राजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्क

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 04 मार्च 2025 | जयपुर : राजस्थान के 28 विश्वविद्यालयों में दूसरे राज्यों से नियुक्त होने वाले कुलपतियों ने उच्च शिक्षा का बेड़ा ग़र्क का दिया है। बाहरी राज्यों से नियुक्त कुलपतियों की नियुक्ति हमेशा संदेह के घेरे में रही है।

राजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू

विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाब देही की कमी के कारण अधिकतर विश्वविद्यालयों की हालात बद-से-बदतर हो चुकी है। कई बार कुलपतियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के खुलकर आरोप भी लगे हैं, पर राजस्थान के राजनेता अपने दब्बूपन के कारण खुलकर कोई निर्णय नहीं ले पाती है।

राजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू

सबसे ख़ास बात यह है कि बाहर के राज्यों से नियुक्त हुए कुलपतियों में अधिकांश अयोग्य थे, वे यूजीसी द्वारा निर्धारित अहर्ताएँ भी पूरी नहीं करते थे। कई पर भ्रष्टाचार के खुलकर आरोप लगे पर एक कहावत आपने सुनी होगी ‘सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का’ क्योंकि कुलपतियों की नियुक्त करने वाले राज्यपाल ही उनके बॉस होते हैं।

एक बार फिर से राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने आज एक आदेश जारी करके महाराष्ट्रीयन व्यक्ति की राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) के कुलपति की नियुक्ति की है। महाराष्ट्र से इंटरव्यू देने आथे डॉ. प्रमोद येवले को RUHS का नया कुलपति बनाया है। करीब एक माह पहले कुलपति के लिए इंटरव्यू हुए थे, जिसके बाद से ये रिजल्ट रुका हुआ था।

कार्यवाहक कुलपति डॉ. धनंजय अग्रवाल को इंटरव्यू के लिए गठित कमेटी ने अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद से लगातार विरोध शुरू हो गया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राजस्थान ब्रांच ने एक पत्र राज्यपाल को लिखकर डॉ. येवले को कुलपति नहीं बनाने की मांग करते हुए बाहरी का विरोध जताया था। आपको बता दें डॉ. येवले महाराष्ट्र में सीनियर फार्मासिस्ट रह चुके हैं और महाराष्ट्र की डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रह चुके है।

इंटरव्यू निरस्त करवाने की चर्चा

आईएमए के इस पत्र के बाद मेडिकल सेक्टर से जुड़े लोगों में ये चर्चा शुरू हो गयी थी कि इस इंटरव्यू को निरस्त करवाया जा सकता है। इसे लेकर उच्च स्तर पर कुछ लोगों ने प्रयास भी किए थे, लेकिन आखिरी एक माह बाद इंटरव्यू का रिजल्ट जारी किया गया। प्रो. प्रमोद येवले के कार्यभार संभालने की तिथि से 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक इनमें से जो भी पहले के लिए की नियुक्ति की गई।

वीसी करेंगे प्रिसिंपल के अधीन काम

अब कार्यवाहक वीसी डॉ. धनंजय अग्रवाल वापस से एसएमएस मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर प्रिसिंपल के अधीन काम करेंगे। डॉ. अग्रवाल अभी नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर है, जिनको सरकार ने करीब 9 माह पहले कार्यवाहक वीसी का चार्ज दिया था।

जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी

राजभवन ने अब तक ज्यादातर कुलपतियों को राज्य के बाहर के प्रोफेसरों को बनाया है। जो स्थानीय प्रोफेसरों में कुलपति बनने का सपने देखने वालों को काफी बुरा लग रहा है। राजस्थान के स्थानीय प्रोफेसरों को विश्वविद्यालयों के कुलपति पद के लिए मौका नहीं मिल रहा है।

यह पीड़ा प्रोफेसरों ने सरकार को बताई है। सरकार राजस्थान के प्रोफेसरों को कुलपति बनाना चाहती है। जबकि राजभवन अपने नाम पर अड़ा हुआ है। कुलपतियों की नियुक्तियां नहीं होने से छात्रों को भी परेशानी हो रही है, क्योंकि विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक कार्यों में अस्थायी कुलपतियों के कारण कई मुद्दे खास तौर पर उन्हें प्रभावित कर रहे हैं।

कथित तौर पर कुलपतियों के पैनल के नाम बाहर चर्चाओं में आने से शिक्षा क्षेत्र में विश्वसनीयता और न्याय का संकट खड़ा हो गया है। इस संदिग्धता के चलते, छात्र और शिक्षक समुदाय काफी परेशान हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह मामला न्यायपालिका में भी जा सकता है क्योंकि नया सत्र शुरू होने के साथ ही कुलपतियों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

सर्च कमेटी की उदासीनता से राजस्थान में उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्क

चार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति का मामला बढ़ते विवादों के बीच अटका हुआ है। उदयपुर का मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, बीकानेर का महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, जयपुर का भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और बांसवाड़ा का गुरु गोविंद सिंह विश्वविद्यालय, इन सभी विश्वविद्यालयों में अभी तक कुलपतियों की नियुक्ति का फैसला नहीं हुआ है।

सर्च कमेटियों ने इन विश्वविद्यालयों के लिए चार-पांच प्रोफेसरों के नाम सौंप दिए है। इसमें राजभवन और सरकार के बीच सहमति-असहमति का पेंच फंसा हुआ है, जिससे कुलपतियों की नियुक्ति का फैसला अटका हुआ है।

राज्य विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की भूमिका

  • राज्य विश्वविद्यालयों में राज्य का राज्यपाल उस राज्य के विश्वविद्यालयों का पदेन कुलाधिपति होता है।
  • जबकि राज्यपाल के रूप में वह मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से कार्य करता है। कुलाधिपति के रूप में वह मंत्रिपरिषद के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य करता है और विश्वविद्यालय के सभी मामलों पर स्वयं निर्णय लेता है।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) विनियम, 2018 के अनुसार, एक विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति सामान्य रूप से कुलाधिपति द्वारा विधिवत गठित खोज सह चयन समिति द्वारा अनुशंसित तीन से पाँच नामों के पैनल से की जाती है।
  • जहाँ राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम और UGC विनियम, 2018 के बीच गतिरोध होता है तो UGC विनियम, 2018 प्रबल होगा तथा राज्य कानून प्रतिकूल होगा। 
  • अनुच्छेद 254(1) के अनुसार, यदि किसी राज्य के कानून का कोई प्रावधान संसद द्वारा बनाए गए कानून के प्रावधान के विरुद्ध है जिसे संसद समवर्ती सूची के किसी विषय पर अधिनियमित करने के लिये सक्षम है तो संसदीय कानून राज्य के कानून पर प्रभावी होगा।

गहलोत सरकार और गवर्नर हाउस के बीच खींची तलवारें !

गौरतलब है कि कुलपतियों की नियुक्ति और प्रशासनिक कामकाज को लेकर राज्यपाल और सरकार कई बार आमने-सामने आ चुकी हैं। बीते दिनों राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने जयपुर में पत्रकारिता विश्वविद्यालय की प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) और सलाहकार समिति की दो बैठकें रद्द कर दी।

इसके बाद हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय (HJU) के कुलपति के कार्यालय और राजभवन के बीच कई पत्रों का आदान-प्रदान यह दिखाता है कि दोनों पक्षों के बीच पिछले एक साल से हालात तनावपूर्ण रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओम थानवी, जिनका कुलपति के रूप में तीन साल का कार्यकाल हाल में समाप्त हुआ है ने राज्यपाल के बैठक रद्द करने के आदेशों पर चिंता व्यक्त करते हुए “मनमाना निर्णय” कहा था। थानवी ने यह भी कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि विश्वविद्यालय के भविष्य के कुलपतियों को कुछ विपक्षी विधायकों की आधारहीन शिकायतों के आधार पर परेशान नहीं किया जायेगा।

वहीं एक अन्य घटना में 30 मार्च, 2021 को राज्यपाल के सचिव की ओर से लिखे गए एक पत्र में थानवी को उनके “ट्वीट और राजनीतिक बयानों” के बारे में विस्तृत स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था। पत्र में कहा गया था कि थानवी को उनके पद से हटाया जाना चाहिए क्योंकि वह राजनीतिक बयानबाजी करते हैं।

वहीं थानवी ने राजभवन को जवाब देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी और कुलपति सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और HJU राजस्थान सरकार का कोई विभाग नहीं होकर एक स्वायत्त निकाय है और सभी को राजनीतिक मुद्दों और चर्चा में भाग लेने और अपनी राय रखने का अधिकार है।

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राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोध

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 04 मार्च 2025 | जयपुर : राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में वाइस चांसलर (VC) के पद पर हुई डॉ. प्रमोद येवले की नियुक्ति का एक तरफ विरोध तो दूसरी तरफ समर्थन शुरू हो गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की राजस्थान ब्रांच और राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (RMCTA) ने आज राज्यपाल को पत्र लिखा।

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोध

इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है। पुनर्विचार नहीं करने पर IMA ने भविष्य में आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ ने डॉ. येवले की नियुक्ति का समर्थन करते हुए राज्यपाल को बधाई संदेश भेजा है।

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोध

आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. एमपी शर्मा और सचिव डॉ. पीसी गर्ग की ओर से लिखे गए इस पत्र में बताया- VC के पद पर गैर चिकित्सक की नियुक्ति काे लेकर पूरे चिकित्सा समुदाय में रोष है। इस नियुक्ति को न केवल मेडिकल शिक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया, बल्कि चिकित्सा जगत के पेशेवरों के अधिकारों का हनन भी बताया।

उन्होंने बताया- राज्यों में मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना इसलिए की गई थी, ताकि उनके अंतर्गत मेडिकल कॉलेजों को जोड़ा जा सके। जब से राज्यों में मेडिकल यूनिवर्सिटी बनी है, तब से वहां डॉक्टर जिसके पास MBBS, MD, Mch या DM की मेडिकल संबंधित उच्च शिक्षा की डिग्री है, उन्हें ही वीसी बनाया गया है।

वर्तमान में जब मेडिकल कॉलेजों में गैर चिकित्सक को फैकल्टी के तौर पर नियुक्त नहीं किया जाता, तो मेडिकल यूनिवर्सिटी में गैर चिकित्सक को कैसे VC नियुक्त किया जा सकता है। आपको बता दें कि डॉ. येवले महाराष्ट्र में सीनियर फार्मासिस्ट रह चुके हैं और महाराष्ट्र की डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रह चुके है।

आईएमए ने इसे सरकार की हठधर्मिता बताते हुए इसे चिकित्सा क्षेत्र के हितों पर कुठाराघात बताया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस पर पुनर्विचार नहीं करेगी तो मजबूरन सभी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों और चिकित्सा समुदाय को विरोध-प्रदर्शन करके आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी।

नियुक्ति के समर्थन में पत्र

इधर राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर डॉ. येवले को वाइस चांसलर बनाए जाने का समर्थन किया है। संघ अध्यक्ष तिलक चंद शर्मा ने पत्र लिखकर इसे एतिहासिक निर्णय बताया।

पहले भी लिखा था पत्र

IMA ने जब VC के इंटरव्यू हुए थे, तब भी ऐसा ही एक पत्र राज्यपाल को लिखकर डॉ. येवले का विरोध जताया था। उस समय चर्चा थी कि एक गुट IMA के जरिए इस इंटरव्यू को निरस्त करवाना चाहता है। इस विरोध के चलते इंटरव्यू का परिणाम भी एक माह की देरी से जारी किया गया।

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जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 फरबरी 2025 | जयपुर : जयपुर में एक और कॉलेज गर्ल ने सुसाइड किया है। करीब दस दिन पहले मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी) कैंपस में एक छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर जान दे दी थी। अब राजस्थान विश्वविद्यालय के कैंपस में बने माही छात्रावास में रहने वाली एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

गांधी नगर पुलिस को शनिवार शाम को घटना की जानकारी मिली। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि हॉस्टल के पहली मंजिल पर बने कमरे में छात्रा फंदे से लटक रही थी। छात्रा को उतार कर अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने शनिवार को हॉस्टल में सुसाइड कर लिया। छात्रा का शव हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला। छात्रा फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। छात्रा के आत्महत्या की खबर सामने आते ही पूरे कैंपस में सनसनी फैल गई। तुरंत स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। मिली जानकारी के अनुसार सुसाइड की यह घटना राजस्थान यूनिवर्सिटी के माही हॉस्टल में हुई।

माही हॉस्टल में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट ने की सुसाइड

माही छात्रावास राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्राओं के लिए आवंटित है। यहां शनिवार को दोपहर बाद एक छात्रा के आत्महत्या की जानकारी सामने आई। सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान महारानी कॉलेज के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट के रूप में हुई है। छात्रा ने अपने कमरे में पंखे से कपड़े का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड के कारणों की नहीं मिली जानकारी

पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। इधर छात्रा की खुदकुशी पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। छात्रा ने सुसाइड क्यों किया, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। मालूम हो कि बीते दिनों माही हॉस्टल में वॉर्डन के व्यवहार सहित अन्य मुद्दों पर छात्राओं ने प्रदर्शन भी किया था।

महारानी कॉलेज में पढ़ाई करती थी छात्रा

माही हॉस्टल में सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान सारिका बुनकर के रूप में हुई है। सारिका महारानी कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। सारिका मूल रूप से दिल्ली रोड स्थित मनोहरपुर की रहने वाली थी। बताया जाता है कि छात्रा ने सुसाइड से पहले परिवार को फोन भी किया था।

युवती का मोबाइल लॉक, परिजनों की दी गई सूचना

घटना के बारे में गांधी नगर थानाधिकारी आशुतोष ने बताया- सुसाइड की घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे। परिवार को घटना की जानकारी दी है. युवती का मोबाइल लॉक है। परिवार के आने के बाद अन्य चीजों पर काम किया जायेगा। हॉस्टल में सारिका के साथ रहने और पढ़ने वाली छात्राओं से भी पूछताछ की जा रही है।

कमरे से नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

बताया गया कि शाम करीब 4 बजे सारिका के कमरे का गेट नहीं खोलने पर दूसरी छात्राओं ने वॉर्डन को जानकारी दी। इस पर वॉर्डन ममता जैन गार्ड को लेकर कमरे में पहुंची और गेट तोड़कर अंदर गए तो सारिका फंदे से लटकी मिली। कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. मामले की जांच जारी है।

राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्राओं का धरना-प्रदर्शन जारी है. गुरुवार रात भी छात्राएं कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करती नजर आई। अब छात्राओं का यह प्रदर्शन और तेज हो सकता है, क्योंकि गुरुवार रात NSUI के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने आंदोलनरत छात्राओं से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद विनोद जाखड़ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाये। साथ ही कहा कि विवि प्रशासन का रवैया तानाशाही है।

दरअसल राजस्थान विश्वविद्यालय के माही गर्ल्स हॉस्टल में नई वार्डन की नियुक्ति के मुद्दे पर छात्राएं कड़ाके की सर्दी में कुलपति सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि यह नियुक्ति उनके हितों और भावनाओं के खिलाफ है।

पाली की लड़की ने किया था सुसाइड

दस दिन पहले जवाहर लाल नेहरू मार्ग स्थित एमएनआईटी में पढ़ने वाली छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला। उसमें लिखा था कि ‘गलती मेरी ही है। मैं ही इस दुनिया में नहीं जी सकती। सबसे ज्यादा खुश मैं या तो बचपन में या नींद में थी।’ मृतक छात्रा 21 वर्षीय दिव्या राज मेघवाल थी जो कि पाली जिले की रहने वाली थी। वह एमएनआईटी में बीआर्क (आर्किटेक्चर) फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी।

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