‘यूनिवर्सिटी और कॉलेज अब 200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली से ही शिक्षक भर्ती करेंगे’ यूजीसी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 जुलाई 2024 | जयपुर : देशभर में यूनिवर्सिटी और उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में अब रोस्टर प्रणाली से शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इसके लिए शैक्षणिक संस्थान को आरक्षण के अनुरूप अपना भर्ती रोस्टर बनाना होगा। उसी के अनुरूप भर्ती करनी होगी।

‘यूनिवर्सिटी और कॉलेज अब 200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली से ही शिक्षक भर्ती करेंगे’ यूजीसी

‘यूनिवर्सिटी और कॉलेज अब 200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली से ही शिक्षक भर्ती करेंगे’ यूजीसी

यूजीसी को भरे हुए और रिक्त पदों की सूचना 31 जुलाई तक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भेजनी होगी। यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को पोर्टल पर यह जानकारी भी देनी होगी कि कितने पद रिक्त हैं, अभी तक पदों पर भर्ती क्यों नहीं की और क्या प्रयास किए जा रहे हैं। यूजीसी के इस पत्र के बाद राज्य सरकार की स्टेट यूनिवर्सिटी-कॉलेज सहित निजी यूनिवर्सिटी में भी हलचल शुरू हो गई है। कारण है कि राजस्थान की अधिकतर यूनिवर्सिटी में रोस्टर नहीं बने हैं।

UGC 19.07.2024

दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव मनीष जोशी की ओर से हाल ही एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें यूजीसी के सभी निजी एवं राजकीय विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध महाविद्यालयों को निर्देश दिए हैं कि उच्च शैक्षणिक संस्थान को आरक्षण के अनुरूप अपना भर्ती रोस्टर बनाना होगा। उसी के अनुरूप जल्द भर्ती करनी होगी।

सभी भर्तियां व रोस्टर का निर्धारण विश्वविद्यालय के एक्ट के अनुरूप किया जाना है। यूजीसी को भरे हुए और रिक्त पदों की सूचना 31 जुलाई तक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भेजनी होगी। यूजीसी ने अपने सर्कुलर में स्पष्ट किया कि रोस्टर में सामान्य, एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के साथ पीडब्ल्यूडी कैटेगिरी को भी शामिल करना होगा।

क्या है 13-पॉइंट रोस्टर?

13-पॉइंट रोस्टर सिस्टम में 13 पदों को क्रमबद्ध तरीके से दर्ज किया जाता है और इसके तहत यूनिवर्सिटी को यूनिट न मानकर डिपार्टमेंट को यूनिट माना जाता है। मान लीजिये, किसी एक डिपार्टेमेंट में 13 वैकेंसीज़ निकलती हैं, तो चौथा, आठवाँ और बारहवाँ उम्मीदवार OBC होगा अर्थात् एक OBC की नियुक्ति के लिये कम-से-कम 4 वैकेंसीज़ होनी चाहिये। इसी तरह सातवाँ कैंडिडेट SC कैटेगरी का होगा और 14वाँ कैंडिडेट ST होगा। शेष सभी पद अनारक्षित होंगे। इसके आधार पर प्रत्येक चौथे, सातवें, आठवें, 12वें और 14वें रिक्त पद को 13-पॉइंट रोस्टर में क्रमशः OBCs, SCs, OBCs, OBCs, STs के लिये आरक्षित किया जाता है। अर्थात् पहले तीन पदों के लिये कोई आरक्षण नहीं है और 14 पदों के पूर्ण चक्र में भी केवल पाँच पद या 35.7% आरक्षित वर्गों के लिये जाते हैं, जो संवैधानिक रूप से अनिवार्य 49.5% (27%+15%+7.5%) की सीमा से कम है।

कैसे निर्धारित किये जाते हैं आरक्षित पद?

किसी भी आरक्षित वर्ग को रोस्टर में मिलने वाले स्थानों का निर्धारण तय प्रतिशत से 100 को विभाजित करके किया जाता है। जैसे कि OBC कोटा 27% है…इसलिये उन्हें 100/27 = 3.7 हिस्सा मिलता है अर्थात् इस वर्ग के हर चौथे पद पर एक वैकेंसी बनती है।

इसी तरह SC को 100/15 = 6.66 यानी हर सातवें पद पर और ST को 100/7.5 = 13.33 यानी हर 14वीं वैकेंसी मिलती है। अतः किसी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण का प्रतिशत जितना कम होगा, उस वर्ग के उम्मीदवार को आरक्षित पद पर नियुक्त होने में उतना ही अधिक समय लगेगा।

इसके अलावा, हाल ही में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये नए 10% आरक्षण ने इस अंतर को और अधिक बढ़ा दिया है। ऐसा इसलिये है क्योंकि अब प्रत्येक 10वाँ पद (100/10 = 10) इस वर्ग के लिये आरक्षित है।

200-पॉइंट रोस्टर क्या है?

इसके अलावा एक और समस्या है, जो वास्तव में वर्तमान विवाद के केंद्र में है। विश्वविद्यालय के ऐसे छोटे विभागों में जहाँ कुल पदों की संख्या चार से कम है, उनमें 13-पॉइंट रोस्टर में कोई संभावना नहीं रहती, क्योंकि इसमें आरक्षण केवल चौथे पद के लिये होता है। ऐसे में OBC के केवल एक शिक्षक के बदले में ‘सामान्य श्रेणी’ से पाँच शिक्षकों को नियुक्त किया जा सकता है। इसीलिये संवैधानिक रूप से अनिवार्य 49.5% आरक्षण प्रदान करने के लिये UGC ने व्यक्तिगत विभागों के बजाय विश्वविद्यालय/कॉलेज को एक ‘इकाई’ मानना शुरू कर दिया और इसके लिये ‘200-पॉइंट रोस्टर’ को अपनाया। यह 200-पॉइंट रोस्टर पहले से ही सभी केंद्रीय सरकारी सेवाओं में नियुक्तियों के लिये कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा उपयोग किया जा रहा था। इसे 200-पॉइंट रोस्टर इसलिये कहा जाता है क्योंकि सभी आरक्षित वर्गों को उनके लिये संवैधानिक रूप से अनिवार्य निर्धारित कोटे के पद केवल तभी मिल सकते हैं, जब 200 वैकेंसीज़ भरी जाएँ। अब चूंकि किसी संस्थान में किसी एक विभाग में 200 सीटें नहीं हो सकती, इसलिये कोटे की गणना करने के लिये पूरे विभाग के बजाय संस्थान/विश्वविद्यालय को एक इकाई माना गया।

13-पॉइंट और 200-पॉइंट रोस्टर में मुख्य अंतर

200-पॉइंट रोस्टर और 13-पॉइंट रोस्टर में सबसे बड़ा अंतर यह है कि 13-पॉइंट रोस्टर में 14 नंबर के बाद फिर 1, 2, 3, 4 शुरू हो जाता है, जो 14 नंबर पर जाकर फिर से खत्म हो जाता है। इसके विपरीत 200-पॉइंट रोस्टर में 1 नंबर से पद शुरू होकर 200 नंबर तक जाता है और 200 नंबर के बाद फिर 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 से क्रम शुरू होता है और 200 नंबर तक जाता है।

13-पॉइंट रोस्टर से कैसे बेहतर है 200-पॉइंट रोस्टर सिस्टम?

आरक्षण लागू करने के लिये 200-पॉइंट रोस्टर को 2014 तक सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने लागू कर दिया था। यह 13-पॉइंट रोस्टर से बेहतर है, क्योंकि 13-पॉइंट रोस्टर में आरक्षण अनिवार्य प्रतिशत के स्तर से बहुत कम रह जाता है, जबकि 200-पॉइंट रोस्टर में ऐसा नहीं होता, बशर्ते केवल 200 नियुक्तियाँ की जाएँ। यह संख्या थोड़ी भी कम या अधिक होने पर आरक्षण की मात्रा प्रभावित हो सकती है। 200-पॉइंट रोस्टर संवैधानिक रूप से मान्य 49.5% आरक्षण के व्यापक लक्ष्य को सुनिश्चित करता है क्योंकि एक विभाग में कोटे को हुआ घाटा दूसरे विभाग द्वारा पूरा किया जा सकता है।

प्रो. रावसाहब काले कमेटी की सिफारिशें

रोस्टर विवाद पहली बार 2006 में सामने आया था और उस समय केंद्रीय विश्वविद्यालयों में OBC आरक्षण के तहत नियुक्तियों के सवाल के समाधान के लिये तत्कालीन सरकार के कार्मिक तथा प्रशिक्षण मंत्रालय ने UGC से यूनिवर्सिटी में आरक्षण लागू करने की खामियों को दूर करने का निर्देश दिया था। इस पर UGC के तत्कालीन चेयरमैन प्रोफेसर वी.एन. राजशेखरन पिल्लई ने प्रोफेसर रावसाहब काले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालयों में आरक्षण फॉर्मूला तय करने के लिये तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में कानूनविद प्रोफेसर जोश वर्गीज और UGC के तत्कालीन सचिव डॉ आरके चौहान शामिल थे। इस कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आर. के. सभरवाल की पीठ द्वारा जुलाई 1997 में दिये गए फैसले के आधार पर कुछ दिशा-निर्देश बनाए। इनमें 200-पॉइंट का रोस्टर बनाया गया और इसमें किसी विश्वविद्यालय के सभी विभागों में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर का तीन स्तर पर कैडर बनाने की सिफारिश की गई थी। कमेटी ने विभाग की बजाय विश्वविद्यालय, कॉलेज को इकाई मानकर आरक्षण लागू करने की सिफारिश की, क्योंकि उक्त पदों पर नियुक्तियाँ विश्वविद्यालय करता है, न कि उसका विभाग।

1997 से ही केंद्रीय शिक्षण संस्थानों जिनमें सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, आईआईएम इत्यादि शामिल हैं। इन सभी में शिक्षकों की नियुक्ति में 200 पॉइंट्स रोस्टर विधि से आरक्षण लागू है और इसमें विश्वविद्यालय / संस्थानों को एक इकाई मानकर SC, ST और OBC अभ्यर्थियों को आरक्षण दिया जाता है।

जो क्रमश: 7.5% , 15% और 27% है। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के समय यह ध्यान रखा जाता है कि इस नियम का उल्लंघन न हो, क्योंकि इनके पद काफी कम होते हैं और इसीलिये रोस्टर सिस्टम लागू किया जाता है।

विवाद इस बात को लेकर था कि विश्वविद्यालय को इकाई माना जाए या विभाग को? सरकार द्वारा अध्यादेश जारी करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सभी शिक्षण संस्थान 200-पॉइंट रोस्टर सिस्टम ही लागू करेंगे।

यदि ऐसा नहीं किया जाता तो SC, ST और OBC के योग्य अभ्यर्थियों के लिये असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर बनना कठिन हो जाता। इसमें भी सबसे ज़्यादा मुश्किल ST के उम्मीदवारों को होती क्योंकि प्रतिशत के आधार पर उनकी बारी काफी देर में आती।

ये है UGC के नियम

यूजीसी ने 2019 में ही एक पत्र जारी किया था। इसमें रोस्टर प्रणाली के तहत पद भरने के निर्देश दिए थे। लेकिन यूजीसी के पत्र का पालन नहीं किया गया। अब यूजीसी ने सख्त कार्यवाही की हिदायत देते हुए रोस्टर प्रणाली की पालना करने के निर्देश दिये हैं। पत्र में जार किये गये नियम कुछ इस प्रकार है

  1. UGC नियम के मुताबिक छात्रों और शिक्षकों का अनुपात 1:10 होना चाहिए। प्रत्येक विषय में कम से कम 3 सहायक आचार्य और 1 प्रोफेसर के पद पर स्टाफ की नियुक्ति की जानी चाहिए।
  2. नियम के अनुरूप एक भर्ती पैनल व मेरिट की वैधता 6 महीने से ज्यादा की न हो। उसके बाद खाली पदों पर नए आवेदन व पैनल बनायें जाये।
  3. भर्ती प्रक्रिया में स्क्रूटनिंग के बाद पैनल इंटरव्यू, एपीआइ के जरिए मेरिट लिस्ट तैयार की जाये।
  4. भर्ती UGC रेगुलेशन 2018 के मुताबिक की गई हो, शैक्षणिक स्टाफ पीएचडी या नेट हो।

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गर्ल्स स्टूडेंट को हर साल 30 हजार की स्कॉलरशिप देगा अजीज प्रेमजी फाउंडेशन

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 16 अगस्त 2024 |  जयपुर :  राजस्थान में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हर साल स्कॉलरशिप देने का फैसला लिया गया है। इसके लिए हर साल राजस्थान सरकार अजीज प्रेमजी फाउंडेशन के साथ मिलकर 30 हजार की स्कॉलरशिप देंगे।

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से चलाई जा रही इस स्कीम का लाभ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड के चयनित जिलों में लाभ प्रदान किया जाएगा। इस योजना में उत्तर प्रदेश के 35 जिलों का चयन किया गया है जबकि राजस्थान के 22 जिलों का चयन किया गया है।

गर्ल्स स्टूडेंट को हर साल 30 हजार की स्कॉलरशिप देगा अजीज प्रेमजी फाउंडेशन

गर्ल्स स्टूडेंट को हर साल 30 हजार की स्कॉलरशिप देगा अजीज प्रेमजी फाउंडेशन

इसे लेकर राजस्थान आयुक्तालय कॉलेज निदेशालय की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया है। इसके लिए सितंबर के दूसरे सप्ताह में आवेदन शुरू हो जाएंगे। कॉलेज निदेशालय की ओर से जारी आदेश में इस योजना का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने के लिए भी कहा है।

कॉलेज निदेशालय की ओर से जारी आदेश में इस योजना का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने के लिए भी कहा है।

प्रदेश के 22 जिलों की गर्ल्स स्टूडेंट को मिलेगा इसका फायदा

दरअसल, अजीज प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से राजस्थान में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अजीज प्रेमजी स्कॉलरशिप प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। इसके तहत प्रदेश के 22 जिलों में उच्च शिक्षा लेने वाली स्टूडेंट को सालाना स्कॉलरशिप दी जाएगी। इस स्कॉलरशिप प्रोग्राम में न सिर्फ सरकारी बल्कि, प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली स्टूडेंट भी अप्लाई कर सकेंगे।

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक पहुंचाने के दौरान काफी ऐसी स्टूडेंट्स है जो आर्थिक स्थिति कमजोर होने और सामाजिक रीति-नीति की वजह से भी उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाती हैं। ऐसे में इन सब की मदद करते हुए महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। इसके लिए वे ही स्टूडेंट एप्लिकेबल होगी जिन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई प्रदेश के सरकारी स्कूल से की हो।

राजस्थान के इन जिलों में मिलेगी स्कॉलरशिप

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से राजस्थान में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू होने जा रही अजीज प्रेमजी स्कॉलरशिप फिलहाल राजस्थान के इन 22 जिलों अजमेर, अलवर, बालोतरा, बांसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, चित्तौड़गढ़, दूदू, डूंगरपुर, जयपुर, जयपुर (ग्रामीण), जालौर, झालावाड़, जोधपुर, केकड़ी, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाई माधोपुर, सिरोही, टोंक और उदयपुर मैं छात्रवृत्ति योजना का लाभ प्रदान किया जायेगा।

उत्तर प्रदेश के 35 जिले योजना में शामिल 

उत्तर प्रदेश के इन 35 जिलों “अंबेड़कर नगर, अमेठी, अयोध्या-फ़ैज़ाबाद, आज़मगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बस्ती, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, फ़तेहपुर, गाज़ीपुर, गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, कौशांबी, कुशीनगर, लखनऊ, महराजगंज, मऊ, मिर्ज़ापुर, प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद), प्रतापगढ़, रायबरेली, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर (पूर्व में भदोही), श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर और वाराणसी” मैं छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिया जाएगा.

ऐसे कर सकेंगे अप्लाई राजस्थान में सरकारी स्कूल से 10वीं और 12वीं पास करने वाली स्टूडेंट अजीज प्रेमजी स्कॉलरशिप प्रोग्राम में अप्लाई कर सकेंगे। हालांकि वह उच्च शिक्षा के लिए प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी पढ़ सकती है

सितंबर में कर सकेंगे आवेदन

राज्य के आयुक्तालय कॉलेज निदेशालय की ओर से इस स्कॉलरशिप के संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। आवेदन प्रक्रिया सितंबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होगी, जिससे छात्राएं अपनी स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई कर सकें। यह स्कॉलरशिप प्रोग्राम न केवल सरकारी कॉलेजों बल्कि प्राइवेट कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए भी उपलब्ध होगा।

छात्राओं को सहयोग प्रदान करना : उद्देश्य

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोग्राम का उद्देश्य प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक की छात्राओं को सहयोग प्रदान करना है। राजस्थान में कई छात्राएं सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पातीं, ऐसे में यह स्कॉलरशिप उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

इस योजना के तहत केवल वही छात्राएं आवेदन कर सकती हैं जिन्होंने अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई राज्य के सरकारी स्कूलों से की हो। शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए छात्राओं के आवेदन सितंबर 2024 के दूसरे सप्ताह से स्वीकार किए जाएँगे।

  • इस सत्र (वर्ष 2024-25) में हम उन छात्राओं का सहयोग करेंगे, जिन्होंने सरकारी स्कूल से कक्षा 10वीं एवं 12वीं (दोनों) उत्तीर्ण की है और किसी शासकीय संस्थान या विश्‍वसनीय प्रामाणिक निजी कॉलेज/विश्‍वविद्यालय के नियमित डिग्री या डिप्लोमा प्रोग्राम में नियमित छात्रा के रूप में प्रवेश प्राप्त कर लिया हो।
  • चयनित छात्राओं को स्नातक डिग्री/डिप्लोमा प्रोग्राम की पूरी अवधि (दो, तीन, चार या पाँच वर्ष) के लिए प्रतिवर्ष 30,000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी, ताकि उनकी शिक्षा पूरी करने में लगने वाला शिक्षण शुल्‍क (ट्यूशन फीस) या अन्य खर्चों को कवर किया जा सके।
  • इस वर्ष इस प्रोग्राम को ‘पायलट’ चरण के रूप में अलग-अलग इलाकों में शुरू किया जा रहा हैं, (विवरण नीचे) इसे जल्द ही पूरे देश में विस्‍तारित किया जाएगा।

कौन आवेदन कर सकते हैं?

मध्य प्रदेश या राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिलों या रांची (झारखंड) जिले के इटकी विकासखण्ड की वे सभी छात्राएँ, जिन्होंने:

  • किसी स्थानीय शासकीय स्कूल से कक्षा 10 वीं उत्तीर्ण की हो, एवं  
  • शैक्षणिक वर्ष 2023-24 या उससे पहले किसी स्थानीय शासकीय स्कूल से कक्षा 12 वीं (नियमित या ओपन) उत्तीर्ण की हो, एवं 
  • आवेदन के समय किसी शासकीय संस्थान या विश्‍वसनीय प्रामाणिक निजी कॉलेज या विश्‍वविद्यालय में मान्यता प्राप्त स्नातक उपाधि या डिप्लोमा प्रोग्राम के पहले वर्ष में नियमित छात्र के रूप में प्रवेश प्राप्त किया हो।

Link : अजीज प्रेमजी फाउंडेशन छात्रवृत्ति डिटेल नोटिफिकेशन

स्कॉलरशिप प्रोग्राम में सिलेक्ट होने वाली स्टूडेंट्स को ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम की पूरी समय अवधि के लिए प्रतिवर्ष 30 हजार रुपए की स्कॉलरशिप दी जाएगी।

अजीम प्रेमजी ने दुनिया के सबसे बड़े दिल वाले अरबपति

टेक टाइकून अजीम प्रेमजी ने दुनिया के सबसे बड़े दिल वाले अरबपतियों में से एक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। अरबपति ने बुधवार को घोषणा की कि उन्होंने अपनी शिक्षा-केंद्रित धर्मार्थ शाखा, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को 21 बिलियन डॉलर का दान दिया है, इस दान में उनकी आईटी आउटसोर्सर, विप्रो में 67% हिस्सेदारी शामिल है, जिसकी कीमत 15 बिलियन डॉलर है, इसके अलावा उपभोक्ता व्यवसाय विप्रो एंटरप्राइजेज और प्रेमजीइन्वेस्ट, उनके पारिवारिक कार्यालय में उनकी हिस्सेदारी सहित संपत्तियां शामिल हैं।

प्रेमजी ने हाल ही में फोर्ब्स को संकेत दिया था कि वे और अधिक देने की योजना बना रहे हैं, उन्होंने कहा, “जिसको बहुत कुछ दिया गया है, उससे बहुत कुछ की उम्मीद की जानी चाहिए।” आज की घोषणा के बाद, प्रेमजी की संपत्ति, जो $22.6 बिलियन थी, जो उन्हें दुनिया के अरबपतियों में 36वें स्थान पर रखती थी, 80% घटकर $4.4 बिलियन रह गई है। अपने परिवार के साथ, अब उनके पास विप्रो में 7% हिस्सेदारी है।

प्रेमजी की करीबी दोस्त और बेंगलुरु निवासी बायोटेक अरबपति किरण मजूमदार-शॉ कहती हैं, “यह एक शानदार इशारा है।” “अजीम ने भारतीय परोपकार को दूसरे स्तर पर पहुंचा दिया है।” मजूमदार-शॉ, जिन्होंने अब तक 30 मिलियन डॉलर दान किए हैं, ने और भी अधिक देने का वादा किया है; प्रेमजी की तरह, उन्होंने गिविंग प्लेज पर हस्ताक्षर किए हैं और अपनी संपत्ति का 75% दान करने का संकल्प लिया है।

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छात्रसंघ चुनाव के लिए छात्रों ने मुख्यमंत्री को खून से लिखे लेटर

 मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 20 जुलाई 2024 | जयपुर : राजस्थान में छात्र संघ चुनाव को लेकर सियासी घमासान हर दिन बढ़ता जा रहा है। आम छात्रों ने सरकार के खिलाफ छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है। किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे। बल्कि, सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

छात्रसंघ चुनाव के लिए छात्रों ने मुख्यमंत्री को खून से लिखे लेटर

छात्रसंघ चुनाव के लिए छात्रों ने मुख्यमंत्रीको खून से लिखे लेटर

इसी कड़ी में शनिवार को राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अपने खून से लेटर लिख प्रदेश में फिर से छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग की। छात्रों ने कहा- अगर अब भी सरकार नहीं मानी तो हम प्रदेशभर में सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे। 

जयपुर जोधपुर समेत प्रदेश के अलग-अलग शहरों में छात्रों ने छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर अपने खून से लेटर लिख मुख्यमंत्री कार्यालयभेजना शुरू कर दिया है।

जयपुर जोधपुर समेत प्रदेश के अलग-अलग शहरों में छात्रों ने छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर अपने खून से लेटर लिख मुख्यमंत्री कार्यालय भेजना शुरू कर दिया है। राजस्थान यूनिवर्सिटी में विरोध कर छात्रों ने छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग की।

छात्रनेता महेश चौधरी ने कहा कि विधानसभा चुनाव के कारण पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार चुनाव नहीं करा सकी थी। लेकिन उन्होंने सरकार रिपीट होने के साथ ही छात्र संघ चुनाव कराने की बात कही थी। हालांकि कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं हुई। अब बीजेपी सरकार को छात्र संघ चुनाव कराने चाहिए। सरकार बकायदा एक महीने पहले नोटिफिकेशन जारी करते हुए लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार चुनाव कराए।

राजस्थान यूनिवर्सिटी में विरोध कर छात्रों ने छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग की।

लगातार आंदोलन किए जा रहे

छात्र प्रतिनिधि विजय पाल ने कहा कि रोष उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के बयान से है। उसके बाद ही लगातार आंदोलन किए जा रहे हैं। उसका कारण भी यही है कि सरकार आखिर में ये न बोल दे कि उनसे छात्र संघ चुनाव कराए जाने की डिमांड नहीं की गई।

जिस तरह से अपनी जायज मांग रखने पर छात्रों को पीटा गया है। उससे कई छात्रों के खून तक निकल गया। वैसे भी सरकार को खून चाहिए। इसलिए उन्हें अब खून से ही लेटर लिखकर छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग की गई है।

प्रदेशभर में युवाओं ने सरकार के खिलाफ छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है।

प्रदेशभर में युवाओं ने सरकार के खिलाफ छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है। दो दर्जन से ज्यादा छात्रों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को खून से लेटर लिख फिर से छात्र संघ चुनाव कराने की मांग रखी।

NSUI के प्रवक्ता अमरदीप ने बताया- ये लाल रंग इंकलाब और आह्वान का है। बीजेपी सरकार लाल रंग बहुत पसंद करती है। क्योंकि जिस तरह 18 जुलाई को छात्रों पर लाठियां भांजी गई किसी का हाथ टूटा, किसी का सिर फूटा, सड़कों पर खून गिरा, आज उसी खून के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ये मांग कर रहे हैं कि छात्र संघ चुनाव बहाल करना पड़ेगा।

दो दर्जन से ज्यादा छात्रों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को खून से लेटर लिख फिर से छात्र संघ चुनाव कराने की मांग रखी।

छात्र रक्त क्रांति का अभियान लेकर जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से राजस्थान विश्वविद्यालय पहुंचे छात्र नेता ज्ञानोदया चौधरी ने कहा- छात्रों को मजबूरन छात्र रक्त क्रांति की शुरुआत करनी पड़ी। छात्र अपने अमूल्य रक्त से मुख्यमंत्री के नाम चिट्ठी लिख रहे हैं।

इस क्रांति की शुरुआत जोधपुर जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से हुई। अब राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी खून से मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। सरकार से यही मांग है कि वो छात्र संघ चुनाव कराए, क्योंकि ये छात्रों का अधिकार है।

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