मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 24 जुलाई 2024 | जयपुर : पेपरलीक मामले में पकड़ा गया आरोपी ओम प्रकाश बिश्नोई सीमा सुरक्षा बल (BSF) में 10 साल नौकरी कर चुका है। अफीम तस्करी में मोटी कमाई के लालच में उसने बीएसएफ छोड़ दी थी। उसके बाद बिश्नोई राजस्थान में पेपरलीक का सरगना बन गया।
ओपी बिश्नोई ने 2.5 करोड़ में पेपर लीक गैंग को बेचा एसआई भर्ती पेपर
उसने बताया है कि सब इंस्पेक्टर भर्ती- 2021 में ढाई करोड़ रुपए में 30 अभ्यर्थियों को पेपर बेचा। आरोपी ने अपने एक हिस्ट्रीशीटर साथी के साथ मिलकर पेपरलीक कर 50 अभ्यर्थियों को एसआई बनवा दिया। पेपर सॉल्व करने के लिए आरोपी ने जयपुर में सिरसी रोड पर फ्लैट किराए पर लिया था।
उसने हिस्ट्रीशीटर श्रवण के साथ मिलकर सब इंस्पेक्टर (SI) भर्ती का पेपरलीक किया। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की पूछताछ में उसने कई खुलासे किए हैं।
एक बड़ा नेटवर्क खड़ा किया
एसओजी के एएसपी राम सिंह ने बताया कि ओम प्रकाश पेपरलीक से एक दिन में हुई करोड़ों की कमाई देखकर भूपेंद्र सारण गैंग से जुड़ा था। ओम प्रकाश ने अफीम तस्करी के नेटवर्क के साथ-साथ लीक पेपर बेचने में भी एक बड़ा नेटवर्क खड़ा कर दिया था।
पूछताछ में सामने आया है कि ओम प्रकाश और हिस्ट्रीशीटर श्रवण बाबेल ने मिलकर करीब 50 अभ्यर्थियों को पेपर देकर एसआई भर्ती परीक्षा में पास करवाया। इनमें श्रवण की बेटी चंचल भी शामिल है। चंचल पहले ही गिरफ्तार हो चुकी है।
परीक्षा की घोषणा के साथ ही नेटवर्क एक्टिव हो जाता
कॉम्पिटिशन एग्जाम की घोषणा होने के साथ ही उसका नेटवर्क एक्टिव हो जाता था। उसके गैंग के सदस्य कोचिंग, हॉस्टल के आसपास चाय की दुकानों पर सक्रिय होकर पैसे वाले स्टूडेंट को चिह्नित करते।
गैंग का सदस्य छात्र बनकर मेल-जोल बढ़ाता और पैसे में पेपर मिलने की जानकारी देता था। जिसके बाद गैंग के सदस्य पैसों की बात करते और परीक्षा से कुछ समय पहले अज्ञात जगहों पर ले जाकर उन्हें पेपर देते थे।
ओम प्रकाश ने जयपुर के सोडाला स्थित शांति नगर स्कूल से यूनिक भांभू की ओर से 14 और 15 सितंबर 2021 को लीक हुए पेपर को भूपेंद्र सारण से खरीद कर बेचा था।
एसओजी सिरसी रोड सहित अन्य जगहों पर कर रही तस्दीक
जानकारी मिलने के बाद एसओजी की टीमें ओम प्रकाश की ओर से बताए गई लोकेशन पर जा चुकी है। एसओजी की तीन टीमों ने सोमवार को जयपुर में अलग-अलग जगहों पर जांच की। लोगों से गिरफ्तार आरोपियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
अफीम तस्करी में मोटी कमाई देखकर बीएसएफ छोड़ी
ओमप्रकाश 2001 से 2011 तक बीएसएफ में नॉर्थ -ईस्ट इलाके में ही पोस्टेड था। 10 साल की नौकरी के दौरान उसकी अफीम तस्करों से सांठ-गांठ हो गई थी। अफीम में मोटी कमाई को देखकर बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी थी।
साल 2019 में उसने तस्कर भैरा राम और महेंद्र कुमार निवासी जोधपुर ने 22 किलो अफीम को एक स्थान पर पहुंचाने के लिए दी थी। दोनों तस्करों ने अफीम तय स्थान पर नहीं पहुंचा कर लूट होना बता दिया था। इस विवाद में भैराराम और महेंद्र को ओम प्रकाश ने हिस्ट्रीशीटर श्रवण बाबेल के गांव पिटकासनी में बुलाया था और दोनों की हत्या कर दी थी।
पेपर खरीदने वालों की लिस्ट बनाकर एसओजी करेगी जांच
एसओजी को पूछताछ में ओमप्रकाश ने 50 से अधिक लोगों को पेपर बेचना बताया है। ऐसे में एसओजी अब उससे पूछताछ कर उनकी लिस्ट बनाएगी, वे कौन-कौन हैं उसमें भर्ती में सलेक्ट हुए हैं। नेटवर्क हैंडलर ने किस-किस को पेपर बेचा, एसओजी उसका पता लगाने की कोशिश कर रही है, इसके लिए ओमप्रकाश के नेटवर्क को खंगाला जा रहा है।