राजस्थान में 24797 पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती होगी रद्द

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 04 अगस्त 2024 |  जयपुर :  राजस्थान में 24,797 पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती रद्द होगी। स्वायत्त शासन विभाग अब नए सिरे से भर्ती निकालेगा। इसके बाद राजस्थान में पिछले 12 दिनों से जारी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो सकती है। वाल्मीकि समाज की मांग के बाद सरकार ने मौजूदा भर्ती प्रक्रिया में बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है।

राजस्थान में 24797 पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती होगी रद्द

दरअसल, राजस्थान सरकार ने 1 मार्च को प्रदेश में 24 हजार 797 पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती निकाली थी। इसके लिए प्रदेश भर में 9 लाख 20 हजार से ज्यादा आवेदन आए थे। इन आवेदनों में बड़ी संख्या में गैर वाल्मीकि समाज के युवा भी शामिल थे।

सफाई कर्मचारियों की भर्ती होगी रद्द

इस पर वाल्मीकि समाज ने सफाई कर्मचारी भर्ती में प्राथमिकता की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया था। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जयपुर में जगह-जगह कचरे के ढेर लग गए हैं।

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जयपुर में जगह-जगह कचरे के ढेर लग गए हैं।

कालीचरण सराफ को दी हड़ताल खत्म कराने की जिम्मेदारी

सरकार ने जब भर्ती नियम में संशोधन नहीं किया तो वाल्मीकि समाज ने 23 जुलाई से कार्य बहिष्कार कर हड़ताल शुरू कर दी। इसके कारण पूरे प्रदेश की सफाई व्यवस्था बिगड़ गई थी। सरकार ने इस पूरी हड़ताल को खत्म कराने की जिम्मेदारी जयपुर के मालवीय नगर विधायक कालीचरण सराफ को दी है।

सराफ ने स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों, हड़ताल पर गए सफाई कर्मचारियों से बातचीत कर इस पूरे मामले का ब्योरा यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा को दिया। उन्होंने मौजूदा भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से भर्ती करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार सोमवार तक इसके आदेश हो जाएंगे।

संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा- वाल्मीकि समाज अपनी जायज मांग को लेकर गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहा है। जब तक सरकार हमारी सभी मांगों को पूरा नहीं करती हम हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।

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राजस्थान में दो लाख स्कूल शिक्षकों के पद खाली भर्ती का इंतजार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 सितंबर 2024 |  जयपुर : एक तरफ प्रदेश के बेरोजगार युवा स्कूल व्याख्याता और वरिष्ठ अध्यापक भर्ती प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में इन दोनों ही कैडर के 42 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं।

राजस्थान में दो लाख स्कूल शिक्षकों के पद खाली भर्ती का इंतजार

इतनी बड़ी संख्या में खाली पद होते हुए भी भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की जा रही है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की दो महीने की मासिक रिपोर्ट का अध्ययन किया जाए तो एक जुलाई के बाद एक सितंबर तक व्याख्याताओं के खाली पदों में 4439 बढ़ोतरी हो गई।

राजस्थान में दो लाख शिक्षकों के पद खाली

एक जुलाई को व्याख्याताओं के खाली पद 12846 थे, जो सितंबर में बढ़कर 17285 पहुंच गए। इसी तरह वरिष्ठ अध्यापकों के खाली पद भी जुलाई में 25396 के मुकाबले सितंबर में 25502 पहुंच गए। इन दोनों कैडर के सितंबर में खाली पदों की संख्या 42787 है।

इन दोनों ही पदों के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग भर्ती निकालता है। माध्यमिक शिक्षा में सभी कैडर के कुल पदों की संख्या 370873 है, इनमें से 125081 पद खाली पड़े हैं। इतनी बड़ी संख्या में पद खाली होने के बावजूद युवा बेरोजगार भर्तियों का इंतजार कर रहे हैं।

खाली पदों से पढ़ाई प्रभावित

माध्यमिक शिक्षा में तृतीय श्रेणी अध्यापकों के 23555 पद खाली पड़े हैं। इस कैडर के 103087 पद स्वीकृत है। इनमें से 79532 पद भरे हुए हैं। पिछले दिनों व्याख्याता से वाइस प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति की गई थी। इस कारण एक साथ व्याख्याता के खाली पद बढ़ गए। वर्तमान में वाइस प्रिंसिपल के 12424 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 7526 पद खाली हैं। पिछले दिनों पदोन्नति से 4898 पद भर गए थे।

खाली पदों से पढ़ाई प्रभावित – वरिष्ठ अध्यापक और स्कूल व्याख्याता के इतनी बड़ी संख्या में पद खाली रहने से 9वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई स्कूलों में विषय अध्यापक नहीं है। अगर नई भर्ती भी निकलती है तो इस साल बच्चों को नए वरिष्ठ अध्यापक व व्याख्याता मिलना मुश्किल हैं।

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ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे रहेगी। वरिष्ठ कंप्यूटर अनुदेशक के 591 में से 358 पद और बेसिक कंप्यूटर अनुदेशक के 9862 में से 3539 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह से पूर्व प्राथमिक अध्यापक के 2020 में से 1257 पद खाली पड़े हैं।

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अमृतलाल मीणा बिहार की ब्यूरोक्रेसी के बॉस, उनका बेटा सफल उद्यमी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 05 सितंबर 2024 | जयपुर : सीनियर आईएएस अमृतलाल मीना बिहार के मुख्य सचिव बनने से पहले दिल्ली में कोयला मंत्रालय में सचिव के पद पर थे। मूकनायक मीडिया ब्यूरो टीम उनकी संघर्ष से सफलता तक की कहानी जानने उनके गांव पहुंची।

अमृतलाल मीणा बिहार की ब्यूरोक्रेसी के बॉस, उनका बेटा सफल उद्यमी

राजस्थान के करौली जिले के सपोटरा का डाबरा गांव। इसी गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे अमृतलाल मीना। पढ़ने का बहुत शौक था, लेकिन परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था। घर में बिजली तक नहीं थी। ऐसे में अमृतलाल रातभर दीये की रोशनी में पढ़ाई करते।

अमृतलाल मीणा बिहार की ब्यूरोक्रेसी के बॉस

बस का सवा रुपए का किराया बचाने के लिए घर से 20 किलोमीटर दूर स्कूल पैदल ही निकल जाते। हर तरह के संघर्ष का सामना किया, क्योंकि जिंदगी में खास मुकाम हासिल करने का सपना देखा था। पहले IAS बने और अब बिहार के मुख्य सचिव।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पुराना मकान, जहां अमृतलाल पले-बढ़े। अब परिवार ने दूसरा मकान बना लिया
पुराना मकान, जहां अमृतलाल पले-बढ़े। अब परिवार ने दूसरा मकान बना लिया

बचपन में चेचक हुआ तो मां कपड़े में लपेटकर ले जाती

मां जगनी देवी बताती हैं कि 15 अगस्त को अमृतलाल का जन्म हुआ। परिवार खेत में बने पुराने मकान में रहता था। बोलीं- बेटा पढ़ने में शुरू से ही तेज था। अकेले स्कूल जाता और आता। किसी से कोई मतलब नहीं रखता। एक बार चेचक होने पर बहुत कमजोर हो गया था। उसके दोनों छोटे भाई भी बीमार थे। उन्हें कपड़ों और अखबार में लपेटकर डाॅक्टर को दिखाने ले जाती थी।

वो देर रात तक पढ़ता रहता था। मैं बोलती थी- सो जा, बहुत रात हो गई। पता नहीं कब सोता था? सुबह जल्दी उठकर भी पढ़ता था। तीनाें भाइयों को भी पढ़ाता था। अमृत ने बहुत मेहनत की है।

कभी स्कूल से या गांव से शिकायत नहीं मिली। बाबा क्षेत्रपाल की कृपा रही। अभी जन्माष्टमी पर बाबा के दर्शन करने के लिए आया था। दिल्ली में रहे या फिर पटना, गांव में बाबा के दर्शन करने जरूर आता है।

सिद्धांतवादी और नियमों पर चलने वाले इंसान

अमृतलाल के छोटे भाई शरद लाल ने बताया कि भाईसाहब को खाना बनाना भी नहीं आता था। गांव से एक दूध वाला गंगापुर सिटी जाता था, दूध बेचने। मां उसके हाथ ही रोटी और छाछ भेज देती थी। भाईसाहब सुबह-शाम वही खाना खाते थे। खाना खाने के बाद शाम को भी वहीं खाना खाते थे। उन्होंने काफी संघर्ष किया था। पिता खेती करते थे।

मैं सीकर के लक्ष्मणगढ़ में पढ़ता था। एक वहां से बिना बताए अचानक जयपुर आ गया। तब वे पता नहीं कहां से अचानक आ गए थे। आते ही दो थप्पड़ मार दिए। बोले- मुझे बिना बताए हॉस्टल से कैसे आ गए हो?

वे सिद्धांतवादी हैं और नियमों पर चलते हैं। शरदलाल मीना पीडब्ल्यूडी में एक्सईएन हैं। एक भाई भरतलाल एफसीआई (पंजाब) में मैनेजर हैं। सबसे छोटे भाई रामअवतार पावर ग्रिड (दौसा) में डीजीएम हैं।

MNIT से इंजीनियरिंग की, पहले प्रयास में बने IAS

उनका MNIT में इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन हो गया था। 1982 से लेकर 1988 तक जयपुर रहे। कुछ समय तक वहीं पर पढ़ाया। इसके बाद कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने लगे।

इसी दौरान IAS और IES का एग्जाम दिया। पहली बार में ही दोनों में पास हो गए। घरवालों ने बताया कि सेल्फ स्टडी की बदौलत ये सफलता हासिल की। कहीं से कोचिंग नहीं की। IES में उन्हें रेलवे विभाग मिला था। उन्होंने सिविल सर्विस को सिलेक्ट कर लिया था। तब से अब तक उनका सफर लगातार जारी है।

बेटा सुमित करीब 100 करोड़ वार्षिक टर्नओवर की B2B कंपनी के मालिक 

 अमृतलाल का बेटा सुमित एमबीए है। एमबीए करने के बाद  उन्होंने अपनी खुद की B2B कंपनी रजिस्टर्ड की है। पिछले साल उनकी कंपनी का टर्न ओवर 45 करोड़ से अधिक था जो कि अब 100 के करीब पहुँच चुका है। उनकी कंपनी में करीब 60-70 कर्मचारी हैं। उनकी बहू प्रीति डॉक्टर हैं। बेटी आकांशा ने भी एमबीबीएस किया है। लखनऊ एम्स से पीजी कर रही हैं। पत्नी बर्फी देवी गृहणी हैं।

अपने परिवार के साथ अमृतलाल मीना।
परिवार के साथ अमृतलाल मीना

ऐसा रहा SDM से मुख्य सचिव तक का सफर

  • अमृतलाल मीना 1989 बैच के IAS हैं। उन्हें बिहार कैडर मिला था। 1991 में एसडीएम के रूप में पहली पोस्टिंग बेगूसराय में हुई थी। 1993 में एडीएम बने।
  • 1994 में बतौर कलेक्टर पहली पोस्टिंग सीतामढ़ी में हुई। वे 2004 तक सीवान, आरा, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, नालंदा, गया सहित 7 जिलों में कलेक्टर रहे थे।
  • 2005 में बिहार के वैशाली से सांसद रघुवंश प्रसाद केंद्रीय मंत्री बने। उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय दिया गया था। अमृतलाल मीना को उनका पीएस नियुक्त किया।
  • 2009 तक वे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में ही रहे थे। 2009 में ही उन्हें फूड प्रोसेसिंग में जाॅइंट सेक्रेटरी लगाया गया। जिसके मंत्री शरद पंवार थे।
  • मई 2012 में अमृतलाल वापस बिहार चले गए। उन्हें कृषि मंत्रालय में प्रिंसिपल सेक्रेटरी लगाया गया। दिसंबर 2013 में अर्बन डेवलपमेंट में प्रिंसिपल सेक्रेटरी लगाया।
  • 2015 में पीडब्ल्यूडी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी और 2017 से लेकर 2021 तक पीडब्ल्यू और पंचायतराज में अतिरिक्त मुख्य सचिव लगाया गया।
  • नवंबर 2021 में एडिशनल सेक्रेटरी कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज में लगाया गया। मई 2022 में कोल इंडिया में सचिव लगाया। 30 अगस्त 2024 में उन्हें बिहार भेजा गया।
  • 31 अगस्त की रात को मुख्य सचिव बनाने का नोटिफिकेशन जारी हुआ।
सीएम नीतीश कुमार के साथ अमृतलाल मीना।
सीएम नीतीश कुमार के साथ अमृतलाल मीना

करियर के 2 चैलेंजिंग मामले

  • 22 दलितों की हत्या : अमृतलाल 1996 में नालंदा में कलेक्टर थे। उसी दौरान भोजपुर जिले के एक गांव मथानी टोला में 22 दलित लोगों की हत्या कर दी थी। राज्य सरकार ने उन्हें वहां से भोजपुर पोस्ट किया था। वहां जाने के बाद स्थिति को संभाला। दो साल तक वहां पर रहे थे। इस दौरान वहां कोई भी बड़ी वारदात नहीं हुई।
  • बच्चे का अपहरण और दंगे : अमृतलाल गया में कलेक्टर थे। उसी दौरान मुजफ्फपुर में एक बच्चे का अपहरण हो गया था। घटना के विरोध में दंगे हो गए। लोगों ने पुलिस थाने से लेकर सरकारी संपतियों में आग लगा दी थी। अमृतलाल का तत्काल गया से मुजफ्फपुर तबादला कर सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए भेजा गया। अमृतलाल ने वहां पहुंच कर लोगों को समझायाा। दंगों पर कंट्रोल किया।

15 साल पहले पिता का एक्सीडेंट हुआ ताे टूट गए

शरद लाल ने बताया कि करीब 15 साल पहले पिता अमरलाल मीना बाइक से जा रहे थे। सामने से आ रही स्कूल बस ने टक्कर मार दी। सिर में चाेट लगी थी। पहले गंगापुर सिटी लेकर गए। वहां से उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया।

करीब 22 दिन आईसीयू में एडमिट रहे। भाईसाहब छुट्‌टी लेकर जयपुर में ही पिता की सेवा में लगे रहे थे। एक बार पिताजी रिकवर भी हो गए थे। बाद में तबीयत ज्यादा खराब हो गई। पिताजी की मृत्यु होने पर भाईसाहब काफी टूट गए थे।

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