सेहत : गोल्डेन एज को दवाइयों के सहारे न बितायें

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 14 जुलाई 2024 | जयपुर : उम्र के दो पड़ाव बचपन और बुढ़ापा बीमारियों का घर होते हैं। जरा सी असावधानी हुई कि बीमारी आ धमकी। असल में बच्चों की इम्यूनिटी पूरी तरह विकसित नहीं हुई होती है। जबकि वयस्क उम्र बीत जाने के बाद हमारी इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है।

सेहत : गोल्डेन एज को दवाइयों के सहारे न बितायें

गोल्डेन एज को दवाइयों के सहारे न बितायें

बचपन में तो वैक्सीनेशन हमें ज्यादातर बीमारियों से बचा लेता है, लेकिन बुढ़ापे में कई बीमारियां घेर लेती हैं और दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है। दवाइयों पर इस निर्भरता को मेडिसिन डिपेंडेंसी या ड्रग डिपेंडेंसी कहते हैं।

इस कंडीशन को ऐसे समझिए कि जब हमारा शरीर अपना बुनियादी कामकाज करने में सक्षम नहीं रहता, शरीर के ऑर्गन्स को बेसिक फंक्शनिंग के लिए दवाओं की जरूरत पड़ने लगती है तो इसे मेडिसिन डिपेंडेंसी कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक स्थिति है।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे मेडिसिन डिपेंडेंसी की। साथ ही जानेंगे कि-

  • हमारा शरीर कब मेडिसिन डिपेंडेंट हो जाता है?
  • मेडिसिन डिपेंडेंसी के क्या लक्षण हैं?
  • इससे उबरने के क्या उपाय हैं?

गोल्डेन एज को दवाइयों के सहारे न बिताएं

कोई शख्स बचपन से लेकर वयस्क होने तक जी-तोड़ मेहनत करता है। अच्छी नौकरी हासिल करता है, फिर मकान, गाड़ी और घर की तमाम सुख-सुविधाएं जुटाता है। इसके बाद शादी-ब्याह, बच्चे, फिर उनकी पढ़ाई-लिखाई। यही करते-करते उम्र बीत जाती है और रिटायरमेंट नजदीक आ जाता है।

इस उम्र तक अकसर लोग अपनी ज्यादातर जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके होते हैं और अब यह बेफिक्र होकर जीने का समय होता है। लेकिन इसी समय तमाम बीमारियां घेर लेती हैं और जिंदगी दवाइयों पर निर्भर हो जाती है।

50 की उम्र तक घेर लेती हैं कई बीमारियां

एसएमएस के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. गोपाल मीणा कहते हैं कि 50 से अधिक उम्र के जो ज्यादातर पेशेंट आते हैं, वे कई तरह की लाइफस्टाइल डिजीज से ग्रसित होते हैं। लाइफस्टाइल बीमारियों के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि एक बार इन्होंने घेर लिया तो दवाइयां स्किप करना काल बन सकता है। रोज नियमित रूप से दवाइयां खानी ही पड़ती हैं।

दवाओं का सेवन करते-करते हो जाता है एडिक्शन

  • जब हम कुछ दवाएं रोज खा रहे होते हैं तो हमें उनकी लत लग जाती है। इनके बगैर सबकुछ मुश्किल लगने लगता है। हमारा शरीर इन दवाइयों पर इस कदर निर्भर हो जाता है कि इनके बिना शरीर का बुनियादी कामकाज तक मुश्किल हो जाता है।
  • अगर इन दवाइयों का सेवन बंद कर दिया जाए तो कई हेल्थ इश्यूज का जोखिम हो सकता है।

मेडिसिन डिपेंडेंसी से बचने का रास्ता क्या है?

अगर वृद्धावस्था बीमारियों और दवाइयों के बगैर गुजरे तो इससे बड़ा और कोई सुख नहीं है। उम्र के इस पड़ाव तक आते-आते ज्यादातर चिंताएं खत्म हो चुकी होती हैं, सारी जिम्मेदारियों से निवृत्ति मिल चुकी होती है। ऐसे में किसी समस्या के बिना आसानी से जिंदगी गुजारी जा सकती है। डॉ. अमित समाधिया ने इसके लिए 6 तरीके बताए हैं, जिन्हें अपनाकर मेडिसिन डिपेंडेंसी से बचा जा सकता है।

वैक्सीनेशन है जरूरी

ज्यादातर लोग जानते हैं कि शिशुओं और बच्चों को वैक्सीन लगवाकर उन्हें बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसे लेकर खूब अवेयरनेस है और लोग अपने बच्चों को वैक्सीन लगवाते भी हैं। हमें समझने की जरूरत है कि वैक्सीनेशन सिर्फ बच्चों के लिए नहीं होता है। कई वैक्सीन्स हमें किसी भी उम्र में बीमारियों से बचा सकती हैं, ये बुजुर्गों के लिए और भी काम की हो सकती हैं।

असल में जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, इम्यून सिस्टम कमजोर होता जाता है, जिससे न्यूमोकोकल डिजीज, इन्फ्लूएंजा और दाद जैसे संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। बुढ़ापे में ये संक्रमण और गंभीर हो सकते हैं क्योंकि शरीर जल्दी रिकवर नहीं हो पाता है।

दाद का संक्रमण कई महीनों तक परेशान कर सकता है और निमोनिया हुआ तो अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता है। जबकि वैक्सीनेशन इन संक्रमणों के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक बोझ से हमें बचा सकता है।

डॉक्टर से मिलकर दाद, निमोनिया, इन्फ्लूएंजा, डिप्थीरिया और काली खांसी के वैक्सीनेशन के बारे में पूछ सकते हैं। ये वैक्सीन बुजुर्ग अवस्था की कई बीमारियों और मेडिसिन डिपेंडेंसी से बचा सकती हैं।

एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर डाइट लें

रंग-बिरंगे फल और सब्जियां, मछली, सीड्स और नट्स एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। ये डाइट स्किन डैमेज, कॉग्निटिव और मेमोरी में गिरावट जैसे एजिंग के लक्षणों को रोकने में भी मददगार हो सकती है। एंटीऑक्सीडेंट्स की पूर्ति के लिए जामुन, स्ट्रॉबेरी, बीन्स, हल्दी, लहसुन, नट्स आदि का सेवन करते रहें।

प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर डाइट लें

ढलती उम्र में बोन्स और मसल्स कमजोर पड़ने लगते हैं। ऐसे में हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती बनाए रखने के लिए प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन D का संतुलित सेवन बेहद आवश्यक होता है। इसके लिए डॉक्टर से बात कर सकते हैं कि इनके संतुलन के लिए क्या-क्या खाना चाहिए। सभी के शरीर की जरूरत अलग हो सकती है।

प्रतिदिन एक्सरसाइज जरूरी

अच्छी सेहत के लिए रोजाना एक्सरसाइज बहुत जरूरी है। ढलती उम्र में हार्ट रेट बढ़ाने के लिए एरोबिक एक्सरसाइज कर सकते हैं। हार्ट रेट बेहतर रहने से शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छी बनी रहती है। इससे सभी ऑर्गन्स की हेल्थ भी अच्छी रहती है। साइकिलिंग, डांसिंग, लॉन्ग वॉकिंग, जॉगिंग, रनिंग और स्विमिंग अच्छी एरोबिक एक्सरसाइज हैं। इस दौरान हमारे शरीर का बड़ा मसल ग्रुप एक्टिव होता है।

यह सब हार्ट हेल्थ के लिए तो अच्छा है ही, साथ ही इससे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है। एरोबिक एक्सरसाइज कम-से-कम सप्ताह में दो बार करनी चाहिए। इससे हड्डियों और मांसपेशियों की ताकत बरकरार रहती है। 40 से अधिक उम्र के बाद और अगर कोई मेडिकल कंडीशन है तो एक्सरसाइज शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

रेगुलर हेल्थ चेकअप है जरूरी

हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, किडनी डिजीज और कैंसर जैसी क्रोनिक डिजीज से बचने के लिए रेगुलर हेल्थ चेकअप जरूरी है। अगर बीमारियों का पता शुरुआती स्टेज में ही चल जाए तो इनका इलाज इतना मुश्किल नहीं होता है।

हर व्यक्ति की अलग हेल्थ कंडीशन हो सकती है। उसके हिसाब से ही उसे बॉडी चेकअप की जरूरत होती है। इस बारे में डॉक्टर से बात कर सकते हैं कि किस तरह की जांच की जरूरत है और कितने दिनों के अंतराल में जांच की आवश्यकता है।

मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना है जरूरी

उम्र ढलने के साथ हमारा कॉग्निटिव फंक्शन भी कमजोर पड़ने लगता है। मेमोरी पॉवर वीक होने लगती है। इसके अलावा वृद्धावस्था में भावनाओं की उथल-पुथल भी बढ़ जाती है। अकेलापन महसूस होने लगता है और चिंताएं बढ़ जाती हैं। इस सबका सीधा असर हमारी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। एंग्जायटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।

हमें ‘एज विद ग्रेस’ के कॉन्सेप्ट के साथ जिंदगी का आनंद लेना चाहिए। अपनी बकेट लिस्ट निकालें। जीवन में जो यात्राएं अधूरी रह गई हैं, उन्हें पूरा करें। घर में सभी सदस्यों के साथ दोस्ताना संबंध बनाएं। हेल्दी खाना खाएं। जीने का कोई-न-कोई मकसद बरकरार रखें।

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MOOKNAYAK MEDIA

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RCA की बर्बादी के लिए कौन है जिम्मेदार, राजस्थान के क्रिकेटर्स का भविष्य चौपट

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 मार्च 2025 | जयपुर :  राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) की एडहॉक कमेटी पर शिकंजा कसता जा रहा है। एडहॉक कमेटी को अब राज्य सरकार ने नोटिस जारी कर पिछले एक साल में हुए खर्चों का ब्योरा मांगा है। आरोप है कि कमेटी पदाधिकारी अपने निजी खर्चों के लिए पैसों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

RCA की बर्बादी के लिए कौन है जिम्मेदार

खेल विभाग के सचिव नीरज कुमार पवन ने बताया- वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत मिली थी। इसलिए पूरे मामले की जांच करने का फैसला किया गया है। खर्चों की पूरी जानकारी मांगी गई है। वहीं नई कमेटी के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है।

RCA की बर्बादी के लिए कौन है जिम्मेदार

वर्तमान की एडहॉक कमेटी का गठन एक साल पहले किया गया था। सबसे बड़ा सवाल यह है कि RCA कि बर्बादी के लिए जिम्मेदार कौन है और राजस्थान के होनहार खिलाडियों का करियर कौन बर्बाद कर रहा है?

“RCA की बर्बादी” से आपका तात्पर्य संभवतः राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (Rajasthan Cricket Association) से है। इस सवाल का जवाब देना जटिल है क्योंकि इसके लिए कोई एक व्यक्ति या समूह को स्पष्ट रूप से जिम्मेदार ठहराना संभव नहीं है बिना ठोस तथ्यों और संदर्भ के। यह एक राय-आधारित प्रश्न है जो राजनीतिक, प्रशासनिक और संगठनात्मक कारकों पर निर्भर करता है।

हाल के घटनाक्रमों के आधार पर, जैसे कि फरवरी 2024 में राज्य खेल परिषद द्वारा RCA के दफ्तर पर ताला लगाने की घटना, कुछ लोग इसे राजनीतिक द्वेष से जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया था, क्योंकि उनके बेटे वैभव गहलोत RCA के अध्यक्ष हैं। दूसरी ओर, यह भी संभव है कि संगठन के आंतरिक प्रबंधन, वित्तीय अनियमितताओं या नीतिगत विवादों ने इसके संकट में योगदान दिया हो।

एडहॉक कमेटी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

आईपीएल शुरू होने से ठीक पहले राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) की एडहॉक कमेटी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। कमेटी के सदस्यों पर आरसीए के फंड का दुरुपयोग करने, खुद के लिए महंगे आईफोन खरीदने और अनावश्यक रूप से महंगे समारोह आयोजित करने के आरोप हैं।

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की बर्बादी के लिए कौन है जिम्मेदार

कमेटी के सदस्यों ने कथित रूप से आरसीए के पैसों से 2 लाख रुपये के महंगे आईफोन खरीदे। इसके अलावा, उन्होंने फंड का उपयोग कर महंगे सूट भी सिलवाए। आरसीए के पास खुद का लक्जरी होटल होने के बावजूद बाहरी महंगे होटलों में समारोह आयोजित किए गए, जिससे अनावश्यक खर्च बढ़ा। एक समारोह में 35 लाख रुपये खर्च करने की जानकारी सामने आई है, जबकि पुरस्कार राशि केवल 5 लाख रुपये थी।

सदस्यों पर फर्जी टीए-डीए लेने का भी आरोप है। नियमों के अनुसार, एडहॉक कमेटी का काम केवल तीन माह में चुनाव कराना होता है, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी चुनाव नहीं कराए गए। साथ ही, राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को कार्यक्रमों में निमंत्रण नहीं भेजा गया और साधारण सभा की बैठक भी नहीं बुलाई गई, जो कि वित्तीय मामलों को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक होती है।

राजस्थान के क्रिकेटर्स का भविष्य चौपट

पहले भी खिलाड़ियों के चयन को लेकर एडहॉक कमेटी पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। अब इन नए आरोपों ने राजस्थान के क्रिकेट समुदाय में आक्रोश फैला दिया है। क्रिकेट प्रेमियों और खिलाड़ियों ने सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि आरसीए के फंड का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि राजस्थान में क्रिकेट का विकास हो सके।

राजस्थान के क्रिकेटर्स का भविष्य “चौपट” होने की बात एक गंभीर चिंता का विषय हो सकती है, लेकिन इसे समझने के लिए हमें कई पहलुओं पर नजर डालनी होगी। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) के हाल के विवादों और प्रबंधन से जुड़े मुद्दों ने निश्चित रूप से राज्य के क्रिकेट पर असर डाला है।

पिछले कुछ वर्षों में RCA में आंतरिक कलह, नेतृत्व के झगड़े और प्रशासनिक अस्थिरता की खबरें सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, 2013 में ललित मोदी और उनके विरोधियों के बीच टकराव ने संगठन को दो खेमों में बांट दिया था, जिसका असर खिलाड़ियों के चयन और विकास पर पड़ा।

हाल ही में, फरवरी 2024 में राज्य खेल परिषद द्वारा RCA दफ्तर पर ताला लगाने की घटना ने भी सुर्खियां बटोरीं, जिसे राजनीतिक हस्तक्षेप के रूप में देखा गया। ये विवाद युवा क्रिकेटर्स के लिए अनिश्चितता पैदा करते हैं, क्योंकि संगठन की अस्थिरता सीधे तौर पर ट्रेनिंग, कोचिंग और टूर्नामेंट्स की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।

इसके अलावा, संसाधनों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को उचित सुविधाएं, कोचिंग और एक्सपोजर नहीं मिल पाता। X पर कुछ यूजर्स ने भी इस ओर इशारा किया है कि स्कूलों में भेजी गई खेल सामग्री की गुणवत्ता घटिया है, जिससे बुनियादी स्तर पर खिलाड़ियों का विकास बाधित हो रहा है। साथ ही, चयन प्रक्रिया में कथित तौर पर जातिवाद और पक्षपात की शिकायतें भी सामने आती रही हैं, जो प्रतिभा को मौका देने के बजाय उसे दबा सकती हैं।

हालांकि, यह कहना कि भविष्य पूरी तरह “चौपट” है, शायद अतिशयोक्ति हो। राजस्थान ने अजिंक्य रहाणे, दीपक हुड्डा और राहुल चाहर जैसे खिलाड़ी दिए हैं, जो राष्ट्रीय और IPL स्तर पर चमके। राज्य में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन RCA को स्थिरता, पारदर्शिता और बेहतर नीतियों की जरूरत है। अगर प्रशासन सुधरे, कोचिंग सिस्टम मजबूत हो और युवाओं को सही मंच मिले, तो राजस्थान के क्रिकेटर्स का भविष्य फिर से उज्ज्वल हो सकता है।

3 महीने में होने चाहिए चुनाव

नीरज कुमार पवन ने कहा- हम यही कोशिश करेंगे कि जो भी सदस्य अब एडहॉक कमेटी में आए। वह अगले तीन महीने में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के लंबित चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करे। ताकि क्रिकेट की जो गतिविधियां है। वह सही ढंग और सुचारू रूप से संचालित की जा सकें।

राजस्थान क्रीड़ा परिषद ने जारी किया नोटिस।

लाखों रुपए गलत तरीके से खर्च करने के आरोप

दरअसल, पिछले दिनों राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की एडहॉक कमेटी पर खिलाड़ियों के अवॉर्ड फंक्शन के नाम पर लाखों रुपए गलत ढंग से खर्च करने के आरोप लगे थे। राजस्थान क्रीड़ा परिषद ने जारी किया नोटिस।

इसको लेकर काफी जिला संघों के पदाधिकारियों ने खेल मंत्री और खेल विभाग के सचिव तक भी शिकायत की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि खिलाड़ियों के पैसे से एडहॉक कमेटी के पदाधिकारी महंगे मोबाइल फोन खरीदने के साथ ही सूट स्टिच करवा रहे हैं।

इसके साथ ही बेवजह लाखों रुपए खर्च कर फाइव स्टार होटल में प्रोग्राम किया जा रहा है। इसके लिए गलत ढंग से एक इवेंट कंपनी को साढ़े सात लाख रुपए में ठेका भी दिया गया है। खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राजस्थान के खेल संघ की वित्तीय ऑडिट करने के आदेश दिए थे।

खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राजस्थान के खेल संघ की वित्तीय ऑडिट करने के आदेश दिए थे।

खेल मंत्री ने किया था ट्वीट

खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने ट्वीट कर कहा था कि खेल परिषद को राज्य के सभी खेल निकायों, जिनमें क्रिकेट भी शामिल हैं। ऐसे सभी खेल संघों के लिए एक उच्च स्तरीय शासन प्रणाली लागू करनी चाहिए। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा अपनाई गई नीतियों की तरह राजस्थान में भी खेल संगठनों का संचालन किया जाना चाहिए।

28 मार्च को एडहॉक कमेटी का गठन किया था

राजस्थान सरकार ने आरसीए की कार्यकारिणी को भंग कर सरकार ने 28 मार्च 2024 को एडहॉक कमेटी का गठन किया था। इसे 3 महीने में आरसीए के चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई थी।

लगभग एक साल बाद भी सरकार की ओर से गठित की गई एडहॉक कमेटी आरसीए के चुनाव नहीं करा पाई है। कमेटी में बीजेपी विधायक जयदीप बिहाणी कन्वीनर और धनंजय खींवसर, धर्मवीर सिंह शेखावत, रतन सिंह शेखावत, हरीशचंद्र सिंह और विमल शर्मा ही सदस्य हैं।

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राहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होली

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 14 मार्च 2025 | जयपुर : राजस्थान रॉयल्स टीम के खिलाड़ियों और कोच ने जयपुर में होली खेली। प्रैक्टिस कैंप में पहुंचे रॉयल्स के खिलाड़ियों ने मैरियट होटल के गार्डन एरिया में जमकर होली का जश्न मनाया। इस दौरान टीम के चीफ कोच राहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन होली खेलने पहुंचे।

राहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होली

राहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होली

इस दौरान सभी खिलाड़ियों ने राजस्थान रॉयल्स के चीफ कोच और मैनेजमेंट के सदस्यों के साथ ग्रुप फोटो भी क्लिक करवाई। खिलाड़ियों ने एक दूसरे को गुलाल और पानी से रंग दिया।

आईपीएल के पिछले सीजन में शानदार बैटिंग करने वाले रियान पराग धुलंडी के मौके पर एक अलग ही रंग में नजर आए। उन्होंने सबसे पहले खुद को ही गुलाबी रंग लगाया और होली की शुभकामनाएं दी। इसके बाद वह अपने साथी खिलाड़ियों के साथ जमकर डांस और मस्ती करते नजर आए।

खिलाड़ियों ने एक दूसरे को गुलाल और पानी से रंग दिया।

सभी खिलाड़ियों ने साथ में फोटो खिंचवाई

होली का जश्न मनाने के दौरान राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाज रियान पराग और ध्रुव जुरैल सबसे ज्यादा मस्ती करते नजर आए। दोनों खिलाड़ियों ने टीम के अन्य सदस्यों पर जमकर गुलाल उड़ाया। दोनों ने साथी खिलाड़ियों के साथ बॉलीवुड गानों पर जमकर डांस किया। 

देखिए, खिलाड़ियों की होली की मस्ती की तस्वीरें…

रियान पराग ने खुद को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी।

रियान पराग ने खुद को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी।

राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ियों ने गुलाल से होली का जश्न मनाया।

राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ियों ने गुलाल से होली का जश्न मनाया।

राजस्थान के खिलाड़ियों ने मैरियट होटल के गार्डन एरिया में जमकर मस्ती की।

राजस्थान के खिलाड़ियों ने मैरियट होटल के गार्डन एरिया में जमकर मस्ती की।

खिलाड़ी रंग लगाने के साथ एक दूसरे के कपड़े फाड़ते नजर आए।

खिलाड़ी रंग लगाने के साथ एक दूसरे के कपड़े फाड़ते नजर आए।

राहुल द्रविड़ ने व्हीलचेयर पर बैठकर ही खिलाड़ियों के साथ होली खेली।

राहुल द्रविड़ ने व्हीलचेयर पर बैठकर ही खिलाड़ियों के साथ होली खेली।

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