मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 08 अप्रैल 2024 | जयपुर – दिल्ली – एसएमएस अस्पताल – जेडीए : राजस्थान के मुख्य सचिव (CS) सुधांश पंत सोमवार सुबह 9:35 बजे जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के ऑफिस पहुंच गए। पंत ने जेडीए मुख्यालय की बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर से लेकर तीसरी मंजिल तक करीब 40 कमरों का निरीक्षण किया।
मुख्य सचिव सुधांश पंत के जेडीए में दूसरे औचक निरीक्षण से हड़कंप
इसकी सूचना मिलते ही फौरन जेडीए कमिश्नर (जेडीसी) मंजू राजपाल भी पंत के पास पहुंच गईं। इस दौरान पंत ने अधिकारियों के कंप्यूटर खोलकर पेंडेंसी की स्थिति जानी। उन्होंने कहा कि हालात संतोषजनक है। एक-दो अधिकारी-कर्मचारी जरूर लापरवाह हैं।
जल्दी ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। इसके लिए जेडीसी को निर्देश दिए गए हैं। करीब 45 मिनट तक दौरा करने के बाद पंत ने सभी अधिकारियों को जेडीए के मंथन सभागार में बुलाया। यहां करीब 15 मिनट बैठक की। सीएस सुधांश पंत ने जेडीए के कर्मचारियों से भी बात की।
जेडीए सचिव के कमरे में पहुंचे
निरीक्षण के दौरान पंत जेडीए सचिव हेम पुष्पा के कमरे में भी गए। पंत ने वहां रखी फाइलों की स्थिति देखी। सचिव के लॉगिन से उनके फाइल डिस्पोजल का ट्रैक देखा। पंत ने बताया कि फाइलों का डिस्पोजल एवरेज (काम पूरा करने का समय) टाइम 9 घंटे आ रहा है। यह सबसे अच्छा है। उन्होंने बताया- मैंने दो-चार अधिकारियों के लॉगिन चेक किए। वहां किसी का डिस्पोजल एवजेर टाइम 14 तो किसी का 18 घंटे आ रहा है।
पहले की तुलना में पेंडेंसी कम मिली। एक-दो अधिकारी के कमरे में पेंडेंसी 3-4 दिन की मिली। ऐसी स्थिति नहीं थी कि कोई फाइल एक-दो सप्ताह या एक माह से पड़ी है और उन पर कोई निर्णय न हुआ हो। जेडीए की बिल्डिंग में तीसरी मंजिल तक मुख्य सचिव सुधांश पंत गए और निरीक्षण किया।
स्टाफ की कमी की समस्या दूर करेंगे
मीडिया की ओर से जेडीए में स्टाफ की कमी को लेकर पूछे गए सवाल पर पंत ने कहा- इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है। इसे दूर करने के लिए हम चर्चा कर रहे हैं। संभावना है कि मई-जून तक निर्णय हो जाएगा।
सीएस सुधांश पंत का ढाई माह में जेडीए का यह दूसरा दौरा है। इससे पहले 23 जनवरी को भी पंत जेडीए के औचक निरीक्षण पर पहुंचे थे। गैरहाजिर मिलने पर जेडीए की तत्कालीन सचिव के अलावा एक अतिरिक्त आयुक्त और एक उपायुक्त को एपीओ किया गया था।
पंत इससे पहले परिवहन विभाग, हाउसिंग बोर्ड, संभागीय आयुक्त कार्यालय, जयपुर कलेक्ट्रेट, नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय समेत अन्य कार्यालयों का औचक निरीक्षण कर चुके है। अधिकारियों के कमरे में फाइलों को तो सुधांश पंत ने देखा ही, कंप्यूटर में भी पेंडेंसी चेक की।
सुधांश पंत साल 2010 में JDA के आयुक्त रह चुके
मुख्य सचिव सुधांश पंत साल 2010 में जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें प्राधिकरण की कार्यशैली का अच्छा अनुभव है। पंत तीन साल पहले जींस पहनने से नाराज हो गए थे। तब वह राजस्थान में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी थे। जोधपुर संभाग में जलदाय विभाग के अधिकारियों की बैठक में पानी की सप्लाई की समीक्षा के दौरान कलेक्ट्रेट के डीआरडीओ सभागार में अधिशासी अभियंता को जींस में देख पंत नाराज हो गए थे। उनको लताड़ लगाते हुए घर जाकर पैंट पहनकर आने को कहा था।
एसएमएस समेत दूसरे अस्पताल में रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार
जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (एसएमएस) समेत दूसरे अस्पताल में आज रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार किया है। पिछले दिनों राज्य सरकार के तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स को सस्पेंड करने के विरोध में ये कदम उठाया गया। इस कार्य बहिष्कार के चलते सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में इलाज करवाने पहुंचे मरीजों को हुई। क्योंकि यहां अधिकांश मरीजों को रेजिडेंट ही देखते हैं।
सोमवार सुबह एसएमएस मेडिकल कॉलेज के बाहर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने प्रदर्शन करते हुए प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश कुमावत ने बताया- पहले फरवरी में सरकार ने गलत खून चढ़ाने के मामले में रेजिडेंट डॉक्टर को एपीओ कर दिया था।
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अब भी सरकार ने जांच किए बिना एक पक्ष कार्यवाही करते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया। इस तरह हर बार रेजिडेंट डॉक्टरों पर एक तरफा कार्रवाई करना ठीक नहीं है। जांच करें और बताए कि डॉक्टर की क्या गलती थी। उसके बाद कार्रवाई की जानी चाहिए।
इससे पहले देर रात जार्ड की जीबीएम हुई थी। इसमें सभी पदाधिकारियों ने एकमत होकर सोमवार सुबह से कार्य बहिष्कार का निर्णय किया था। इस कार्य बहिष्कार में ओपीडी के अलावा आईपीडी और इमरजेंसी को भी शामिल रखा। जार्ड अध्यक्ष का दावा है कि इस कार्य बहिष्कार में 1500 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर्स शामिल हैं।
मरीजों को परेशानी, प्रोफेसरों ने संभाली ओपीडी
रेजिडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल का सबसे ज्यादा प्रभाव ओपीडी में रहा। एक दिन छुट्टी होने के कारण आज मरीजों की भीड़ ज्यादा रही। वहीं, चैम्बरों में डॉक्टरों के नहीं मिलने से मरीजों को इंतजार करना पड़ना। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफसर रैंक के डॉक्टरों के साथ कुछ इन सर्विस डॉक्टरों ने ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखा। उनका इलाज किया। सबसे ज्यादा भीड़ आज जनरल मेडिसिन डिपार्टमेंट में रही। यहां सुबह मरीजों की लंबी कतार देखने को मिली।
ऑपरेशन भी प्रभावित
इस हड़ताल का असर आज ऑपरेशनों पर भी दिखा। छोटे-मोटे ऐसे ऑपरेशन जिन्हें आगे के लिए टाला जा सकता है, उन्हें नहीं किया गया। केवल इमरजेंसी और जरूरी ऑपरेशन ही किए गए। इधर, इमरजेंसी में भी इन सर्विस डॉक्टरों की विशेष ड्यूटी लगाई गई।
इसलिए किया कार्य बहिष्कार
दरअसल, पिछले दिनों शास्त्री नगर स्थित कावंटिया हॉस्पिटल में एक प्रसूता की डिलीवरी हॉस्पिटल के बाहर चबूतरे पर होने के बाद प्रशासन ने तीन रेजिडेंट डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया था। सरकार ने इस प्रकरण में प्रथम दृष्टया रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत और डॉ. मनोज को दोषी माना। उनके निलंबन के आदेश जारी कर दिए। सरकार की इसी कार्रवाई के विरोध में आज डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया।