मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 25 जुलाई 2024 | जयपुर : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। पिछले 4 दिन से जोशी दिल्ली में है। वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले भी थे। जोशी ने इस्तीफे की एक बार पहले भी लोकसभा चुनावों के परिणाम आते ही पेशकश कर दी थी।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अमित शाह से मिलकर इस्तीफे की पेशकश
जोशी विधानसभा चुनावों के परिणामों (दिसंबर-2023) में राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही पद छोड़ना चाहते थे। उन्हें पार्टी आलाकमान ने पद पर बने रहने को कहा था। उनके नेतृत्व में पार्टी की सरकार बन गई थी, वे किसी नए नेता को कमान सौंपना चाहते थे।
लोकसभा चुनाव से पहले भी जोशी ने आलाकमान को कहा था, वे स्वयं चित्तौड़गढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में प्रदेश भर में चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे। हालांकि आलाकमान ने उन्हें पद पर बने रहने को कह दिया था। अब लोकसभा के चुनाव परिणाम आए भी करीब डेढ़ महीना हो गया है।
ऐसे में उन्होंने पद छोड़ने की पेशकश एक बार फिर कर दी है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही उनका इस्तीफा मंजूर हो जाएगा। किसी नए प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में ही पांच सीटों पर विधानसभा उप चुनाव होंगे। केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी की मुलाकात का फाइल फोटो।
उपचुनाव को लेकर शाह को दिया था फीडबैक
संसद भवन में सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह से जोशी ने मुलाकात की थी। जोशी ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनने पर बधाई दी थी। दोनों नेताओं के बीच राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव को लेकर चर्चा हुई थी। जोशी पिछले दिनों उप चुनाव वाले जिलों की कार्य समितियों की बैठक में भी शामिल हुए थे। बैठकों से मिले फीडबैक के बारे में भी जोशी ने शाह को अवगत करवाया।
सीएम और प्रदेशाध्यक्ष दोनों पदों पर ब्राह्मण होने से बदले समीकरण
राजस्थान में सीएम और प्रदेशाध्यक्ष दोनों महत्वपूर्ण पदों पर ब्राह्मण नेताओं के होने से जातिगत समीकरण बदले। पार्टी के चुनावी फॉर्मूले में हमेशा से इन दोनों पदों पर अलग-अलग जाति के नेता को रखा जाता है। इस बार संयोग से दोनों ही पदों पर ब्राह्मण नेता ही हैं।
सीएम के पद पर भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष पद पर सीपी जोशी। पार्टी जल्द ही 5 सीटों पर उप चुनावों में जाने वाली है। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष पर किसी ओबीसी या एससी वर्ग के नेता को लिया जा सकता है, ताकि दोनों बड़े पदों का व्यापक असर मतदाताओं में पड़े।
पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश और हरियाणा में भी प्रदेशाध्यक्ष ब्राह्मण ही हैं। छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में उप मुख्यमंत्री ब्राह्मण हैं। ऐसे में राजस्थान में इस बदलाव को जरूरी माना गया है।
क्या लोकसभा के परिणामों से असंतुष्ट हुए जोशी
राजस्थान में भाजपा ने पिछले दो लोकसभा चुनावों 2014 और 2019 में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार 11 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। इन परिणामों से जोशी दुखी तो नहीं थे, लेकिन वे असंतुष्ट जरूर थे।
उन्होंने आलाकमान को बताया था कि लोकसभा चुनावों में क्या-क्या टिकट संबंधी समीकरण रहे और किन कारणों से चुनावों में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। उन्होंने स्वीकार किया था कि पार्टी को कुछ तय जातिगत-समाजों के वोट नहीं मिल सके हैं। ऐसे में उन्हें भी प्रतिनिधित्व देना आवश्यक है।
ओबीसी या एससी नेता को बना सकती है भाजपा प्रदेशाध्यक्ष
राजस्थान भाजपा में अगला प्रदेशाध्यक्ष ओबीसी या एससी वर्ग से जुड़े नेता को बनाया जा सकता है। चर्चा में जो नाम सबसे आगे हैं उनमें मदन राठौड़(ओबीसी) राजेंद्र गहलोत (ओबीसी), प्रभुलाल सैनी (ओबीसी) और जितेंद्र गोठवाल (एससी) हैं। इनके अलावा किसी जाट नेता को भी प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है।
इसका सीधा सा कारण है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा को बीकानेर, जोधपुर, जयपुर ग्रामीण, नागौर, श्रीगंगानगर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, बाड़मेर, दौसा, टोंक सीटों पर जाट समाज के वोट अपेक्षा से काफी कम मिले। बहुत कम सीटों पर ही भाजपा जीत पाई।
तत्कालीन उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया तक चुनाव हार गए थे। ऐसे में जाट समुदाय से भी किसी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह तय है कि प्रदेशाध्यक्ष किसी राजपूत, ब्राह्मण या वैश्य नेता को नहीं बनाया जाएगा।