मूकनायक मीडिया : युवा-मन की बुलंद आवाज़

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 06 जुलाई 2024 | जयपुर : बाबासाहब डॉ अंबेडकर एक पत्रकार के रूप में बहिष्कृत समाज की मुक्ति के साथ नए राष्ट्र के निर्माण लिए कार्य करते रहे, जिसकी परिकल्पना और शुरुआत ‘मूकनायक’ के प्रकाशन द्वारा दलितों की सदियों की खामोशी को तोड़ने के लिए की। वर्ष 2020 ‘मूकनायक’ समाचार-पत्र का शताब्दी वर्ष है। अब से ठीक सौ वर्ष पहले 31 जनवरी, 1920 को  ‘मूकनायक’ का पहला अंक प्रकाशित हुआ था। डॉ अंबेडकर के बहुआयामी व्यक्तित्व को  पत्रकार के रूप में याद करते हुए ‘मूकनायक’ के प्रकाशन की 100 वीं वर्षगांठ के मौके पर हम इसका डिजीटल संस्करण आप सबके समक्ष ला रहे हैं । 

मूकनायक मीडिया : युवा-मन की बुलंद आवाज़

बाबासाहब डॉ अंबेडकर की पत्रकारिता का काल 1920 से 1956 तक विस्तारित है जिसमें उन्होंने ‘मूकनायक-1920’, ‘बहिष्कृत भारत-1927’,  ‘जनता- 1930’, तथा प्रबुद्ध भारत-1956  में प्रकाशित किए। अमेरिका में अध्ययन कर 21 अगस्त 1917 को डॉ  अंबेडकर के बम्बई वापस आने के बाद उनका यह प्रथम सामाजिक प्रयास था, जिसका उद्देश्य समाज के शोषितों, उत्पीड़ितों और वंचितों को जगाना था, विशेषकर बहिष्कृत अछूतों को। हर वक्त उनकी चिंता का विषय आदिवासियों की पीड़ा और  अस्पृश्यों का अपमान और इससे मुक्ति बनी रही।

इस डिजिटल प्लेटफार्म पर हम डॉ अंबेडकर के पत्रकार व्यक्तित्व पर विशेष श्रृंखला के तहत उन लेखों का प्रकाशन करेंगे, जो उनकी पत्रकारिता पर केंद्रित हैं। साथ ही,  जो उनके पत्रकारिता के मानदंडों, मूल्यों और उसकी वैचारिकी से रू-ब-रू करायेंगे। इसकी शुरुआत हम तत्काल कर रहे हैं। मूकनायक (पाक्षिक)  डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने समाज के दर्द और विद्रोह को व्यक्त करने के लिए शुरू किया गया था।

इस के संपादक पांडुरंग नंदराम भटकर, एक शिक्षित महार युवा थे। क्योंकि अंबेडकर कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे, इसलिए वे संपादक के रूप में खुलकर काम नहीं कर सके।  ‘मनोगत’ शीर्षक वाले पहले अंक में पहला लेख खुद डॉ अंबेडकर ने लिखा था। छत्रपति राजर्षि शाहू महाराज ने मूक नायक को 2,500 रुपये की आर्थिक मदद दी थी।

बाबासाहब डॉ अंबेडकर ने कहा था कि ‘किसी भी आंदोलन के सफल होने के लिए, उस आंदोलन का अखबार बनना होगा। एक आंदोलन बिना अखबार टूटे हुए पंखों वाली पार्टी की तरह होता है।’ ‘मूकनायक’ ने उस अछूतों के बीच जागरूकता पैदा की और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया। उसका मुख्य उद्देश्य दलितों,  गरीबों और शोषित लोगों की शिकायतों को सरकार और अन्य लोगों तक पहुँचाना था।  इसके लिए,  बाबासाहब अंबेडकर ने अपने लेखों में, बहिष्कृत अछूत समुदाय के साथ हो रहे अन्याय पर प्रकाश डाला और उस समुदाय के उत्थान के लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को कुछ उपाय सुझाए।

बाबासाहब ने हमेशा महसूस किया कि अछूतों को अपने उद्धार या विकास के लिए राजनीतिक-शक्ति और शैक्षिक-ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है। उस दौर में, मूकनायक का उद्देश्य जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ  अछूतों का सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी मजबूत स्थान स्थापित करना था और अब भी यही रहेगा।

‘मूकनायक’ पत्र में विभिन्न विचार, करंट अफेयर्स, चयनित पत्रों के अंश, बहुजन-कल्याण, समाचार, वैज्ञानिक-दृष्टिकोण की पुनर्स्थापना, इत्यादि शामिल थे। किन्तु. आर्थिक-संकट की वजह से मूकनायक अप्रैल 1923 में बंद हो गया। मीडिया और अख़बार के अतिरिक्त कोई और जगह नहीं है जो हम बहुजनों के साथ हो रहे अन्याय-अत्याचार  का समाधान सुझाए और साथ-ही-साथ उनके भविष्य के उत्थान और उसके पथ के वास्तविक स्वरूप पर चर्चा करे।

लेकिन इंडिया में मीडिया और समाचार पत्रों के चरित्र को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि उनमें से अधिकांश जाति- विशेष के हित में हैं। न केवल वे अन्य जातियों के हितों की परवाह नहीं करते हैं, बल्कि कभी-कभी उन्हें नुकसान भी पहुँचाते हैं। ऐसे पत्रकारों के लिए हमारी चेतावनी है कि यदि किसी एक जाति को नीचा दिखाया जाता है, तो उसके अपमान का क्लिक दूसरी जाति में बैठे बिना नहीं होगा।

समाज एक नाव है, जिस तरह आग के गोले से यात्री जानबूझकर दूसरों को चोट पहुँचाता है, या अपने विनाशकारी स्वभाव के कारण, अगर वह किसी एक नाव में छेद करता है, तो उसे पहले या बाद में सभी नावों के साथ जलसमाधि लेनी होगी। उसी तरह, एक प्रजाति को नुकसान पहुँचाने से, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुँचाने वाली प्रजाति को भी नुकसान होगा। इसीलिए दूसरों को हानि पहुँचाकर अपना भला करने की मूर्खता का गुण नहीं सीखना चाहिए।

बाबासाहब डॉ अंबेडकर के संरक्षण में प्रकाशित मूकनायक के पहले अंक का पाठ इस प्रकार था – “हिंदू समाज एक मीनार है और एक जाति एक मंजिल है। लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि इस मीनार की कोई सीढ़ी नहीं है और इसलिए एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक जाने का कोई रास्ता नहीं है। जो जहाँ पैदा होते हैं, उन्हें उसी मंजिल पर मरना होता है । निचली मंजिल का व्यक्ति, चाहे वह कितना भी योग्य क्यों न हो, ऊपरी मंजिल पर और ऊपरी मंजिल पर मौजूद व्यक्ति तक उसकी पहुँच नहीं है, चाहे वह कितना भी अयोग्य क्यों न हो, उसे निचली मंजिल पर जाने का कोई भी उपाय नहीं है।  

क्योंकि लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा! गोदी मीडिया के इस दौर में पत्रकारिता को राजनीति और कारपोरेट दबावों से मुक्त रखने के लिए ‘मूकनायक-मीडिया’ के साथ जुड़ने का प्रयास कीजिएगा, वेबसाइट-लिंक पर आपका एक-एक क्लिक और सब्सक्राइब (subscribe) मिशन को समृद्ध से समृद्धतम बनाएगा क्योंकि यह बाबासाहब के अधूरे-सपनों को मंजिल तक पहुँचाने का एक मात्र रास्ता है । ‘मूकनायक : डॉ  अंबेडकर की बुलंद आवाज’ का दस्तावेज बनेगा, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।  

इस उद्देश्य की महती  पूर्ति में हम सबका मिलजुल कर छोटा ही सही पर महत्वपूर्ण कदम है। ‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ  पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका  सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही  फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है  “सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !

पत्रकारिता के मर्म और धर्म के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा हो सकती है।  आप स्वेच्छा से नीचे दी गयी कोई भी धनराशि जो आप चुनना चाहें, उस पर क्लिक करें। यह पूरी तरह स्वैच्छिक है। आप द्वारा दी गयी राशि आपकी ओर से स्वैच्छिक सहयोग  (Voluntary Contribution) होगा, जैसे-जैसे हमारे संसाधन बढ़ेंगे,  हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने की कोशिश करेंगे, और बिरसा- अंबेडकर-फूले के मिशन को कामयाबी की पराकाष्ठाओं तक ले जाने में सफल होंगे।

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जय बिरसा, जय भीम, जय फूले…

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    At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

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    नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

    मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान में ‘थप्पड़ कांड’ से चर्चित हुए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा 1 महीने से टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील की गई है।

    नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

    इसके चलते 17 दिसंबर को एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत को लेकर सुनवाई होगी। इधर, नरेश के समर्थकों में रिहाई की मांग को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। बता दें कि बीते दिनों उनियारा कोर्ट में नरेश की जमानत की एप्लीकेशन लगाई गई थी, जो खारिज हो गई थी।

    नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल

    टोंक जिले के देवली-उनियारा क्षेत्र में एसडीएम थप्पड़ कांड के 5वें दिन भी समरावता गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है। जब भी कोई नेता गांव में पहुंच रहा हैं तो व्यथा सुनाते हुए ग्रामीणों की आंखों से आंसू निकल पड़ते है।

    देवली-उनियारा के समरावता गाँव के लोग नये वीडियो से दहशत में है। वहीं, नरेश मीणा के पिता कल्याण सिंह मीणा भी गांव में पहुंचते ही रो पड़े। राजनेता वैसे तो नरेश मीणा की ज़मानत और उनकी रिहाई के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं पर अपनी राजनीति चमकाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। 

    भोली-भली जनता सोच रही है कि सड़क पर आंदोलन करने या बड़ी-बड़ी सभाएँ करने से नरेश मीणा की ज़मानत हो जायेगी। पर, ऐसा कतई नहीं है क्योंकि जमनत तो सिर्फ़ वकीलों की अच्छी पैरवी से होगी जो अभी तक नहीं हुई है।

    ग्रामीणों का आरोप ‘पुलिस कर देती एनकाउंटर’

    इतना सुनते ही नरेश मीणा के पिता भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। लोगों ने यह भी कहा कि नरेश को हम उठाकर नहीं ले जाते तो पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग उन्हें संभालते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति नरेश मीणा के एनकाउंटर की पुलिस की साजिश की बात कह रहा है।

    मूकनायक मीडिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रोफ़ेसर राम लखन ने अपने एक्स (X) हैंडल पर राजस्थान पुलिस को टैग करते हुए इनकी तटस्थ जाँच की माँग की है। उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस की छवि से जुड़े इस वीडियो की जाँच हो।

    ये है पूरा मामला

    बता दें कि विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में विधानसभा उप चुनाव 2024 के दौरान ग्राम समरावता थाना नगरफोर्ट, जिला टोंक में ग्रामीणो द्वारा उनके गांव समरावता को उपखण्ड देवली से हटाकर उपखण्ड उनियारा मे शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

    निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उक्त मांग को लेकर ग्रामीणो को साथ लेकर धरना शुरू किया। तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने वहां मौजूद एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी आरएएस उपखण्ड अधिकारी मालपुरा के थप्पड़ मार दी। इसके बाद घटनास्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गया।

    शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पकड़ा। लेकिन, ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर नरेश मीणा को छुड़ा लिया। उपद्रवियों ने दो राजकीय वाहन व 7 प्राईवेट वाहन एवं लगभग 25 मोटर साईकिलों में आग लगा दी।

    हालांकि, अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर मीना समर्थक भड़क गए और नरेश मीणा की रिहाई की मांग को लेकर कचरावता गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 डी पर जाम लगा दिया। इस पर पुलिस 60 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नरेश मीणा सहित सभी उपद्रवी अभी जेल में बंद है।

    नरेश मीणा कब आयेंगे जेल बाहर?

    राजस्थान में उपचुनाव के दिन 13 नवंबर को देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ जड़ दिया था। इसको लेकर समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई। उसके दूसरे दिन 14 नवंबर को टोंक पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

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    नरेश तब से टोंक जेल में बंद है। हालांकि एक बार उनियारा कोर्ट में उनकी जमानत याचिका को खारिज हो चुकी है। नरेश मीणा के वकील ने बताया कि जिला कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अब 17 दिसंबर को सुनवाई हुई। पर जमानत अभी तक नहीं हुई है।

    नरेश की रिहाई को लेकर गरमा रहा है मुद्दा

    इधर, एक महीने से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई का मामला गर्माता जा रहा है। नरेश मीणा के समर्थक उनकी रिहाई को लेकर लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में सर्व समाज की महापंचायत हुई।

    इधर, नरेश के समर्थक टोंक सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाएगा जो प्रशासन ने सोचा भी नहीं होगा। 

    नरेश मीणा की जमानत पर फिर टली सुनवाई

    बता दें कि थप्पड़ कांड के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। इस बीच दो बार उनकी जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। टोंक जिला न्यायालय में आज एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत अर्जी की सुनवाई टल गई है।

    अब 4 जनवरी को जमानत पर सुनवाई होगी। बता दें कि नरेश मीणा सहित 18 आरोपियों के लिए उनियारा एसीजेएम कोर्ट मेें दो बार अर्जी खारिज हो चुकी है। इधर, 29 दिसंबर को नरेश के समर्थक उनकी रिहाई के लिए महापंचायत बुला रहे हैं। इस दौरान टोंक कलेक्ट्रेट और टोंक हाईवे पर बड़ा प्रदर्शन करने का प्रस्तावित कार्यक्रम रखा गया है।

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    फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगी

    मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 16 दिसंबर 2024 | जयपुर : राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग केस में नया मोड़ आ गया है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा इस केस में सरकारी गवाह बन गए हैं। लोकेश शर्मा की सरकारी गवाह बनने की एप्लिकेशन को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा दिल्ली क्राइम ब्रांच में पहले ही बयान दे चुके हैं। अब इस केस में जांच आगे बढ़ सकती है।

    फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगी

    लोकेश शर्मा के सरकारी गवाह बनने के बाद अब इस केस में नया मोड़ आना तय है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच लोकेश के बयानों के आधार पर अब पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व एसीएस होम, तत्कालीन डीजीपी और गहलोत राज के कुछ अफसरों से पूछताछ कर सकती है। सरकारी गवाह बनने से लोकेश शर्मा को इस केस में राहत मिल गई है।

    फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने

    लोकेश शर्मा बोले- मेरे परिवार को खतरा, मुझे लगातार धमकियां मिल रही है

    लोकेश शर्मा ने कहा- फोन टैपिंग केस में सरकारी गवाह बनने की मेरी याचिका को कोर्ट ने मंजूर ​कर लिया है। अब मैं कोर्ट जब भी बुलाएगा तब फोन टैपिंग की पूरी सच्चाई सबूतों के साथ बताऊंगा। पहले जांच एजेंसी को मैं सबूत सहित सब बता चुका हूं। मैंने इतनी बड़ी सच्चाई को सामने रखा है, मेरे और मेरे परिवार को जान का खतरा है, मैं परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं।

    लोकेश शर्मा ने कहा- मैं हर सबूत बताने को तैयार हूं। सियासी संकट के वक्त तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत रोज विधायकों के फोन टैप करवाते थे। गहलोत अपने पक्ष के और विरोधी विधायकों के फोन टैप करवाने के बाद ट्रांसक्रिप्ट तैयार करवाकर पढ़ा करते थे। मैं उस समय यह रोज देखता था।

    लोकेश शर्मा को क्राइम ब्रांच ने अरेस्ट कर तुरंत छोड़ दिया था

    दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 21 दिन पहले ही सोमवार को लोकेश शर्मा को गिरफ्तार कर छोड़ दिया था। लोकेश शर्मा को 21 नवंबर को पटियाला हाउस कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली हुई थी। इससे पहले, 14 नवंबर को खुद लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में फोन टैपिंग केस में दायर गिरफ्तारी से राहत देने और केस राजस्थान ट्रांसफर करने की याचिका वापस ले ली थी। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हट गई थी।

    लोकेश शर्मा ने कहा था- फोन टैपिंग में गहलोत से हो पूछताछ, मेरा रोल नहीं

    लोकेश शर्मा ने क्राइम ब्रांच में दिए बयानों में केस को लेकर अशोक गहलोत के खिलाफ कई बातें बोली थीं। बयानों में कहा था- फोन टै​पिंग में मेरी कोई भूमिका नहीं है। अशोक गहलोत ने ही मुझे पेन ड्राइव में ऑडियो क्लिप देते हुए कहा था कि इसे मीडिया में भेज दो। मेरी फोन टै​पिंग में कोई भूमिका नहीं है।

    अब इस मामले में जो कुछ बता सकते हैं, वह गहलोत ही बता सकते हैं। अब अशोक गहलोत से क्राइम ब्रांच पूछताछ करे। उनके नजदीकी अफसरों से भी पूछताछ हो,वे ही बता सकते हैं। सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के फोन भी सर्विलांस पर थे। फोटो 2 साल पुराना है। गहलोत और पायलट में बगावत के बाद संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने दोनों के बीच समझौता करवाया था।

    लोकेश शर्मा ​फोन, पेन ड्राइव और लैपटॉप क्राइम ब्रांच को सौंप चुके

    लोकेश शर्मा ने अपना फोन, पेन ड्राइव और कुछ सबूत भी दिल्ली पुलिस को दिए थे। पहले दिल्ली क्राइम ब्रांच से पूछताछ में लोकेश शर्मा ने ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया से मिलने की बात कही थी, लेकिन बाद में लोकेश ने गहलोत के खिलाफ स्टैंड लेते हुए बयान बदल दिए और अब सरकारी गवाह बन गए।

    पायलट खेमे की बगावत के वक्त फोन टै​पिंग विवाद उठा था

    जुलाई 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय लोकेश शर्मा ने मीडिया को कुछ ऑडियो क्लिप भेजे थे। इसमें सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप थे। उन क्लिप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की दिवंगत कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बातचीत का दावा किया गया था, जिसमें सरकार गिराने की साजिश का आरोप था।

    इस ऑडियो क्लिप के सामने आने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर फोन टै​पिंग के आरोप लगाए थे। बीजेपी ने सरकार से ऑडियो के सोर्स के बारे में पूछा था। यह मामला विधानसभा और संसद में भी उठा था। सरकार ने विधानसभा में दिए जवाब में भी यह बात मानी थी कि लोकेश शर्मा ने ऑडियो सोशल मीडिया से लेकर वायरल किया था। इसके बाद मार्च 2021 में गजेंद्र सिंह शेखावत ने केस दर्ज करवाया था।

    लोकेश शर्मा ने पायलट की बगावत के समय कुछ ऑडियो क्लिप मीडिया को शेयर किए थे।

    लोकेश शर्मा ने पायलट की बगावत के समय कुछ ऑडियो क्लिप मीडिया को शेयर किए थे।

    पायलट सहित विधायकों के फोन सर्विलांस पर थे

    लोकेश शर्मा ने 2020 के फोन टै​पिंग मामले में मीडिया के सामने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि 16 जुलाई 2020 को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत होटल फेयरमोंट आए थे।

    लोकेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने फोन टैपिंग करवाई थी।
    लोकेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने फोन टैपिंग करवाई थी

    उनके होटल से निकलने के एक घंटे बाद मेरे पास गहलोत के पीएसओ रहे रामनिवास का कॉल आया था। कहा था- सीएम ने आपको बुलाया है। मैं पिंक हाउस पहुंचा तो गहलोत मेरा इंतजार कर रहे थे। गहलोत ने मुझे एक प्रिंटेड कागज और एक पेन ड्राइव दी। उसमें तीन ऑडियो क्लिप थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात थी।

    लोकेश शर्मा ने कहा था- ऑडियो को वायरल करने के बाद भी, जब तक खबर नहीं आई। गहलोत ने मुझे दो बार वॉट्सऐप कॉल कर पूछा- न्यूज में चला क्यों नहीं? जैसे ही खबर आई तो मुझे पता चला कि ऑडियो क्लिप में क्या है? मुझे सिर्फ डायरेक्शन दिए गए, जिसकी मैंने पालना की थी।

    लोकेश शर्मा ने कहा था- जैसे ही अशोक गहलोत को पता चला कि पायलट कुछ विधायकों के साथ आलाकमान से मिलने जा रहे हैं, उन्होंने सारा षड्यंत्र रचा था। जो लोग उनके (सचिन पायलट) साथ गए थे, उनके फोन सर्विलांस पर थे। सभी को ट्रैक किया जा रहा था। इसमें पायलट भी शामिल थे। सभी का मूवमेंट पता किया जा रहा था।

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