मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 18 जुलाई 2024 | दिल्ली : देशभर में सरकारी नौकरियों में नॉट फॉउंड सुटेबल के जरिए मोदी सरकार में एक बड़ा स्कैम किया जा रहा है। ओबीसी-एससी-एसटी के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में रोकने के लिए इसको सबसे बड़ा हथियार बन लिया गया। ये तब किया जा रहा है कि जब भारत में साक्षरता दर 85.95 फीसदी हो चली है।
ओबीसी पीएम और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बावजूद डीयू में एनएफएस ‘NFS’ स्कैम जारी
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है। बता दें कि विभिन्न विभागों में सहायक प्रोफेसर , एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की नियुक्तियों की प्रक्रिया पिछले दो साल से चल रही है। अभी तक 4600 पदों को भरा जा चुका है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों व संबद्ध कॉलेजों में अनुसूचित जाति ( एससी ) अनुसूचित जनजाति ( एसटी ) व ओबीसी के अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्तियों में नॉट फाउंड सूटेबल किया जा रहा है। नॉट फाउंड सूटेबल (Not Found Suitable Scam) किए जाने को लेकर आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों में गहरा रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को ही क्यों नॉट फाउंड सूटेबल किया जाता है?
सोचिए 21वीं सदी में आकर लिखा जा रहा है कि ओबीसी-एससी-एसटी के पदों को भरने के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। सवाल है कि ओबीसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ओबीसी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस स्कैम को क्यों नहीं रोक पा रहे हैं?
वाणिज्य विभाग, शिक्षा विभाग, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज, ( एफएमएस ) राजनीति विज्ञान विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ एमआईएल के बंगाली विभाग के अलावा कॉलेज स्तर पर भी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को एनएफएस (NFS) किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है ।
जल्द ही फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस संसदीय समिति, नेशनल एससी, एसटी कमीशन, नेशनल ओबीसी कमीशन व सांसदों से मिलकर नॉट फाउंड सूटेबल संबंधी ज्ञापन देगा और आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के विषय में बताएगा ।
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टरडीज ( एफएमएस ), राजनीति विज्ञान विभाग, शिक्षा विभाग ( सीआईई ) डिपार्टमेंट ऑफ एमआईएल के बंगाली विभाग व वाणिज्य विभागों में एससी /एसटी ओबीसी व ईडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया।
उन्होंने यह भी बताया है कि बहुत से विभाग एससी /एसटी , ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों की मेरिट वेटिंग लिस्ट भी नहीं बनाते। कुछ शिक्षकों के छोड़कर जाने के बाद उस मेरिट लिस्ट से पदों को भर लिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा ?
डॉ. सुमन ने बताया है कि इससे पहले भी फैकेल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टरडीज ( एफएमएस ) में सहायक प्रोफेसर के 29 पद विज्ञापित किए गए जिसमें 6 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल किया गया। इनमें ओबीसी-04 , एससी-01 , एसटी-01 है । इसी तरह से पिछले दिनों राजनीति विज्ञान विभाग में भी ओबीसी -02 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल कर दिया गया। वाणिज्य विभाग में भी ईडब्ल्यूएस कोटे के –02 उम्मीदवारों को भी नॉट फाउंड सूटेबल किया गया।
इसी विभाग में पिछले दिनों प्रोफेसर पद पर हुए साक्षात्कार में एससी -01 अभ्यर्थी को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया। उन्होंने बताया है शिक्षा विभाग ( सीआईई ) में 5 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । इसमें एससी -1 प्रोफेसर , एसटी -1 एसोसिएट प्रोफेसर , ओबीसी -1 एसोसिएट प्रोफेसर व ओबीसी -2 प्रोफेसर को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । इसी तरह डिपार्टमेंट ऑफ एमआईएल , बंगाली विभाग में एससी–1 पद पर नॉट फाउंड सूटेबल किया गया ।
डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि विभागों की तरह कॉलेजों ने भी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया है । दौलतराम कॉलेज में रसायन विज्ञान विभाग में एससी –1 सहायक प्रोफेसर पद पर नॉट फाउंड सूटेबल किया।
डीएवी कॉलेज सांध्य के वरिष्ठ शिक्षक प्रो.बासुकी चौधरी ने बताया है कि उनके यहाँ भी इतिहास विभाग व राजनीति विभाग में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । लेडी श्रीराम कॉलेज के हिंदी विभाग में सहायक प्रोफेसर ओबीसी -1 पद पर नॉट फाउंड सूटेबल किया है ।
इसी तरह श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में ईडब्ल्यूएस पोस्ट पर नॉट फाउंड सूटेबल किया । हाल ही में कमला नेहरू कॉलेज के जर्नलिज्म डिपार्टमेंट में ओबीसी –1 पद पर नॉट फाउंड सूटेबल कर दिया गया । इससे पहले हंसराज कॉलेज के हिन्दी विभाग में भी अनुसूचित जनजाति (एसटी ) के -01 उम्मीदवार को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया । हालांकि कॉलेज द्वारा इसे फिर से विज्ञापित किया गया है।
डॉ. सुमन का कहना है कि अभी 80 फीसदी नियुक्ति हुई है और यदि इसी तरह से आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराया जाता रहेगा तो दूसरे विभाग व कॉलेज भी इस नीति को अपना लेंगे इसलिए इसे रोका जाना बहुत जरूरी है ।
डॉ.सुमन ने कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को लिखें पत्र में लिखा है कि जिन विभागों में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है उनकी जांच कराने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर एक कमेटी गठित की जाए ।
कमेटी में दिल्ली विश्वविद्यालय के बाहर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर, यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय, संसदीय समिति, एससी, एसटी कमीशन, ओबीसी कमीशन से एक-एक सदस्य के अलावा डीओपीटी/लायजन ऑफिसर हो ।
यह कमेटी यह भी जांच करे कि इन पदों पर कितने उम्मीदवार साक्षात्कार के समय उपस्थित हुए, कितने अनुपस्थित, चयन समिति की मिनट्स में किस आधार पर इन अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है।
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साथ ही आरक्षित श्रेणी के ऑब्जर्वर ने अपना विरोध दर्ज मिनट्स में कराया है या नहीं ? इसकी जांच के बाद कमेटी सम्पूर्ण जानकारी मीडिया को दे ताकि पता चल सके कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को ही नॉट फाउंड सूटेबल क्यों किया जाता है ?