नीतीश कुमार के करीबी आईएएस संजीव हंस के खिलाफ ईडी की रेड

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 17 जुलाई 2024 | पटना : न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि गुलाब यादव (Gulab Yadav) और संजीव हंस (Sanjeev Hans) के खिलाफ ईडी ने रेड भ्रष्टाचार के मामले में की है। गुलाब यादव संजीव हंस के काफी करीबी दोस्त माने जाते हैं।

नीतीश कुमार के करीबी आईएएस संजीव हंस के खिलाफ ईडी की रेड

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मंगलवार (16 जुलाई, 2024) को बड़ी कार्रवाई की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बिहार कैडर के सीनियर आईएएस अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के ठिकानों पर छापेमारी की।

आईएएस संजीव हंस के खिलाफ ईडी की रेड

ईडी ने ये रेड दिल्ली, पुणे और बिहार सहित कई जगहों पर की है। संजीव हंस को नीतीश के करीबी अफसरों में माना जाता है जो कि पिछले 04 साल से उर्जा विभाग के प्रमुख सचिव रहे हैं। 

IAS संजीव हंस के ठिकानों पर भी ईडी का छापा

वहीं बिहार में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और सीनियर IAS संजीव हंस के ठिकानों पर भी आज यानी मंगलवार 16 जुलाई को ईडी की टीम ने दबिश दी। यह छापेमारी आय से अधिक संपत्ति के मामले में की जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार उनके निजी सहायक के घर भी ED ने दबिश दी है। यहां ये भी जान लीजिए कि गुलाब यादव और संजीव हंस दोनों पर ही एक महिला ने रेप का आरोप लगाया है। ये मुकदमा अभी अदालत में चल रहा है। हालांकि यह छापेमारी प्रवर्तन निदेशालय की है। खबर लिखे जाने तक IAS संजीव हंस के इनकम टैक्स स्थित कार्यालय पर छापा चल रहा था। इसकी वजह से हड़कंप की स्थिति थी।

झंझारपुर के पूर्व विधायक गुलाब यादव के गंगापुर स्थित आवास पर मंगलवार की सुबह-सुबह ईडी की रेड पड़ते ही हड़कंप मच गया। इस दौरान ईडी की टीम ने केंद्रीय पुलिस बल टीम के साथ गुलाब यादव के घर को घेरा।

इसके बाद घर के मेन गेट को बंद कर दिया गया। वहीं छापे की जानकारी मिलते ही गुलाब यादव के घर के बाहर लोगों की भीड़ जुट गई। बताया जा रहा है कि सुबह पांच बजे ईडी की टीम ने गुलाब यादव के घर पर दबिश दी। वहीं स्थानीय प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं होने की बात कही जा रही है।

पूर्व विधायक गुलाब यादव के ठिकानों पर ईडी का छापा

खबर है कि गुलाब यादव के पटना और पुणे आवास पर भी सुबह में छापा मारा गया है। झंझारपुर वाले आवास में ईडी की टीम को गुलाब यादव नहीं मिले। कहा जा रहा है कि गुलाब यादव एमएलसी अम्बिका गुलाब यादव या उनकी पुत्री बिंदु गुलाब यादव गंगापुर वाले आवास पर नहीं हैं।

ईडी की टीम को यहां गुलाब यादव के कुछ स्टाफ मिले जिनसे पूछताछ की गई। गुलाब यादव पहले राजद से विधायक थे। 2019 में उन्होंने राजद के टिकट से ही लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। इसके बाद 2024 में वो बागी हो गए और बीएसपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा।

इसके लिए राजद से उन्हें पार्टी से निकाल भी दिया था। उनकी पत्नी अंबिका गुलाब यादव एमएलसी हैं। साथ ही उनकी बेटी बिंदु गुलाब यादव मधुबनी जिला परिषद की चेयरमैन भी हैं। गुलाब यादव पर एक रेप केस भी चल रहा है।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

Related Posts | संबद्ध पोट्स

कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव कांग्रेस कार्य समिति, देश के एक सच्चे राजनेता डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करती है, जिनके जीवन और कार्यों ने भारत के भविष्य को दिशा दिखायी।

कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव

डॉ. सिंह , भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक विशाल व्यक्तित्व थे, जिनके योगदान ने देश को रूपांतरित किया और उन्हें विश्वभर में सम्मान प्राप्त हुआ। 1990 के दशक के प्रारंभ में वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह भारत के आर्थिक उदारीकरण के शिल्पकार थे।

कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव

अपनी अद्वितीय दूरदृष्टि के साथ, उन्होंने ऐसे सुधारों की शुरुआत की जिन्होंने न केवल देश को भुगतान संकट से उबारा, बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए द्वार खोले। उनके द्वारा किए गए विनियमन, निजीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने वाले नीतिगत कदमों ने भारत के तेज़ी से विकास की नींव रखी।

उनके नेतृत्व में, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया, जो उनकी प्रतिभा और दृष्टिकोण का प्रमाण है। भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने देश का नेतृत्व शांति, दृढ़ संकल्प और असाधारण बुद्धिमत्ता के साथ किया।

उनका कार्यकाल निरंतर आर्थिक वृद्धि, वैश्विक पहचान और सामाजिक प्रगति से चिह्नित था। उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भारत को इस संकट से बचाने के लिए रणनीतिक उपाय किए। उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण पहलें हुईं जैसे MGNREGA, Right to Education, ऐतिहासिक Indo-U.S. Civil Nuclear Deal, National Food Security Act, Land Acquisition Act, Agricultural Debt Waiver and Debt Relief Scheme, और 93वीं संविधान संशोधन, जिसने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आर्टिकल 15(5) के माध्यम से सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया।

उन्होंने Right to Information (RTI) अधिनियम को पारदर्शिता बढ़ाने, Forest Rights Act को जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने और अपने कार्यकाल में उच्चतम GDP वृद्धि दर को प्राप्त करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

डॉ. सिंह की समावेशी विकास, अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और आर्थिक आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया, जबकि साथ ही साथ सामान्य नागरिकों की भलाई पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनका दृष्टिकोण और कार्यकाल एक ऐसे सहानुभूतिशील, सुधारक नेता के रूप में इतिहास में अंकित रहेगा, जिन्होंने स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दी।

राजनीतिक नेता के रूप में अपने योगदान के अलावा, डॉ. सिंह एक सम्मानित शिक्षाविद् भी थे, जिनकी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में करियर ने भारत की नीतियों और दिशा को आकार दिया। एक अर्थशास्त्री के रूप में उनके विद्वतापूर्ण कार्य और संयुक्त राष्ट्र और भारतीय रिजर्व बैंक जैसी संस्थाओं में उनके योगदान ने उन आर्थिक सुधारों की नींव रखी, जिन्हें उन्होंने बाद में एक नीति निर्माता के रूप में बढ़ावा दिया।

डॉ. सिंह की गहरी अर्थशास्त्र की समझ और शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने अनगिनत छात्रों, विद्वानों और नीति निर्माताओं को प्रेरित किया। उनकी शैक्षिक सटीकता और बौद्धिक योगदान ने भारत के विकास के दृष्टिकोण को आकार दिया, और उनके मार्गदर्शन का प्रभाव देश के भविष्य के अर्थशास्त्रियों पर स्थायी असर डालेगा।

डॉ. सिंह असाधारण व्यक्तिगत गुणों के धनी थे। उनकी गरिमा, विनम्रता और शालीनता उन्हें एक दुर्लभ चरित्र वाले नेता के रूप में स्थापित करती हैं। देश के उच्चतम पदों पर रहते हुए भी वह हमेशा आत्म-निष्ठ और सभी के प्रति सम्मान और दयालुता से पेश आते थे।

उनका व्यवहार शांत, संतुलित और हमेशा ईमानदारी से प्रेरित था। उन्हें उनके बुद्धिमत्ता और उपलब्धियों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके साधारण स्वभाव के लिए भी सराहा गया, जिसने उन्हें सभी वर्गों के लोगों के बीच प्रिय बना दिया।

डॉ. सिंह ने एक सच्चे राजनेता की सर्वोत्तम विशेषताएँ—सहानुभूति, ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को जीवित किया। उनका जीवन यह उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस तरह गरिमा और विनम्रता एक साथ किसी शक्तिशाली पद पर बैठे व्यक्ति के चरित्र का हिस्सा हो सकती है।

कांग्रेस कार्य समिति डॉ. मनमोहन सिंह की याद को सम्मानित करने और उनके स्थायी योगदान को आगे बढ़ाने का संकल्प लेती है। उनका आर्थिक सुधार, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास का दृष्टिकोण हमें हमेशा प्रेरित करेगा और हमारा मार्गदर्शन करेगा।

उन्होंने जो आदर्श स्थापित किए—ईमानदारी, परिश्रम और सहानुभूति—वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दीपस्तंभ बने रहेंगे। हम उनके मूल्यों को बनाए रखते हुए एक समृद्ध और एकजुट भारत बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लेते हैं, जैसा कि उन्होंने कल्पना की थी। डॉ. सिंह का नेतृत्व और अर्थशास्त्र में उनका योगदान हमेशा जीवित रहेगा, और हम सभी को प्रेरित करेगा ताकि हम अपने महान देश की प्रगति और समृद्धि में योगदान दे सकें।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान में ‘थप्पड़ कांड’ से चर्चित हुए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा 1 महीने से टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील की गई है।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

इसके चलते 17 दिसंबर को एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत को लेकर सुनवाई होगी। इधर, नरेश के समर्थकों में रिहाई की मांग को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। बता दें कि बीते दिनों उनियारा कोर्ट में नरेश की जमानत की एप्लीकेशन लगाई गई थी, जो खारिज हो गई थी।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल

टोंक जिले के देवली-उनियारा क्षेत्र में एसडीएम थप्पड़ कांड के 5वें दिन भी समरावता गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है। जब भी कोई नेता गांव में पहुंच रहा हैं तो व्यथा सुनाते हुए ग्रामीणों की आंखों से आंसू निकल पड़ते है।

देवली-उनियारा के समरावता गाँव के लोग नये वीडियो से दहशत में है। वहीं, नरेश मीणा के पिता कल्याण सिंह मीणा भी गांव में पहुंचते ही रो पड़े। राजनेता वैसे तो नरेश मीणा की ज़मानत और उनकी रिहाई के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं पर अपनी राजनीति चमकाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। 

भोली-भली जनता सोच रही है कि सड़क पर आंदोलन करने या बड़ी-बड़ी सभाएँ करने से नरेश मीणा की ज़मानत हो जायेगी। पर, ऐसा कतई नहीं है क्योंकि जमनत तो सिर्फ़ वकीलों की अच्छी पैरवी से होगी जो अभी तक नहीं हुई है।

ग्रामीणों का आरोप ‘पुलिस कर देती एनकाउंटर’

इतना सुनते ही नरेश मीणा के पिता भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। लोगों ने यह भी कहा कि नरेश को हम उठाकर नहीं ले जाते तो पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग उन्हें संभालते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति नरेश मीणा के एनकाउंटर की पुलिस की साजिश की बात कह रहा है।

मूकनायक मीडिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रोफ़ेसर राम लखन ने अपने एक्स (X) हैंडल पर राजस्थान पुलिस को टैग करते हुए इनकी तटस्थ जाँच की माँग की है। उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस की छवि से जुड़े इस वीडियो की जाँच हो।

ये है पूरा मामला

बता दें कि विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में विधानसभा उप चुनाव 2024 के दौरान ग्राम समरावता थाना नगरफोर्ट, जिला टोंक में ग्रामीणो द्वारा उनके गांव समरावता को उपखण्ड देवली से हटाकर उपखण्ड उनियारा मे शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उक्त मांग को लेकर ग्रामीणो को साथ लेकर धरना शुरू किया। तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने वहां मौजूद एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी आरएएस उपखण्ड अधिकारी मालपुरा के थप्पड़ मार दी। इसके बाद घटनास्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गया।

शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पकड़ा। लेकिन, ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर नरेश मीणा को छुड़ा लिया। उपद्रवियों ने दो राजकीय वाहन व 7 प्राईवेट वाहन एवं लगभग 25 मोटर साईकिलों में आग लगा दी।

हालांकि, अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर मीना समर्थक भड़क गए और नरेश मीणा की रिहाई की मांग को लेकर कचरावता गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 डी पर जाम लगा दिया। इस पर पुलिस 60 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नरेश मीणा सहित सभी उपद्रवी अभी जेल में बंद है।

नरेश मीणा कब आयेंगे जेल बाहर?

राजस्थान में उपचुनाव के दिन 13 नवंबर को देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ जड़ दिया था। इसको लेकर समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई। उसके दूसरे दिन 14 नवंबर को टोंक पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

यह भी पढ़ें : गोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह

नरेश तब से टोंक जेल में बंद है। हालांकि एक बार उनियारा कोर्ट में उनकी जमानत याचिका को खारिज हो चुकी है। नरेश मीणा के वकील ने बताया कि जिला कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अब 17 दिसंबर को सुनवाई हुई। पर जमानत अभी तक नहीं हुई है।

नरेश की रिहाई को लेकर गरमा रहा है मुद्दा

इधर, एक महीने से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई का मामला गर्माता जा रहा है। नरेश मीणा के समर्थक उनकी रिहाई को लेकर लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में सर्व समाज की महापंचायत हुई।

इधर, नरेश के समर्थक टोंक सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाएगा जो प्रशासन ने सोचा भी नहीं होगा। 

नरेश मीणा की जमानत पर फिर टली सुनवाई

बता दें कि थप्पड़ कांड के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। इस बीच दो बार उनकी जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। टोंक जिला न्यायालय में आज एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत अर्जी की सुनवाई टल गई है।

अब 4 जनवरी को जमानत पर सुनवाई होगी। बता दें कि नरेश मीणा सहित 18 आरोपियों के लिए उनियारा एसीजेएम कोर्ट मेें दो बार अर्जी खारिज हो चुकी है। इधर, 29 दिसंबर को नरेश के समर्थक उनकी रिहाई के लिए महापंचायत बुला रहे हैं। इस दौरान टोंक कलेक्ट्रेट और टोंक हाईवे पर बड़ा प्रदर्शन करने का प्रस्तावित कार्यक्रम रखा गया है।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग कीजिए 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Color

Secondary Color

Layout Mode