तांत्रिक ने भूत भागने के नाम बच्चियों का रेप किया

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 18 जुलाई 2024 | जयपुर : साल 2021, जगह पुणे। एक घर हवन के धुएं से भरा हुआ है। हर पांच मिनट बाद धुआं और बढ़ता जा रहा है। एक बाबा ने करीब आधे घंटे अकेले हवन करने के बाद घर की सबसे छोटी बच्ची को हवन कुंड के पास बिठा लिया है। कुछ देर बाद बाबा, अपनी जगह से उठते हैं और बच्ची के पिता गोविंद से कहते हैं, इस पर प्रेत का साया है।

तांत्रिक ने भूत भागने के नाम बच्चियों का रेप किया

मैं इसे अंदर के कमरे में ले जाकर पूजा करने वाला हूं। आपको कोई दिक्कत? जवाब आता है- नहीं बाबा जी। बाबा कमरे में जाते हैं। कुछ देर बाद कमरे से  आती है। घर वालों को लगता है कि भूत शरीर छोड़ रहा है। आधे घंटे बाद बच्ची रोती हुई बाहर आती है और परिजन बाबा के पैर छूते हैं, उन्हें दक्षिणा देकर विदा करते हैं। ये वही बाबा है जिसने घर के नीचे गड़े धन का लालच देकर पीड़ित परिवार को अपने जाल में फंसाया।

तांत्रिक ने भूत भागने के नाम बच्चियों का रेप किया

फिर परिवार की बच्चियों पर भूत का साया बता कर रेप किया। डेढ़ महीने बाद बाबा ने ऐसा ही हवन परिवार की दूसरी बच्ची के साथ किया। और डेढ़ महीने बाद तीसरी बच्ची के साथ। ऐसा 6 महीने तक वो घर की पांच बच्चियों के साथ करता रहा।

इन सभी बच्चियों की उम्र 5 साल से 15 साल के बीच थी। 6 महीने बाद बाबा ने एक नई पूजा कराने की बात कही। इसके लिए गोविंद के बड़े भाई की दूसरी बेटी, जिसकी उम्र तब 16 साल थी, उसे दो दिनों तक अपने घर पर रखा।

पूरे एक दिन तक संपर्क नहीं होने के बाद घर वालों ने खोजबीन शुरू की। उसके अगले दिन पुलिस को सूचना दी और फिर परतें खुलीं। पता चला कि बाबा इस बच्ची के साथ बीते दो दिनों से रेप कर रहा था। उसके बाद इस बात का भी खुलासा हुआ कि परिवार की बाकी बच्चियों के साथ भी वह यही हरकतें करता था। कहानी उस परिवार की बच्चियों की, जिनका एक बाबा ने भूत भगाने के नाम पर शोषण किया…इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत बाबा पर मुकदमा दर्ज हुआ है और वह अभी जेल में है।

इसलिए हम परिवार की पहचान जाहिर नहीं कर रहे हैं… मैं जब पुणे के एक मोहल्ले में पहुंचा, तो पीड़ित परिवार का घर ढूंढने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। जिससे भी पूछा, सभी ने झुग्गियों की तरफ टूटते मकान के पास जाने का इशारा किया। सड़क से चार फीट नीचे हो चुके मकान में तोड़-फोड़ जारी थी। घर के बाहर सामान बिखरा पड़ा था।

पता चला कि परिवार में लोग ज्यादा हो गए हैं, अब नए मकान की जरूरत है। बाबा के प्रकोप से बीते तीन साल से उबरने की कोशिश कर रहा यह परिवार अब नया घर बनवा रहा है। काफी देर तक समझाने के बाद परिवार की मुखिया और बच्चों की दादी रजनी (बदला हुआ नाम) बात करने को तैयार हुईं। चेहरे पर बुझी हुई रौनक, जिसे नया घर बनने की खुशी से वो छुपाने की कोशिश कर रही हैं।

बातचीत के दौरान वो मेरी तरफ कम देखती हैं और नया कंस्ट्रक्शन निहारती रहती हैं। अरे वो खुद करीब आया। पहले उसने कहना शुरू किया कि मैं इन बच्चों का मामा हूं। शुरू-शुरू में दो-ढाई महीने पर आता था, तो सामने मंदिर में दो- तीन घंटे की पूजा करता था। फिर धीरे-धीरे घर आने लगा।जब घर आने लगा तो कहना शुरू किया कि ऐसा घर मैंने पहले नहीं देखा।

छोटे बेटे को किनारे ले जाकर अलग से बातें करता था। उससे कहता था कि तुम्हारे घर के नीचे सोना और पैसा गड़ा है। पूजा करानी पड़ेगी, वर्ना परिवार में कोई न कोई मरता रहेगा। मेरा बेटा उसकी चाल में फंस गया।’यह वही कमरा है जहां बाबा बच्चियों के साथ पूजा के नाम पर उनका शोषण करता था। घटना के बाद परिवार ने इसे तुड़वाकर बाथरूम बनवा दिया है।

मैंने बच्चों के चाचा और बाबा से लगातार बातचीत में रहने वाले गोविंद (बदला हुआ नाम) से बात की। वो बताते हुए भावुक हो जाते हैं।कहते हैं- ‘शुरुआत में उसने हमारे पूर्वजों और परिवार के बारे में कुछ पुरानी बातें बताईं। हमें लगा कि इसके पास कुछ शक्ति है। वह बाहर या पूजा घर में आकर, पूजा-पाठ कर चला जाता था। हर बार आता तो कम से कम पांच हजार फीस लेता था।

फिर धीरे-धीरे बच्चों से घुलने-मिलने लगा। खुद को मामा कहलवाने लगा। एक दिन वो बिना बुलाए आया। पूजा-पाठ का सामान मंगाया। नारियल, नींबू, काला कपड़ा, सिंदूर, नमक, लोबान वगैरह। उसने हवन-पूजा की और मेरी मंझली भतीजी की तरफ इशारा करके कहने लगा, इस पर किसी ने टोटका कर दिया है, अगर दूसरी पूजा नहीं हुई तो दो महीने में मर जाएगी। हम लोग डर गए।

उसने उस रात मेरी भतीजी को हवन पर बिठाए रखा और बेंत से बहुत मारा। वो दर्द से चिल्लाती थी और हमें लगता था कि प्रेत भाग रहा है।इसके बाद वो लगातार घर में आने लगा और इसी बीच उसने मुझसे जमीन के अंदर सोना-चांदी होने की बात कही। मैं और परिवार के बाकी लोगों पर तब तक तीन लाख का कर्जा हो चुका था।

हमने सोचा कि एक पूजा और करा लेते हैं, क्या पता कुछ पैसा मिल ही जाए।वो जब भी आता पूजा करने बैठ जाता। वो बच्चियों को बुलाता और उनको नींबू की माला पहना देता। कभी सिर पर नींबू काटता, तो कभी पेट के बल सुलाकर पीठ पर। इसके बाद कमरे में धुआं कर देता था और फिर उन्हें यहां-वहां छूता था।’

बच्चियों के चाचा गोविंद को इस बात का अपराधबोध है कि उनके घर में बाबा बेटियों के साथ गलत करता रहा और वह कुछ नहीं कर पाए।गोविंद इसके बाद फूट कर रोने लगे। मैंने उन्हें पानी दिया और देखा कि उनकी उंगलियां कांप रही हैं। उन्होंने मुझसे हाथ जोड़ा और आगे बात करने से मना कर दिया।

कुछ समय बाद बगल में बैठी परिवार की बड़ी बहू और पीड़िता की मां विनिता (बदला हुआ नाम) बोल पड़ीं- ‘बेटी रोते हुए कमरे से निकलती थी। पूछने पर कुछ भी नहीं बोलती थी। जब बाबा बाहर निकलता था, तो मैं पूछती भी थी। वो कहता था- अरे, उस पर भूत था, जब छोड़ता है तो ऐसा ही होता है।

पहले ये सब बाहर के कमरे में ही करता था, लेकिन कुछ समय बाद वो बच्चियों को दूसरे कमरे में ले जाने लगा। वो पहले पूछता था, अगर दरवाजा बंद करूं, तो कोई प्रॉब्लम? हम लोग मजबूरी में कहते थे, आपको ये सब मामा कहते हैं, आप पर भरोसा है। वो कमरे में जाता था और लाइट बंद कर देता था। हम लोग चुपचाप बैठकर थोड़ी देर बाद बच्चों की चीखें सुनते थे।

उसके साथ कमरे में जाने के बाद किसी को कुछ याद नहीं रहता कि वह बंद कमरे में क्या करता है। उसने एक बार मेरी देवरानी को भी कमरे में बंद किया। मेरी देवरानी ने भी बताया कि उसे कुछ याद नहीं वो पूरी रात ऐसे ही बैठी रहती थी। ‘बच्चियों की मां विनीता जब बेटियों के चिल्लाने पर बाबा से सवाल करतीं तो वह कहता था- उस पर भूत था, जब छोड़ता है तो ऐसा ही होता है।

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हमने नंदिनी जाधव से बात की। नंदिनी महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के साथ काम करती हैं। इन बच्चियों ने सबसे पहले नंदिनी को ही सारी बातें बताई थीं। वो बताती हैं- ‘बाबा ने इस परिवार की 16 साल की बच्ची को किडनैप कर लिया था। पूरा परिवार रो रहा था। छोटी बच्चियां गुमसुम बैठी थीं।

दादी ने सारी कहानी बताई तो हमें शक हुआ। इसके बाद मैंने बच्चियों को बारी-बारी से अलग ले जाकर पूछना शुरू किया। उन्होंने जो बताया वो सुनकर मेरे होश उड़ गए। किसी ने बताया कि उन्हें लिटाकर पूरे शरीर पर नींबू का रस लगाता था। प्राइवेट पार्ट्स पर सुपारी रखता था।

मैंने तभी तय कर लिया था कि इसे सजा दिला कर रहेंगे। चार साल हो गए, पॉक्सो एक्ट लगा है, जिसमें सारी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होती है, लेकिन उसे अभी सजा नहीं हुई है। वो कई बार समझौते के लिए प्रस्ताव भी भेज चुका है।’

ये नंदिनी जाधव हैं, महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के साथ काम करती हैं। पीड़ित बच्चियों ने इनसे ही सबसे पहले अपने साथ हुई ज्यादती का खुलासा किया।इसी परिवार की सबसे बड़ी बेटी को शुरुआत से ही बाबा पर भरोसा नहीं था। वो बाबा के घर आने का विरोध करती थी। परिजनों को लगता था कि वो बेवजह ऐसी बातें कर रही है।

अब बाबा की करनी सामने आने के बाद उसकी मां कहती हैं- बड़ी बेटी से बाबा बहुत चिढ़ता था। कहता था कि तुम्हारे घर में बहुत ज्यादा पैसा-सोना है, उसके लिए तुम्हें इस बेटी की बलि देनी पड़ेगी। अगर इसे बचाना है तो एक ही उपाय है कि इसकी पूजा करानी पड़ेगी।हम लोग डर जाते थे कि हमारी बहू-पोती ठीक रहे और कुछ नहीं चाहिए।

वह जब भी आता था तब पैसे मांगता रहता था। उसके चक्कर में 5 लाख रुपए खर्च हो गए। उसने हमें इतना सताया कि हम दाने-दाने को मोहताज हो गए। मैंने घर के सारे गहने बेचकर उसको पैसे दिए। जबकि वो मेरी बेटियों का रेप करता रहा। उसमें कीड़े पड़ेंगे।’

बात करते- करते विनिता गुस्से से भर जाती हैं। आंचल से चेहरा पोछती हैं और दोनों बेटियों को गोद में भींच लेती हैं। वो कहतीं है- मुझे इस बात का सबसे ज्यादा दुख होता है कि मां होकर भी मैंने ये सब कैसे होने दिया। मुझे जरा भी आभास नहीं हुआ। मैं ये सब याद नहीं करना चाहती हूं, लेकिन भूल भी नहीं पाती। मैं बेटियों से पूछती थी, तो वो कुछ नहीं बताती थीं।

मैंने परिवार की मुखिया रजनी से बातचीत शुरू की। उन्होंने बताया कि इस घटना से पूरा परिवार बर्बाद हो गया। वो कहती हैं, मेरी नातिन की सगाई टूट गई। लड़के वाले बहुत अच्छे थे। बाबा को जेल भिजवाने में उन्होंने बहुत मदद की। फिर बोले- हम लोग शादी नहीं कर पाएंगे।

मायके वालों ने मुझे मेरी ही भतीजी की शादी में नहीं बुलाया। भाभी को लगता है कि मैं उनके घर आऊंगी, तो कुछ टोटका कर दूंगी। पति की मौत हुई, तो भाई मुझे मायके ले जाने नहीं आया। मैंने भी रिश्ता तोड़ ही दिया है, लेकिन मायका कहां छूटता है।’

दादी रजनी बताती हैं कि वो परिवार की सभी बच्चियों को हमेशा पास रखती हैं। एक दिन के लिए भी अकेले नहीं छोड़ती हैं। उन्हें गर्ल्स स्कूल में भेजा जाता है और वह खुद स्कूल तक छोड़ने जाती हैं। हमने पुणे में अंध श्रद्धा के उन्मूलन के लिए काम कर रहे मिलिंद देशमुख से बाबाओं के पैटर्न को समझने की कोशिश की।

मिलिंद इस केस से भी जुड़े रहे हैं। वो बताते हैं, बाबाओं का यह सिंपल पैटर्न है। या तो डर का कारोबार करो या लालच का। यहां बाबा ने पहले लालच दिखाया और फिर डर बैठाना शुरू किया। उसने देखा कि घर में सिर्फ लड़कियां हैं, तो इन्हें लड़के का लालच दिया जा सकता है।

उसने तकरीबन पांच लाख रुपए पूजा और अपनी फीस के नाम पर खर्च करा दिए। जब परिवार कर्ज में डूब गया, तो लालच दिया कि जमीन के नीचे धन है, वो पूजा करने के बाद बाहर निकल सकता है। परिवार इस ट्रैप में भी फंस गया और फिर जो हुआ वो सबके सामने है।

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‘मेवात में अब भी जारी है ‘द क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1872′ जैसी कार्यवाही’ साहिल खान मेवाती सामाजिक कार्यकर्त्ता

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अप्रैल 2025 | जयपुर (अलवर से साहिल खान मेवाती सामाजिक कार्यकर्त्ता की रिपोर्ट) : नौगांव थाना क्षेत्र के तेलिया बास रघुनाथगढ़ मेवात क्षेत्र (राजस्थान) राज्य की एक माह की बच्ची का हत्या मामला राजस्थान विधानसभा के साथ-साथ भारत संसद में भी गूंजा। घटना  2 मार्च 2025 सुबह 6:00 बजे मासूम बच्ची अलिस्बा के पिता इमरान जाति मेव के घर बिना महिला कॉस्टबेल पुलिस कर्मी दबिश या रेड देती हैं, इस दौरान पुलिस कर्मियों के पैर तले कुचली एक माह की बच्ची अलिस्बा की हत्या हो जाती हैं।

मेवात आजादी की लड़ाई में इसका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज था। मेवात के डेढ़ हजार से अधिक लोग प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में देश की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। 168 साल पहले मेवात के रूपडाका गांव में ‘जलियांवाला बाग’ जैसा नरसंहार हुआ था। अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की आवाज बुलंद करने की वजह से 19 नवंबर 1857 को इस गांव के 425 जांबाजों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था। इस गांव की मीनार और शहीदों के नाम वाला बोर्ड मेवाती वीरों के अदम्य साहस की कहानी कह रहे हैं। हालांकि एक ही गांव में एक दिन में हुए इतने बड़े कत्लेआम को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में तवज्जो नहीं मिली।

1871 का “आपराधिक जनजाति अधिनियम” (Criminal Tribes Act) ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा पारित एक विवादास्पद कानून था। इसके तहत कुछ जनजातियों और समुदायों को जन्म से ही अपराधी घोषित कर दिया गया था। इससे उन्हें कई तरह की पाबंदियों और निगरानी का सामना करना पड़ा। 

‘मेवात में अब भी जारी है ‘द क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1872′ जैसी कार्यवाही’

इसके बाद मासूम बच्ची की मौत पर परिजन व समाज के जिम्मेदार लोग एसपी आवास के बाहर धरना देते है ओर साथ ही महिला पुलिसकर्मी की गैर मौजदूगी पर सवाल करते है। धरने के दौरान पांच पुलिसकर्मी लाइन हाजिर ओर इनमें से दो के खिलाफ मामला दर्ज होता हैं।

‘मेवात में अब भी जारी है ‘द क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1872′ जैसी कार्यवाही’ साहिल खान मेवाती सामाजिक कार्यकर्त्ता

इसके अगले दिन राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता टीकाराम जूली मासूम बच्ची के मामले को राजस्थान विधानसभा सदन में उठाते हुए कहते है कि क्या मासूम बच्ची की जान वापस ले आओगे? क्या उसको हक नहीं था, जिंदा रहने का क्या पुलिस का? यही काम रह गया लेकिन जो सबसे छोटा कर्मचारी है उस पर गाज गिरेगी!

मैं कहना चाहूंगा गृह राज्य मंत्री महोदय वह एसएचओ व डीएसपी उनकी जिम्मेदारी नहीं अपने कार्य क्षेत्र पर यह कार्यवाही जब हुई वह लोग एसपी के घर के बाहर बैठ गए जब आपको चेतना आई की हमें कार्यवाही करनी चाहिए।

मेवात क्षेत्र का रियासतकाल का ऐतिहासिक गांव कोलानी पाटन जिसे आज भी इसी नाम से जाना जाता हैं, लेकिन वर्तमान समय में सरकारी दस्तावेज में तेलिया बास रघुनाथगढ़ (नौगांवा थाना)के नाम से जाना जाता हैं। इसी गांव की मासूम बच्ची अलिस्बा है ओर इसी गांव में मासूम बच्ची अलिस्बा बैनर तले धरना प्रदर्शन चलता हे #justiceforalisba अलिस्बा को न्याय कब आदि नारे तकती के साथ।

“लूट-खसोट और अत्याचार को जड़ से खत्म करूंगा” किरोड़ी लाल मीणा 

इसी धरना प्रदर्शन स्थल पर 17 मार्च 2025 को राजा हसन खां मेवाती के 499 वा शाहादत दिवस कार्यक्रम किया जाता हैं। इसी कार्यक्रम में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ.किरोड़ी लाल मीणा शामिल होते है। पीड़ित वर्ग से मिलते है। कैबिनेट मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने कहा पुलिस ‘रबर का सांप’ बनाती हैं। लोगों को लूटती है। लूट-खसोट और अत्याचार को जड़ से खत्म करूंगा।

तेलियाबास में पुलिस दबिश के दौरान 20 दिन की मासूम की मौत मामले में तो पुलिस ने मना कर दिया कि वे उस घर में घुसे ही नहीं। पूर्व मंत्री नसरू खान ने मुझे प्रमाण दिये हैं। भरोसा रखे पुलिस के बड़े अधिकारियों से मिलकर जांच करवाऊंगा जिससे दिल्ली से जयपुर तक सच्चाई सामने आये।

मेवात में टाडा, पोटा, युएपीए व एनएसए आदि कानून के अपराधी नहीं है, फिर भी रात को घरों में दबिश दी जाती हैं। वह भी बिना महिला पुलिसकर्मी के अनेकों वारदात रोजाना होती है। साइबर ठगी, एंटी वायरस आदि अपराधी के नाम से होती है। इनमें बहुतायत महिला से बदतमीजी के केस सामने आते हैं।

साइबर ठगी, एंटी वायरस जैसे नाजायज शक के दायरे में सुबह 6 बजे इमरान जाति मेव के घर दबिश दी जाती हैं। कार्यवाही CTA एक्ट की तरह होती है। मासूम बच्ची की हत्या हो जाती हैं। भारत सविधान अनुच्छेद 13 के अनुसार इमरान व उसके परिवार के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया। राजस्थान सरकार ने या जब 1947 में भारत आजाद हुआ तब भारत में ‘द क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट’ 1924 प्रभावी रूप से कार्य कर रहा था। क्या आज यह मेवात में प्रभावी है।

उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर सितम्बर 1949 को अनतसायनम आयंगर की अध्यक्षता में THE CRIMINAL TRIBES ACT ENQUIRY COMMITTEE गठित की गई। इसके पेज 28 पर मेव जाति के बारे में लिखा हुआ है।

इस समिति के आधार पर 31अगस्त 1952 इस काले कानून को समाप्त कर दिया गया ओर इसके स्थान पर 1959 में अदातन अपराध अधिनियम बना कर फिर से 1961 में राज्य सरकारों ने ऐसी जनजातियों की सूची जारी करना शुरू कर दिया।

कौन है मेव

वस्तुत: खुद को एक अलग सामाजिक-सांस्कृतिक जातीय समुदाय के रूप में पहचानते हैं और अपने मुस्लिम धर्म के बावजूद, उत्तर भारत में मीणा जैसे आदिम समुदायों से अपनी वंशावली का पता लगाते हैं। मेव, उत्तर-पश्चिमी भारत का एक मुस्लिम समुदाय है।इन्हें मेवाती भी कहा जाता है।

मेव और मीणा दोनों ही जातियां भारत की प्राचीन जातियों में से एक मानी जाती हैं। कई इतिहासकारों का मानना है कि मेव, मीणा जाति से ही संबंध रखते हैं। भारत पर मध्यकाल तक अधिकाँश विदेशी आक्रमण पश्चिम से हुए और उन्हें रोकने का काम मीणा-मेव जनजाति ने प्राचीन समय से निरन्तर किया जिसके कारण विदेशी आक्रमणकारियों और भारत (सिद्ध देश) के मूलनिवासियों के मध्य मीणा-मेव जनजाति एक सुरक्षा दीवार की तरह उपस्थिति रही।

प्रारम्भिक आर्य आक्रमण के समय भी इस जनजाति ने प्रतिरोध किया जिसका प्रमाण ऋग्वेदिककालीन दस राजा युद्ध में इस जनजाति द्वारा  आर्य राजा सुदास के विरुद्ध युद्ध में भाग लेने का वर्णन मिलता है  तो विदेशी आर्य ब्राह्मण परसुराम से मत्स्यराज के युद्ध का वर्णन भी ग्रंथों में मिल जाता है।

मीना जनजाति ने विदेशी आर्यों से ही नहीं बल्कि मुस्लिम आक्रमणकारियों से भी मुकाबला किया। कुछ क्षेत्रों में परास्त होने पर मीणा जनजाति से एक नई जाति मुस्लिम मेव का जन्म होता है। मेव वो मीणा थे जो मुस्लिम आक्रमणकारियों से परास्त हो कर इस्लाम धर्म को ग्रहण कर लेते है लेकिन अपनी मूल संस्कृति को नहीं छोड़ते। दरिया खान और शशिवदनी का विवाह सम्बन्ध इस बात का प्रमाण था की मेव जाति मीनाओं से ही निकली थी और उनमें विवाह सम्बन्ध आम बात थी।

कर्नल टॉड (AAR 1830 VOL- 1) ने मेवों और मेरों को मीना समुदाय का एक भाग माना है। कुछ का मानना है कि वे अरावली पर्वतमाला में रहने वाले मीनाओं के जैसे ही एक आदिम समूह थे। उनमें आंशिक रूप से गुर्जर और जाट समुदायों से जुड़े रहे हैं।

महाभारत के काल का मत्स्य संघ की प्रशासनिक व्यवस्था लौकतान्त्रिक थी जो मौर्यकाल में छिन्न- भिन्न हो गयी और इनके छोटे-छोटे गण ही आटविक (मेवासा ) राज्य बन गये। चन्द्रगुप्त मोर्य के पिता इनमें से ही थे।

समुद्रगुप्त की इलाहाबाद की प्रशस्ति में आटविक (मेवासे) को विजित करने का उल्लेख मिलता है। राजस्थान व गुजरात के आटविक राज्य मीना और भीलों के ही थे। इस प्रकार वर्तमान ढूंढाड़ प्रदेश के मीना राज्य इसी प्रकार के विकसित आटविक राज्य थे।

वर्तमान हनुमानगढ़ के सुनाम कस्बे में मीनाओं के आबाद होने का उल्लेख आया है कि सुल्तान मोहम्मद तुगलक ने सुनाम व समाना के विद्रोही जाट व मीनाओं के संगठन ‘मण्डल ‘ को नष्ट करके मुखियाओ को दिल्ली ले जाकर मुसलमान बना ( E.H.I, इलियट भाग- 3, पार्ट- 1 पेज 245 ) दिया। इसी पुस्तक में अबोहर में मीनाओं के होने (पे 275 बही)का उल्लेख है। इससे स्पष्ट है कि मीना प्राचीनकाल से सरस्वती के अपत्यकाओ में गंगा नगर हनुमानगढ़ एवं अबोहर-फाजिल्का में आबाद थे।

लक्षित जातियों के विरुद्ध जन्म से अपराधी कानून 19वीं सदी की शुरुआत से लेकर 20वीं सदी के मध्य तक लागू किए गए, जिसके तहत 1900 से 1930 के दशक तक पश्चिम और दक्षिण भारत में आपराधिक जातियों की सूची का विस्तार किया गया। सैकड़ों हिंदू समुदायों को आपराधिक जनजाति अधिनियम के अंतर्गत लाया गया। 1931 तक, औपनिवेशिक सरकार ने अकेले मद्रास प्रेसीडेंसी में 237 आपराधिक जातियों और जनजातियों को अधिनियम के अंतर्गत सूचीबद्ध किया।

आपराधिक जनजाति अधिनियम (CTA) जैसा अमानवीय एक्ट आज भी क्यों लागू है 

1993 में राजकन्नू नामक एक आदिवासी व्यक्ति को झूठे मामले में फंसाया गया। पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया और मार डाला। राजकन्नू की पत्नी ने वकील के. चंद्रू से मदद मांगी। जिन्होंने केस लड़ा और उन्हें न्याय दिलाया। फिल्म “जय भीम” इसी सच्ची घटना पर आधारित है। 

दक्षिण भारत की आपराधिक जनजाति अधिनियम (CTA) की घटना राजकन्नु चंदू वकील 1993 में जिस पर जय भीम जैसी फिल्म/वेब सीरीज भी बनी हैं। उसी प्रकार उत्तरी भारत की मासूम बच्ची CTA एक्ट के तहत नौगांवा थाना (मेवात)शिकार हुई। वर्तमान समय में मासूम बच्ची का मामला राजस्थान राज्य तक सीमित नहीं रहता हैं, लोकसभा सदन में गूंजने के बाद राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन गया।

बीते दिनों सीकर लोकसभा सांसद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) अमरा राम ने लोकसभा में मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश की सरकार “बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ” का नारा देती हैं पुलिस भक्षक बनकर 2 मार्च सुबह छः बजे नौगांवा के तेलिया बास के इमरान खान घर में रेड डालती हैं। जबकि इमरान और उसके परिवार के किसी व्यक्ति के खिलाफ अब तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं है।

पुलिस दरवाजा फांद कर अंदर प्रवेश करती है। इमरान की पत्नी दरवाजा खोलती हैं। पुलिस कि निर्दयता देखिए नवजात बच्ची को बूटों से कुचल दिया जाता हैं। मानवाधिकार के नाम पर रोटियाँ सकने वाले लोग मौन साधे हैं। पुलिस उसकी जांच करती हैं। इससे बड़ी अफसोस जनक और कोई बात नहीं हो सकती हैं। सासंद अमरा राम ने सभापति से घटना की सीबीआई से जांच कराये जाने की मांग की।

1965 लोकूर समिति, बालकृष्ण रेणके (JUNE 30,2008), भीकू रामजी इदाते (DECEMBER 2017) आदि कमिश्नर आयोग रिपोर्ट से आप जान सकते आपराधिक जनजाति अधिनियम (CTA) क्या था। इदाते आयोग (Idate Commission) रिपोर्ट में उत्तराखंड राज्य के मेव (MEO) जो हिंदू उन्हें DENOTIFIED (विमुक्त) कर रखा है, इसका मतलब CTA एक्ट धर्म नहीं जातियों को टारगेट करता है।

इदाते आयोग (Idate Commission), जिसे विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (DNT, NT, SNT) के लिए राष्ट्रीय आयोग भी कहा जाता है, की रिपोर्ट भारत में इन समुदायों की स्थिति और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है, साथ ही उनके उत्थान के लिए कई सिफारिशें भी करती है।

2023 में मेवात दंगा नूंह (हरियाणा) में होता हैं,जो पूरे देश भर में हिन्दू मुस्लिम धार्मिक दंगे के नाम से प्रसिद्ध होता है। लेकिन हरियाणा सरकार की हरियाणा पुलिस नागरिक सेवा धारा 154 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत लिखती हैं अज्ञात 500/600 युवक मेव मुस्लिम अपराधी।

मासूम बच्ची को लेकर जो राष्ट्रीय मुद्दा बना

अब समझ यह नहीं आता उसी हरियाणा पुलिस ने 249 मोस्ट वांडेट की लिस्ट निकाली। इसमें सोनीपत जिला 42 मोस्ट वांडेट के साथ राज्य टॉप पर व एक मोस्ट वांडेट के साथ नूंह लिस्ट में सबसे नीचे या शांति प्रिय जिला रहा है। हरियाणा सरकार ने नूंह जिले के बारे में मोस्ट वांडेट की जातीय जानकारी नहीं दी। लेकिन, मेवात दंगे में एक जाति विशेष मेव समुदाय को ही टारगेट किया गया।आखिरकार क्यों ?

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वर्तमान समय में मासूम बच्ची को लेकर जो राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है। उसकी जाति मेव है, जिसकी हत्या CTA एक्ट के तहत कार्यवाही से हुई है। सिविल सर्विस में जितने आईपीएस (IPS) अफसरों का चयन होता हैं। उन्हें क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट’ का विषय पढ़ाया जाता है कि इन इन जातियों के लोगों के साथ आपको किस तरह से काम करना है और अगर मर्डर (हत्या), चोरी डकैती हो जाये तो किन लोगों को बंद करना है।

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उसी के आधार पर बोल सकते CTA एक्ट 1871, 1897, 1911, 1923 और 1924 शायद आज भी प्रभावी है, जो आज भारत सविधान अनुच्छेद 14 ओर 16 (4), अनुच्छेद 38 व अनुच्छेद 32 आदि पर प्रश्न वाचक चिन्ह लगाता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आदिम जनजातीय काबिले, गरीब और वंचित लोग आजाद हुए है या नहीं! और कब तक ऐसी मासूम बच्ची की हत्याएं होती रहेगी?

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जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 फरबरी 2025 | जयपुर : जयपुर में एक और कॉलेज गर्ल ने सुसाइड किया है। करीब दस दिन पहले मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी) कैंपस में एक छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर जान दे दी थी। अब राजस्थान विश्वविद्यालय के कैंपस में बने माही छात्रावास में रहने वाली एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

गांधी नगर पुलिस को शनिवार शाम को घटना की जानकारी मिली। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि हॉस्टल के पहली मंजिल पर बने कमरे में छात्रा फंदे से लटक रही थी। छात्रा को उतार कर अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने शनिवार को हॉस्टल में सुसाइड कर लिया। छात्रा का शव हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला। छात्रा फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। छात्रा के आत्महत्या की खबर सामने आते ही पूरे कैंपस में सनसनी फैल गई। तुरंत स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। मिली जानकारी के अनुसार सुसाइड की यह घटना राजस्थान यूनिवर्सिटी के माही हॉस्टल में हुई।

माही हॉस्टल में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट ने की सुसाइड

माही छात्रावास राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्राओं के लिए आवंटित है। यहां शनिवार को दोपहर बाद एक छात्रा के आत्महत्या की जानकारी सामने आई। सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान महारानी कॉलेज के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट के रूप में हुई है। छात्रा ने अपने कमरे में पंखे से कपड़े का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड के कारणों की नहीं मिली जानकारी

पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। इधर छात्रा की खुदकुशी पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। छात्रा ने सुसाइड क्यों किया, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। मालूम हो कि बीते दिनों माही हॉस्टल में वॉर्डन के व्यवहार सहित अन्य मुद्दों पर छात्राओं ने प्रदर्शन भी किया था।

महारानी कॉलेज में पढ़ाई करती थी छात्रा

माही हॉस्टल में सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान सारिका बुनकर के रूप में हुई है। सारिका महारानी कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। सारिका मूल रूप से दिल्ली रोड स्थित मनोहरपुर की रहने वाली थी। बताया जाता है कि छात्रा ने सुसाइड से पहले परिवार को फोन भी किया था।

युवती का मोबाइल लॉक, परिजनों की दी गई सूचना

घटना के बारे में गांधी नगर थानाधिकारी आशुतोष ने बताया- सुसाइड की घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे। परिवार को घटना की जानकारी दी है. युवती का मोबाइल लॉक है। परिवार के आने के बाद अन्य चीजों पर काम किया जायेगा। हॉस्टल में सारिका के साथ रहने और पढ़ने वाली छात्राओं से भी पूछताछ की जा रही है।

कमरे से नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

बताया गया कि शाम करीब 4 बजे सारिका के कमरे का गेट नहीं खोलने पर दूसरी छात्राओं ने वॉर्डन को जानकारी दी। इस पर वॉर्डन ममता जैन गार्ड को लेकर कमरे में पहुंची और गेट तोड़कर अंदर गए तो सारिका फंदे से लटकी मिली। कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. मामले की जांच जारी है।

राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्राओं का धरना-प्रदर्शन जारी है. गुरुवार रात भी छात्राएं कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करती नजर आई। अब छात्राओं का यह प्रदर्शन और तेज हो सकता है, क्योंकि गुरुवार रात NSUI के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने आंदोलनरत छात्राओं से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद विनोद जाखड़ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाये। साथ ही कहा कि विवि प्रशासन का रवैया तानाशाही है।

दरअसल राजस्थान विश्वविद्यालय के माही गर्ल्स हॉस्टल में नई वार्डन की नियुक्ति के मुद्दे पर छात्राएं कड़ाके की सर्दी में कुलपति सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि यह नियुक्ति उनके हितों और भावनाओं के खिलाफ है।

पाली की लड़की ने किया था सुसाइड

दस दिन पहले जवाहर लाल नेहरू मार्ग स्थित एमएनआईटी में पढ़ने वाली छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला। उसमें लिखा था कि ‘गलती मेरी ही है। मैं ही इस दुनिया में नहीं जी सकती। सबसे ज्यादा खुश मैं या तो बचपन में या नींद में थी।’ मृतक छात्रा 21 वर्षीय दिव्या राज मेघवाल थी जो कि पाली जिले की रहने वाली थी। वह एमएनआईटी में बीआर्क (आर्किटेक्चर) फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी।

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