चीन ने कैलाश मानसरोवर का रास्ता रोका बनाया मिसाइल-बेस पर मोदी की चुप्पी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 17 जुलाई 2024 | कैलाश मानसरोवर : 2020 के बाद यह लगातार पांचवां साल है, जब चीन भारतीयों को कैलाश मानसरोवर जाने से रोक रहा है। अभी भारत से कैलाश मानसरोवर जाने के दो रास्ते हैं। फिलहाल इन दोनों रास्तों पर रोक है। सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार इस मसाले पर चुप्पी साधे हुए है। विदेश मंत्री भी चुप हैं। लगता है शिवभक्त हिंदुओं को कैलाश मानसरोवर के दर्शन दूरबीन से करने पड़ेंगे। 

चीन ने कैलाश मानसरोवर का रास्ता रोका बनाया मिसाइल-बेस पर मोदी की चुप्पी

15 जुलाई 2024 को मोदी सरकार 2.1 ने एक RTI के जवाब में कहा है कि पवित्र धार्मिक स्थल पर जाने से रोककर चीन दो अहम समझौते को तोड़ रहा है। इसके अलावा चीन इसी इलाके में एक मिसाइल साइट्स भी बना रहा है। पर मोदी की ऐतिहासिक चुप्पी बरक़रार है! 

चीन ने कैलाश मानसरोवर का रास्ता रोका बनाया मिसाइल-बेस पर मोदी की चुप्पी

भारत से गलवान और पैंगोंग झील इलाके में मुंह की खाने के बाद भी चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीनी एयरफोर्स भारत से सटे समूचे बॉर्डर पर हवाई किलेबंदी को मजबूत कर रही है।

वहीं, ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन कैलास मानसरोवर के पास जमीन से हवा में मार करने वाली (SAM Missile) मिसाइलों को तैनात किया है। माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना में राफेल लड़ाकू विमानों के शामिल होने के बाद से डरा चीन अपनी हवाई सीमा को सुरक्षित बनाने में जुट गया है।

मानसरोवर के पास बनाया मिसाइल साइट

ओपन सोर्स इंटेलिजेंस detresfa की सैटलाइट तस्वीरों के अनुसार, चीन कैलास मानसरोवर के इलाके में न केवल अपनी सैन्य तैनाती को बढ़ाया है। बल्कि, वह मानसरोवर के पास एक मिसाइल साइट का निर्माण भी कर रहा है।

इस इलाके में 100 किमी की GEOINT स्कैनिंग से पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की ऐक्टिविटी का पता चला है। Epoch Times के अनुसार, चीन की बॉर्डर इलाके में मिसाइल साइट बनाने की चाल उसकी आक्रमक रवैये से बिलकुल मेल खाता है। चीन नहीं चाहता कि सीमा पर शांति हो। ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से सीमा पर तनाव और बढ़ने की उम्मीद है।

सवाल 1: कैलाश मानसरोवर कहां है?

जवाब: कैलाश मानसरोवर का ज्यादातर एरिया तिब्बत में है। वही तिब्बत, जिस पर चीन अपना अधिकार बताता है। कैलाश पर्वत श्रेणी कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है। इस इलाके में ल्हा चू और झोंग चू नाम की दो जगहों के बीच एक पहाड़ है। यहीं पर इस पहाड़ के दो जुड़े हुए शिखर हैं। इसमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है।

इस शिखर का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा है। उत्तराखंड के लिपुलेख से यह जगह सिर्फ 65 किलोमीटर दूर है। फिलहाल कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है। इसलिए यहां जाने के लिए चीन की अनुमति चाहिए होती है।

सवाल 2: कैलाश मानसरोवर का क्या महत्व है और इसको लेकर अभी विवाद क्यों शुरू हुआ है?

जवाब: हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। यही वजह है कि हिंदुओं के लिए ये बेहद पवित्र जगह है। जैन धर्म में ये मान्यता है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ ने यहीं से मोक्ष की प्राप्ति की थी। 2020 से पहले हर साल करीब 50 हजार हिंदू यहां भारत और नेपाल के रास्ते धार्मिक यात्रा पर जाते हैं।

2020 से चीन, भारतीयों को कैलाश मानसरोवर की यात्रा की इजाजत नहीं दे रहा है। इसी महीने भारत सरकार ने एक RTI के जवाब में कहा है कि कैलाश मानसरोवर जाने से रोककर चीन 2013 और 2014 में हुए दो प्रमुख समझौते तोड़ रहा है।

न्यूज 18 के मुताबिक मोदी सरकार ने कहा है कि चीन अपने मनमुताबिक एकतरफा फैसला लेकर इन समझौतों को नहीं तोड़ सकता है। अगर चीन को भारत के साथ किए इस समझौते में कोई बदलाव करना है तो वह भारत सरकार के साथ सहमति से ही ऐसा कर सकता है।

सवाल 3: कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारत और चीन के बीच हुए किन दो समझौतों को चीन तोड़ रहा है?

जवाब: कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारत और चीन के बीच दो प्रमुख समझौते हुए हैं…

पहला समझौता: 20 मई 2013 को भारत और चीन के बीच लिपुलेख दर्रा मार्ग से होकर कैलाश मानसरोवर जाने के लिए ये समझौता हुआ। उस समय के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच यह समझौता हुआ था। इससे यात्रा के लिए लिपुलेख दर्रा मार्ग खुल गया।

दूसरा समझौता: 18 सितंबर 2014 को नाथूला के जरिए कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते को लेकर भारत और चीन में ये समझौता हुआ था। विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री वांग यी के साथ ये समझौता किया था।

दोनों समझौते की भाषा लगभग एक समान है। ये समझौते दोनों देशों के विदेश मंत्री के पेपर पर हस्ताक्षर के दिन से लागू हैं। हर 5 साल के बाद ऑटोमेटिक तरीके से इसकी समय सीमा बढ़ाने की बात समझौते में लिखी है।

ऐसा तब तक होगा, जब तक कि कोई भी पक्ष समझौते को तोड़ने के अपने इरादे के बारे में समाप्ति की तारीख से छह महीने पहले लिखित रूप में दूसरे देश को नोटिस न दे।

इस समझौते में ये भी कहा गया है कि दोनों पक्ष जरूरत के हिसाब से आम सहमति से प्रोटोकॉल में बदलाव भी कर सकते हैं। भारत सरकार का कहना है कि चीन ने 6 महीने पहले बताए बिना ही भारतीयों लोगों के कैलाश मानसरोवर जाने पर रोक लगा दी है। यह एकतरफा फैसला है, जो गलत है।

सवाल 4: क्या नेपाल से होकर भारतीय कैलाश मानसरोवर जा सकते हैं और इसके लिए चीन का वीजा जरूरी है?

जवाब: किसी भी रास्ते से कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारतीयों के पास चीन का वीजा होना जरूरी है। भारत से कैलाश मानसरोवर जाने के दो रास्ते हैं, जबकि कुछ लोग नेपाल के रास्ते भी यहां जाते हैं।

नेपाल के अखबार काठमांडू पोस्ट का दावा है कि पिछले साल नेपाल से होकर कैलाश मानसरोवर जाने वाले 50 हजार यात्रियों को चीन ने इजाजत नहीं दी। इनमें नेपाल और भारत दोनों देशों के लोग शामिल हैं। भारतीयों के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। ये नियम इतना ज्यादा कड़े हैं कि भारतीयों के लिए नेपाल से होकर भी कैलाश मानसरोवर जाना मुश्किल हो गया है।

मई 2023 में एसोसिएशन ऑफ कैलाश टूर ऑपरेटर्स नेपाल (AKTON) ने नेपाल में चीनी राजदूत चेन सोंग को पत्र लिखकर कैलाश यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के लिए नियम में बदलाव की मांग की थी। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि इस कड़े नियम की वजह से उनके परिवार की आमदनी न के बराबर हो गई है।

‘विऑन न्यूज वेबसाइट’ के मुताबिक भारतीय तीर्थयात्रियों को कैलाश मानसरोवर भेजने वाली नेपाली कंपनियों को 60,000 डॉलर यानी 8 मिलियन नेपाली रुपए चीन सरकार के पास एडवांस में जमा करने होते हैं। चीन ने ये नियम 2020 के बाद बाद बनाए हैं।

चीन कब्जे वाले तिब्बत पर्यटन ब्यूरो ने भारतीयों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा पैकेज की कीमत एक व्यक्ति के लिए 1800 अमेरिकी डॉलर यानी 1.5 लाख से बढ़ाकर 3000 अमेरिकी डॉलर यानी 2.50 लाख कर दी है। इतना ही नहीं नेपाल में कैलाश मानसरोवर जाने के लिए आवेदन करने वाले लोगों को खुद मौजूद रहना जरूरी है।

उनके बायोमेट्रिक लिए जाते हैं। इस तरह अब नियम इतने कड़े हो गए हैं कि भारतीयों के लिए यहां जाना लगभग असंभव है। जनवरी 2024 में 38 भारतीय नेपाल के नेपालगंज से चार्टर्ड विमान के जरिए ‘कैलाश मानसरोवर दर्शन के लिए गए थे।

सवाल 5: चीन भारतीयों को कैलाश मानसरोवर जाने से क्यों रोक रहा है?

जवाब: ORF के फेलो और विदेश मामलों के जानकार सुशांत सरीन कहते हैं कि पहली बात तो ये है कि चीन ऐसा फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। कैलाश मानसरोवर का हिस्सा उसके कब्जे में है, ऐसे में वह चाहे तो आपको वहां जाने देगा और नहीं चाहेगा तो नहीं जाने देगा। भले ही इससे किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत हों।

किसी धार्मिक स्थल पर जाने को लेकर कोई इंटरनेशनल कानून नहीं, बल्कि उस देश का कानून लागू होता है। कल को पाकिस्तान चाहे तो करतारपुर कॉरिडोर बंद कर सकता है। इसी तरह सऊदी अरब मक्का मदीना जाने वालों को लेकर कानून बनाता है।

अब दूसरी बात ये है कि अगर चीन भारत के साथ किए 2 समझौते को तोड़कर भारतीयों को कैलाश मानसरोवर जाने से रोक रहा है तो इसका मतलब है कि दोनों देशों के रिश्ते सही नहीं हैं। चीन यह बताने की कोशिश कर रहा है कि भारत अगर ताइवान, साउथ चाइना शी में चीन के खिलाफ जाएगा तो उसे LAC पर ही इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

वहीं, डिफेंस एक्सपर्ट जे.एस. सोढी का कहना है कि 2019 में आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद चीन ने दो आक्रामक फैसले लिए…

  • गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से झड़प।
  • कैलाश मानसरोवर जाने वाले भारतीय लोगों पर रोक।

सोढ़ी का कहना है कि LAC पर 50 हजार जवानों की तैनाती। कई मौकों पर अलग-अलग जगहों पर सैनिकों में भिड़ंत। 2025 तक पूरे जिंजियांग प्रांत में इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाकर तैयार करने का लक्ष्य और अब कैलाश मानसरोवर जाने से भारतीयों को रोकना। ये सारी बातें इस ओर इशारा कर रही हैं कि भारत और चीन के संबंध काफी बुरे दौर की तरफ बढ़ रहे हैं।

सवाल 6: भारत सरकार ने कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने के लिए क्या प्रयास किए हैं?

जवाब: 26 जून 2017 में आखिरी बार चीन ने ये बयान जारी किया था कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर उसकी भारत सरकार के साथ बातचीत हो रही है। चीन ने अपने बयान में कहा कि लिपुलेख के रास्ते यात्री कैलाश पर्वत तक जा सकेंगे, लेकिन फिलहाल सिक्किम के नाथूला से होकर कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते पर रोक लगाई गई है। 1981 में लिपुलेख से होकर मानसरोवर जाने की यात्रा शुरू हुई थी।

नाथूला से होकर कैलाश पर्वत जाने पर पाबंदी दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प की वजह से लगाई गई थी। 2020 के बाद से दोनों देशों के बीच यात्रा शुरू करने को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है।

भारत सरकार ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से 90 किलोमीटर दूर धारचूला में ओल्ड लिपुपास चोटी पर भी एक ऐसी जगह को विकसित किया है, जहां से कैलाश पर्वत की चोटी नजर आती है। इस जगह से कैलाश पर्वत करीब 50 किलोमीटर दूर है।

5 जुलाई को पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी ने बताया है कि 15 सितंबर से लिपुलेख के पास ओल्ड लिपुपास चोटी से कैलाश पर्वत के दर्शन शुरू हो जाएंगे। सीधे कैलाश पर्वत की चोटी यहां से नजर आती है।

इसके अलावा यात्री दूरबीन के जरिए भी यहां से कैलाश पर्वत और कैलाश मानसरोवर के खूबसूरत हिस्से को देख सकेंगे। पूजा-पाठ की व्यवस्था भी यहां की जा रही है। ओल्ड लिपुपास जाने के लिए लिपुलेख तक गाड़ी से और फिर कैलाश पर्वत को देखने के लिए लगभग 800 मीटर पैदल चलना होता है।

सवाल 7: क्या चीन कैलाश मानसरोवर के पास मिसाइल तैनात करने की कोशिश कर रहा है?

जवाब: अगस्त 2020 में ‘दि प्रिंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीयों को कैलाश मानसरोवर जाने से रोककर चीन यहां मिसाइल साइट्स बना रहा है। एक सैटेलाइट इमेज में भारतीय सीमा लिपुलेख से 100 किलोमीटर की दूरी पर चीन एक मिसाइल साइट्स बनाता दिख रहा है। रिपोर्ट में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों यानी SAM की तैनाती के लिए ये साइट्स बनाए जाने का दावा किया गया।

चीन ने 7 जगहों पर तैनात कीं SAM मिसाइलें

चीन ने लद्दाख से सटे अपने रुटोग काउंटी, नागरी कुंशा एयरपोर्ट, उत्‍तराखंड सीमा पर मानसरोवर झील, सिक्किम से सटे श‍िगेज एयरपोर्ट और गोरग्‍गर हवाई ठिकाने, अरुणाचल प्रदेश से सटे मैनलिंग और लहूंजे में सतह से हवा में मार करने वाली म‍िसाइलें तैनात की हैं।

इन ठिकानों पर चार से पांच म‍िसाइल लॉन्‍चर तैनात हैं। इसके अलावा उनकी मदद के लिए रेडॉर और जेनेटर भी दिखाई दे रहे हैं। कुछ तस्‍वीरों में नजर आ रहा है कि चीनी मिसाइलें भारत से होने वाले किसी हवाई हमले के खतरे को देखते हुए पूरे अलर्ट मोड में है।

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रूस पर यूक्रेन का अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 जैसा हमला

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हमला सरातोव प्रांत के एंगेल्स शहर में हुआ। एंगेल्स में रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर मिलिट्री बेस है। - Dainik Bhaskar

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आतंकियों ने 4 प्लेन हाईजैक किए थे। इनमें से 3 प्लेन एक-एक कर अमेरिका की 3 अहम इमारतों में क्रैश कराए गए। पहला क्रैश 8 बजकर 45 मिनट पर हुआ। बोइंग 767 तेज रफ्तार से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर से जा टकराया। 18 मिनट बाद एक दूसरा बोइंग 767 बिल्डिंग के साउथ टॉवर से जा टकराया था।

जबकि एक प्लेन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन से टकराया। चौथा प्लेन एक खेत में ही क्रैश हो गया। 9/11 हमले में 93 देशों के 3 हजार लोग मारे गए थे। इसे मानव इतिहास का सबसे भीषण आतंकी हमला माना जाता है।

इस हमले में बिल्डिंग की 3 मंजिलों को नुकसान पहुंचा है।

सारातोव में है रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर मिलिट्री बेस

रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी सेना ने सारातोव प्रांत के एंगेल्स में सबसे ऊंची बिल्डिंग को अपना निशाना बनाया। एंगेल्स में रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर मिलिट्री बेस भी है। रूस – यूक्रेन जंग के शुरू होने के बाद से ही यूक्रेन कई बार इस पर हमला कर चुका है। इस हमले में बिल्डिंग की 3 मंजिलों को नुकसान पहुंचा है।

20 दिनों से रूस पर हमलावर है यूक्रेन

ढाई साल से जारी रूस-यूक्रेन जंग में 6 अगस्त 2024 को पहली बार ऐसा हुआ जब यूक्रेन ने रूस में घुसकर उसके कुर्स्क इलाके पर कब्जा कर लिया। तभी से यूक्रेन लगातार रूस पर हमलावर है।
RT की रिपोर्ट के मुताबिक 20 दिनों में यूक्रेन के हमलों में रूस के 31 नागरिकों की जान जा चुकी है।

वहीं, 140 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ऐसा पहली बार है जब रूस की धरती पर किसी विदेशी ताकत ने कब्जा किया हो। यूक्रेन ने दो सप्ताह में रूस के 1263 वर्ग किमी इलाके पर कब्जा कर लिया था।

हालांकि, जानकारों का कहना है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की यह जीत कम समय के लिए है और हार में बदल सकती है। अभी यूक्रेन का फोकस कुर्स्क पर है, जिससे रूस को दोनेस्त्क के पोक्रोवस्क में आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है।

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राजनीतिक विशेषज्ञ तातियाना स्टैनोवाया कहती हैं कि रूस अपनी दुसरे विश्वयुद्ध की रणनीति अपना रहा है। उसकी यह रणनीति रही है कि वह पहले दुश्मन को अंदर आने देता है और फिर घेरकर हमला करता है। इस वजह से यूक्रेन का कुर्स्क अभियान जेलेंस्की के लिए उल्टा साबित हो सकता है।

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अथ अडाणी कथा ‘सेबी प्रमुख के साथ मिलकर लूटा देश’ हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 अगस्त 2024 |  जयपुर : अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाकर चर्चा में आई अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

अथ अडाणी कथा ‘सेबी प्रमुख के साथ मिलकर लूटा देश’ हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट

व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि इन दोनों की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है, जिसमें कथित तौर पर गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया।

अथ अडाणी कथा ‘सेबी प्रमुख के साथ मिलकर लूटा देश’ हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट

शनिवार देर रात बुच दंपती ने बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है। PTI के हवाले से उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में किए गए निराधार दावों को हम सिरे से खारिज करते हैं। इनमें कोई सच्चाई नहीं है। हमारी जिंदगी और हमारे फाइनेंस खुली किताब हैं। बीते कई साल में हमने SEBI को सारी जानकारी मुहैया कराई है।

हिंडनबर्ग का आरोप- SEBI प्रमुख ने अडाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई नहीं की

हिंडनबर्ग का आरोप है कि अडाणी समूह पर किए खुलासे के सबूत होने और 40 से ज्यादा स्वतंत्र मीडिया पड़ताल में यह बात साबित होने के बावजूद SEBI ने कोई कार्रवाई नहीं की। इन आरोपों की पड़ताल का जिम्मा SEBI प्रमुख पर ही था। लेकिन इसके उलट SEBI ने 27 जून 2024 को उसे ही नोटिस दे दिया। हालांकि SEBI अडाणी पर उसकी 106 पेज की रिपोर्ट में गलती नहीं पकड़ सकी।

हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में अडाणी ग्रुप की कंपनियों से जुड़ा दावा किया था। इसके बाद ग्रुप का वैल्यूएशन 7.20 लाख करोड़ रुपए तक गिर गया था। मामला सुप्रीम कोर्ट गया, जहां ग्रुप को क्लीन चिट दी गई थी। बाद में कंपनी के शेयरों ने तेजी से रिकवरी कर ली थी।

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट की बड़ी बातें

  • अडाणी ग्रुप पर हमारी रिपोर्ट के लगभग 18 महीने हो चुके हैं। रिपोर्ट में इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए गए थे कि अडाणी ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था।
  • हमारी रिपोर्ट ने ऑफशोर, मुख्य रूप से मॉरीशस बेस्ड शेल एंटिटीज के एक जाल को उजागर किया था। जिनका इस्तेमाल संदिग्ध अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन, अनडिस्क्लोज्ड इन्वेस्टमेंट और स्टॉक मैनिपुलेशन के लिए किया गया था।
  • सभी सबूतों के अलावा 40 से ज्यादा इंडिपेंडेंट मीडिया इन्वेस्टिगेशन ने हमारी रिपोर्ट की पुष्टि थी। इसके बावजूद SEBI ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ कोई पब्लिक एक्शन नहीं लिया।
  • जुलाई 2024 में SEBI ने हमें कारण बताओ नोटिस भेजा था। जिसके जवाब में हमने लिखा था कि हमें यह अजीब लगा कि कैसे SEBI को एक रेगुलेटर होने के बावजूद फ्रॉड प्रैक्टिसेस को बचाने के लिए सेट-अप किया गया था।
  • SEBI ने फ्रॉड प्रैक्टिसेस से जुड़ी पार्टियों की जांच करने में बहुत कम रुचि दिखाई। यह लोग पब्लिक कंपनियों के जरिए अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस में लगे हुए एक सीक्रेट ऑफशोर शेल एम्पायर को चलाते थे। इसके अलावा नकली निवेश एंटिटीज के एक नेटवर्क के जरिए अपने शेयरों को बढ़ाते थे।
  • ‘IPE प्लस फंड’ एक छोटा ऑफशोर मॉरीशस फंड है, जिसे अडाणी डायरेक्टर ने इंडिया इंफोलाइन (IIFL) के जरिए स्थापित किया है, जो वायरकार्ड स्कैंडल से जुड़ी एक वेल्थ मैनेजमेंट फर्म है।
  • गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने इस स्ट्रक्चर का यूज इंडियन मार्केट्स में निवेश करने के लिए किया, जिसमें अडाणी ग्रुप को पावर इक्विपमेंट्स के ओवर इनवॉइसिंग से मिला फंड शामिल था।
  • SEBI चीफ और उनके पति धवल बुच की अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी। विनोद अडाणी ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड का यूज भी स्ट्रक्चर की तरह करते थे।
  • डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून 2015 को सिंगापुर में IPE प्लस फंड-1 में अपना अकाउंट ओपन किया था।

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अडाणी समूह को लेकर जनवरी 2023 में किए गए खुलासों के बावजूद SEBI ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ कोई पब्लिक एक्शन नहीं लिया।

धवल बुच पर आरोप: माधबी का नाम हटवाया

हिंडनबर्ग का आरोप है कि माधबी के SEBI की पूर्णकालिक सदस्य बनने से कुछ हफ्तों पहले 22 मार्च 2017 को उनके पति धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को ईमेल भेजकर बताया था कि उनका और उनकी पत्नी का ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड में निवेश है।

धवल ने आग्रह किया था कि इस फंड को उन्हें अकेले ऑपरेट करने दिया जाए। साफ है कि SEBI में अहम नियुक्ति से पहले धवल इससे पत्नी का नाम हटाना चाहते थे। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अडाणी समूह को लेकर जनवरी 2023 में किए गए खुलासों के बावजूद SEBI ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ कोई पब्लिक एक्शन नहीं लिया।

विपक्ष बोला-अब पता चला संसद सत्र जल्दी क्यों खत्म कर दिया

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘अब पता चला कि संसद सत्र 9 अगस्त को अचानक क्यों स्थगित कर दिया गया।’ उन्होंने लैटिन वाक्य का भी इस्तेमाल किया, जिसका अर्थ है, ‘खुद प्रहरी की सुरक्षा कौन करेगा?’ शिवसेना (उद्धव) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘स्पष्ट हो गया है कि SEBI ने अडाणी की कंपनियों का विवरण क्यों नहीं दिया था।’

शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अब समझ आया हमारे लेटर्स का कोई जवाब क्यों नहीं मिल रहा था।

शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अब समझ आया हमारे लेटर्स का कोई जवाब क्यों नहीं मिल रहा था।

अडाणी ग्रुप पर लगाए थे मनी लॉन्ड्रिंग, शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप

24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई। इस रिपोर्ट को लेकर भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने हिंडनबर्ग को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भी भेजा था।

1 जुलाई 2024 को पब्लिश किए अपने एक ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि नोटिस में बताया गया है कि उसने नियमों उल्लंघन किया है। कंपनी ने कहा, SEBI ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में पाठकों को गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल हैं। इसका जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने SEBI पर ही कई तरह के आरोप लगाए थे।

हिंडनबर्ग का आरोप- SEBI धोखेबाजों को बचा रहा

  • हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमारे विचार में, SEBI ने अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की है, ऐसा प्रतीत होता है कि वह धोखाधड़ी करने वालों से निवेशकों की रक्षा करने के बजाय धोखाधड़ी करने वालों की रक्षा करने के लिए अधिक प्रयास कर रहा है।’
  • हिंडनबर्ग ने कहा- ‘भारतीय बाजार के सूत्रों के साथ चर्चा से हमारी समझ यह है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की अडाणी को गुप्त सहायता हमारी जनवरी 2023 की रिपोर्ट के पब्लिश होने के लगभग तुरंत बाद शुरू हो गई थी।’
  • ‘हमारी रिपोर्ट के बाद हमें बताया गया कि SEBI ने पर्दे के पीछे ब्रोकर्स पर अडाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन्स को क्लोज करने का दबाव डाला। इससे खरीदारी का दबाव बना और महत्वपूर्ण समय में अडाणी ग्रुप के शेयरों को मदद मिली।’
  • हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने ब्लॉग में कहा- ‘जब जनता और सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले की जांच करने के लिए दबाव डाला गया, तो SEBI लड़खड़ाता हुआ दिखाई दिया। शुरुआत में, यह हमारी रिपोर्ट के कई प्रमुख निष्कर्षों से सहमत प्रतीत हुआ।’
  • इसका एक उदाहरण देते हुए रिसर्च फर्म ने कहा- सुप्रीम कोर्ट केस रिकॉर्ड के अनुसार: SEBI खुद को संतुष्ट करने में असमर्थ है कि FPIs को फंड देने वाले अडाणी से जुड़े नहीं हैं। बाद में SEBI ने आगे जांच करने में असमर्थ होने का दावा किया।

हिंडनबर्ग का आरोप उदय कोटक की फर्म को बचा रही SEBI

हिंडनबर्ग ने कहा कि उदय कोटक की स्थापित ब्रोकरेज फर्मों ने ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर बनाया, जिसका इस्तेमाल उसके इन्वेस्टर पार्टनर ने अडाणी ग्रुप के शेयरों को शॉर्ट सेल कर फायदा उठाने के लिए किया।

SEBI ने नोटिस में केवल के-इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड का नाम रखा और ‘कोटक’ नाम को संक्षिप्त नाम ‘KMIL’ से छिपा दिया। KMIL यानी, कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट है। इसमें कहा गया है कि बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर SEBI की 2017 की कमेटी का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा था कि …

“हमें संदेह है कि SEBI की ओर से कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करने का मतलब एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच की संभावना से बचाना हो सकता है, जिसे SEBI स्वीकार करती दिख रही है।” 1985 में उदय ने कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड की शुरुआत की थी।

1985 में उदय ने कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड की शुरुआत की थी।

SEBI ने कारण बताओ नोटिस में 4 बड़ी बाते कहीं थीं

  • हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिकेशन से ठीक पहले और बाद में अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में कुछ संस्थाओं की ट्रेडिंग एक्टिविटी के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले, अडाणी एंटरप्राइजेज के डेरिवेटिव में शॉर्ट-सेलिंग एक्टिविटी में कंसन्ट्रेशन देखा गया था।
  • रिपोर्ट जारी होने के बाद, 24 जनवरी, 2023 से 22 फरवरी, 2023 की अवधि के दौरान अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों की कीमत में लगभग 59% की गिरावट आई। 24 जनवरी 2023 से 22 फरवरी 2023 की इस अवधि के दौरान शेयरों में किस तरह बदलाव आया उसे भी SEBI ने अपने नोटिस में बताया है।
  • के इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड लिमिटेड ने एक ट्रेडिंग अकाउंट खोला और रिपोर्ट के पब्लिश होने से कुछ दिन पहले ही अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में ट्रेडिंग करना शुरू किया, और फिर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अपनी शॉर्ट पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर लिया। इससे183.24 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
  • हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने “स्कैंडल” जैसे कैची हेडलाइन के उपयोग के माध्यम से जानबूझकर कुछ तथ्यों को सनसनीखेज और डिस्टॉर्ट किया। SEBI ने नोटिस में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने बिना किसी साक्ष्य के अपनी रिपोर्ट में गलत बयानी की।

पिछली रिपोर्ट के बाद शेयर अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था

24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे।

22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे। हालांकि, बाद में शेयर में रिकवरी देखने को मिली। बीते दिन शुक्रवार को अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 0.60% की तेजी के साथ 3,186 रुपए के स्तर पर बंद हुआ।

शॉर्ट सेलिंग यानी, पहले शेयरों को बेचना और बाद में खरीदना

शॉर्ट सेलिंग का मतलब उन शेयरों को बेचने से है जो ट्रेड के समय ट्रेडर के पास होते ही नहीं हैं। इन शेयरों को बाद में खरीद कर पोजीशन को स्क्वायर ऑफ किया जाता है। शॉर्ट सेलिंग से पहले शेयरों को उधार लेने या उधार लेने की व्यवस्था जरूरी होती है।

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आसान भाषा में कहे तो जिस तरह आप पहले शेयर खरीदते हैं और फिर उसे बेचते हैं, उसी तरह शॉर्ट सेलिंग में पहले शेयर बेचे जाते हैं और फिर उन्हें खरीदा जाता है। इस तरह बीच का जो भी अंतर आता है, वही आपका प्रॉफिट या लॉस होता है।

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