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What we really need is ‘corporate accountability’‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधानराहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होलीराहुल द्रविड़ पैर में इंजरी के बावजूद RR खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे, राजस्थान रॉयल्स की जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरूपाकिस्तान में हिंदू बोले “यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता”, भारतीय गोदी मीडिया की खबरें झूठीIPL2025 मैचों के लिए राजस्थान रॉयल्स की टीम जयपुर पहुँचीदुबई में फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरायाराजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरीफर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तारराजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोधराजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्कसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एकातेरिना की सूटकेस में मिली नग्न लाशUVC Germicidal Lamp Applications All Over Safety for Human Beingफोन टैपिंग से राजस्थान की राजनीति में फिर से उथल-पुथल, बीजेपी के 18-20 विधायक बगावत को तैयारकिरोड़ी लाल मीणा को अनुशासनहीनता का नोटिस, भजन लाल सरकार पर मंडराये संकट के बादलजयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्यामध्यप्रदेश 27% OBC आरक्षण का रास्ता साफ, एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 87:13 फॉर्मूला रद्द‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोकभारत ने इंग्लैंड को हराकर 2 विकेट से जीता रोमांचक मुकाबला, सीरीज में 2-0 की बढ़तपद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषणसंविधान बदलने की माँग करने वाले बिबेक देबरॉय को मरणोपरांत पद्म भूषण, क्रिकेटर आर अश्विन को पद्मश्रीगर्भवती पत्नी के पेट पर बैठकर घोंटा गला गर्भ से बाहर आ गया 7 महीने का भ्रूणजयपुर में बुजुर्ग महिला को बंधक बनाकर 50 लाख के गहने लूटने नौकरानी ने की साजिशजयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने 48 सीआई और 3 एसआई के किये तबादले8वें वेतन आयोग के बाद सबकी होगी बल्ले बल्ले, इतनी बढ़ेगी सबकी सैलरीभारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगेकैलिफोर्निया की आग में, लॉस एंजिलिस में कमला हैरिस का घर खाली कराया, हॉलीवुड स्टार्स के घर भी जलेतिरुपति मंदिर में भगदड़ 150 से ज्यादा भक्त घायल 4 की मौतसुशीला मीणा को RCA ने ले लिया गोद, सुशीला ने खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को किया क्लीन बोल्डनरेश मीणा के कार्यकर्ताओं के जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में मनाया जश्ननरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत मंजूरचीन में मानव मेटान्यूमो वायरस के प्रकोप से आपातकाल की स्थिति घोषितHow to extract gold from unused mobile phonesखराब मोबाइल-लैपटॉप इलेक्ट्रॉनिक आइटम के कबाड़ से निकाला 54 किलो सोनाबांदीकुई टाइगर के हमले में विनोद मीणा के दोनों पैरों में 28 टांके टखने की हड्डीशिक्षक संघों की राजस्थान सरकार से तत्काल नई ट्रांसफर पॉलिसी लाने की माँगसरिस्का के 2 टाइगर्स की दौसा जयपुर में मूवमेंट, बांदीकुई महुखुर्द गांव में 03 लोगों पर टाइगर हमलामनु भाकर सहित 4 को खेल रत्न पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया : डॉ अंबेडकर-मिशन की बुलंद आवाज का दस्तावेज
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1920 में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों की पैरवी के लिए 'मूकनायक' नामक समाचार पत्र शुरू किया। यह समाचार पत्र सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दलित सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
'मूकनायक' के शताब्दी (स्थापना वर्ष1920) वर्ष में सामाजिक समानता की लड़ाई हेतु अंबेडकर की विरासत को जारी रखने के लिए इसके डिजिटल संस्करण को 2020 में लॉन्च किया गया है।
‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है "सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !
बिरसा अंबेडकर फुले फ़ातिमा मिशन से जुड़े सिपाहियों और भीम-सैनिकों एवं पाठकों से हमारी बस इतनी-ही गुजारिश है कि हमें पढ़ें, सोशल-मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें, हो सके तो अपने जज्बातों को लिखकर हम तक पहुँचावे, हम उसे भी छापेंगे।
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What we really need is ‘corporate accountability’‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ ही है पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का एक मात्र समाधानराहुल द्रविड़ व्हीलचेयर पर बैठकर राजस्थानी अंदाज में गुलाबी साफा पहन खेली होलीराहुल द्रविड़ पैर में इंजरी के बावजूद RR खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे, राजस्थान रॉयल्स की जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरूपाकिस्तान में हिंदू बोले “यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता”, भारतीय गोदी मीडिया की खबरें झूठीIPL2025 मैचों के लिए राजस्थान रॉयल्स की टीम जयपुर पहुँचीदुबई में फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरायाराजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरीफर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तारराजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में प्रदेश से बाहर के वाइस चांसलर की नियुक्ति का भारी विरोधराजस्थान में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू, जहाँ से राज्यपाल वहीं से कुलपतियों के चयन की कहानी, उच्च शिक्षा के बेड़ा ग़र्कसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर 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पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 दिसंबर 2024 | जयपुर : संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में आज विशेष चर्चा होगी। 12 बजे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इसकी शुरुआत करेंगे। वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी चर्चा के दौरान संसद में अपनी स्पीच दे सकती हैं।भाजपा के 12 लीडर इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 दिसंबर की शाम को इस चर्चा पर अपना जवाब देंगे।
पीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दी
सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, प्रियंका के अलावा DMK नेता टीआर बालू, तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने सांसदों की मौजूदगी के लिए व्हिप जारी किया है।
पीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दी
राज्यसभा में अमित शाह करेंगे चर्चा की शुरुआत
राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को चर्चा होगी। इसकी शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा पर जवाब देंगे। यहां विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भाषण देंगे। मोदी ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दी, राहुल भी मौजूद थे
2001 में हुए संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
पीएम मोदी के साथ जगदीप धनखड़, ओम बिड़ला, अमित शाह और सबसे दाएं राहुल गांधी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संसद हमले के शहीदों को श्रद्धाजलि दी। पीएम के साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और राज्यसभा स्पीकर जगदीप धनखड़ मौजूद थे। 23 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के 5 आतंकवादियों ने संसद में हमला किया था।
इस हमले में जवानों समेत 14 लोगों कीजान गई थी। हमले का मुख्य आरोपी अफजल गुरु था। सुरक्षा बलों ने हमले में शामिल पांचों आतंकियों को मार गिराया था। अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में 9 फरवरी 2013 में फांसी दी गई थी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हमने ऐसे हालात बना दिए हैं कि संविधान पर चर्चा होनी चाहिए। बहुत सारी असंवैधानिक चीजें चल रही हैं। कई संस्थाओं का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। देश में गवर्नेंस अच्छी नहीं है। हम चाहते हैं कि चर्चा हो ताकि देश को पता चले कि सरकार किस तरह चल रही है।”
संविधान पर चर्चा को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने गुरुवार को अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की थी। इस पर दोनों पार्टियों ने व्हिप भी जारी किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह, राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की थी।
इससे पहले शाह ने संसद के अपने ऑफिस में पीयूष गोयल, किरेन रिजिजू समेत वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की थी। वहीं, कांग्रेस मुख्यालय पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बैठक की थी।
इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस पर पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम हुआ था।
विपक्ष ने संविधान पर चर्चा की मांग की, मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट किया
विपक्षी नेताओं ने 26 नवंबर, 75वें संविधान दिवस पर संसद के दोनों सदनों में संविधान पर बहस की मांग की थी। कहा था कि देश में हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर इसकी आवश्यकता है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 27 नवंबर को बताया था कि उन्होंने और राहुल गांधी ने दोनों सदनों के अध्यक्ष को पत्र लिखकर संविधान पर चर्चा कराने की अपील की थी। कहा था कि दोनों सदनों में 2-2 दिनों तक संविधान पर चर्चा कराई जाए।
विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को संविधान विरोधी होने का नैरेटिव सेट किया था। राहुल, प्रियंका, खड़गे, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने आरोप लगाया था कि भाजपा और केंद्र सरकार संविधान को खत्म करना चाहती है। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने संविधान हाथ में लेकर ही लोकसभा में शपथ ली थी।
यह फोटो 26 नवंबर की है। राहुल ने दिल्ली में कांग्रेस के संविधान रक्षा कैंपेन की शुरुआत की थी।
सरकार ने 2015 से संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की
प्रियंका ने 28 नवंबर को संविधान की कॉपी हाथ में लेकर लोकसभा में सांसद की शपथ ली थी। भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान ऑफिशियली अपनाया गया था, लेकिन लागू 26 जनवरी, 1950 को हुआ था। भारत सरकार ने 2015 में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की घोषणा की थी।
इस साल 26 नवंबर को संविधान सदन (पुरानी संसद) के सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम हुआ था। आयोजन की थीम हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान रखी गई थी। संविधान अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया था।
जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 1929 में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई थी। अंग्रेज सरकार से मांग की गई थी कि 26 जनवरी, 1930 तक भारत को संप्रभु दर्जा दिया जाए। इसके बाद 26 जनवरी, 1930 को पहली बार ‘पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस’ मनाया गया था।
तब से 1947 में आजादी मिलने तक इस दिन को इसी रूप में मनाया जाता रहा। इस दिन के महत्व की वजह से 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
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‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 29 मार्च 2025 | जयपुर : सबसे बड़े भू-भाग वाला प्रदेश- राजस्थान का क्षेत्रफल 3.42 लाख वर्ग किलोमीटर है जहां 6.85 करोड़ जनसंख्या निवास करती है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का आठवां बड़ा राज्य है व भू-भाग की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य। सात संभाग, 33 जिले, 41353 ग्राम, उत्तर से दक्षिण की लंबाई 826 वर्ग किमी व पूर्व से पश्चिम चौड़ाई 869 वर्ग किमी है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
भारत के अलग अलग भागों में नए राज्यों के निर्माण की मांग उठ रही है जिनमें अरावली प्रदेश सबसे प्रबल है। राष्ट्रीय एकता व अखण्डता, सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक, कृषि, उद्योग इत्यादि की विपुल संभावनाओं के मद्देनजर अरावली प्रदेश निर्माण की दावेदारी सबसे प्रबल है। भारत का सबसे बड़ा भूभाग राजस्थान जो दुनियां के 110 देशों से भी क्षेत्रफल में बड़ा है जिसको बीचों बीच से अरावली पर्वतश्रेणी ने दो भागों में विभाजित किया है जिसका उत्तरी पश्चिमी रेगिस्तानी थार का अरावली स्थल ही अरावली प्रदेश के नाम से जाना जाता है।
‘अरावली प्रदेश का निर्माण’ पूर्वी राजस्थान के सर्वांगीण विकास का समाधान
विश्वनाथ सुमनकेंद की सैद्धांतिक सहमति के बाद तेलंगाना ऐसा मुद्दा बन गया है, जिसके बल पर राजनीतिक दल काफी लंबे समय तक सियासी मैदान में दौड़ लगा सकते हैं। तेलंगाना के मुद्दे ने उन राजनीतिक दलों और गुटों को दोबारा जिंदा कर दिया है, जो छोटे राज्य बनाने के हिमायती हैं और जिनकी राजनीति हाल तक उनके असर वाले इलाकों में ही धूल फांक रही थी। आंध्र के बंटवारे के साथ यूपी को तीन हिस्सों में तोड़ने, महाराष्ट्र में विदर्भ, पश्चिम बंगाल में गोरखा लैंड और असम में बोडो लैंड बनाने की आवाज भी तेज हो गई। पृथक गोरखा लैंड के मुद्दे पर केंद्र सरकार, गोरखा जन मुक्ति मोर्चा और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच त्रिपक्षीय वार्ता शुरू हो चुकी है। पर इन सबके साथ, यह बहस भी गरमा गई है कि विकास के लिए छोटे राज्यों का निर्माण होना जरूरी है या यह मसला किसी वर्ग, नस्ल या क्षेत्र विशेष के लोगों को संतुष्ट करने का आसान जरिया भर है।
आजादी के बाद रजवाड़ों के भारतीय गणराज्य में विलय के साथ नए राज्यों के गठन का आधार तैयार होने लगा था। 1953 में स्टेट ऑफ आंध्र वह पहला राज्य बना, जिसे भाषा के आधार पर मद्रास स्टेट से अलग किया गया। इसके बाद दिसंबर 1953 में पंडित नेहरू ने जस्टिस फजल अली की अध्यक्षता में पहले राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। एक नवंबर 1956 में फजल अली आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 लागू हो गया और भाषा के आधार पर देश में 14 राज्य और सात केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए। मध्य प्रांत के शहर नागपुर और हैदराबाद के मराठवाड़ा को बॉम्बे स्टेट में इसलिए शामिल किया गया, क्योंकि वहां मराठी बोलने वाले अधिक थे। इसके बाद लगातार कई राज्यों का भूगोल बदलता रहा और नए तर्कों व मानकों के आधार पर नए राज्य बनते गए। त्रिपुरा को असम से भाषा के आधार पर अलग किया गया तो मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड का गठन नस्ल के आधार पर किया गया।
सन 2000 में उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के बंटवारे के आधार भी विकास नहीं बल्कि परोक्ष रूप से नस्ल और भाषा ही बनी। आज भारत में 28 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेश हैं।नया राज्य बनाने से पहले उन राज्यों की स्थिति का जायजा लिया जाना चाहिए, जो बड़े-बड़े दावों के आधार पर बनाए गए थे। यह आकलन का विषय है कि मूल प्रदेश से अलग होने के बाद क्या उन राज्यों में क्रांतिकारी बदलाव आए? निर्माण के दशकों बाद भी पूर्वोत्तर के राज्य विकास की बाट जोह रहे हैं। मणिपुर और नगालैंड में अलगाववादियों को नियंत्रित करना सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है। आज इन राज्यों की सरकारें पांच साल पूरा कर लेती हैं, तो उसे अचीवमेंट माना जाता है।आंकड़ों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई।
बिहार में प्रति व्यक्ति आय 10,570 रुपये ही है जबकि झारखंड में यह आंकड़ा 20,177 रुपये तक पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति आय 29,000 है, जबकि मध्य प्रदेश में औसत आय 18,051 रुपये ही है। आंकड़े जो चाहे कहें, मगर इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस कागजी समृद्धि के पीछे राज्य के विकास की जगह बंटवारे के बाद जनसंख्या में आई औसत कमी का योगदान अधिक है। इन राज्यों की जमीनी हालात में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ है। इन राज्यों की सरकारों ने न तो सिस्टम में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और ऐसी योजनाएं बनाई हैं, जिनसे प्रदेश की जनता की स्थिति में सुधार हुआ हो। आज भी छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सली हमले जारी हैं। वहां के निवासियों को उन दिक्कतों से निजात नहीं मिली है, जो 2000 से पहले वहां थीं।
वहां आज भी लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क बिजली, पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। चाहे पंजाब से अलग हुआ हरियाणा हो या उत्तराखंड, ये राज्य आर्थिक मदद के लिए हमेशा दिल्ली की ओर टकटकी लगाए रखते हैं। इन सबके बीच इन प्रदेशों में लालबत्ती लगी गाड़ियों और नए सरकारी दफ्तरों की तादाद में खासा इजाफा हुआ। संसाधनों की बंदरबांट पहले की तरह जारी है, बस, बांटने वालों के चेहरे बदल गए हैं। सचाई यह है कि नए राज्यों की मांग के पीछे दिए जाने वाले ज्यादातर तर्कों का स्वरूप नकारात्मक है। मसलन, हरित प्रदेश की मांग इसलिए की जा रही है कि भारी राजस्व जुटाने के बाद भी वेस्टर्न यूपी को बुंदेलखंड और पूर्वांचल की समस्याओं का साझा बोझ उठाना पड़ रहा है। गोरखा लैंड में बसने वाले बंगाली नहीं होंगे। विदर्भ और तेलंगाना को उपेक्षित रहने का मलाल है। इन तर्कों के साथ चल रहे आंदोलनों ने वैमनस्य की स्थिति पैदा कर दी है। एक हकीकत यह भी है कि इन राज्यों में पृथक राज्य के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठनों के पास विकास के लिए स्वीकार्य रोडमैप नहीं है।
सवाल है कि क्या गोरखा लैंड चाय और पर्यटन के सहारे अपने खर्चे जुटा लेगा। महाराष्ट्र से अलग होने के बाद विदर्भ के किसानों की स्थिति सुधर जाएगी? बुंदेलखंड और पूर्वांचल का पेट कैसे भरेगा? अगर इन नए प्रदेशों को गठन कर भी दिया जाए, तो वहां विकास का खाका खींचने में ही कई दशक गुजर जाएंगे। इसलिए झारखंड, उत्तराखंड और नॉर्थ ईस्ट से सबक लेने की जरूरत है। अगर इन राज्यों में डिवेलपमेंट की सही प्लानिंग की गई होती और बंटवारे का मकसद सियासी लाभ लेना नहीं होता तो इन नए नवेले राज्यों की सूरत कुछ और होती। राज्य छोटे हों या बड़े, यदि शासन करने वालों की नीति और नीयत साफ हो तो राज्य का आकार मायने नहीं रखता। अमेरिका में 50 राज्य हैं जबकि उसकी आबादी भारत से कम है। सही गवर्नेंस के लिए वहां भी एक नए राज्य की गठन की तैयारी चल रही है, बिना शोर-शराबे के। वहां किसी राजनीतिक दल को अनशन और आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ी। वहां की पॉलिटिकल पार्टियों में इसके लिए क्रेडिट लेने मारामारी भी नहीं है। भारत में भी छोटे राज्य बनाने में कोई हर्ज नहीं, बशर्ते राज्यों का गठन विकास के लिए हो, न कि किसी जाति या और राजनीतिक गुट को खुश करने के लिए।
क्यों जरुरी है राजस्थान का “मरु और अरावली प्रदेश” में विभाजन
मरुप्रदेश के 20 जिलों में देश का 27 प्रतिशत तेल, सबसे महंगी गैस, खनिज पदार्थ, कोयला, यूरेनियम, सिलिका आदि का एकाधिकार है। एशिया का सबसे बड़ा सोलर हब और पवन चक्कियों से बिजली प्रोडक्शन यहाँ हो रहा है। गौरतलब है कि एक तरफ जहां राजस्थान में प्रति व्यक्ति तो ज्यादा है, लेकिन पश्चिम राजस्थान के जिलों में रहने वालों का एवरेज निकाला जाये तो उनकी आय काफी कम है। राजस्थान की भौगोलिक और सांस्कृतिक इकाईयों में असमानता, आर्थिक विकास और राजनैतिक विमूढ़ता का सबसे ज्यादा नुकसान इस इलाके को उठाना पड़ा है।
राजस्थान के इस 40.11% भूभाग के निवासियों के साथ विकास की प्रक्रिया में कभी न्याय नहीं हो पाया। अरावली प्रदेश मुक्ति मोर्चा के संयोजक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि देश का विकास छोटे राज्यों से ही हो सकता है। राज्य जब तक बड़े राज्य रहे हैं, तब तक विकास से महरूम रहे हैं। झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड बेहतरीन उदहारण है, क्योंकि बिहार, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में रहते हुए विकास की डगर वहां तक नहीं पहुँच पायी थी। मगर जैसे ही अलग राज्य बने तो विकास की राह में ये राज्य अपने मूल राज्यों से आगे निकल गये।
अलग अरावली प्रदेश की तार्किक माँग
अलग अरावली प्रदेश की माँग करने का तर्क है कि पूर्वी राजस्थान का ये क्षेत्र राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है। इन जिलों से अरबों रुपयों की रॉयल्टी सरकार कमा रही है, लेकिन इन जिलों में पीने का पानी, रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, स्पोर्ट्स और सैनिक स्कूल, खेतों को नहरों का पानी जैसी समस्यायों से आम जनता जूझ रही है।
इसका प्रमुख कारण भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति अलग है। इस हिस्से की जलवायु, कृषि, उद्योग और जनसंख्या का वितरण भी अलग है। यदि यह भू-भाग नए राज्य के रूप में सामने आयेगा तो इस क्षेत्र के विकास में तेजी आयेगी। “अरावली में बग़ावत” शीर्षक पुस्तक के लेखक प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने लिखा है कि अरावली भू-भाग का सम्पूर्ण विकास तभी होगा जब अरावली प्रदेश अलग राज्य बनेगा। अरावली के संसाधनों की लूट रुकेगी।
प्रोफ़ेसर मीणा कहते हैं, ”आज़ादी से पहले जहां अरावली का इलाक़ा विकास की दौड़ में शामिल था। वहीं आज़ादी के बाद सभी पार्टियों की सरकारों और चतुर-चालाक मारवाड़ी व्यवसाइयों ने इसके प्रति बेरुख़ी दिखायी। जबकि प्राकृतिक संसाधनों प्रचुरता से ये एरिया ख़ूब मालामाल है। खनिज के हिसाब से देखें तो इस क्षेत्र में कोयला, जिप्सम, क्ले और मार्बल निकल रहा है। वहीं, जोधपुर जैसे शहर में पीने का पानी अरावली क्षेत्र से ट्रेन से भर-भर कर ले जाकर वहाँ के लोगों की प्यास बुझायी जाती थी। बीसलपुर बाँध का पानी पाली, अजमेर और जोधपुर के गाँवों तक पहुँचाया जा रहा है और अब जैसी ही बाड़मेर में तेल और गैस के भंडार मिले हैं, वैसे ही मरू प्रदेश की माँग जोर-शोर से उठायी जा रही है। जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्रियों और उनकी सरकारों ने अरावली भू-भाग (पूर्वी राजस्थान) से रेवेन्यू तो भरपूर लिया है, लेकिन विकास को हमेशा अनदेखा किया है।
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी
राजस्थान के बजट में सकल राजस्व और आमदनी का 70% हिस्सा अरावली प्रदेश से आता है और उसको 80% से भी अधिक पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में खर्च किया जाता रहा है। इसके समर्थन में आंकड़े गवाह हैं, जो बताते हैं कि कैसे जोधपुर को शिक्षा की नगरी बनाया गया। एक-आध को छोड़कर सारे-के-सारे केंद्रीय शिक्षण संस्थानों (20 से अधिक) को जोधपुर ले जाया गया। अरावली के दक्षिणी छोर से लेकर उत्तरी छोर तक 500 किलोमीटर में एक भी केंद्रीय संस्थान नहीं है। एक तरफ, नर्मदा का पानी रेगिस्तान को हरा-भरा कर रहा है और वहीं दूसरी तरफ, अरावली प्रदेश (भू-भाग) एक-एक बूँद पानी के लिए तरस रहा है।
अरावली प्रदेश के भोले-भाले लोग तो यह भी नहीं जानते कि कैसे मंडरायल (करौली) में लगने वाली सीमेंट फेक्ट्री को जैतपुर (पाली) ले जाया गया जबकि मंडरायल में सब कुछ फाइनल हो चुका था। सवाई माधोपुर सीमेंट फेक्ट्री को कैसे बंद किया गया।” जब वर्ष 2000-01 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 03 राज्य नए बनाये तो उस समय के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जी ने भी पत्र लिख कर कहा था कि पूरे राजस्थान का विकास व देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्य के दो भाग किये जाये। इसके बाद भी समय समय पर अनेको क्षेत्रीय नेताओ ने इस माँग का समर्थन किया लेकिन पार्टियों की गुलामी के चलते मुखर विरोध नहीं कर सके।
चहुँओर चमकेगी उन्नति, जब बनेगा अरावली प्रदेश
अरावली पर्वत माला भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक है, जिसकी गिनती विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में भी होती है। यह भूवैज्ञानिक दृष्टि से अरबों वर्षों पुरानी है और भारतीय उपमहाद्वीप के भूगोल और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। राजस्थान इस पर्वतमाला का मुख्य केंद्र है। अरावली यहाँ के परिदृश्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे राज्य के पश्चिमी और पूर्वी भागों को विभाजित करने वाली प्राकृतिक दीवार भी कहा जाता है। पूर्वी राजस्थान; अरावली के पूर्व में स्थित यह क्षेत्र अपेक्षाकृत उपजाऊ है और यहाँ मैदानी भाग पाये जाते हैं। पश्चिमी राजस्थान; अरावली के पश्चिम में थार मरुस्थल स्थित है, जो राज्य के लगभग 60% क्षेत्र को कवर करता है। पूर्वी राजस्थान में कृषि के लिए उपयुक्त भूमि है, जहाँ रबी और खरीफ दोनों फसलें उगाई जाती हैं। पश्चिमी राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थलीय या अर्द्धमरुस्थलीय है।
अरावली पर्वत श्रृंखला की कुल लंबाई गुजरात से दिल्ली तक 692 किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 550 किलोमीटर राजस्थान में स्थित है। अरावली पर्वत श्रृंखला का लगभग 80% विस्तार राजस्थान में 22 जिलों में पूर्ण रूप से ओर कुछ जिलों में थोड़ा सा हिस्सा फैला हुआ है। अरावली प्रदेश के 22 जिलों में जयपुर, दौसा, करौली, धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूं , चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, राजसमंद, उदयपुर, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर शामिल होंगे।
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अरावली प्रदेश की जोर पकड़ती माँग और “अरावली प्रदेश” के लाभ
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 मार्च 2025 | जयपुर : प्रोफेसर मीना पूर्वी राजस्थान के लिए “अरावली प्रदेश” की स्थापना की वकालत करते हैं। उनकी रणनीति में क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करना और स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर बहुजन समुदाय के आर्थिक-सामाजिक विकास को बढ़ावा देना शामिल है।
भारत की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के लिए जीवन रेखा के रूप में काम करती रही है। हालाँकि, अवैध खनन, शहरीकरण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण अरावली काफ़ी हद तक क्षरण का सामना कर रही है।
इन दबावों के कारण इस पर्वत श्रृंखला के बड़े हिस्से का क्षरण हुआ है, जिससे रेगिस्तानीकरण, पानी की कमी और जैव विविधता के नुकसान जैसी पर्यावरणीय आपदाएँ हुई हैं।
अरावली प्रदेश की जोर पकड़ती माँग और “अरावली प्रदेश” के लाभ
“छोटे राज्यों का गठन” के बारे में चर्चा आम है, जो संभवतः प्रोफेसर राम लखन मीना के “अरावली प्रदेश” प्रस्ताव के संदर्भ में या सामान्य रूप से भारत में छोटे राज्यों के निर्माण की अवधारणा से संबंधित है। इसे व्यापक परिप्रेक्ष्य में समझना होगा और भारतीय संदर्भ में इसके पक्ष-विपक्ष, और प्रक्रिया पर ध्यान देना जरूरी है। यदि आप इसे “अरावली प्रदेश” तक सीमित रखना चाहते हैं।
अरावली प्रदेश की जोर पकड़ती माँग और “अरावली प्रदेश” के लाभ
छोटे राज्यों का गठन: एक अवलोकन
भारत में छोटे राज्यों का गठन एक ऐतिहासिक और राजनीतिक प्रक्रिया रही है, जो मुख्य रूप से भाषाई, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय पहचान, और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर हुई है। स्वतंत्रता के बाद से, भारत के राज्य पुनर्गठन ने बड़े राज्यों को छोटी इकाइयों में विभाजित करने की माँग को बार-बार देखा है।
ऐतिहासिक उदाहरण
1956 का राज्य पुनर्गठन अधिनियम: भाषा के आधार पर राज्यों का गठन हुआ, जैसे आंध्र प्रदेश (तेलुगु), कर्नाटक (कन्नड़), और तमिलनाडु (तमिल)। यह बड़े औपनिवेशिक प्रांतों को छोटी इकाइयों में तोड़ने की शुरुआत थी।
2000 में तीन नए राज्य:
छत्तीसगढ़: मध्य प्रदेश से अलग
उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश से अलग
झारखंड: बिहार से अलग इनका गठन क्षेत्रीय उपेक्षा और पहचान के आधार पर हुआ।
तेलंगाना (2014): आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना बना, जो विकास में असमानता और सांस्कृतिक पहचान की लंबी लड़ाई का परिणाम था।
छोटे राज्यों के पक्ष में तर्क
प्रशासनिक दक्षता: छोटे राज्य सरकार को जनता के करीब लाते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं पर तेजी से ध्यान देना संभव हुआ।
स्थानीय विकास: संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है। छत्तीसगढ़ ने अपने खनिज संसाधनों का लाभ उठाकर औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया।
सांस्कृतिक और क्षेत्रीय पहचान: छोटे राज्य स्थानीय भाषा, परंपराओं और समुदायों को संरक्षित करते हैं। जैसे, तेलंगाना में तेलुगु संस्कृति को अलग पहचान मिली।
राजनीतिक सशक्तिकरण: हाशिए पर रहे समुदायों को नेतृत्व का मौका मिलता है। झारखंड में आदिवासी समुदायों की आवाज मजबूत होगी।
छोटे राज्यों के खिलाफ तर्क
आर्थिक व्यवहार्यता: छोटे राज्य कभी-कभी स्वतंत्र रूप से आर्थिक रूप से टिक नहीं पाते। मिसाल के तौर पर, झारखंड में विकास हुआ, लेकिन भ्रष्टाचार और संसाधन प्रबंधन की समस्याएँ बनी रहीं।
प्रशासनिक लागत: नए राज्य का ढाँचा—जैसे विधानसभा, सचिवालय, और नौकरशाही—बनाने में भारी खर्च होता है।
विखंडन का खतरा: बार-बार विभाजन से राष्ट्रीय एकता पर सवाल उठ सकते हैं। कुछ लोग इसे “बाल्कनीकरण” कहते हैं।
अंतर-राज्य विवाद: जल, सीमा, और संसाधनों पर टकराव बढ़ सकता है, जैसे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी का विवाद।
भारत में गठन की प्रक्रिया
भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत संसद को नए राज्यों के गठन का अधिकार है। प्रक्रिया इस तरह है:
माँग की शुरुआत: स्थानीय आंदोलन, राजनीतिक दल या समुदाय माँग उठाते हैं।
राज्य विधानसभा की राय: संबंधित राज्य विधानसभा से राय ली जाती है (हालाँकि यह बाध्यकारी नहीं है)।
केंद्र सरकार का प्रस्ताव: गृह मंत्रालय इसका मूल्यांकन करता है और संसद में विधेयक पेश करता है।
संसदीय मंजूरी: दोनों सदनों में साधारण बहुमत से पास होने के बाद राष्ट्रपति की सहमति से यह लागू होता है।
“अरावली प्रदेश” के संदर्भ में प्रोफेसर मीना का प्रस्ताव इस पैटर्न में फिट बैठता है। उनका तर्क है कि पूर्वी राजस्थान की उपेक्षा और बहुजन समुदायों की जरूरतें एक छोटे राज्य से पूरी हो सकती हैं। लेकिन इसके लिए व्यापक जन समर्थन, आर्थिक योजना, और राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए—जो अभी प्रारंभिक चरण में लगता है।
छोटे राज्यों का गठन भारत में सफल भी रहा है (तेलंगाना, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़) और चुनौतीपूर्ण भी (झारखंड की आर्थिक अस्थिरता)। यह इस बात पर निर्भर करता है कि नया राज्य अपनी विशिष्टता को कैसे भुनाता है और संसाधनों का प्रबंधन कैसे करता है। यदि आप किसी खास पहलू—आर्थिक प्रभाव या विशिष्ट उदाहरण—पर और जानना चाहते हैं, तो बताएँ। क्या आप “अरावली प्रदेश” पर ही केंद्रित जवाब चाहते हैं या सामान्य चर्चा ठीक है?
“अरावली प्रदेश” के लाभों पर चर्चा करने के लिए प्रोफेसर राम लखन मीना (@ProfRLMeena) के प्रस्तावित विचार को आधार बनाना होगा, जो पूर्वी राजस्थान के जिलों को एक अलग राज्य के रूप में गठित करने की वकालत करता है। यहाँ इसके संभावित लाभों को विस्तार से देखते हैं, जो सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक, और पर्यावरणीय पहलुओं पर आधारित हैं:
1. प्रशासनिक दक्षता और स्थानीय फोकस
तेज निर्णय प्रक्रिया: एक छोटा राज्य होने से सरकार स्थानीय समस्याओं—like ग्रामीण सड़कें, स्कूल, और अस्पताल—पर तेजी से ध्यान दे सकती है। अभी पूर्वी राजस्थान की जरूरतें जयपुर-केंद्रित प्रशासन में दब जाती हैं।
जमीनी स्तर तक पहुँच: छोटे राज्य में नौकरशाही और जनता के बीच की दूरी कम होगी, जिससे नीतियाँ अधिक प्रभावी होंगी। उदाहरण के लिए, टोंक या दौसा जैसे जिलों की उपेक्षा कम हो सकती है।
2. आर्थिक विकास और संसाधन उपयोग
खनिज संपदा का लाभ: अरावली क्षेत्र में संगमरमर, ताँबा, जस्ता, और अन्य खनिज प्रचुर हैं। एक अलग राज्य इनका स्थानीय स्तर पर बेहतर उपयोग कर सकता है, जिससे रोजगार और राजस्व बढ़ेगा। अभी ये संसाधन बड़े कॉर्पोरेट्स या राज्य के अन्य हिस्सों की ओर चले जाते हैं।
कृषि और पर्यटन: पूर्वी राजस्थान की उपजाऊ जमीन और अरावली की पहाड़ियाँ (जैसे रणथंभौर, सरिस्का) पर्यटन और कृषि को बढ़ावा दे सकती हैं। एक समर्पित प्रशासन इन क्षेत्रों को प्राथमिकता दे सकता है।
आर्थिक स्वायत्तता: स्थानीय कर और निवेश नीतियाँ क्षेत्र की जरूरतों के हिसाब से बनाई जा सकती हैं, बजाय इसके कि पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय मॉडल पर निर्भर रहें।
3. सामाजिक सशक्तिकरण
बहुजन समुदायों का उत्थान: प्रोफेसर मीना का जोर बहुजन (ओबीसी, एससी, एसटी) समुदायों पर है, जो इस क्षेत्र में बहुसंख्यक हैं। एक अलग राज्य उनकी शिक्षा, रोजगार, और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा दे सकता है। जैसे, मीणा और गुर्जर समुदायों को नेतृत्व के अधिक अवसर मिल सकते हैं।
आरक्षण का प्रभावी कार्यान्वयन: छोटे राज्य में आरक्षण नीतियों को स्थानीय स्तर पर बेहतर लागू किया जा सकता है, जिससे जातिगत असमानता कम हो।
4. सांस्कृतिक पहचान और गर्व
स्थानीय संस्कृति का संरक्षण: अरावली क्षेत्र की सहरिया, भील, मीणा, गुर्जर, और अन्य जनजातीय परंपराएँ राजस्थान की राजपूत-केंद्रित पहचान में दबी रहती हैं। एक अलग राज्य इसे मुख्यधारा में ला सकता है।
क्षेत्रीय एकता: “अरावली प्रदेश” की पहचान लोगों में गर्व और एकता की भावना जगा सकती है, जैसा कि तेलंगाना या उत्तराखंड में देखा गया।
5. पर्यावरण संरक्षण
अरावली पर्वतों की रक्षा: अवैध खनन और वन कटाई से अरावली क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है। एक समर्पित राज्य सरकार पर्यावरण नीतियों को सख्ती से लागू कर सकती है, जिससे जैव-विविधता और जल संसाधन बचे रहें।
सतत विकास: पर्यटन और खनन के बीच संतुलन बनाया जा सकता है, जो अभी बड़े राज्य के ढाँचे में मुश्किल है।
6. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
शिक्षा पर ध्यान: प्रोफेसर मीना शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ हैं। एक छोटा राज्य सरकारी स्कूलों और कॉलेजों को मजबूत करने पर केंद्रित नीतियाँ बना सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
स्वास्थ्य सेवाएँ: स्थानीय स्तर पर अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जो अभी दूर-दराज के इलाकों में कम हैं।
तुलनात्मक उदाहरण
छत्तीसगढ़: मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद खनिज-आधारित अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ, हालाँकि भ्रष्टाचार एक चुनौती रहा। अरावली प्रदेश भी खनिजों से लाभ उठा सकता है।
उत्तराखंड: पहाड़ी क्षेत्रों की जरूरतों पर फोकस से बुनियादी ढाँचा बेहतर हुआ। अरावली के पहाड़ी जिलों को भी ऐसा लाभ मिल सकता है।
संभावित प्रभाव
“अरावली प्रदेश” बहुजन समुदायों के लिए एक प्रयोगशाला बन सकता है, जहाँ सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास को संतुलित करने की कोशिश हो। यह क्षेत्र की उपेक्षा को दूर कर सकता है और एक मॉडल राज्य बन सकता है, बशर्ते इसे सही योजना और नेतृत्व मिले।
यदि आप किसी खास लाभ आर्थिक या पर्यावरणीय—पर और गहराई से जानना चाहते हैं, तो बताएँ। क्या आप इसके पक्ष में उनके तर्कों को और विस्तार से पढ़ना-सुनना चाहते हैं?
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