ओबीसी पीएम और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बावजूद डीयू में एनएफएस ‘NFS’ स्कैम जारी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 18 जुलाई 2024 | दिल्ली : देशभर में सरकारी नौकरियों में नॉट फॉउंड सुटेबल के जरिए मोदी सरकार में एक बड़ा स्कैम किया जा रहा है। ओबीसी-एससी-एसटी के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में रोकने के लिए इसको सबसे बड़ा हथियार बन लिया गया। ये तब किया जा रहा है कि जब भारत में साक्षरता दर 85.95 फीसदी हो चली है।

ओबीसी पीएम और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बावजूद डीयू में एनएफएस ‘NFS’ स्कैम जारी

दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है। बता दें कि विभिन्न विभागों में सहायक प्रोफेसर , एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की नियुक्तियों की प्रक्रिया पिछले दो साल से चल रही है। अभी तक 4600 पदों को भरा जा चुका है।

ओबीसी पीएम और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बावजूद
डीयू में एनएफएस ‘NFS’ स्कैम जारी

दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों व संबद्ध कॉलेजों में अनुसूचित जाति ( एससी ) अनुसूचित जनजाति ( एसटी ) व ओबीसी के अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्तियों में नॉट फाउंड सूटेबल किया जा रहा है। नॉट फाउंड सूटेबल (Not Found Suitable Scam) किए जाने को लेकर आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों में गहरा रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को ही क्यों नॉट फाउंड सूटेबल किया जाता है? 

सोचिए 21वीं सदी में आकर लिखा जा रहा है कि ओबीसी-एससी-एसटी के पदों को भरने के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। सवाल है कि ओबीसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ओबीसी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस स्कैम को क्यों नहीं रोक पा रहे हैं?

वाणिज्य विभाग, शिक्षा विभाग, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज, ( एफएमएस ) राजनीति विज्ञान विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ एमआईएल के बंगाली विभाग के अलावा कॉलेज स्तर पर भी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को एनएफएस (NFS) किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है ।

जल्द ही फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस संसदीय समिति, नेशनल एससी, एसटी कमीशन, नेशनल ओबीसी कमीशन व सांसदों से मिलकर नॉट फाउंड सूटेबल संबंधी ज्ञापन देगा और आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के विषय में बताएगा ।

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टरडीज ( एफएमएस ), राजनीति विज्ञान विभाग, शिक्षा विभाग ( सीआईई ) डिपार्टमेंट ऑफ एमआईएल के बंगाली विभाग व वाणिज्य विभागों में एससी /एसटी ओबीसी व ईडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया।

उन्होंने यह भी बताया है कि बहुत से विभाग एससी /एसटी , ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों की मेरिट वेटिंग लिस्ट भी नहीं बनाते। कुछ शिक्षकों के छोड़कर जाने के बाद उस मेरिट लिस्ट से पदों को भर लिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा ?

डॉ. सुमन ने बताया है कि इससे पहले भी फैकेल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टरडीज ( एफएमएस ) में सहायक प्रोफेसर के 29 पद विज्ञापित किए गए जिसमें 6 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल किया गया। इनमें ओबीसी-04 , एससी-01 , एसटी-01 है । इसी तरह से पिछले दिनों राजनीति विज्ञान विभाग में भी ओबीसी -02 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल कर दिया गया। वाणिज्य विभाग में भी ईडब्ल्यूएस कोटे के –02 उम्मीदवारों को भी नॉट फाउंड सूटेबल किया गया।

इसी विभाग में पिछले दिनों प्रोफेसर पद पर हुए साक्षात्कार में एससी -01 अभ्यर्थी को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया। उन्होंने बताया है शिक्षा विभाग ( सीआईई ) में 5 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । इसमें एससी -1 प्रोफेसर , एसटी -1 एसोसिएट प्रोफेसर , ओबीसी -1 एसोसिएट प्रोफेसर व ओबीसी -2 प्रोफेसर को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । इसी तरह डिपार्टमेंट ऑफ एमआईएल , बंगाली विभाग में एससी–1 पद पर नॉट फाउंड सूटेबल किया गया ।

डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि विभागों की तरह कॉलेजों ने भी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया है । दौलतराम कॉलेज में रसायन विज्ञान विभाग में एससी –1 सहायक प्रोफेसर पद पर नॉट फाउंड सूटेबल किया।

डीएवी कॉलेज सांध्य के वरिष्ठ शिक्षक प्रो.बासुकी चौधरी ने बताया है कि उनके यहाँ भी इतिहास विभाग व राजनीति विभाग में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । लेडी श्रीराम कॉलेज के हिंदी विभाग में सहायक प्रोफेसर ओबीसी -1 पद पर नॉट फाउंड सूटेबल किया है ।

इसी तरह श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में ईडब्ल्यूएस पोस्ट पर नॉट फाउंड सूटेबल किया । हाल ही में कमला नेहरू कॉलेज के जर्नलिज्म डिपार्टमेंट में ओबीसी –1 पद पर नॉट फाउंड सूटेबल कर दिया गया । इससे पहले हंसराज कॉलेज के हिन्दी विभाग में भी अनुसूचित जनजाति (एसटी ) के -01 उम्मीदवार को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । हालांकि कॉलेज द्वारा इसे फिर से विज्ञापित किया गया है।

डॉ. सुमन का कहना है कि अभी 80 फीसदी नियुक्ति हुई है और यदि इसी तरह से आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराया जाता रहेगा तो दूसरे विभाग व कॉलेज भी इस नीति को अपना लेंगे इसलिए इसे रोका जाना बहुत जरूरी है ।

डॉ.सुमन ने कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को लिखें पत्र में लिखा है कि जिन विभागों में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है उनकी जांच कराने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर एक कमेटी गठित की जाए ।

कमेटी में दिल्ली विश्वविद्यालय के बाहर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर, यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय, संसदीय समिति, एससी, एसटी कमीशन, ओबीसी कमीशन से एक-एक सदस्य के अलावा डीओपीटी/लायजन ऑफिसर हो ।

यह कमेटी यह भी जांच करे कि इन पदों पर कितने उम्मीदवार साक्षात्कार के समय उपस्थित हुए, कितने अनुपस्थित, चयन समिति की मिनट्स में किस आधार पर इन अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है।

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साथ ही आरक्षित श्रेणी के ऑब्जर्वर ने अपना विरोध दर्ज मिनट्स में कराया है या नहीं ? इसकी जांच के बाद कमेटी सम्पूर्ण जानकारी मीडिया को दे ताकि पता चल सके कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को ही नॉट फाउंड सूटेबल क्यों किया जाता है ?

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नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान में ‘थप्पड़ कांड’ से चर्चित हुए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा 1 महीने से टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील की गई है।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

इसके चलते 17 दिसंबर को एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत को लेकर सुनवाई होगी। इधर, नरेश के समर्थकों में रिहाई की मांग को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। बता दें कि बीते दिनों उनियारा कोर्ट में नरेश की जमानत की एप्लीकेशन लगाई गई थी, जो खारिज हो गई थी।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल

टोंक जिले के देवली-उनियारा क्षेत्र में एसडीएम थप्पड़ कांड के 5वें दिन भी समरावता गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है। जब भी कोई नेता गांव में पहुंच रहा हैं तो व्यथा सुनाते हुए ग्रामीणों की आंखों से आंसू निकल पड़ते है।

देवली-उनियारा के समरावता गाँव के लोग नये वीडियो से दहशत में है। वहीं, नरेश मीणा के पिता कल्याण सिंह मीणा भी गांव में पहुंचते ही रो पड़े। राजनेता वैसे तो नरेश मीणा की ज़मानत और उनकी रिहाई के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं पर अपनी राजनीति चमकाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। 

भोली-भली जनता सोच रही है कि सड़क पर आंदोलन करने या बड़ी-बड़ी सभाएँ करने से नरेश मीणा की ज़मानत हो जायेगी। पर, ऐसा कतई नहीं है क्योंकि जमनत तो सिर्फ़ वकीलों की अच्छी पैरवी से होगी जो अभी तक नहीं हुई है।

ग्रामीणों का आरोप ‘पुलिस कर देती एनकाउंटर’

इतना सुनते ही नरेश मीणा के पिता भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। लोगों ने यह भी कहा कि नरेश को हम उठाकर नहीं ले जाते तो पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग उन्हें संभालते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति नरेश मीणा के एनकाउंटर की पुलिस की साजिश की बात कह रहा है।

मूकनायक मीडिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रोफ़ेसर राम लखन ने अपने एक्स (X) हैंडल पर राजस्थान पुलिस को टैग करते हुए इनकी तटस्थ जाँच की माँग की है। उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस की छवि से जुड़े इस वीडियो की जाँच हो।

ये है पूरा मामला

बता दें कि विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में विधानसभा उप चुनाव 2024 के दौरान ग्राम समरावता थाना नगरफोर्ट, जिला टोंक में ग्रामीणो द्वारा उनके गांव समरावता को उपखण्ड देवली से हटाकर उपखण्ड उनियारा मे शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उक्त मांग को लेकर ग्रामीणो को साथ लेकर धरना शुरू किया। तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने वहां मौजूद एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी आरएएस उपखण्ड अधिकारी मालपुरा के थप्पड़ मार दी। इसके बाद घटनास्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गया।

शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पकड़ा। लेकिन, ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर नरेश मीणा को छुड़ा लिया। उपद्रवियों ने दो राजकीय वाहन व 7 प्राईवेट वाहन एवं लगभग 25 मोटर साईकिलों में आग लगा दी।

हालांकि, अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर मीना समर्थक भड़क गए और नरेश मीणा की रिहाई की मांग को लेकर कचरावता गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 डी पर जाम लगा दिया। इस पर पुलिस 60 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नरेश मीणा सहित सभी उपद्रवी अभी जेल में बंद है।

नरेश मीणा कब आयेंगे जेल बाहर?

राजस्थान में उपचुनाव के दिन 13 नवंबर को देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ जड़ दिया था। इसको लेकर समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई। उसके दूसरे दिन 14 नवंबर को टोंक पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

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नरेश तब से टोंक जेल में बंद है। हालांकि एक बार उनियारा कोर्ट में उनकी जमानत याचिका को खारिज हो चुकी है। नरेश मीणा के वकील ने बताया कि जिला कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अब 17 दिसंबर को सुनवाई हुई। पर जमानत अभी तक नहीं हुई है।

नरेश की रिहाई को लेकर गरमा रहा है मुद्दा

इधर, एक महीने से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई का मामला गर्माता जा रहा है। नरेश मीणा के समर्थक उनकी रिहाई को लेकर लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में सर्व समाज की महापंचायत हुई।

इधर, नरेश के समर्थक टोंक सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाएगा जो प्रशासन ने सोचा भी नहीं होगा। 

नरेश मीणा की जमानत पर फिर टली सुनवाई

बता दें कि थप्पड़ कांड के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। इस बीच दो बार उनकी जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। टोंक जिला न्यायालय में आज एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत अर्जी की सुनवाई टल गई है।

अब 4 जनवरी को जमानत पर सुनवाई होगी। बता दें कि नरेश मीणा सहित 18 आरोपियों के लिए उनियारा एसीजेएम कोर्ट मेें दो बार अर्जी खारिज हो चुकी है। इधर, 29 दिसंबर को नरेश के समर्थक उनकी रिहाई के लिए महापंचायत बुला रहे हैं। इस दौरान टोंक कलेक्ट्रेट और टोंक हाईवे पर बड़ा प्रदर्शन करने का प्रस्तावित कार्यक्रम रखा गया है।

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फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 16 दिसंबर 2024 | जयपुर : राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग केस में नया मोड़ आ गया है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा इस केस में सरकारी गवाह बन गए हैं। लोकेश शर्मा की सरकारी गवाह बनने की एप्लिकेशन को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा दिल्ली क्राइम ब्रांच में पहले ही बयान दे चुके हैं। अब इस केस में जांच आगे बढ़ सकती है।

फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने, क्या गहलोत की मुश्किल बढ़ेगी

लोकेश शर्मा के सरकारी गवाह बनने के बाद अब इस केस में नया मोड़ आना तय है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच लोकेश के बयानों के आधार पर अब पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व एसीएस होम, तत्कालीन डीजीपी और गहलोत राज के कुछ अफसरों से पूछताछ कर सकती है। सरकारी गवाह बनने से लोकेश शर्मा को इस केस में राहत मिल गई है।

फोन टैपिंग केस में लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बने

लोकेश शर्मा बोले- मेरे परिवार को खतरा, मुझे लगातार धमकियां मिल रही है

लोकेश शर्मा ने कहा- फोन टैपिंग केस में सरकारी गवाह बनने की मेरी याचिका को कोर्ट ने मंजूर ​कर लिया है। अब मैं कोर्ट जब भी बुलाएगा तब फोन टैपिंग की पूरी सच्चाई सबूतों के साथ बताऊंगा। पहले जांच एजेंसी को मैं सबूत सहित सब बता चुका हूं। मैंने इतनी बड़ी सच्चाई को सामने रखा है, मेरे और मेरे परिवार को जान का खतरा है, मैं परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं।

लोकेश शर्मा ने कहा- मैं हर सबूत बताने को तैयार हूं। सियासी संकट के वक्त तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत रोज विधायकों के फोन टैप करवाते थे। गहलोत अपने पक्ष के और विरोधी विधायकों के फोन टैप करवाने के बाद ट्रांसक्रिप्ट तैयार करवाकर पढ़ा करते थे। मैं उस समय यह रोज देखता था।

लोकेश शर्मा को क्राइम ब्रांच ने अरेस्ट कर तुरंत छोड़ दिया था

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 21 दिन पहले ही सोमवार को लोकेश शर्मा को गिरफ्तार कर छोड़ दिया था। लोकेश शर्मा को 21 नवंबर को पटियाला हाउस कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली हुई थी। इससे पहले, 14 नवंबर को खुद लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में फोन टैपिंग केस में दायर गिरफ्तारी से राहत देने और केस राजस्थान ट्रांसफर करने की याचिका वापस ले ली थी। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हट गई थी।

लोकेश शर्मा ने कहा था- फोन टैपिंग में गहलोत से हो पूछताछ, मेरा रोल नहीं

लोकेश शर्मा ने क्राइम ब्रांच में दिए बयानों में केस को लेकर अशोक गहलोत के खिलाफ कई बातें बोली थीं। बयानों में कहा था- फोन टै​पिंग में मेरी कोई भूमिका नहीं है। अशोक गहलोत ने ही मुझे पेन ड्राइव में ऑडियो क्लिप देते हुए कहा था कि इसे मीडिया में भेज दो। मेरी फोन टै​पिंग में कोई भूमिका नहीं है।

अब इस मामले में जो कुछ बता सकते हैं, वह गहलोत ही बता सकते हैं। अब अशोक गहलोत से क्राइम ब्रांच पूछताछ करे। उनके नजदीकी अफसरों से भी पूछताछ हो,वे ही बता सकते हैं। सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के फोन भी सर्विलांस पर थे। फोटो 2 साल पुराना है। गहलोत और पायलट में बगावत के बाद संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने दोनों के बीच समझौता करवाया था।

लोकेश शर्मा ​फोन, पेन ड्राइव और लैपटॉप क्राइम ब्रांच को सौंप चुके

लोकेश शर्मा ने अपना फोन, पेन ड्राइव और कुछ सबूत भी दिल्ली पुलिस को दिए थे। पहले दिल्ली क्राइम ब्रांच से पूछताछ में लोकेश शर्मा ने ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया से मिलने की बात कही थी, लेकिन बाद में लोकेश ने गहलोत के खिलाफ स्टैंड लेते हुए बयान बदल दिए और अब सरकारी गवाह बन गए।

पायलट खेमे की बगावत के वक्त फोन टै​पिंग विवाद उठा था

जुलाई 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय लोकेश शर्मा ने मीडिया को कुछ ऑडियो क्लिप भेजे थे। इसमें सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप थे। उन क्लिप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की दिवंगत कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बातचीत का दावा किया गया था, जिसमें सरकार गिराने की साजिश का आरोप था।

इस ऑडियो क्लिप के सामने आने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर फोन टै​पिंग के आरोप लगाए थे। बीजेपी ने सरकार से ऑडियो के सोर्स के बारे में पूछा था। यह मामला विधानसभा और संसद में भी उठा था। सरकार ने विधानसभा में दिए जवाब में भी यह बात मानी थी कि लोकेश शर्मा ने ऑडियो सोशल मीडिया से लेकर वायरल किया था। इसके बाद मार्च 2021 में गजेंद्र सिंह शेखावत ने केस दर्ज करवाया था।

लोकेश शर्मा ने पायलट की बगावत के समय कुछ ऑडियो क्लिप मीडिया को शेयर किए थे।

लोकेश शर्मा ने पायलट की बगावत के समय कुछ ऑडियो क्लिप मीडिया को शेयर किए थे।

पायलट सहित विधायकों के फोन सर्विलांस पर थे

लोकेश शर्मा ने 2020 के फोन टै​पिंग मामले में मीडिया के सामने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि 16 जुलाई 2020 को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत होटल फेयरमोंट आए थे।

लोकेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने फोन टैपिंग करवाई थी।
लोकेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने फोन टैपिंग करवाई थी

उनके होटल से निकलने के एक घंटे बाद मेरे पास गहलोत के पीएसओ रहे रामनिवास का कॉल आया था। कहा था- सीएम ने आपको बुलाया है। मैं पिंक हाउस पहुंचा तो गहलोत मेरा इंतजार कर रहे थे। गहलोत ने मुझे एक प्रिंटेड कागज और एक पेन ड्राइव दी। उसमें तीन ऑडियो क्लिप थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात थी।

लोकेश शर्मा ने कहा था- ऑडियो को वायरल करने के बाद भी, जब तक खबर नहीं आई। गहलोत ने मुझे दो बार वॉट्सऐप कॉल कर पूछा- न्यूज में चला क्यों नहीं? जैसे ही खबर आई तो मुझे पता चला कि ऑडियो क्लिप में क्या है? मुझे सिर्फ डायरेक्शन दिए गए, जिसकी मैंने पालना की थी।

लोकेश शर्मा ने कहा था- जैसे ही अशोक गहलोत को पता चला कि पायलट कुछ विधायकों के साथ आलाकमान से मिलने जा रहे हैं, उन्होंने सारा षड्यंत्र रचा था। जो लोग उनके (सचिन पायलट) साथ गए थे, उनके फोन सर्विलांस पर थे। सभी को ट्रैक किया जा रहा था। इसमें पायलट भी शामिल थे। सभी का मूवमेंट पता किया जा रहा था।

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