मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 17 जुलाई 2024 | जयपुर : जल जीवन मिशन(जेजेएम) घोटाले मामले में एसीबी और ईडी के बाद अब सीबीआई भी एक्टिव हो गई है। सीबीआई दिल्ली ने इस केस में पूछताछ के लिए समन भेजकर दिल्ली बुलाना शुरू कर दिया है। जो आरोपियों के घर पहुंच चुका है। कुछ को गुरुवार को दिल्ली बुलाया गया है। जो जेल में हैं। उनके लिए कोर्ट से परमिशन मांगी गई है।
जल जीवन मिशन घोटाले में सीबीआई की एंट्री आरोपियों को समन जारी
दरअसल, जयपुर एसीबी ने जेजेएम से जुड़े हुए कुछ अधिकारियो, ठेकेदारों के खिलाफ 8 अगस्त 2023 को एक एफआईआर दर्ज की थी। यह एफआईआर एसीबी के सीआई राजेश राव की ओर से दर्ज कराई गई थी।
इसमें बताया गया था कि 6 अगस्त को उनके पास सूचना आई थी की जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) में टैंडर प्राप्त करने, बिलों के भुगतान और कार्य में अनियमित्ताओं के लिए अवैध संरक्षण प्राप्त करने के लिए ठेकेदार पदम जैन ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को रिश्वत देने लिए होटल में बुलाया हैं।
7 अगस्त को एसीबी ने ट्रैप की कार्रवाई करते हुए 2.20 लाख रुपए की राशि लेते हुए अधिकारियों को ट्रैप किया था। जांच में एसीबी ने 10 लोगों को इस केस में आरोपी बनाया था।
एसीबी ने इनको बनाया था आरोपी
- PHED विभाग में अलवर के बहरोड़ में पोस्टेड एक्सईएन मायालाल सैनी (52) पुत्र छाजुराम सैनी निवासी 1104, कोठी की ढाणी, सिंघाणा, भैसावत कंला, झुन्झुनू (तहसील बुहाणा)।
- नीमराणा में पोस्टेड जेईएन प्रदीप (35) कुमार पुत्र गजराज निवासी गांव सिरयाणी पुलिस थाना शाहजहांपुर तहसील निमराणा जिला अलवर।
- नीमराणा में पोस्टेड असिस्टेंट इंजीनियर राकेश सिंह (31) पुत्र ओमपाल सिंह निवासी ग्राम गूगल कोटा, पुलिस थाना शाहजहांपुर तहसील निमराणा जिला अलवर। हाल सहायक अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग निमाराणा जिला अलवर
- श्री श्याम ट्यूबेल कंपनी का सुपरवाइजर मलकेत सिंह (37) पुत्र गोपाल सिंह उम्र निवासी राजपुतो का मौहल्ला, सांगानेर, झाई, जयपुर।
- ठेकेदार पदमचंद जैन (61) पुत्र रामकरण जैन निवासी मकान नं0 09, कान्ति नगर, स्टेशन रोड़, पोलो विक्ट्री जयपुर।
- दलाल प्रवीण कुमार अग्रवाल (51) पुत्र सतीश कुमार अग्रवाल निवासी मकान नं 90, इस्कॉन रोड़, इस्कॉन मन्दिर के पास, मानसरोवर, जयपुर।
- फर्म गणपति ट्यूबवेल कम्पनी का ठेकेदार महेश मित्तल।
- इसके अलावा उमेश शर्मा और पियूष जैन पुत्र पदमचन्द जैन को आरोपी बनाया गया।
- इनके अलावा भी अन्य लोक सेवक और प्राईवेट व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है।
राजस्थान में जल जीवन मिशन की जांच में सीबीआई को कई और मामले मिल सकते हैं। उक्त परियोजना में वित्त विभाग के अफसरों ने पहले पेयजल विभाग पीएचईडी के राजस्व का पैसा राज्य सरकार की संचित निधि में जमा करवाने के बजाय सीधे RWSSC के पीडी खातों में कर दिया। इसके बाद RWSSC से भी यह राशि सीधे जलजीवन मिशन के खातों में की गई। जबकि CAG ने इस पर बार-बार आपत्ति जताते हुए वित्त विभाग को ऐसा करने से मना किया था।
वित्त विभाग ने सीएजी को लिखे पत्र में RWSSC की तुलना DISCOMs से करते हुए मामले को ठंडा करने की कोशिश की। लेकिन सीएजी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। सीएजी ने लिखा कि DISCOMs द्वारा विद्युत संबंधी योजनाओं के निर्माण, संचालन से जुड़े सभी व्यय विद्युत आपूर्ति से प्राप्त राशि व स्वयं व अन्य के वित्तीय स्त्रोतों से किए जाते हैं। न की राज्य सरकार की संचित निधि से।
जबकि जलापूर्ति योजनाओं के संबंध में राजस्व तथा पूंजी व्यय राज्य की संचित निधि से किया जा रहा है। इसमें RWSSC द्वारा जल राजस्व से प्राप्त राशि सीधे पीडी खातों में जमा करवाई जा रही है, जो राज्य की संचित निधि से बाहर है।
सीएजी ने यह भी लिखा कि RWSSC के खातों की जांच से पता चला कि यह राशि सीधे जल जीवन मिशन में ट्रांसफर की जा रही थी। इस तरह से राशि ट्रांसफर होने से वह संचित निधि का भाग नहीं बन पाती और विधायिका के संज्ञान में भी नहीं आ पाती।
सिर्फ इन्होंने यह राशि ही सीधे ट्रांसफर नहीं की, बल्कि पूर्व संग्रहित किए गए को भी ट्रांसफर एंट्री से सीधे पीडी खातों में ट्रांसफर किया और उसे विधानसभा की अनुमति के बिना ही खर्च कर दिया।