मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 18 जुलाई 2024 | जयपुर : साल 2021, जगह पुणे। एक घर हवन के धुएं से भरा हुआ है। हर पांच मिनट बाद धुआं और बढ़ता जा रहा है। एक बाबा ने करीब आधे घंटे अकेले हवन करने के बाद घर की सबसे छोटी बच्ची को हवन कुंड के पास बिठा लिया है। कुछ देर बाद बाबा, अपनी जगह से उठते हैं और बच्ची के पिता गोविंद से कहते हैं, इस पर प्रेत का साया है।
तांत्रिक ने भूत भागने के नाम बच्चियों का रेप किया
मैं इसे अंदर के कमरे में ले जाकर पूजा करने वाला हूं। आपको कोई दिक्कत? जवाब आता है- नहीं बाबा जी। बाबा कमरे में जाते हैं। कुछ देर बाद कमरे से आती है। घर वालों को लगता है कि भूत शरीर छोड़ रहा है। आधे घंटे बाद बच्ची रोती हुई बाहर आती है और परिजन बाबा के पैर छूते हैं, उन्हें दक्षिणा देकर विदा करते हैं। ये वही बाबा है जिसने घर के नीचे गड़े धन का लालच देकर पीड़ित परिवार को अपने जाल में फंसाया।
फिर परिवार की बच्चियों पर भूत का साया बता कर रेप किया। डेढ़ महीने बाद बाबा ने ऐसा ही हवन परिवार की दूसरी बच्ची के साथ किया। और डेढ़ महीने बाद तीसरी बच्ची के साथ। ऐसा 6 महीने तक वो घर की पांच बच्चियों के साथ करता रहा।
इन सभी बच्चियों की उम्र 5 साल से 15 साल के बीच थी। 6 महीने बाद बाबा ने एक नई पूजा कराने की बात कही। इसके लिए गोविंद के बड़े भाई की दूसरी बेटी, जिसकी उम्र तब 16 साल थी, उसे दो दिनों तक अपने घर पर रखा।
पूरे एक दिन तक संपर्क नहीं होने के बाद घर वालों ने खोजबीन शुरू की। उसके अगले दिन पुलिस को सूचना दी और फिर परतें खुलीं। पता चला कि बाबा इस बच्ची के साथ बीते दो दिनों से रेप कर रहा था। उसके बाद इस बात का भी खुलासा हुआ कि परिवार की बाकी बच्चियों के साथ भी वह यही हरकतें करता था। कहानी उस परिवार की बच्चियों की, जिनका एक बाबा ने भूत भगाने के नाम पर शोषण किया…इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत बाबा पर मुकदमा दर्ज हुआ है और वह अभी जेल में है।
इसलिए हम परिवार की पहचान जाहिर नहीं कर रहे हैं… मैं जब पुणे के एक मोहल्ले में पहुंचा, तो पीड़ित परिवार का घर ढूंढने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। जिससे भी पूछा, सभी ने झुग्गियों की तरफ टूटते मकान के पास जाने का इशारा किया। सड़क से चार फीट नीचे हो चुके मकान में तोड़-फोड़ जारी थी। घर के बाहर सामान बिखरा पड़ा था।
पता चला कि परिवार में लोग ज्यादा हो गए हैं, अब नए मकान की जरूरत है। बाबा के प्रकोप से बीते तीन साल से उबरने की कोशिश कर रहा यह परिवार अब नया घर बनवा रहा है। काफी देर तक समझाने के बाद परिवार की मुखिया और बच्चों की दादी रजनी (बदला हुआ नाम) बात करने को तैयार हुईं। चेहरे पर बुझी हुई रौनक, जिसे नया घर बनने की खुशी से वो छुपाने की कोशिश कर रही हैं।
बातचीत के दौरान वो मेरी तरफ कम देखती हैं और नया कंस्ट्रक्शन निहारती रहती हैं। अरे वो खुद करीब आया। पहले उसने कहना शुरू किया कि मैं इन बच्चों का मामा हूं। शुरू-शुरू में दो-ढाई महीने पर आता था, तो सामने मंदिर में दो- तीन घंटे की पूजा करता था। फिर धीरे-धीरे घर आने लगा।जब घर आने लगा तो कहना शुरू किया कि ऐसा घर मैंने पहले नहीं देखा।
छोटे बेटे को किनारे ले जाकर अलग से बातें करता था। उससे कहता था कि तुम्हारे घर के नीचे सोना और पैसा गड़ा है। पूजा करानी पड़ेगी, वर्ना परिवार में कोई न कोई मरता रहेगा। मेरा बेटा उसकी चाल में फंस गया।’यह वही कमरा है जहां बाबा बच्चियों के साथ पूजा के नाम पर उनका शोषण करता था। घटना के बाद परिवार ने इसे तुड़वाकर बाथरूम बनवा दिया है।
मैंने बच्चों के चाचा और बाबा से लगातार बातचीत में रहने वाले गोविंद (बदला हुआ नाम) से बात की। वो बताते हुए भावुक हो जाते हैं।कहते हैं- ‘शुरुआत में उसने हमारे पूर्वजों और परिवार के बारे में कुछ पुरानी बातें बताईं। हमें लगा कि इसके पास कुछ शक्ति है। वह बाहर या पूजा घर में आकर, पूजा-पाठ कर चला जाता था। हर बार आता तो कम से कम पांच हजार फीस लेता था।
फिर धीरे-धीरे बच्चों से घुलने-मिलने लगा। खुद को मामा कहलवाने लगा। एक दिन वो बिना बुलाए आया। पूजा-पाठ का सामान मंगाया। नारियल, नींबू, काला कपड़ा, सिंदूर, नमक, लोबान वगैरह। उसने हवन-पूजा की और मेरी मंझली भतीजी की तरफ इशारा करके कहने लगा, इस पर किसी ने टोटका कर दिया है, अगर दूसरी पूजा नहीं हुई तो दो महीने में मर जाएगी। हम लोग डर गए।
उसने उस रात मेरी भतीजी को हवन पर बिठाए रखा और बेंत से बहुत मारा। वो दर्द से चिल्लाती थी और हमें लगता था कि प्रेत भाग रहा है।इसके बाद वो लगातार घर में आने लगा और इसी बीच उसने मुझसे जमीन के अंदर सोना-चांदी होने की बात कही। मैं और परिवार के बाकी लोगों पर तब तक तीन लाख का कर्जा हो चुका था।
हमने सोचा कि एक पूजा और करा लेते हैं, क्या पता कुछ पैसा मिल ही जाए।वो जब भी आता पूजा करने बैठ जाता। वो बच्चियों को बुलाता और उनको नींबू की माला पहना देता। कभी सिर पर नींबू काटता, तो कभी पेट के बल सुलाकर पीठ पर। इसके बाद कमरे में धुआं कर देता था और फिर उन्हें यहां-वहां छूता था।’
बच्चियों के चाचा गोविंद को इस बात का अपराधबोध है कि उनके घर में बाबा बेटियों के साथ गलत करता रहा और वह कुछ नहीं कर पाए।गोविंद इसके बाद फूट कर रोने लगे। मैंने उन्हें पानी दिया और देखा कि उनकी उंगलियां कांप रही हैं। उन्होंने मुझसे हाथ जोड़ा और आगे बात करने से मना कर दिया।
कुछ समय बाद बगल में बैठी परिवार की बड़ी बहू और पीड़िता की मां विनिता (बदला हुआ नाम) बोल पड़ीं- ‘बेटी रोते हुए कमरे से निकलती थी। पूछने पर कुछ भी नहीं बोलती थी। जब बाबा बाहर निकलता था, तो मैं पूछती भी थी। वो कहता था- अरे, उस पर भूत था, जब छोड़ता है तो ऐसा ही होता है।
पहले ये सब बाहर के कमरे में ही करता था, लेकिन कुछ समय बाद वो बच्चियों को दूसरे कमरे में ले जाने लगा। वो पहले पूछता था, अगर दरवाजा बंद करूं, तो कोई प्रॉब्लम? हम लोग मजबूरी में कहते थे, आपको ये सब मामा कहते हैं, आप पर भरोसा है। वो कमरे में जाता था और लाइट बंद कर देता था। हम लोग चुपचाप बैठकर थोड़ी देर बाद बच्चों की चीखें सुनते थे।
उसके साथ कमरे में जाने के बाद किसी को कुछ याद नहीं रहता कि वह बंद कमरे में क्या करता है। उसने एक बार मेरी देवरानी को भी कमरे में बंद किया। मेरी देवरानी ने भी बताया कि उसे कुछ याद नहीं वो पूरी रात ऐसे ही बैठी रहती थी। ‘बच्चियों की मां विनीता जब बेटियों के चिल्लाने पर बाबा से सवाल करतीं तो वह कहता था- उस पर भूत था, जब छोड़ता है तो ऐसा ही होता है।
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हमने नंदिनी जाधव से बात की। नंदिनी महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के साथ काम करती हैं। इन बच्चियों ने सबसे पहले नंदिनी को ही सारी बातें बताई थीं। वो बताती हैं- ‘बाबा ने इस परिवार की 16 साल की बच्ची को किडनैप कर लिया था। पूरा परिवार रो रहा था। छोटी बच्चियां गुमसुम बैठी थीं।
दादी ने सारी कहानी बताई तो हमें शक हुआ। इसके बाद मैंने बच्चियों को बारी-बारी से अलग ले जाकर पूछना शुरू किया। उन्होंने जो बताया वो सुनकर मेरे होश उड़ गए। किसी ने बताया कि उन्हें लिटाकर पूरे शरीर पर नींबू का रस लगाता था। प्राइवेट पार्ट्स पर सुपारी रखता था।
मैंने तभी तय कर लिया था कि इसे सजा दिला कर रहेंगे। चार साल हो गए, पॉक्सो एक्ट लगा है, जिसमें सारी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होती है, लेकिन उसे अभी सजा नहीं हुई है। वो कई बार समझौते के लिए प्रस्ताव भी भेज चुका है।’
ये नंदिनी जाधव हैं, महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के साथ काम करती हैं। पीड़ित बच्चियों ने इनसे ही सबसे पहले अपने साथ हुई ज्यादती का खुलासा किया।इसी परिवार की सबसे बड़ी बेटी को शुरुआत से ही बाबा पर भरोसा नहीं था। वो बाबा के घर आने का विरोध करती थी। परिजनों को लगता था कि वो बेवजह ऐसी बातें कर रही है।
अब बाबा की करनी सामने आने के बाद उसकी मां कहती हैं- बड़ी बेटी से बाबा बहुत चिढ़ता था। कहता था कि तुम्हारे घर में बहुत ज्यादा पैसा-सोना है, उसके लिए तुम्हें इस बेटी की बलि देनी पड़ेगी। अगर इसे बचाना है तो एक ही उपाय है कि इसकी पूजा करानी पड़ेगी।हम लोग डर जाते थे कि हमारी बहू-पोती ठीक रहे और कुछ नहीं चाहिए।
वह जब भी आता था तब पैसे मांगता रहता था। उसके चक्कर में 5 लाख रुपए खर्च हो गए। उसने हमें इतना सताया कि हम दाने-दाने को मोहताज हो गए। मैंने घर के सारे गहने बेचकर उसको पैसे दिए। जबकि वो मेरी बेटियों का रेप करता रहा। उसमें कीड़े पड़ेंगे।’
बात करते- करते विनिता गुस्से से भर जाती हैं। आंचल से चेहरा पोछती हैं और दोनों बेटियों को गोद में भींच लेती हैं। वो कहतीं है- मुझे इस बात का सबसे ज्यादा दुख होता है कि मां होकर भी मैंने ये सब कैसे होने दिया। मुझे जरा भी आभास नहीं हुआ। मैं ये सब याद नहीं करना चाहती हूं, लेकिन भूल भी नहीं पाती। मैं बेटियों से पूछती थी, तो वो कुछ नहीं बताती थीं।
मैंने परिवार की मुखिया रजनी से बातचीत शुरू की। उन्होंने बताया कि इस घटना से पूरा परिवार बर्बाद हो गया। वो कहती हैं, मेरी नातिन की सगाई टूट गई। लड़के वाले बहुत अच्छे थे। बाबा को जेल भिजवाने में उन्होंने बहुत मदद की। फिर बोले- हम लोग शादी नहीं कर पाएंगे।
मायके वालों ने मुझे मेरी ही भतीजी की शादी में नहीं बुलाया। भाभी को लगता है कि मैं उनके घर आऊंगी, तो कुछ टोटका कर दूंगी। पति की मौत हुई, तो भाई मुझे मायके ले जाने नहीं आया। मैंने भी रिश्ता तोड़ ही दिया है, लेकिन मायका कहां छूटता है।’
दादी रजनी बताती हैं कि वो परिवार की सभी बच्चियों को हमेशा पास रखती हैं। एक दिन के लिए भी अकेले नहीं छोड़ती हैं। उन्हें गर्ल्स स्कूल में भेजा जाता है और वह खुद स्कूल तक छोड़ने जाती हैं। हमने पुणे में अंध श्रद्धा के उन्मूलन के लिए काम कर रहे मिलिंद देशमुख से बाबाओं के पैटर्न को समझने की कोशिश की।
मिलिंद इस केस से भी जुड़े रहे हैं। वो बताते हैं, बाबाओं का यह सिंपल पैटर्न है। या तो डर का कारोबार करो या लालच का। यहां बाबा ने पहले लालच दिखाया और फिर डर बैठाना शुरू किया। उसने देखा कि घर में सिर्फ लड़कियां हैं, तो इन्हें लड़के का लालच दिया जा सकता है।
उसने तकरीबन पांच लाख रुपए पूजा और अपनी फीस के नाम पर खर्च करा दिए। जब परिवार कर्ज में डूब गया, तो लालच दिया कि जमीन के नीचे धन है, वो पूजा करने के बाद बाहर निकल सकता है। परिवार इस ट्रैप में भी फंस गया और फिर जो हुआ वो सबके सामने है।