रूस पर यूक्रेन का अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 जैसा हमला

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 अगस्त 2024 | जयपुर – मास्को : रूस के सारातोव में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर जैसा हमला हुआ है। एक ड्रोन सोमवार सुबह 38 मंजिला रिहायशी इमारत ‘वोल्गा स्काई’ से टकराया। इसमें अब तक 4 लोगों के घायल होने की खबर है। हमला सरातोव प्रांत के एंगेल्स शहर में हुआ। एंगेल्स में रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर मिलिट्री बेस है। 

रूस पर यूक्रेन का अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 जैसा हमला

रॉयटर्स के मुताबिक रूस पर सोमवार को 20 ड्रोन दागे गए। इनमें सबसे ज्यादा 9 सरातोव में दागे। मॉस्को के गर्वनर ने दावा किया कि यूक्रेन ने इन ड्रोन हमलों को अंजाम दिया है। यूक्रेन ने इस पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है। जानकारी के मुताबिक़ ड्रोन यूक्रेन की तरफ़ से दागा गया था।

रूस पर यूक्रेन का अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 जैसा हमला

हमले में बिल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। हमले की वजह से बिल्डिंग के नीचे खड़ी 20 से ज्यादा गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है। हमले में एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई है, जिसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। सरातोव यूक्रेन सीमा से 900 किमी दूर है। इस हमले के बाद सभी तरह की हवाई गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।

हमला सरातोव प्रांत के एंगेल्स शहर में हुआ। एंगेल्स में रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर मिलिट्री बेस है। - Dainik Bhaskar

वीडियो में देखें इमारत से ड्रोन कैसे टकराया

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि एक ड्रोन तेजी से ‘वोल्गा स्काई’ बिल्डिंग की तरफ बढ़ रहा है और उसमें टक्कर मार देता है। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकियों ने इस तरीके से प्लेन क्रैश करवाए थे।

आतंकियों ने 4 प्लेन हाईजैक किए थे। इनमें से 3 प्लेन एक-एक कर अमेरिका की 3 अहम इमारतों में क्रैश कराए गए। पहला क्रैश 8 बजकर 45 मिनट पर हुआ। बोइंग 767 तेज रफ्तार से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर से जा टकराया। 18 मिनट बाद एक दूसरा बोइंग 767 बिल्डिंग के साउथ टॉवर से जा टकराया था।

जबकि एक प्लेन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन से टकराया। चौथा प्लेन एक खेत में ही क्रैश हो गया। 9/11 हमले में 93 देशों के 3 हजार लोग मारे गए थे। इसे मानव इतिहास का सबसे भीषण आतंकी हमला माना जाता है।

इस हमले में बिल्डिंग की 3 मंजिलों को नुकसान पहुंचा है।

सारातोव में है रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर मिलिट्री बेस

रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी सेना ने सारातोव प्रांत के एंगेल्स में सबसे ऊंची बिल्डिंग को अपना निशाना बनाया। एंगेल्स में रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर मिलिट्री बेस भी है। रूस – यूक्रेन जंग के शुरू होने के बाद से ही यूक्रेन कई बार इस पर हमला कर चुका है। इस हमले में बिल्डिंग की 3 मंजिलों को नुकसान पहुंचा है।

20 दिनों से रूस पर हमलावर है यूक्रेन

ढाई साल से जारी रूस-यूक्रेन जंग में 6 अगस्त 2024 को पहली बार ऐसा हुआ जब यूक्रेन ने रूस में घुसकर उसके कुर्स्क इलाके पर कब्जा कर लिया। तभी से यूक्रेन लगातार रूस पर हमलावर है।
RT की रिपोर्ट के मुताबिक 20 दिनों में यूक्रेन के हमलों में रूस के 31 नागरिकों की जान जा चुकी है।

वहीं, 140 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ऐसा पहली बार है जब रूस की धरती पर किसी विदेशी ताकत ने कब्जा किया हो। यूक्रेन ने दो सप्ताह में रूस के 1263 वर्ग किमी इलाके पर कब्जा कर लिया था।

हालांकि, जानकारों का कहना है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की यह जीत कम समय के लिए है और हार में बदल सकती है। अभी यूक्रेन का फोकस कुर्स्क पर है, जिससे रूस को दोनेस्त्क के पोक्रोवस्क में आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है।

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राजनीतिक विशेषज्ञ तातियाना स्टैनोवाया कहती हैं कि रूस अपनी दुसरे विश्वयुद्ध की रणनीति अपना रहा है। उसकी यह रणनीति रही है कि वह पहले दुश्मन को अंदर आने देता है और फिर घेरकर हमला करता है। इस वजह से यूक्रेन का कुर्स्क अभियान जेलेंस्की के लिए उल्टा साबित हो सकता है।

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    सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगे

    मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 12 नवंबर 2024 | दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई ओरली (मौखिक) नहीं करा सकेंगे। नए CJI संजीव खन्ना ने मंगलवार को कहा कि वकीलों से इसके लिए ईमेल या रिटन लेटर भेजा होगा। दरअसल, CJI ने ज्यूडिशियल रिफोर्म के लिए सिटिजन सेंट्रिक एजेंडे की रूपरेखा तैयार की है।

    सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगे

    CJI खन्ना ने कहा- तत्काल सुनवाई के लिए अब तक वकील सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच के सामने मौखिक अपील कर रहे हैं, यह अब नहीं होगा। वकीलों को ईमेल भेजकर या पत्र देकर यह बताना होगा कि केस की अर्जेंट लिस्टिंग और हियरिंग क्यों जरूरी है।

    सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगे

    जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवंबर को देश के 51वें चीफ जस्टिस की शपथ ली थी। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर्ड हो चुके हैं।

    6 महीने का होगा जस्टिस खन्ना का कार्यकाल

    जस्टिस खन्ना का सीजेआई के रूप में कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे हैं।

    जस्टिस संजीव के चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट में जज थे। हालांकि, इंदिरा सरकार के इमरजेंसी का विरोध करने पर उन्हें सीनियर होने के बावजूद चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया। उनकी जगह जस्टिस एमएच बेग को CJI बना दिया गया। जस्टिस हंसराज ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट जज से इस्तीफा दे दिया था।

    शपथग्रहण समारोह की तस्वीरें…

    भारत के मुख्य न्यायाधीश का शपथ ग्रहण राष्ट्रपति भवन में हुआ।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश का शपथ ग्रहण राष्ट्रपति भवन में हुआ।

    समारोह में पीएम मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली CM आतिशी भी मौजूद रहीं।

    समारोह में पीएम मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली CM आतिशी भी मौजूद रहीं।

    शपथ ग्रहण के बाद निवर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़, CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति ने फोटो सेशन करवाया।

    शपथ ग्रहण के बाद निवर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़, CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति ने फोटो सेशन करवाया।

    पिता दिल्ली हाईकोर्ट, चाचा सुप्रीम कोर्ट के जज थे

    संजीव खन्ना की विरासत वकालत की रही है। उनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे हैं। वहीं चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के मशहूर जज थे। उन्होंने इंदिरा सरकार के इमरजेंसी लगाने का विरोध किया था। साथ ही राजनीतिक विरोधियों को बिना सुनवाई जेल में डालने पर भी नाराजगी जताई थी। जस्टिस हंसराज खन्ना 1971 से 1977 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे।

    1977 में वरिष्ठता के आधार पर उनका चीफ जस्टिस बनना तय माना जा रहा था, लेकिन जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाया गया। इसके विरोध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया। इंदिरा की सरकार गिरने के बाद वह चौधरी चरण सिंह की सरकार में 3 दिन के लिए कानून मंत्री भी बने थे।

    जस्टिस संजीव ने चाचा से प्रभावित होकर वकालत को कॅरियर चुना

    जस्टिस संजीव अपने चाचा से प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई की। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकालत शुरू की। फिर दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दीवानी मामलों के लिए स्टैंडिंग काउंसल भी रहे। स्टैंडिंग काउंसल का आम भाषा में अर्थ सरकारी वकील होता है।

    2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने। जहां उन्होंने 13 साल तक पद संभाला। 2019 में जस्टिस खन्ना को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया। हालांकि, उनका यह प्रमोशन भी विवादों में रहा था।

    दरअसल, 2019 में जब CJI रंजन गोगोई ने उनके नाम की सिफारिश की, तब सीनियॉरिटी में जस्टिस खन्ना 33वें नंबर पर थे। जस्टिस गोगोई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के लिए ज्यादा काबिल बताते हुए प्रमोट किया।

    उनकी इस नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कैलाश गंभीर ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी थी। जस्टिस कैलाश ने लिखा था- 32 जजों की अनदेखी करना ऐतिहासिक भूल होगी। इस विरोध के बावजूद राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के बतौर अपॉइंट किया। 18 जनवरी 2019 को संजीव ने पद ग्रहण कर लिया।

    आर्टिकल-370, इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे जस्टिस खन्ना के बड़े फैसले

    सुप्रीम कोर्ट में अपने 6 साल के करियर में जस्टिस खन्ना 450 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने खुद 115 फैसले लिखे। इसी साल जुलाई में जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी। 8 नवंबर को AMU से जुड़े फैसले में जस्टिस खन्ना ने यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी स्टेटस दिए जाने का समर्थन किया है।

    सेम सेक्स मैरिज केस से खुद काे अलग किया

    जस्टिस खन्ना ने सेम सेक्स मैरिज केस से जुड़ी याचिका की सुनवाई से खुद को दूर रखा था। उन्होंने इसके पीछे व्यक्तिगत कारण बताया था। जुलाई 2024 में समलैंगिक विवाह के मामले पर रिव्यू पिटीशन की सुनवाई के किए 4 जजों की बेंच बनाई गई थी, जस्टिस खन्ना भी इसमें शामिल थे।

    सुनवाई से पहले जस्टिस खन्ना ने कहा कि उन्हें इस मामले से छूट दी जाए। कानूनी भाषा में इसे खुद को केस से अलग करना कहते हैं। जस्टिस खन्ना के अलग होने के चलते सुनवाई अगली बेंच के गठन तक टालनी पड़ी।

    सुप्रीम कोर्ट का CJI बनने के लिए कॉलेजियम की व्यवस्था

    हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को चुनने के लिए एक तय प्रक्रिया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम कहते हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज शामिल होते हैं। केंद्र इसकी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए नए CJI और अन्य जजों की नियुक्ति करता है।

    परंपरा के तहत सुप्रीम कोर्ट में अनुभव के आधार पर सबसे सीनियर जज ही चीफ जस्टिस बनते हैं। यह प्रक्रिया एक ज्ञापन के तहत होती है, जिसे MoP यानी ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर फॉर द अपॉइंटमेंट ऑफ सुप्रीम कोर्ट जजेज’ कहते हैं।

    साल 1999 में पहली बार MoP तैयार हुआ। यही डॉक्यूमेंट, जजों के अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया में केंद्र, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दायित्व तय करता है। MoP और कॉलेजियम के सिस्टम को लेकर संविधान में कोई अनिवार्यता या कानून नहीं बनाया गया है, लेकिन इसी के तहत जजों की नियुक्ति होती आ रही है। हालांकि 1999 में MoP तैयार होने के पहले से ही CJI के बाद सबसे सीनियर जज को पदोन्नत कर CJI बनाने की परंपरा है।

    साल 2015 में संविधान में एक संशोधन करके राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) बनाया गया था, यह जजों की नियुक्ति में केंद्र की भूमिका बढ़ाने वाला काम था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया। इसके बाद MoP पर बातचीत जारी रही। बीते साल भी केंद्र सरकार ने कहा है कि अभी MoP को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।

    सबसे सीनियर जज को CJI बनाने की परंपरा अब तक दो बार टूटी

    पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दो मौकों पर परंपरा के खिलाफ जाकर बतौर CJI, सबसे सीनियर जज के बजाय दूसरे जजों की नियुक्ति की। 1973 में इंदिरा ने जस्टिस एएन रे को CJI बनाया, जबकि उनसे भी सीनियर तीन जज- जेएम शेलत, केएस हेगड़े और एएन ग्रोवर को दरकिनार किया गया।

    जस्टिस रे को इंदिरा सरकार की पसंद का जज माना जाता था। केशवानंद भारती मामले में आदेश आने के एक दिन बाद ही जस्टिस रे को CJI बना दिया गया था। 13 जजों की बेंच ने 7:6 के बहुमत से यह फैसला सुनाया था, जस्टिस रे अल्पमत वाले जजों में शामिल थे। जनवरी 1977 में इंदिरा ने एक बार फिर परंपरा तोड़ी। उन्होंने सबसे सीनियर जज जस्टिस हंसराज खन्ना की जगह जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाया था।

    छोटे कार्यकाल में 5 बड़े मामलों की सुनवाई करेंगे जस्टिस खन्ना

    पूर्व CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल करीब 2 साल का रहा है। इसकी तुलना में CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल छोटा होगा। जस्टिस खन्ना बतौर चीफ जस्टिस सिर्फ 6 महीने पद पर रहेंगे। 13 मई 2025 को उन्हें रिटायर होना है।

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    इस कार्यकाल में जस्टिस खन्ना को मैरिटल रेप केस, इलेक्शन कमीशन के सदस्यों की अपॉइंटमेंट की प्रोसेस, बिहार जातिगत जनसंख्या की वैधता, सबरीमाला केस के रिव्यू, राजद्रोह (sedition) की संवैधानिकता जैसे कई बड़े मामलों की सुनवाई करनी है।

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    क्वाड शिखर सम्मेलन : पीएम मोदी चीन का नाम लेने से भी क्यों डरते हैं

    मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 सितंबर 2024 | जयपुर :  क्वाड शिखर सम्मेलन में सभी चार देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के राष्ट्राध्यक्ष ने एक संयुक्त बयान जारी किया। जिसमें सभी नेताओं ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद पर चिंता जाहिर की है। इसके अलावा क्वाड नेताओं ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर अपनी राय रखी है।

    क्वाड शिखर सम्मेलन : पीएम मोदी चीन का नाम लेने से भी क्यों डरते हैं

    पीएम मोदी के स्टेटमेंट में चीन शब्द का जिक्र तक नहीं है। जबकि सभी देशों ने खुलकर चीन का नाम लिया है, भारत के अपने ऑफिसियल स्टेटमेंट के प्रेस नोट तक से चीन का नाम गायब है।   आखिरकार ऐसा क्या है कि पीएम मोदी चीन का नाम लेने से भी क्यों डरते हैं।

    क्वाड शिखर सम्मेलन 2024

    डेलावेयर में क्वाड नेताओं के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लिया

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 सितंबर, 2024 को विलमिंगटन, डेलावेयर में क्वाड नेताओं के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन अमरीका के राष्ट्रपति महामहिम श्री जोसेफ आर. बाइडेन ने किया था। शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री महामहिम श्री एंथनी अल्बानीज़ और जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री फुमियो किशिदा भी शामिल हुए।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने और वैश्विक कल्याण के लिए क्वाड को एक संगठन के रूप में सशक्त बनाने की राष्ट्रपति बाइडेन की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के लिए उनको धन्यवाद दिया।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय दुनिया तनाव एवं संघर्ष से ग्रस्त है और ऐसी विषम परिस्थितियों में साझा लोकतांत्रिक विचारों तथा मूल्यों के साथ क्वाड भागीदार देशों का एक साथ एक मंच पर आना मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।

    श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि क्वाड संगठन कानून के शासन, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान एवं विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है।

    उन्होंने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी और समृद्ध बनाना क्वाड देशों का साझा उद्देश्य है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि क्वाड यहां बने रहने, सहायता पहुंचाने, साझेदारी करने और हिंद-प्रशांत देशों के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए है।

    संगठन के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि क्वाड “वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत” के रूप में उभर कर सामने आया है। इस संबंध में हिंद-प्रशांत क्षेत्र और समग्र रूप से वैश्विक समुदाय की विकास प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए निम्नलिखित घोषणाएं की गयी हैं:

    1. “क्वाड कैंसर मूनशॉट”, सर्वाइकल कैंसर से लड़कर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जीवन बचाने के लिए एक अभूतपूर्व साझेदारी।
    2. “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए समुद्री पहल” (मैत्री) का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र भागीदार देशों को आईपीएमडीए और अन्य क्वाड गतिविधियों के माध्यम से प्रदान किए गए उपकरणों का अधिकतम उपयोग करने में सक्षम बनाना है।
    3. पहली बार अंतर-संचालन सहभागिता क्षमता में सुधार और समुद्री सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए 2025 में “क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन”।
    4. “भविष्य की साझेदारी हेतु क्वाड बंदरगाह”, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में टिकाऊ और लचीले पत्तन बुनियादी ढांचे के विकास का सहयोग करने के लिए क्वाड की सामूहिक विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा।
    5. हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उसके बाहर “डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के विकास एवं विस्तार के लिए क्वाड सिद्धांत”।
    6. क्वाड की सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन बढ़ाने के लिए “सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला आकस्मिकता नेटवर्क सहयोग ज्ञापन”।
    7. हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उच्च दक्षता वाली किफायती शीतलन प्रणालियों की तैनाती और विनिर्माण सहित ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से क्वाड के सामूहिक प्रयास।
    8. भारत द्वारा मॉरीशस के लिए अंतरिक्ष आधारित वेब पोर्टल की स्थापना, ताकि मौसम की चरम स्थितियों में होने वाली घटनाओं और जलवायु प्रभाव की अंतरिक्ष आधारित निगरानी के उद्देश्य से मुक्त विज्ञान की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा सके।
    9. भारत ने क्वाड एसटीईएम फेलोशिप के तहत एक नई उप-श्रेणी की घोषणा भी की है, जिसके तहत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के विद्यार्थियों को भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थान में 4 वर्षीय स्नातक स्तर के इंजीनियरिंग कार्यक्रम में प्रवेश दिया जाएगा।

    पूर्वी और दक्षिण चीन सागर पर रखी अपनी बात

    पूर्वी और दक्षिण चीन सागर पर रखी अपनी बात पूर्वी और दक्षिण चीन सागर का जिक्र करते हुए क्वाड नेताओं ने कहा, ‘हम पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। हम विवादित विशेषताओं के सैन्यीकरण और दक्षिण चीन सागर में बलपूर्वक और डराने-धमकाने वाले युद्धाभ्यासों के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना जारी रखते हैं। हम खतरनाक युद्धाभ्यासों के बढ़ते उपयोग सहित तट रक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के खतरनाक उपयोग की निंदा करते हैं। हम अन्य देशों की अपतटीय संसाधन दोहन गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों का भी विरोध करते हैं। हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्वक और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार हल किया जाना चाहिए, जैसा कि UNCLOS में परिलक्षित होता है।’

    यूक्रेन युद्ध पर की चर्चा

    यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर भी क्वाड नेताओं ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा, “हम यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं, जिसमें भयानक और दुखद मानवीय परिणाम शामिल हैं। हम में से प्रत्येक ने युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन का दौरा किया है, और इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा है। हम अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता को दोहराते हैं, जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान सहित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप है।”

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    संगठन के नेताओं ने वर्ष 2025 में भारत द्वारा क्वाड नेताओं के अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी का स्वागत किया है। बैठक के दौरान क्वाड एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए क्वाड विलमिंगटन घोषणा-पत्र को अपनाया गया।

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