किसी एक जाति को नीचा दिखाया जाता है, तो उसके अपमान का क्लिक दूसरी जाति में बैठे बिना नहीं होगा।
समाज एक नाव है, जिस तरह आग के गोले से यात्री जानबूझकर दूसरों को चोट पहुँचाता है, या अपने विनाशकारी स्वभाव के कारण, अगर वह किसी एक नाव में छेद करता है, तो उसे पहले या बाद में सभी नावों के साथ जलसमाधि लेनी होगी। उसी तरह, एक प्रजाति को नुकसान पहुँचाने से, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुँचाने वाली प्रजाति को भी नुकसान होगा। इसीलिए दूसरों को हानि पहुँचाकर अपना भला करने की मूर्खता का गुण नहीं सीखना चाहिए।
बाबासाहब डॉ अंबेडकर के संरक्षण में प्रकाशित मूकनायक के पहले अंक का पाठ इस प्रकार था – “हिंदू समाज एक मीनार है और एक जाति एक मंजिल है। लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि इस मीनार की कोई सीढ़ी नहीं है और इसलिए एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक जाने का कोई रास्ता नहीं है। जो जहाँ पैदा होते हैं, उन्हें उसी मंजिल पर मरना होता है । निचली मंजिल का व्यक्ति, चाहे वह कितना भी योग्य क्यों न हो, ऊपरी मंजिल पर और ऊपरी मंजिल पर मौजूद व्यक्ति तक उसकी पहुँच नहीं है, चाहे वह कितना भी अयोग्य क्यों न हो, उसे निचली मंजिल पर जाने का कोई भी उपाय नहीं है।
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‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधान
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 17 मार्च 2025 | जयपुर : सबसे बड़े भू-भाग वाला प्रदेश- राजस्थान का क्षेत्रफल 3.42 लाख वर्ग किलोमीटर है जहां 6.85 करोड़ जनसंख्या निवास करती है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का आठवां बड़ा राज्य है व भू-भाग की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य। सात संभाग, 33 जिले, 41353 ग्राम, उत्तर से दक्षिण की लंबाई 826 वर्ग किमी व पूर्व से पश्चिम चौड़ाई 869 वर्ग किमी है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधान
भारत के अलग अलग भागों में नए राज्यों के निर्माण की मांग उठ रही है जिनमें अरावली प्रदेश सबसे प्रबल है। राष्ट्रीय एकता व अखण्डता, सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक, कृषि, उद्योग इत्यादि की विपुल संभावनाओं के मद्देनजर अरावली प्रदेश निर्माण की दावेदारी सबसे प्रबल है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधान
भारत का सबसे बड़ा भूभाग राजस्थान जो दुनियां के 110 देशों से भी क्षेत्रफल में बड़ा है जिसको बीचों बीच से अरावली पर्वतश्रेणी ने दो भागों में विभाजित किया है जिसका उत्तरी पश्चिमी रेगिस्तानी थार का अरावली स्थल ही अरावली प्रदेश के नाम से जाना जाता है।
अलग राज्यों की बढ़ती माँग
राजस्थान की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक इकाईयों में असमानता,आर्थिक विकास एवं राजनैतिक विमूढ़ता का सबसे अधिक नुकसान इस अरावली प्रदेश को उठाना पड़ा है। राजस्थान के इस 61.11% भूभाग के निवासियों के साथ विकास की प्रक्रिया में कभी न्याय नहीं हो पाया। बंजर अरावली स्थल कहकर इस क्षेत्र का सदैव उपहास एवं उपेक्षा की गयी।
60 वर्षों से अधिक इतिहास में राजनीतिज्ञों की नीतियों एवं उपेक्षाओं से यहाँ के निवासियों को अपने अस्तित्व को अलग लेकर अपनी समृद्ध अरावली प्रदेश बनाने की मजबूरन राह पकड़ अरावली प्रदेश बनाने की कुव्वत दिखानी पड़ेगी।
क्यों जरुरी है राजस्थान का “मरु और अरावली प्रदेश” में विभाजन
मरुप्रदेश के 20 जिलों में देश का 27 प्रतिशत तेल, सबसे महंगी गैस, खनिज पदार्थ, कोयला, यूरेनियम, सिलिका आदि का एकाधिकार है। एशिया का सबसे बड़ा सोलर हब और पवन चक्कियों से बिजली प्रोडक्शन यहाँ हो रहा है।
राजस्थान का “मरु और अरावली प्रदेश” में विभाजन
गौरतलब है कि एक तरफ जहां राजस्थान में प्रति व्यक्ति तो ज्यादा है, लेकिन पश्चिम राजस्थान के जिलों में रहने वालों का एवरेज निकाला जाये तो उनकी आय काफी कम है। राजस्थान की भौगोलिक और सांस्कृतिक इकाईयों में असमानता, आर्थिक विकास और राजनैतिक विमूढ़ता का सबसे ज्यादा नुकसान इस इलाके को उठाना पड़ा है।
राजस्थान के इस 61.11% भूभाग के निवासियों के साथ विकास की प्रक्रिया में कभी न्याय नहीं हो पाया। अरावली प्रदेश मुक्ति मोर्चा के संयोजक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि देश का विकास छोटे राज्यों से ही हो सकता है। राज्य जब तक बड़े राज्य रहे हैं, तब तक विकास से महरूम रहे हैं।
झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड बेहतरीन उदहारण है, क्योंकि बिहार, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में रहते हुए विकास की डगर वहां तक नहीं पहुँच पायी थी। मगर जैसे ही अलग राज्य बने तो विकास की राह में ये राज्य अपने मूल राज्यों से आगे निकल गये।
अलग अरावली प्रदेश की तार्किकमाँग
अलग अरावली प्रदेश की माँग करने का तर्क है कि पूर्वी राजस्थान का ये क्षेत्र राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है। इन जिलों से अरबों रुपयों की रॉयल्टी सरकार कमा रही है, लेकिन इन जिलों में पीने का पानी, रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, स्पोर्ट्स और सैनिक स्कूल, खेतों को नहरों का पानी जैसी समस्यायों से आम जनता जूझ रही है।
अलग अरावली प्रदेश की तार्किक माँग
इसका प्रमुख कारण भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति अलग है। इस हिस्से की जलवायु, कृषि, उद्योग और जनसंख्या का वितरण भी अलग है। यदि यह भू-भाग नए राज्य के रूप में सामने आयेगा तो इस क्षेत्र के विकास में तेजी आयेगी। “अरावली में बग़ावत” शीर्षक पुस्तक के लेखक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने लिखा है कि अरावली भूमि का सम्पूर्ण विकास तभी होगा जब अरावली प्रदेश अलग राज्य बनेगा। अरावली के संसाधनों की लूट रुकेगी।
प्रोफ़ेसर मीणा कहते हैं, ”आज़ादी से पहले जहां अरावली का इलाक़ा विकास की दौड़ में शामिल था। वहीं आज़ादी के बाद सभी पार्टियों की सरकारों और चतुर-चालाक मारवाड़ी व्यवसाइयों ने इसके प्रति बेरुख़ी दिखायी। जबकि प्राकृतिक संसाधनों प्रचुरता से ये एरिया ख़ूब मालामाल है। खनिज के हिसाब से देखें तो इस क्षेत्र में कोयला, जिप्सम, क्ले और मार्बल निकल रहा है। वहीं, जोधपुर जैसे शहर में पीने का पानी अरावली क्षेत्र से ट्रेन से भर-भर कर ले जाकर वहाँ के लोगों की प्यास बुझायी जाती थी।
बीसलपुर बाँध का पानी पाली, अजमेर और जोधपुर के गाँवों तक पहुँचाया जा रहा है और अब जैसी ही बाड़मेर में तेल और गैस के भंडार मिले हैं, वैसे ही मरू प्रदेश की माँग जोर-शोर से उठायी जा रही है। जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्रियों और उनकी सरकारों ने अरावली भू-भाग (पूर्वी राजस्थान) से रेवेन्यू तो भरपूर लिया है, लेकिन विकास को हमेशा अनदेखा किया है।
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी का 70% हिस्सा अरावली प्रदेश से आता है और उसको 80% से भी अधिक पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में खर्च किया जाता रहा है। इसके समर्थन में आंकड़े गवाह हैं, जो बताते हैं कि कैसे जोधपुर को शिक्षा की नगरी बनाया गया। एक-आध को छोड़कर सारे-के-सारे केंद्रीय शिक्षण संस्थानों (20 से अधिक) को जोधपुर ले जाया गया।
अरावली के दक्षिणी छोर से लेकर उत्तरी छोर तक 500 किलोमीटर में एक भी केंद्रीय संस्थान नहीं है। एक तरफ, नर्मदा का पानी रेगिस्तान को हरा-भरा कर रहा है और वहीं दूसरी तरफ, अरावली प्रदेश (भू-भाग) एक-एक बूँद पानी के लिए तरस रहा है।
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी
अरावली प्रदेश के भोले-भाले लोग तो यह भी नहीं जानते कि कैसे मंडरायल (करौली) में लगने वाली सीमेंट फेक्ट्री को जैतपुर (पाली) ले जाया गया जबकि मंडरायल में सब कुछ फाइनल हो चुका था। सवाई माधोपुर सीमेंट फेक्ट्री को कैसे बंद किया गया।”
जब वर्ष 2000-01 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 03 राज्य नए बनाये तो उस समय के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जी ने भी पत्र लिख कर कहा था कि पूरे राजस्थान का विकास व देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्य के दो भाग किये जाये। इसके बाद भी समय समय पर अनेको क्षेत्रीय नेताओ ने इस माँग का समर्थन किया लेकिन पार्टियों की गुलामी के चलते मुखर विरोध नहीं कर सके।
चहुँओर चमकेगी उन्नति, जब बनेगा अरावली प्रदेश
अरावली पर्वत माला भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक है, जिसकी गिनती विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में भी होती है। यह भूवैज्ञानिक दृष्टि से अरबों वर्षों पुरानी है और भारतीय उपमहाद्वीप के भूगोल और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है।
राजस्थान इस पर्वतमाला का मुख्य केंद्र है। अरावली यहाँ के परिदृश्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे राज्य के पश्चिमी और पूर्वी भागों को विभाजित करने वाली प्राकृतिक दीवार भी कहा जाता है। पूर्वी राजस्थान; अरावली के पूर्व में स्थित यह क्षेत्र अपेक्षाकृत उपजाऊ है और यहाँ मैदानी भाग पाये जाते हैं।
पश्चिमी राजस्थान; अरावली के पश्चिम में थार मरुस्थल स्थित है, जो राज्य के लगभग 60% क्षेत्र को कवर करता है। पूर्वी राजस्थान में कृषि के लिए उपयुक्त भूमि है, जहाँ रबी और खरीफ दोनों फसलें उगाई जाती हैं। पश्चिमी राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थलीय या अर्द्धमरुस्थलीय है।
अरावली पर्वत श्रृंखला की कुल लंबाई गुजरात से दिल्ली तक 692 किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 550 किलोमीटर राजस्थान में स्थित है। अरावली पर्वत श्रृंखला का लगभग 80% विस्तार राजस्थान में 22 जिलों में पूर्ण रूप से ओर कुछ जिलों में थोड़ा सा हिस्सा फैला हुआ है।
अरावली प्रदेश के 22 जिलों में जयपुर, दौसा, करौली, धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूं , चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, राजसमंद, उदयपुर, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर शामिल होंगे।
अरावली प्रदेश का प्रतावित मैप
राजस्थान के मुख्यमंत्रियों पर क्षेत्रवाद हमेशा हावी रहा है और इसमें अशोक गहलोत सबसे आगे हैं। क्षेत्रवाद एक विचारधारा है जो किसी ऐसे क्षेत्र से सबंधित होती है जो धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक कारणों से अपने पृथक अस्तित्व के लिये जाग्रत हो और अपनी पृथकता को बनाए रखने का प्रयास करता रहता है।
राज्य में भी विकास-प्रक्रिया में विषमता व्यापक रूप से विद्यमान है। इसी कारण राजस्थान में नए राज्य के गठन की मांग की चिंगारी सुलग रही है। राजस्थान में बजट आवंटन की दृष्टि से पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों का अनुपात क्रमशः लगभग 20 प्रतिशत, 70 प्रतिशत 10 फीसदी है, जो कहीं से भी तार्किकतापूर्ण नहीं है।
सीकर, झुंझुनू शिक्षा व आर्मी की राजधानी, अलवर स्पोर्ट्स का हब, करौली-सवाई माधोपुर कृषि आधारित उद्योगों व सब्जी-फलों का हब होगा। टोंक-केकड़ी-भीलवाड़ा-राजसमंद मार्बल-ग्रनाईट चतुर्भुज के रूप में विकसित होंगे। बारां-झालावाड़-कोटा औद्योगिक हब बनेंगे। पशुपालन, खेती में अव्वल होगा। बाड़मेर, पाली, जालौर हमारा उधोगो व निवेश जोन के रूप में विकसित होकर आर्थिक राजधानी होंगे। चित्तौड़गढ़-उदयपुर टूरिज्म-निवेश की राजधानी बनेंगे। भरतपुर-धौलपुर इजराइल तकनीक की खेती, मिनरलस, और खान पान के शिरमोर होंगे। जयपुर-दौसा आईटी हब बनेंगे। सीकर-झुंझुनू देश भर में शिक्षा में अपना परचम लहरायेंगे। विकास से महरूम डूंगरपुर-बाँसवाड़ा आदिवासियत के केंद्र के रूप में वैश्विक पहचान बनायेंगे।
शैक्षणिक विकास में असंतुलन
उदाहरण के रूप में देखिए अकेले जोधपुर जिला मुख्यालय पर आईआईटी, नेशनल लो युनिवर्सिटी, एम्स, काजरी, आफरी, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, पुलिस विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय और जेएनव्यास विश्वविद्यालय, एनआइएफटी, एमबीएम युनिवर्सिटी, राज्य होटल मैनेजमेंट संस्थान, राजकीय होम्योपैथिक महाविद्यालय इत्यादि स्थित हैं जबकि पूर्वी राजस्थान के दस जिलों अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, दौसा, सवाई माधोपुर, टोंक, बारां, झालावाड़ में एक भी केंद्रीय शिक्षण संस्थान नहीं है। जबकि जनसँख्या की दृष्टि से राज्य की 60-70% जनता यहाँ रहती है।
वैसे ही दक्षिणी राजस्थान में केवल उदयपुर में केवल एक केंद्रीय शिक्षण संस्थान है। ऐसे ही, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, बारां, झालावाड़, दौसा जैसे एससी-एसटी बहुल जिलों में एक भी राज्य स्तरीय शिक्षण संस्थान नहीं है, जो क्षेत्रीय टकराव को बढ़ावा देने वाला है तो इसे रोकने के प्रयास किये जाने चाहिये।
विडंबनाओं की पराकाष्ठा देखिए जोधपुर में 400 करोड़ से डिजिटल यूनिवर्सिटी खोलने की घोषणा बजट 20-21 की है जबकि आईटी हब बंगलुरू और हैदराबाद के समक्ष जयपुर के विकसित होने की प्रबलतम संभावनाएँ हैं।
संसाधनों की उपलब्धता में असंतुलन
राजस्थान को भौगोलिक एवम् प्रशासनिक की दृष्टि से तीन प्रमुख हिस्सों में बाँट सकते हैं, जिनमें पूर्वी राजस्थान, पश्चिम राजस्थान और दक्षिणी राजस्थान प्रमुख हैं। राज्य सरकार के मुखिया के रूप में उन की अलग-अलग जवाबदेही तय करने की बात लंबे अरसे से होती चली आ रही है। सैद्धांतिक रूप से देखें तो यह जवाबदेही लगभग तय है, लेकिन व्यवहार में इसका प्रभाव वह बिलकुल नहीं दिखायी देता है, जो होना चाहिए।
ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्रियों ने ‘मुखिया मुख सो चाहिए’ की उक्ति को हमेशा नजरंदाज किया है और अपने क्षेत्र विशेष को तरजीह और प्रमुखता दी है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। वे जवाबदेह हैं, लेकिन स्वयं और अपने ही क्षेत्रों के प्रति। सीधे जनता के प्रति उनकी जवाबदेही सभी क्षेत्रों में समान रूप से बनती है। इससे केवल जनता ही नहीं, कई राजनेता भी दुखी हैं।
बजट आवंटन में असंतुलन
केंद्र से राज्य को मिलने वाले फंड को लेकर मुख्यमंत्रियों ने हमेशा पक्षपात किये है, और उनकी पार्टियों के आलाकमान भी इस पर ध्यान नहीं देते हैं । बुद्धिजीवियों ने इस पर अनेक बार अपना दुख प्रकट किया है और चिंता भी जताई है ।
प्रोफ़ेसर मीणा कहते हैं कि केंद्र की ओर से राज्य को जारी होने वाले फंड को अधिकांशत: पश्चिमी राजस्थान में खर्च किया जाता रहा है जिसने स्तिथियों को और अधिक पेचीदा बना दिया है। इस कारण राज्य का संतुलित विकास नहीं हो पा रहा है और अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने में बहुत समस्याएँ झेलनी पड़ रही हैं। दूसरी तरफ केंद्र सरकार आम तौर पर इन सवालों का कोई जवाब ही नहीं देती।
हमें यह बात भूलनी नहीं चाहिए कि राज्य का सामाजिक-आर्थिक विकास संतुलित ढंग से किया जा सके। सबको अपना वाजिब हक मिल सके और कोई भी अपने-आपको वंचित महसूस न करने पाए। आज आजादी के सात दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी राज्य का संतुलित विकास दिखाई नहीं देता है। पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान संसाधन बहुल होने के बाद भी अपेक्षित विकास से महरूम हैं और पश्चिमी राजस्थान के विकास में संसाधनों का दुरूपयोग किया जा रहा है।
अरावली प्रदेश की मांग मुख्य रूप से राजस्थान के दक्षिणी – पूर्वी हिस्से में रहने वाले लोगों द्वारा की जा रही है, जो इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास और बेहतर प्रशासन की जरूरत को लेकर उठाई जा रही है। इसके पीछे कई कारण हैं:
भौगोलिक और सांस्कृतिक विशिष्टता: अरावली पर्वत श्रृंखला राजस्थान को दो अलग-अलग हिस्सों में बांटती है – पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र और दक्षिणी – पूर्वी उपजाऊ मैदानी क्षेत्र। दक्षिणी – पूर्वी राजस्थान, जिसमें अलवरसे लेकर डूंगरपुर – बाँसवाड़ा तक के जिले शामिल हैं, की जलवायु, कृषि, और संस्कृति पश्चिमी राजस्थान से काफी भिन्न है। इस विशिष्टता के कारण लोग मानते हैं कि एक अलग राज्य उनकी जरूरतों को बेहतर ढंग से संबोधित कर सकता है।
विकास में असमानता: राजस्थान के मौजूदा ढांचे में पश्चिमी और दक्षिणी – पूर्वी क्षेत्रों के बीच संसाधनों और विकास के अवसरों का असमान वितरण देखा जाता है। दक्षिणी – पूर्वी राजस्थान के लोग अक्सर शिकायत करते हैं कि राज्य सरकार का ध्यान पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्रों पर अधिक रहता है, जबकि दक्षिणी – पूर्वी क्षेत्र की संभावनाएं – जैसे कृषि, पर्यटन, और उद्योग – उपेक्षित रहती हैं। एक अलग अरावली प्रदेश इस असमानता को दूर करने का दावा करता है।
प्रशासनिक सुविधा: राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है क्षेत्रफल के हिसाब से, जिसके कारण प्रशासनिक दक्षता प्रभावित होती है। दक्षिणी – पूर्वी राजस्थान के दूरदराज के इलाकों तक सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ पहुंचाने में देरी या कमी रहती है। एक छोटा, केंद्रित राज्य बनाने से प्रशासन को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की उम्मीद की जाती है।
आर्थिक संभावनाएं: अरावली क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन, जंगल, और खनिजों की प्रचुरता है। साथ ही, यह दिल्ली-एनसीआर के करीब होने के कारण औद्योगिक और पर्यटन विकास के लिए उपयुक्त है। मांग करने वाले मानते हैं कि एक अलग राज्य इन संसाधनों का बेहतर उपयोग कर आर्थिक समृद्धि ला सकता है।
जन आंदोलन और राजनीतिक समर्थन: पिछले कुछ समय से इस मांग ने जन आंदोलन का रूप लिया है, जिसमें स्थानीय नेता, सामाजिक संगठन, और आम लोग शामिल हैं। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा चर्चा में है, जहां लोग इसे पूर्वी राजस्थान के हितों की रक्षा के लिए जरूरी बता रहे हैं।
हालांकि, इस मांग का विरोध भी होता है, क्योंकि कुछ लोग मानते हैं कि इससे राजस्थान की एकता और संसाधनों का बंटवारा प्रभावित हो सकता है। फिर भी, समर्थकों का तर्क है कि यह कदम क्षेत्रीय असंतुलन को खत्म कर समग्र विकास को बढ़ावा देगा। यह मांग अभी चर्चा के शुरुआती चरण में है और इसे लागू करने के लिए संवैधानिक और राजनीतिक प्रक्रिया से गुजरना होगा।
कुल मिलाकर, अरावली प्रदेश की माँग एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जो विकास, संस्कृति और स्वशासन की आकांक्षाओं को दर्शाता है। इसके भविष्य का निर्धारण इस बात पर निर्भर करेगा कि यह आंदोलन कितना संगठित और प्रभावी ढंग से अपनी बात को आगे बढ़ा पाता है।
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राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 मार्च 2025 | जयपुर : प्रदेश में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने और कोचिंग सेंटर पर कंट्रोल के लिए सरकार बिल लायेगी। सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025 को मंजूरी दी गई है। विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में ही इस बिल को पारित करवाने की तैयारी है।
राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी
बिल के प्रावधानों के मुताबिक 50 या इससे ज्यादा विद्यार्थियों वाले कोचिंग सेंटर्स को कानूनी दायरे में लाया जायेगा। 50 या इससे ज्यादा स्टूडेंट वाले कोचिंग सेंटर्स को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। प्रदेश में राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन अथॉरिटी का गठन किया जायेगा। उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव इस अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे।
कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी
पोर्टल और एप बनेगा
कोचिंग सेंटर्स पर मॉनिटरिंग और विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एक राज्य स्तरीय पोर्टल और काउंसिलिंग के लिए हेल्पलाइन भी बनाई जाएगी। इस बिल के कानून के बाद हर कोचिंग सेंटर को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जायेगा।
कोचिंग सेंटर्स पर निगरानी बढ़ेगी, फीस लौटाने के प्रावधान भी होंगे
बिल में कोचिंग सेंटर्स पर निगरानी और नियंत्रण के कड़े प्रावधान होंगे। कोचिंग सेंटर्स मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे। स्टूडेंट्स को तनाव मुक्त माहौल देना होगा। स्टूडेंट की मेंटल हेल्थ को ध्यान में रखना होगा। बीच में कोचिंग छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को फीस लौटाने के प्रावधान भी बिल में शामिल होंगे। जोगाराम पटेल ने कैबिनेट के के फैसलों के बारे में जानकारी दी।
नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और संपत्ति जब्त करने तक के प्रावधान
कोचिंग सेंटर पर कंट्रोल वाले बिल में नियमों के उल्लंघन पर कड़ी करवाई का प्रावधान है। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा- कोचिंग में पढ़ने वाले युवाओं में जिस तरह का तनाव बढ़ रहा था और जो घटनाएं हो रही थी, वो चिंताजनक थी। बिल में कोचिंग सेंटरों की मान्यता रद्द करने, भारी जुर्माना लगाने और लैंड रेवेन्यू एक्ट के हिसाब से जब्ती तक के प्रावधान होंगे।
राज्य की नई कौशल नीति को मंजूरी, नीति में कई प्रावधान
कैबिनेट ने राज्य की नई कौशल नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के अनुसार इंडस्ट्री की मांग के अनुसार कुशल प्रोफेशनल और कामगार तैयार किए जायेंगे। युवाओं को इंडस्ट्री की डिमांड के हिसाब से स्किल डवलपमेंट की ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार पाने के योग्य बनाया जायेगा।
आईटीआई को उन्नत कौशल विकास केंद्र के तौर पर विकसित करेंगे
नई कौशल नीति के अनुसार प्रदेश की सभी आईटीआई को नए जमाने के हिसाब से उन्नत कौशल केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा। संभाग मुख्यालय में मॉडल करियर सेंटर बनाये जायेंगे। वहां पर युवाओं को करियर काउंसिलिंग से लेकर इंटर्नशिप और रोजगार के अवसरों की जानकारी दी जायेगी।
प्रदेश भर में अलग-अलग सेक्टर के अनुभवी श्रमिकों के कौशल का सर्टिफिकेशन किया जायेगा। इसके लिए कैंप लगाए जायेंगे। स्किल यूनिवर्सिटी का मॉडर्नाइजेशन करके विशेष कौशल केंद्र बनाए जायेंगे।
प्रदेश में दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर नीति को मंजूरी
कैबिनेट में दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर नीति 2024 को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत सरकारी दफ्तरों में विशेष योग्यजन की एंट्री को आसान और बाधा मुक्त बनाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया जाएगा। राज्य सरकार के सभी संस्थाओं में ऐसी सुविधा विकसित की जायेगी, जिससे कि दिव्यांगजनों को आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं हो।
दिव्यांग कर्मचारी के लिए भी सभी सरकारी दफ्तर में उनके सुविधा के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जायेगा। सारी सुविधाएं भारत सरकार के मापदंडों के हिसाब से विकसित की जाएगी, इसके तहत रैंप बनाने से लेकर इजी अप्रोच के लिए जरूरी सभी संसाधन विकसित किये जायेंगे।
दिव्यांगों के तबादले कम से कम होंगे, रोटेशनल ट्रांसफर से मुक्त रखेंगे
इस नीति के तहत दिव्यांगों को रोटेशनल टाइप ट्रांसफर से मुक्त रखा जायेगा और उनके तबादले कम से कम हो यह कोशिश होगी। हर विभाग दिव्यांगों की भर्ती की देखरेख उनकी नियुक्ति और उनके रिकॉर्ड को मेंटेन करने के लिए संपर्क अधिकारी को नियुक्त करेगा।
कर्मचारियों को अब ग्रेच्युटी का लाभ 1 जनवरी 2024 से मिलेगा
सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार के अनुसार 1 जनवरी से बढ़ी हुई ग्रेजुएट ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी है। सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की थी। राज्य सरकार ने रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और डेट ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा हाली 20 लाख से बढ़कर 25 लख रुपए की है।
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