जो बाइडेन का अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर कमला हैरिस को समर्थन

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 जुलाई 2024 | जयपुर : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। चुनाव से 4 महीने पहले रविवार को उन्होंने चिट्ठी लिखकर इस बात का ऐलान किया। बाइडेन ने कहा- मैं देश और पार्टी हित के लिए चुनाव से बाहर हो रहा हूं। बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की रेस से हटने के साथ डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट के तौर पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम आगे बढ़ाया।

जो बाइडेन का अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर कमला हैरिस को समर्थन

दरअसल, अमेरिका में 28 जून को हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता यह मांग कर रहे थे कि वे राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी छोड़ दें। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर पार्टी की सबसे सीनियर लीडर नैंसी पेलोसी उन्हें प्रेसिडेंशियल रेस से बाहर होने को कह चुकीं थीं।

जो बाइडेन का अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर कमला हैरिस को समर्थन

इसके बाद बाइडेन ने कहा था कि अगर डॉक्टर मुझे अनफिट या किसी बीमारी से ग्रसित पाते हैं तो मैं राष्ट्रपति की रेस से बाहर हो जाऊंगा। इसके बाद वे कोरोना पॉजिटिव हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेमोक्रेटिक पार्टी जल्द ही उप राष्ट्रपति कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है। उधर, डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि बाइडेन कभी भी राष्ट्रपति पद के लायक नहीं थे। वे धोखेबाज हैं और सिर्फ फेक न्यूज की वजह से प्रेसिडेंट बनें।

बाइडेन की चिट्टी की 4 बड़ी बातें…

बाइडेन ने लेटर में उनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका में हुए विकास के बारे में बात लिखीं। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन साल में हमने देश के तौर पर महान तरक्की की है। आज अमेरिका दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था है। हमने देश को बनाने के लिए ऐतिहासिक निवेश किए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बड़ी संख्या में अमेरिकियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हम अफोर्डेबल हेल्थ केयर को लेकर आए हैं। हमने पिछले 30 साल में पहली बार गन सेफ्टी लॉ पास किया है। दुनिया के इतिहास में पहली बार हम पर्यावरण के बचाने के लिए कानून लेकर आए। अमेरिका इतनी बेहतर स्थिति में कभी नहीं रहा, जितना आज है।

मैं जानता हूं कि ये सब अमेरिकी लोगों के बिना नहीं हो सकता था। हम साथ रहकर ही सदी के महामारी और 1930 के बाद आई सबसे खराब इकोनॉमिक क्राइसिस से उबरे। हमने हमारी डेमोक्रेसी को बचाया। हमने दुनियाभर में अपने सहयोगियों मजबूत किया।

आपके प्रेसिडेंट के रूप में देश की सेवा करना, ये मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है। मैं अपनीा टीम में एक्स्ट्राऑर्डिनरी पार्टनर के तौर पर कमला हैरिस को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। आज मेरा ये विश्वास है कि ऐसा कुछ नहीं है, जो अमेरिका नहीं कर सकता, अगर हम साथ मिलकर करें। बस हमें खुद को बताने की जरूरत है कि हम यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका हैं।

‘बाइडेन कभी भी राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं थे’ ट्रम्प 

बाइडेन के चुनाव न लड़ने के फैसले पर डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वे कभी भी राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं थे। बाइडेन इस पद पर भी रहने लायक नहीं हैं और न कभी थे। वह झूठ, फेक न्यूज और अपने बेसमेंट से बाहर न निकलने के कारण राष्ट्रपति बने। उनके आसपास के सभी लोग जानते थे कि वह राष्ट्रपति बनने के योग्य नहीं थे।

देखिए उन्होंने हमारे देश का क्या हाल कर दिया है। लाखों लोगअवैध तरीके से हमारी सीमा में दाखिल हो रहे हैं। इनमें से कई लोग जेल तो कई पागलखाने से भागे हैं। इनमें रिकॉर्ड संख्या में आतंकवादी हैं। हम बाइडेन के राष्ट्रपति रहने की वजह से और दुख झेलेंगे। लेकिन हम उनके किए गए नुकसान की बहुत जल्द भरपाई भी करेंगे। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन।

‘बाइडेन सर्वोच्च कोटि के देशभक्त’ ओबामा

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बाइडेन को सर्वोच्च कोटि के देशभक्त कहा। उन्होंने कहा कि जो बाइडेन अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रपतियों में से एक रहे हैं। साथ ही मेरे प्रिय मित्र और साथी भी हैं।

आज हमें फिर से याद दिलाया गया है कि बाइडेन सर्वोच्च कोटि के देशभक्त हैं। हालांकि, ओबामा ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस का समर्थन करेंगे या नहीं।

एक्टब्लू ने 5 घंटे में जुटाए 27.5 मिलिनय डॉलर

डेमोक्रेटिक पार्टी के फंडरेजिंग प्लेटफॉर्म एक्टब्लू ने कहा कि उसने राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का समर्थन करने के बाद 5 घंटे में छोटे-छोटे दान में 27.5 मिलियन डॉलर जुटाए।

डेमोक्रेटिक पार्टी का कन्वेंशन 19 अगस्त से, कमला को बहुमत पाना होगा

बाइडेन मैदान से हटे हैं, लेकिन जनवरी 2025 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे। इस हफ्ते देश को संबोधित करेंगे। सबकी निगाह 19 अगस्त से शिकागो में होने वाले डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन पर है। इसमें पार्टी के 4 हजार प्रतिनिधि राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का चयन करने के लिए जुटेंगे।

यह भी संभव है कि प्रत्याशी चयन कन्वेंशन से पहले वर्चुअल हो जाए। अगर, कोई डेमोक्रेट कमला को चुनौती देना चाहता है तो 600 प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर के साथ दावा करना होगा। कन्वेंशन में बहुमत समर्थन जुटाना होगा। कमला की उम्मीदवारी को गवर्नर गैविन न्यूसम, विटमर, बेशर और सैपियो से चुनौती मिल सकती है।

डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से बाइडेन-कमला के नाम पर 2007 करोड़ रु. का चंदा जमा हो चुका था। अब कमला को बाइडेन का समर्थन मिलने के बाद यह तय है कि वे इसका इस्तेमाल चुनाव में कर सकेंगी। कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार तय करेंगी। इनमें सीनेटर मार्क केली, गवर्नर एंडी बैशहीयर और रॉय कूपर का नाम चर्चा में है। इनमें से मार्क केली का नाम सबसे आगे है।

चार दिन पहले बाइडेन कोरोना पॉजिटिव हुए थे

18 जुलाई को 81 साल के बाइडेन कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। व्हाइट हाउस ने बताया था कि वे आइसोलेशन में रहकर काम करेंगे। 81 साल के बाइडेन को तीसरी बार कोरोना हुआ है। इससे एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि अगर डॉक्टर उन्हें अनफिट घोषित करते हैं तो वे राष्ट्रपति चुनाव की रेस से बाहर हो जाएंगे। डिबेट के दौरान जब ट्रम्प राष्ट्रपति बाइडेन पर आरोप लगा रहे थे, तब बाइडेन खांसते नजर आए।

‘अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन 6 घंटे ही काम कर पाते हैं’

दो हफ्ते पहले आई एक्सियोस की रिपोर्ट ने बाइडेन की खराब सेहत पर कई सवाल उठाए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडेन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक ही काम कर पाते हैं। व्हाइट हाउस के कर्मचारियों के हवाले से छपी रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन रोजाना 6 घंटे ही बेहतर काम कर पाते हैं।

इससे पहले ट्रम्प से 28 जून को पहली प्रेसिडेंशियल में बाइडेन कई मौकों पर बिना सोचे-समझे बोल रहे थे। कई बार लड़खड़ाते हुए भी दिखे थे, जिस कारण वे बहस हार गए। इसके बाद नाटो समिट के दौरान बाइडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को प्रेसिडेंट पुतिन कह दिया था। इसके कुछ ही देर बाद उन्होंने अपनी गलती दोहराई और वो अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम भूल गए और उन्हें डोनाल्ड ट्रम्प बोल दिया था।

पोल में दावा- ट्रम्प जीत सकते हैं राष्ट्रपति चुनाव

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर रविवार (14 जुलाई) को हुई गोलीबारी के बाद अमेरिकी मीडिया CNN के पोल में बाइडेन की हार का दावा किया गया है। पोल में बताया गया है कि कुल 588 सीटों में से ट्रम्प की पार्टी रिपब्लिकन को 330 सीटें मिल सकती है।

बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी को 208 सीटें मिलने का दावा किया है। अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के लिए 270 सीटें जीतना जरूरी होती हैं। इससे पहले 2020 में बाइडेन को 306 सीटें और ट्रम्प को 232 सीटें मिली थीं।

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नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान में ‘थप्पड़ कांड’ से चर्चित हुए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा 1 महीने से टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील की गई है।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

इसके चलते 17 दिसंबर को एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत को लेकर सुनवाई होगी। इधर, नरेश के समर्थकों में रिहाई की मांग को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। बता दें कि बीते दिनों उनियारा कोर्ट में नरेश की जमानत की एप्लीकेशन लगाई गई थी, जो खारिज हो गई थी।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल

टोंक जिले के देवली-उनियारा क्षेत्र में एसडीएम थप्पड़ कांड के 5वें दिन भी समरावता गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है। जब भी कोई नेता गांव में पहुंच रहा हैं तो व्यथा सुनाते हुए ग्रामीणों की आंखों से आंसू निकल पड़ते है।

देवली-उनियारा के समरावता गाँव के लोग नये वीडियो से दहशत में है। वहीं, नरेश मीणा के पिता कल्याण सिंह मीणा भी गांव में पहुंचते ही रो पड़े। राजनेता वैसे तो नरेश मीणा की ज़मानत और उनकी रिहाई के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं पर अपनी राजनीति चमकाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। 

भोली-भली जनता सोच रही है कि सड़क पर आंदोलन करने या बड़ी-बड़ी सभाएँ करने से नरेश मीणा की ज़मानत हो जायेगी। पर, ऐसा कतई नहीं है क्योंकि जमनत तो सिर्फ़ वकीलों की अच्छी पैरवी से होगी जो अभी तक नहीं हुई है।

ग्रामीणों का आरोप ‘पुलिस कर देती एनकाउंटर’

इतना सुनते ही नरेश मीणा के पिता भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। लोगों ने यह भी कहा कि नरेश को हम उठाकर नहीं ले जाते तो पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग उन्हें संभालते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति नरेश मीणा के एनकाउंटर की पुलिस की साजिश की बात कह रहा है।

मूकनायक मीडिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रोफ़ेसर राम लखन ने अपने एक्स (X) हैंडल पर राजस्थान पुलिस को टैग करते हुए इनकी तटस्थ जाँच की माँग की है। उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस की छवि से जुड़े इस वीडियो की जाँच हो।

ये है पूरा मामला

बता दें कि विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में विधानसभा उप चुनाव 2024 के दौरान ग्राम समरावता थाना नगरफोर्ट, जिला टोंक में ग्रामीणो द्वारा उनके गांव समरावता को उपखण्ड देवली से हटाकर उपखण्ड उनियारा मे शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उक्त मांग को लेकर ग्रामीणो को साथ लेकर धरना शुरू किया। तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने वहां मौजूद एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी आरएएस उपखण्ड अधिकारी मालपुरा के थप्पड़ मार दी। इसके बाद घटनास्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गया।

शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पकड़ा। लेकिन, ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर नरेश मीणा को छुड़ा लिया। उपद्रवियों ने दो राजकीय वाहन व 7 प्राईवेट वाहन एवं लगभग 25 मोटर साईकिलों में आग लगा दी।

हालांकि, अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर मीना समर्थक भड़क गए और नरेश मीणा की रिहाई की मांग को लेकर कचरावता गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 डी पर जाम लगा दिया। इस पर पुलिस 60 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नरेश मीणा सहित सभी उपद्रवी अभी जेल में बंद है।

नरेश मीणा कब आयेंगे जेल बाहर?

राजस्थान में उपचुनाव के दिन 13 नवंबर को देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ जड़ दिया था। इसको लेकर समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई। उसके दूसरे दिन 14 नवंबर को टोंक पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

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नरेश तब से टोंक जेल में बंद है। हालांकि एक बार उनियारा कोर्ट में उनकी जमानत याचिका को खारिज हो चुकी है। नरेश मीणा के वकील ने बताया कि जिला कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अब 17 दिसंबर को सुनवाई हुई। पर जमानत अभी तक नहीं हुई है।

नरेश की रिहाई को लेकर गरमा रहा है मुद्दा

इधर, एक महीने से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई का मामला गर्माता जा रहा है। नरेश मीणा के समर्थक उनकी रिहाई को लेकर लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में सर्व समाज की महापंचायत हुई।

इधर, नरेश के समर्थक टोंक सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाएगा जो प्रशासन ने सोचा भी नहीं होगा। 

नरेश मीणा की जमानत पर फिर टली सुनवाई

बता दें कि थप्पड़ कांड के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। इस बीच दो बार उनकी जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। टोंक जिला न्यायालय में आज एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत अर्जी की सुनवाई टल गई है।

अब 4 जनवरी को जमानत पर सुनवाई होगी। बता दें कि नरेश मीणा सहित 18 आरोपियों के लिए उनियारा एसीजेएम कोर्ट मेें दो बार अर्जी खारिज हो चुकी है। इधर, 29 दिसंबर को नरेश के समर्थक उनकी रिहाई के लिए महापंचायत बुला रहे हैं। इस दौरान टोंक कलेक्ट्रेट और टोंक हाईवे पर बड़ा प्रदर्शन करने का प्रस्तावित कार्यक्रम रखा गया है।

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Memorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable life

MemoriesMOOKNAYAK MEDIA BUREAU | December 27, 2024 | Jaipur: As the sun sets on a remarkable life, we mourn the loss of a true statesman, a visionary leader, and a humble soul – Former Prime Minister Manmohan Singh. At 92, he leaves behind a legacy that will forever be etched in the annals of Indian history.

Memorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable life

Born in the midst of turmoil, Singh’s family migrated to India during the partition in 1947. Against all odds, he rose to become a renowned economist, academician, and bureaucrat, serving as the Prime Minister of India from 2004 to 2014.

Memorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable life

Singh’s unwavering loyalty to the Gandhi family was a testament to his commitment to the party and its ideals. Yet, it is equally important to acknowledge the hurt caused by Rahul Gandhi’s misbehavior towards him. A public apology from Rahul Gandhi would be a fitting tribute to the former Prime Minister’s legacy.

As we remember Manmohan Singh, we honor his numerous achievements, including the liberalization of India’s economy, the implementation of the National Rural Employment Guarantee Act (NREGA), and the Right to Information Act.

His commitment to education and healthcare led to significant reforms, including the Right of Children to Free and Compulsory Education Act.Singh’s foreign policy initiatives strengthened India’s relationships with countries like the United States, China, and Afghanistan.

His leadership played a crucial role in shaping India’s growth story, and his humility and integrity earned him respect across party lines.As we bid farewell to this extraordinary leader, we take a moment to reflect on his remarkable journey.

Manmohan Singh’s life serves as a testament to the power of hard work, dedication, and selfless service. May his legacy continue to inspire future generations of leaders and citizens alike.In the words of Singh himself, “The greatest glory in living lies not in never falling, but in rising every time we fall.”

As we remember this remarkable leader, let us strive to emulate his values of integrity, wisdom, and selfless service.Tamil Nadu Chief Minister and DMK president M.K. Stalin credited Dr. Singh for steering India’s economic transformation. “His tenure marked an era of steady growth, social progress, and reforms that improved the lives of millions.”

Reflecting on the DMK’s steady presence in UPA, he said, that Dr. Singh’s partnership with M. Karunanidhi was instrumental in advancing Tamil Nadu’s development. “Even during turbulent times, Dr. #ManmohanSingh and Thalaivar Kalaignar stood together, exemplifying the strength of coalition politics built on trust and respect for regional identities,” Mr. Stalin said.

US Secretary of State Antony Blinken paid tribute to Singh, calling him a “champion of the US-India strategic partnership.” Highlighting Singh’s pivotal role in advancing the Civil Nuclear Cooperation Agreement, Blinken stated, “Dr Singh’s leadership laid the foundation for much of what our countries have accomplished together in the past two decades.”

Dr Singh was a brilliant economist with an ambitious vision of what a liberal India could be, combined with a fine sense of what was possible politically. He was understated and soft spoken, which allowed him to attract the best and the brightest, ranging from Montek Singh Ahluwalia to C Rangarajan, to his team.

The liberalisation and reforms he undertook with the support of Prime Minister Narasimha Rao laid the foundations of the modern Indian economy, and spurred the decades of robust growth we still enjoy.

Dr Singh also had singular achievements on the administrative side. In his first term as prime minister, he strengthened relations with the US, culminating in the Civil Nuclear Deal. In some ways, the US-India relationship may be the key global relationship of the 21st century, and Dr Singh put it on stable footing.

In his second term, he appointed Nandan Nilekani to head the unique ID rollout, which became the foundation of the India Stack and successful products like UPI payments. Those were also years of extraordinary growth.

After the initial recovery post-global financial crisis, Dr Singh recognised the growing risks to the economy from excessive spending, and brought back P Chidambaram as finance minister to restore macroeconomic stability. While India experienced volatility during the Taper Tantrum, matters could have been much worse without Dr Singh’s prescience.

Dr Singh was a man of great integrity, never using any of his offices for personal gain or to benefit his family. Though corruption scandals engulfed some government ministries and coalition partners in his second term, they never touched him.

Nevertheless, they clouded his record. With the passage of time, though, many of the allegations have not withstood judicial scrutiny, while his economic reforms seem ever more visionary and important.

Memories;

तस्वीर 19 सितम्बर 2004 की है। जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ नई दिल्ली के 7 रेसकोर्स रोड पर एक इवेंट में मौजूद थे।

तस्वीर 12 अप्रैल 2010 की है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वाशिंगटन के ब्लेयर हाउस में परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बैठक के दौरान नजर आए थे।

तस्वीर 12 मार्च 2010 की है। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में एक बैठक में अपने रूसी काउंटरपार्ट व्लादिमीर पुतिन के साथ मीटिंग में।

इस तस्वीर में 15 अगस्त 2013 को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह 67वें स्वतंत्रता दिवस पर नई दिल्ली में लाल किले से देश को संबोधित करने जाते हुए नजर आ रहे हैं। बतौर प्रधानमंत्री यह उनका आखिरी भाषण था।

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