भारत के सबसे बड़े दानवीर, नेक दिल कारोबारी रतन टाटा को अंतिम जोहार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अक्टूबर 2024 | मुंबई : भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के मुखिया रतन टाटा का निधन हो गया है। वे टाटा संस के मानद चेयरमैन थे। उन्होंने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। उन्हें बुधवार को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 7 अक्टूबर को भी उन्हें अस्पताल जाने की खबर आई थी, लेकिन उन्होंने पोस्ट करके कहा था कि वे ठीक हैं और चिंता की कोई बात नहीं है।

भारत के सबसे बड़े दानवीर, नेक दिल कारोबारी रतन टाटा को अंतिम जोहार

पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा की अगुआई में ही टाटा ग्रुप ने देश की सबसे सस्ती कार लॉन्च की, तो हाल ही में कर्ज में फंसी एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ की कैश डील में खरीदा था। बिजनेस में बेहद कामयाब रतन टाटा निजी जिंदगी में बेहद सादगी पसंद थे और मुंबई में अपने छोटे से फ्लैट में रहते थे।

भारत के सबसे बड़े दानवीर, नेक दिल कारोबारी रतन टाटा को अंतिम जोहार

माता-पिता बचपन में अलग हुए, दादी ने परवरिश की

  • 28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर जन्मे रतन टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के परपोते थे। उनका परिवार पारसी धर्म से है। उनके माता पिता बचपन में ही अलग हो गए थे और दादी ने उनकी परवरिश की थी। 1991 में उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था।
  • रतन टाटा की चार बार शादी होते-होते रह गई। टाटा बताते हैं कि एक बार तो शादी हो ही गई होती, जब वो अमेरिका में थे। उसी समय उनकी दादी ने उन्हें फोन करके बुला लिया। उसी समय भारत-चीन युद्ध छिड़ जाने की वजह से वे अमेरिका नहीं जा के। कुछ समय बाद उस लड़की ने किसी और से शादी कर ली।

21 साल चेयरमैन रहे, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ा

  • 1962 में फैमिली बिजनेस जॉइन किया था। शुरुआत में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया। इसके बाद वे मैनेजमेंट पोजीशन्स पर लगातार आगे बढ़े। 1991 में, जे.आर.डी. टाटा ने पद छोड़ दिया और ग्रुप की कमान रतन टाटा को मिली।
  • 2012 में 75 वर्ष के होने पर, टाटा ने एग्जीक्यूटिव फंक्शन छोड़ दिए। उनके 21 वर्षों के दौरान, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ गया। इसमें अधिकांश रेवेन्यू जगुआर-लैंडरोवर व्हीकल्स और टेटली जैसे पॉपुलर टाटा उत्पादों की विदेशों में बिक्री से आया।
  • चेयरमैन का पद छोड़ने के बाद उन्होंने 44 साल के साइरस मिस्त्री को उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उनका परिवार ग्रुप में सबसे बड़ा इंडिविजुअल शेयरहोल्डर था। हालांकि, अगले कुछ वर्षों में, मिस्त्री और टाटा के बीच तनाव बढ़ गया।
  • अक्टूबर 2016 में, चार साल से भी कम समय के बाद, मिस्त्री को रतन टाटा के पूर्ण समर्थन के साथ टाटा के बोर्ड से बाहर कर दिया गया। फरवरी 2017 में नए उत्तराधिकारी का नाम घोषित होने तक टाटा ने चेयरमैन के रूप में अपना पद वापस ले लिया।

कम बात करते थे, बुक लवर और कारों के शौकीन

  • टाटा को बचपन से ही कम बातचीत पसंद थी। वे केवल औपचारिक और जरूरी बात ही करते थे। वे बुक लवर थे और उन्हें सक्सेस स्टोरीज पढ़ना बहुत पसंद था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद वे अपने इस शौक को समय दे रहे हैं।
  • वे 60-70 के दशक के गाने सुनना पसंद करते थे। वे कहते थे, ‘मुझे बड़ी संतुष्टि होगी अगर मैं शास्त्रीय संगीत बजा पाऊं। मुझे शॉपेन पसंद है। सिम्फनी भी अच्छी लगती है। बिथोवन, चेकोस्की पसंद हैं, पर मुझे लगता है कि काश मैं खुद इन्हें पियानो पर बजा सकता।’
  • कारों के बारे में पूछने पर टाटा ने बताया था कि मुझे कारों से बहुत लगाव है। उन्होंने कहा था ‘मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक है। खासतौर पर उनकी स्टाइलिंग और उनके मैकेनिज्म के प्रति गहरा रुझान है। इसलिए मैं उन्हें खरीदता हूं, ताकि उन्हें पढ़ सकूं।’

50 साल छोटे दोस्त को खुद ड्राइव कर डिनर पर ले गए

शांतनु नायडू (बाएं) रतन टाटा के सबसे करीबी दोस्त रहे। वे टाटा ग्रुप के जनरल मैनेजर हैं।

शांतनु नायडू (बाएं) रतन टाटा के सबसे करीबी दोस्त रहे। वे टाटा ग्रुप के जनरल मैनेजर हैं।
  • रतन टाटा के सबसे करीबी माने जाने वाले 30 साल के शांतनु नायडू ने भास्कर से बातचीत में उनके व्यक्तित्व के कई पहलू साझा किए थे। शांतनु टाटा ग्रुप के जनरल मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि मैं टाटा के साथ डिनर करने गया था। वे खुद कार चलाकर मुझे मुंबई के ‘थाई पवेलियन’ ले गए थे। डिनर के दौरान मैंने टाटा से कहा, जब मैं ग्रेजुएट हो जाऊंगा, तो क्या आप मेरे दीक्षांत समारोह में आएंगे? इस पर टाटा ने कहा कि मैं पूरी कोशिश करूंगा और वे आए भी।
  • शांतनु ने कहा कि मैं कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में MBA करने अमेरिका जा रहा था, तब उनसे पहली बार मिला। उन्होंने मेरी चोट देखकर मजाक में कहा था ‘किसी डॉग ने काट लिया?’ तुरंत ही माफी मांगने लगे और कहा, बहुत खराब जोक था।

COVID-19 महामारी के समय 500 करोड़ रुपए दान दिये

रतन टाटा, ग्रुप की परोपकारी शाखा, टाटा ट्रस्ट में गहराई से शामिल थे। टाटा ग्रुप की यह आर्म शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास जैसे सेक्टर्स में काम करती है।

अपने पूरे करियर के दौरान, रतन टाटा ने यह तय किया कि टाटा संस के डिविडेंड का 60-65% चैरिटेबल कॉज के लिए इस्तेमाल हो। रतन टाटा ने COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए 500 करोड़ रुपए का दान दिया था।

रतन टाटा ने एक एग्जीक्यूटिव सेंटर की स्थापना के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था। वे यहीं से पढ़े थे। उनके योगदान ने उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया, एक परोपकारी और दूरदर्शी के रूप में उनकी विरासत को और बढ़ाया है।

रतन टाटा की 7 तस्वीरें

1945 की तस्वीर रतन टाटा (बाएं) अपने भाई जिम्मी के साथ। यह तस्वीर उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर 10 जनवरी 2023 को शेयर करते हुए लिखा था- वो खुशी के दिन थे।

1945 की तस्वीर रतन टाटा (बाएं) अपने भाई जिम्मी के साथ। यह तस्वीर उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर 10 जनवरी 2023 को शेयर करते हुए लिखा था- वो खुशी के दिन थे।

यह तस्वीर तब ली गई थी जब रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में छात्र थे। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में, उन्होंने लिखा था कि वे यूनिवर्सिटी में अपने समय के दौरान सीखे लेसन्स से उत्साहित हैं।

यह तस्वीर तब ली गई थी जब रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में छात्र थे। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में, उन्होंने लिखा था कि वे यूनिवर्सिटी में अपने समय के दौरान सीखे लेसन्स से उत्साहित हैं।

JRD टाटा ने करीब 50 साल तक ग्रुप का नेतृत्व करने के बाद रतन नवल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।

JRD टाटा ने करीब 50 साल तक ग्रुप का नेतृत्व करने के बाद रतन नवल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।

रतन टाटा ने "भारत की पहली स्वदेशी कार, द टाटा इंडिका" की लॉन्चिंग के दौरान तस्वीरें खिंचवाईं।

रतन टाटा ने “भारत की पहली स्वदेशी कार, द टाटा इंडिका” की लॉन्चिंग के दौरान तस्वीरें खिंचवाईं।

रतन टाटा जेआरडी टाटा के साथ। रतन टाटा अपने ग्रुप को लेकर कहते थे- वहां के वर्क्स और सुपवाइजर दोनों से मिले प्यार और स्नेह को एन्जॉय किया।

रतन टाटा जेआरडी टाटा के साथ। रतन टाटा अपने ग्रुप को लेकर कहते थे- वहां के वर्क्स और सुपवाइजर दोनों से मिले प्यार और स्नेह को एन्जॉय किया।

अपने इंस्टाग्राम पेज पर, रतन टाटा ने इस तस्वीर के बारे में डिटेल में लिखा है- यह तब ली गई थी जब वे कॉलेज से छुट्टी पर थे।

अपने इंस्टाग्राम पेज पर, रतन टाटा ने इस तस्वीर के बारे में डिटेल में लिखा है- यह तब ली गई थी जब वे कॉलेज से छुट्टी पर थे।

रतन टाटा F-16 पर उड़ान भरने वाले पहले भारतीय नागरिक थे। वे लगभग 40 मिनट तक अमेरिकी वायु सेना के ब्लॉक 50 से संबंधित लड़ाकू विमान के को-पायलट रहे थे।

रतन टाटा F-16 पर उड़ान भरने वाले पहले भारतीय नागरिक थे। वे लगभग 40 मिनट तक अमेरिकी वायु सेना के ब्लॉक 50 से संबंधित लड़ाकू विमान के को-पायलट रहे थे।

156 साल पहले टाटा ग्रुप की स्थापना: इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी का हिस्सा

टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, इसकी 30 कंपनियां दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में 10 अलग-अलग बिजनेस में कारोबार करती हैं। अभी एन चंद्रशेखरन इसके चेयरमैन हैं।

टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल उसके चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है।

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2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल हैं। सुबह उठकर टाटा चाय पीने से लेकर टेलीविजन पर टाटा बिंज सर्विस का इस्तेमाल, और टाटा स्टील से बने अनगिनत उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं।

रतन टाटा कहते थे…’सबसे बड़ा जोखिम, जोखिम नहीं उठाना है’

  • ‘अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलें। लेकिन अगर आप लंबी दूरी जाना चाहते हैं, तो साथ-साथ चलें।’
  • ‘लोग आप पर जो पत्थर फेंकते हैं, उन्हें लीजिए और उनका उपयोग मॉन्यूमेंट बनाने के लिए कीजिए।’
  • ‘मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं रखता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित करता हूं।’
  • धैर्य और दृढ़ता से चुनौतियों का सामना करें क्योंकि वे सफलता की आधारशिला हैं।’
  • ‘सबसे बड़ा जोखिम,जोखिम नहीं उठाना है। तेजी से बदलती दुनिया में एक ही स्ट्रैटेजी है जो नाकाम बना सकती है, वह है जोखिम न उठाना।’

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MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

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‘एयरटेल जियो और वोडाफोन ने राजस्थान में एक महीने में 4 लाख उपभोक्ता खोये’ TRAI

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 01 अक्टूबर 2024 |  जयपुर : जिस बात की आशंका जताई जा रही थी, वह सही साबित हो रही है। आम चुनावों के खत्म होते ही टेलिकॉम कंपनियों ने मोबाइल टैरिफ में बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। टेलीकॉम कंपनियों द्वारा बढ़ाई गई दरों का सबसे ज्यादा असर भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो पर पड़ा है। वहीं, बीएसएनएल को फायदा हुआ है।

‘एयरटेल जियो और वोडाफोन ने राजस्थान में एक महीने में 4 लाख उपभोक्ता खोये’ TRAI

एयरटेल जियो और वोडाफोन ने एक महीने में 4 लाख उपभोक्ता खोये

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के जुलाई माह के आंकड़ों के अनुसार तीनों कंपनियों ने राजस्थान में 4 लाख से ज्यादा ग्राहक खोए हैं। वहींं, बीएसएनएल से करीब 44 हजार जुड़े हैं। दरअसल, जुलाई माह में तीनों बड़ी कंपनियों ने टैरिफ में 11 से 21% तक की बढ़ोतरी की थी, लेकिन बीएसएनएल ने खराब वित्तीय हालात के बावजूद प्लान यथावत रखा।

एक्सपर्ट ने कहा- बीएसएनएल से 43 हजार ग्राहक ही जुड़े, 3.86 लाख ने दूसरी सिम बंद कर दी

राजस्थान में करीब चार लाख 30 हजार मोबाइल उपभोक्ता कम हुए हैं। ऐसे में सवाल है कि बीएसएनएल के 43 हजार उपभोक्ता बढ़े तो बाकी 3 लाख 86 हजार उपभोक्ता कहां गए? विशेषज्ञों का कहना है कि दरों में एकसाथ 11 से 21% तक बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं का खर्च यकायक बढ़ गया। इससे दो सिम वाले उपभोक्ता एक सिम पर आ गए। जिन लोगों ने घर में इंटरनेट कनेक्शन ले रखा था या ले लिया, उन्होंने भी सिम बंद करवा दी।

मोबाइल टैरिफ में 12 से 21 फीसदी बढ़ोतरी

देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने मोबाइल टैरिफ में 12 से 15 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी। इसके एक दिन बाद आज भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ने भी मोबाइल टैरिफ की दरों में 10 से 21 फीसदी इजाफे का एलान कर दिया।

बढ़े हुए टैरिफ तीन जुलाई 2024 से लागू होंगे। कंपनी की इस घोषणा के बाद पोस्टपेड और प्रीपेड दोनों प्लान महंगे होंगे। जियो और एयरटेल के बाद अब वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) के भी रेट में इजाफा करने की संभावना है।

टेलिकॉम कंपनियों ने नवंबर 2021 के बाद पहली बार टैरिफ में बड़ा इजाफा किया है। इसका मकसद एवरेज रेवेन्यू पर यूजर बढ़ाना है। जानकारों का कहना है कि टेलिकॉम कंपनियों ने 5जी सर्विसेज के लिए भारी निवेश किया है। मसलन जियो और एयरटेल ने 5जी सेवाएं शुरू करने के लिए दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है।

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लेकिन अब तक उन्हें इस इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न नहीं मिला है। मई में एयरटेल के एमडी गोपाल विट्टल ने कहा था कि इंडस्ट्री का रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड बढ़ाने के लिए टैरिफ में भारी बढ़ोतरी की जरूरत है। मोबाइल टैरिफ के साथ-साथ ब्रॉडबैंड सर्विस का टैरिफ भी बढ़ाया गया है।

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बिड़ला-अडानी को चूना पत्थर की खदान, औने-पौने दामों क्यों दे रही है भजनलाल सरकार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 सितंबर 2024 | जयपुर : (द वायर हिंदी से व्यापक जनहित में साभार) राजस्थान: पंद्रह सीमेंट खदानों के एकमात्र बोलीदाता अडानी कैसे बने, पर्दे के पीछे क्या हुआ? शीर्षक से दिनांक 19 सितंबर 2024 को अंकित राज ने खबर प्रकाशित की थी कि भारत के सीमेंट उद्योग में पिछले कुछ वर्षों से प्रतिस्पर्धा ख़त्म करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है।

चूना पत्थर की नीलामी के इस खेल में राजस्थान को भारी भरकम वित्तीय नुकसान की व्यापक संभावनाएँ हैं।  वित्त वर्ष 2023-24 में राजस्थान में चूना पत्थर के कुल 21 ब्लॉक की नीलामी हुई थी।

इनमें से 20 अंबुजा सीमेंट ने हासिल की थीं, और कम-अस-कम 15 खदानों की नीलामी में अंबुजा सीमेंट बोली लगाने वाली इकलौती कंपनी थी। इनमें से 13 राजस्थान सरकार ने रद्द कर दी हैं। दो बड़े खिलाड़ी- कुमार मंगलम बिड़ला और गौतम अडानी, छोटे खिलाड़ियों को अपने पाले में मिलाए जा रहे हैं। 

बिड़ला-अडानी को चूना पत्थर की खदान, औने-पौने दामों क्यों दे रही है भजनलाल सरकार

अल्ट्राटेक सीमेंट (कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी) और अंबुजा सीमेंट (गौतम अडानी की कंपनी) दूसरी कंपनियों का तेज़ी से अपनी कंपनी में या तो विलय कर रही हैं या उनका अधिग्रहण कर ले रही हैं।

चूना पत्थर की खदान राजस्थान

यह प्रतिस्पर्धा सीमेंट बाज़ार में मोनोपोली की और बढ़ रही है। तीन साल से भी कम समय में गौतम अडानी देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी के मालिक बन चुके हैं। उन्होंने मई 2022 में अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड में 63.15% और एसीसी लिमिटेड में 56.69% हिस्सेदारी लेकर इस मैदान में कदम रखा था।

लेकिन मामला सिर्फ़ कंपनियों के अधिग्रहण तक सीमित नहीं है। सीमेंट बनाने के लिए सबसे आवश्यक कच्चा माल चूना पत्थर (लाइम स्टोन) है, जिसकी खदानों की नीलामी में 2023-24 में अडानी समूह को बड़ी सफलता मिली थी। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में अंबुजा सीमेंट्स ने चूना पत्थर की 24 नई खदानों की बोलियां जीतीं, जिनमें से 20 सिर्फ़ राजस्थान में थीं।

वित्त वर्ष 2023-24 में राजस्थान में चूना पत्थर के कुल 21 ब्लॉक की नीलामी हुई थी। द वायर हिंदी की पड़ताल के अनुसार, इनमें से 20 अंबुजा सीमेंट ने हासिल की थीं, और कम-अस-कम 15 खदानों की नीलामी में अंबुजा सीमेंट बोली लगाने वाली इकलौती कंपनी यानी सिंगल बिडर थी।

राजस्थान सरकार ने इनमें से 13 ब्लॉक की नीलामी रद्द कर दी है। इस बारे में द वायर हिंदी की पिछली रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम पड़ताल करेंगे कि 20 ब्लॉक अडानी को कैसे मिले थे। लेकिन पहले नीलामी से जुड़ी थोड़ी तकनीकी चीजें समझ लेते हैं।

चूना पत्थर के खदानों की नीलामी की प्रक्रिया

वर्तमान में खदानों की अधिकतर नीलामी ऑनलाइन होती है। गौर करें, चूना पत्थर माइनर मिनिरल है, यानी इससे जुड़े फ़ैसले लेने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, लेकिन ई-नीलामी केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण वाली एमएसटीसी लिमिटेड ही करती है।  

नीलामी की प्रक्रिया दो चरणों में होती है। पहले चरण में कंपनी टेक्निकल बिडर बनने की पात्रता से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराती है। सरकार ब्लॉक के रिजर्व प्राइस यानी बेस प्राइस की घोषणा करती है। नीलामी में शामिल कंपनियों को इसके बराबर या ज्यादा की बोली लगानी होती है, जिसे इनिशियल प्राइस कहा जाता है।

सभी मानदंड पूरा करने वाली कंपनी को टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर घोषित किया जाता है और हाईएस्ट इनिशियल प्राइज को फ्लोर प्राइज मान लिया जाता है। टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर को उनके द्वारा पेश किए गए इनिशियल प्राइज के आधार पर सूचीबद्ध किया जाता है।

पहले पांच टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर को क्वालिफाइड बिडर मान लिया जाता है, और यही आगे की नीलामी में भाग ले पाते हैं। अगर टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर की संख्या तीन से कम है तो किसी को क्वालिफाइड बिडर नहीं माना जाता है और खनिज (नीलामी) नियम, 2015 के नियम-9 (10) के अंतर्गत नीलामी के प्रथम प्रयास को रद्द कर दिया जाता है।

इसके बाद दोबारा नीलामी का आयोजन किया जाता है। दूसरे प्रयास में पहले प्रयास के हाईएस्ट इनिशियल प्राइस को रिजर्व प्राइस बना दिया जाता है। दूसरे प्रयास में तीन से कम टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर होने की स्थिति में भी नीलामी रद्द नहीं की जाती है और प्रक्रिया अगले चरण के लिए जारी रहती है।

नीलामी के दूसरे चरण में क्वालिफाइड बिडर को फाइनल प्राइस ऑफर करना होता है, जो फ्लोर प्राइज से अधिक होनी चाहिए। सबसे अधिक फाइनल प्राइस ऑफर करने वाले को प्रिफर्ड बिडर घोषित कर दिया जाता है। प्रिफर्ड बिडर के माइनिंग प्लान को एनओसी मिल जाने के बाद उसे सक्सेसफुल बिडर घोषित कर दिया जाता है।

सक्सेसफुल बिडर राज्य सरकार के साथ एमडीपीए (माइन डेवलपमेंट एंड प्रोडक्शन एग्रीमेंट) साइन करता है। अपफ्रंट पेमेंट (संसाधन के अनुमानित मूल्य का 0.50%) की तीनों किस्त जमा करने के बाद सक्सेसफुल बिडर को माइनिंग लीज ऑर्डर मिल जाता है।

राजस्थान की किन खदानों में सिंगल बिडर रही अंबुजा

अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में खनन कार्य करती है। वित्त वर्ष 2023-24 में राजस्थान सरकार ने लाइमस्टोन यानी चूना पत्थर की 21 ब्लॉकों की नीलामी की। सभी ब्लॉक नागौर जिला के नागौर और देह तहसील में हैं।

ये ब्लॉक हैं- PSB01, PSB02, PSB03, PSB04, PSB05, PSB06, PSB07, PSB08, PSB09, PSB10, PSB11, PSB12, PSB13, PSB14, PSB15, PSB16, PSB17, PSB18, HPB19, HPB20 और HPB21 हैं।

फोटो साभार: खान एवं भू-विज्ञान विभाग (राजस्थान)

सभी ब्लॉक का कुल क्षेत्रफल 14.17 स्क्वायर किलोमीटर है। द वायर हिंदी के पास कुल 18 ब्लॉक की नीलामी के दस्तावेज़ हैं, जो बताते हैं कि गौतम अडानी की कंपनी अंबुजा सीमेंट लिमिटेड इन 15 खदानों की नीलामी में सिंगल बिडर थी। PSB03, PSB04, PSB05, PSB08, PSB09, PSB10, PSB11, PSB12, PSB13, PSB14, PSB15, PSB16, PSB17, PSB18 और HPB21 हैं।

आठ ब्लॉक के लिए 21 जुलाई को जारी हुआ था नोटिस 

PSB03, PSB04, PSB05, PSB08, PSB09, PSB10 और PSB15, PSB16 की ई-नीलामी के लिए 21 जुलाई 2023 को एनआईटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर्स) जारी हुआ था। ये सभी ब्लॉक नागौर तहसील में हरीमा गांव में है।

इन सभी ब्लॉक में भिन्न मात्रा में चूना पत्थर पाया जाता है, 0.90 मिलियन टन से लेकर 2.70 मिलियन टन तक। इन ब्लॉक में कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) का औसत ग्रेड 48.4 से लेकर 51.74 प्रतिशत तक है। सीमेंट की गुणवत्ता चूना पत्थर में कैल्शियम ऑक्साइडकी मात्रा से तय होती है।

इन आठ ब्लॉक की नीलामी के लिए निविदा आमंत्रण सूचना (एनआईटी) 21 जुलाई को जारी हुई थी। लेकिन टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर की संख्या तीन से कम होने के कारण नीलामी के प्रथम प्रयास को रद्द कर दिया गया। दूसरी बार नीलामी का प्रयास सितंबर 2023 में किया गया। इन ब्लॉक की ई-नीलामी के पहले प्रयास में हाईएस्ट इनिशियल प्राइज 25.10% प्राप्त हुआ था, दूसरे प्रयास में इसे रिजर्व प्राइज बना दिया गया।

इस बीच राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई और ई-नीलामी की प्रक्रिया रोक दी गई। चुनाव के बाद प्रक्रिया फिर शुरू हुई। विभाग का कहना है कि नीलामी के दूसरे प्रयास में केवल अंबुजा सीमेंट्स टेक्निकली क्वालिफाईड हुआ जिसने हाईएस्ट इनिशियल प्राइज 25.15% प्रस्तावित किया।

एमएसटीसी लिमिटेड के माध्यम से अंतिम बोली 21 फरवरी-7 मार्च 2024 के बीच लगी। अंबुजा सीमेंट लिमिटेड ने 25.20% की उच्चतम बोली पेश की और इन आठ ब्लॉक के लिए प्रिफर्ड बिडर बन गई। (सभी ब्लॉकों के क्षेत्रफल और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) का औसत ग्रेड प्रतिशत नीचे दिए चार्ट में देखें।)

फोटो साभार: खान एवं भू-विज्ञान विभाग (राजस्थान)

छह ब्लॉक के लिए 10 जुलाई को जारी हुआ था एनआईटी

PSB12, PSB13, PSB14, PSB17, PSB18 और HPB21 के लिए निविदा 10 जुलाई को आमंत्रित की गयी थीं। इन सभी ब्लॉकों की ई-नीलामी का पहला प्रयास भी टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर की संख्या तीन से कम होने की वजह से रद्द करना पड़ा। (यहां से PSB12 और HPB21 की कहानी थोड़ी भिन्न है। उस पर बाद में लौटेंगे।)

PSB13, PSB14, PSB17 और PSB18 की नीलामी की प्रक्रिया और परिणति एक समान रही। ई-नीलामी के दूसरे प्रयास में इन चार ब्लॉकों के लिए रिजर्व प्राइज 25.05% रखा गया, क्योंकि पिछले प्रयास में यही हाईएस्ट इनिशियल प्राइज था।

लेकिन विधानसभा चुनाव की वजह से ई-नीलामी रुक गई। चुनाव के बाद नीलामी की प्रक्रिया फिर शुरू हुई। विभाग के मुताबिक, दूसरे प्रयास में इन ब्लॉकों में केवल एक ही बिडर टेक्निकली क्वालिफाईड पाया गया- अंबुजा सीमेंट लिमिटेड।

ज़ाहिर है, इसी कंपनी से हाईएस्ट इनिशियल प्राइज 25.10% मिला। इन चार ब्लॉकों की ई-नीलामी के दूसरे प्रयास में अंतिम बोली 4 से 12 मार्च, 2024 के बीच लगी। अंबुजा सीमेंट लिमिटेड ने इन सभी ब्लॉकों के लिए 25.15% की उच्चतम बोली पेश की और प्रिफर्ड बिडर बन गई।

ब्लॉक HPB21 का रेट अलग

इस ब्लॉक की ई-नीलामी के दूसरे प्रयास में रिजर्व प्राइज 27.05% रखा गया, क्योंकि पिछले प्रयास में यही हाईएस्ट इनिशियल प्राइज था। विभाग के मुताबिक, यहां भी दूसरे प्रयास में सिर्फ़ एक बिडर टेक्निकली क्वालिफाईड पाया गया- अंबुजा सीमेंट लिमिटेड। अंतिम बोली 13 मार्च, 2024 को लगी। अंबुजा सीमेंट लिमिटेड ने इस ब्लॉक के लिए 27.10% की उच्चतम बोली पेश की और प्रिफर्ड बिडर बन गई।

ब्लॉक PSB12

टेक्निकली क्वालिफाइड बिडर की संख्या दो होने के कारण PSB12 की ई-नीलामी के प्रथम प्रयास को रद्द कर दिया गया। ई-नीलामी के दूसरे प्रयास के लिए 11 सितंबर, 2023 से निविदा-पत्र की बिक्री शुरू हुई। इस ब्लॉक के ई-नीलामी के पहले प्रयास में हाईएस्ट इनिशियल प्राइज 50.40% प्राप्त हुआ था, दूसरे प्रयास में इसे ही रिजर्व प्राइज बना दिया गया।

विभाग के मुताबिक ई-नीलामी के दूसरे प्रयास में केवल एक ही बिडर टेकनीकली क्वालिफाईड हुआ-  अंबुजा सीमेंट लिमिटेड। इसी से हाईएस्ट इनिशियल प्राइज 50.45% प्राप्त हुआ। 1 मार्च, 2024 को लगी अंतिम बोली के दौरान अंबुजा सीमेंट लिमिटेड ने 50.50% की उच्चतम बोली पेश की। 5, मार्च 2024 को गौतम अडानी की कंपनी प्रिफर्ड बिडर बन गई।

ब्लॉक- PSB11

इस खदान की नीलामी में सिर्फ़ अंबुजा सीमेंट लिमिटेड ने भाग लिया था। 29 फ़रवरी, 2024 को  अंबुजा सीमेंट लिमिटेड ने 50.50% की उच्चतम बोली पेश की और खदान को अपने नाम कर लिया। गौर करें कि इन 15 खदानों में से सिर्फ HPB21, PSB12 और PSB11 की अंतिम बोली अन्य सभी खदानों की अंतिम बोली से अधिक है।

PSB12 और PSB11 के लिए अन्य खदानों की तुलना में दोगुने से अधिक की बोली लगी, जबकि ऐसा नहीं है कि इन खदानों में कहीं अधिक मात्रा या गुणवत्ता का चूना पत्थर है (पुष्टि के लिए ऊपर दिए चार्ट को देखें)। फिर ऐसा क्यों हुआ?

दरअसल, PSB12 और PSB11 की नीलामी के पहले प्रयास में बोली लगाने वाली अन्य कंपनी ने इसका भाव बढ़ा दिया था, जिससे मजबूर होकर नीलामी के दूसरे प्रयास में अंबुजा सीमेंट को अधिक बोली लगानी पड़ी।

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इस बारे में शीघ्र पढ़ें हमारी आगामी पड़ताल: जिन ब्लॉकों की नीलामी में अंबुजा बोली लगाने वाली इकलौती कंपनी नहीं थी, उनका भाव क्या रहा? जिन जगहों पर अंबुजा अकेली कंपनी थी, वहां बोली कितनी कम रही? सरकार को कितनी राजस्व हानि हुई?

अडानी और सरकार से नहीं मिला जवाब

इस विषय पर हमने अडानी समूह को ईमेल के माध्यम से सवाल भेजे हैं, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से जवाब नहीं आया है। इस मसले पर द वायर हिंदी ने राजस्थान के नागौर के खनन अभियंता कमलेश्वर, डीएमजी (डिपार्टमेंट ऑफ माइंस एंड जियोलॉजी) के एक अन्य खनन अभियंता सतीश आर्या, खान एवं पेट्रोलियम विभाग (राजस्थान) की संयुक्त शासन सचिव आशु चौधरी से लेकर इस विभाग के के प्रबंध निदेशकभगवती प्रसाद से संपर्क किया है। लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया है. भगवती प्रसाद को उनके आधिकारिक ईमेल पर सवाल भी भेजे गए हैं, लेकिन जवाब नहीं आया है।

व्यापक जनहित में साभार : द वायर हिंदी 

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