उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया की शिवम सोनकर को बीएचयू में एडमिशन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 अप्रैल 2025 | जयपुर (बनारस से लाखन सिंह चक सामाजिक कार्यकर्त्ता की रिपोर्ट) : काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पीएचडी दाखिले को लेकर पिछले 20 दिनों से धरने पर बैठे दलित छात्र शिवम् सोनकर की मांगों के आगे विश्वविद्यालय प्रशासन को झुकना पड़ा।

उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया की शिवम सोनकर को बीएचयू में एडमिशन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका

उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया की शिवम सोनकर को बीएचयू में एडमिशन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका

इस मामले में उज्जैन से बीजेपी सांसद और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए स्थायी संसदीय समिति के सदस्य अनिल फिरोजिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसके लिए एससी एसटी कल्याण के लिए अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संगठनों के  परिसंघ का प्रतिनिधि मंडल श्री फिरोजिया से दिल्ली में उनके आवास पर भेंट की थी।

संसदीय समिति के शीर्ष पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी

उन्होंने इस मामले को गंभीरतापूर्वक लिया और महासंघ के प्रतिनिधि मंडल के समक्ष ही तत्काल धरने पर बैठे शिवम् सोनकर से बात की एवम् उनकी पीड़ा को सुना और समझा। फिर उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय के कुलपति से फोन पर वार्ता की और शिवम् के हक़ में फैसला लेने के लिए कहा।

साथ ही संसदीय समिति के शीर्ष पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी कि वे शिवम सोनकर की हर संभव मदद करें। इसी का परिणाम है कि शिवम सोनकर को न्याय मिल सका। विपक्ष के दबाव के बाद शिक्षा मंत्रालय ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया और यूजीसी ने बची हुई सीटों पर प्रवेश देने की अनुमति दी। विश्वविद्यालय ने आदेश का तत्काल पालन करते हुए प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की और पहले ही दिन शिवम् सोनकर का एडमिशन हुआ।

महामना को दिया जीत का श्रेय

एडमिशन होने के बाद शिवम् सोनकर मालवीय भवन पहुंचे और मालवीय प्रतिमा के आगे भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने गलत किया था इसलिए मेरा संघर्ष जारी था मुझे खुशी है कि मेरे साथ-साथ और भी छात्रों का एडमिशन हो रहा है जो हर साल इसी नियम के चलते एडमिशन नहीं पाते थे।

20 दिन धरना देने के बाद विश्वविद्यालय में हुआ एडमिशन

एडमिशन होने के बाद शिवम् सोनकर ने कहा कि अब हम मालवीय शोध अध्ययन केंद्र के शोध छात्र हो चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमने रजिस्ट्रेशन किया जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हमें फीस जमा करने के लिए लिंक भेजा गया। हमने फीस जमा किया और हमें एडमिशन लेटर प्राप्त हुआ।

उन्होंने कहा कि 20 दिनों तक जिन्होंने मुझे खाना खिलाया मेरा साथ दिया मैं उनका धन्यवाद देता हूं और मैं उनके लिए खुश हूं कि यह उनके संघर्ष का जीत है। उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने मेरे मामले को तत्काल गंभीरता से लिया, मैं उनका आभारी हूँ।

एससी एसटी कल्याण के लिए अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संगठन परिसंघ ने उज्जैन सांसद का आभार जताया

शिवम सोनकर को तत्परता से न्याय दिलाने के लिए एससी एसटी कल्याण के लिए अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संगठन परिसंघ ने उज्जैन सांसद का आभार जताया है। परिसंघ के पदाधिकारी जल्दी ही सार्वजनिक कार्यक्रम में उनका सम्मान करने के लिए माननीय सांसद से पुनः भेंट करेंगे।

परिसंघ के महासचिव पुष्पेंद्र सिंह ने मूकनायक मीडिया को बताया कि अत्यंत संवेदनशील इस मामले का समाधान उज्जैन सांसद ने बड़ी तत्परता और प्रभावी रूप से करवाया। उनकी तत्परता के कारण ही यूजीसी को पीएच-डी प्रवेश के नियम बदलने पड़े और इससे एससी एसटी और ओबीसीके सैंकड़ों शोधार्थियों को फायदा होगा। इसके लिए परिसंघ उनका दिल से आभार व्यक्त करता है।

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दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की एससी एसटी संसदीय समिति के समक्ष बोलती बंद

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 12 अप्रैल 2025 | जयपुर — दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए स्थायी संसदीय समिति के चेयरमैन फग्गन सिंह कुलस्ते के नेतृत्व में विजिट की गयी। इसमें उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया, टोंक-सवाई माधोपुर सांसद हरीश मीणा सहित समिति के अधिकाँश सदस्य शामिल थे।

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की एससी एसटी संसदीय समिति के समक्ष बोलती बंद

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी संसदीय समिति, जिसमें दोनों सदनों; राज्यसभा और लोकसभा के लगभग 20 सांसदों  ने डीयू का दौरा किया। एससी/एसटी वर्ग के शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों सहित लगभग 80 व्यक्तियों के साथ विस्तृत चर्चा की।

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की एससी एसटी संसदीय समिति के समक्ष बोलती बंद

समिति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के साथ वार्तालाप किया। मूकनायक मीडिया को मिली जानकारी के अनुसार करीब-करीब सभी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में इन वर्गों को आ रहीं समस्याओं को समिति के साथ इत्मीनान से रखा और उतना ही संजीदगी से समिति ने बात भी सुनी। इस वार्ता में हुई हर बात को अधिकारीगण नोट भी कर रहे थे।

जिन मुद्दों पर बातचीत रखी वो मुद्दे कुछ इस तरह रहें..

  1. विभागों में नॉन फाउंड सुटेबल (NFS) के मुद्दे को सभी ने उठाया,

  2. रोस्टर के साथ घालमेल का मुद्दा बैठक में प्रमुखता से उठा,

  3. बैंकलॉग और शॉर्टफाल की चर्चा भी खूब हुई,

  4. स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएच-डी (UG & PG & PHD) के दाखिलों में इन वर्गों के नामांकन की स्थिति पर व्यापक चर्चा,  

  5. गैर-शैक्षणिक (Non-Teaching Post) को ओउट सोर्स (Outsource) और कॉन्ट्रैक्ट (Contract) पर करने पर चिंता हुई,

  6. अम्बेडकर चेयर और ट्राइबल चेयर बनाने की बात उठायी,

  7. ट्राइबल सेंटर में एक भी ट्राइबल का नहीं होने का जिक्र हुआ,

  8. ट्राइबल की नैशनल फेलोशिप और ओवरसीज (Overseas) फेलोशिप का बजट में ना के बराबर फंड देने पर बात रखी,

  9. सहायक प्रोफेसर के साक्षात्कार में 40 उम्मीदवार बुलाने की बात रखी जो कि यूजीसी गजट नोटिफिकेशन और डीयू के अध्यादेश (Ordinance) के खिलाफ,

  10. प्रोमोशन और प्रिन्सिपल के अपॉइंटमेंट में सिर्फ (SCOPUS publications) लगाने का विरोध हुआ, यह यूजीसी गजट नोटिफिकेशन और डीयू  अध्यादेश (Ordinance) के खिलाफ,

  11. होस्टलों में दाखिलों में एससी-एसटी के साथ हो रहे भेदभाव पर चर्चा हुई,

  12. दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रिन्सिपल के अपॉइंटमेंट में आरक्षण नहीं देने पर चर्चा हुई,

  13. डीयू के VC की टीम में 100 सालों में एक भी एससी-एसटी (SC/ST) को नहीं रखने का मुद्दा उठाया,

  14. काले कमेटी की सिफारिशों  को लागू करने का मुद्दा जोरदार ढंग से उठा,

  15. एससी-एसटी (SC/ST) के छात्रों को फीस में रियायत मिले,

  16. विभिन्न कालेजों में प्रिन्सिपलो की प्रताड़ना को भी उठाया गया.. आदि मुद्दों को संसदीय समिति के सामने बखूबी रखा, जिसे समिति ने गौर से सुना और नोट भी किया।

समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का कुलपति ने किया सम्मान 

दिल्ली विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण संबंधी स्थायी समिति के अध्ययन दौरे पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने सम्मानित किया। हमेशा की भाँति अबकी बार भी प्रशासन के बचाव के लिए चिन्हित लोगों ने स्तुति गान गाने की कोशिश की तो समिति के सदस्यों ने उन्हें टोका और झिड़का। 

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया का स्वागत करते हुए

उज्जैन से सांसद अनिल फिरोजिया ने सभी से खुलकर बोलें, हम समस्याओं को सुनने आए हैं ना कि ऐसी बातें सुनने। उन्होंने कहा कि संविधान के नियमानुसार काम को देखने और उनकी पालना के लिए ये विजिट है। एक दो शिक्षकों ने समिति के इतने वर्षों बाद आने पर सवाल उठाने का प्रयास किया तो समिति ने कहा..अब समिति आई है तो समस्याएँ बताओं…समाधान भी होगा।

आईआईटी दिल्ली में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण संबंधी स्थायी समिति के अध्ययन दौरे पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों, अध्यापकों, सहायक अध्यापकों एवं कर्मचारियों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं को सुना व आईआईटी दिल्ली प्रशासन को उन पर त्वरित कार्यवाही कर शीघ्रातिशीघ्र समाधान करने का निर्देश दिया।

संसदीय समिति डीयू की विजिट की विस्तृत रिपोर्ट संसद में करेंगी पेश

संसदीय समिति आज डीयू की विजिट की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर संसद में पेश भी करेगी। एक बात जरूर हैं कि संसदीय समिति SC/ST की आज डीयू में हुई। विजिट से काफी समस्याओं के समाधान होंगे। इतनी उम्मीद हम सभी को जरूर है। जिसकी जानकारी आने वाले दिनों में हमें नोटिसों के माध्यम से मिलती रहेगी।

एससी एसटी संसदीय समिति के अध्यक्ष फग्गन सिंह कुलस्ते, उज्जैन से सांसद अनिल फिरोजिया और केंद्रीय शुक्ष सचिव विनीत जोशी आईएस

बाकि तो वंचितों को अपने हकों के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ता है और करते रहना है। तभी जाकर प्रशासन के द्वारा देर सवेर थोड़ा थोड़ा न्याय मिलता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने शुक्रवार को संसदीय समिति के समक्ष संकाय भर्ती पर चिंता जताते हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों को व्यवस्थित रूप से हाशिए पर डालने का आरोप लगाया।

200-बिंदु आरक्षण रोस्टर के कार्यान्वयन पर भी चिंता जतायी

200-बिंदु आरक्षण रोस्टर के कार्यान्वयन पर भी चिंता जतायी गयी। 2013 के कार्यकारी परिषद के प्रस्ताव के कारण महत्वपूर्ण विसंगतियाँ सामने आयी। इनमें बैकलॉग रिक्तियों को अस्वीकार करना और कॉलेज के बजाय विभाग के अनुसार कमियों की पहचान करना शामिल है। ज्ञापन में कहा गया है कि इसने स्वीकृत पदों में मनमाने बदलावों के माध्यम से रोस्टर बिंदुओं में हेरफेर करने की अनुमति दी है।

इसके अलावा, प्रिंसिपल जैसे एकल-कैडर पदों में आरक्षण की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया। पात्र एससी/एसटी उम्मीदवार उपलब्ध होने के बावजूद, ऐसी नियुक्तियों को व्यवस्थित रूप से अस्वीकार कर दिया गया है। इससे “योग्यता” की विषम धारणा को बल मिला है। इसमें कहा गया है कि कई प्रिंसिपलों को दूसरे और तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से नियुक्त किया गया। इससे नए अवसर और प्रतिनिधित्व सीमित हो गए।

ठेके पर काम कराने की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर भी ध्यान आकर्षित

शिक्षकों ने शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर ठेके पर काम कराने की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। विशेष रूप से नॉन-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड (एनसीडब्ल्यूईबी) और स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) जैसी इकाइयों में।

इसमें कहा गया है कि अतिथि एवं संविदात्मक नियुक्तियां प्रायः आरक्षण रोस्टर का पालन किए बिना की जाती हैं। आउटसोर्स की गई श्रेणी-डी की नौकरियों में आरक्षण को पूरी तरह दरकिनार कर दिया जाता है। इससे सबसे अधिक हाशिए पर पड़े लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं।

हाँ प्रशासन आज बहुत चिंतित थे और समिति के सामने खड़े होकर सारे लोगों के सवालों को टकटकी लगाकर सुन और देख रहें थे। दोपहर बाद संसदीय समिति ने आज पूछे सवालों और समस्याओं पर प्रशासन से जबाव जरूर मांगे हैं। इसकी अभी तक पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। हां जानकारी जब मिलेगी तब आप सभी साथियों के साथ साँझा जरूर करेंगे।

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फर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 मार्च 2025 | जयपुर : फर्जी डिग्री मामले में शनिवार को राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद के कुलाधिपति सुकेश यादव, रजिस्ट्रार नंदन कुमार और दलाल अजय भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया। सुकेश विदेश भागने की फिराक में थे। उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से पकड़ा गया। वहीं, रजिस्ट्रार नंदन की शिकोहाबाद व दलाल अजय की गिरफ्तारी जयपुर से हुई।

फर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने ​बैक डेट में फर्जी डिग्री जारी करने वाले जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर, रजिस्ट्रार और दलाल को अरेस्ट किया है। इस यूनिवर्सिटी से 245 अभ्यर्थी फर्जी डिग्री लेकर पीटीआई बने थे। जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को एसओजी ने पकड़ा है।

जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

विदेश भागने की फिराक में था चांसलर सुकेश कुमार

एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया- शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2022 के मामले में शनिवार को जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को गिरफ्तार किया है। इन्होंने अभ्यर्थियों को घर बैठे फर्जी डिग्रियां दी थी। फर्जीवाड़े में एसओजी पूर्व में ओपीजेएस विश्वविद्यालय के चांसलर-संचालक और पूर्व रजिस्ट्रार को गिरफ्तार कर चुकी है।

जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को एसओजी ने पकड़ा है।

वीके सिंह ने बताया- चांसलर सुकेश कुमार वर्तमान में राजकीय कॉलेज आगरा में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत है। इसने जेएस विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा, दलाल अजय भारद्वाज और अन्य के मार्फत यूनिवर्सिटी की बीपीएड कोर्स की बैक डेट में फर्जी तरीके से डिग्रियां जारी की।

जैसा कि पहले बताया गया है उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद कस्बे में स्थित जेएस यूनिवर्सिटी से जुड़े इन व्यक्तियों ने ​लाखों रुपए में सौदा कर सैकड़ों फर्जी डिग्रियां अभ्यर्थियों को घर बैठे दी थी। सुकेश कुमार एसओजी की कार्रवाई का अंदेशा होने पर विदेश भागने की फिराक में था, लेकिन एसओजी ने उसको दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया।

फर्जी तरीके से बैक डेट में दी डिग्रियां

संचालक सुकेश कुमार ने अपने पिता जगदीश सिंह के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम जेएस विश्वविद्यालय रखा है। दलाल अजय भारद्वाज ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से भी हजारों छात्रों को विभिन्न कोर्सेज की फर्जी तरीके से बैक डेट में डिग्रियां दिलवा चुका है।

पेपर माफिया भूपेंद्र सारण के घर से फर्जी डिग्रियां जब्त होने के मामले में भी यह जयपुर में गिरफ्तार हो चुका है। अपने साथियों से मिलकर अजय एकलव्य ट्राइबल यूनिवर्सिटी (पूर्व सुधासागर विश्वविद्यालय) डूंगरपुर और अनंत इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मेघालय स्थापित करने जा रहा है।

एसओजी की जांच में सामने आया कि एक ही शिक्षा सत्र में प्रवेश लेने वाले सभी अभ्यर्थियों का चयन इस परीक्षा में हुआ था। यह सभी राजस्थान के निवासी थे। पीटीआई परीक्षा में अनेक विद्यार्थियों ने आवेदन के समय अलग-अलग विश्वविद्यालय का उल्लेख किया।

जबकि चयन के बाद जेएस विश्वविद्यालय की डिग्रियां दी। इस परीक्षा में आवेदन के समय कुल 2067 अभ्यर्थियों ने अपनी बीपीएड की डिग्री जेएस विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण/अध्ययनरत होने का उल्लेख किया, जो निर्धारित सीटों से कई गुना ज्यादा है।

पेपर लीक माफिया में फर्जी डिग्री के लिए जेएस यूनिवर्सिटी कुख्यात

एडीजी सिंह ने बताया- पूर्व की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक माफियाओं ने अयोग्य अभ्यर्थियों के लिए निजी विश्वविद्यालयों से पैसे देकर बड़ी संख्या में बैक डेट में डिग्रियां उपलब्ध करवाई थी। परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थी फॉर्म भरते समय जान-बूझकर ऐसे निजी विश्वविद्यालय का नाम उल्लेख करते थे, ताकि चयनित होने पर आसानी से पैसे देकर बैक डेट में डिग्री का इंतजाम किया जा सके।

यह भी पढ़ें : राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोध

वीके सिंह ने बताया- पेपर लीक गैंग के सदस्यों के बीच में इस काम के लिए जेएस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद कुख्यात थी। इस परीक्षा में 2067 अभ्यर्थियों ने परीक्षा का फॉर्म भरते समय खुद को जेएस यूनिवर्सिटी का विद्यार्थी होना और डिग्री प्राप्त होने का उल्लेख किया था, जो कि इस यूनिवर्सिटी के इस कोर्स के लिए स्वीकृत संख्या के कई गुना है।

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