मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 मार्च 2024 | जयपुर – दिल्ली – तवांग – बीजिंग : चीन ने एक बार फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं।
चीन के सीमा समझौतों को मानने से इंकार पर पीएम मोदी की चुप्पी
जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। पूर्वी सेक्टर में जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।
इसी के साथ इस महीने यह चौथी बार है जब चीन ने अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया है। दरअसल, शनिवार (23 मार्च) को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था- चीन ने लगातार अरुणाचल पर अपना दावा किया है। ये दावे शुरू से ही बेतुके थे और आज भी बेतुके ही हैं। चीन सीमा समझौतों को नहीं मानता है। सिंगापुर में एक कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-चीन रिश्तों और सीमा विवाद पर बात की।
भारत-चीन के बीच संतुलन बनाना सबसे बड़ी चुनौती
सिंगापुर में जयशंकर ने कहा था- मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि भारत-चीन के बीच संतुलन कैसे बनाएं, दोनों देश 2 बड़ी ताकतें हैं जो आपस में पड़ोसी भी हैं। दोनों देशों का इतिहास और उनकी क्षमताएं उन्हें दुनिया से अलग करती हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रखना अहम है। विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 में हमें हैरानी हुई, जब चीन ने बॉर्डर पर कुछ ऐसा किया जो दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन था। चीन ने दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने की बजाए उसे बिगाड़ दिया।
सेला टनल खुलने पर चीन बोला था- PM मोदी के दौरे से मुश्किलें बढ़ेंगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मार्च को अरुणाचल में सेला टनल का उद्घाटन किया था। यह 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है। चीन सीमा से लगी इस टनल की लंबाई 1.5 किलोमीटर है। टनल के उद्घाटन के बाद से चीन ने लगातार इसका विरोध करते हुए अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया है।
करीब 15 दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था- भारत के कदम LAC पर तनाव को बढ़ावा देने वाले हैं। हमारी सरकार ने कभी भी गैर-कानूनी तरीके से बसाए गए अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी। हम आज भी इसका विरोध करते हैं। चीन ने कहा- अरुणाचल हमारा हिस्सा है और भारत मनमाने ढंग से यहां कुछ भी नहीं कर सकता है। हम PM मोदी के पूर्वी क्षेत्र में किए गए इस दौरे के खिलाफ हैं। हमने भारत से भी अपना विरोध जताया है।
टनल चीन बॉर्डर से लगे तवांग को हर मौसम में रोड कनेक्टिविटी देगी। LAC के करीब होने के कारण यह टनल सेना के मूवमेंट को खराब मौसम में और भी बेहतर बनाएगी। इस टनल के बनने से चीन बॉर्डर तक की दूरी 10 किलोमीटर कम हो गई है।
अरुणाचल में 11 इलाकों के नाम बदल चुका चीन
चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया था। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।
इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।
सेला टनल रणनीतिक रूप से इतनी अहम क्यों है?
डिफेंस एक्सपर्ट मनोज जोशी बताते हैं कि सेला टनल रणनीतिक रूप से अहम ‘सेला पास’ के नजदीक बनी है। ये इलाका चीनी सेना को LAC से साफ नजर आता है। 1962 की भारत-चीन जंग में चीनी सेना इसी सेला पास से घुसकर तवांग तक पहुंची थी। इतना ही नहीं, तवांग सेक्टर में ही 9 दिसंबर 2022 को चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी, जिसके बाद भारतीय सेना से उनकी झड़प हुई थी।
अरुणाचल प्रदेश के अलावा चीन अक्साई चिन और लद्दाख को भी अपना हिस्सा बताता है। पिछले साल 28 अगस्त को चीन ने अपना एक ऑफिशियल मैप जारी किया था। इसमें उसने अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चीन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपना इलाका बताया था।
अमेरिका ने कहा- सैन्य घुसपैठ गलत
अमेरिका ने अरुणाचल प्रदेश पर चीनी बयानों के खिलाफ भारत का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के डिप्टी स्पोक्सपर्सन ने कहा कि अरुणाचल भारत का हिस्सा है और वो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार चीन के किसी भी इलाके पर दावे का विरोध करते हैं।
अमेरिका ने यह बात चीन के अरुणाचल पर दावे वाले बयान के बाद कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9-10 मार्च को अरुणाचल का दौरा किया था। उन्होंने यहां 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेला टनल का इनॉगरेशन किया था। चीन ने 11 मार्च को इसका विरोध करते हुए अरुणाचल को अपना हिस्सा बताया था।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के डिप्टी स्पोक्सपर्सन वेदांत पटेल ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा- अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है। यहां किसी भी तरह की घुसपैठ गलत है और हम वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार सैन्य, नागरिक घुसपैठ या अतिक्रमण से किसी भी क्षेत्र पर होने वाले दावों के एकतरफा प्रयास का विरोध करते हैं। तस्वीर 9 मार्च की है, जब PM मोदी अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गए थे।
ड्रेगन ने अरुणाचल को दिया नया नाम
चीन अरुणाचल प्रदेश को साउथ तिब्बत कहता है और इसका नाम जांगनान बताता है। 11 मार्च को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अरुणाचल प्रदेश का नाम जांगनान बताया और कहा- यह चीनी क्षेत्र है। हमारी सरकार ने कभी भी गैर-कानूनी तरीके से बसाए गए अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी। हम आज भी इसका विरोध करते हैं। यह चीन का हिस्सा है और भारत मनमाने ढंग से यहां कुछ भी नहीं कर सकता है।
चीन ने कहा था- रिश्तों पर सीमा विवाद का असर नहीं
14 मार्च को वांग वेनबिन ने कहा था- भारत-चीन सीम विवाद दोनों देशों के बायलैटरल रिलेशन्स का प्रतिनिधित्व नहीं करता। हमें एक-दूसरे पर भरोसा करने की जरूरत है। इससे हमारे बीच गलतफहमी दूर होगी और हमारे रिश्ते मजबूत होंगे।
यह भी पढ़ें : गुजरात मॉडल अपराध-भुखमरी, देह व्यापार और ह्यूमन ट्रैफिकिंग-रेप-गैंगरेप में तब्दील
हालांकि, वांग ने मोदी के अरुणाचल दौरे पर कहा था- भारत जो कर रहा है उससे सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद और बढ़ सकता है। हम PM मोदी के पूर्वी क्षेत्र में किए गए इस दौरे के खिलाफ हैं। हमने भारत से भी अपना विरोध जताया है।
अरुणाचल हमारा हिस्सा था, है और रहेगा
चीन के बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा था- PM मोदी समय-समय पर राज्यों का दौरा करते रहते हैं। ऐसे दौरों या विकास योजनाओं का विरोध नहीं किया जा सकता। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का हिस्सा था, है और रहेगा। हम चीन के सामने यह बात पहले भी कई बार रख चुके हैं।