तस्कर गैंग ने 25 से ज्यादा परिजन-रिश्तेदार बेटा-बेटी के लिए 20 लाख रुपए में खरीदा एसआई पेपर

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 0 अक्टूबर 2024 |   जयपुरएसआई भर्ती परीक्षा-2021 के मामले में गिरफ्तार सगे बहन-भाई को सोमवार को कोर्ट में पेश कर 11 अक्टूबर तक रिमांड पर ले लिया गया। सूत्रों के अनुसार, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की पूछताछ में दोनों भाई-बहनों ने कई खुलासे किए हैं। 

तस्कर गैंग ने 25 से ज्यादा परिजन-रिश्तेदार बेटा-बेटी के लिए 20 लाख रुपए में खरीदा एसआई पेपर

एसओजी की ओर से एसआई भर्ती परीक्षा-2021 पेपर लीक मामले में 6 अक्टूबर को ट्रेनी SI भाई-बहन दिनेश विश्नोई (27) और प्रियंका विश्नोई (28) को अरेस्ट किया गया था। दोनों ने बताया है कि 24 से ज्यादा ट्रेनी एसआई के रिश्तेदार मादक पदार्थों की तस्करी की गैंग से जुड़े हैं। उधर, दोनों के फरार पिता की भी तलाश की जा रही है।

पेपर लीक तस्कर गैंग ने 25 से ज्यादा परिजन-रिश्तेदार बेटा-बेटी

एसओजी सूत्रों के मुताबिक, प्रारम्भिक पूछताछ में सामने आया है कि राजस्थान पुलिस अकादमी (RPA) में ट्रेनिंग कर रहे 24 से अधिक ट्रेनी SI के परिजन-रिश्तेदार मादक पदार्थ तस्कर गैंग से जुड़े है। SOG टीम ने पूछताछ में सामने आए सभी को चिन्हित कर लिया है। इन सभी की भूमिका की जांच की जा रही है। इनकी पेपर लीक करवाने में क्या भूमिका थी।

20 लाख रुपए में बेटा-बेटी के लिए खरीदा पेपर

एसओजी सूत्रों के मुताबिक, टीम अरेस्ट हुए ट्रेनी SI भाई-बहन के पिता भागीरथ विश्नोई की तलाश में दबिश दे रही है। माना जा रहा है कि पिता भागीरथ के अरेस्ट होने पर SI पेपर लीक मामले में शामिल रहे अन्य मादक पदार्थ तस्करों के बारे में खुलासा हो सकेगा। भागीरथ ने बेटा-बेटी को एसआई बनाने के लिए 20 लाख रुपए में पेपर लिया था।

सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में सामने आया है कि 14 सितम्बर 2024 को गोपाल सहारण ने SI भर्ती परीक्षा का पेपर पढ़वाया था। उसी दिन ओमप्रकाश फौजी ने भी कई अभ्यथियों को लीक हुए पेपर को पढ़वाया था। SOG इन सभी SI भर्ती परीक्षा का पेपर पढ़ने वाले आरोपियों को चिन्हित कर रही है, जिन्हें ओमप्रकाश ने पेपर पढ़वाया था। एसओजी के एडिशनल एसपी राम सिंह ने बताया- मामले में गिरफ्तार दोनों भाई-बहन से पूछताछ की जा रही है।

अब तक 44 ट्रेनी एसआई हो चुके हैं गिरफ्तार

अब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 में पेपर लीक के मामले में एसओजी अब तक 44 चयनित ट्रेनी एसआई और पेपर लीक गैंग से जुड़े 30 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। अभी भी कई ट्रेनी एसआई एसओजी के रडार पर चल रहे हैं। एसओजी ने इसी साल अप्रैल में पहली बार इस एग्जाम से जुड़े ट्रेनी एसआई की गिरफ्तारी की थी।

पहले से हो गया था सब तय

पूछताछ में सामने आया है कि पेपर लीक मामला सामने आने के बाद तय हुआ था कि कोई किसी का नाम नहीं बताएगा। परीक्षा रद्द होने पर भाग जाने की तैयारी थी। परीक्षा रद्द नहीं होने तक चुपचाप रहकर प्रशिक्षण पूरा करेंगे। इसके चलते दोनों भाई-बहन भी चुपचाप ट्रेनिंग ले रहे थे। SOG की रडार पर अब भी पेपर लीक मामले से जुड़े 300 से अधिक ट्रेनी SI है, जबकि 44 को गिरफ्तार किया जा चुका है।

मादक पदार्थ के तीन तस्कर आए सामने

SI पेपर लीक मामले में SOG के सामने अब तक मादक पदार्थ के तीन तस्कर के नाम सामने आ चुके हैं। जोधपुर के मादक पदार्थ तस्कर श्रवण बाबल को एसओजी ने अरेस्ट किया था। उसने अपनी बेटी चंचल व अन्य रिश्तेदारों के लिए SI पेपर खरीदा था। उसकी बेटी चंचल के परीक्षा से पहले पेपर मिलने पर थानेदार बनने पर अरेस्ट किया गया था। वहीं, मादक पदार्थ तस्कर ओमप्रकाश फौजी को भी पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है।

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तस्कर ओमप्रकाश ने जयपुर में फ्लैट किराए पर लेकर दो दर्जन से अधिक परीक्षार्थियों को मोटी रकम लेकर पेपर उपलब्ध करवाया था। एसओजी ने ओमप्रकाश से पूछताछ के बाद कुछ ट्रेनी SI को भी अरेस्ट किया था। पेपर लीक मामले में मादक पदार्थ तस्कर भागीरथ का नाम अब एसओजी के सामने है। पेपर लीक से थानेदार बने बेटे-बेटी को अरेस्ट करने के बाद एसओजी तस्कर भागीरथ की तलाश कर रही है।

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भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने सायबर ठगी की कमर थोड़ी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 अक्टूबर 2024 |  भरतपुर : ‘मुख्यमंत्री पूरे देश में जहां भी जाते थे, उन्हें यही सुनने को मिलता था कि आपके क्षेत्र में साइबर क्राइम बहुत बढ़ रहा है। साइबर ठगी का गढ़ माने जाने वाले उसी मेवात में आज क्राइम 70 प्रतिशत से घटकर 22 पर आ गया है।’

भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने सायबर ठगी की कमर थोड़ी

दैनिक भास्कर से खास बातचीत में यह बात तेज तर्रार भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी और भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने कही। उन्होंने बताया कि मेवात में 74 गैंग ने महज 4 महीने में करीब 3.5 अरब की ठगी कर डाली थी।

भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने सायबर ठगी की कमर थोड़ी

वहां ऑपरेशन एंटी वायरस चलाकर 900 से ज्यादा साइबर ठगों को पकड़ा गया। पुलिस ने खुद 250 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए। ऑपरेशन नंदी प्रहार चलाकर गोलियां बरसाने वाले बेखौफ गौ-तस्करों को जेल में डाला गया।

चंद महीनों में साइबर ठगों का नेटवर्क कैसे तोड़ा? एक्शन प्लान क्या था? डीप फेक, डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर ठगी के नए किस तरह से नई चुनौती बनते जा रहे हैं? पढ़िए- मंडे स्पेशल स्टोरी में ऐसे सवालों पर राहुल प्रकाश के जवाब…

सवाल : 7-8 महीने में बड़ा बदलाव कैसे आया क्या चुनौतियां रही?

राहुल प्रकाश : भरतपुर रेंज आईजी बनने से पहले मैं भरतपुर और अलवर जिलों में एसपी रहा हूं। तब वहां साइबर क्राइम जैसी कोई चीज नहीं थी। अब जब मैं वहां गया तो चीजें हैरान करने वाली थीं। जनवरी में जयपुर में पुलिस कॉन्फ्रेंस हुई तो पता लगा कि डीग जिला साइबर क्राइम के मामलों में देश में नंबर-1 आ चुका है। पहले झारखंड का जामताड़ा ही साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता था।

क्राइम ब्रांच में रहते हुए साइबर क्राइम काे लेकर हमने पहले भी काम किया था। लेकिन यहां चुनौतियां नई थी, इसलिए नए तरीके से एक्शन प्लान किया। साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के पुराने तरीकों को बदला। ऑपरेशन एंटी वायरस चलाया। गौ-तस्करी भी यहां समस्या थी। उसके लिए ऑपरेशन नंदी प्रहार शुरू किया। स्पेशल पुलिस की टीमें बनाकर माॅनिटरिंग की गई। दोनों में अच्छे कंट्रोल हुआ है।

सवाल : मुख्यमंत्री खुद भरतपुर से हैं, ऐसे में वहां जाने से पहले क्या कोई मैसेज था?

राहुल प्रकाश : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भरतपुर को अच्छी तरह से जानते हैं। उनका गृह क्षेत्र है इसलिए वे पूरी तरह से वहां के अपराध को समझते हैं। पूरे देश में वे जहां भी जाते थे यही सुनने को मिलता था कि आपके गृह क्षेत्र में साइबर क्राइम बहुत बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम और गौ-तस्करी के नेटवर्क को पूरी तरह से कंट्रोल करना है।

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सीएम, डीजीपी, डीजी साइबर क्राइम के निर्देशन में डीग पर फोकस किया। दोनों ऑपरेशन पर बात कर उन्हें लागू किया गया। क्योंकि पूरे भारत में चर्चा थी कि राजस्थान के डीग में देश का 70 प्रतिशत साइबर क्राइम होता है। अब वहां आंकड़े देखें तो अपराध घटकर 22 प्रतिशत पर आ गया है।

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सवाल : जो अपराधी पुलिस पर बेखौफ फायरिंग करते थे, उनके हाथ-पैरों में पट्टियां बंधी दिखाई दे रही हैं, क्या पहले पुलिस जाने से डरती थी?

राहुल प्रकाश : ऐसा नहीं है कि पुलिस कहीं भी जाने से डरती है। कई बार परिस्थिति अनुकूल नहीं होती। कई बार चुनौती बदल जाती है। तब ऐसा होता है। डरने वाली कोई बात नहीं है। पहले सबसे बड़ी दिक्कत थी कि पुलिस तंत्र में कुछ स्टेक होल्डर थे। वे काम नहीं करने देते थे। एक्शन नहीं लेने का प्रेशर बनाते थे। पुलिस के कुछ लोग भी शामिल रहते थे।

अब सरकार और डीजीपी की ओर से साफ निर्देश हैं- क्या करना है और क्या नहीं करना है। बस आमजन की शिकायत नहीं आनी चाहिए। पुलिस टीम वही है, जो पहले थी। केवल आईजी, एसपी बदले गए हैं। कई एडिशनल एसपी वहीं हैं। बस हमने काम करने का तरीका बदला है।

पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद साइबर ठग और गौ तस्कर खुद अपराध छोड़ने के वीडियो बना रहे हैं।

पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद साइबर ठग और गौ तस्कर खुद अपराध छोड़ने के वीडियो बना रहे हैं।

सवाल : मेवात के गांवों से इन अपराधियों की पहचान कैसे की?

राहुल प्रकाश : झारखंड पुलिस ने बहुत अच्छी पहल शुरू की थी, जिससे हमें काफी मदद मिली थी। उन्होंने एक प्रतिबिंब पोर्टल बनाया था। जिसमें हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज होने वाली साइबर क्राइम रिपोर्ट उस पोर्टल पर भी अपलोड हो जाती थी। उसे झारखंड पुलिस गूगल लोकेशन पर डालती थी। केंद्र सरकार ने साइबर मामलों के लिए आई4सी (इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर) सिस्टम सेटअप किया था। जो रिपोर्ट वहां होती थी वो डिटेल वे दूसरे राज्यों को भी देने लग गए थे।

ऐसे ही हमारे पास रोजाना एक डाटा आने लगा। उससे पता लगता था कि हमारे किस जिले में किस गांव में किस लोकेशन में साइबर क्राइम हुआ है। हमने तब लोकेशन चेक करनी शुरू की। मेवात में साइबर ठगी के अड्डों का डेटा बनाया। जिसमें उनके नाम और गांव को चिन्हित किया। तब समझ में आया कि उन्हीं गांवों से डेली 15 से 20 ठगी की वारदातें हो रही हैं। फिर पूरे एक्शन प्लान के साथ शिकंजा कसा।

सवाल : अभी सामने आया कि मेवात में 74 गैंग ने 3.50 अरब की साइबर ठगी कर डाली?

राहुल प्रकाश : दरअसल, पोर्टल के जरिए डाटा एनालिसिस हुआ था। जिस मोबाइल से ठगी होती है, उस मोबाइल में जितने भी सिम इस्तेमाल हुए, उनसे कितने रुपए की ठगी हुई। तब सामने आया कि 74 गैंग ने अलग-अलग मोबाइल और सिम का इस्तेमाल कर तीन-चार महीने में करीब 350 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया है।

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हमने नकेल कसना शुरू किया। हमें केवल गूगल लोकेशन मिलती थी कि फलाना गांव के आस-पास एक जगह से 20 कॉल हुई है और इतने करोड़ की ठगी हुई है। हमने तकनीक का सहारा लिया। हमने साइबर ठगों को अरेस्ट करना शुरू किया। उनके मोबाइल कब्जे में लेकर रिकॉर्ड खंगाले। ट्रांजैक्शन का पता लगाया।

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उसके खिलाफ चाहे किसी ने मुकदमा दर्ज करवाया है या नहीं। पुलिस ने खुद डिजिटल एविडेंस के जरिए मुकदमा दर्ज करना शुरू किया। ऐसे में 250 मुकदमे दर्ज कर 900 से ज्यादा साइबर ठगों के अरेस्ट किया। इससे 7 महीने में साइबर ठगी के 70 प्रतिशत मामले कम हुए।

सवाल : डीप फेक भी राजस्थान में बड़ी चुनौती बन गया है?

राहुल प्रकाश : ये ऐसा ट्रेंड शुरू हुआ है, जिसमें मेरी ही आवाज है, लेकिन बोल कोई और रहा है। अभी एक ऐसा केस आया जिसमें कॉल करने वाले ने बेटा की आवाज निकालकर पिता को ठग लिया। उन्हें पता ही नहीं चला कि जिससे बात कर रहा था वो उसका बेटा नहीं है। ऐसा ही डीप फेक में हो रहा है।

आगे ऐसा भी होगा कि आपके पास एक वीडियो कॉल आएंगी। जिसमें आपका परिचित होगा, आपकी आवाज होगी, चेहरा भी होगा। लेकिन वो हकीकत में कोई और होगा। आपसे नॉर्मल बात होगी फिर पैसों की डिमांड होगी। आप पहचान ही नहीं पाओगे कि क्या हुआ है। किसने ठगा है। ऐसे में साइबर क्राइम का ट्रेंड बहुत तेजी से बदल रहा है।

सवाल : इस तरह के साइबर क्राइम से बचने का क्या उपाय है?

राहुल प्रकाश : लोगों को सतर्क रहना होगा। मीडिया लोगों को जागरूक करने में बहुत अच्छी भूमिका निभा रहा है। बचने का तरीका सिंपल है। अगर आपके पास कोई कॉल आया है कि आपके बेटे ने एक्सीडेंट कर दिया या रेप या कोई भी अपराध कर दिया है। उसे छोड़ने के लिए रुपए की डिमांड करते हैं तो सबसे पहले तो आप डरिए नहीं। किसी के झांसे में नहीं आएं। पुलिस थाने में संपर्क करें।

खुद पर विश्वास करना पड़ेगा। अगर ऐसा कुछ हुआ है तो उसमें सजा मिलनी चाहिए। आप कॉल पर बचने का रास्ता खोजेंगे तो ठगे जाएंगे। कोई अपराध किया है तो बोलिए कि ठीक है हम वकील लेकर आ रहे हैं। जांच करेंगे कि अपराध किया है या नहीं।

कोई आपसे बोल रहा है कि आपका बच्चा नशे की तस्करी में पकड़ा गया तो आपको बच्चे पर भरोसा होना चाहिए वो कर सकता है या नहीं। कहने का मतलब है पहले कंफर्म करें ऐसा हुआ भी है या नहीं। बच्चे से बात करवा रहे हैं तो ध्यान रखिए वो आवाज डीप फेक से कन्वर्ट हो सकती है। इसलिए सतर्क रहते हुए बिना डरे पुलिस की मदद लें। किसी को मेहनत से कमाए रुपए नहीं भेजें।

सवाल : डिजिटल अरेस्ट के मामले बहुत आ रहे हैं, पढ़े-लिखे लोग भी ठगे जा रहे हैं?

राहुल प्रकाश : डिजिटल अरेस्ट में ठग आपका कैमरा ऑन करवा देता है। कमरे में बंद करवा देता है। किसी से बात नहीं करने देता। वो कैमरे से नजर रखते हैं। अपने आप को बड़ा अधिकारी बताकर डराते हैं। आप बचने के लिए किसी को बताते नहीं। साइबर ठगों पर नकेल कसने के लिए भरतपुर के मेवात क्षेत्र में ऑपरेशन एंटी वायरस चलाया गया था।

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ठग इतने शातिर हैं कि किसी के खाते में रुपए नहीं तो उसे उसके ही डॉक्युमेंट्स पर इंस्टेंट लोन दिलाते हैं। ये सारी चीजें तभी संभव है, जब आप गलत है। गलत हुआ है तो पुलिस का सामना करे। गलत नहीं किया तो 100, 1930 पर कॉल कर पुलिस को बताए। पुलिस आपकी पूरी मदद करेगी। बचने या शॉर्टकट का तरीका मत अपनाइए।

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सवाल : मेवात में 13 साल का बच्चा सेक्सटॉर्शन के आरोप में पकड़ा गया था, क्या गैंग में बच्चों को शामिल किया जा रहा है?

राहुल प्रकाश : पैसों का लालच देकर शातिर बच्चों को इस तरह के अपराध में शामिल कर रहे हैं। वो ये समझते हैं कि पकड़े जाने पर बच्चे आराम से छूट जाते हैं। बीते कुछ महीनों में 100 से ज्यादा बच्चों को भी पकड़ा, जो साइबर क्राइम में शामिल थे। कोर्ट से भी उन्हें जमानत नहीं मिली है। उन्हें बाल सुधार गृह में रखा गया है। जहां उनका फोकस पढ़ाई पर करवाया जा रहा है।

सवाल : छोटे-छोटे बच्चे कहां से सेक्सटॉर्शन की ट्रेनिंग लेते हैं, कैसे अंजाम देते हैं?

राहुल प्रकाश : सेक्सटॉर्शन में 10 साल के बच्चे से लेकर 35 साल तक के युवा पकड़ में आए हैं। ये एक-दूसरे को सिखाते हैं। पैसा और रोजगार नहीं होने की वजह से छोटे-छोटे बच्चों को लगा देते हैं। ये तीन तरीके से सेक्सटॉर्शन करते हैं।

सबसे पहले आपकी प्रोफाइल को फेसबुक और सोशल मीडिया पर सर्च करते हैं। वहां से प्राेफाइल फोटो ले लेते हैं। दिखने में कोई पैसे वाला लगता है तो उसे हेलो का मैसेज भेजते हैं। आपने रिप्लाई कर दिया तो फिर सिलसिला शुरू हो जाता है।

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लड़की की आवाज में बात करने के लिए एयर फंक डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। इस डिवाइस से आवाज को मोटा या पतला किया जा सकता है। पहले नाॅमर्ल कॉल करते हैं। फिर वीडियो कॉल करते हैं। अश्लील वीडियो कॉल कर उसे रिकॉर्ड कर लेते हैं। फिर ब्लैकमेल करने लगते हैं। बाद में इनके ठेकेदार सामने आते हैं। वहीं डील करते हैं।

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दूसरा तरीका ये है कि यूट्यूब का अधिकारी बनकर कॉल करते हैं। बोलते है कि एक आपका वीडियो यूट्यूब पर अपलोड होने के लिए आया है। क्या करना है, जल्दी बताओ। उनसे रुपए मांगते हैं। तब आदमी झांसे में आ जाता है और ठगों को रुपए दे देता है।

तीसरा तरीका ऐसा होता है कि लोग बिल्कुल घबरा जाते हैं। सेक्सटॉर्शन का वीडियो बनाने के बाद पुलिस अधिकारी बनकर कॉल करते हैं। रिपोर्ट दर्ज नहीं करने की बात पर रुपए मांगते हैं।

सवाल : बुलडोजर पुलिसिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा है, आगे चैलेंज रहेगा?

राहुल प्रकाश : बुलडोजर की कार्रवाई हमारे यहां नियमानुसार हुई है। हमने पहले उन लोगों को नोटिस दिए। जो अवैध संपत्तियां थीं, सरकारी या फिर वन विभाग में बने हुए मकान थे और जो अपराध की काली कमाई से बनाए गए थे। उन्हें नियमानुसार तोड़ा गया। हमने अवैध निर्माण पर ही कार्रवाई की है जोकि गलत नहीं है।

सवाल : साइबर क्राइम को रोकने के लिए आगे क्या प्लानिंग रहेगी?

राहुल प्रकाश : किराए के बैंक खाते बड़ी समस्या है। साइबर ठगी के पैसों को निकालने के लिए ये सेविंग अकाउंट किराए पर खुलवाते हैं। उन खातों में 20 से 30 ट्रांजैक्शन होते हैं। नॉर्मल खातों में 2 से 5 ही ट्रांजैक्शन होते हैं। ठगी का अमाउंट भी बड़ा होता है। अगर एआई सॉफ्टवेयर से ऐसे अकाउंट को आइडेंटिफाई कर पुलिस को बताया जाए तो इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

सवाल : मेवात में गौ-तस्करों में कोई खौफ भी नजर नहीं आता?

राहुल प्रकाश : तस्करों को गाय बहुत सिंपल तरीके से बाजार, जंगल, खेतों में मिल जाती है। 35 से 40 हजार रुपए तक बिक जाती है। मोटी कमाई के लालच में ये पुलिस पर सीधे फायरिंग करते हैं। अपने पास हथियार रखते हैं। मरने-मारने पर तैयार रहते हैं।

सीसीटीवी कैमरे में कैद गौ तस्कर। यह तस्वीर डीग की है, जहां कुछ गौ-तस्कर गौ-वंश को ले जाते हुए दिख रहे हैं।

सीसीटीवी कैमरे में कैद गौ तस्कर। यह तस्वीर डीग की है, जहां कुछ गौ-तस्कर गौ-वंश को ले जाते हुए दिख रहे हैं।

पूछताछ में सामने आया है कि गाय की खाल, हड्डी, मांस अलग-अलग कर बेचते हैं। बॉर्डर पार कर हरियाणा, यूपी में बेचते हैं। आगे भी सप्लाई करते हैं। मेवात ही नहीं बहुत सार जिले दौसा, झुंझुनूं, जोधपुर, पाली जैसे जिलों में भी गौ तस्करी कर दूसरे राज्य में ले जाते हैं। गौ तस्करी के लिए हर बार नया तरीका अपनाते हैं।

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एक ताजा उदाहरण बताता हूं कि अभी एक तस्कर पकड़ा था, जो एक स्विफ्ट गाड़ी में दो गायों को ले जा रहा था। जब पुलिस रात के समय में गश्त करती है। सख्ती होती है तब ये इस तरह के तरीके निकालते हैं। एक बार दूध के टैंकर के अंदर गायों को ले जाते हुए पकड़ा था। टैंकर का पिछला हिस्सा काटकर गायों को भर रखा था। यहां तक कि फॉर्च्यूनर जैसी लग्जरी गाड़ियों, कपड़े रखने की अलमारी में भी रखकर ले जाते हुए पकड़े गए हैं।

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सवाल : पहले हाईवे लूट, फिर टटलूबाजी और अब साइबर ठगी…अपराध का बदल रहा है, अपराधी नहीं?

राहुल प्रकाश : गांव के सभी लोग ऐसे नहीं है। अच्छे लोग भी हैं। फौजी, डॉक्टर और टीचर भी हैं। हमने धर्म गुरुओं को साथ लेकर बड़ी-बड़ी पंचायत की। वहां अपराधियों ने कुरान की कसमें खाकर साइबर क्राइम, गौ तस्करी छोड़ने का वादा भी किया। पुलिस की सख्ती के साथ सामाजिक स्तर पर पहल का असर भी दिख रहा है। आगे भी हम ऐसे ही प्रयास जारी रखेंगे। डीग जिला नया बना है। यह पहला ऐसा जिला है, जहां पर हमने साइबर क्राइम का थाना बनाया है। अलग से पूरी टीम है, जो साइबर क्राइम पर काम कर रही है।

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ACB की छापेमारी के बाद कोटा संभागीय आयुक्त आईएएस राजेंद्र विजय APO

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 अक्टूबर 2024 |   जयपुरराजस्थान के सीनियर आईएएस राजेंद्र विजय के ठिकानों पर बुधवार सुबह भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीमों ने रेड की है। छापेमारी के बाद विजय को कोटा संभागीय आयुक्त से हटा दिया गया है। सरकार ने उन्हें एपीओ कर दिया है। 

ACB की छापेमारी के बाद कोटा संभागीय आयुक्त आईएएस राजेंद्र विजय APO

एजेंसी लंबे समय से विजय पर नजर रख रही थी। एसीबी ने मंगलवार को कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट और शिकायत को रखा, जिसके आधार पर कोर्ट ने सर्च के आदेश दिए। बुधवार सुबह करीब साढ़े 6 बजे से राजेन्द्र विजय के 4 ठिकानों पर एसीबी सर्च कर रही है।

ACB की छापेमारी के बाद कोटा संभागीय आयुक्त APO

विजय के कोटा में 2 और जयपुर के एक ठिकानों पर सर्च की जा रही है। वहीं, दौसा में उनके पैतृक घर को फिलहाल सील किया गया है। आईएएस के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायतें हैं।

25 सितंबर को ही कोटा संभागीय आयुक्त का चार्ज लिया था

राजेंद्र विजय को एसीबी की छापेमारी शुरू होने के करीब चार घंटे बाद संभागीय आयुक्त के पद से हटा दिया गया। उन्हें आठ दिन पहले ही पोस्टिंग मिली थी। कोटा में उनके सरकारी आवास और ऑफिस की तलाशी ली जा रही है। विजय के जयपुर में तारों की कूट स्थित आवास पर भी टीम सुबह से मौजूद है।

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राजेन्द्र विजय मूलतः दौसा जिले के दुब्बी गांव के निवासी हैं। बुधवार सुबह टीम दुब्बी में उनके घर पहुंची तो गांव में खलबली मच गई। डिप्टी एसपी नवल मीना ने कार्रवाई करते हुए उनके मकान को सील कर दिया। कार्रवाई के दौरान विजय के पैतृक घर पर कोई मौजूद नहीं था। ऐसे में उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद सर्च की कार्रवाई होगी।

राजेंद्र विजय ने 25 सितंबर को कोटा संभागीय आयुक्त का कार्यभार संभाला था। विजय लंबे समय से भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर विवादों में रहे हैं।
राजेंद्र विजय ने 25 सितंबर को कोटा संभागीय आयुक्त का कार्यभार संभाला था। विजय लंबे समय से भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर विवादों में रहे हैं।
कोटा कलेक्टर को अतिरिक्त जिम्मेदारी

राजेंद्र विजय की जगह कोटा के संभागीय आयुक्त की अतिरिक्त जिम्मेदारी कोटा कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी को दी गई है। कार्मिक विभाग के संयुक्त शासन सचिव कनिष्क कटारिया ने एपीओ आदेश जारी किए हैं।

7 दिन पहले ही जॉइन किया था कार्यभार

आईएएस राजेंद्र विजय प्रमोटी आईएएस हैं। उन्हें वर्ष 2010 का बैच मिला है। 7 दिन पहले ही 25 सितंबर को उन्होंने कोटा संभागीय आयुक्त का पदभार ग्रहण किया था। 17 दिन पहले उनका ट्रांसफर राजस्थान शहरी पेयजल सीवरेज एवं अवसंरचना निगम लिमिटेड में कार्यकारी निदेशक के पद पर किया गया था लेकिन 22 सितंबर को जारी ट्रांसफर लिस्ट में उन्हें कोटा का संभागीय आयुक्त बना दिया था। इससे पहले वे करीब 8 महीने तक नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी रहे हैं।

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