मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 23 जुलाई 2024 | जयपुर : राजस्थान में अलवर, बाड़मेर, भरतपुर समेत 17 मेडिकल कॉलेज में सेवा दे रहे फैकल्टी डॉक्टर्स ने आज जयपुर में चिकित्सा शिक्षा भवन पर प्रदर्शन किया। उन्होंने इन कॉलेज में काम कर रहे सभी फैकल्टी डॉक्टर्स को राजस्थान स्टेट सर्विस नियम के दायरे में लाने की मांग की। भवन के बाहर पहुंचे इन फैकल्टी डॉक्टर्स ने डाइंग कैडर का पुतला बनाया। उसे अर्थी पर लेटाकर नारेबाजी की।
17 मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी डॉक्टर्स ने चिकित्सा शिक्षा भवन जयपुर पर किया प्रदर्शन
राजमेस आरएमसीटीए वेल्फेयर सोसायटी के कोषाध्यक्ष डॉ. जगदीश प्रसाद ने बताया- वर्तमान में 17 मेडिकल कॉलेज राजमेस के अधीन हैं। जो धोलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बाड़मेर, चूरू, दौसा, हनुमानगढ़, पाली, सीकर, झालावाड़ चित्तौड़गढ़, बूंदी, श्रीगंगानगर, डूंगरपुर, अलवर, करौली व सिरोही जिले में हैं।
इन कॉलेजों में यूजी और पीजी छात्रों को जो फैकल्टी पढ़ाती है। उनको सरकार राज्य सेवा नियम में शामिल नहीं करके डाइंग कैडर घोषित करना चाहती है। जबकि भविष्य में इन्हीं कॉलेजों में फैकल्टी की भर्ती होगी।
उनको राज्य सेवा नियम के तहत भर्ती किया जाएगा। इससे पुरानी और नई फैकल्टी के बीच भेदभाव होगा। वहीं, वर्तमान में जो फैकल्टी काम कर रही है। वह अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है। फैकल्टी डॉक्टर्स ने चिकित्सा शिक्षा भवन पर प्रदर्शन किया।
750 से ज्यादा फैकल्टी है मौजूद
वर्तमान में इन सभी मेडिकल कॉलेजों में 750 से ज्यादा फैकल्टी है। इन पर राजमेस के नियम लागू हैं। उसी के तहत उनको वेतनमान-भत्ते दिए जाते हैं। जबकि दूसरे मेडिकल कॉलेज जैसे जयपुर, जोधपुर, अजमेर आदि में काम करने वाली फैकल्टी राज्य सर्विस नियम के तहत वेतनमान-भत्ते मिल रहे हैं। दोनों के वेतन-भत्तों में काफी अंतर है, जबकि काम दोनों का एक ही है।
सरकार देने के पक्ष में लेकिन वित्त विभाग ने रोकी फाइल
गहलोत सरकार ने बजट में ऐलान करने के बाद राजमेस में राज्य सेवा नियमों की घोषणा की थी। लेकिन हाल ही में वित्त विभाग से जारी नए आदेश में इन सभी चिकित्सकों को डाइंग कैडर घोषित कर दिया। साथ ही 1 अगस्त 2024 के बाद जो भी नई भर्तियां इन कॉलोजों में होगी।
उन्हें राज्य सर्विस नियम के तहत वेतनमान दिए जाएंगे। ऐसे में हमने जब प्रदर्शन कर वर्तमान में काम कर रही फैकल्टी को भी राज्य सर्विस नियम में शामिल करने की मांग की तो वित्त विभाग ने इस मांग को मानने से इंकार कर दिया।