Former prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92

MOOKNAYAK MEDIA BUREAU | December 26, 2024 | Delhi: Former Prime Minister Manmohan Singh and veteran Congress leader passed away on Thursday. According to AIIMS sources, his condition was critical amnd he was being treated by a team of multiple doctors. The reason for his hospitalisation was not immediately known.

Former prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92

Former prime minister Manmohan Singh passed away at the age of 92

Manmohan Singh was India’s only Sikh Prime Minister who made his entry into the Rajya Sabha in 1991, not long after becoming the Finance Minister under the PV Narasimha Rao government in June that year. He was a representation of Assam for five terms in the Upper House, before making a move to Rajasthan in 2019.

His last words in Parliament were a strong criticism against demonetisation, describing it as a “sanctioned and lawful raid.”

AIIMS Delhi in a press statement late on Thursday night said, “With profound grief, we inform the demise of Former Prime Minister of India, Dr. Manmohan Singh, aged 92. He was being treated for age-related medical conditions and had sudden loss of consciousness at home on 26th December 2024. Resuscitative measures were started immediately at home. He was brought to the Medical Emergency at AIIMS, New Delhi at 8:06 PM. Despite all efforts, he could not be revived and was declared dead at 9:51 PM.”

Manmohan Singh Passes Away At 92: BJP Slams Robert Vadra For Sharing Tragic News On Social Media Without AIIMS Confirmation

Manmohan Singh Passes Away At 92: BJP Slams Robert Vadra For Sharing Tragic News On Social Media Without AIIMS Confirmation

Manmohan Singh’s Political Journey

Dr. Singh, widely regarded for his intellect and vision, was sworn in as India’s Prime Minister on May 22, 2004, following the Congress Party’s victory in the general elections. He took office for a second term on the same date in 2009.

Born on September 26, 1932, in a village in Punjab province in undivided India, Singh completed his matriculation from Punjab University in 1948, laying the foundation for an illustrious career.

Manmohan Singh shot to prominence as the country’s Finance Minister in the government headed by PV Narasimha Rao during 1991-96, having brought in sweeping reforms that transformed the economy.

As the two-term Prime Minister of the UPA, he stayed at the top post from 2004 and 2014, and served as a member of the Rajya Sabha till early this year. In his political career, Singh has been a member of the Rajya Sabha since 1991, where he was Leader of the Opposition between 1998 and 2004.

Manmohan Singh was sworn in as Prime Minister on May 22 after the 2004 general elections and took the oath of office for a second term on May 22, 2009. He represented Assam for five terms in the Upper House and shifted to Rajasthan in 2019. 

Manmohan Singh’s Landmark Achievements as Prime Minister

As Prime Minister, Dr. Singh launched several transformative initiatives including the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) (2005) which is aimed at providing 100 days of guaranteed wage employment per year to rural households.

He also implemented the Right to Information Act (2005) that strengthened transparency and accountability by granting citizens access to public information. His National Food Security Act (2013) ensured subsidized food grains for nearly two-thirds of India’s population. 

Manmohan Singh’s Education

Dr. Singh’s academic credentials were unparalleled. After completing his studies in Punjab, he earned a First Class Honours degree in Economics from the University of Cambridge in 1957, followed by a D. Phil in Economics from Nuffield College, Oxford, in 1962.

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His 1964 book, “India’s Export Trends and Prospects for Self-Sustained Growth”, was a groundbreaking critique of India’s inward-looking trade policy. Singh also served on the faculty at Punjab University and the Delhi School of Economics, solidifying his reputation as an eminent scholar.

Manmohan Singh’s Accomplishments

Dr. Singh joined the Government of India in 1971 as an economic advisor in the commerce ministry and later served as Chief Economic Advisor in the finance ministry in 1972. His key positions included:

  • Secretary, Ministry of Finance
  • Deputy Chairman, Planning Commission
  • Governor, Reserve Bank of India (RBI)
  • Chairman, University Grants Commission
  • Advisor to the Prime Minister

He also served as Secretary General of the South Commission in Geneva from 1987 to 1990. Dr. Singh’s tenure as Finance Minister (1991–1996) under Prime Minister P.V. Narasimha Rao marked a turning point in India’s economic history. He spearheaded a wave of economic reforms that liberalized the Indian economy, a legacy that continues to be recognized globally.

Manmohan Singh’s Awards

Dr. Singh was awarded India’s second-highest civilian honor, the Padma Vibhushan, in 1987, among many other accolades. Dr. Manmohan Singh will be remembered not only for his scholarly brilliance but also for his transformative contributions to India’s economic and political landscape.

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MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

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नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान में ‘थप्पड़ कांड’ से चर्चित हुए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा 1 महीने से टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील की गई है।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

इसके चलते 17 दिसंबर को एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत को लेकर सुनवाई होगी। इधर, नरेश के समर्थकों में रिहाई की मांग को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। बता दें कि बीते दिनों उनियारा कोर्ट में नरेश की जमानत की एप्लीकेशन लगाई गई थी, जो खारिज हो गई थी।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल

टोंक जिले के देवली-उनियारा क्षेत्र में एसडीएम थप्पड़ कांड के 5वें दिन भी समरावता गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है। जब भी कोई नेता गांव में पहुंच रहा हैं तो व्यथा सुनाते हुए ग्रामीणों की आंखों से आंसू निकल पड़ते है।

देवली-उनियारा के समरावता गाँव के लोग नये वीडियो से दहशत में है। वहीं, नरेश मीणा के पिता कल्याण सिंह मीणा भी गांव में पहुंचते ही रो पड़े। राजनेता वैसे तो नरेश मीणा की ज़मानत और उनकी रिहाई के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं पर अपनी राजनीति चमकाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। 

भोली-भली जनता सोच रही है कि सड़क पर आंदोलन करने या बड़ी-बड़ी सभाएँ करने से नरेश मीणा की ज़मानत हो जायेगी। पर, ऐसा कतई नहीं है क्योंकि जमनत तो सिर्फ़ वकीलों की अच्छी पैरवी से होगी जो अभी तक नहीं हुई है।

ग्रामीणों का आरोप ‘पुलिस कर देती एनकाउंटर’

इतना सुनते ही नरेश मीणा के पिता भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। लोगों ने यह भी कहा कि नरेश को हम उठाकर नहीं ले जाते तो पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग उन्हें संभालते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति नरेश मीणा के एनकाउंटर की पुलिस की साजिश की बात कह रहा है।

मूकनायक मीडिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रोफ़ेसर राम लखन ने अपने एक्स (X) हैंडल पर राजस्थान पुलिस को टैग करते हुए इनकी तटस्थ जाँच की माँग की है। उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस की छवि से जुड़े इस वीडियो की जाँच हो।

ये है पूरा मामला

बता दें कि विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में विधानसभा उप चुनाव 2024 के दौरान ग्राम समरावता थाना नगरफोर्ट, जिला टोंक में ग्रामीणो द्वारा उनके गांव समरावता को उपखण्ड देवली से हटाकर उपखण्ड उनियारा मे शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उक्त मांग को लेकर ग्रामीणो को साथ लेकर धरना शुरू किया। तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने वहां मौजूद एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी आरएएस उपखण्ड अधिकारी मालपुरा के थप्पड़ मार दी। इसके बाद घटनास्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गया।

शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पकड़ा। लेकिन, ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर नरेश मीणा को छुड़ा लिया। उपद्रवियों ने दो राजकीय वाहन व 7 प्राईवेट वाहन एवं लगभग 25 मोटर साईकिलों में आग लगा दी।

हालांकि, अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर मीना समर्थक भड़क गए और नरेश मीणा की रिहाई की मांग को लेकर कचरावता गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 डी पर जाम लगा दिया। इस पर पुलिस 60 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नरेश मीणा सहित सभी उपद्रवी अभी जेल में बंद है।

नरेश मीणा कब आयेंगे जेल बाहर?

राजस्थान में उपचुनाव के दिन 13 नवंबर को देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ जड़ दिया था। इसको लेकर समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई। उसके दूसरे दिन 14 नवंबर को टोंक पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

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नरेश तब से टोंक जेल में बंद है। हालांकि एक बार उनियारा कोर्ट में उनकी जमानत याचिका को खारिज हो चुकी है। नरेश मीणा के वकील ने बताया कि जिला कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अब 17 दिसंबर को सुनवाई हुई। पर जमानत अभी तक नहीं हुई है।

नरेश की रिहाई को लेकर गरमा रहा है मुद्दा

इधर, एक महीने से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई का मामला गर्माता जा रहा है। नरेश मीणा के समर्थक उनकी रिहाई को लेकर लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में सर्व समाज की महापंचायत हुई।

इधर, नरेश के समर्थक टोंक सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाएगा जो प्रशासन ने सोचा भी नहीं होगा। 

नरेश मीणा की जमानत पर फिर टली सुनवाई

बता दें कि थप्पड़ कांड के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। इस बीच दो बार उनकी जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। टोंक जिला न्यायालय में आज एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत अर्जी की सुनवाई टल गई है।

अब 4 जनवरी को जमानत पर सुनवाई होगी। बता दें कि नरेश मीणा सहित 18 आरोपियों के लिए उनियारा एसीजेएम कोर्ट मेें दो बार अर्जी खारिज हो चुकी है। इधर, 29 दिसंबर को नरेश के समर्थक उनकी रिहाई के लिए महापंचायत बुला रहे हैं। इस दौरान टोंक कलेक्ट्रेट और टोंक हाईवे पर बड़ा प्रदर्शन करने का प्रस्तावित कार्यक्रम रखा गया है।

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Memorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable life

MemoriesMOOKNAYAK MEDIA BUREAU | December 27, 2024 | Jaipur: As the sun sets on a remarkable life, we mourn the loss of a true statesman, a visionary leader, and a humble soul – Former Prime Minister Manmohan Singh. At 92, he leaves behind a legacy that will forever be etched in the annals of Indian history.

Memorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable life

Born in the midst of turmoil, Singh’s family migrated to India during the partition in 1947. Against all odds, he rose to become a renowned economist, academician, and bureaucrat, serving as the Prime Minister of India from 2004 to 2014.

Memorizing Dr Manmohan Singh as the sun sets on a remarkable life

Singh’s unwavering loyalty to the Gandhi family was a testament to his commitment to the party and its ideals. Yet, it is equally important to acknowledge the hurt caused by Rahul Gandhi’s misbehavior towards him. A public apology from Rahul Gandhi would be a fitting tribute to the former Prime Minister’s legacy.

As we remember Manmohan Singh, we honor his numerous achievements, including the liberalization of India’s economy, the implementation of the National Rural Employment Guarantee Act (NREGA), and the Right to Information Act.

His commitment to education and healthcare led to significant reforms, including the Right of Children to Free and Compulsory Education Act.Singh’s foreign policy initiatives strengthened India’s relationships with countries like the United States, China, and Afghanistan.

His leadership played a crucial role in shaping India’s growth story, and his humility and integrity earned him respect across party lines.As we bid farewell to this extraordinary leader, we take a moment to reflect on his remarkable journey.

Manmohan Singh’s life serves as a testament to the power of hard work, dedication, and selfless service. May his legacy continue to inspire future generations of leaders and citizens alike.In the words of Singh himself, “The greatest glory in living lies not in never falling, but in rising every time we fall.”

As we remember this remarkable leader, let us strive to emulate his values of integrity, wisdom, and selfless service.Tamil Nadu Chief Minister and DMK president M.K. Stalin credited Dr. Singh for steering India’s economic transformation. “His tenure marked an era of steady growth, social progress, and reforms that improved the lives of millions.”

Reflecting on the DMK’s steady presence in UPA, he said, that Dr. Singh’s partnership with M. Karunanidhi was instrumental in advancing Tamil Nadu’s development. “Even during turbulent times, Dr. #ManmohanSingh and Thalaivar Kalaignar stood together, exemplifying the strength of coalition politics built on trust and respect for regional identities,” Mr. Stalin said.

US Secretary of State Antony Blinken paid tribute to Singh, calling him a “champion of the US-India strategic partnership.” Highlighting Singh’s pivotal role in advancing the Civil Nuclear Cooperation Agreement, Blinken stated, “Dr Singh’s leadership laid the foundation for much of what our countries have accomplished together in the past two decades.”

Dr Singh was a brilliant economist with an ambitious vision of what a liberal India could be, combined with a fine sense of what was possible politically. He was understated and soft spoken, which allowed him to attract the best and the brightest, ranging from Montek Singh Ahluwalia to C Rangarajan, to his team.

The liberalisation and reforms he undertook with the support of Prime Minister Narasimha Rao laid the foundations of the modern Indian economy, and spurred the decades of robust growth we still enjoy.

Dr Singh also had singular achievements on the administrative side. In his first term as prime minister, he strengthened relations with the US, culminating in the Civil Nuclear Deal. In some ways, the US-India relationship may be the key global relationship of the 21st century, and Dr Singh put it on stable footing.

In his second term, he appointed Nandan Nilekani to head the unique ID rollout, which became the foundation of the India Stack and successful products like UPI payments. Those were also years of extraordinary growth.

After the initial recovery post-global financial crisis, Dr Singh recognised the growing risks to the economy from excessive spending, and brought back P Chidambaram as finance minister to restore macroeconomic stability. While India experienced volatility during the Taper Tantrum, matters could have been much worse without Dr Singh’s prescience.

Dr Singh was a man of great integrity, never using any of his offices for personal gain or to benefit his family. Though corruption scandals engulfed some government ministries and coalition partners in his second term, they never touched him.

Nevertheless, they clouded his record. With the passage of time, though, many of the allegations have not withstood judicial scrutiny, while his economic reforms seem ever more visionary and important.

Memories;

तस्वीर 19 सितम्बर 2004 की है। जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ नई दिल्ली के 7 रेसकोर्स रोड पर एक इवेंट में मौजूद थे।

तस्वीर 12 अप्रैल 2010 की है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वाशिंगटन के ब्लेयर हाउस में परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बैठक के दौरान नजर आए थे।

तस्वीर 12 मार्च 2010 की है। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में एक बैठक में अपने रूसी काउंटरपार्ट व्लादिमीर पुतिन के साथ मीटिंग में।

इस तस्वीर में 15 अगस्त 2013 को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह 67वें स्वतंत्रता दिवस पर नई दिल्ली में लाल किले से देश को संबोधित करने जाते हुए नजर आ रहे हैं। बतौर प्रधानमंत्री यह उनका आखिरी भाषण था।

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