मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 मार्च 2024 | जयपुर – दिल्ली – मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सौंप दिया है। इस डेटा के साथ ही बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कई जानकारी दी हैं, जिसमें बहुत सी जानकारियां सामने आई हैं।
अप्रैल 2019 से फरवरी 2024 तक 22 हजार 217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे
स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एफिडेविट फाइल किया। इसमें कहा गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी का खुलासा करने का सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने इलेक्टोरल बॉन्ड के सारे आंकड़े चुनाव आयोग के पास जमा करा दिए हैं।
इसी के साथ एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा की ओर से इसकी जानकारी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट भी दायर किया गया है। इस एफिडेविट में कई ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जो बताती हैं कि देश में कुल कितने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। कितनों को राजनीतिक पार्टियों ने भुनाया? बाकी अब चुनाव आयोग के ऊपर इन आंकड़ों को 15 मार्च 2024 की शाम 5 बजे तक सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी है।
हलफनामे के अनुसार एक अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 22 हजार 217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। SBI ने कहा कि एक अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 के बीच यानी 12 दिनों में 3,346 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। इनमें से 1,609 को रिडीम (पैसा लेना) कर लिया गया।
12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक कुल 18 हजार 871 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। 20 हजार 421 को रिडीम कर लिया गया। यानी अब तक कुल 22 हजार 217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। इनमें से 22 हजार 30 को राजनीतिक दलों ने रिडीम कर लिया।
एसबीआई ने पेन ड्राइव में दो फाइलें चुनाव योग को दीं
SBI चेयरमैन ने कहा- हमने ECI को पेन ड्राइव में दो फाइलें दी हैं। एक फाइल में बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल्स हैं। इसमें बॉन्ड खरीदने की तारीख और रकम का जिक्र है। दूसरी फाइल में बॉन्ड इनकैश करने वाले राजनीतिक दलों की जानकारी है।
लिफाफे में 2 पीडीएफ फाइल भी हैं। ये पीडीएफ फाइल पेन ड्राइव में भी रखी गई हैं, इन्हें खोलने के लिए जो पासवर्ड है, वो भी लिफाफे में दिया गया है। SBI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जिन पार्टियों ने 15 दिन की वैलिडिटी के भीतर इलेक्टोरल बॉन्ड को कैश नहीं किया है, उसकी रकम प्रधानमंत्री राहत कोष में ट्रांसफर कर दी गई है।
SBI ने समय मांगा था
इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने करीब 40 मिनट सुनवाई की थी। SBI ने कोर्ट से कहा था- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया?
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा- SBI 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करेंगे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश दिया था।
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4 मार्च को SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
इलेक्टोरल बॉन्ड से दान देने वाले की टैक्स लायबिलिटी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिस तरह चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चंदा या दान देने पर दानदाता को उतनी राशि पर 100 प्रतिशत कर छूट मिलती है। ठीक उसी तरह प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा की गई राशि पर भी आयकर कानून के तहत 100 प्रतिशत कर छूट मिलती है।