प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक | Famous Books And Authors 

प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक | Famous Books And Authors 

लेखक पुस्तकें
जयदेव गीत गोविंद
पाणिनि अष्टाध्याई
फिरदौसी शाहनामा
जयशंकर प्रसाद कामायनी, आँसू, लहर
बाणभट्ट कादंबरी
मैथिलीशरण गुप्त भारत-भारती
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला अनामिका, परिमल
अमर सिंह अमरकोश
सुमित्रानंदन पंत पल्लव, चिदंबरा
गुलबदन बेगम हुमायूंनामा
विशाखादत्त मुद्राराक्षस
सूरदास साहित्यलहरी, सूरसागर
कालिदास कुमारसंभवम्, रघुवंशम, अभिज्ञान शकुंतलम, मेघदूत
प्रेमचंद गोदान, गबन, कर्मभूमि, रंगभूमि
अलबरूनी किताब-उल-हिंद
हरिवंश राय बच्चन दशद्वार से सोपान तक, मधुशाला
कल्हण राज तरंगिणी
विष्णु शर्मा पंचतंत्र
वात्सायन कामसूत्र
रामधारी सिंह दिनकर कुरुक्षेत्र, उर्वशी
मलिक मोहम्मद जायसी पद्मावत
अबुल फजल अकबरनामा, आईने अकबरी
देवकीनंदन खत्री चंद्रकांता
कबीर दास बीजक, रमैनी, सबद
शुद्रक मृच्छकटिकम्
रसखान प्रेम वाटिका

प्रसिद्ध पुस्तकें एवं उनके लेखक हिंदी में

  • राजतरंगिणी ➞ कल्हण
  • आँसू ➞ जयशंकर प्रसाद
  • डिवाइन लाइफ ➞ शिवानंद
  • यामा ➞ महादेवी वर्मा
  • गीतांजली ➞ रविन्द्र नाथ टैगौर
  • महाभारत ➞ वेदव्यास
  • सूरसागर ➞ सुरदास
  • अर्थशास्त्र ➞ चाणक्य
  • लाइफ डिवाइन ➞ अरविन्द घोष
  • रघुवंशम् ➞ कालिदास
  • भारत-भारती ➞ मैथलीशरण गुप्त
  • कर्मभूमि ➞ प्रेमचन्द्र
  • हुमायूँनामा ➞ गुलबदन बेगम
  • माइ डेज ➞ आर. के. नारायण
  • चिदम्बरा ➞ सुमित्रानन्दन पंत्त
  • गीतगोविन्द ➞ जयदेव
  • मुद्राराक्षस ➞ विशाखदत्त
  • अमरकोष ➞ अमर सिहं
  • गाइड ➞ आर. के. नारायण
  • रंगभूमि ➞ प्रेमचन्द्र
  • गोदान ➞ प्रेमचन्द्र
  • गबन ➞ प्रेमचन्द्र
  • पंचतंत्र ➞ विष्णु शर्मा
  • कामयानी ➞ जयशंकर प्रसाद
  • शाहनामा ➞ फिरदौसी
  • अकबरनामा ➞ अबुल फजल
  • अनामिका ➞ सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
  • गोल्डेन थेर्सहोल्ड ➞ सरोजिनी नायडू
  • अग्निवीणा ➞ काजी नजरुल इस्लाम
  • इंडियन फिलॉस्पी ➞ डॉ. एस. राधाकृष्णन
  • कामसूत्र ➞ वात्स्यायन
  • ब्रोकेन विंग्स ➞ सरोजिनी नायडू
  • परिमल ➞ सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
  • भगवत् गीता ➞ वेदव्यास
  • कादम्बरी् ➞ बाणभटृ
  • इन्दिरा गाँधी रिटर्नस ➞ खुशवंत सिहं
  • बीजक ➞ कबीरदास
  • चाण्डालिका ➞ रविन्द्र नाथ टैगौर
  • लहर ➞ जयशंकर प्रसाद
  • उर्वशी ➞ रामधारी सिहं ‘दिनकर’
  • नेचर क्योर ➞ मोरारजी देसाई
  • ए वाइस ऑफ फ्रिडम ➞ नयन तारा सहगल
  • एरिया ऑफ डार्कनेस ➞ वी. एस. नायपॉल
  • चन्द्रकान्ता ➞ देवकीनन्दन खत्री
  • द डार्क रूम ➞ आर. के. नारायण
  • प्रेमवाटिका ➞ रसखान
  • इंटरनल इंडिया ➞ इंदिरा गाँधी
  • मृच्छकटिकम् ➞ शूद्रक
  • मालगुड़ी डेज ➞ आर. के. नारायण
  • फोर्टी नाइन डेज ➞ अमृता प्रीतम
  • कुरूक्षेत्र ➞ रामधारी सिहं ‘दिनकर’
  • बुध्दचरितम् ➞ अश्वघोष
  • नीति शतक ➞ भर्तृहरि
  • श्रृंगारशतक ➞ भर्तृहरि
  • अवंती सुन्दरी ➞ दण्डी
  • साहित्यलहरी ➞ सुरदास
  • रमैनी ➞ कबीरदास
  • कुमारसंभवम् ➞ कालिदास
  • अष्टाध्यायी ➞ पाणिनी
  • दिल्ली ➞ खुशवंत सिहं
  • पल्लव ➞ सुमित्रानन्दन पंत
  • चरित्रहीन ➞ शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय
  • दशकुमारचरितम् ➞ दण्डी
  • दायभाग ➞ जीमूतवाहन

Books And Authors In Hindi Questions

Q.1 लाइफ़ डिवाइन के लेखक कौन हे
Ans- अरविन्द घोष

Q.2 मेघदूत के लेखक कौन हे
Ans- कालिदास

Q.3 यंग इंडिया के लेखक कौन हे
Ans- महात्मा गांधी

Q.4 मुद्राराक्षस के लेखक कौन हे
Ans- विशाखदत्त

Q.5 गीत गोविन्द के लेखक कौन हे
Ans- जयदेव

Q.6 कामसूत्र के लेखक कौन हे
Ans- वात्स्यायन

Q.7 गीता रहस्‍य” के लेखक कौन हैं?
Ans-बाल गंगाधर तिलक

Q.8 प्रसिद्ध “कवितावली” के रचयिता कौन हैं?
Ans-तुलसीदास

Q.9 यामा” नामक पुस्‍तक की रचना किसने की है?

Ans-महादेवी वर्मा

Q.10 पंचतन्‍त्र” के लेखक कौन हैं?
Ans-विष्‍णु शर्मा

Q.11”रामचरितमानस” के रचयिता कौन हैं?
Ans-तुलसीदास

Q.12 अष्टाध्यायी के लेखक कौन हे
Ans- पाणिनी

Q.13 गोदान” उपन्‍यास किसके द्वारा लि‍खा गया है?
Ans-प्रेमचन्‍द

Q.14 माई टुथ के लेखक कौन हे
Ans- इंदिरा गांधी

Q.15 इंडिका के लेखक कौन हे
Ans- मेगास्थनीज

Q.16 अकबरनामा के लेखक कौन हे
Ans- अबुल फजल

Q.17 शाहनामा के लेखक कौन हे
Ans- फिरदौसी

Q.18 डिवाइन लाईफ के लेखक कौन हे
Ans- शिवानन्द

Q.19 भारत-भारती” की रचना किसने की?
Ans-मैथिलीशरण गुप्‍ता

Q.20 बाबरनामा के लेखक कौन हे
Ans- बाबर

Q.21 अर्थशास्त्र के लेखक कौन हे
Ans- चाणक्य

Q.22 महाभारत” के रचयिता कौन हैं?
Ans-वेदव्‍यास

Q.23 राजतरंगिणी के लेखक कौन हे
Ans- कल्हण

Q.24 हुमायूँनामा के लेखक कौन हे
Ans- गुलबदन बेगम

Q.25 बुद्धचरितम् के लेखक कौन हे
Ans- अश्वघोष

Q.26 गाइड के लेखक कौन हे
Ans- आर० के० नारायण

Q.27 अनहैप्‍पी इण्डिया” के लेखक कौन हैं?
Ans-लाला लाजपत राय

Q.28 कामायनी” के लेखक का नाम क्या है?
Ans-जयशंकर प्रसाद

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

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किताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलाया

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 23 दिसंबर 2024 | जयपुर : डॉ. अंबेडकर  मनुस्मृति को ब्राह्मणवाद की मूल संहिता मानते थे। यह किताब द्विजों को जन्मजात श्रेष्ठ और पिछडों, दलित एवं महिलाओं को जन्म के आधार पर निकृष्ट घोषित करती है। पिछड़े-दलितों एवं महिलाओं का एक मात्र कर्तव्य द्विजों और मर्दों का सेवा करना बताती है।

किताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलाया

ऐसी क्या वजहें रही होंगी जो आज से लगभग 92 साल पहले आज ही के दिन 25 दिसम्बर 1927 को बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर को पहली बार मनुस्मृति का प्रतीकात्मक रूप से दहन करना पड़ा? उस दौर में भारतीय समाज में जो कानून चल रहा था वह मनुस्मृति के विचारों पर आधारित था।

किताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलाया

यह एक ब्राह्मणवादी, पुरुष सत्तात्मक, भेदभाव वाला कानून था, जिसमें इंसान को जाति और वर्ग के आधार पर बांटा गया था। आइए जानते हैं जिन व्यवस्थाओं के प्रति बाबासाहेब आंबेडकर को विरोध दर्ज करना पड़ा, उसके पीछे क्या कारण रहे होंगे?

हजारों वर्षों से देश जातिवाद का दंश झेल रहा है जो आज के इस आधुनिक दौर में और भी विकराल रूप लेता दिखाई पड़ रहा है। महिलाओं के अधिकारों की बात हो या वर्ण व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर माने जाने वाले शूद्र की, ऊंची जातियों को इसमें अपना स्वामित्व ही क्यूं नजर आता रहा? क्यूं आज के इस वैश्विक दौर मे हमारा देश और पिछड़ता चला जा रहा है?

जहां मॉब लिंचिंग के बहाने जाति विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। क्या यह सब अचानक ही हो रहा है या इसके पीछे कुछ मंशाएं काम कर रही हैं? या हम इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि मनुष्य-मनुष्य न होकर सिर्फ जाति रूपी कार्ड दिखाई देने लगा है जो सिर्फ वोट के समय खेला जाता है।

मनुस्‍मृति को बाबासाहेब ने क्यों जलाया ?

  • नीच वर्ण का जो मनुष्य अपने से ऊँचे वर्ण के मनुष्य की वृत्ति को लोभवश ग्रहण कर जीविका – यापन करे तो राजा उसकी सब सम्पत्ति छीनकर उसे तत्काल निष्कासित कर दे।10/95-98

  • ब्राह्मणों की सेवा करना ही शूद्रों का मुख्य कर्म कहा गया है । इसके अतिरक्त वह शूद्र जो कुछ करता है , उसका कर्म निष्फल होता है।10/123-124

  • शूद्र धन संचय करने में समर्थ होता हुआ भी शूद्र धन का संग्रह न करें क्योंकि धन पाकर शूद्र ब्राह्मण को ही सताता है। 10/129-130

  • जिस देश का राजा शूद्र अर्थात पिछड़े वर्ग का हो, उस देश में ब्राह्मण निवास न करें क्योंकि शूद्रों को राजा बनने का अधिकार नहीं है। 4/61-62

  • राजा प्रातःकाल उठकर तीनों वेदों के ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मणों की सेवा करें और उनके कहने के अनुसार कार्य करें। 7/37-38

  • जिस राजा के यहां शूद्र न्यायाधीश होता है उस राजा का देश कीचड़ में धँसी हुई गाय की भांति दुःख पाता है। 8/22-23

  • ब्राह्मण की सम्पत्ति राजा द्वारा कभी भी नही ली जानी चाहिए, यह एक निश्चित नियम है, मर्यादा है, लेकिन अन्य जाति के व्यक्तियों की सम्पत्ति उनके उत्तराधिकारियों के न रहने पर राजा ले सकता है। 9/189-190

  • यदि शूद्र तिरस्कार पूर्वक उनके नाम और वर्ण का उच्चारण करता है, जैसे वह यह कहे देवदत्त तू नीच ब्राह्मण है, तब दस अंगुल लम्बी लोहे की छड़ उसके मुख में कील दी जाए। 8/271-272

  • यदि शूद्र गर्व से ब्राह्मण पर थूक दे, उसके ऊपर पेशाब कर दे तब उसके होठों को और लिंग को और अगर उसकी ओर अपान वायु निकाले तब उसकी गुदा को कटवा दे।  8/281-282

  • यदि कोई शूद्र ब्राह्मण के विरुद्ध हाथ या लाठी उठाए, तब उसका हाथ कटवा दिया जाए और अगर शूद्र गुस्से में ब्राह्मण को लात से मारे, तब उसका पैर कटवा दिया जाए। 8/279-280

  • इस पृथ्वी पर ब्राह्मण–वध के समान दूसरा कोई बड़ा पाप नहीं है। अतः राजा ब्राह्मण के वध का विचार मन में भी लाए। 8/381

  • शूद्र यदि अहंकारवश ब्राह्मणों को धर्मोपदेश करे तो उस शूद्र के मुँह और कान में राजा गर्म तेल डलवा दें। 8/271-272

  • शूद्र को भोजन के लिए झूठा अन्न, पहनने को पुराने वस्त्र, बिछाने के लिए धान का पुआल और फ़टे पुराने वस्त्र देना चाहिए ।10/125-126

  • बिल्ली, नेवला, नीलकण्ठ, मेंढक, कुत्ता, गोह, उल्लू, कौआ किसी एक की हिंसा का प्रायश्चित शूद्र की हत्या के प्रायश्चित के बराबर है अर्थात शूद्र की हत्या कुत्ता बिल्ली की हत्या के समान है। 11/131-132

  • यदि कोई शूद्र किसी द्विज को गाली देता है तब उसकी जीभ काट देनी चाहिए, क्योंकि वह ब्रह्मा के निम्नतम अंग से पैदा हुआ है।

  • निम्न कुल में पैदा कोई भी व्यक्ति यदि अपने से श्रेष्ठ वर्ण के व्यक्ति के साथ मारपीट करे और उसे क्षति पहुंचाए, तब उसका क्षति के अनुपात में अंग कटवा दिया जाए।

  • ब्रह्मा ने शूद्रों के लिए एक मात्र कर्म निश्चित किया है, वह है – गुणगान करते हुए ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करना।

  • शूद्र यदि ब्राह्मण के साथ एक आसन पर बैठे, तब राजा उसकी पीठ को तपाए गए लोहे से दगवा कर अपने राज्य से निष्कासित कर दे।

  • राजा बड़ी-बड़ी दक्षिणाओं वाले अनेक यज्ञ करें और धर्म के लिए ब्राह्मणों को स्त्री, गृह शय्या, वाहन आदि भोग साधक पदार्थ तथा धन दे।

  • जान बूझकर क्रोध से यदि शूद्र ब्राह्मण को एक तिनके से भी मारता है, वह 21 जन्मों तक कुत्ते-बिल्ली आदि पाप श्रेणियों में जन्म लेता है।

  • ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न होने से और वेद के धारण करने से धर्मानुसार ब्राह्मण ही सम्पूर्ण सृष्टि का स्वामी है।

  • शूद्र लोग बस्ती के बीच में मकान नहीं बना सकते। गांव या नगर के समीप किसी वृक्ष के नीचे अथवा श्मशान पहाड़ या उपवन के पास बसकर अपने कर्मों द्वारा जीविका चलावें।

  • ब्राह्मण को चाहिए कि वह शूद्र का धन बिना किसी संकोच के छीन ले क्योंकि शूद्र का उसका अपना कुछ नहीं है। उसका धन उसके मालिक ब्राह्मण को छीनने योग्य है।

  • राजा वैश्यों और शूद्रों को अपना अपना कार्य करने के लिए बाध्य करने के बारे में सावधान रहें, क्योंकि जब ये लोग अपने कर्तव्य से विचलित हो जाते हैं तब वे इस संसार को अव्यवस्थित कर देते हैं ।

  • शूद्रों का धन कुत्ता और गदहा ही है। मुर्दों से उतरे हुए इनके वस्त्र हैं। शूद्र टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन करें। शूद्र महिलाएं लोहे के ही गहने पहने।

  • यदि यज्ञ अपूर्ण रह जाये तो वैश्य की असमर्थता में शूद्र का धन यज्ञ करने के लिए छीन लेना चाहिए ।

  • दूसरे ग्रामवासी पुरुष जो पतित, चाण्डाल, मूर्ख और धोबी आदि अंत्यवासी हो, उनके साथ द्विज न रहें। लोहार, निषाद, नट, गायक के अतिरिक्त सुनार और शस्त्र बेचने वाले का अन्न वर्जित है।

  • शूद्रों के साथ ब्राह्मण वेदाध्ययन के समय कोई सम्बन्ध नही रखें, चाहे उस पर विपत्ति ही क्यों न आ जाए।

  • स्त्रियों का वेद से कोई सरोकार नही होता। यह शास्त्र द्वारा निश्चित है। अतः जो स्त्रियां वेदाध्ययन करती हैं, वे पापयुक्त हैं और असत्य के समान अपवित्र हैं, यह शाश्वत नियम है।

  • अतिथि के रूप में वैश्य या शूद्र के आने पर ब्राह्मण उस पर दया प्रदर्शित करता हुआ अपने नौकरों के साथ भोज कराए।

  • शूद्रों को बुद्धि नही देनी चाहिए। अर्थात उन्हें शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं है। शूद्रों को धर्म और व्रत का उपदेश न करें।

  • जिस प्रकार शास्त्र विधि से स्थापित अग्नि और सामान्य अग्नि, दोनों ही श्रेष्ठ देवता हैं , उसी प्रकार ब्राह्मण चाहे वह मूर्ख हो या विद्वान दोनों ही रूपों में श्रेष्ठ देवता है।

  • शूद्र की उपस्थिति में वेद पाठ नहीं करनी चाहिए।

  • ब्राह्मण का नाम शुभ और आदर सूचक, क्षत्रिय का नाम वीरता सूचक, वैश्य का नाम सम्पत्ति सूचक और शूद्र का नाम तिरस्कार सूचक हो।

  • दस वर्ष के ब्राह्मण को 90 वर्ष का क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र पिता समान समझ कर उसे प्रणाम करे।

  • किसी प्रयोजन की सिद्धि को ध्यान में रखते हुए दिया जाने वाला उपदेश शूद्र को न दिया जाये। उसे जूठा यानी बचा हुआ भोजन न दे और न यज्ञकर्म से बचा हविष्य प्रदान करे। उसे न तो धार्मिक उपदेश दिया जाये और न ही उससे व्रत रखने की बात की जाये।

  • पुरुषों को अपने जाल में फंसा लेना तो स्त्रियों का स्वभाव ही है! इसलिए समझदार लोग स्त्रियों के साथ होने पर चौकन्ने रहते हैं, क्योंकि पुरुष वर्ग के काम क्रोध के वश में हो जाने की स्वाभाविक दुर्बलता को भड़काकर स्त्रियाँ, मूर्ख  ही नहीं विद्वान पुरुषों तक को विचलित कर देती है! पुरुष को अपनी माता, बहन तथा पुत्री के साथ भी एकांत में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इन्द्रियों का आकर्षण बहुत तीव्र होता है और विद्वान भी इससे नहीं बच पाते।

  • पुरुषों को अपने घर की सभी महिलाओं को चौबीस घंटे नियन्त्रण में रखाना चाहिए और विषयासक्त स्त्रियों को तो विशेष रूप से वश में रखना चाहिए! बाल्य काल में स्त्रियों की रक्षा पिता करता है! यौवन काल में पति  तथा वृद्धावस्था में पुत्र उसकी रक्षा करता है! इस प्रकार स्त्री कभी भी स्वतंत्रता की अधिकारिणी नहीं है!

  • स्त्रियों के चाल-ढाल में ज़रा भी विकार आने पर उसका निराकरण करनी चाहिये! क्योंकि बिना परवाह किये स्वतंत्र छोड़ देने पर स्त्रियाँ दोनों कुलों (पति व पिता ) के लिए दुखदायी सिद्ध हो सकती है! सभी वर्णों के पुरुष इसे अपना परम धर्म समझते है! और दुर्बल से दुर्बल पति भी अपनी स्त्री की यत्नपूर्वक रक्षा करता है!

  • स्त्री का पिता अथवा पिता की सहमति से इसका भाई जिस किसी के साथ उसका विवाह कर दे, जीवन-पर्यन्त वह उसकी सेवा में रत रहे और पति के न रहने पर भी पति की मर्यादा का उल्लंघन कभी न करे।

  • स्त्री का पति दु:शील, कामी तथा सभी गुणों से रहित हो तो भी एक साध्वी स्त्री को उसकी सदा देवता के सामान सेवा व पूजा करनी चाहिए। स्त्री को अपने पति से अलग कोई यज्ञ, व्रत या उपवास नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उन्हें अपने पति की सेवा-सुश्रुषा से ही स्वर्ग प्राप्त हो जाता है।

मनु के इन कानूनों से अनुमान लगाया जा सकता है कि शूद्रों, अतिशूद्रों और महिलाओं पर किस प्रकार और कितने अमानवीय अत्याचार हुए हैं।

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षड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों 

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 दिसंबर 2024 | जयपुर :  राजस्थान के उपचुनाव में ‘थप्पड़ कांड’ के नरेश मीणा के कारण सियासत में काफी हलचल रही। इधर, नरेश मीणा कब जेल से छूटेंगे? यह पहेली अब तक नहीं सुलझ पाई है। घटना के 26 दिन बीते जाने के बाद भी नरेश मीणा अभी भी टोंक जेल में बंद है।

षड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों 

समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों

जनहित के मुद्दे उठाना हर एक राजनेता का प्राथमिक दायित्व है। नरेश मीणा ने भी वही किया। जब कोई भी इस जनहित के मुद्दे पर अपनी जुबान नहीं खोल रहा था तो नरेश मीणा समरावता गाँव के लोगों को न्याय दिलाने के लिए आगे आये। प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया। शांतिपूर्ण आन्दोलन किया।

पर स्थानीय राजनीति, नरेश मीणा के बढ़ते राजनीतिक कद, और पार्टी लाइन की वजहों से जुबान पर पाबंदी लगे राजनेताओं ने पुलिस-प्रशासन की सहायता से इसे अलग ही मोड़ दे दिया। इस घटना को मनुवादी मीडिया ने मीणा समाज के प्रति अपनी चिपरिचित वैमनस्यता के चलते अलग ही मोड़ दे दिया।

समरावता गाँव में हुए शांतिपूर्ण आंदोलन के बाद स्थानीय पुलिस ने जो असंवैधानिक कार्य किया। उसे, गाँव के ही एक सीसीटीवी फुटेज ने कैद कर लिया। स्थानीय प्रशासन की अमानवीय साजिश के तहत समरावता गाँव के शांति पूर्ण जन आंदोलन में साधा-वर्दी में पुलिसकर्मी भीड़ में शामिल कर दिये।

पुलिस का यह नया प्रयोग नहीं था पर इस नये प्रयोग में नवीनतम प्रयोग यह किया कि सबसे पहले वर्दीधारी पुलिस ने भीड़ पर लाठी चार्ज किया और उसमें भी साधावर्दी (सिविल ड्रेस) में तैनात पुलिस वालों को टारगेट किया गया ताकि नरेश मीणा को फँसाया जा सके। 

यही फाँस नरेश मीणा की ज़मानत नहीं होने दे रही है और इसका तोड़ नरेश मीणा के वकील नहीं निकाल पा रहे हैं। वकीलों ने इस संजीदा प्रकरण को अनुभव की पाठशाला में तब्दील कर दिया है।

यह मामला इतना बढ़ा कि घटना की रात समरावता गांव में पुलिस और नरेश के समर्थकों के बीच जमकर संघर्ष हुआ। आगजनी की घटनाएं हुई, हवाई फायरिंग और आसू गैस के गोले छोड़े गए। अगले दिन भारी पुलिस बल ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

मूकनायक मीडिया के पास ऐसे अनेक पुलिस कर्मियों की फुटेज उपलब्ध है जिन्होंने शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक बनाया और सिविल ड्रेस में तैनात पुलिस कर्मियों को वर्दी धारी पुलिस ने मारा पीटा। 

नरेश 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। उसके साथ कल 63 समर्थक भी जेल में बंद थे। इनमें चार नाबालिग बच्चों को फिलहाल जमानत दे दी गई है। इधर, शनिवार को उनियारा एसीजीएम कोर्ट ने नरेश की जमानत याचिका खारिज कर दी। 

घटना के 26 दिन बाद भी नरेश को नहीं मिली जमानत

प्रदेश में 13 नवंबर को उपचुनाव हुए। इस दौरान देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र के समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ। ग्रामीणों के बहिष्कार के बाद भी जबरन वोट डलवाने के मामले में गुस्साएं निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया।

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इस मामले में नरेश सहित 63 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इनमें से चार नाबालिग बच्चों की जमानत हो चुकी है, लेकिन नरेश सहित अन्य लोगों को अभी तक जमानत नहीं मिल पाई है। हालांकि नरेश मीणा ने शनिवार को उनियारा एसीजेएम कोर्ट में अपनी जमानत की याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने नरेश की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

अब नरेश जमानत के लिए जिला सेशन में करेंगे अपील

थप्पड़ कांड और हिंसा के मामले में नरेश सहित 59 लोग अभी भी टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश को शनिवार को अपनी जमानत को लेकर बड़ा झटका लगा, जहां उनकी जमानत को कोर्ट ने खारिज कर दिया। इधर, अब चर्चा है कि नरेश अपनी जमानत के लिए टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील कर सकते हैं।

नरेश को लंबे समय तक रखने की फिराक में टोंक पुलिस?

समरावता गांव में एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ मारने और हिंसा के मामले को लेकर टोंक पुलिस ने नरेश के खिलाफ काफी स्ट्रांग केस बनाया है। इसको लेकर माना जा रहा है कि टोंक पुलिस लंबे समय तक नरेश को जेल में ही रखने का प्रयास कर रही है।

इसको लेकर बीते दिनों अजमेर रेंज के आईजी ओम प्रकाश ने भी संकेत दिये थे। ऐसे में लोगों के बीच चर्चा का विषय है कि आखिर नरेश को कब तक जमानत मिलेगी? बता दें कि नरेश पर टोंक से पहले 23 मामले दर्ज है।

पुलिस सू़त्रों की माने तो पुलिस इन मामलों में भी कार्रवाई करने की तैयारी में है। बता दें कि नरेश मीणा के खिलाफ टोंक पुलिस ने पांच गंभीर धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं। इसके चलते टोंक पुलिस नरेश को हर एक मामले में कोर्ट में पेश कर, उनकी न्यायिक हिरासत को बढ़ाने का प्रयास कर रही है।

नरेश के समर्थकों ने 17 से सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी

इधर, 14 नवंबर से नरेश टोंक जेल में बंद है। उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद नरेश के समर्थक भड़क गए। इस दौरान रविवार को सवाई माधोपुर में समर्थकों की बैठक हुई, जहां चौथ का बरवाड़ा स्थित मीणा धर्मशाला के पास सर्व समाज की महापंचायत हुई।

इसको लेकर अब लोगों में चर्चा है कि आखिर नरेश को कब तक जमानत मिलेगी? नेतृत्व में नरेश के समर्थकों ने हुंकार भरी है। चेतावनी दी है कि यदि 15 दिसंबर तक नरेश की रिहाई नहीं हुई, तो 17 से प्रदेश के युवा सड़कों पर उतरेंगे। वहीं सवाई माधोपुर में कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेकी। और यह दौर आगे भी जारी रह सकता है!

 कांग्रेस नेता एंव पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने साफ-साफ कह दिया कि यदि नरेश मीणा के साथ इंसाफ नहीं हुआ, तो जल्द ही राजस्थान में बड़ा आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जनता की मांग है कि 15 तारीख तक नरेश मीणा और उनके साथियों को इंसाफ दिया जाये नहीं तो 17 तारीख से राजस्थान की सड़कों पर युवा वर्ग उतरने को मजबूर हो जायेगा। पर सबसे बड़ी बात यह है कि गुंजल राजनीतिक रोटियाँ सेक रहे हैं।

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