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पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से कैसे प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंहMemorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable lifeFormer prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहरसुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहींमप्र RTO को खुली छूट सरकार अंधी है जितना मर्ज़ी लूट करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांससॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 11.8 करोड़ ठगे, TRAI अधिकारी – फर्जी पुलिस अधिकारी बने ठगकिताबों से प्रेम करने वाले डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलायारूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमलागाबा टेस्ट फॉलोऑन बचने पर खुशी से झूम उठे कोहली-रोहित और गंभीरयूको बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन चुनाव, डॉ राजेश कुमार मीणा लगातार तीसरी बार महासचिव, जगदीश प्रकाश बेनिवाल अध्यक्ष बनेफोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगीअभिनेता अल्लू अर्जुन को मजिस्ट्रेट से 14 दिन की जेल फिर हाईकोर्ट से जमानतदिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में साबरमती रिपोर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पथरावपीएम मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी सहित पक्ष-विपक्ष ने संसद हमले के शहीदों श्रद्धांजलि दीविशनाराम मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए बालोतरा में आक्रोश रैलीराहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले, पिता ने राहुल गांधी को लिखा था लेटरसंविधान के अपमान के बाद महाराष्ट्र के परभणी में बुधवार को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़एड्स इंजेक्शन HIV इन्फेक्शन रोकने में 96% तक कारगर, Kiss से हो सकता है HIV एड्सषड्यंत्र का खुलासा : समरावता गाँव में आधी रात में पुलिस ने पुलिस को मारा सजा नरेश मीणा को क्यों भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले 10 हॉकी खिलाड़ीएडिलेड टेस्ट से पहले घबराई ऑस्ट्रेलियाई टीम, हेजवुड ने दिया टीम में दरार का संकेतइनकम टैक्स रेड में बीजेपी नेता के घर 50 किलो गोल्ड 137 करोड़ की अघोषित आयAI की मदद से हिंदी टेक्स्ट को आकर्षक वीडियो में बदलें, हर महीने लाखों कमायेंशब्दों को छवियों में बदलना (Text to Image AI Tool) परिचय एवं कार्यप्रणालीऑप्टस क्रिकेट स्टेडियम पर्थ में पहला टेस्ट भारत ने जीतापर्थ टेस्ट जीत कर तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भारत ने रचा इतिहासभारत ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में 295 रन से हरायाइंडिया के गेंदबाजों ने कंगारू टीम पर कहर बरपा दियापर्थ में रोमांचक स्लेजिंग मोमेंट्स का किंग कौनराजस्थान की 7 सीटों के उपचुनाव में हमेशा की तरह बैकफुट पर बीजेपीराहुल गाँधी की अडानी को तत्काल अरेस्ट करने की माँग, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट अडानी रिश्वत मामले में आगे क्या होगाIndigenous people continue to pay the price of Tiger ReservesTribals Get Out from Indian Tiger Reserves, Tourists WelcomeRUHS भर्ती 2023 में एससी एसटी ओबीसी और महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन, जनप्रतिनिधियों की चुप्पीनरेश मीणा को हो सकती है दस साल की सजा, चुनाव अधिकारी से मारपीट संज्ञेय अपराधकिशन सहाय मीणा आईजी मानवाधिकार सस्पेंड, झारखंड विधानसभा चुनाव में पुलिस पर्यवेक्षक हुए थे नियुक्तसुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगेचार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया : डॉ अंबेडकर-मिशन की बुलंद आवाज का दस्तावेज
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1920 में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों की पैरवी के लिए 'मूकनायक' नामक समाचार पत्र शुरू किया। यह समाचार पत्र सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दलित सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
'मूकनायक' के शताब्दी (स्थापना वर्ष1920) वर्ष में सामाजिक समानता की लड़ाई हेतु अंबेडकर की विरासत को जारी रखने के लिए इसके डिजिटल संस्करण को 2020 में लॉन्च किया गया है।
‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है "सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !
बिरसा अंबेडकर फुले फ़ातिमा मिशन से जुड़े सिपाहियों और भीम-सैनिकों एवं पाठकों से हमारी बस इतनी-ही गुजारिश है कि हमें पढ़ें, सोशल-मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें, हो सके तो अपने जज्बातों को लिखकर हम तक पहुँचावे, हम उसे भी छापेंगे।
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पुरस्कार 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनीवर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका, भारत को जीतने ही होंगे मेलबर्न सिडनी टेस्टजापान में हिंदी भाषा को मिल रही है व्यापक लोकप्रियतानरेश मीणा की रिहाई के लिए नगरफोर्ट महापंचायत में उमड़ा लाखों लोगों का जनसैलाबपीएम मोदी पर दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोहरे अपमान के आरोपAsian Countries with their Capitals and PopulationAsia has around 2300 languages and nearly 5 billion peopleMalaysia is a Country of Rich Cultures and Vernacular LanguagesMalaysia’s Most Beautiful Places For TouristsIndia’s decision to upgrade its relations with Kuwaitसऊदी अरब और कुवैत में इंडिया के लिए कौन बेहतरकांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्तावरुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आयाराजस्थान में मावट कई जिलों में ओलावृष्टि से किसानों पर आफत फसल चौपटमनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने लिए बनाया खास मुकामनरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणागोल्डन मेमोरी : प्रोफ़ेसर से 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जरूरी नहींयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 23 दिसंबर 2024 | जयपुर : प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता श्याम बेनेगल का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया है। वे वोकहार्ट अस्पताल में एडमिट थे। 14 दिसंबर को ही उन्होंने 90वां जन्मदिन मनाया था।
श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांस
श्याम बेनेगल की फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को बेहतरीन कलाकार दिए, जिनमें नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और सिनेमेटोग्राफर गोविंद निहलानी प्रमुख हैं।
बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांस
जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री बनाने के अलावा उन्होंने दूरदर्शन के लिए धारावाहिक ‘यात्रा’, ‘कथा सागर’ और ‘भारत एक खोज’ का भी निर्देशन किया। श्याम बेनेगल के नाम सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड है। उन्हें 8 फिल्मों के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
श्याम बेनेगल के 90वें जन्मदिन पर शबाना आजमी ने अपने X अकाउंट पर यह तस्वीर शेयर की थी।
पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित हो चुके
श्याम ने 24 फिल्में, 45 डॉक्यूमेंट्री और 15 एड फिल्म्स बनाई हैं। जुबैदा, द मेकिंग ऑफ द महात्मा, नेताजी सुभाष चंद्र बोसः द फॉरगोटन हीरो, मंडी, आरोहन, वेलकम टु सज्जनपुर जैसी दर्जनों बेहतरीन फिल्में उन्हीं ने बनाई हैं।
फिल्म जगत को दिए योगदान के लिए उन्हें 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इनके खाते में 8 नेशनल अवॉर्ड हैं। सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड इन्हीं के नाम है। बेनेगल को 2005 में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी दिया गया।
2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने श्याम बेनेगल को रजत कमला अवॉर्ड से सम्मानित किया था।
श्याम ने 1974 की फिल्म अंकुर से बतौर डायरेक्टर करियर की शुरुआत की थी।
गुरु दत्त के कजिन हैं श्याम बेनेगल
श्याम सुंदर बेनेगल का जन्म 14 दिसम्बर 1934 को हैदराबाद के मिडिल क्लास परिवार में हुआ। ये मशहूर एक्टर और फिल्ममेकर गुरुदत्त के कजिन हैं। श्याम के पिता को स्टिल फोटोग्राफी का शौक था।
कांस फिल्म फेस्टिवल (1976) में फिल्म निशांत का प्रमोशन करते श्यान बेनेगल। इस मौके पर एक्ट्रेस शबाना आजमी भी मौजूद थीं।
श्याम भी अक्सर बच्चों की तस्वीरें लिया करते थे। अर्थशास्त्र में एम.ए. करने के बाद वे फोटोग्राफी करने लगे। पहली फिल्म ‘अंकुर’ बनाने से पहले उन्होंने एड एजेंसियों के लिए कई एड फिल्में बनाई थीं। फिल्म और एड बनाने से पहले श्याम बतौर कॉपी राइटर काम किया करते थे।
बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग कीजिए
At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.
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सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एकातेरिना की सूटकेस में मिली नग्न लाश
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 01 मार्च 2025 | जयपुर : जब रूस की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एकातेरिना कराग्लानोवा (Ekaterina Karaglanova) अपने 25वें जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए नीदरलैंड्स जाने वाली थीं। सारी प्लानिंग हो चुकी थी। सब कुछ एकदम परफेक्ट था। अब इंतजार था तो बस बर्थडे सेलिब्रेशन का।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एकातेरिना की सूटकेस में मिली नग्न लाश
सुश्री कराग्लानोवा ने मॉस्को के एक मेडिकल स्कूल में रेजीडेंसी की थी और त्वचाविज्ञान में विशेषज्ञता प्राप्त डॉक्टर के रूप में कार्य किया था। वह एक प्रमुख सोशल मीडिया हस्ती भी थीं, जो नियमित रूप से अपने 85,000 इंस्टाग्राम फॉलोअर्स के साथ अपनी तस्वीरें साझा करती थीं।
Ekaterina Karaglanova
लेकिन जब 22 जुलाई से माता-पिता का अपनी बेटी से कोई कॉन्टैक्ट नहीं हुआ, तो वे 27 जुलाई को सीधे उसके अपार्टमेंट पहुंचे। जैसे ही वे घर में दाखिल हुए, तो मंजर दिल दहला देने वाला था। महज तीन फीट के एक लाल सूटकेस में उनकी बेटी की नग्न लाश पड़ी थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी नुकीली चीज से उसे गोदा गया हो।
बेटी को इस हालत में देखकर माता-पिता चीख उठे। शोर-शराबे की आवाज सुनकर पड़ोसी भी आ गए। हैरानी की बात यह थी कि किसी को भी इस घटना की भनक तक नहीं लगी थी, क्योंकि जिस बिल्डिंग में एकातेरिना रहती थीं, वो मास्को की जानी-मानी बिल्डिंग थी, जहां कई सेलिब्रिटी भी रहा करते थे।
खैर, मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस को घटना की जानकारी दी। मॉस्को पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की। CCTV फुटेज में एकातेरिना के अपार्टमेंट की ओर जाते हुए दो शख्स नजर आए। एक से उसके प्रेम संबंध थे, लेकिन दूसरा कौन था? क्या यह जलन और बदले की वारदात थी या कोई गहरी साजिश? यह मर्डर मिस्ट्री जितनी खौफनाक थी, उतनी ही रहस्यमयी भी।
आज अनसुनी दास्तान : एकातेरिना के वीभत्स हत्याकांड की कहानी
एकातेरिना कराग्लानोवा का जन्म 30 जुलाई 1994 को रूस की राजधानी मॉस्को के इवांका में हुआ था। वह एक डॉक्टर परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता किन यूरोलॉजिस्ट और मां ओल्गा किन्ना एक कार्डियोलॉजिस्ट हैं।
एकातेरिना पढ़ाई में काफी अच्छी थीं। उन्होंने कई लैंग्वेज का कोर्स किया था। इतना ही नहीं वो स्कूल ओलंपियाड में भी अक्सर जीता करती थीं। परिवार में सभी डॉक्टर थे। ऐसे में उनके सामने एक मुश्किल थी कि वह अपनी आगे की पढ़ाई जर्नलिज्म में करें या फिर डॉक्टरी में। हालांकि, उन्होंने परिवार की प्रथा को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टरी को ही चुना।
इसके बाद उन्होंने रशियन नेशनल रिसर्च मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरू की। देखने में बेहद खूबसूरत एकातेरिना की दिलचस्पी ग्लैमर वर्ल्ड में होने लगी, जिसके चलते उन्होंने कॉलेज के दूसरे साल में ही मॉडलिंग करना शुरू कर दिया। सबसे पहले उन्होंने सेमोचिकिना सरनेम को बदलकर कराग्लानोवा रख लिया, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि मॉडलिंग के लिए सेमोचिकिना सरनेम अच्छा नहीं लगेगा।
एकातेरिना ने कई ब्यूटी कॉन्टेस्ट्स में हिस्सा लिया और 2018 में मिस मैक्सिम का खिताब अपने नाम किया। कम समय में ही उन्होंने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के तौर पर अपनी पहचान बनाई। महज 24 साल में उनके इंस्टाग्राम पर 85 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स थे। उन्हें कई कंपनियों से मॉडलिंग के ऑफर मिलने लगे, जिससे उन्हें खूब शोहरत और दौलत मिली।
पॉपुलैरिटी ऐसी बढ़ी कि लोगों ने उनकी तुलना 50 और 60 के दशक की फेमस ब्रिटिश एक्ट्रेस ऑड्रे हेपबर्न से करना शुरू कर दिया। इसी बीच उन्हें डॉक्टरी की डिग्री भी मिल गई।
एकातेरिना कराग्लानोवा (बाएं) और ब्रिटिश एक्ट्रेस ऑड्रे हेपबर्न (दाएं) की तस्वीर
ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़ने के बाद एकातेरिना के कई लोगों से संबंध रहे, लेकिन फिर साल 2019 में उनकी जिंदगी में ऐसे शख्स की एंट्री हुई, जिससे वो प्यार करने लगीं। इसी साल जुलाई में वह 25 साल की होने वाली थीं। उन्होंने नीदरलैंड्स में इस खास दिन का जश्न मनाने का फैसला किया।
इसी बीच खबरें आने लगीं कि उनका एक ऐसे व्यक्ति से संबंध था, जो उम्र में उनसे काफी बड़ा था। एकातेरिना को उससे फाइनेंशियल फायदे मिलते थे। हालांकि, उनकी एक करीबी दोस्त ने इन सभी खबरों को अफवाह बताया और कहा कि उन्हें फाइनेंशियल सपोर्ट की जरूरत नहीं थी।
फोन बंद था परिवार से कोई संपर्क नहीं
एकातेरिना के माता-पिता के मुताबिक, 22 जुलाई 2019 से एकातेरिना का फोन बंद था। लगभग छह दिनों से उनका परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ था, जिस कारण माता-पिता को उनकी चिंता सताने लगी। चिंतित होकर पेरेंट्स ने एकातेरिना के अपार्टमेंट के मालिक को कॉल किया और कहा कि वे जाकर देखें कि सब कुछ ठीक है या नहीं। फिर वे खुद 27 जुलाई को बेटी के घर पहुंचे।
जैसे ही वे अपार्टमेंट में दाखिल हुए, उन्हें उनकी बेटी तो कहीं नहीं मिली, लेकिन एक बड़ा लाल सूटकेस मिला, जिसे देख उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, क्योंकि उस सूटकेस में एकातेरिना की लाश पड़ी थी। उन्होंने तुरंत एंबुलेंस को कॉल किया। हालांकि, तब तक एकातेरिना की मौत हो चुकी थी।
मॉस्को की यह वही बिल्डिंग है, जिसमें एकातेरिना रहा करती थीं
एकातेरिना के शरीर पर 19 घाव
पुलिस के मुताबिक, एकातेरिना का शव कमरे के बीचों-बीच सूटकेस में पड़ा हुआ था। उनके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था, केवल बेल्ट और मोजे पहने हुए थे। जब शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया, तो रिपोर्ट में सामने आया कि एकातेरिना के साथ शारीरिक संबंध बनाए गए थे, लेकिन उनके साथ किसी तरह की जबरदस्ती नहीं की गई थी।
डॉक्टर की मानें तो एकातेरिना के शरीर पर 19 घाव थे, जो किसी नुकीली ब्लेड या फिर चाकू से किए गए थे। इसमें सबसे ज्यादा वार उनके गर्दन पर हुए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना को 23 जुलाई की रात को अंजाम दिया गया था।
पड़ोसियों का कहना था कि उस रात उन्होंने अजीब आवाजें सुनीं, लेकिन फिर यह सोचकर नजर अंदाज कर दिया कि शायद उनका कोई दोस्त आया होगा और उनकी बच्ची खेल रही होगी। क्योंकि अक्सर एकातेरिना के घर पर उनके करीबी लोग आते रहते थे।
मामले की जांच में लगी पुलिस ने उस बिल्डिंग को घेर लिया, जहां यह घटना हुई थी। किसी के भी आने-जाने पर रोक लगा दी गई, ताकि सबूतों को इकट्ठा किया जा सके। हालांकि, पुलिस का कहना था कि मौके से कोई जरूरी सुराग नहीं मिले।
कुछ ही दिनों बाद इंटरनेट पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसने न केवल पूरे रूस को दहला दिया, बल्कि पड़ोसी देशों को भी चौंका दिया। यह तस्वीर और किसी की नहीं बल्कि एकातेरिना की डेड बॉडी की थी। उन्हें ऐसी हालत में देखने के बाद जहां एक तरफ उनके फैंस में गुस्सा फैल गया, तो वहीं दूसरी ओर लोगों ने कई तरह की बातें बनानी भी शुरू कर दीं।
कहा जा रहा था कि इस घटना को अंजाम देने के पीछे कोई बड़ा संदेश छिपा है। इसी वजह से इतनी बेरहमी से मारकर शव को सूटकेस में रखा और उसे कमरे के बीच में छोड़ दिया। जांच के दौरान पुलिस को बिल्डिंग के CCTV कैमरों की फुटेज मिली। फुटेज में एक शख्स को बिल्डिंग में एंट्री लेते और एकातेरिना के अपार्टमेंट की ओर जाते हुए देखा गया। कुछ समय बाद ही वो शख्स एक सूटकेस पकड़े हुए बाहर निकलते हुए भी दिखा।
एकातेरिना के अपार्टमेंट से हाथ में सूटकेस लिए एक शख्स बाहर निकलता हुआ।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, शख्स की पहचान मैक्सिम गैरेथ के रूप में हुई, जिसकी उम्र 33 साल थी। वह भी मॉस्को में रहता था और फुटबॉल कोच था। हालांकि, जब दोबारा सभी फुटेज को ध्यान से देखा गया तो एक और आदमी बिल्डिंग में दाखिल हुआ और वो भी एकातेरिना के अपार्टमेंट में ही जा रहा था।
इस आदमी की पहचान बाद में की गई और पुलिस ने उसे ढूंढ निकाला, लेकिन उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई। ये जानकारी भी सामने आई थी कि वो एकातेरिना के साथ रिश्ते में था और उसकी उम्र 52 साल थी। दोनों का जन्मदिन साथ में मनाने का प्लान था।
हालांकि, CCTV में सूटकेस हाथ में लिए हुए सिर्फ मैक्सिम गैरेथ ही दिखाई दिया था, जो घटना के दो दिन बाद उस जगह पर वापस भी आया था। ऐसे में पुलिस का शक अब यकीन में बदल चुका था कि यह वही व्यक्ति था, जिसने एकातेरिना का कत्ल किया होगा। इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी।
इसी दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि एकातेरिना को उनकी न्यूड तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था। उन्होंने इस बारे में कुछ दोस्तों से बात की थी, लेकिन कभी भी पुलिस के पास रिपोर्ट दर्ज कराने नहीं गईं।
एक दोस्त ने पुलिस को बताया कि एकातेरिना अपनी सुरक्षा को लेकर काफी डरी हुई थीं। उसने बताया था कि कोई उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, उनकी दोस्त ने सोचा कि वो एक स्टार हैं, ऐसे में कोई उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहा होगा। इसके बाद पुलिस ने इस एंगल से भी जांच शुरू कर दी थी, क्योंकि एकातेरिना के पास डॉक्टरी की डिग्री थी। साथ ही वह सोशल नेटवर्क्स से भी अच्छा खासा पैसा कमाती थी।
डेटिंग साइट्स पर कई नामों से मिली प्रोफाइल
जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे कई राज भी उजागर हो रहे थे। जब पुलिस ने एकातेरिना का फोन और कंप्यूटर चेक किया, तो उन्हें डेटिंग साइट्स पर एकातेरिना की अलग-अलग नामों से कई प्रोफाइल मिलीं।
अपनी प्रोफाइल में एकातेरिना ने लिखा था कि उसे उम्रदराज और सफल पुरुष पसंद हैं। इसके बाद पुलिस को समझ आया कि वह उम्रदराज पुरुषों के साथ आर्थिक लाभ के बदले संबंध बनाती थीं। इसके कुछ समय बाद पुलिस को उनकी प्रोफाइल्स एस्कॉर्ट वेबसाइट्स पर भी मिली, जिसके बायो में उन्होंने लिखा था कि वह पुरुषों की मांग पूरी करने वाली महिला थीं। जब पुलिस ने एकातेरिना के माता-पिता से इस बारे में पूछा तो वे शॉक्ड हो गए।
माता-पिता ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी। ऐसे में वे नहीं सोच सकते थे कि उनकी बेटी ऐसा कुछ कर सकती थी। अब पुलिस को यह समझ आने लगा कि कहीं न कहीं उनका कोई क्लाइंट अपराधी हो सकता है।
मैक्सिम गैरेथ ने कबूला- मैंने ही की हत्या
इसी बीच मैक्सिम गैरेथ खुद पुलिस के पास पहुंचा और कबूल कर लिया कि उसने ही एकातेरिना की हत्या की है। उसने बताया कि वह एकातेरिना से एस्कॉर्ट वेबसाइट के जरिए मिला था। इसके बाद वह उसके अपार्टमेंट में पहुंचा और शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन फिर एकातेरिना ने उसकी खूब बेज्जती की।
एकातेरिना ने कहा था कि वह (मैक्सिम) बदसूरत है और प्लास्टिक सर्जरी से भी उसे कोई फायदा नहीं होगा। इतना ही नहीं शारीरिक संबंध भी ठीक से नहीं बना पाया। ये बातें मैक्सिम की बर्दाश्त से बाहर हो गईं और आपा खोते हुए उसने रसोई से चाकू लिया और उन पर हमला कर दिया। सीने और गर्दन पर चाकू से कम से कम पांच बार वार किया।
अपराध को अंजाम देने के बाद उसने पूरे कमरे की सफाई की और सूटकेस में लाश को कमरे के बीचों-बीच रख दिया। उसने बताया कि पहले प्लान था कि शव को बाहर ले जाकर उसे नष्ट कर देगा, लेकिन किसी कारण ऐसा नहीं हो पाया। CCTV में जो सूटकेस उसके हाथों में दिखाई दिया था उसमें एकातेरिना के खून से लथपथ कपड़े भरे हुए थे।
उसने बताया कि जब वो दो दिन बाद वापस आया था तो वह लाश को बाहर ले जाना चाहता था। लेकिन उससे पहले ही पुलिस को उसके बारे में पता चल गया था। ऐसे में वो बिना सबूत मिटाए वहां से चला गया।
यह तस्वीर मैक्सिम गैरेथ की है, जिसने एकातेरिना का कत्ल किया था।
हत्या के बाद कातिल ने की आत्महत्या की कोशिश
मैक्सिम ने कहा कि उसने एकातेरिना की हत्या की, जिसके लिए वह काफी शर्मिंदा है। हालांकि, वह जांच में पुलिस का पूरा सहयोग करेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने जेल में अपनी जान लेने की भी कोशिश की थी। ऐसे में जेल प्रशासन ने उसके साथ कई लोगों को रखा, ताकि वह भविष्य में कोई ऐसा कदम न उठाए।
मैक्सिम का मुकदमा मॉस्को कोर्ट में चला। उसने एकातेरिना के माता-पिता से माफी भी मांगी, यह कहते हुए कि अगर वह समय को पीछे मोड़ सकता, तो वह अपने किए हुए को बदल देता। मॉस्को कोर्ट ने मैक्सिम को दोषी पाया और उसे नौ साल की सजा सुनाई। साथ ही पीड़िता के परिवार को 21 लाख रुपए का मुआवजा भी अदा करने का आदेश दिया।
एकातेरिना के माता-पिता कोर्ट के फैसले के खिलाफ थे। उनका कहना था कि वे इस सजा के खिलाफ अपील करेंगे, क्योंकि उन्हें यह सजा उस अत्याचार के मुकाबले बहुत ही कम लगी जो मैक्सिम ने उनकी बेटी के साथ किया था।
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पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 जनवरी 2025 | जयपुर : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने अपने अध्यक्ष बिबेक देबरॉय के हाल के उस विचार लेख से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने एक अखबार में भारत के लिए नए संविधान की मांग की थी। देबरॉय ने अपने लेख में लिखा था, ‘हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना होगा‘
पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण
नये संविधान की माँग करने वाले बिबेक देबरॉय से पहले पल्ला झाड़ने वाले पीएम ने सोशल मीडिया पर स्पष्टीकरण देते हुए लिखा, “डॉ बिबेक देबरॉय का हालिया लेख उनकी व्यक्तिगत राय थी। वो किसी भी तरह से ईएएसी-पीएम या भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाता।” ईएएसी-पीएम भारत सरकार, खासकर प्रधानमंत्री को आर्थिक मुद्दों पर सलाह देने के लिए गठित की गई बॉडी है।
पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण
जबकि पद्म पुरस्कार 2025 में उन्हीं देबरॉय को पद्म भूषण देकर प्रधानमंत्री ने साबित कर दिया कि अगर लोकसभा चुनाव में 400 सीटें आ जाती तो वे संविधान बदल देते!
लेख में ऐसा क्या लिखा गया है?
द वायर के अनुसार 15 अगस्त को देबरॉय ने आर्थिक अख़बार मिंट में ” देयर इज़ ए केस फॉर वी द पीपल टू इंब्रेस अ न्यू कॉस्टिट्यूशन ” शीर्षक वालालेख लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था, “अब हमारे पास वह संविधान नहीं है जो हमें 1950 में विरासत में मिला था। इसमें संशोधन किए जाते हैं और हर बार वो बेहतरी के लिए नहीं होते, हालांकि 1973 से हमें बताया गया है कि इसकी ‘बुनियादी संरचना’ को बदला नहीं जा सकता है।”
“भले ही संसद के माध्यम से लोकतंत्र कुछ भी चाहता हो। जहाँ तक मैं इसे समझता हूं, 1973 का निर्णय मौजूदा संविधान में संशोधन पर लागू होता है, अगर नया संविधान होगा तो ये नियम उस पर लागू नहीं होगा।”
लेख में उन्होंने कहा है, “हम जो भी बहस करते हैं, वो ज़्यादातर संविधान से शुरू और ख़त्म होती है। महज़ कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा। हमें ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाना चाहिए और शुरू से शुरुआत करना चाहिए।”
“ये पूछना चाहिए कि संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों का अब क्या मतलब है। हमें ख़ुद को एक नया संविधान देना होगा।” देबरॉय ने एक स्टडी के हवाले से बताया कि लिखित संविधान का जीवनकाल महज़ 17 साल होता है। भारत के वर्तमान संविधान को उन्होंने औपनिवेशिक विरासत बताया है।
क्या वाकई हमारे संविधान को बदलने की कोशिश हो रही है? पद्म पुरस्कारों का अर्थ
पद्म पुरस्कार, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं। ये पुरस्कार, किसी खास क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले भारतीय नागरिकों को दिए जाते हैं। पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं।पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक हैं। ये पुरस्कार, विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, समाज सेवा, लोक-कार्य, विज्ञान और इंजीनियरी, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल-कूद, सिविल सेवा इत्यादि के संबंध में प्रदान किए जाते हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिबेक देबरॉय ने 77वें स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त 2024 को इंडियन एक्सप्रेस में भारतीय संविधान जो लेख लिखा, उसके बाद उन्हें पद्म भूषण सम्मान दिया जाना चाहिए था! अगर उनको यह देश का सबसे बड़ा दूसरा सम्मान दिया जा रहा है तो इसका सीधे तौर पर यह मतलब नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी देबरॉय के संविधान बदलने की बात से इत्तेफाक रखते हैं?
लोकसभा चुनावों में मोदी ने देश से झूठ क्यों बोला
फिर दूसरा सबसे बड़ा सवाल यह है कि लोकसभा चुनावों में मोदी ने देश से झूठ क्यों बोला? न्यूज़ क्लिक वेबसाइट ने तब अपनी एक स्टोरी में लिखा था कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने 15 अगस्त को मिंट अख़बार में एक लेख में कहा कि नए संविधान की ज़रूरत है। उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में लिखे गए मौजूदा संविधान को ‘औपनिवेशिक विरासत’ का हिस्सा भी बताया। क्या ये विचार देबरॉय के अपने हैं या फिर वे मौजूदा सत्ता संरचना में व्याप्त विचारों को व्यक्त कर रहे हैं?
दैनिक जागरण ने राजद के हवाले से अपनी स्टोरी कहा ‘आरजेडी ने कहा है कि आरएसएस और भाजपा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए संविधान को बदलने की तैयारी कर रही है। योजना है कि 2024 में फिर सत्ता में आएं और संघ की स्थापना के सौ साल पूरा होने से पहले संविधान बदलकर मनुस्मृति वाली व्यवस्था लागू कर दें। देश की जनता को इनकी साजिश का पता चल चुका है इसलिए भाजपा की सत्ता से विदा तय है।’
द प्रिंट के अनुसारबिबेक देबरॉय ने सुझाव दिया है कि यह एक औपनिवेशिक विरासत है। चूंकि हम अपनी औपनिवेशिक विरासत को त्यागने के लिए उत्साहित हैं, तो क्या हमें एक नए संविधान का विकल्प नहीं चुनना चाहिए?
वस्तुतः औपनिवेशिक विरासत बताकर भारतीय संविधान को अपमानित करने वाले बिबेक देबरॉय कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष थे। उनका लेख प्रकाशित होने के बाद कई दिनी तक केंद्र सरकार और भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। पर अब देबरॉय को पद्म भूषण पुरस्कार से नवाज़ कर मिडी ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है।
बिबेक देबरॉय पद्मश्री से सम्मानित थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन थे। वे नीति आयोग के सदस्य भी रह चुके थे। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं और उन्होंने महाभारत और पुराणों का सरल अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी किया था। पिछले साल ‘नए संविधान’ की मांग करके वे विवादों में भी आए थे।
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