पीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 दिसंबर 2024 | जयपुर : संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में आज विशेष चर्चा होगी। 12 बजे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इसकी शुरुआत करेंगे। वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी चर्चा के दौरान संसद में अपनी स्पीच दे सकती हैं।भाजपा के 12 लीडर इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 दिसंबर की शाम को इस चर्चा पर अपना जवाब देंगे।

पीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दी

सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, प्रियंका के अलावा DMK नेता टीआर बालू, तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने सांसदों की मौजूदगी के लिए व्हिप जारी किया है।

पीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दी

राज्यसभा में अमित शाह करेंगे चर्चा की शुरुआत

राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को चर्चा होगी। इसकी शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा पर जवाब देंगे। यहां विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भाषण देंगे। मोदी ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दी, राहुल भी मौजूद थे

2001 में हुए संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

2001 में हुए संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

पीएम मोदी के साथ जगदीप धनखड़, ओम बिड़ला, अमित शाह और सबसे दाएं राहुल गांधी।
पीएम मोदी के साथ जगदीप धनखड़, ओम बिड़ला, अमित शाह और सबसे दाएं राहुल गांधी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संसद हमले के शहीदों को श्रद्धाजलि दी। पीएम के साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और राज्यसभा स्पीकर जगदीप धनखड़ मौजूद थे। 23 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के 5 आतंकवादियों ने संसद में हमला किया था।

इस हमले में जवानों समेत 14 लोगों कीजान गई थी। हमले का मुख्य आरोपी अफजल गुरु था। सुरक्षा बलों ने हमले में शामिल पांचों आतंकियों को मार गिराया था। अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में 9 फरवरी 2013 में फांसी दी गई थी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हमने ऐसे हालात बना दिए हैं कि संविधान पर चर्चा होनी चाहिए। बहुत सारी असंवैधानिक चीजें चल रही हैं। कई संस्थाओं का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। देश में गवर्नेंस अच्छी नहीं है। हम चाहते हैं कि चर्चा हो ताकि देश को पता चले कि सरकार किस तरह चल रही है।”

संविधान पर चर्चा को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने गुरुवार को अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की थी। इस पर दोनों पार्टियों ने व्हिप भी जारी किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह, राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की थी।

इससे पहले शाह ने संसद के अपने ऑफिस में पीयूष गोयल, किरेन रिजिजू समेत वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की थी। वहीं, कांग्रेस मुख्यालय पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बैठक की थी।

इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस पर पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम हुआ था।

इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस पर पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम हुआ था।

संविधान दिवस पर पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में PM मोदी।
विपक्ष ने संविधान पर चर्चा की मांग की, मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट किया
  • विपक्षी नेताओं ने 26 नवंबर, 75वें संविधान दिवस पर संसद के दोनों सदनों में संविधान पर बहस की मांग की थी। कहा था कि देश में हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर इसकी आवश्यकता है।
  • राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 27 नवंबर को बताया था कि उन्होंने और राहुल गांधी ने दोनों सदनों के अध्यक्ष को पत्र लिखकर संविधान पर चर्चा कराने की अपील की थी। कहा था कि दोनों सदनों में 2-2 दिनों तक संविधान पर चर्चा कराई जाए।
  • विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को संविधान विरोधी होने का नैरेटिव सेट किया था। राहुल, प्रियंका, खड़गे, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने आरोप लगाया था कि भाजपा और केंद्र सरकार संविधान को खत्म करना चाहती है। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने संविधान हाथ में लेकर ही लोकसभा में शपथ ली थी।

यह फोटो 26 नवंबर की है। राहुल ने दिल्ली में कांग्रेस के संविधान रक्षा कैंपेन की शुरुआत की थी।

यह फोटो 26 नवंबर की है। राहुल ने दिल्ली में कांग्रेस के संविधान रक्षा कैंपेन की शुरुआत की थी।

प्रियंका ने 28 नवंबर को संविधान की कॉपी हाथ में लेकर लोकसभा में सांसद की शपथ ली थी।

सरकार ने 2015 से संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की

प्रियंका ने 28 नवंबर को संविधान की कॉपी हाथ में लेकर लोकसभा में सांसद की शपथ ली थी। भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान ऑफिशियली अपनाया गया था, लेकिन लागू 26 जनवरी, 1950 को हुआ था। भारत सरकार ने 2015 में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की घोषणा की थी।

इस साल 26 नवंबर को संविधान सदन (पुरानी संसद) के सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम हुआ था। आयोजन की थीम हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान रखी गई थी। संविधान अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया था।

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जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 1929 में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई थी। अंग्रेज सरकार से मांग की गई थी कि 26 जनवरी, 1930 तक भारत को संप्रभु दर्जा दिया जाए। इसके बाद 26 जनवरी, 1930 को पहली बार ‘पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस’ मनाया गया था।

तब से 1947 में आजादी मिलने तक इस दिन को इसी रूप में मनाया जाता रहा। इस दिन के महत्व की वजह से 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।

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एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्स

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 दिसंबर 2024 | जयपुर : HIV (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) एक बेहद खतरनाक वायरस है। काफी समय से डॉक्टर और वैज्ञानिक इसका इलाज ढूंढ रहे हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस मामले में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने HIV इन्फेक्शन को रोकने वाला एक इंजेक्शन बनाया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर है।

एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्स

एंटी HIV इंजेक्शन
एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्स

इस इंजेक्शन का नाम लेनकापाविर (Lenacapavir) है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक साल में इस वैक्सीन की दो डोज लेने से व्यक्ति HIV इन्फेक्शन के खतरे से पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। अमेरिकन बायोफार्मास्युटिकल कंपनी गलियड (Gilead) द्वारा जारी और न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश डेटा के मुताबिक, लेनकापाविर टीका फेज-3 ट्रायल के दौरान HIV इन्फेक्शन को रोकने में 100% तक प्रभावी था। दक्षिण अफ्रीका और युगांडा की 5000 महिलाओं पर इस टीके का सफल परीक्षण किया गया।

इंडिया HIV एस्टिमेशन रिपोर्ट, 2023 के मुताबिक, भारत में 25 लाख से अधिक लोग HIV से पीड़ित हैं। हर साल करीब 66,400 लोग इसकी चपेट में आते हैं। पूरी दुनिया की बात करें तो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, साल 2023 में करीब 4 करोड़ लोग HIV से पीड़ित थे। वहीं इस साल करीब 6,30,000 लोगों की इससे मौत हुई।

तो आज रिसर्च में हम HIV के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • HIV क्या है?
  • ये कैसे फैलता है?
  • इससे बचने के क्या उपाय हैं?

HIV क्या है?

HIV एक ऐसा वायरस है, जो बॉडी के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है। ये शरीर की व्हाइट ब्लड सेल्स को टारगेट करता है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इसके कारण टीबी, सीवियर इन्फेक्शन और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर HIV का सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) का कारण बन सकता है।

HIV और AIDS में क्या अंतर है?

HIV वायरस इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को संक्रमित करके उसे धीरे-धीरे कमजोर करता है। इससे किसी भी तरह की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। वहीं एड्स एक मेडिकल कंडीशन है, जिसका प्राइमरी कारण HIV इन्फेक्शन है।

इन्फेक्शन होने पर अगर समय पर पता न चले और इलाज न मिले तो इम्यूनिटी कमजोर होती जाती है और एड्स में बदल जाती है। वहीं अगर सही समय पर HIV का इलाज शुरू कर दिया जाए तो एड्स से बचा जा सकता है। इसलिए समय रहते HIV इन्फेक्शन का पता लगाना बेहद जरूरी है।

HIV किन कारणों से फैलता है?

HIV आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के बॉडी फ्लूइड यानी ब्लड, ब्रेस्ट मिल्क और स्पर्म के संपर्क से फैलता है। ये संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाओं के जरिए बच्चे में फैल सकता है। इसके फैलने केे कई अन्य कारण भी हैं। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए-

HIV का पता कैसे लगाया जा सकता है?

दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीटयूट में इंटरनल मेडिसिन और इन्फेक्शियस डिजीज कंसल्टेंट डॉ. अंकित बंसल बताते हैं कि किसी को देखकर ये नहीं बताया जा सकता कि उसे HIV है या नहीं। आमतौर पर HIV इन्फेक्शन के शुरुआती दिनों में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

कई बार HIV से संक्रमित होने के बावजूद व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखते। इसका पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट कराना ही एकमात्र तरीका है। इसलिए लंबे समय तक बीमार रहने या फ्लू के लक्षण दिखने पर भी व्यक्ति को HIV टेस्ट करवाना चाहिए।

HIV से कैसे बचें?

HIV इन्फेक्शन से बचने के कई उपाय हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है, सुरक्षित यौन संबंध बनाना और नीडल, सीरिंज या अन्य इंजेक्शन लगाने वाले उपकरण साझा न करना। इसके अलावा और कौन से उपाय हैं, इसे नीचे ग्राफिक से समझिए-

क्या HIV पूरी तरह ठीक हो सकता है?

डॉ. अंकित बंसल बताते हैं कि अभी तक HIV का कोई परफेक्ट इलाज नहीं है। हालांकि इसके कुछ ट्रीटमेंट्स हैं। इनसे HIV से शरीर को होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। HIV ट्रीटमेंट दूसरों को संक्रमित होने से बचाता है और संक्रमित व्यक्ति को भी स्वस्थ रहने में मदद करता है।

HIV पॉजिटिव होने पर एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) दी जाती है। हालांकि लेनकापाविर इंजेक्शन के सफल परीक्षण के बाद पूरी दुनिया में उम्मीद जगी है कि जल्द ही HIV का सटीक इलाज किया जा सकेगा।

क्या HIV छुआछूत से फैलता है?

डॉ. अंकित बंसल बताते हैं कि HIV कोई छुआछूत का वायरस नहीं है। इसलिए HIV संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाने के बजाय उनके प्रति सहानुभूति और सपोर्ट दिखाना चाहिए। नीचे पॉइंटर्स से समझिए किन चीजों से HIV का खतरा नहीं होता है।

  • संक्रमित व्यक्ति को गले लगाने से।
  • एक साथ खाना खाने से।
  • एक ही कमरे में रहने से।
  • पब्लिक टॉयलेट या स्विमिंग पूल के इस्तेमाल से।
  • बर्तन या कपड़े शेयर करने से।
  • मच्छरों के काटने से।
  • संक्रमित व्यक्ति को ब्लड देने से।
  • आंसू या पसीने से।

क्या किस करने से HIV हो सकता है?

डॉ. अंकित बंसल बताते हैं HIV किस करने से नहीं फैलता। हालांकि अगर संक्रमित व्यक्ति के मुंह में खुले घाव हैं या मसूड़ों से खून आता है तो इन्फेक्शन हो सकता है।

क्या HIV पॉजिटिव व्यक्ति शारीरिक संबंध बना सकता है?

बहुत से लोग सोचते हैं कि HIV पॉजिटिव होने के बाद सेक्स नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह सच नहीं है। HIV पॉजिटिव व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की तरह ही शारीरिक संबंध बना सकता है। हालांकि इस दौरान इन्फेक्शन को रोकने के लिए प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करना जरूरी है।

HIV पॉजिटिव होने पर अपनी केयर कैसे करें?

HIV पॉजिटिव होने पर घबराएं नहीं। खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रखें। इस बात का ध्यान रखें कि HIV पॉजिटिव होने के बावजूद खुशहाल जीवन जिया जा सकता है। इसके लिए निर्धारित समय पर अपनी दवाएं और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहें।

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राजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 नवंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान की 7 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे शनिवार को सामने आयेंगे। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस बार भी उपचुनाव में बीजेपी अपना इतिहास दोहरायेगी और जीत-हार की परंपरा बदल नहीं पायेगी।

राजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव के नतीजे बीजेपी बैकफुट पर

प्रदेश में हुए पिछले 16 उपचुनाव के नतीजों पर गौर करें तो ये परंपरा रही है कि – ‘बीजेपी उपचुनाव में हमेशा बैकफुट पर रहती है’ और ‘मतदान घटने पर कांग्रेस को फायदा होता है।’ इस बार 7 में से 6 सीट पर मुख्य चुनाव से वोटिंग घटी है। तो घटी हुई वोटिंग का बीजेपी को नुकसान होगा? 

राजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपी

विधानसभा चुनाव की बजाय उप चुनाव में वोटिंग गिरी

उपचुनाव वाली 7 सीटों पर विधानसभा चुनाव, 2023 में कांग्रेस ने 4 और बीजेपी, आरएलपी व बीएपी ने 1-1 सीटों पर कब्जा जमाया था। इस बार हुए इन सीटों के मतदान प्रतिशत को देखें तो खींवसर सीट को छोड़ सभी पर मतदान के आंकड़े मुख्य चुनाव की तुलना में गिरे हुए हैं।

2013 से अब तक हुए उपचुनाव में इक्का-दुक्का उदाहरण छोड़ दें, तो मुख्य चुनाव के मुकाबले लगभग हर सीट पर वोटिंग प्रतिशत गिरा ही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि राजस्थान के उपचुनाव में एक बार भी सरकार के बनने-बिगड़ने जैसे समीकरण नहीं बने। यदि ऐसे समीकरण बनते हैं, तो वोटर्स में अलग ही उत्साह नजर आता है।

राजनीतिक एक्सपर्ट प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा के अनुसार सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने के कारण वोटर्स अमूमन सुस्त हो जाते हैं। ऐसा ही हाल 7 सीटों के मतदान में भी देखने को मिला है। केवल एक सीट खींवसर को छोड़ दें तो बाकी 6 सीटों पर मतदान प्रतिशत मुख्य चुनाव की तुलना में कम ही हुआ है।

उपचुनाव वाली मौजूदा सीटों पर मतदान के आंकड़े और उससे बन रहे समीकरण जान लेते हैं….

राजनीतिक एक्सपर्ट नारायण बारेठ के मुताबिक मुख्य चुनाव के मुकाबले 7 में से 6 सीटों पर कम वोटिंग हुई है। माना जाता है कि कम वोटिंग का फायदा कांग्रेस को मिलता है, लेकिन इस बार समीकरण इतने उलझे हुए हैं कि ये बात खरी उतरती नहीं दिख रही।

वहीं, वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया को बताया कि यह कहना भी मुश्किल है कि पिछले उप चुनाव के जैसे कांग्रेस इस उप चुनाव में भी एक तरफा प्रदर्शन करेगी। किंतु बीजेपी का प्रदर्शन इस उप चुनाव में सुधरने की संभावना नहीं है और कांग्रेस कुछ सीटें गंवा सकती है।

अब पिछले 11 साल में हुए 16 सीटों पर जानते हैं, उप चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहा?

मुख्य चुनावों के आंकड़ों के आधार पर कहा जाता रहा है कि अगर उपचुनाव में वोटिंग परसेंटेज कम रहता है तो फायदा कांग्रेस को मिलता है और अधिक रहने पर बीजेपी को। यह पैटर्न राजस्थान के उपचुनावों में अब तक सटीक भी साबित हुआ है।

भास्कर ने 2013 से अब तक 16 सीटों के उपचुनाव में हुए मतदान का रिकॉर्ड खंगाला। सामने आया कि एक-दो सीटों को छोड़कर वोटिंग प्रतिशत गिरा ही है। पैटर्न के मुताबिक बीजेपी की सरकार होने के बावजूद कांग्रेस भारी पड़ी है। उपचुनावों में कांग्रेस ने 16 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की है। बीजेपी ने मात्र 3 और बीएपी व आरएलपी ने 1-1 सीट जीती हैं।

अब एक नजर पिछली 16 सीटों पर उपचुनाव के नतीजों और वोटिंग पैटर्न के प्रभाव पर डालते हैं… जब सत्ता में थी बीजेपी, फिर भी उपचुनाव वाली 8 में से 6 सीटें हारी

2013 से 2024 के बीच 8 सीटों के उपचुनाव तब हुए जब बीजेपी सरकार सत्ता में थी। फिर भी बीजेपी 2 सीटें ही सीटें जीत पाई, कांग्रेस ने 5 पर कब्जा जमाया। मौजूदा बीजेपी सरकार में दो सीटों पर उपचुनाव पहले हो चुके हैं।

श्रीकरणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव स्थगित करना पड़ा था। यहां उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इसके अलावा बागीदौरा सीट पर भी बीजेपी को हार मिली। यहां कांग्रेस ने सीट गंवाई और बीएपी को जीत हासिल हुई।

इन 8 सीटों के चुनाव में केवल 2 बार अपवाद देखने को मिला। सूरजगढ़ सीट पर हुए 2014 के उपचुनाव में मुख्य चुनाव से अधिक मतदान हुआ, जो कांग्रेस के खाते में गई। वहीं, कोटा साउथ पर 2014 के उपचुनाव में मतदान गिरने के बावजूद बीजेपी ने जीत दर्ज की।

सत्ता में कांग्रेस (2018 से 2023) – उप चुनाव वाली 8 सीटें

कांग्रेस जब सत्ता में रही, उस दौरान हुए 8 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे भी उसके पक्ष में आए। कांग्रेस ने 8 में से 6 पर जीत हासिल की। बीजेपी को एक और आरएलपी को 1 सीट मिली।

पिछले 9 उप चुनावों में वोटिंग पैटर्न से जो रिजल्ट आये, क्या इस बार वैसे ही रिजल्ट देखने को मिलेंगे?

एक्सपर्ट्स के अनुसार पिछले 9 उप चुनाव में कम वोटिंग का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को मिला। इस बार 7 सीटों के उप चुनाव में 6 सीटों पर वोटिंग परसेंटेज गिरा है, लेकिन सीधा फायदा कांग्रेस को होगा, यह कहना मुश्किल है। इस बार समीकरण बहुत उलझे हुए हैं।

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आमतौर पर देखा गया है कि सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी का उपचुनाव में प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। जबकि कांग्रेस ने सरकार होते हुए भी और विपक्ष में रहते हुए भी बीजेपी के मुकाबले अधिक सीटें जीती हैं। लेकिन इस बार संकेत कुछ अलग मिल रहे हैं। कम वोटिंग परसेंटेज से कांग्रेस को फायदा होने जैसी बातों पर इस उप चुनाव का रिजल्ट विराम लगा सकता है।

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