चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 12 नवंबर 2024 | दिल्ली :  शैक्षणिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार के अनुसार, चार वर्षीय स्नातक डिग्री रखने वाले छात्र अब राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) देकर अपनी पीएचडी आकांक्षाओं की ओर सीधे कदम बढ़ा सकते हैं। यह नेट पात्रता के लिए मास्टर डिग्री की पारंपरिक शर्त से अलग है।

चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

पीएचडी करने के इच्छुक उम्मीदवारों को, चाहे जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के साथ हो या उसके बिना, अब अपने स्नातक अध्ययन में 75 प्रतिशत अंक या समकक्ष ग्रेड की न्यूनतम आवश्यकता के साथ असाधारण शैक्षणिक प्रदर्शन करना होगा। मानक से हटकर, इस वर्ष की NET परीक्षा कंप्यूटर-आधारित टेस्ट प्रारूप से हटकर ऑफ़लाइन मोड में बदल जायेगी।

इस बदलाव का उद्देश्य उम्मीदवारों की विविध शैक्षणिक महत्वाकांक्षाओं को समायोजित करना है, चाहे उनका स्नातक विषय कोई भी हो। यह एक प्रतिमान बदलाव है जो डॉक्टरेट अध्ययन करने के इच्छुक लोगों के लिए नए दरवाजे खोल रहा है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो ने राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य एवम् राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के मूर्धन्य शिक्षाविद् प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा से सभी सवालों पर विस्तृत बातचीत की।

प्रोफ़ेसर मीणा ने पात्रता, विषय आवश्यकताओं, मास्टर्स डिग्री के महत्व को कम करने के बारे में चिंताओं, यूजीसी चार वर्षीय पाठ्यक्रम लागू करने के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश, और बहुत कुछ पर सवालों के जवाब दिये।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 01 : क्या किसी भी विषय से 4 वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्र पीएचडी के लिए पात्र होंगे?

प्रोफ़ेसर मीणा : हां, 4 वर्षीय यूजी डिग्री वाले छात्र किसी भी विषय में पीएचडी कर सकते हैं, चाहे उनका बैचलर कोर्स कोई भी हो। वे नेट परीक्षा के अनुसार विषय चुनकर और चुने गए विषय में उपस्थित होकर ऐसा कर सकते हैं।

इससे अंतःविषयक शोध को मजबूती मिलेगी। अपने स्नातक अनुशासन के बाहर के क्षेत्रों में पीएचडी करने वाले स्नातकों के पास व्यापक कौशल होगा, जिससे वे नौकरी के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। यह व्यापक पात्रता छात्रों को उनके स्नातक प्रमुख की परवाह किए बिना, अपने शैक्षणिक हितों का पालन करने की अधिक स्वतंत्रता देती है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवल 02 : क्या इन छात्रों को पीएचडी करने के लिए एमए, एमएससी या एमकॉम की आवश्यकता नहीं होगी?

प्रोफ़ेसर मीणा : 4 वर्षीय यूजी डिग्री (पूरा हो चुका या अंतिम सेमेस्टर/वर्ष में) वाले छात्रों को पीएचडी के लिए आवेदन करने के लिए मास्टर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी। यह एक शर्त के साथ आता है: पीएचडी के लिए आवेदन करने के लिए छात्र के पास कुल मिलाकर न्यूनतम 75% अंक या समकक्ष ग्रेड होना चाहिए।

विशिष्ट श्रेणियों जैसे कि “अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBS) दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्गों” के लिए 5% की छूट है। यदि किसी छात्र के पास चार वर्षीय स्नातक डिग्री में अपेक्षित प्रतिशत नहीं है, तो वे मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद पीएचडी कार्यक्रम में शामिल होने के पात्र होंगे।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 03: कुछ छात्र जो 3-वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते हैं, बाद में पीएचडी के लिए पात्र होने हेतु एक और वर्ष करने का निर्णय लेते हैं, क्या उन्हें ऐसा करने की अनुमति होगी?

प्रोफ़ेसर मीणा : 4 वर्षीय यूजी प्रोग्राम में नामांकित छात्र पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि संस्थान 3 वर्षीय यूजी प्रोग्राम में छात्रों को राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुरूप उपयुक्त पाठ्यक्रम प्रदान करके चौथे वर्ष में जाने की अनुमति देता है, तो ऐसे छात्र पीएचडी प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते उनके पास कुल मिलाकर आवश्यक प्रतिशत हो।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 04 : क्या यूजीसी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 4 वर्षीय यूजी पाठ्यक्रमों की अनुमति देने के लिए कोई निर्देश जारी करने जा रहा है?

प्रोफ़ेसर मीणा : यूजीसी 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रमों के विभिन्न लाभों के बारे में विश्वविद्यालयों के साथ लगातार संपर्क में है। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क लॉन्च होने के बाद से, यूजीसी देश भर के विश्वविद्यालयों के साथ पत्र लिख रहा है और चर्चा कर रहा है। वर्तमान में, 150 से अधिक विश्वविद्यालयों ने या तो 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं या आगामी शैक्षणिक वर्ष से शुरू करने जा रहे हैं।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को यह भी लिखा है कि वे 3 वर्षीय यूजी कार्यक्रम में छात्रों को ब्रिज कोर्स की मदद से 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रम में शामिल होने दें। इससे उन छात्रों को लाभ होगा जो अपने तीसरे वर्ष को आगे बढ़ाना चाहते हैं और चौथे वर्ष को शोध के लिए समर्पित करना चाहते हैं।

यूजीसी सक्रिय रूप से विश्वविद्यालयों के साथ इस मुद्दे को उठा रहा है और उन्हें शिक्षार्थियों को स्वतंत्रता, लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिए इन प्रावधानों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 05 : कुछ छात्र इस बात से भी चिंतित हैं कि क्या इससे मास्टर्स स्तर के पाठ्यक्रमों का महत्व कम हो जायेगा? आप इसे किस तरह देखते हैं?

प्रोफ़ेसर मीणा : स्नातकोत्तर अध्ययन करने के कई लाभ हैं। 04 वर्षीय यूजी कार्यक्रम लचीलेपन को बढ़ावा देने और उच्च शिक्षा के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए शुरू किया गया है और यह विशेष, उन्नत और पेशेवर स्नातकोत्तर डिग्री की आवश्यकता को प्रतिस्थापित नहीं करेगा। स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने का उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा में एक और डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है।

यह छात्रों को बहु-विषयक क्षेत्रों में लाकर उनके लिए उपलब्ध अवसरों का विस्तार करता है। साथ ही, 04 वर्षीय यूजी डिग्री के बाद काम करने वालों के लिए, 01 वर्षीय मास्टर डिग्री उन्हें अपने कौशल और ज्ञान को उन्नत करने के अवसर प्रदान करेगी।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 06 : पीएचडी के लिए पात्र होने के लिए 4 वर्षीय यूजी कोर्स में 75% अंक की आवश्यकता होती है, जबकि मानविकी, वाणिज्य और विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रमों में बहुत कम छात्र इतने अंक प्राप्त कर पाते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?

प्रोफ़ेसर मीणा : जिन लोगों के 04 साल के यूजी प्रोग्राम में 75% अंक नहीं हैं, वे 01 साल का पीजी प्रोग्राम कर सकते हैं और फिर यूजीसी-नेट लिख सकते हैं। हम भारतीय विश्वविद्यालयों को जल्द से जल्द 01 साल का पीजी प्रोग्राम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, और उनमें से कई 1 साल का पीजी प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 07 : क्या आप 04 वर्षीय यूजी कोर्स के लिए पीएचडी की पात्रता से संबंधित विवरण साझा कर सकते हैं? क्या उन्हें नेट देना होगा या नहीं?

प्रोफ़ेसर मीणा : यूजीसी पीएचडी विनियमों के अनुसार, 75% अंकों या समकक्ष ग्रेड के साथ 04 वर्षीय/8 सेमेस्टर की स्नातक डिग्री वाला उम्मीदवार पीएचडी प्रवेश के लिए पात्र है। विनियमों के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर), दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 5% अंक या इसके समकक्ष ग्रेड की छूट दी जाती है।

यह भी पढ़ें : यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर

वे 04 वर्षीय यूजी कार्यक्रम के छात्र जो पीएचडी में शामिल होना चाहते हैं, वे नेट में शामिल हो सकते हैं। नेट में शामिल होने से शिक्षार्थियों के लिए अधिक अवसर सुलभ हो जाते हैं। वे पीएचडी करने के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) पुरस्कार के लिए पात्र हो सकते हैं (जो पहले ऐसा नहीं था) या परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्र हो सकते हैं।

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फर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 मार्च 2025 | जयपुर : फर्जी डिग्री मामले में शनिवार को राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद के कुलाधिपति सुकेश यादव, रजिस्ट्रार नंदन कुमार और दलाल अजय भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया। सुकेश विदेश भागने की फिराक में थे। उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से पकड़ा गया। वहीं, रजिस्ट्रार नंदन की शिकोहाबाद व दलाल अजय की गिरफ्तारी जयपुर से हुई।

फर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने ​बैक डेट में फर्जी डिग्री जारी करने वाले जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर, रजिस्ट्रार और दलाल को अरेस्ट किया है। इस यूनिवर्सिटी से 245 अभ्यर्थी फर्जी डिग्री लेकर पीटीआई बने थे। जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को एसओजी ने पकड़ा है।

जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

विदेश भागने की फिराक में था चांसलर सुकेश कुमार

एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया- शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2022 के मामले में शनिवार को जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को गिरफ्तार किया है। इन्होंने अभ्यर्थियों को घर बैठे फर्जी डिग्रियां दी थी। फर्जीवाड़े में एसओजी पूर्व में ओपीजेएस विश्वविद्यालय के चांसलर-संचालक और पूर्व रजिस्ट्रार को गिरफ्तार कर चुकी है।

जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को एसओजी ने पकड़ा है।

वीके सिंह ने बताया- चांसलर सुकेश कुमार वर्तमान में राजकीय कॉलेज आगरा में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत है। इसने जेएस विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा, दलाल अजय भारद्वाज और अन्य के मार्फत यूनिवर्सिटी की बीपीएड कोर्स की बैक डेट में फर्जी तरीके से डिग्रियां जारी की।

जैसा कि पहले बताया गया है उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद कस्बे में स्थित जेएस यूनिवर्सिटी से जुड़े इन व्यक्तियों ने ​लाखों रुपए में सौदा कर सैकड़ों फर्जी डिग्रियां अभ्यर्थियों को घर बैठे दी थी। सुकेश कुमार एसओजी की कार्रवाई का अंदेशा होने पर विदेश भागने की फिराक में था, लेकिन एसओजी ने उसको दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया।

फर्जी तरीके से बैक डेट में दी डिग्रियां

संचालक सुकेश कुमार ने अपने पिता जगदीश सिंह के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम जेएस विश्वविद्यालय रखा है। दलाल अजय भारद्वाज ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से भी हजारों छात्रों को विभिन्न कोर्सेज की फर्जी तरीके से बैक डेट में डिग्रियां दिलवा चुका है।

पेपर माफिया भूपेंद्र सारण के घर से फर्जी डिग्रियां जब्त होने के मामले में भी यह जयपुर में गिरफ्तार हो चुका है। अपने साथियों से मिलकर अजय एकलव्य ट्राइबल यूनिवर्सिटी (पूर्व सुधासागर विश्वविद्यालय) डूंगरपुर और अनंत इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मेघालय स्थापित करने जा रहा है।

एसओजी की जांच में सामने आया कि एक ही शिक्षा सत्र में प्रवेश लेने वाले सभी अभ्यर्थियों का चयन इस परीक्षा में हुआ था। यह सभी राजस्थान के निवासी थे। पीटीआई परीक्षा में अनेक विद्यार्थियों ने आवेदन के समय अलग-अलग विश्वविद्यालय का उल्लेख किया।

जबकि चयन के बाद जेएस विश्वविद्यालय की डिग्रियां दी। इस परीक्षा में आवेदन के समय कुल 2067 अभ्यर्थियों ने अपनी बीपीएड की डिग्री जेएस विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण/अध्ययनरत होने का उल्लेख किया, जो निर्धारित सीटों से कई गुना ज्यादा है।

पेपर लीक माफिया में फर्जी डिग्री के लिए जेएस यूनिवर्सिटी कुख्यात

एडीजी सिंह ने बताया- पूर्व की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक माफियाओं ने अयोग्य अभ्यर्थियों के लिए निजी विश्वविद्यालयों से पैसे देकर बड़ी संख्या में बैक डेट में डिग्रियां उपलब्ध करवाई थी। परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थी फॉर्म भरते समय जान-बूझकर ऐसे निजी विश्वविद्यालय का नाम उल्लेख करते थे, ताकि चयनित होने पर आसानी से पैसे देकर बैक डेट में डिग्री का इंतजाम किया जा सके।

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वीके सिंह ने बताया- पेपर लीक गैंग के सदस्यों के बीच में इस काम के लिए जेएस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद कुख्यात थी। इस परीक्षा में 2067 अभ्यर्थियों ने परीक्षा का फॉर्म भरते समय खुद को जेएस यूनिवर्सिटी का विद्यार्थी होना और डिग्री प्राप्त होने का उल्लेख किया था, जो कि इस यूनिवर्सिटी के इस कोर्स के लिए स्वीकृत संख्या के कई गुना है।

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राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोध

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 04 मार्च 2025 | जयपुर : राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में वाइस चांसलर (VC) के पद पर हुई डॉ. प्रमोद येवले की नियुक्ति का एक तरफ विरोध तो दूसरी तरफ समर्थन शुरू हो गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की राजस्थान ब्रांच और राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (RMCTA) ने आज राज्यपाल को पत्र लिखा।

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोध

इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है। पुनर्विचार नहीं करने पर IMA ने भविष्य में आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ ने डॉ. येवले की नियुक्ति का समर्थन करते हुए राज्यपाल को बधाई संदेश भेजा है।

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोध

आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. एमपी शर्मा और सचिव डॉ. पीसी गर्ग की ओर से लिखे गए इस पत्र में बताया- VC के पद पर गैर चिकित्सक की नियुक्ति काे लेकर पूरे चिकित्सा समुदाय में रोष है। इस नियुक्ति को न केवल मेडिकल शिक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया, बल्कि चिकित्सा जगत के पेशेवरों के अधिकारों का हनन भी बताया।

उन्होंने बताया- राज्यों में मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना इसलिए की गई थी, ताकि उनके अंतर्गत मेडिकल कॉलेजों को जोड़ा जा सके। जब से राज्यों में मेडिकल यूनिवर्सिटी बनी है, तब से वहां डॉक्टर जिसके पास MBBS, MD, Mch या DM की मेडिकल संबंधित उच्च शिक्षा की डिग्री है, उन्हें ही वीसी बनाया गया है।

वर्तमान में जब मेडिकल कॉलेजों में गैर चिकित्सक को फैकल्टी के तौर पर नियुक्त नहीं किया जाता, तो मेडिकल यूनिवर्सिटी में गैर चिकित्सक को कैसे VC नियुक्त किया जा सकता है। आपको बता दें कि डॉ. येवले महाराष्ट्र में सीनियर फार्मासिस्ट रह चुके हैं और महाराष्ट्र की डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रह चुके है।

आईएमए ने इसे सरकार की हठधर्मिता बताते हुए इसे चिकित्सा क्षेत्र के हितों पर कुठाराघात बताया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस पर पुनर्विचार नहीं करेगी तो मजबूरन सभी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों और चिकित्सा समुदाय को विरोध-प्रदर्शन करके आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी।

नियुक्ति के समर्थन में पत्र

इधर राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर डॉ. येवले को वाइस चांसलर बनाए जाने का समर्थन किया है। संघ अध्यक्ष तिलक चंद शर्मा ने पत्र लिखकर इसे एतिहासिक निर्णय बताया।

पहले भी लिखा था पत्र

IMA ने जब VC के इंटरव्यू हुए थे, तब भी ऐसा ही एक पत्र राज्यपाल को लिखकर डॉ. येवले का विरोध जताया था। उस समय चर्चा थी कि एक गुट IMA के जरिए इस इंटरव्यू को निरस्त करवाना चाहता है। इस विरोध के चलते इंटरव्यू का परिणाम भी एक माह की देरी से जारी किया गया।

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