तांत्रिक ने भूत भागने के नाम बच्चियों का रेप किया

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 18 जुलाई 2024 | जयपुर : साल 2021, जगह पुणे। एक घर हवन के धुएं से भरा हुआ है। हर पांच मिनट बाद धुआं और बढ़ता जा रहा है। एक बाबा ने करीब आधे घंटे अकेले हवन करने के बाद घर की सबसे छोटी बच्ची को हवन कुंड के पास बिठा लिया है। कुछ देर बाद बाबा, अपनी जगह से उठते हैं और बच्ची के पिता गोविंद से कहते हैं, इस पर प्रेत का साया है।

तांत्रिक ने भूत भागने के नाम बच्चियों का रेप किया

मैं इसे अंदर के कमरे में ले जाकर पूजा करने वाला हूं। आपको कोई दिक्कत? जवाब आता है- नहीं बाबा जी। बाबा कमरे में जाते हैं। कुछ देर बाद कमरे से  आती है। घर वालों को लगता है कि भूत शरीर छोड़ रहा है। आधे घंटे बाद बच्ची रोती हुई बाहर आती है और परिजन बाबा के पैर छूते हैं, उन्हें दक्षिणा देकर विदा करते हैं। ये वही बाबा है जिसने घर के नीचे गड़े धन का लालच देकर पीड़ित परिवार को अपने जाल में फंसाया।

तांत्रिक ने भूत भागने के नाम बच्चियों का रेप किया

फिर परिवार की बच्चियों पर भूत का साया बता कर रेप किया। डेढ़ महीने बाद बाबा ने ऐसा ही हवन परिवार की दूसरी बच्ची के साथ किया। और डेढ़ महीने बाद तीसरी बच्ची के साथ। ऐसा 6 महीने तक वो घर की पांच बच्चियों के साथ करता रहा।

इन सभी बच्चियों की उम्र 5 साल से 15 साल के बीच थी। 6 महीने बाद बाबा ने एक नई पूजा कराने की बात कही। इसके लिए गोविंद के बड़े भाई की दूसरी बेटी, जिसकी उम्र तब 16 साल थी, उसे दो दिनों तक अपने घर पर रखा।

पूरे एक दिन तक संपर्क नहीं होने के बाद घर वालों ने खोजबीन शुरू की। उसके अगले दिन पुलिस को सूचना दी और फिर परतें खुलीं। पता चला कि बाबा इस बच्ची के साथ बीते दो दिनों से रेप कर रहा था। उसके बाद इस बात का भी खुलासा हुआ कि परिवार की बाकी बच्चियों के साथ भी वह यही हरकतें करता था। कहानी उस परिवार की बच्चियों की, जिनका एक बाबा ने भूत भगाने के नाम पर शोषण किया…इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत बाबा पर मुकदमा दर्ज हुआ है और वह अभी जेल में है।

इसलिए हम परिवार की पहचान जाहिर नहीं कर रहे हैं… मैं जब पुणे के एक मोहल्ले में पहुंचा, तो पीड़ित परिवार का घर ढूंढने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। जिससे भी पूछा, सभी ने झुग्गियों की तरफ टूटते मकान के पास जाने का इशारा किया। सड़क से चार फीट नीचे हो चुके मकान में तोड़-फोड़ जारी थी। घर के बाहर सामान बिखरा पड़ा था।

पता चला कि परिवार में लोग ज्यादा हो गए हैं, अब नए मकान की जरूरत है। बाबा के प्रकोप से बीते तीन साल से उबरने की कोशिश कर रहा यह परिवार अब नया घर बनवा रहा है। काफी देर तक समझाने के बाद परिवार की मुखिया और बच्चों की दादी रजनी (बदला हुआ नाम) बात करने को तैयार हुईं। चेहरे पर बुझी हुई रौनक, जिसे नया घर बनने की खुशी से वो छुपाने की कोशिश कर रही हैं।

बातचीत के दौरान वो मेरी तरफ कम देखती हैं और नया कंस्ट्रक्शन निहारती रहती हैं। अरे वो खुद करीब आया। पहले उसने कहना शुरू किया कि मैं इन बच्चों का मामा हूं। शुरू-शुरू में दो-ढाई महीने पर आता था, तो सामने मंदिर में दो- तीन घंटे की पूजा करता था। फिर धीरे-धीरे घर आने लगा।जब घर आने लगा तो कहना शुरू किया कि ऐसा घर मैंने पहले नहीं देखा।

छोटे बेटे को किनारे ले जाकर अलग से बातें करता था। उससे कहता था कि तुम्हारे घर के नीचे सोना और पैसा गड़ा है। पूजा करानी पड़ेगी, वर्ना परिवार में कोई न कोई मरता रहेगा। मेरा बेटा उसकी चाल में फंस गया।’यह वही कमरा है जहां बाबा बच्चियों के साथ पूजा के नाम पर उनका शोषण करता था। घटना के बाद परिवार ने इसे तुड़वाकर बाथरूम बनवा दिया है।

मैंने बच्चों के चाचा और बाबा से लगातार बातचीत में रहने वाले गोविंद (बदला हुआ नाम) से बात की। वो बताते हुए भावुक हो जाते हैं।कहते हैं- ‘शुरुआत में उसने हमारे पूर्वजों और परिवार के बारे में कुछ पुरानी बातें बताईं। हमें लगा कि इसके पास कुछ शक्ति है। वह बाहर या पूजा घर में आकर, पूजा-पाठ कर चला जाता था। हर बार आता तो कम से कम पांच हजार फीस लेता था।

फिर धीरे-धीरे बच्चों से घुलने-मिलने लगा। खुद को मामा कहलवाने लगा। एक दिन वो बिना बुलाए आया। पूजा-पाठ का सामान मंगाया। नारियल, नींबू, काला कपड़ा, सिंदूर, नमक, लोबान वगैरह। उसने हवन-पूजा की और मेरी मंझली भतीजी की तरफ इशारा करके कहने लगा, इस पर किसी ने टोटका कर दिया है, अगर दूसरी पूजा नहीं हुई तो दो महीने में मर जाएगी। हम लोग डर गए।

उसने उस रात मेरी भतीजी को हवन पर बिठाए रखा और बेंत से बहुत मारा। वो दर्द से चिल्लाती थी और हमें लगता था कि प्रेत भाग रहा है।इसके बाद वो लगातार घर में आने लगा और इसी बीच उसने मुझसे जमीन के अंदर सोना-चांदी होने की बात कही। मैं और परिवार के बाकी लोगों पर तब तक तीन लाख का कर्जा हो चुका था।

हमने सोचा कि एक पूजा और करा लेते हैं, क्या पता कुछ पैसा मिल ही जाए।वो जब भी आता पूजा करने बैठ जाता। वो बच्चियों को बुलाता और उनको नींबू की माला पहना देता। कभी सिर पर नींबू काटता, तो कभी पेट के बल सुलाकर पीठ पर। इसके बाद कमरे में धुआं कर देता था और फिर उन्हें यहां-वहां छूता था।’

बच्चियों के चाचा गोविंद को इस बात का अपराधबोध है कि उनके घर में बाबा बेटियों के साथ गलत करता रहा और वह कुछ नहीं कर पाए।गोविंद इसके बाद फूट कर रोने लगे। मैंने उन्हें पानी दिया और देखा कि उनकी उंगलियां कांप रही हैं। उन्होंने मुझसे हाथ जोड़ा और आगे बात करने से मना कर दिया।

कुछ समय बाद बगल में बैठी परिवार की बड़ी बहू और पीड़िता की मां विनिता (बदला हुआ नाम) बोल पड़ीं- ‘बेटी रोते हुए कमरे से निकलती थी। पूछने पर कुछ भी नहीं बोलती थी। जब बाबा बाहर निकलता था, तो मैं पूछती भी थी। वो कहता था- अरे, उस पर भूत था, जब छोड़ता है तो ऐसा ही होता है।

पहले ये सब बाहर के कमरे में ही करता था, लेकिन कुछ समय बाद वो बच्चियों को दूसरे कमरे में ले जाने लगा। वो पहले पूछता था, अगर दरवाजा बंद करूं, तो कोई प्रॉब्लम? हम लोग मजबूरी में कहते थे, आपको ये सब मामा कहते हैं, आप पर भरोसा है। वो कमरे में जाता था और लाइट बंद कर देता था। हम लोग चुपचाप बैठकर थोड़ी देर बाद बच्चों की चीखें सुनते थे।

उसके साथ कमरे में जाने के बाद किसी को कुछ याद नहीं रहता कि वह बंद कमरे में क्या करता है। उसने एक बार मेरी देवरानी को भी कमरे में बंद किया। मेरी देवरानी ने भी बताया कि उसे कुछ याद नहीं वो पूरी रात ऐसे ही बैठी रहती थी। ‘बच्चियों की मां विनीता जब बेटियों के चिल्लाने पर बाबा से सवाल करतीं तो वह कहता था- उस पर भूत था, जब छोड़ता है तो ऐसा ही होता है।

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हमने नंदिनी जाधव से बात की। नंदिनी महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के साथ काम करती हैं। इन बच्चियों ने सबसे पहले नंदिनी को ही सारी बातें बताई थीं। वो बताती हैं- ‘बाबा ने इस परिवार की 16 साल की बच्ची को किडनैप कर लिया था। पूरा परिवार रो रहा था। छोटी बच्चियां गुमसुम बैठी थीं।

दादी ने सारी कहानी बताई तो हमें शक हुआ। इसके बाद मैंने बच्चियों को बारी-बारी से अलग ले जाकर पूछना शुरू किया। उन्होंने जो बताया वो सुनकर मेरे होश उड़ गए। किसी ने बताया कि उन्हें लिटाकर पूरे शरीर पर नींबू का रस लगाता था। प्राइवेट पार्ट्स पर सुपारी रखता था।

मैंने तभी तय कर लिया था कि इसे सजा दिला कर रहेंगे। चार साल हो गए, पॉक्सो एक्ट लगा है, जिसमें सारी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होती है, लेकिन उसे अभी सजा नहीं हुई है। वो कई बार समझौते के लिए प्रस्ताव भी भेज चुका है।’

ये नंदिनी जाधव हैं, महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के साथ काम करती हैं। पीड़ित बच्चियों ने इनसे ही सबसे पहले अपने साथ हुई ज्यादती का खुलासा किया।इसी परिवार की सबसे बड़ी बेटी को शुरुआत से ही बाबा पर भरोसा नहीं था। वो बाबा के घर आने का विरोध करती थी। परिजनों को लगता था कि वो बेवजह ऐसी बातें कर रही है।

अब बाबा की करनी सामने आने के बाद उसकी मां कहती हैं- बड़ी बेटी से बाबा बहुत चिढ़ता था। कहता था कि तुम्हारे घर में बहुत ज्यादा पैसा-सोना है, उसके लिए तुम्हें इस बेटी की बलि देनी पड़ेगी। अगर इसे बचाना है तो एक ही उपाय है कि इसकी पूजा करानी पड़ेगी।हम लोग डर जाते थे कि हमारी बहू-पोती ठीक रहे और कुछ नहीं चाहिए।

वह जब भी आता था तब पैसे मांगता रहता था। उसके चक्कर में 5 लाख रुपए खर्च हो गए। उसने हमें इतना सताया कि हम दाने-दाने को मोहताज हो गए। मैंने घर के सारे गहने बेचकर उसको पैसे दिए। जबकि वो मेरी बेटियों का रेप करता रहा। उसमें कीड़े पड़ेंगे।’

बात करते- करते विनिता गुस्से से भर जाती हैं। आंचल से चेहरा पोछती हैं और दोनों बेटियों को गोद में भींच लेती हैं। वो कहतीं है- मुझे इस बात का सबसे ज्यादा दुख होता है कि मां होकर भी मैंने ये सब कैसे होने दिया। मुझे जरा भी आभास नहीं हुआ। मैं ये सब याद नहीं करना चाहती हूं, लेकिन भूल भी नहीं पाती। मैं बेटियों से पूछती थी, तो वो कुछ नहीं बताती थीं।

मैंने परिवार की मुखिया रजनी से बातचीत शुरू की। उन्होंने बताया कि इस घटना से पूरा परिवार बर्बाद हो गया। वो कहती हैं, मेरी नातिन की सगाई टूट गई। लड़के वाले बहुत अच्छे थे। बाबा को जेल भिजवाने में उन्होंने बहुत मदद की। फिर बोले- हम लोग शादी नहीं कर पाएंगे।

मायके वालों ने मुझे मेरी ही भतीजी की शादी में नहीं बुलाया। भाभी को लगता है कि मैं उनके घर आऊंगी, तो कुछ टोटका कर दूंगी। पति की मौत हुई, तो भाई मुझे मायके ले जाने नहीं आया। मैंने भी रिश्ता तोड़ ही दिया है, लेकिन मायका कहां छूटता है।’

दादी रजनी बताती हैं कि वो परिवार की सभी बच्चियों को हमेशा पास रखती हैं। एक दिन के लिए भी अकेले नहीं छोड़ती हैं। उन्हें गर्ल्स स्कूल में भेजा जाता है और वह खुद स्कूल तक छोड़ने जाती हैं। हमने पुणे में अंध श्रद्धा के उन्मूलन के लिए काम कर रहे मिलिंद देशमुख से बाबाओं के पैटर्न को समझने की कोशिश की।

मिलिंद इस केस से भी जुड़े रहे हैं। वो बताते हैं, बाबाओं का यह सिंपल पैटर्न है। या तो डर का कारोबार करो या लालच का। यहां बाबा ने पहले लालच दिखाया और फिर डर बैठाना शुरू किया। उसने देखा कि घर में सिर्फ लड़कियां हैं, तो इन्हें लड़के का लालच दिया जा सकता है।

उसने तकरीबन पांच लाख रुपए पूजा और अपनी फीस के नाम पर खर्च करा दिए। जब परिवार कर्ज में डूब गया, तो लालच दिया कि जमीन के नीचे धन है, वो पूजा करने के बाद बाहर निकल सकता है। परिवार इस ट्रैप में भी फंस गया और फिर जो हुआ वो सबके सामने है।

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MOOKNAYAK MEDIA

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कलेक्टर टीना डाबी ने स्पा-सेंटर का गेट तुड़वाया, संदिग्धावस्था में 5 लड़कियां मिलीं

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 अक्टूबर 2024 | जयपुर – बाड़मेर :  बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी ने शहर में सफाई अभियान के निरीक्षण के दौरान एक स्पा सेंटर पर भी छापा मारा। कलेक्टर को देखकर सेंटर मालिक ने अंदर से लॉक लगा लिया। जब काफी कोशिश के बाद भी उसने गेट नहीं खोला तो डाबी ने यूआईटी अधिकारियों की मदद से गेट तोड़ दिया।

कलेक्टर टीना डाबी ने स्पा-सेंटर का गेट तुड़वाया, संदिग्धावस्था में 5 लड़कियां मिलीं

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सेंटर से 5 लड़कियों सहित 7 लोगों को हिरासत में लिया गया है। कलेक्टर टीना डाबी ने देह व्यापार की आशंका जताई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर टीना डाबी पूरी कार्रवाई के दौरान वहीं मौजूद रहीं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।

कलेक्टर टीना डाबी पूरी कार्रवाई के दौरान वहीं मौजूद रहीं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।

डाबी ने धमकाया – क्यों छुप रहा है, अब तो मैं यहीं खड़ी रहूंगी

दरअसल, बाड़मेर में ‘नवो बाड़मेर अभियान’ चलाया जा रहा है। बुधवार को सुबह 9 बजे चामुंडा सर्किल से चौहटन सर्किल पर सफाई की जा रही थी। इस दौरान करीब 9 बजे जिला कलेक्टर टीना डाबी भी पहुंची थीं।

कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों को देख स्पा सेंटर संचालक ने मुख्य दरवाजे के साथ एंट्री गेट को बंद कर दिया था। इस पर टीना डाबी को शक हुआ तो उन्होंने सेंटर संचालक को गेट खोलने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माना।

वे करीब 30 मिनट तक यहां खड़ी रहीं

डाबी ने बाहर से फटकार लगाते हुए कहा- छुप क्यूं रहा है.. अब तो मैं तब तक खड़ी रहूंगी जब तक गेट नहीं खुल जाए। चाहे दरवाजा तोड़ना पड़े। हिरासत में लिए गए सभी लोगों से पूछताछ की जा रही है। सेंटर के लाइसेंस व दूसरे डॉक्युमेंट भी चेक किए जा रहे हैं।

हिरासत में लिए गए सभी लोगों से पूछताछ की जा रही है। सेंटर के लाइसेंस व दूसरे डॉक्युमेंट भी चेक किए जा रहे हैं।

अतिरिक्त कलेक्टर छत से सेंटर के अंदर घुसे

गेट तोड़ने की कार्रवाई के दौरान बाड़मेर शहर के अतिरिक्त कलेक्टर राजेंद्र चांदावत सेंटर के अंदर छत पर मौजूद दूसरे गेट से घुस गए। सेंटर का एक गेट बाहर से तोड़ा गया व दूसरा अंदर से एडीएम ने खोला। इसके बाद अंदर घुसे अधिकारियों ने वहां मौजूद 7 लोगों को हिरासत में लिया।

2 लड़के और 5 लड़कियां शांतिभंग में गिरफ्तार

सदर सीआई सत्यप्रकाश ने बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों को वेरिफिकेशन के लिए कोतवाली थाने भेजा गया है। दो लड़के और 5 लड़कियों को शांतिभंग में गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक जानकारी में सामने आया कि इन 5 लड़कियों में से ही कोई एक स्पा संचालक है, जिसकी जानकारी जुटाई जा रही है।

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नग्नता का नंगा नाच करते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 01 अक्टूबर 2024 |  जयपुर : (प्रियंका सौरभ का आलेख) जीवन का चरमसुख अब फॉलोअर्स पाने और कमेंट आने पर निर्भर हो गया है। फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर नग्न अवस्था में तस्वीरें शेयर कर आज लड़कियां लाइक कमेंट पाकर खुद को अनुगृहित करती दिखाई देती है मानो जीवन की सबसे अहम और जरूरी ऊंचाई को उन्होंने पा लिया हो।

नग्नता का नंगा नाच करते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स

नग्नता को हम आधुनिकता के इस दौर में न्यू फैशन कहते हैं। सोशल मीडिया पर फैशन की उबाल आई तो सोशल नेटवर्क पर युवा पीढ़ी ने खुद को खूबसूरत युवतियों से पीछे पाया, फिर क्या युवकों ने खुद की नग्नता का नंगा नाच शुरू किया कहा मैं पीछे कैसे ?

नग्नता का नंगा नाच करते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स

युवा अपने यौवन को दिखाते घूम रहे हैं मैं किसी से कम नहीं। पहले के जमाने में बड़े बुजुर्ग इस तरह की हरकतों पर नकेल कसते थे। खैर जमाना आधुनिक है इस लिए समाज इसे स्वीकारता और आनंदित होता है। ऐसे बिगड़ैल यूट्यूबर के इंटरव्यूज होना और भी अचरज की बात है।सोशल मीडिया पर आजकल जो ये फॉलोवर बढ़ाने के लिए जो नग्नता परोसी जा रही है। क्या उसमें परोसने वाले ही दोषी हैं? क्या उसको लाइक और शेयर करने वाले दोषी नहीं हैं ? मेरे हिसाब से तो वो ज्यादा दोषी हैं। अगर हम ऐसी पोस्ट या वीडियो को लाइक शेयर करना ही बंद कर दें तो क्या ये बंद नहीं हो सकता ?

पूरा देश नग्नता के लिए फिल्मों को दोष देता है परंतु आज सोशल मीडिया (सामाजिक पटल) पर इतनी भयंकर नग्नता है कि हमारी जो भारतीय फिल्में को भी शर्म आ जाए। आज कोई भी सोशल प्लेटफार्म अछूता नहीं है फूहड़पन और नग्नता से। सोशल मीडिया के अंधे दौर में कुछ लाइक और व्यू पाने के लिए हमारे समाज की नारियों को कैसे लक्षित किया जा रहा है और उन्हें नग्नता परोसना पड़ रहा है। और वो लाइक और व्यू के आसमान में उड़ने के लिए नग्नता परोस स्वयं के मान सम्मान स्वाभिमान का सौदा आसानी से कर रही है।

कुछ चप्पल छाप यूट्यूबर्स लोग केवल व्यू पाने के लिए हमारी आस्था पर इस तरह के अश्लीलता वाले थम्बनेल लगाते हैं। किससे क्या कहें? जीवन का चरमसुख अब फॉलोअर्स पाने और कमेंट आने पर निर्भर हो गया है। फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर नग्न अवस्था में तस्वीरें शेयर कर आज लड़कियां लाइक कमेंट पाकर खुद को अनुगृहित करती दिखाई देती है, मानो जीवन की सबसे अहम और जरूरी ऊंचाई को उन्होंने पा लिया हो।

इस नग्नता को हम आधुनिकता के इस दौर में न्यू फैशन कहते हैं। सोशल मीडिया पर फैशन की उबाल आई तो सोशल नेटवर्क पर युवा पीढ़ी ने खुद को खूबसूरत युवतियों से पीछे पाया, फिर क्या युवकों ने खुद की नग्नता का नंगा नाच शुरू किया और कहा, मैं पीछे कैसे ? युवा अपने यौवन को दिखाते घूम रहे हैं मैं किसी से कम नहीं। ऐसे बिगड़ैल यूट्यूबर के इंटरव्यूज होना और भी अचरज की बात है। पहले के जमाने में बड़े बुजुर्ग इस तरह की हरकतों पर नकेल कसते थे। खैर जमाना आधुनिक है इस लिए समाज इसे स्वीकारता और आनंदित होता है।

गम्भीरता से सोचने का विषय

पर ये बहुत ही गम्भीरता से सोचने का विषय है – हमारे घरों के छोटे-छोटे बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं। माता-पिता क्यों जानबूझ कर अनदेखा कर रहें हैं? क्यों नहीं अपने बच्चों को टाईम और संस्कार देना चाहते हैं? क्यों अपने हाथो अपने बच्चो को दलदल में धकेल रहें हैं। आजकल के माता-पिता बहुत ज्यादा मार्डन है और उन्हें नंगापन, बॉयफ्रेंड और मार्डन परिवेश बेहद आकर्षित करती है। ये आने वाली पीढ़ी और समाज के लिए घातक सिद्ध होगा। टीनएजर लड़कियों की मनःस्थिति को अपने खास मकसद के मुताबिक ढाला जा रहा है।

अब तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस आभासी नग्नता के अड्डे बने हुए हैं। वल्गर रील्स और वीडियोस तो अब हर घर के टीनेजरस बना ही रहे हैं। अब तो ऐसा महसूस होने लगा है कि वैश्यावृति के अड्डे भी नये विकल्पों के साथ हवस परस्त मर्दो के लिए उपलब्ध हो गए हैं। सोशल मीडिया पर आजकल जो ये फॉलोवर बढ़ाने के लिए जो नग्नता परोसी जा रही है। क्या उसमें परोसने वाले ही दोषी हैं? क्या उसको लाइक और शेयर करने वाले दोषी नहीं हैं ? मेरे हिसाब से तो वो ज्यादा दोषी हैं। अगर हम ऐसी पोस्ट या वीडियो को लाइक शेयर करना ही बंद कर दें तो क्या ये बंद नहीं हो सकता ?

आज सामाजिक विकार अपने सफर के सफलतम पड़ाव में है। रोकथाम की कोई गुंजाइश नही है। अब तो प्रलय ही इसकी गति को रोक सकती है। सोशल मीडिया में रील्स पर नग्न और अश्लील नृत्य की नौटंकी करने वाली बेटियों से निवेदन है कि चंद काग़ज़ के टुकड़ों के लिए अपने परिवार और धर्म की इज्जत तार-तार ना करो। पैसे आपको आज नृत्य के लिए नही अपितु नग्नता परोसने के लिए दिए जा रहे है ताकि पूरे समाज को एक दिन रसातल में धकेल कर नीचा दिखाया जा सके।

चाहिए अश्लीलता और नग्नता मुक्त समाज

हमारी संस्कृति ही नहीं बचेगी तो तो हमारे राष्ट्र का और आने वाली पीढ़ियों का दुर्गुणों से विनाश होने से कोई बचा नहीं सकता है। अभी समझे कि संस्कृति क्या है और इसे बचाना क्यों जरूरी है। यह हमारे राष्ट्र का स्वाभिमान है। हमें चाहिए अश्लीलता और नग्नता मुक्त समाज अपनी नष्ट हो रहे सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करें। बॉलीवुड की अश्लीलता, नग्नता और गाली गलौज से भरी फिल्मों और वेब सीरीज का बहिष्कार करें।

अश्लील गाना एवं अश्लील फिल्मों का बहिष्कार करें। सोशल मीडिया में ट्वीटर, फेसबुक आदि ऐसे प्लेटफार्म हैं जिसके माध्यम से लोग अपने विचार, अभिव्यक्ति के साथ किसी महत्वपूर्ण जानकारी का प्रेषण करते हैं। किन्तु वर्तमान में इन प्लेटफार्मो मे अश्लील,आपत्तिजनक व नग्नता पूर्ण मैसेज व विज्ञापन की भरभार होने के साथ जुए जैसे खेलों को खेलने के लिए प्रोत्साहित कर सामाजिक प्रदूषण फैलाया जा रहा है। हमारे नौनिहाल, बहन बेटी भी इन प्लेटफार्मो का बहुतायत उपयोग करते है। इस प्रदूषण पर अंकुश लगवाने के लिए सभी को सोचना होगा और खुद पहल करनी होगी। आज चेतना चाहिए नहीं तो कल रास्तों में होगा नंगा नाच। आप देश का भविष्य हो, कठपुतली मत बनो।

स्वच्छंदता के नाम पर फूहड़ता सोशल मीडिया के इस दौर में अपने चरम पर है। हमारी संस्कृति में स्त्री को धन की संज्ञा से नवाजा गया वो भी बहुमूल्य न कि टके बराबर। इसलिए राजदरबारो में होने वाले मुजरे भी चारदीवारो के अंदर ही होते थे। सत्य यह है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दुकान है और इसका उत्पादन आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म स्त्री समुदाय के साथ मिलकर कर रहा है। मस्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता से भी है।

कौटिल्य ने चाणक्य सूत्र में वासना’ को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है। यदि यह नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां पूर्ण आधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती? गली- गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधों को जन्म देती है। इसको किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है। विचार करिए और चर्चा करिए या फिर मौन धारण कर लीजिए।

प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

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