लेटरल एंट्री के बहाने RSS के लोग सीधा IAS बनाये जा रहे हैं

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 20 अगस्त 2024 |  जयपुर : मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री के जरिए सीधे सीनियर IAS लेवल की 45 वैकेंसी निकाली है। इनमें जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर जैसे बड़े सरकारी पद शामिल हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि लेटरल एंट्री के जरिए सरकार खुलेआम SC, ST और OBC समुदाय का हक छीन रही है। इससे पहले भी मोदी सरकार इस तरह की नियुक्तियाँ कर चुकी हैं। 

लेटरल एंट्री के बहाने RSS के लोग सीधा IAS बनाये जा रहे हैं

लेटरल एंट्री के बहाने RSS के लोग सीधा IAS बनाये जा रहे हैं

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पलटवार करते हुए कहा है कि UPSC में लेटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट कांग्रेस सरकार का है। UPSC में लेटरल एंट्री क्या है, इसमें कौन लोग भर्ती होते हैं, क्या इनमें रिजर्वेशन लागू नहीं होता, बीजेपी या कांग्रेस कौन जिम्मेदार; ऐसे 10 जरूरी सवालों के जवाब…

सवाल 1: UPSC में लेटरल एंट्री से जुड़ा विवाद अभी क्यों शुरू हुआ?

जवाब: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यानी 𝐔𝐏𝐒𝐂 ने 17 अगस्त को लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती के लिए 𝟒𝟓 पोस्ट पर वैकेंसी निकाली है। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र के लोगों को सरकार के सीनियर पदों पर रखा जाएगा।

लेटरल एंट्री के लिए UPSC की ओर से जारी किए गए विज्ञापन में आरक्षित सीटों का जिक्र नहीं किया गया है। ये जरूर कहा गया है कि इन पदों के लिए योग्य कैंडिडेट्स का चुनाव किया जाएगा।

18 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पोस्ट में लिखा कि लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती में आरक्षण लागू नहीं है। ऐसे में इसके जरिए भर्ती करके खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का हक छीना जा रहा है। नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं।

RSS के लोग सीधा IAS बनाये जा रहे हैं

इसके बाद से ही लेटरल एंट्री को लेकर विवाद शुरू हो गया है। राहुल के अलावा विपक्षी दलों के नेता तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट कर लेटरल एंट्री में रिजर्वेशन नहीं देने को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। इन बयानों पर सरकार ने भी पलटवार किया है।

सवाल 2: लेटरल एंट्री होती क्या है, जिस पर इतना हंगामा मचा है?

जवाब: UPSC में लेटरल एंट्री का मतलब प्राइवेट सेक्टर के लोगों की सरकार के बड़े पदों पर सीधी भर्ती से है। इसमें दो ऑब्जेक्टिव पूरे करने के बहाने होते हैं। पहला- प्रशासन में एक्सपर्ट्स शामिल होते हैं, दूसरा- प्रतिस्पर्धा बनी रहती है।

इस संबंध में आरक्षण रोस्टर के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहते हैं “वास्तविकता यह है कि आईएएस में चयनित होने वाले अभ्यर्थी इंजीनियरिंग, मेडिकल, अर्थशास्त्र, कृषि, मैनेजमेंट इत्यादि क्षेत्रों में उच्च शिक्षा ग्रहण करके आते हैं और वेल क्वालिफाइड होते हैं।” 

लेटरल एंट्री के जरिए सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक या उप-सचिव पदों के लिए भर्ती होती है। किसी सरकारी विभाग में सचिव और अतिरिक्त सचिव के बाद संयुक्त सचिव का पद तीसरा सबसे बड़ा और ताकतवर पद है। संयुक्त सचिव अपने विभाग में प्रशासनिक प्रमुख के रूप में काम करते हैं।

निदेशक संयुक्त सचिव से एक रैंक नीचे होता है और उप-सचिव निदेशक से एक रैंक नीचे होता है। संयुक्त सचिव वह पद है, जहां से किसी विभाग में फैसला लेने की प्रक्रिया शुरू होती है।

सवाल 3: UPSC ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री की जो वैकेंसी निकाली, क्या उसमें आरक्षण लागू नहीं होगा?

जवाब: इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें रिजर्वेशन लागू नहीं होगा। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने एक RTI जवाब में कहा है कि सरकारी नौकरियों में 13 रोस्टर पॉइंट के जरिए रिजर्वेशन लागू होता है।

रोस्टर सिस्टम क्या कहता है: इस सिस्टम के मुताबिक सरकारी नौकरी में हर चौथा पद OBC, हर सातवां पद SC, हर चौदहवां पद ST और हर 10वां पद EWS के लिए रिजर्व होना चाहिए। पर इसमें 3 से कम पदों पर भर्ती के लिए रिजर्वेशन लागू नहीं होने के नियम का हवाला दिया जा रहा है, जो भ्रामक है।

इस पर प्रोफ़ेसर मीणा कहते हैं कि ऐसे में रिवर्स रिजर्वेशन का नियम लागू होना चाहिए जिसके तहत पहला पद एससी, दूसरा पद एसटी, तीसरा पद ओबीसी और चौथा पद अनारक्षित होना चाहिए। सबसे बड़ी समस्या यह है की अनारक्षित पदों को सवर्ण के लिए आरक्षित मान लिया जाता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। 

इस बार UPSC ने लेटरल एंट्री के जरिए 45 पदों पर वैकेंसी निकाली है। रिजर्वेशन रोस्टर के मुताबिक 6 SC, 3 ST, 12 OBC और 4 EWS के लिए होना चाहिए। हालांकि, सरकार ने कानून के टेक्निकल वजहों का लाभ उठाते हुए अलग-अलग विभागों से 3 से कम पदों के लिए विज्ञापन जारी किए हैं।

इसमें रिजर्वेशन लागू नहीं करने का बहाना बनाया है। इस मामले पर मूकनायक मीडिया ने UPSC के संबंधित अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

सवाल 4: क्या UPSC या भारत सरकार ने लेटरल एंट्री में रिजर्वेशन को लेकर कोई निर्देश दिए हैं?

जवाब: हां, 29 नवंबर 2018 को भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की एडिशनल सेक्रेटरी सुजाता चतुर्वेदी ने UPSC के सेक्रेटरी राकेश गुप्ता को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया था कि लेटरल एंट्री के लिए कैंडिडेट का चुनाव प्राइवेट कंपनियों, राज्य सरकार, स्वतंत्र निकाय, यूनिवर्सिटी से किया जाना चाहिए। जो अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट हों। ये भर्ती कांट्रैक्ट के तौर पर 3 से 5 साल के लिए होगी। इस पत्र में इस बात का भी जिक्र था कि इन भर्तियों के लिए रिजर्वेशन को लागू करना जरूरी नहीं है।

सवाल 5: लेटरल एंट्री के जरिए पहली भर्ती कब हुई?

जवाब: फरवरी 2017 में नीति आयोग ने तीन साल के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया। इसके तहत केंद्रीय सचिवालय में प्राइवेट सेक्टर के अनुभवी लोगों को बहाल करने का सुझाव दिया गया।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 3 साल के लिए कांट्रैक्ट बेसिस पर लेटरल एंट्री से भर्ती हो, जिसे 2 और साल के लिए बढ़ाकर 5 साल किया जा सकता है। इसके बाद 2018 में पहली बार लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती की शुरुआत हुई। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संयुक्त सचिवों और निदेशक जैसी सीनियर पोस्ट के लिए आवेदन मांगे थे।

सवाल 6: पहली भर्ती 2018 में हुई तो BJP क्यों कह रही कि ये कांग्रेस की देन है?

जवाब: लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार के मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पोस्ट किया कि लेटरल एंट्री का पूरा कॉन्सेप्ट ही कांग्रेस की अगुआई वाली UPA सरकार की देन है।

2005 में UPA सरकार ने सरकारी नौकरियों में रिफॉर्म के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म कमीशन यानी ARC बनाया। इसका नेतृत्व वीरप्पा मोइली कर रहे थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि हर सरकारी विभागों में उस क्षेत्र के एक्सपर्ट्स लोगों की भर्ती होनी चाहिए।

इससे पहले 1966 में भी मोरारजी देसाई की अध्यक्षता वाले पहले प्रशासनिक सुधार आयोग ने इसका आधार तैयार किया था। हालांकि आयोग ने लेटरल एंट्री की कोई वकालत नहीं की थी।

बाद में मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद लेटरल एंट्री के जरिए भरा जाने लगा। नियमों के अनुसार, इसके लिए 45 साल से कम आयु होनी चाहिए और वह अनिवार्य रूप से एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हो। इसी तर्ज पर कई अन्य विशेषज्ञों को सरकार के सचिवों के रूप में नियुक्त किया जाता है।

सवाल 7: क्या लेटरल एंट्री की शुरुआत कांग्रेस सरकार में हुई?

जवाब: नहीं। कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल का कहना है कि 2005 में नौकरियों में रिफॉर्म के लिए ARC बनाई गई थी। इस कमेटी ने अपना सुझाव भी दिया था, लेकिन UPA सरकार ने लेटरल एंट्री के जरिए एक भी भर्ती नहीं की थी।

इस कमेटी ने सरकार को सुझाव दिया था कि सरकारी विभाग में बड़े पदों पर बैठने वाले अधिकारियों को उस क्षेत्र का एक्सपर्ट होना जरूरी है। इसलिए पारंपरिक सिविल सेवाओं के जरिए भर्ती के बजाय कुछ सीनियर पदों पर उस क्षेत्र के विशेषज्ञों को भर्ती करना चाहिए। हालांकि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने इस सुझाव को लागू नहीं किया था।

2018 में पहली बार UPSC और दूसरी सरकारी संस्थाओं के जरिए वेकैंसी निकालकर लेटरल बहाली की शुरुआत हुई है। इससे पहले सलाहकार के तौर पर एक्सपर्ट्स होते थे, लेकिन लेटरल एंट्री जैसी कोई कानूनी व्यवस्था नहीं थी।

कांग्रेस के आरोपों पर कानून मंत्री अर्जून राम मेघवाल का कहना है कि 1976 में मनमोहन सिंह भी लेटरल एंट्री के जरिए ही फाइनेंस सेक्रेटरी बने थे। इतना ही नहीं सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल का प्रमुख बनाया गया था। 2005 में वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में ही एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म कमीशन की बैठक हुई थी।

सवाल 8: क्या लेटरल एंट्री की भर्तियों में OBC, SC-ST का हक मारा जा रहा है?

जवाब: कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल का कहना है कि जिन 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए वैकेंसी निकली है, उसके विज्ञापन में रिजर्वेशन शब्द का जिक्र तक नहीं है। ऐसे में ये OBC, SC-ST के लिए हकमारी नहीं तो और क्या है।

गोहिल कहते हैं कि लेटरल एंट्री के जरिए सरकार के सबसे बड़े पदों पर भर्ती होती है। इस तरह की भर्ती प्रक्रिया में रिजर्वेशन लागू नहीं होते हैं। सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन लागू करना सरकार का दायित्व है।

साफ है कि इस तरह की भर्तियां समाज के ताकतवर वर्ग के लोगों के लिए है और OBC, SC-ST के साथ ये छलावा है। 27 नवंबर 2007 को वीरप्पा मोइली के नेतृत्व वाले सेकेंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म कमीशन ने पीएम मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

हालांकि, BJP आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय का कहना है कि कांग्रेस नेताओं का ये तर्क गलत है। सरकार सभी विभागों और मंत्रालयों में रिजर्वेशन के तहत नौकरी दे रही है। कांग्रेस सरकार के सुझावों के आधार पर ही मोदी सरकार ट्रांसपैरेंसी के साथ लेटरल एंट्री के जरिए अधिकारियों को बहाल करती है।

सवाल 9: क्या सभी सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन लागू करना जरूरी है?

जवाब: हां, सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि सभी सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन लागू होना संवैधानिक तौर पर जरूरी है। हालांकि रोस्टर सिस्टम के तहत कुछ नौकरियां रिजर्वेशन के दायरे से बाहर हो जाती हैं।

अक्टूबर 2023 में खुद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकारी विभागों में 45 दिन या उससे अधिक की अस्थायी नियुक्तियों में SC/ST/OBC आरक्षण दिया जाएगा। सभी मंत्रालयों और विभागों को अस्थायी पदों पर इस आरक्षण को सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

ऐसे में अगर किसी नौकरी के विज्ञापन में इसका जिक्र नहीं है तो ये देखना होगा कि क्या रोस्टर सिस्टम के तहत इन वैकेंसी पर कोटा लागू होगा या नहीं। जब देश के प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन देने की बात हो रही है।

स्थानीय लोगों को अलग-अलग राज्यों में रिजर्वेशन देने की बात कहती है। ऐसे वक्त में लेटरल एंट्री की नौकरी में रिजर्वेशन नहीं देना सही नहीं होगा। सरकार के बड़े पदों पर हर वर्ग के लोगों की भागीदारी तय होनी चाहिए।

सवाल 10: लेटरल एंट्री की क्या खामियां हैं और राहुल गांधी इसके जरिए RSS के लोगों की भर्ती के आरोप क्यों लगा रहे हैं?

जवाब: बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठाने वाले संगठन ‘युवा हल्ला बोल’ के अध्यक्ष अनुपम के मुताबिक लेटरल एंट्री उच्च प्रशासनिक पदों पर शॉर्टकट भर्ती का तरीका है। इस हाई लेवल भर्ती प्रक्रिया में सामाजिक न्याय के संविधानिक प्रावधानों का खुलेआम तोड़ा जाता है। यह सिस्टम से देश और समाज के लिए इन 4 वजहों से खतरनाक है…
1. कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का उदाहरण बन सकता है: किसी निजी कंपनी से अगर कोई व्यक्ति सरकारी अधिकारी बनेगा तो उसे पता होगा कि तीन साल या 5 साल बाद उसे वापस उसी कंपनी में जाना है। ऐसे में सरकार के ताकतवर पदों पर रहते हुए वो अधिकारी अपने हितों में काम कर सकता है। इस तरह लेटरल एंट्री के कई मामलों में conflict of interest का उदाहरण भी बनेगा।
2. कानूनी नियमों को तोड़ेगा: सामाजिक न्याय के लिए बनाए गए कुछ संविधानिक प्रावधान का भी लेटरल एंट्री उल्लंघन करता है। कहना गलत नहीं होगा यह शॉर्टकट भर्ती आरक्षण से बचने का भी एक शॉर्टकट तरीका है।
3. युवाओं को हतोत्साहित करेगा: यह सिविल सेवा की तैयारी कर रहे करोड़ों युवाओं को हतोत्साहित करने वाली नीति है। जो IAS या IPS अभी सेवा नियमों के कारण बंधे हैं, वो अभी कुछ नहीं बोल पाएंगे, लेकिन अपने पदों को इस तरह पूंजीपति घरानों के लोगों के हाथों में जाते देख निराश होंगे। इससे नौजवान अधिकारियों और तैयारी कर रहे छात्रों का मोटिवेशन घटेगा।

4. निष्ठां की जाँच हो : 2018 में नियुक्त लोगों द्वारा किये गए कार्यों की समीक्षा अभी तक नहीं की गयी है जिससे पता चल सके कि लेटरल एंट्री में नियुक्ति लोगों की निष्ठां किसके प्रति रही; सरकार या निजी क्षेत्र। सामाजिक ऑडिट के माध्यम से यह भी परखा जाये कि 2018 में हुई नियुक्तियों में नियुक्त लोगों की पृष्ठभूमि क्या था ?

2018 में लेटरल एंट्री शुरू हुई तो पहली बार 9 विभागों में 9 लोगों की नियुक्ति हुई। इसके लिए 6 हजार आवेदन आए थे। 9 अगस्त 2024 को भारत सरकार ने बताया कि पिछले 5 साल में लेटरल एंट्री से 63 नियुक्तियां हुईं, जिसमें 57 अधिकारी अब भी काम कर रहे हैं।

दरअसल, राहुल गांधी के आरोप लगाने के पीछे एक तरह की डर ये है कि लेटरल एंट्री के जरिए सरकार समर्थक उम्मीदवारों की नियुक्ति हो जाएगी, जिसका सरकार कुछ अनुचित तरीके से फायदा उठा सकती है। इसके अलावा यह भी चिंता है कि ऐसे अफसर कारोबारी घराने के अनुकूल नीतियां बना सकते हैं या उन पर दबाव बन सकता है। हालांकि लेटरल एंट्री की भर्तियां भी एक पूरी तय प्रक्रिया के बाद होती हैं।

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चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 12 नवंबर 2024 | दिल्ली :  शैक्षणिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार के अनुसार, चार वर्षीय स्नातक डिग्री रखने वाले छात्र अब राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) देकर अपनी पीएचडी आकांक्षाओं की ओर सीधे कदम बढ़ा सकते हैं। यह नेट पात्रता के लिए मास्टर डिग्री की पारंपरिक शर्त से अलग है।

चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

पीएचडी करने के इच्छुक उम्मीदवारों को, चाहे जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के साथ हो या उसके बिना, अब अपने स्नातक अध्ययन में 75 प्रतिशत अंक या समकक्ष ग्रेड की न्यूनतम आवश्यकता के साथ असाधारण शैक्षणिक प्रदर्शन करना होगा। मानक से हटकर, इस वर्ष की NET परीक्षा कंप्यूटर-आधारित टेस्ट प्रारूप से हटकर ऑफ़लाइन मोड में बदल जायेगी।

इस बदलाव का उद्देश्य उम्मीदवारों की विविध शैक्षणिक महत्वाकांक्षाओं को समायोजित करना है, चाहे उनका स्नातक विषय कोई भी हो। यह एक प्रतिमान बदलाव है जो डॉक्टरेट अध्ययन करने के इच्छुक लोगों के लिए नए दरवाजे खोल रहा है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो ने राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य एवम् राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के मूर्धन्य शिक्षाविद् प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा से सभी सवालों पर विस्तृत बातचीत की।

प्रोफ़ेसर मीणा ने पात्रता, विषय आवश्यकताओं, मास्टर्स डिग्री के महत्व को कम करने के बारे में चिंताओं, यूजीसी चार वर्षीय पाठ्यक्रम लागू करने के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश, और बहुत कुछ पर सवालों के जवाब दिये।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 01 : क्या किसी भी विषय से 4 वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्र पीएचडी के लिए पात्र होंगे?

प्रोफ़ेसर मीणा : हां, 4 वर्षीय यूजी डिग्री वाले छात्र किसी भी विषय में पीएचडी कर सकते हैं, चाहे उनका बैचलर कोर्स कोई भी हो। वे नेट परीक्षा के अनुसार विषय चुनकर और चुने गए विषय में उपस्थित होकर ऐसा कर सकते हैं।

इससे अंतःविषयक शोध को मजबूती मिलेगी। अपने स्नातक अनुशासन के बाहर के क्षेत्रों में पीएचडी करने वाले स्नातकों के पास व्यापक कौशल होगा, जिससे वे नौकरी के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। यह व्यापक पात्रता छात्रों को उनके स्नातक प्रमुख की परवाह किए बिना, अपने शैक्षणिक हितों का पालन करने की अधिक स्वतंत्रता देती है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवल 02 : क्या इन छात्रों को पीएचडी करने के लिए एमए, एमएससी या एमकॉम की आवश्यकता नहीं होगी?

प्रोफ़ेसर मीणा : 4 वर्षीय यूजी डिग्री (पूरा हो चुका या अंतिम सेमेस्टर/वर्ष में) वाले छात्रों को पीएचडी के लिए आवेदन करने के लिए मास्टर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी। यह एक शर्त के साथ आता है: पीएचडी के लिए आवेदन करने के लिए छात्र के पास कुल मिलाकर न्यूनतम 75% अंक या समकक्ष ग्रेड होना चाहिए।

विशिष्ट श्रेणियों जैसे कि “अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBS) दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्गों” के लिए 5% की छूट है। यदि किसी छात्र के पास चार वर्षीय स्नातक डिग्री में अपेक्षित प्रतिशत नहीं है, तो वे मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद पीएचडी कार्यक्रम में शामिल होने के पात्र होंगे।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 03: कुछ छात्र जो 3-वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते हैं, बाद में पीएचडी के लिए पात्र होने हेतु एक और वर्ष करने का निर्णय लेते हैं, क्या उन्हें ऐसा करने की अनुमति होगी?

प्रोफ़ेसर मीणा : 4 वर्षीय यूजी प्रोग्राम में नामांकित छात्र पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि संस्थान 3 वर्षीय यूजी प्रोग्राम में छात्रों को राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुरूप उपयुक्त पाठ्यक्रम प्रदान करके चौथे वर्ष में जाने की अनुमति देता है, तो ऐसे छात्र पीएचडी प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते उनके पास कुल मिलाकर आवश्यक प्रतिशत हो।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 04 : क्या यूजीसी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 4 वर्षीय यूजी पाठ्यक्रमों की अनुमति देने के लिए कोई निर्देश जारी करने जा रहा है?

प्रोफ़ेसर मीणा : यूजीसी 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रमों के विभिन्न लाभों के बारे में विश्वविद्यालयों के साथ लगातार संपर्क में है। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क लॉन्च होने के बाद से, यूजीसी देश भर के विश्वविद्यालयों के साथ पत्र लिख रहा है और चर्चा कर रहा है। वर्तमान में, 150 से अधिक विश्वविद्यालयों ने या तो 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं या आगामी शैक्षणिक वर्ष से शुरू करने जा रहे हैं।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को यह भी लिखा है कि वे 3 वर्षीय यूजी कार्यक्रम में छात्रों को ब्रिज कोर्स की मदद से 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रम में शामिल होने दें। इससे उन छात्रों को लाभ होगा जो अपने तीसरे वर्ष को आगे बढ़ाना चाहते हैं और चौथे वर्ष को शोध के लिए समर्पित करना चाहते हैं।

यूजीसी सक्रिय रूप से विश्वविद्यालयों के साथ इस मुद्दे को उठा रहा है और उन्हें शिक्षार्थियों को स्वतंत्रता, लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिए इन प्रावधानों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 05 : कुछ छात्र इस बात से भी चिंतित हैं कि क्या इससे मास्टर्स स्तर के पाठ्यक्रमों का महत्व कम हो जायेगा? आप इसे किस तरह देखते हैं?

प्रोफ़ेसर मीणा : स्नातकोत्तर अध्ययन करने के कई लाभ हैं। 04 वर्षीय यूजी कार्यक्रम लचीलेपन को बढ़ावा देने और उच्च शिक्षा के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए शुरू किया गया है और यह विशेष, उन्नत और पेशेवर स्नातकोत्तर डिग्री की आवश्यकता को प्रतिस्थापित नहीं करेगा। स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने का उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा में एक और डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है।

यह छात्रों को बहु-विषयक क्षेत्रों में लाकर उनके लिए उपलब्ध अवसरों का विस्तार करता है। साथ ही, 04 वर्षीय यूजी डिग्री के बाद काम करने वालों के लिए, 01 वर्षीय मास्टर डिग्री उन्हें अपने कौशल और ज्ञान को उन्नत करने के अवसर प्रदान करेगी।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 06 : पीएचडी के लिए पात्र होने के लिए 4 वर्षीय यूजी कोर्स में 75% अंक की आवश्यकता होती है, जबकि मानविकी, वाणिज्य और विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रमों में बहुत कम छात्र इतने अंक प्राप्त कर पाते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?

प्रोफ़ेसर मीणा : जिन लोगों के 04 साल के यूजी प्रोग्राम में 75% अंक नहीं हैं, वे 01 साल का पीजी प्रोग्राम कर सकते हैं और फिर यूजीसी-नेट लिख सकते हैं। हम भारतीय विश्वविद्यालयों को जल्द से जल्द 01 साल का पीजी प्रोग्राम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, और उनमें से कई 1 साल का पीजी प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 07 : क्या आप 04 वर्षीय यूजी कोर्स के लिए पीएचडी की पात्रता से संबंधित विवरण साझा कर सकते हैं? क्या उन्हें नेट देना होगा या नहीं?

प्रोफ़ेसर मीणा : यूजीसी पीएचडी विनियमों के अनुसार, 75% अंकों या समकक्ष ग्रेड के साथ 04 वर्षीय/8 सेमेस्टर की स्नातक डिग्री वाला उम्मीदवार पीएचडी प्रवेश के लिए पात्र है। विनियमों के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर), दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 5% अंक या इसके समकक्ष ग्रेड की छूट दी जाती है।

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वे 04 वर्षीय यूजी कार्यक्रम के छात्र जो पीएचडी में शामिल होना चाहते हैं, वे नेट में शामिल हो सकते हैं। नेट में शामिल होने से शिक्षार्थियों के लिए अधिक अवसर सुलभ हो जाते हैं। वे पीएचडी करने के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) पुरस्कार के लिए पात्र हो सकते हैं (जो पहले ऐसा नहीं था) या परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्र हो सकते हैं।

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SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 अक्टूबर 2024 | जयपुर : प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि भजनलाल सरकार ने SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज कर दी है। एसओजी लम्बे समय से पेपर लीक की जाँच कर रही है और मात्र 5% फर्जी थानेदारों की पहचान कर पायी है। इसमें में मुख्य आरोपी और बड़ी मछलियाँ जाँच के दायरे से बाहर है। एसआई भर्ती को रद्द करना प्रतिभाशाली युवाओं के साथ धोखा होगा। 

SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज

प्रोफ़ेसर मीणा ने कहा कि संपूर्ण सिलेक्शन प्रक्रिया को निरस्त नहीं किया गया जाना चाहिए। जाँच की प्रक्रिया को तेज करके फर्जी तरीके से सिलेक्ट हुए अभ्यर्थी जेल में डाले जाने चाहिए। SOG जांच अंतिम छोर तक की जाये ताकि बड़ी मछलियाँ पकड़ी जाये। जाँच में अब तक पकडे गये फर्जी अभ्यर्थियों के स्थान पर मेरिट में नीचे वालों को लिया जाये। अब इस भर्ती को निरस्त करने का अर्थ है, योग्य व ईमानदार को सजा देना।  

SOG की नाकामी छिपाने के लिए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 रद्द करने की कवायद तेज

एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को लेकर आज बड़ी संख्या में ट्रेनी एसआई के परिवार जन शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं। परिजनों की मांग है कि सरकार इस परीक्षा को निरस्त न करें। जो लोग गलत तरीके से इस परीक्षा को पास कर ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनके खिलाफ सरकार कड़ा एक्शन ले, लेकिन जो लोग मेहनत कर के इस परीक्षा को पास कर ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनके भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो।

शहीद स्मारक पर बड़ी संख्या में ट्रेनिंग कर रहे एसआई के परिजन और रिश्तेदार पहुंच कर सरकार से वार्ता करने का समय मांग रहे हैं। परिजनों का कहना है कि अगर सरकार ने यह परीक्षा रद्द की तो उन के बच्चों का भविष्य खराब हो जाएगा। ऐसे में सरकार को सोच समझ कर एक्शन लेना चाहिए। ट्रेनिंग कर रहे एसआई दो दिन पहले किरोड़ी लाल मीणा से भी उनके आवास पर मिले थे। यहां पर उन्होंने अपनी परेशानी बताई थी। 

मंत्रियों की कमेटी को करना है फैसला

SI भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द होगी या नहीं इस पर 6 मंत्रियों की कमेटी को अभी फैसला करना है। वहीं, कमेटी बनने के बाद से ही ट्रेनिंग कर रहे एसआई परेशान हो गए हैं। जो परीक्षा पास कर अभी ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनका कहना है कि एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में कुल 809 अभ्यर्थी पास हुए। इनकी ट्रेनिंग जयपुर आरपीए, किशनगढ़ और जोधपुर ट्रेनिंग सेंटर में चल रही हैं। इनमें से 50 ट्रेनी एसआई को गिरफ्तार किया जा चुका है। जो कुल पास अभ्यर्थियों का 5% है।

अगर परीक्षा रद्द होती है तो 95% ट्रेनी एसआई का भविष्य खराब हो जाएगा। जीवन के चार साल खत्म हो जाएंगे। ये ट्रेनी एसआई कुछ सामाजिक संगठनों के जरिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

ट्रेनी सब इंस्पेक्टरों का कहना है कि कुछ लोगों के फर्जी तरीके से जॉइनिंग लेने से सभी के साथ अन्याय नहीं किया जा सकता। प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर ने सालों मेहनत करके इस पद को हासिल किया है। एक साल से अधिक का समय ट्रेनिंग करते हुए हो गया है। अगर यह भर्ती रद्द की गई तो ईमानदार और मेहनत से बने एसआई के साथ यह गलत होगा।

अगर इस भर्ती को रद्द किया गया तो 95 प्रतिशत पर पड़ेगा बड़ी मार,आरोपियों की हो जायेगी मौज

भर्ती रद्द करने से वो लोग बच जाएंगे। जो गलत रास्ते से इसमें आए हैं। वे चाहतें हैं कि भर्ती रद्द हो जाए। उनका नाम उजागर न हो। न्याय तभी होगा, जब अंतिम कड़ी तक जांच होकर उन गलत तरीके से आए लोगों को इस भर्ती से अलग किया जाए। इस भर्ती में प्रत्येक उस अभ्यर्थी को बाहर किया जाना चाहिए। जिसका फर्जी तरीके से चयन हुआ है। उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ी सबक ले सके।

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पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त नहीं होनी चाहिए। क्योंकि चयनित हुए प्रत्येक योग्य उम्मीदवार ने अपने जीवन के चार साल इस भर्ती को दिए हैं। 2021 से 2024 के बीच अन्य भर्ती की तैयारी भी नहीं की। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी NEET परीक्षा के बारे में नकल से सिलेक्ट हुए अभ्यर्थियों को ही बाहर किया।

ट्रेनी एसआई की अपील

  1. इस भर्ती में 65% अभ्यर्थी केंद्र और राज्य सरकार की नौकरी छोड़ कर SI पद पर नियुक्त हुए हैं। इनमें अधिकतर का प्रोबेशन पीरियड भी पूरा नहीं हुआ है। उनका क्या होगा वे पुनः उस नौकरियों में भी नहीं जा सकते।
  2. 4 साल इसमें खर्च करने के बाद अगर बाहर कर दिए जाते हैं। योग्य व ईमानदार अभ्यर्थियों के भविष्य का क्या होगा? उनका परिवार, यहां तक का उनकी पीढ़ियां भी प्रभावित होंगी उनका क्या होगा ?
  3. SI पद अनुरूप शादी तय हुई या शादी हो गयी उनका क्या होगा ?
  4. परीक्षा के समय जो अभ्यर्थी TSP वर्ग में था। अब उसकी शादी होने से NON TSP में चला गया। कोई महिला विधवा कोटे से लगी थी। अब उसने शादी कर ली उनका क्या होगा ?
  5. 2021 के समय जो लिखित व फिजिकल परीक्षा उसने पास की थी। क्या 4 वर्ष बाद अब वह संभव हो पाएंगी ?
  6. SOG ने शक के आधार पर एक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर हरिओम पाटीदार मेरिट क्रमांक 645 को उठा लिया था। कोर्ट में पेश कर जेल भी भेज दिया गया था। लेकिन जब जांच में निर्दोष पाया गया तो स्वयं SOG ने इसकी हाईकोर्ट से जमानत करवाई थी। अभी वह वर्तमान में पुनः प्रशिक्षण में शामिल है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि SOG दोषी और निर्दोष की पहचान कर सकती है। SOG चाहे तो प्रत्येक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर को एक बार अपनी कस्टडी में लेकर नार्को/ पॉलीग्राफ़ टेस्ट के मार्फत पूछताछ कर ले। हम सभी प्रकार के नार्को एवं पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए भी तैयार हैं। यदि उसकी जांच में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ चाहे जैसी कार्रवाई करें। किसी को कोई आपत्ति नहीं रहेगी और निर्दोष है तो वापस ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया जाए।

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